Manmarjiyan – 7

Manmarjiyan – 7

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू ने फ्लो फ्लो में फूफाजी को उठवाने के लिए बोल तो दिया कि लेकिन इसके बाद मिश्रा जी उसके साथ क्या करने वाले थे ये तो गोलू भी नहीं जानता था। मिश्रा जी को अपनी और घूरते पाकर गोलू इधर उधर ढूंढने लगा ये देखकर मिश्रा जी ने कहा,”का ढूंढ रहे हो ?”
“आपकी चप्पल”,गोलू ने मरे हुए स्वर में कहा


मिश्रा जी फिर किसी सोच में पड़ गए तो गोलू ने उठते हुए कहा,”लगता है हमरा आइडिआ आपको पसंद नहीं आया ,, कोई बात नहीं हम हाथ जोड़कर समझायेंगे फूफा को,,,,,,,,,,,,!!”
“बइठो,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कठोरता से कहा
“मर गए गोलू , लगता है इह बार बाटा की चप्पल से नहीं , सींक वाली झाड़ू से सुताई होगी,,,,,,,,,,,,,अरे आग लगे हमाई जबान को का जरूरत थी मिश्रा जी के फट्टे में टाँग अड़ाने की लेकिन नहीं तुमको तो हीरो बनना था। दिखा दी हीरोगिरी , लग गए ना बम्बू अब बैठ के गिनो”,गोलू मन ही मन खुद को कोसते हुए वापस नीचे बैठ गया।


मिश्रा जी ने देखा घर में सब लोग आस पास ही घूम रहे है तो वे थोड़ा सा गोलू की तरफ झुके और धीमे स्वर में कहा,”कैसे उठावाओगे ?”
“हैं ! मतलब आप तैयार,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने हैरानी से चौंककर तेज आवाज में कहा तो सब मिश्रा जी और गोलू की तरफ देखने लगे। मिश्रा जी ने गोलू के सर पर चपत मारकर फिर धीमे स्वर में कहा,”का तुम्हरे गले में का स्पीकर लगा है , सबको काहे सुना रहे हो ? मारेंगे एक खींच के बिलबिला जाओगे अभी यही,,,,,,,,,,!!”


गोलू को अपनी गलती समझ आयी और इस बार उसने धीरे से कहा,”आप सच में फूफा को उठवाना चाहते है ? मेरा मतलब सिर्फ उठाना ही है या,,,,,,,,,,!!”

गोलू की बात सुनकर मिश्रा जी ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा,”नहीं नहीं कंधे पे बैठा के पूरा कानपूर घूमाना है उनको , अबे गोलू बौड़म हो का ? उठाने का मतलब है जब तक अम्मा के 13 दिन पुरे नाही हो जाते तब जाते उनको जे सब से दूर रखना है,,,,,,,, ओह के बाद 14वे दिन हम उनकी कब्र खोद देंगे ?”
“ठीक है फिर उठवा लेते है कल सुबह,,,,,,,,,!!”,गोलू ने मिश्रा जी के कंधे पर हाथ रखकर कहा


अब मिश्रा जी ठहरे गुड्डू के बाप , आज तक गुड्डू ने कभी उनके बराबर खड़े होने की हिम्मत नहीं की और गोलू महाराज कंधे तक पहुँच गए। मिश्रा जी ने मुस्कुराते हुए गोलू का हाथ नीचे किया और उसकी कोल में एक घुसा जड़ते हुए कहा,”घर के बाहर होंगे तुमहू रंगबाज , हिया हम तुम्हरे बाप है,,,,,,!!”
गोलू सुबह से सुबह से इतना पीटा जा चुका था कि अब उसकी रुलाई फूट पड़ी और वह मुंह फाड़कर रोने लगा।

गोलू के एकदम से रोने की वजह से मिश्रा जी हैरान परेशान हो गए वह गोलू से कुछ कहते इस से पहले मिश्राइन वहा आ पहुंची और कहा,”का हुआ गोलू ? रो काहे रहे हो ?”
“चाचीईई,,,,,,,,,,,,,,,,,,अम्मा”,गोलू ने रोते हुए कहा लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आया
“अरे कुछो नाहीं मिश्राइन उह्ह गोलुआ को हमरी अम्मा की याद आ गयी बस इहलिये थोड़ा इमोशनल हो गवा बस और कुछ नही,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने तुरंत बात सम्हालते हुए कहा


मिश्रा जी की बात सुनकर गोलू और जोर से रोने लगा , कही गुस्से में आकर गोलू सच बात ना बोल दे सोचकर मिश्रा जी ने जबरदस्ती उसे सीने से चिपकाकर कहा,”बस गोलू बस इतना नहीं रोते बेटा , तुम्हरे रोने से अम्मा वापस नहीं आ जाएगी,,,,,,,,,बस करो”
मिश्राइन ने गोलू को अम्मा के लिए रोते देखा तो उन्हें गोलू से हमदर्दी होने लगी और उन्होंने गोलू के टकले पर हाथ फिराकर कहा,”बेचारा गोलू ! कितना प्यार करता था अम्मा से जब भी घर आता था सबसे पहले अम्मा से मिलता था।”

एक तो गोलू को मिश्रा जी से मार पड़ी ऊपर से मिश्राइन गलत बात को लेकर उस से हमदर्दी जता रही थी ये देखकर गोलू और जोर से रोने लगा और इस बार तो मुँह फाडफाडकर। मिश्राइन से गोलू का रोना देखा नहीं गया वे भी आँखों के किनारे साफ करते हुए वहा से चली गयी। मिश्राइन के जाते ही मिश्रा जी ने गोलू को गर्दन से दबोचते हुए कहा,”अबे चुप हो जाओ गोलु काहे हमरा तमाशा बना रहे हो ? एक ठो काम करो तुमहू थोड़ी देर के लिए घर जाओ और आराम करो आज के लिए बहुते दिमाग चला लिया तुमने,,,,,,,,,,,!!”

गोलू ने रोना बंद किया , अपने आँसू पोछे , उठा और मिश्रा जी को देखकर ऐसे मुंह बनाया जैसे कोई प्रेमिका रूठ जाने के बाद अपने प्रेमी को देखकर बनाती है। गोलू वहा से चला गया तो मिश्रा जी ने कहा,”बहुते सही नाम रखे है तुम्हरे बाप तुम्हरा गोलू,,,,,,,,,,!!”
गोलू के जाने के बाद मिश्रा जी भी उठकर शगुन के पापा की तरफ चले आये और उनके पास आ बैठे।

मिश्रा जी के घर से निकलकर गोलू पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ा क्योकि गुड्डू की बाइक घर में जरूरत पड़ सकती थी।  गोलू मिश्रा जी की डांट मार सब भूल गया और फूफाजी को कैसे उठाना है इस बारे में सोचने लगा। गोलू सोचते सोचते अपनी ही धुन में चला जा रहा था कि सामने से आते केशव पंडित से टकरा गया। केशव पंडित ने गोलू को देखा तो कहा,”का गोलू जे उजड़े बाग़ के जैसे कहा को चले जा रहे इत्ती जल्दी में ?”


गोलू और गुड्डू को पुरे कानपूर में अगर सबसे ज्यादा चिढ किसी से थी तो वो था “केशव पंडित” , और यहाँ तो केशव पंडित गोलू को साक्षात् मिल गए वो भी दिमाग की इतनी भसड़ होने के बाद , गोलू को चुप देखकर केशव पंडित ने कहा,”का हुआ गोलू ? अरे बोलो कुछ,,,,,,,,,!!”


“काहे तुमहू हमाये ससुर लगे हो ? बिटिया ब्याहे हो हमाये साथ ? कोनो कर्जा दिए रहय हमका ? नहीं का बोले जरुरी है बोलना , भगवान ने जबान दी है तो का कुछ भी बोलते रहेंगे ? एक बात बताये हमायी और गुड्डू भैया की कुंडली ना तुमहू ही बनाय रहे , तो जब कुंडली बना ही रहे थे तो उह्ह मा थोड़ी कम भसड़ डाल देते,,,,,,,,,जे ट्रक भरके क्लेश लिखना जरुरी था,,,,,,,,,,,,कभी सामान उठाओ , कभी भाभी को मनाओ , कभी भुआ को पटाओ और अब फूफा को उठाओ,,,,,,मतलब सारा हमे ही देखना है ,, देखेंगे , देखेंगे भैया देखेंगे का है कि पड़ी लकड़ी लेने का शोक जो है हमे,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बौखलाते हुए कहा


केशव पंडित ने पूरी बात सुनी लेकिन उनका ध्यान गया सिर्फ गोलू के गलत उच्चारण वाले शब्द “शोक” पर उन्होंने गोलू से कहा,”शोक नहीं गोलू शौक,,,,,,उच्चारण गलत है तुम्हरा”
गोलू ने सुना तो भड़ककर कहा,”अरे जैसी जिंदगी हम जी रहे है ना एक दिन हमरे शोक में गरुड़ पुराण पढ़ रहे होंगे आप,,,,,,,,हट जाईये वरना छाती पर पैर रख के निकल जायेंगे,,,,,,,,,,,!!”

गोलू को उलझन में देखकर केशव पंडित उसके सामने से हट गया और गोलू पैर पटकते हुए वहा से चला गया। गोलू अपने घर आया और सीधा अपने कमरे में चला आया , पिंकी बिस्तर पर उदास बैठी थी गोलू ने आते ही कहा,”जे का तरिका है पिंकिया ? हमहू कहे रहे कि बाइक पर है करते है थोड़ी देर मा फोन , का इत्ती सी बात समझ नहीं आयी तुमका , और ये का है कि शादी के बाद हमहू बदल गए है,,,,,,,,,,,,,कहा बदल गए बताना ज़रा , हमरे पंख निकल आये है , दाँत बड़े हो गए है , हमरी पूछ निकल आयी है नहीं मतलब का,,,,,,,,,!!”


पिंकी एक तो पहले ही उदास थी ऊपर से गोलू की बात सुनकर रो पड़ी। पिंकी को रोते देखकर गोलू परेशान हो गया और मायूस होकर कहा,”अरे रो काहे रही हो पिंकिया ? ऐसा तो का कर दिए यार हम,,,,,,,,,,!!”
“हम तुम्हारी वजह से नहीं रो रहे है गोलु,,,,,,,,!!”,पिकी ने सुबकते हुए कहा
गोलू पिंकी के पास आया और प्यार से कहा,”तो फिर काहे रो रही हो ? पिताजी अम्मा कुछो कहे का ?”
पिंकी ने ना में गर्दन हिला दी तो गोलू ने कहा,”घर की याद आ रही है ? कुछो दिन तुम्हरे घर छोड़ आये का ?”


पिंकी ने फिर सर हिला दिया तो गोलू ने बहुत ही धैर्य के साथ कहा,”बाजार से कुछो मँगवाय दे खाने का ? या बाहर घुमा लाये ?”
पिंकी ने इस बार भी ना में गर्दन हिला दी तो गोलू ने मायूसी से कहा,”अरे तो फिर काहे रो रही हो ? हमसे कोनो गलती हुई का ? अरे सच में उह बख्त बहुते टेंशन में थे यार,,,,,,,,,उह टेंट का सामान पहुँचाना था गुड्डू भैया के घर पे उसी चक्कर में बस चक्करघिन्नी बने हुए थे,,,,,,,,,अच्छा सॉरी हमका माफ़ कर दयो आगे से चिता पे लेते रहे न तो तुम्हारा फोन पहिले उठाएंगे,,,,,,,,,,खुश”


“कैसी बाते कर रहे हो गोलू ? हमने कहा न हम तुम्हारी वजह से नहीं रो रहे,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
ये सुनकर तो गोलू का पारा सांतवे आसमान पर चढ़ गया और उसने थोड़ा गुस्से से कहा,”अरे तो फिर रो काहे रही हो ? का बैठे बैठे दौरे पड़ते है का तुमको पिंकिया ?”
“हमे पिताजी की बात सुनकर रोना आ रहा है गोलू,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
“हमको पता ही था इह घर मा जित्ते भी कांड होते है ना उह पर कॉपीराईट हमरे पिताजी का ही होता है,,,,,,,,,,,का किये पिताजी ? जरूर हमरे पीछे से कुछो सुनाये होंगे हमरे नाम पे बताओ हमका”,गोलू ने कहा  

“गोलू,,,,,,,,,,ऐसा कुछ नहीं है”,पिंकी ने गुस्से से उठते हुए कहा
“अरे तो फिर काहे मोहन हलवाई के जैसे बात को गोल गोल घुमाये जा रही हों , साफ साफ बताओ ना का बात है ?”,गोलू ने हताश होकर कहा
पिंकी ने गोलू को सारी बातें बता दी जो आज घर में हुआ , गोलू ने जब सुना तो उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ कि गज्जू गुप्ता ने खुद अपने मुंह से गोलू की तारीफ की है।

गोलू ने पिंकी की सारी बातें सुनी और कहा,”पिंकिया तुमहू अमरीका को जापान कहोगी हम मान लेंगे , तुम आलू को प्याज कहोगी हम मान लेंगे , अरे तुमहू बाबू गोलगप्पे वाले के गोलगप्पे को बेकार कहोगी हमहू उह मान लेंगे पर जे बात हमहू मान ही नहीं सकते पिताजी तुम्हरे सामने हमरी तारीफ किये हो,,,,,,,,,,,,,अरे उह आदमी जब तक दिन मा चार बार हमका गरियाय ना दे , अपनी बातो से हमे बाल नोचने पर मजबूर ना कर दे तब तक उनका सुबह का खाना हजम ही नहीं होता है ,, हमको लगता है तुमहू भी पिताजी की बातो में आ गयी हो ,

कल से हम तुमको भी अपने साथ दुकान लेकर जायेंगे वरना आज पिताजी को महान समझ रही हो , कल को छगन हलवाई को अच्छा समझ लोगी नहीं भैया हमहू रिस्क बिल्कुल नहीं लेंगे साला तुमहू हो मासूम सीधी लड़की जे सब मिलकर मीठी मीठी बातो में फँसाय रहे तुमको और हमरे खिलाफ कर देंगे एक दिन”  
“ओह्ह्ह गोलू ! जे का बकवास कर रहे हो तुम ? हम सच कह रहे है पिताजी ने आज बैठकर हमसे बात की , और जब उह तुम्हरे बारे में बात कर रहे थे ना गोलू तो बेचारे इमोशनल भी हो गए,,,,,,,,,,तुम्हरे अलावा उनका है ही कौन ? उह तुमसे बहुते प्यार करते है गोलू बस दिखाते नहीं है”,पिंकी ने कहा


गोलू को पिंकी की बातो पर यकीन हुआ तो वह एकदम से इमोशनल हो गया और कहा,”अरे पिंकिया प्यार तो हम भी बहुत करते है उनसे बस कभी दिखा नहीं पाते , जे मेहनत जो कर रहे है उन्ही के लिए तो कर रहे है पिंकिया , हमरा सपना है एक दिन उनको बड़ी गाड़ी में बैठकर पुरे कानपूर में घुमाने का,,,,,,,,,,साला इत्ते बड़े हो गए है आज तक एक ठो बार भी गले नहीं लगा पाए उनको,,,,,,,,उनकी बातो से चिड़चिड़ाते जरूर है पर कबो बुरा नहीं माने है उनकी किसी बात का,,,,,,,,,आज तुमहू बताये रही उनके दिल की बात साला ख़ुशी हो रही है”


“तो फिर जाओ आज पिताजी को हग करके आओ”,पिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा
“हम्म्म्म अभी जाते है , ओह के बाद चाहे उह पेल भी दे तो गम नहीं,,,,,,,,,,थैंक्यू पिंकिया , तुम्हे साथ रह के जे दिन देखने का मौका तो मिला हमका , हम जाते है”,गोलू ने आँखों में आये आंसुओ को पोछते हुए कहा

पिंकी मुस्कुरा उठी। गोलू ने अपना चेहरा साफ किया और कमरे से बाहर चला आया। उसने इधर उधर देखा गुप्ता जी बरामदे में खम्बे के पास खड़े फोन पर किसी से बतिया रहे थे। गोलू उनके सामने चला आया और कुछ दूर खड़े होकर मुस्कुराते हुए उन्हें देखने लगा। फोन पर बात करते हुए गुप्ता जी की नजर गोलू पर पड़ी तो उसे मुस्कुराते देखकर उन्हें थोड़ा अजीब लगा क्योकि आज से पहले तो गोलू उनसे जब भी मिला चिड़चिड़ाते हुए ही मिला है।

गुप्ता जी ने गोलू को इग्नोर किया और वापस फोन पर लग गए। कुछ देर बाद उनकी नजर फिर गोलू पर पड़ी गोलू अब  भी मुस्कुरा रहा था। गुप्ता जी ने फोन रखा और गोलू के पास आकर कहा,”का बेटा ? हमरे मुंह पर का संता बंता के जोक लिखे है जिन्हे पढ़ के मुस्कुरा रहे हो ? अरे हमहू तुम से बात कर रहे है फ्लॉप हिंदी फिल्म के बुझते सितारे,,,,,,,,,,,,,,का भांग वांग खाके आये हो का ?”


गोलू ने कुछ नहीं कहा और आगे बढ़कर अपने पिताजी को गले लगा लिया। गुप्ता जी हैरान क्योकि ये तो आउट ऑफ़ सेलेबस मोमेंट हो गया।  गोलू गुप्ता जी के गले लगा तो गुप्ता जी के शर्ट की जेब में रखी किसी चीज के टूटने की आवाज आयी तो गोलू ने कहा,”पिताजी आपका दिल ना बहुते कुरकुरा है हमरे गले लगने से ख़ुशी के मारे चरमरा रहा है”
गुप्ता जी ने जैसे ही सुना उनके चेहरे के भाव बदल गए और उन्होंने गोलू को खुद से दूर करके गुस्से से कहा,”अबे भंड आदमी लगता है हमाओ 20 रूपये को देसाई बीड़ी को बंडल तोड़ देओ,,,,,,,,,,!!”

हाहाहाहाहा अब गोलू जहा हो और वहा कांड ना हो ये भला कैसे हो सकता है ? तो गुप्ता जी अब अपनी बीड़ी का बदला गोलू से कैसे लेंगे ये जानने के लिए सुने Manmarjiyan part 8

Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7

Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7Manmarjiyan – 7

संजना किरोड़ीवाल 

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

“काहे तुमहू हमाये ससुर लगे हो ? बिटिया ब्याहे हो हमाये साथ ? कोनो कर्जा दिए रहय हमका ? नहीं का बोले जरुरी है बोलना , भगवान ने जबान दी है तो का कुछ भी बोलते रहेंगे ? एक बात बताये हमायी और गुड्डू भैया की कुंडली ना तुमहू ही बनाय रहे , तो जब कुंडली बना ही रहे थे तो उह्ह मा थोड़ी कम भसड़ डाल देते,,,,,,,,,जे ट्रक भरके क्लेश लिखना जरुरी था,,,,,,,,,,,,कभी सामान उठाओ , कभी भाभी को मनाओ , कभी भुआ को पटाओ और अब फूफा को उठाओ,,,,,,मतलब सारा हमे ही देखना है ,, देखेंगे , देखेंगे भैया देखेंगे का है कि पड़ी लकड़ी लेने का शोक जो है हमे,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बौखलाते हुए कहा

“काहे तुमहू हमाये ससुर लगे हो ? बिटिया ब्याहे हो हमाये साथ ? कोनो कर्जा दिए रहय हमका ? नहीं का बोले जरुरी है बोलना , भगवान ने जबान दी है तो का कुछ भी बोलते रहेंगे ? एक बात बताये हमायी और गुड्डू भैया की कुंडली ना तुमहू ही बनाय रहे , तो जब कुंडली बना ही रहे थे तो उह्ह मा थोड़ी कम भसड़ डाल देते,,,,,,,,,जे ट्रक भरके क्लेश लिखना जरुरी था,,,,,,,,,,,,कभी सामान उठाओ , कभी भाभी को मनाओ , कभी भुआ को पटाओ और अब फूफा को उठाओ,,,,,,मतलब सारा हमे ही देखना है ,, देखेंगे , देखेंगे भैया देखेंगे का है कि पड़ी लकड़ी लेने का शोक जो है हमे,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बौखलाते हुए कहा

“काहे तुमहू हमाये ससुर लगे हो ? बिटिया ब्याहे हो हमाये साथ ? कोनो कर्जा दिए रहय हमका ? नहीं का बोले जरुरी है बोलना , भगवान ने जबान दी है तो का कुछ भी बोलते रहेंगे ? एक बात बताये हमायी और गुड्डू भैया की कुंडली ना तुमहू ही बनाय रहे , तो जब कुंडली बना ही रहे थे तो उह्ह मा थोड़ी कम भसड़ डाल देते,,,,,,,,,जे ट्रक भरके क्लेश लिखना जरुरी था,,,,,,,,,,,,कभी सामान उठाओ , कभी भाभी को मनाओ , कभी भुआ को पटाओ और अब फूफा को उठाओ,,,,,,मतलब सारा हमे ही देखना है ,, देखेंगे , देखेंगे भैया देखेंगे का है कि पड़ी लकड़ी लेने का शोक जो है हमे,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बौखलाते हुए कहा

3 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!