Funny Story With Sanjana Kirodiwal
Funny Story With Sanjana Kirodiwal
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Funny Story With Sanjana Kirodiwal
Sakinama Poetry by Sanjana Kirodiwal
“गुप्ता जी का तकिया कलाम“
मोहल्ला गंज में रहने वाले गुप्ता जी बड़े ही हसमुख और मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति है l
अच्छा घर , सुन्दर पत्नी , खुद की बाजार में बड़ी कपडे की दुकान , गाड़ी , रिश्तेदारो के साथ साथ उनके पास बड़ा दिल भी था l सब कुछ होने के बाद भी इंसान में एक कमी रह ही जाती है l शादी के 15 साल बाद भी गुप्ता जी की पत्नी को संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ l गुप्ता जी ने डॉक्टर से लेकर हाकिम , ओझा , पंडित सबको दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ l कुछ साल गुप्ता जी निराश रहे और फिर इसे ही ईश्वर की मर्जी मानकर रहने लगे l
पत्नी को उन्होंने कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी l उनकी हर जरूरत का वे पूरा ख्याल रखते थे l इसी बिच गुप्ता जी को “तकिया कलाम” का शौक लग गया (किसी भी बात से पहले लगायी जाने वाली कोई खास पंक्ति या शब्द)
गुप्ता जी ने भी अपना तकिया कलाम बनाया और मोहल्ले में निकल पड़े l
कुछ दूर ही गए होंगे की सामने से शर्मा जी भागते हुए आये और कहा,”गजब हो गया गुप्ता जी , आपको पता है मास्टर वीरभद्र जी के घर में कल रात चोरी हो गयी”
गुप्ता जी ने सुना तो उनकी आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी उन्होंने शर्मा जी के सामने अपना रंग जमाने के लिए अपने तकिये कलाम का सहारा लिया और मुस्कुराते हुए कहा,“बस सब आपकी ही कृपा है”
इतना सुनना था की शर्मा जी गुस्सा गए और कहा,”आपके कहने का मतलब है उनके घर चोरी हमने करवाई है l ” और उसके बाद शर्मा जी ने गुप्ता जी को सुबह सुबह लम्बा चौड़ा भाषण सूना दिया l आस पास के लोग इक्क्ठा होने लगे l
बेचारे गुप्ता जी रंग जमाना चाहते थे और शर्मा जी उन्ही के चेहरे का रंग उड़ाकर चलते बने l मोहल्ले में हंसी का पात्र बने सो अलग l
खैर वो सब भूलकर गुप्ता जी दोपहर का खाना खाने घर आये l
धर्मपत्नी जी थाली में खाना लगाकर तुरंत ले आयी l
गुप्ता के सामने थाली रखकर वो पास ही बैठ गयी और पंखा झलने लगी l
गुप्ता जी ने जैसे ही पहला निवाला तोड़कर मुंह में रखा गुप्ताइन ने कहा,”आज सब्जी जरा सी जल गयी थी , घर में दूसरी सब्जी भी नहीं थी इसलिए आज इसी से काम चला लीजिये”
गुप्ता जी ने मुस्कुराकर गुप्ताइन की तरफ देखा l एक बार फिर उनके मन में अपने तकिया कलाम का ख्याल आया और उन्होंने तपाक से कहा,“बस सब आपकी ही कृपा है”
गुप्ता जी बात सुनकर गुप्ताइन की भोंहे चढ़ गयी उसने हाथ में पकड़ा पंखा रोक दिया और आँखे तरेर कर कहा,”इसमें हमारी का कृपा है , अरे हम बोलत रहे की दूसरी सब्जी नाही घर में तो यही बना दिए l और आपको लगता है हमारा घर के कामो में ध्यान नहीं है , सारा दिन मर पचकर घर का काम काज करते रहे और जरा सी कोई गलती हो जाई तो सब हमार कृपा है l तुम जैसे आदमी के साथ रह रहे है वो का कम कृपा है” , गुप्ताइन का गुस्सा फुट पड़ा l
बेचारे गुप्ता जी बुरे फसे l गुप्ताइन की बातो को नजरअंदाज कर जैसे ही खाने के लिए हाथ बढ़ाया गुप्ताइन ने थाली अपनी तरफ खींचते हुए कहा, ” जाओ जाकर बाहर से खा लेना , घर के खाने में अब वो स्वाद नहीं मिलता ना आपको”
कहकर गुप्ताइन गुस्से से फुंफकारती वहा से चली गयी l
बेचारे गुप्ता जी मन ही मन सोचने लगे ‘तकिया कलाम बोलकर गलती की या शादी करके”
खैर बिना खाना खाये ही गुप्ता जी वापस अपनी दुकान पर लौट गए
शाम को आते हुए हलवाई से दो किलो जलेबी बंधवा लाये पत्नी के लिए ताकि उनका गुस्सा शांत हो और शाम का खाना घर में ही मिले l जलेबिया देखकर गुप्ताइन भी अपना गुस्सा भूल गयी l
कुछ दिन आराम से गुजरे पर इस बिच गुप्ता जी ने अपने तकिया कलाम का पीछा नहीं छोड़ा l दिन में बिसो बार वे इसका इस्तेमाल कर ही बैठते और इसका असर उलटा ही होता l कोई मुस्कुराकर आगे बढ़ जाता तो कोई गुप्ता जी को कड़वे वचन सुनाने में बिल्कुल देरी नहीं करता , पर गुप्ता जी कहा पीछे हटने वाले थे इतना सब होने के बाद भी हमेशा अपने तकिये कलाम का इस्तेमाल करते रहते l
एक सुबह दुकान जाते हुए उन्हें रास्ते में कुछ लोग जनाजे को ले जाते हुए मिले l औपचारिकता के लिए उन्होंने पूछ लिया की क्या हुआ था l अर्थी के आगे चल रहे युवक ने बताया की साँस रुकने की वजह से इनकी मौत हो गयी l आदतन गुप्ता जी के मुंह से निकल गया,“बस सब आपकी ही कृपा है”
फिर क्या था भीड़ ने मिलकर उनकी धुनाई कर दी बेचारे गुप्ता जी गिरते पड़ते वहा से भागे l
शाम को घर आये तो देखा चेहरे का ज्योग्राफी बदला हुआ है l अगले दिन दुकान नहीं गए और देर तक सोते रहे फिर उठकर मोहल्ले में निकल आये l गली के नुक्क्ड़ पर ही चाय की दुकान थी वहा बैठकर अख़बार के पन्ने पलटने लगे l कुछ देर में गुप्ताजी के मित्र रमन मिश्रा जी वहा आ पहुंचे l और गुप्ता जी की सूजी आँख देखकर कहा,”क्या हुआ गुप्ता जी ये क्या हाल बनाया हुआ है अपना”
मिश्रा जी की बात सुनकर गुप्ता जी अपने अजीज मित्र को बताये बिना ना रह सके और सारा किस्सा कह सुनाया l गुप्ता जी की बात सुनकर मिश्रा जी जोर जोर से हंसने हज और कहा,” भाई गुप्ता ये तकिया कलाम लगाना हर किसी के बस की बात नहीं ये सब छोडो और मेरी बात सुनो , मेर एक रिश्तेदार ने बताया की हिमालय की पहाड़ियों पर एक वैध है जो बहुत ही पहुंचे हुए है l उनके पास हर बीमारी का इलाज है”
“तो क्या मैं तुम्हे बीमार लगता हु”,गुप्ता जी ने घुड़क कर कहा
“अरे नहीं तुम तो खामखा गुस्सा हो रहे हो l मेरे कहने का मतलब है तुम और भाभीजी एक बार जाकर उनसे मिलो और अपनी समस्या उन्हें बताओ हो सकता है तुम्हारे घर में भी बच्चो की किलकारी गूंजने लगे l अभी इतनी उम्र भी नहीं हुयी है तुम्हारी”,मिश्रा जी ने कहा
मिश्रा जी की बात गुप्ता जी के दिमाग में बिजली की तरह कौंधी और उस वैध का पता लेकर वह घ की तरफ बढ़ गए l
अगले ही दिन श्रीमती जी के साथ हिमालय जा पहुंचे और वैधजी से मिले l उन्होंने कुछ दवाईया और जड़ी बूटिया दी और कहा की भगवान ने चाहा तो इस साल तुम्हारे घर संतान प्राप्ति जरूर होगी l गुप्ताइन तो ख़ुशी से फुले नहीं समा रही थी l
घर आकर समय समय पर दवाईया लेने के साथ साथ गुप्ता जी ने अपना अधिक से अधिक समय श्रीमती जी को ही दिया और कुछ महीने बाद ही वे गर्भवती हो गयी l गुप्ता जी की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा l इतने सालो बाद उन्हें ख़ुशी मिली थी l 9 महीने उन्होंने पत्नी का पूरा ख्याल रखा
लेबर रूम के बाहर खड़े गुप्ता जी अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ बेचैनी से यहाँ वहा टहल रहे थे l तभी डॉक्टर ने आकर कहा,“मुबारक हो आपको बेटी हुयी है “
गुप्ता जी मारे ख़ुशी के उछलने लगे l तभी दूर से आते मिश्रा जी ने मुस्कुराते हुए कहा,”बधाई हो बहुत बहुत बधाई हो आखिर आप बाप बन ही गए”
गुप्ता जी ने हँसते हुए कहा,“ही ! ही ! ही ! बस सब आपकी ही कृपा है”
इतना सुनना था की मिश्रा जी ने तपाक से कहा,” अजी हमारी कृपा कहा से हुए , हमने तो भाभीजी को कभी उस नजर से देखा ही नहीं”
मिश्रा जी की बात सुनकर गुप्ता जी झेंप गए और बगले झाँकने लगे l
और कसम खायी की आज के बाद वो अपनी किसी भी बात में तकिये कलाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे l
Sakinama Poetry by Sanjana Kirodiwal
“मक्खी का कत्ल“
कहानी का नाम शायद अजीब लग रहा होगा पर इस कहानी के लिए इस से अच्छा नाम मुझे नहीं मिला , आप लोग सोच रहे होंगे एक मक्खी का क़त्ल क्यों , एक मामूली सी मक्खी ने ऐसा क्या किया की , उसका क़त्ल तक करना पड़ा !!
आपको आपके सवाल का जवाब जरूर मिलेगा लेकिन जवाब इस कहानी में है , एक मामूली सी दिखने वाली मक्खी ने कैसे मेरी नाक में दम किया और मुझे किन किन मुसीबतो सामना करना पड़ा ,, आप खुद पढ़ लीजिए इस कहानी में
मैं एक प्राइवेट जॉब करने वाली लड़की थी , प्राइवेट जॉब का मतलब तो जानते ही है आप जहां आपके दिनभर गधो की तरह काम करने के बाद भी बॉस खुश ना हो , और उलटा आपके काम में कोई ना कमी जरूर निकाल देता है …
सुबह से ही बारिश की छम छम चालू थी , सोचा आज छुट्टी रख लेती हु , पर प्राइवेट जॉब में छुट्टी लेना मतलब नौकरी खतरे में डालना , खैर भीगते भीगाते ऑफिस पहुंची , बारिश भी सिर्फ उन्ही लोगो को अच्छी लगती है जो प्यार में पड़े हुए है , वरना मेरे लिए तो बारिश का मतलब सिर्फ कीचड़ और चिप-चिप से है ! केबिन में घुसते ही गर्मी का अहसास हुआ ,,
पूरे ऑफिस में ac है सिर्फ मेरे केबिन को छोड़कर , उसपे भी गर्मी से बचने के लिए एक मरियल सा पंखा लगा है , सरकारी ऑफिस के पंखे भी उस से तेज चलते होंगे …..
पर क्या कर सकते है बैठना तो यही है … और उसपे ये काम … सब ठीक था हर तरफ शांति थी , खमोशी
पर कहते है ख़ामोशी तूफान के आने का संकेत होती है ,, यहां से शुरू हुआ मेरा बुरा वक्त
एक मक्खी मेरे केबिन में ना जाने कहा से घुस आयी ,, पहले पहल काम की व्यस्तता के कारण मैंने उसपे ध्यान नहीं दिया , पर कुछ ही देर बाद वहा 10-12 मक्खिया और उस केबिन में मंडराने लगी !! कभी यहाँ कभी वहां बार बार न चाहते हुए भी मेरा हाथ उन्हें उड़ाने के उठ जाता ,, पर वो भी इतनी नालायक की बार बार वापस आ जाती …
मैंने ध्यान देना बंद कर दिया , तो वो मेर मुँह पर आने लगी ,, ऐसे जैसे मैं उसकी आशिक़ और वो मेरी महबूबा हो , और मुझे रिझा रही हो … अब तक मैं उनसे खासा परेशान हो चुकी थी
एयर फ्रेशनर , के 4 बोतल खाली कर चुकी थी पर नहीं उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा …
बाथरूम में जाकर मुँह धोया , और वापस आकर चाय ऑर्डर की सोचा चाय पिने से कुछ मूड ठीक हो जाये .. जैसे ही चाय वाले ने चाय लाकर रखी , एक मक्खी ना जाने कहा से उड़ती हुयी आयी और चाय में छलांग लगा दी ,, कुछ देर उसमे घूमने के बाद उसी में मर गयी ,,
सुसाइड ही करना था और भी कई रास्ते थे , पर मेरी चाय ही मिली थी इसको ,,,
उसे देखने के बाद मैंने चाय पिने का ख्याल ही दिमाग से निकाल दिया ,, तभी स्टाफ का एक बंदा आया कोई फाइल्स लेने ,, पर मेरा धयान अब भी उन मक्खियों पर था ,, वो सारी क सारी मक्खिया उस कप के पास मंडराने लगी … जैसे उस मरी हुयी मक्खी की शोक सभा चल रही हो … मैंने हाथ में उठायी फाइल जोर से चाय के कप पर दे मारी .. मक्खियों का तो कुछ नहीं बिगड़ा उलटा सारी चाय सामने वाले लड़के के कपड़ो पर जा गिरी
अब सॉरी बोलने के अलावा मेरे पास कोई चारा नही था , खैर 20-25 सॉरी और कपडे ड्राय क्लीन के वादे से वो मान गया .. उसको वहा से चलता कर मैं केबिन से बाहर आ गयी और दूसरे केबिन में जाकर बैठ गयी पर यहाँ भी उन कमबख़्तो ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा
कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करू , ऊपर से इनकी वजह से अब तक मैं बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो चुकी थी !! दिमाग सुन्न , पर काम करना भी जरुरी था इसलिए वापस अपने केबिन में लेकिन अब मेरा एक अलग ही रूप लोगो को देखने के लिए मिला
मैं अपना सारा काम छोड़ दोनों हाथो से पट पट करते हुए उन्हें मारने की कोशिश करने लगी सब मुझे अजीब नजरो से देख रहे थे और मैं सबसे बेखबर मक्खियों को मारने में !!
ताली पिट पिट के जब हाथ दुःख गए तो , मैं थककर वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गयी ,, लाचारी और बेबसी
साफ झलक रही थी मेरे चेहरे से !! तभी एक मक्खी आकर मेरे नाक पर बैठ गयी ऐसे लग रहा था जैसे वो मुझपर ही हस रही हो … अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था मैंने पास पड़ा लोहे का स्केल उठाया और जोर से दे मारा टेबल पर ,, एक मक्खी स्वर्ग सिधार चुकी थी … मुझे इतनी ख़ुशी हो रही थी जैसे मैंने कोई बहुत बड़ा मैडल जित लिया हो … मेरे एक निशाने से ही उसका काम तमाम हो गया … पर ख़ुशी ख़ुशी में मैं भूल गयी की जी टेबल पर मैंने मारा था उसका उपरी हिस्सा कांच का बना था ,
अब मेरी खैर नहीं , टेबल के सीसे में अब तक सेकड़ो दरारे आ चुकी थी …
मुझे रोना आ रहा था ,, सोचा घर चली जाती हु पर काम पूरा नहीं किया था और फाइल कम्प्लीट करना भी जरूरी था ! खैर सब कुछ भुला कर मैंने फाइल्स खोली एक दो पेपर ही कम्प्लीट किया की वो मक्खी आकर मेरी फाइल पर मुजरा करने लगी …
मैंने फिर भी लिखना जारी रखा !!
लेकिन मैं आराम से बैठ कर काम कर लू ये उस मोहतरमा को कहा बर्दास्त हो सकता है !!
वो अपनी 0 इंच की कमर लचकाते हुए आयी और फिर मुझे इरिटेट करने लगी !! गुस्सा इतना आ गया की हाथ में पकड़ा पेन पूरी फाइल के पन्नो पर रगड़ दिया !!
और जब गुस्स्सा शांत हुआ तो सर पिट लिया !! क्युकी मैंने अपने ही हाथो अपने काम की बैंड बजा डी …..
फाइल को बंद किया और आँख बंद करके कुसी पर सर टिका लिया … पर मक्खियों ने तो जैसे आज कसम खा ली थी मुझे परेशान करने की ,, वो मेरे आस पास मंडरा ही रही थी की मैंने फिर स्केल उठा के दे मारा इस बार फिर निशाना सही लगा और वो मक्खी से मक्खी शेक बन गयी ,, अब बस मुझे उन सा मक्खियों को मारना था मैंने स्केल उठाया और उन्हें ढूंढ़ने लगी
और जहा वो दिखती स्केल से दे मारा पर है बार निशाना सही लगे जरूरी तो नहीं हर निशाने में कुछ न कुछ तोड़ रही थी मैं ,,, अब तक मैं भूल चुकी थी की मैं एक ऑफिस में काम करती हु !! सुबह सुबह जो ऑफिस था अब तक कबाड़ी का शोरूम बन चुका था ,, मुझे उन मक्खियों के अलावा कुछ नजर ही नहीं आ रहा था ….
मेरी हालत बुरी हो चुकी थी , ऐसे लग रहा था जैसे मैं कोई प्रोफेशनल किलर हु ,, मेरी हरकते देख पूरा ऑफिस सदमे में था ,, किसी को समझ नहीं आया आखिर मुझे हुआ क्या है …
और फिर मेरी ये हरकते करते हुए केमेरे से बॉस ने देख लिया ,, तुरंत बुलावा आ गया …
डरते डरते अंदर गयी , बॉस के अलावा कुछ लोग और भी थे .. मेरे कुछ कहने से पहले बॉस चिल्ला पड़े
“what is this , क्या हो गया है तुम्हे , तुम जानती भी हो तुम्हारी वजह से मेरे पूरे ऑफिस का सत्यानाश हो गया है !! have you losted … जवाब दो !!
मैं कुछ बोल पाती उस से पहले ही वो मक्खी उड़ती आयी और आकर सीधा बॉस के गाल पर बैठ गयी … ये सही मौका था , वो मक्खी मेरे दिमाग प्र हावी थी , मैं उनके करीब गयी और धीरे से कहा – बॉस ऐसे ही खड़े रहो हिलना मत ,
वो मेरी बात समझते उस से पहले मैंने एक जोरदार थप्पड़ उनके गाल पर जड़ दिया , इस बार निशाना सही था ,, मक्खी मरकर मेरे हाथ में आ चुकी थी !! और मैं खुश हो रही थी , बिना य जाने की मैंने अभी अभी अपने बॉस को थप्पड़ मारा है !! मुझे होश तब आया जब एक बार फिर वो मुझपर चिल्लाये !!
हाउ डेयर यु !! तुमने मुझे थप्पड़ मारा , मुझे इस ऑफिस के मालिक को !! पागल हो गयी ह तुम !!
मैंने हाथ आगे कर दिया , सर ये मक्खी
व्हाट मक्खी ,, तुम अभी के अभी निकलो मेरे ऑफिस से , i say get out
यु आर फायर्ड ! just get out …
मैं ऑफिस से बाहर आ गयी , मुझे यकीं नहीं हो रहा था एक मक्खी की वजह से मेरी नौकरी चली गयी , अब तो ये मक्खी मेरी दुसमन बन चुकी थी !! घर जाते हुए रस्ते में गाड़ी के शीशे पर एक मक्खी बैठी देखि और मैंने अपना बैग पूरी ताकत से दे मारा , शीशा टूट गया और
गाड़ी का मालिक बिगड़ गया मुझपे , पूरे 2000 रूपये थे पर्स में सब देना पड़ा
अब तक मेरा पूरा दिमाग ख़राब हो चूका था … घर पहुंची बैग फेककर जैसे ही अपने कमरे में घुसी फिर वही 10 – 15 मक्खिया उड़ रही थी .. अब मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर था मैंने बाटा की चप्पल उठायी और घुटनो के बल बैठ कर मक्खिया मारने लगी … एक ऍम ए पास लड़की अगर ऐसी हरकत करे तो अजीब लगता है , और मेरे घरवालों को भी लगा , मैं मक्खिया मार रही थी और जैसे ही कोई मर जाती मैं हसने लगे अपनी कामयाबी पर
मेरी हरकते देख मेरे घरवाले मेरे पागल होने के घोषणा कर चुके थे , अगले ही दिन मुझे पागलखाने भेज दिया गया ,
मैं सबसे कहती रही की मैं पागल नहीं हु , मैं पागल नहीं हु पर मेरी किसी ने सुनी ही नहीं
और वो कहते है की हर पागल कहता है मैं पागल नहीं हु ,,
बस मेरे घरवाले भी इसी बात को
मानकर बैठे थे …
दो दिन मुझे पागलखाने रखा गया , पर मैं खुश थी की यहाँ कोई मक्खी नहीं थी !!
दो दिन बाद मुझे घर भेज दिया , लेकिन अब तक मैं अपना जॉब खो चुकी थी ..
सच ही कहा था नाना पाटेकर जी ने की “एक मच्छर आदमी को हिंजड़ा बना देता है”
पर यहाँ तो एक मक्खी ने मुझे पागलखाने ही भिजवा दिया था …
खैर मैं इतनी पत्थर दिल भी नहीं हु 2 मिनिट का मौन उन सभी मक्खियों के लिए जिनका मैंने क़त्ल किया था … पर मैं कातिल नहीं हु … कसम से !!
Sakinama Poetry by Sanjana Kirodiwal
” ex की शादी “
ex का मतलब तो आप समझ ही गए होंगे !
“जी हां ! पूर्व प्रेमी ! जो अब हमारा नहीं रहा और आजकल की नयी जेनेरेशन जिसे ex के नाम से जानती हैं !!
तो भैया कभी हमने भी किसी से टूटकर प्यार किया था l बेइंतहा और बेशुमार !
पर वो कहते है ना कुत्तो को घी हजम नहीं होता ! !
ना , ना , ना , ना यहाँ कुत्ते का मतलब मेरा ex बिलकुल नहीं है l ये लाइन तो बस सिर्फ मिसाल के तौर पर लिखी है l जिसका सीधा सीधा मतलब है ज्यादा प्यार किसी को हजम नहीं होता l यहाँ भी ऐसा ही कुछ हुआ और बन गए वो हमारे ex ! अब जब दिल टूटता है न तो सारी दुनिया ही बुरी लगने लगती है l
कुछ ही महीने गुजरे ब्रेक अप के दर्द से उबरे ही थे की घर में आया ex की शादी का कार्ड l
कार्ड देखकर माथा ठनका और सोचने लगे की “प्यार के गाने गाये हमारे साथ और शादी का बेंड कही और बजवा लिया” मन तो किया अभी के अभी फोन करके नए जमाने की सारी गालिया उसको सुना दे पर क्या करे सेल्फ रिस्पेक्ट जैसा शब्द जहन में कोंध जाता है l और वैसे भी सेल्फ िरस्पेक्ट ज्यादा जरुरी है l
हाथ में शादी का कार्ड कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करे ! फिर सोचा “चलो छोडो यार ex की शादी एक तरफ और “मटर-पनीर” एक तरफ” शादी में तो जरूर जायेंगे l
अगले ही दिन बाजार की सबसे महंगी से महंगी ड्रेस खरीद लाये l घर आकर पहनी और निकल गए अपने ex के घर की तरफ शादी अटेंड करने l अरे भैया बहुत हिम्मत चाहिए अपने बाबू को किसी और का बाबू बनते देखने के लिए l घर को अच्छे से सजाया हुआ था चारो तरफ बढ़िया डेकोरेशन ! हर तरफ चकाचौंध ,, ex ससुर जी ने बढ़िया खर्चा किया है लौंडे की शादी में !! जब ex है तो ससुरा भी तो ex ही हुआ ना अब क्या है लड़किया होती है भोली , तो वो क्या है की शादी के कुक सपने तो हमने भी देख ही लिए हाँ ये बात अलग है पुरे कोई और कर रहा है l
खैर आगे बढे तो खाने का पांडाल लगा था जहा थे अलग अलग प्रजाति के लोग !
एक भाईसाहब जो की खाने की प्लेट लिए खड़े जिसमे सिर्फ ककड़ी , टमाटर , गाजर और मूली के अलावा कुछ नहीं था !
मैंने कहा – चच्चा जब घास फुस ही खाना था तो खेत में ही रह जाते यहाँ क्यों आये हो ?
पर क्या करे मन की बात को मन में ही रखा l
कुछ लोग ऐसे भी थे जिनको नहीं पता किसकी शादी किस से होनी है वो बस लगे है खाना ठूसने ! वो भी ऐसे जैसे अगले दो तीन महीने तक उन्हें खाना नसीब ही नहीं होगा !! मैंने कहा अबे कुछ तो हमारे लिए भी छोड़ दो भाई !!
उनसे ध्यान हटाकर अपना ध्यान लगाया मैंने खाने की तरफ l हा जी , हा जी ! मटर पनीर की ही तरफ !
ex का तो पता नहीं पर उसकी शादी का खाना ! गजब ! खाके पेट भर गया मन नहीं भरा
कॉफी का कप पकडे वही घूम रही थी की तभी सामने से आये ex के पापा और आकर मुझसे कहने लगे ,” बेटा आप कौन ? मैंने आपको पहचाना नहीं “
मैंने कहा ,”जी हम तो सेमीफाइनल में ही बाहर हो गए थे , फाइनल देखने आये है”
अब जब तक उनको हमारी बात समझ में आती तब तक हम वहा से निकल लिए !! अंदर पहुंचे तो सामने ही पूर्व प्रेमी मिल गए और हमे देखकर थोड़े चौंक भी गए बेचारे ! उनको बर्बादी की मेरा मतलब शादी की बधाईया देकर हम साइड हो लिए l
क्या है एग्जाम के बाद किताबे खोल कर देखो तो अजीब लगता है !!
घर के बाहर ही गार्डन में डांस का माहौल था हमने भी कोने में बैठने की जगह देखि और बैठ गए l अभी कुछ मिनिट ही गुजरे की एक दुबला पतला लड़का अकड़ के यहाँ से वहा , वहा से यहाँ घूम रहा है और उसके पीछे घर के सारे लौंडे घूम रहे है बात कुछ समझ नहीं आयी तो पास खड़े अंकल से पूछ लिया ,”चच्चा ये क्या बवाल है तीली के पीछे माचिस का पूरा डिब्बा घूम रहा है ?
चच्चा भी मस्त आदमी थे कहां,” बेटा शादियों में लोंडो को दारू पिलाने का काम उसी लड़के को सौंपा गया है”
अभी चच्चा से बतिया ही रही थी की एक लड़का यहाँ से वहा घूमते हुए घुरे जा रहा है घूरे जा रहा है ! मैंने भी पूछ लिया,”का कुछ कहना है”
बस फिर क्या है मुस्कुराते हुए आया और कहा,”आप बड़े सुन्दर लग रहे हो ?
बंदे ने तारीफ की तो हमारे भी मुंह से निकल गया,”थैंक्स”
“सिर्फ थैंक्स”,वो एकदम से चौंककर बोला l अब देखो ऐसे मामलो में मैं हु बिल्कुल बेशर्म तो उसकी फीलिंग्स देखकर कह दिया,” तो क्या अब यही गद्दा लगवा दे !
उस से पीछा छुड़ा के गए दूसरी तरफ l ex की फॅमिली तो है ही वहा उपर से दुल्हन और उसकी फैमली भी आ पहुंची l
दुल्हन की बहन ex के भाई को खींचकर फ्लोर पर ले गयी और गाना भी देखो केसा चलाया है,”दीदी तेरा देवर दीवाना , हाय राम कुडियो को डाले दाना”
अरे बहन ! दीदी के देवर से एक बार पूछ तो लो उसका नाचने का मन है भी के नहीं l
और ये जो तुम जिनको दाना डालने की बात कर रही हो वो कुड़िया है या चिड़िया l
डांस में मन नहीं लगा तो सोचा घर का ही एक चक्कर लगा लेते है l घर में गए तो घर के कोने में ex का फूफा परेशान खड़ा है मैंने कहा,”क्या हो गया फूफाजी ?
बोले,” शादी इतनी अच्छे से चल रही है नाराज होने का बहाना ढूंढ रहा हु”
अब ऐसे फूफा आपको हर घर में देखने को मिल ही जायेंगे !!
हमे ex की शादी से क्या हमे तो खाना था मटर पनीर सो तो हमने खा लिया l अब सोचा घर की तरफ चल दे l बस स्टैंड आये खिड़की वाली सीट पकड़ी l कानो में ईयर फोन लगाए और चालू किया फोन का म्यूजिक !!
अब सुनो गाना भी देखो यहाँ परिस्तिथि के हिसाब से बज रहा है l
“इसमें तेरा घाटा मेरा कुछ नहीं जाता”
एक घंटे में हम अपने शहर और फिर अपने घर l
टेबल पर देखा एक शादी का कार्ड पड़ा था हमने खोलकर देखा और मुंह से निकल पड़ा,”इसमें तो मैं जरूर जाउंगी’
बहन जो की पास ही बैठी पढ़ाई कर रही थी हमारी परिस्थिति से बराबर अवगत थी तपाक से बोल पड़ी,”इसकी शादी में क्यों जाओगी ये तो तुम्हारा ex भी नहीं है ?
और उसकी बात पर हमने मुस्कुरा कर कहा
“ex किसी का भी हो क्या फर्क पड़ता है , हमे तो सिर्फ ‘मटर-पनीर’ से मतलब है”
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Kasme se itna jayada mja aaya na is story ko padh keh itna hassi aa rha hai 😜😄 ki ghar wale mujhe pagal samjhe rhe hai 2 and 3 story kafi funny tha 😄😄😄😄
Intresting mja a gya padh kar hanse rukne ka naam he nahi le rahi
Takiya klaam or semifinale rh gye ab final dekhne h aaye h ….bahut hi funny h…😂😂