Manmarjiyan – 14

Manmarjiyan – 14

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुड्डू का फोन आने की वजह से गोलू परेशान हो गया और उलझन में पड़ गया कि करे तो क्या करे ? बाबू ने गोलू को परेशान देखकर कहा,”अरे भैया ! का हुआ हमको बताओ ना काहे इतना परेशान हो रहे हो ?”
“बाबू यार हम ना एक ठो धर्म संकट मा फंस गए है,,,,,हमने बाप और बेटे दोनों से ना एक साथ एक ठो वादा कर दिया है अब हमे समझ में नाही आय रहा है कि साला सुने तो किसकी सुने ?”


“भैया हमरी समझ से तो बाप से किया वादा पहिले निभाना चाहिए का है कि बाप बेटे से पहले दुनिया में आये है ना,,,,,,,,!!”,बाबू ने कहा
“मुहहहहहा बाबू का टॉप क्लास बात कहे हो,,,,,,,,गोलगप्पे नाही तुमहू राजनीती मा चले जाओ साले”,गोलू ने खुश होकर कहा और बाइक आगे बढ़ा दी।

गोलू ठहरा गोलू उड़ते तीर लेना उसकी आदत बन चुकी थी इसलिए घूमते घामते कुछ होश नहीं रहा तो बाइक लेकर अपने ससुराल वाली गली में ही आ धमका और होश तब आया जब उसकी बाइक जाकर लगी शर्मा जी याने पिंकिया के पिताजी के स्कूटर को,,,,,,,,!!”
“जे ल्यो हुई गवा कांड,,,,,,,,,!!”,गोलू ने अपना माथा पीटकर कहा  
शर्मा जी ने गोलू को देखा नहीं था इसलिए गुस्से से पलटते हुए कहा,”अमा कौन मनहूस सुबह सुबह हमारे स्कूटर को,,,,,,,,,,,,,अरे दामाद जी आप ? आप सबेरे सबेरे हिया,,,,,,,,,सब ठीक तो है और जे बोरे में का है ?”


शर्मा जी को अपने सामने देखकर गोलू की बोलती बंद हो गयी और अगले ही पल उसके शैतानी दिमाग म ख्याल आया कि अगर हम फूफा को किडनेप करके , पिंकिया के घर मा छुपा दे , तो किसी को सक नहीं होगा ,, मिश्रा जी भी खुश और फूफा उसकी ख़ुशी तो साला हमहू छीन लेंगे,,,,,,,,,!!”

गोलू को अपने आप में खोया हुआ देखकर शर्मा जी ने कहा,”अरे गोलू जी क्या हुआ आपको आप ठीक तो है ना ?”
गोलू बाइक से उतरा और शर्मा जी के पैरो में दंडवत प्रणाम करने के लिए सड़क पर ही पसर गया और उनके पैर पकड़ कर कहा,”प्रणाम ससुर जी,,,,,,,,,आशीर्वाद दयो”
“अरे अरे दामाद जी जे का कर रहे है आप ? उठिये सब देख रहे है,,,,,,,,,!!!”,शर्मा जी ने झेंपते हुए कहा
गोलू उठा और शर्मा जी का हाथ अपने सर पर रखकर कहा,”ससुर जी आपको हमाये सर की कसम है हमहू कुछो मांगने जा रहे है आपसे , इंकार मत कीजियेगा”


बेचारे शर्मा जी ने जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुंह खोला गोलू ने रोक दिया और कहा,”नाही कुछ नाही कहेंगे आप , आपको हमायी कसम है बस एक ठो रिक्वेस्ट है आपसे जे हमरा कुछो इम्पोर्टेन्ट सामान है इह का कुछ दिन अपने घर मा रख ल्यो , जैसे ही हमरा काम हुआ हमहू ले जायेंगे,,,,,,,,,,,,का है कि अपने घर मा रख लेते पर हमरे पिताजी को जानते है ना आप उह हमे घर मा रख हुए है उही बड़ी बात है,,,,,,,,,,ससुर जी ना नहीं कहियेगा हमाओ दिल नाजुक है सह नहीं पाएंगे”


“अच्छा अच्छा ठीक है पर इसमें है क्या ?”,शर्मा जी ने झिझकते हुए कहा
गोलू ने उनकी बात का जवाब ही नहीं दिया बस उनकी हाँ सुनी और फटाफट बोर को बाइक से उतारकर बाबू से कहा,”बाबू आओ मदद करो हमायी”

गोलू और बाबू बोरे को उठाकर अंदर ले जाने लगे लेकिन वजन इतना ज्यादा था दोनों की जान निकल गयी ये देखकर शर्मा जी ने भी हाथ लगाया और बोरे को अंदर ले आये। बोरे को स्टोर रूम में डालकर गोलू बाहर आया और पसीना पोछते हुए कहा,”आपका जे अहसान हमहू साढ़े 9 जन्म तक याद रखेंगे”
“जन्म 7 ही होते है गोलू जी,,,,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने कहा
“ढाई इसके भी तो जोड़े न हमने,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बाबू की तरफ इशारा करके कहा


“हमारे ढाई काहे ?”,बाबू ने शिकायती लहजे में कहा
“जियादा जीकर भी का करोगे बाबू ? गोलगप्पे में मीठी चटनी ही तो भरनी है,,,,,,,,पानी पीला दीजिये”,गोलू ने हांफते हुए शर्मा जी से कहा
“सुनती हो , दामाद जी आये है ज़रा पानी ले आईये,,,,,,आप खड़े क्यों है बैठिये ना”,शर्मा जी ने कहा
“बैठने का समय ना है ससुर जी , उह मिश्रा जी के घर जाना है गुड्डू भैया ने बुलाया है”,गोलू ने कहा
“अरे दामाद जी आप सुबह सुबह,,,,,!!”,शर्माईन ने पानी लेकर हॉल में आते हुए कहा


“प्रमाण सासुमा”,गोलू ने उनके पैर छूकर कहा
“खूब खुश रहो , पिंकी को भी साथ ले आते उस से मिले कितने दिन हो गए”,शर्माईन ने कहा
“अरे वो गुड्डू भैया की दादी के दिन हो जाये ओह्ह के बाद ले आएंगे पिंकिया को , कुछ दिन आपके साथ भी रह लेगी,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू ने जैसे ही पानी का गिलास मुंह से लगाया स्टोर रूम में बर्तनो के गिरने की आवाज आयी। गोलू और बाबू ने एक दूसरे को देखा और दोनों के मुंह में भरा पानी का फनवारा एक दूसरे पर उछाल दिया।

शर्मा जी स्टोर रूम में आये तो देखा बोरा अपने आप चल रहा है और स्टोर में रखे सामान से टकरा रहा है। गोलू भागकर आया उसने शर्मा जी को साइड किया और फूफा को सम्हाला जो कि बोरे में था फूफा तब तक बोरे का मुंह खोलकर अपना मुंह बाहर निकाल चुका था।
“साले गोलू तिकड़मबाज,,,,,,,,,,,,,!”,फूफा ने जैसे ही कहा गोलू ने बाबू से कहा,”बाबू उह कपड़ा दयो”


बाबू ने पास ही पड़ी कुर्सी से शर्मा जी की फ़टी बनियान उठाई और गोलू की तरफ फेंक दी। गोलू ने उसे फूफा के मुंह पर बांधा और उनको पकड़ लिया। गोलू दिखता दुबला पतला था लेकिन जान बहुत थी उसमे फूफा उसक चंगुल से निकल नहीं पाए
“दामाद जी ये सब क्या है ? और ये तो गुड्डू के फूफा है ना इनको इस हालत में यहाँ,,,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने परेशानी भरे स्वर में कहा


“ससुर जी आप सासुमा को लेकर बाहर जाईये हमहू सब बताते है आपको , आप जाईये जाईये”,गोलू ने कहा
शर्मा जी का तो ये सब देखकर सर घूमने लगा था कि गोलू ये सब क्या कर रहा है ? उन्हें चक्कर आने लगे तो शर्माईन उन्हें लेकर बाहर हॉल में चली आयी। शर्मा जी का बीपी बढ़ने लगा ये देखकर शर्माईन उनके लिए पानी लेने किचन में चली गयी।

“बाबू खड़े खड़े देख का रहे हो उह कुर्सी लेकर आओ”,गोलू ने कहा तो बाबू कुर्सी लेकर आया और गोलू ने फूफा को उस पर बैठाया लेकिन फूफा नहीं बैठे तो गोलू ने कंधे पर कोहनी से जोर डालकर उन्हें बैठाते हुए कहा,”अरे बइठो तुम्हरी जात का साला कल से हमायी नाक मा दम किये हो”
फूफा ने बोलना चाहा लेकिन मुंह पर कपड़ा बंधे होने के कारण बोल नहीं पा रहे थे।
“बाबू फटाफट रस्सी दयो”,गोलू ने कहा


बाबू ने देखा उसे रस्सी कही भी नहीं मिली उसने मायूसी से कहा,”भैया रस्सी तो नहीं है”
गोलू ने इधर उधर देखा तो नजर स्टोर की खिड़की के बाहर सूखती साड़ी पर पड़ी। गोलू ने कहा,”बाबू बाहर से साड़ी उतार लाओ”
बाबू स्टोर रूम से बाहर चला गया। फूफा गोलू को घूरने लगा तो गोलू ने फूफा को थप्पड़ दिखाकर कहा,”का का घूर का रहे हो बे ?”

अब जैसा गोलू वैसे उसके शागिर्द , उसने बाबू को साड़ी उतार कर लाने को भेजा लेकिन कहा से ये नहीं बताया। बाबू स्टोर से बाहर आया। शर्माईन शर्मा जी को पानी देकर किसी काम से किचन की तरफ गयी तो बाबू की नजर उनकी साड़ी पर पड़ी जो कि उन्होंने पहन रखी थी। बस फिर क्या था बाबू किचन में आया और जैसे ही शर्माईन की साड़ी का पल्लू पकड़ा वे जोर से चिल्लाई,”सुनिए , बचाइए हमे , जे का कर रहो है हमाये साथ ?”


बाबू घबरा गया उसने साड़ी छोड़ दी लेकिन शर्माईन ने उसे नहीं छोड़ा , उन्होंने वहा रखा बेलन उठाया और बाबू की धुलाई कर दी। लगे हाथ शर्मा जी ने भी उसे अच्छे से कूट दिया। बाबू भागकर बाहर आया इतने में शोर सुनकर गोलू भी बाहर चला आया उसे अंदर एक रस्सी मिल गयी थी उसी उसने फूफा को बांध दिया था।
“जान ले लेंगे हम तुम्हारी”,शर्मा जी ने गुस्से से कहा और बाबू डर से थर थर कांप रहा था
“अरे अरे ससुर जी का बात हो गयी ?”,गोलू ने बाबू के बगल में आकर कहा


शर्मा जी ने आव देखा न ताव खींचकर एक थप्पड़ बाबू के गाल पर रसीद किया और कहा,”इनकी जे हिम्मत की हमरे होते साड़ी उतारे ,, किसने कहा तुमसे जे करने को ?”
“जे तो हमने कहा था ?”,गोलू ने कहा
बस फिर क्या था शर्मा जी का अगला थप्पड़ आया गोलू के गाल पर और शर्मा जी ने गुस्से से कहा,”अरे कोनो लाज सरम है कि नाही , अपनी माँ जैसी सास की साड़ी उतारने की बात कर रहे हो,,,,,,,,,,,, ना जाने पिंकी का सोचकर तुमहू से बियाह कर लेइ,,,,,,,जे संस्कार है आपके ?”


गोलू ने सुना तो हक्का बक्का सा बाबू को देखा और कहा,”का रे हरामी कौनसी साड़ी उतारे का सोचे तुमहू ?”
“हमको लगा जोन आंटीजी पहिनी है उह लेकर आनी है”,बाबू ने रोआँसा होकर कहा
“अरे भंड आदमी हमहू तार से उतार कर लाने को कहे रहे,,,,,,,,,,,,एक ठो काम करो बाहिर रुको हमहू आते है”,गोलू ने बाबू को बाहर भेजते हुए कहा

“दामाद जी बहुत ही शर्म की बात है ऐसे कैसे वो लड़का ? ये नहीं होते तो वो तो हमारी साड़ी उतार ही चुका होता”,शर्माईन ने रोआँसा होकर कहा
“अरे सासुमा उसकी तरफ से हमहू माफ़ी मांगते है , गलती हो गयी ओह से गलत इंटेंशन से नाही किये उह , माफ़ करी दयो एक तो वैसे ही बिचारे को इतना पेल चुके है सब,,,,,,,जाय दयो”,गोलू ने शर्माईन से रिक्वेस्ट करके कहा


“वो सब बाद में गोलू जी पहले जे बताने की कृपा करेंगे कि अब कौनसा कांड किये है आप जिसे सबसे छुपाते फिर रहे है”,शर्मा जी ने गोलू को अपने सामने करके कहा
“का बात कर रहे है शर्मा जी,,,,,,,,,,हम और काण्ड , अरे हमहू उह गोलू नाही रहे जिसके पर्चे छपते थे कानपूर मा , अभी हमहू सुधर गए है”,गोलू ने कहा
“तो फिर ये सब का है और गुड्डू के फूफा को ऐसे बांधकर हिया काहे रखे हो ? हम एक मिनिट भी उनको यहाँ नहीं रखेंगे अभी के अभी लेकर जाओ”,शर्मा जी ने गुस्से से कहा


“ससुर जी हमायी बात ठन्डे दिमाग से सुनिए बस आज आज की बात है आज रात इनको ठिकाने लगा देंगे हम,,,,,,,,और जे हमने नहीं मिश्रा जी ने करवाया है”,गोलू ने आख़िरकार थककर सच्चाई शर्मा जी को बता ही दी
“मिश्रा जी ने ? लेकिन वो अपने ही जीजाजी के साथ ऐसा काहे करेंगे ?”,शर्मा जी ने कहा
“उह बहुते लम्बी कहानी है हम फुर्सत से बताएँगे आपको,,,,,,,,,,अभी हमरे पास बिल्कुल बख्त नाही है , हम शाम में मिलते है ना आपसे,,,,,,,,और सासु माँ फूफा को कुछो खाने पीने को मत देना ,  आज सुबह सुबह ही नाश्ते मा लात घुसे खाकर आये है हमसे”,गोलू ने जाते हुए कहा


“हमारा तो सर फट जाएगा ये दामाद जी आखिर करना क्या चाह रहे है ? हम आज ही जाकर इनके पिताजी से मिलते है,,,,,,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने कहा
“हम भी साथ चले ?”,शर्माईन ने पूछा
“काहे ? होली वाला कांड भूल गयी हो तुम ,, आदमी वही है सिर्फ रिश्ता बदला है,,,,,,,,,,,,हम अकेले जायेंगे”,शर्मा ने कहा और अपने कमरे में चले गए।

शर्मा जी के घर से निकलकर गोलू बाहर आया। बाबू घबराया हुआ सा बाइक के पास खड़ा था। गोलू ने आकर उसके सर पर एक चपत मारी और कहा,”अबे साले बाबू ! का पगला गए हो का ? साले हमहू तुमको साड़ी लाने को कहे रहय तुमहू हमायी सास की ही साड़ी उतारने चले गए उह भी पहनी हुई , साले तुम्हरे चक्कर मा कितनी फजीहत हुई है अंदर हमायी”


“माफ़ कर दयो गोलू भैया हमहू सोचे नहीं,,,,,,,,!!”,बाबू ने मासूमियत से कहा बेचारा शर्मा जी के हाथो सुबह सुबह पेला जो गया था।
गोलू बाइक पर आ बैठा और बाबू से कहा,”लगता है हमाये साथ रहते रहते तुम्हायी जिंदगी के भी घोड़े लग गए है , बइठो घर छोड़ देते है तुम्हे,,,,,,!!”
बाबू चुपचाप गोलू के पीछे आ बैठा और गोलू ने बाइक आगे बढ़ा दी।

गली से निकल बाइक सड़क पर दौड़ने लगी कुछ ही दूर चले होंगे कि गोलू ने कहा,”बाबू दूध जलेबी खाओगे ?”
“खिला दीजिये भैया , वैसे भी जबसे आपके साथ है कुछ न कुछ खा ही रहे है”,बाबू ने गोलू को ताना मारते हुए कहा
“तुम्हायी किस्मत फिर भी अच्छी है बाबू हमायी सोचो साला हमाये गले में तो अभी भी फूफा नाम का नाग कुंडली मारके बैठा है”,गोलू ने अपना रोना रोते हुए कहा और बाइक ले जाकर दूध जलेबी के सामने रोक दी।


बाबू बाइक से नीचे उतरा गोलू भी नीचे आया और दुकान वाले को दो प्लेट दूध जलेबी देने को कहा। बाबू पास ही लगी टंकी से हाथ मुंह धोने चला गया। वापस आया तब तक दूध जलेबी तैयार था। गोलू ने एक प्लेट बाबू को पकड़े और दूसरी खुद लेकर खाने लगा।

“अच्छा भैया जे फूफा का का मेटर है आप हमको बताये ही नहीं , आप काहे उनको बैताल की तरह कंधे पर लादे कल रात से घूम रहे है ?”,बाबू ने जलेबी खाते हुए कहा
“जे बात तो तुमहू सही कहे बाबू , साला जे फूफा बैताल के चक्कर में हमहू बिक्रम बन गए है,,,,,,,,,,,अरे उह मिश्रा जी है ना उनका कुछो पंगा रहा इनसे , ये चौड़ा गए उनके सामने,,,,,,,,,,,अब मिश्रा के सामने कबो किसी की चली है जो फूफा की चलेगी बस जे ही चक्कर मा धर लिए फूफा को,,,,,,,,अब आगे का मिश्रा जी देखेंगे तुमहू दूध जलेबी पेलो”,गोलू ने कहा


“भैया कुछ भी कहो यार मतलब हो बहुते डेरिंग आप,,,,,,,,मतलब फूफा को ही उठा लिए”,बाबू ने गोलू की तारीफ करते हुए कहा और हमारे गोलू महाराज इतनी सी तारीफ सुनकर फ़ैल गए , उसने हाथ में पकड़ी प्लेट को साइड में रखा और कहा,”अभी हमहू तुम्हे का बताये बाबू मतलब जे सब तो छोटे मोटे मेटर है हमने तो गुड्डू भैया के बड़े बड़े मेटर भी सुलटाये है,,,,,,,,,,!!”
“जैसे कि ?”,बाबू ने भी दिलचस्पी दिखाते हुए कहा


“जैसे कि का जवानी के दिनों में गुड्डू भैया एक ठो लड़की के पियार मा पड़ गए , और लड़की भी ऐसी वैसे नाही मल्लब कतई जहर , मोहल्ले की लौंडे छत पर चढ़े रहते थे उनको ताड़ने के चक्कर , गुड्डू भैया भी उनके पिरेम मा बावरे , आशिक़ , मजनू बने घूमने लगे और लड़की फुल उनका काटने के मूड मा ,, जैसे ही हमको पता चला साला जमीन आसमान एक करके निकाले उनको ओह लड़की का पिरेम से,,,,,,,,,,!!”
“फिर ?”,बाबू ने एकदम सस्पेंस से पूछा , जलेबी का टुकड़ा काफी देर से उसके हाथ में था गोलू की कहानी सुनने के चक्कर में ना उसे खा पा रहा था ना प्लेट में रख पा रहा था।


“फिर का हमने उस लड़की से सादी कर ली”,गोलू ने एकदम आराम से कहा और अपनी प्लेट वापस उठा ली
बेचारा बाबू उसका तो सस्पेंस ही खत्म हो गया और उसने गुस्से से अपना हाथ गोलू की तरफ किया जैसे अभी उसे गाली दे देगा लेकिन रुक गया और कहा,”बड़े हरामी हो भैया आप ?”
“अबे बाबू”,गोलू ने कहा लेकिन वह आगे कुछ कहता इस से पहले उसका फ़ोन बजा। गोलू ने फ़ोन देखा गुड्डू का था , गोलू ने मुस्कुराते हुए गुड्डू का फ़ोन उठाया और कहा,”गुड्डू भैया सौ साल जिओगे , अभी हमहू आपकी ही बात कर रहे थे”


“गोलू जहा भी हो घर पहुंचो,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने बहुत ही गंभीरता से कहा
“का हुआ ?”,गोलू ने पूछा
“घर मा पुलिस आयी है”,गुड्डू ने कहा
गोलू ने सुना तो हाथ में पकड़ी जलेबी हाथ में ही रह गयी ना मुंह को लगी ना प्लेट को,,,,,,,,,,,,,,,,!!

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संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
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