Manmarjiyan – 11

Manmarjiyan – 11

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

फूफा के चक्कर में गोलू फंस गया और गुप्ता जी के हाथो फिर पिट गया। रातभर गोलू मच्छरों के साथ बाहर पड़ा रहा। अंदर सोई पिंकी को इस बात की खबर तक नहीं थी कि गोलू घर आ गया है उसे लगा गोलू गुड्डू के घर रुक गया है। उसे नींद आ गयी और नींद भी ऐसी कि गोलू ने उसे 2 बार फोन किया लेकिन पिंकी की नींद नहीं खुली , वैसे भी पिंकी का फोन साइलेंट था और बिस्तर से दूर पड़ा था।
गोलू ने इसे ही अपनी किस्मत मान लिया और सीढ़ियों पर जगह बनाकर लेट गया। दिनभर का गोलू इतना थका हुआ था कि उसे लेटते ही नींद आ गयी।

हमेशा की तरह आज भी गुप्ता जी घर में सबसे पहले उठ गए। उन्होंने पानी का लोटा उठाया और दरवाजे की तरफ बढ़ गए। उन्होंने जैसे ही घर का दरवाजा खोला सीढ़ियों पर सोये गोलू को देखकर सुबह सुबह उनका मुँह बन गया। गोलू सीढ़ी पर लेटा था और उसके बगल में लेटा था गली का कुत्ता जो रात में दिवार फांदकर आया था और हमारे गोलू महाराज ठहरे कानपूर के इमरान हाशमी , वो सुबह सुबह उस कुत्ते को बाहों में लिए सो रहे थे और कुत्ते के साथ साथ गोलू के मुंह से भी लार बाहर टपक रही थी।


गुप्ता जी ने पानी मुंह में भरा और गरारे करके कुल्ला थूकते हुए कहा,”आह्ह्ह्हहह्क थू”
गुप्ता जी की आवाज से कुत्ता हड़बड़ा कर उठा और वहा से भाग गया। कुत्ते की वजह से या यू कहे गुप्ता जी की वजह से गोलू की नींद भी टूट गयी। गोलू ने बड़ा सा मुंह फाड़ते हुए अंगड़ाई ली और गुप्ता जी को देखकर कहा,”हमको रातभर हिया सुलाकर अच्छा नहीं किये आप पिताजी,,,,,,,,,!!”


“हिया सुलाए तो कुत्ता तुम्हरा मुंह चाट रहा है इह से बुरा का हो सकता है तुम्हरे साथ,,,,,,,,,साला सरम न हयाई , फूफा बाँटे मिठाई,,,,,,,,उठो और अंदर जाओ”,गुप्ता जी ने गोलू को झिड़कते हुए कहा और फिर से अपने गरारे करने लगे
गोलू अंगड़ाई लेते हुए उठा , गुप्ता जी के मुंह से फूफा शब्द सुनकर गोलू को गुड्डू के फूफाजी की याद आयी और उसने मन ही मन कहा,”आज तो हमे फूफा को उठाना था और हम हिया आराम से सो रहे है,,,,,,,,,,,,फूफा कोई कांड करे इह से पहिले फूफा को धरना होगा”


गोलू ने वहा पड़ी चप्पल पहनी और अंदर जाने के बजाय घर से बाहर भागा
“अरे गोलू ! अरे कहा भागे जा रहे हो ?”,गुप्ता जी ने पीछे से आवाज दी लेकिन तब तक गोलू बहुत आगे निकल चुका था

मिश्रा जी के घर पर दादी के गुजर जाने का दुसरा दिन था। घर में मिश्रा के परिवार के अलावा , भुआ जी , कुछ मेहमान और शगुन के घरवाले थे। शगुन के पापा और चाचा चाची आकर मिश्रा जी से मिले और बनारस वापस जाने की इच्छा जताई। मिश्रा जी ने उनकी मज़बूरी समझते हुए उन्हें जाने दिया। सुबह नाश्ता करने के बाद शगुन के पापा और चाचा-चाची स्टेशन के लिए निकल गए। सुबह सुबह ही घर में मिश्रा जी को सहानुभूति देने आने वालो का जमावड़ा लग गया। मिश्राइन आने जाने वाली औरतो से मिल रही थी। गुड्डू दूसरे कामो में बिजी था और शगुन घर आये मेहमानो में,,,,,,,,,,,,!!


मिश्राइन से मिलने मोहल्ले की कुछ औरते आयी थी , उन्होंने शगुन से चाय भिजवाने को कहा। शगुन पीछे आँगन में आयी जहा खाने और चाय पानी का बंदोबस्त था उसने देखा लड़के सब काम में लगे है तो वह खुद ही आकर ट्रे में कप ज़माने लगी और उनमें चाय डालने लगी। कप में चाय भरते हुए शगुन को एकदम से उलटी का मन हुआ उसने केतली रखी और वाशबेसिन की तरफ भागी। शगुन का जी घबरा रहा था , कुछ उलटी भी हुई , शगुन ने मुंह धोया और कुल्ला किया।


“का हुआ भाभी आप ठीक है ना ? चाची को बुलाय दे ?”,गुड्डू के यहाँ काम करने वाले लड़के ने शगुन से कहा
शगुन पलटी और साड़ी के पल्लू से अपना मुंह पोछते हुए कहा,”नहीं भैया रहने दीजिये हम ठीक है,,,,,,,,,,,!!”
लड़का फिर अपने काम में लग गया , शगुन ने ट्रे उठाई और लेकर जैसे ही कुछ कदम चली उसका सर घुमा , शगुन ने खुद को सम्हाला और आगे बढ़ी। उसे सुबह से अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन काम में व्यस्त होने के कारण शगुन ने ध्यान नहीं दिया।

शगुन चाय लेकर हॉल की तरफ जाने लगी उसे फिर से उलटी जैसा महसूस हुआ उसने हाथ में पकड़ा ट्रे सामने से आती रौशनी को थमाया और मुंह पर हाथ रखे वहा से चली गयी।

रौशनी ने चाय की ट्रे लेजाकर मिश्राइन के पास बैठे लोगो को दिया और खुद शगुन के पास चली आयी। शगुन को रह रह कर उबकाई आ रही थी। रौशनी ने शगुन के कंधे पर अपना हाथ रखा और प्यार से कहा,”शगुन भाभी ! का हुआ तुमको ? तुमहू ठीक तो हो ना ?”
“जी बहुत ख़राब हो रहा है रौशनी दी , मेरा सर भी घूम रहा है”,शगुन ने कहा


“उह्ह तो घूमेगा ना भाभी , सुबह से काम में लगी है आप ,, चलिए वहा चलकर बैठिये और हमे बताईये हम कर देंगे जो करना है,,,,,,,,!!”,कहते हुए रौशनी शगुन को अपने साथ लेकर हॉल की तरफ जाने लगी। चलते चलते शगुन का सर घूमा , चक्कर आया और वह धड़ाम से नीचे जा गिरी,,,,,,,,,!!”
“शगुन भाभी,,,,,,,,,,,,ए चाची , आनंद चाचा , ए गुडडुआ ए भैया देखो जे शगुन भाभी को आ हो गवा,,,,,,,,,,,!!”,रौशनी जोर सी चिल्लाई तो सभी दौड़कर शगुन की तरफ भागे।


“शगुन , शगुन , ए बिटिया आँखे खोलो,,,,,,,,,रौशनी का हुआ था ? जे बेहोश कैसे हो गयी ?”,मिश्राइन ने शगुन को सम्हालते हुए कहा
“अरे चाची शगुन भाभी ने बताया कि इनको उलटी आ रही है और सर घूम रहा है , हमहू तो इनको आपके पास ही लेकर आ रहे थे लेकिन जे,,,,,,,,!!”,रौशनी ने घबराये हुए स्वर में कहा
“मिश्राइन हमहू डाक्टर का फोन करते है,,,,,,,,,,,ए गुड्डू बहु को सम्हालकर वेदी के कमरे में लेकर जाओ”,मिश्रा जी ने जेब से अपना फोन निकालते हुए कहा


गुड्डू बाहर से आया ही था उसने जैसे ही सुना शगुन को कुछ हुआ है वह भागकर आया और शगुन को देखकर मिश्राइन से कहा,”अम्मा का हुआ शगुन को ? अभी थोड़ी पहिले तो हमहू इसको ठीक छोड़कर गए थे”
कहते हुए गुड्डू ने शगुन को गोद में उठाया और वेदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। रौशनी , वेदी , भुआजी और मिश्राइन गुड्डू के पीछे पीछे चली आयी और बाकि सब बाहर ही रुक गए।  


“शगुन को चक्कर आया और उह गिर गयी,,,,,,,,,,,ए गुड्डू बाहर जाकर अपने पिताजी से पता करो डाक्टर को फोन किये की नाही ?”,मिश्राइन ने आकर शगुन के बगल में बैठते हुए कहा पर उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसकी हथेली को रगड़ने लगी।
वेदी ने कमरे का ऐसी ऑन कर दिया और शगुन के लिए पानी ले आयी। मिश्राइन ने शगुन के मुंह पर पानी के छींटे मारे लेकिन शगुन को होश नहीं आया।

शगुन की ऐसी हालत देखकर मिश्राइन रोने लगी भुआजी ने देखा तो उनके पास आयी और उन्हें चुप कराते हुए कहा,”ए सरिता भाभी ! इह का कर रही हो तुम ? अरे शांत हो जाओ कुछो नाही हुआ है गुडडुआ की मेहरारू को,,,,,,,,,,,हमको तो लगता है कोनो खुशखबरी है,,,,,,,,,,,,!!”
“भुआजी यहां शगुन भाभी को होश नहीं है और आप मजाक कर रही है,,,,,,,,!!”,वेदी ने चिढ़ते हुए कहा


“अरे वेदिया ! तुमहू अभी बच्ची हो तुमको कुछ नहीं पता है ,, सरिता हमको तो लगता है शगुन का पैर भारी है,,,,,,,,,,,जो जो लक्षण रौशनी बताय रही है ओह्ह से जे ही समझ आता है,,,,,,,,,,तुमहू हटो हमका बहू की नाड़ी देखन दयो”,कहते हुए भुआजी ने शगुन की कलाई पकड़ी और उसकी धड़कन महसूस करने लगी। भुआजी ने शगुन की कलाई छोड़ी और कहा,”हमरा अनुमान गलत नाही हो सकता सरीता , जे बाल धुप में सफ़ेद ना किए है हमने,,,,,,,,!!”


“जो भी हो दीदी पर शगुन होश में तो आये , जे कब से बेहोश है,,,,,,,,,,हमे तो बहुते घबराहट हो रही है”,मिश्राइन ने कहा  
“ए वेदिया ! अपनी अम्मा को हिया से लेकर जाओ,,,,,,!!”,भुआजी ने मिश्राइन को वहा से उठाते हुए कहा और वेदी के साथ बाहर भेज दिया।

गुड्डू कमरे से निकलकर मिश्रा जी के पास आया और कहा,”पिताजी उह्ह्ह डाक्टर,,,,,,,,,!!”
“गुड्डू हमने फोन कर दिया है , एक ठो काम करो तुमहू हॉस्पिटल जाओ और उन्हें साथ लेकर आओ,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
“हाँ पिताजी , हम अभी जाते है”,गुड्डू ने कहा और वहा से चला गया। मिश्रा जी ने आसमान की तरफ देखकर अपने हाथ जोड़े और कहा,”सम्हाल लेना महादेव , शगुन बिटिया ठीक हो जाये”
मिश्रा जी वही एक तरफ खड़े सब सही होने की मन ही मन प्रार्थना करने लगे।

कुछ ही देर बाद गुड्डू डॉक्टर को लेकर चला आया। मिश्रा जी गुड्डू और डॉक्टर के साथ वेदी के कमरे में आये और शगुन की तरफ इशारा करके कहा,”डाक्टर साहब ! हमरी बहू है चलते चलते एकदम से गश खाकर गिर पड़ी ,, आप देखिये का हुआ है ?”
कमरे में इकट्ठा सब लोगो को देखकर डॉक्टर ने कहा,”एक जन इनके पास रुकिए बाकी सब बाहर चलिए,,,,,,,हम इनका चेकअप कर लेते है”


भुआजी शगुन के पास रुक गयी और बाकि सब बाहर चले आए। परेशान से मिश्रा जी कमरे के बाहर यहाँ से वहा चक्कर काटने लगे। गुड्डू भी एक तरफ खड़ा शगुन के लिए परेशान हो रहा था। उसकी नजरे बार बार वेदी के कमरे की तरफ चली जाती !

अपने घर से निकला गोलू सीधा पहुंचा बाबू गोलगप्पे वाले के पास , गोलू अंदर आया देखा बाबू मस्त आराम से बिस्तर पर उलटे लेते सो रहा है।
“बाबू , बाबू , बाबू उठो , अरे बाबू हम आये है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
बाबू नींद में था उसने पलटकर भी नहीं देखा कौन आया है और आँखे मीचे मीचे कहा,”दूध का पतीला बाहर रखे है आधा किलो दूध देइ दो उह्ह मा और अंदर रख देओ”


गोलू ने सुना तो एक लात बाबू की तशरीफ़ पर पेश की और बाबू हड़बड़ाकर उठा। बाबू ने जब गोलू को देखा तो उठते हुए कहा,”अरे गोलू भैया आप , इत्ती सुबह हिया काहे ?”
“अभी जो आधा किलो दूध लिए हो न ओह की चाय बनाने आये है , चायपत्ती नाही मिल रही हमका”,गोलू ने कहा
“चायपत्ती तो यही रखी थी हमने,,,,,!!”,कहते हुए बाबू जैसे ही गोलू के सामने से गुजरा गोलू ने उसकी गुद्दी पकड़कर उसे रोका और वापस पीछे करते हुए कहा,”अबे चायपत्ती की दूकान फूफा कहा है ?”


“कौन फूफा ?”,बाबू ने असमझ की स्तिथि में कहा
गोलू ने सुना तो उसका माथा ठनका और उसने दाँत पीसते हुए कहा,”अबे बाबू का भांग वांग खाकर सोए थे का ? अबे फूफा की बात कर रहे है जिसको रात में हिया छोड़कर गए थे,,,,,,,,,,!!”
“रात में तो हमरे बगल मा ही सो रहे थे , हमे नहीं पता गोलू भइआ,,,,,,,,,,,,,!!”,बाबू ने मासूमियत से कहा


“अबे भाग तो नहीं गए ? साला ऐसा हुआ तो मिश्रा जी बत्ती बना देंगे हमारी,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने मिमियाते हुए कहा और बाबू के घर के पिछले हिस्से में आया। जैसे ही गोलू की नजर सामने पड़ी उसकी जान में जान आयी।
फूफा कही नहीं भागे थे बल्कि बाबू के घर के संडास के सामने खड़े थे , हाथ में उन्होंने पानी का डिब्बा पकड़ा था और किसी गहरी सोच में डूबे थे। गोलू ने भगवान को थैंक्यू कहा और फूफा की तरफ बढ़ गया।

फूफा ने गोलू को वहा देखा तो उसके पास आकर कहा,”अरे गोलू तुम , अच्छा हुआ तुमहू आ गए ,, एक ठो बीड़ी मिलेगी का ?”
“आपको हमरा स्टेंडर्ड इतना गिरा हुआ लगता था , बीड़ी पिएंगे हम”,गोलू ने इतराते हुए कहा
“तो सिगरेट देइ दयो”,फूफाजी ने कहा


गोलू का हाथ अपने जेब की तरफ गया लेकिन अगले ही पल उसे याद आया कि कल ही उसका सिगरेट का डिब्बा गुप्ता जी द्वारा पकड़ा गया है और उसके बाद गोलू को सिगरेट खरीदने की फुर्सत ही नहीं मिली। गोलू ने ना में गर्दन हिलाकर कहा,”उह तो नहीं है”
“तो फिर काहे हमरे सामने अम्बानी बन रहे हो,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने चिढ़ते हुए कहा
“अरे पर सुबह सुबह जे काहे चाहिए आपको ?”,गोलू ने पूछा


“हलके होने जा रहे थे लेकिन का करे प्रेशर नाही बन रहा है , जब तक एक ठो सुट्टा ना मार ले फारिग नाही होंगे”,फूफाजी ने अपनी समस्या गोलू को बताई
गोलू का माथा ठनका वह फूफा को उठाने आया था और यहाँ फूफा का कुछ और ही प्रोग्राम तय था। गोलू ने अपना टकला खुजाया और पलटकर दरवाजे पर खड़े बाबू को देखकर कहा,”बाबू बीड़ी मिली है का तोहपे ?”
“नाही गोलू भैया हमहू नाही पीते,,,,,,,,,!!”,बाबू ने कहा


“ए फूफा मिश्रा जी बुलाय रहे है घर पर , वहा चलकर मार लीजियेगा सुट्टा,,,,,,,,!!”,गोलू ने फूफाजी से कहा
“अपना काम खत्म किये बिना हमहू हिया से एक कदम नाही हिलेंगे गोलू,,,,,,!!”,फूफाजी भी जिद पर अड़ गए
“साला अजीब मुसीबत है”,गोलू खुद में बड़बड़ाया और फिर फूफा से कहा,”ठहरो ! करते है बदोबस्त,,,,,,,,!!”

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संजना किरोड़ीवाल 

उह्ह तो घूमेगा ना भाभी , सुबह से काम में लगी है आप ,, चलिए वहा चलकर बैठिये और हमे बताईये हम कर देंगे जो करना है,,,,,,,,!!”,कहते हुए रौशनी शगुन को अपने साथ लेकर हॉल की तरफ जाने लगी। चलते चलते शगुन का सर घूमा , चक्कर आया और वह धड़ाम से नीचे जा गिरी,,,,,,,,,!!”
“शगुन भाभी,,,,,,,,,,,,ए चाची , आनंद चाचा , ए गुडडुआ ए भैया देखो जे शगुन भाभी को आ हो गवा,,,,,,,,,,,!!”,रौशनी जोर सी चिल्लाई तो सभी दौड़कर शगुन की तरफ भागे।

उह्ह तो घूमेगा ना भाभी , सुबह से काम में लगी है आप ,, चलिए वहा चलकर बैठिये और हमे बताईये हम कर देंगे जो करना है,,,,,,,,!!”,कहते हुए रौशनी शगुन को अपने साथ लेकर हॉल की तरफ जाने लगी। चलते चलते शगुन का सर घूमा , चक्कर आया और वह धड़ाम से नीचे जा गिरी,,,,,,,,,!!”
“शगुन भाभी,,,,,,,,,,,,ए चाची , आनंद चाचा , ए गुडडुआ ए भैया देखो जे शगुन भाभी को आ हो गवा,,,,,,,,,,,!!”,रौशनी जोर सी चिल्लाई तो सभी दौड़कर शगुन की तरफ भागे।

उह्ह तो घूमेगा ना भाभी , सुबह से काम में लगी है आप ,, चलिए वहा चलकर बैठिये और हमे बताईये हम कर देंगे जो करना है,,,,,,,,!!”,कहते हुए रौशनी शगुन को अपने साथ लेकर हॉल की तरफ जाने लगी। चलते चलते शगुन का सर घूमा , चक्कर आया और वह धड़ाम से नीचे जा गिरी,,,,,,,,,!!”
“शगुन भाभी,,,,,,,,,,,,ए चाची , आनंद चाचा , ए गुडडुआ ए भैया देखो जे शगुन भाभी को आ हो गवा,,,,,,,,,,,!!”,रौशनी जोर सी चिल्लाई तो सभी दौड़कर शगुन की तरफ भागे।

उह्ह तो घूमेगा ना भाभी , सुबह से काम में लगी है आप ,, चलिए वहा चलकर बैठिये और हमे बताईये हम कर देंगे जो करना है,,,,,,,,!!”,कहते हुए रौशनी शगुन को अपने साथ लेकर हॉल की तरफ जाने लगी। चलते चलते शगुन का सर घूमा , चक्कर आया और वह धड़ाम से नीचे जा गिरी,,,,,,,,,!!”
“शगुन भाभी,,,,,,,,,,,,ए चाची , आनंद चाचा , ए गुडडुआ ए भैया देखो जे शगुन भाभी को आ हो गवा,,,,,,,,,,,!!”,रौशनी जोर सी चिल्लाई तो सभी दौड़कर शगुन की तरफ भागे।

उह्ह तो घूमेगा ना भाभी , सुबह से काम में लगी है आप ,, चलिए वहा चलकर बैठिये और हमे बताईये हम कर देंगे जो करना है,,,,,,,,!!”,कहते हुए रौशनी शगुन को अपने साथ लेकर हॉल की तरफ जाने लगी। चलते चलते शगुन का सर घूमा , चक्कर आया और वह धड़ाम से नीचे जा गिरी,,,,,,,,,!!”
“शगुन भाभी,,,,,,,,,,,,ए चाची , आनंद चाचा , ए गुडडुआ ए भैया देखो जे शगुन भाभी को आ हो गवा,,,,,,,,,,,!!”,रौशनी जोर सी चिल्लाई तो सभी दौड़कर शगुन की तरफ भागे।

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan - Season 3
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