मनमर्जियाँ – S96
Manmarjiyan – S96
Manmarjiyan – S96
गुड्डू बनारस के दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों पर खड़ा उठक बैठक निकाल रहा था और शगुन भीगी आँखों से उसे देख रही थी। जब शगुन ने गुड्डू के मुंह से वो सब बातें सुनी तो उसका दिल पिघल गया। गुड्डू को सब याद आ चुका था। उसे उठक बैठक निकालते देखकर शगुन उसके पास आयी और उसके गले लगते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी गुड्डू जी आई ऍम सॉरी”
जैसे ही शगुन गुड्डू के गले लगी गुड्डू ने शगुन को कसकर अपनी बांहो में भर लिया। उसकी आँखों में आंसू भरे हुए थे। कितनी मुश्किलों के बाद आज दोनों महादेव की नगरी में मिले थे। गुड्डू खुश था की शगुन उसके पास थी। काफी देर तक दोनों एक दूसरे को गले लगाए खड़े रहे। उन्हें ना लोगो की परवाह थी ना ही किसी का डर। कुछ देर बाद शगुन गुड्डू से दूर हुई और कहा,”मुझे माफ़ कर दीजिये मैंने आपसे वो सब सिर्फ इसलिए छुपाया क्योकि मैं आपको खोना नहीं चाहती थी। मैंने कभी आपसे कुछ झूठ बोलने के बारे में नहीं सोचा कभी आपका दिल दुखाने के बारे में नहीं सोचा है गुड्डू जी”
गुड्डू ने अपने दोनों हाथो से शगुन के चेहरे को थामा , उसके आंसुओ को पोछा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”तुम्हे कुछ कहने की जरूरत नहीं है शगुन , तुमने जो कुछ भी किया वो हमाये लिए किया हमायी ख़ुशी के लिए किया। तुम बहुत अच्छी हो शगुन , बहुत अच्छी हो”
गुड्डू की बातें सुनकर शगुन के दिल को तसल्ली मिली तभी उसकी नजर गुड्डू के सर पर लगी खरोच पर गयी तो शगुन ने घबराते हुए कहा,”ये चोट कैसे लगी आपको ?”
“मामूली सी चोट है ठीक हो जाएगी तुम परेशान मत हो”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने गुड्डू के हाथ को अपने दोनों हाथो में थामा और कहने लगी,”आज सुबह से ही मेरा मन बहुत बैचैन था , लग रहा था जैसे कुछ होने वाला है। मुझे नहीं लगा था आप यहाँ आएंगे लेकिन मेरा मन कह रहा था आप जरूर आएंगे,,,,,,,,,,,और आप आ गए , महादेव ने मेरी सुन ली। काश हम सबने पहले ही आपको सब बता दिया होता तो आपको इतना परेशान नहीं होना पड़ता”
“अगर सबने हमे पहले ही सब बता दिया होता तो हमे तुम सबकी अहमियत कभी समझ नहीं आती ,, गोलू ने हमे दोस्ती की अहमियत समझाई , पिताजी ने हमे पहली बार गले लगाया हमे एक दोस्त की तरह सब समझाया और तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुमसे दूर रहकर हमे अहसास हुआ शगुन की हम तुम्हाये बिना नहीं रह सकते। तुमने हमसे पूछा था ना पिंकी के बारे में की उसके बिना हम जी सकते है या नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,उसके बिना हम जी सकते है लेकिन तुम्हाये बिना नहीं। तुमसे हमे ये अहसास दिलाया है शगुन की प्यार का होता है ? रिश्ते का होते है ? जिंदगी का होती है ? और ये जिंदगी तुम्हाये बिना बेकार है , बेरंग है , हमने आज तक जितनी भी गलतिया की तुमने हमे माफ़ किया। जे आखरी गलती थी शगुन आज के बाद कभी तुम्हे शिकायत का मौका नहीं देंगे”
“मुझे आपसे कोई शिकयत नहीं है गुड्डू जी , आप यहाँ आ गए मेरी सारी शिकायतें दूर गयी। मेरे साथ आईये”,कहते हुए शगुन ने गुड्डू की कलाई थामी और सीढ़ियों से ऊपर की ओर बढ़ गयी। गुड्डू खामोश सा शगुन के साथ साथ चल पड़ा। शगुन गुड्डू को लेकर शिव मंदिर में आयी , मंदिर के पंडित जी वहा मौजूद थे , कुछ इक्का दुक्का लोग भी वहा थे। शगुन ने हाथ जोड़ लिए और महादेव का शुक्रिया अदा करने लगी। उसने गुड्डू की तरफ देखा गुड्डू बुझी आँखों से शगुन को
ही देखे जा रहा था। शगुन ने गुड्डू को दोनों हाथो को आपस में मिलाया और उसे भी महादेव का शुक्रिया अदा करने लगा। गुड्डू ने देखा शगुन की आँखो में ख़ुशी की चमक थी उसके चेहरे पर शिकायत के कोई भाव नहीं थे। शगुन उसे इतनी जल्दी माफ़ कर देगी गुड्डू ने सोचा भी नहीं था उसने महादेव को देखा और मन ही मन कहने लगा,”हमाये इतने बुरे बर्ताव के बाद भी इन्होने हमे माफ़ कर दिया इनका दिल कितना बड़ा होगा महादेव , आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप इन्हे
हमायी जिंदगी में लेकर आये हम वादा करते है आज के बाद कभी इनको दुःख नहीं पहुंचाए इन्हे इतना प्यार देंगे की इनके सारे जख्म भर जायेंगे जो हमने इन्हे दिए। बस आप अपना साथ और आशीर्वाद बनाये रखना”
शगुन ने वहा जल रही जोत पर हाथ घुमाये और खुद के सर से छू लिया। उसके बाद गुड्डू के लिए भी लेकर आयी और गुड्डू के सर से छू दिया। गुड्डू बस ख़ामोशी से शगुन को देखता रहा। शगुन गुड्डू को पंडित जी के पास लेकर आयी और उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने को कहा। गुड्डू ने शगुन की तरफ देखा और कहा,”ये काहे ?”
“ये धागा आपको लोगो की बुरी नजर से बचाएगा”,शगुन ने गुड्डू की कलाई पर बढ़ते धागे को देखकर कहा
गुड्डू ने देखा शगुन आज भी उसकी वैसे ही परवाह कर रही है जैसे पहले किया करती थी। पंडित जी ने गुड्डू के हाथ पर धागा बांधा और कहा,”महादेव तुम दोनों का साथ यू ही बनाये रखे”
शगुन गुड्डू के साथ मंदिर से बाहर चली आयी। उसका फोन बजा उसने देखा फोन गुप्ता जी का था। शगुन ने फोन उठाया तो उन्होंने कहा,”कहा हो बेटा यहाँ सब तुम्हारे बारे में पूछ रहे है”
“पापा मैं बस कुछ देर में निकल रही हूँ”,शगुन ने कहा
“पारस है ना साथ में , उसे साथ लेकर ही आना”,गुप्ता जी ने कहा और फोन काट दिया। शगुन ने गुड्डू से गेस्ट हॉउस चलने से पहले घर चलने को कहा ताकि गुड्डू अपना हुलिया सुधार सके। दोनों साथ साथ चल रहे थे। चलते हुए शगुन की उंगलिया गुड्डू की उंगलियों से टकराई तो गुड्डू ने शगुन का नाजुक हाथ अपने हाथ में थाम लिया। एक खूबसूरत अहसास शगुन के मन को छूकर गुजरा। इस पल का कितना इंतजार किया उसने जब गुड्डू उसके हाथ को पुरे हक़ से थामे। दोनों घाट से बाहर चले आये बाहर पारस अपनी बाइक लिए खड़ा उन दोनों का ही इंतजार कर रहा था। गुड्डू को देखते ही पारस ने कहा,”अर्पित जी कैसा लगा हमारा सरप्राइज ?”
गुड्डू ने शगुन का हाथ छोड़ा और पारस के सामने आकर खड़ा हो गया उसने कुछ पल पारस को देखा और फिर उसके गले लगते हुए कहा,”तुमने तो हमे जीने की नयी वजह दे दी शगुन के रूप में। तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त , हमने गुस्से में तुम पर हाथ उठाया हमे माफ़ कर दो”
“अरे अर्पित जी बस बस मैंने कुछ नहीं किया सब आपके दोस्त गोलू की मेहरबानी उसी ने मुझे फोन करके बताया की आप यहाँ आ रहे है बस फिर क्या था मैंने आपको और शगुन को मिलाने के लिए छोटा सा झूठ बोल दिया”,पारस ने मुस्कुराते हुए कहा
“आज से तुम हमे गुड्डू ही बुलाना”,गुड्डू ने पारस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। शगुन भी उन दोनों के पास चली आयी तो पारस ने कहा,”क्यों शगुन हो गयी ना तुम्हारी इच्छा पूरी , तुम हमेशा चाहती थी जो इंसान तुमसे प्यार करे वो तुम्हे इस घाट पर मिले और यहां आकर तुमसे अपने प्यार का इजहार करे।”
“तुम्हे ये सब किसने बताया ?”,शगुन ने हैरानी से कहा
“तुम भूल रही हो शगुन तुम्हारे घर में दुनिया का आठंवा अजूबा भी है”,पारस ने मुस्कुराते हुए कहा तो शगुन समझ गयी की ये सब प्रीति ने बताया है।
“अच्छा अब चलो यहा से मास्टर साहब का 4-5 बार फोन आ चुका है”,पारस ने कहा
“पारस घर में किसी को इस सब के बारे में पता नहीं चलना चाहिए”,शगुन ने थोड़ा परेशान होकर कहा
“शगुन एक काम करो तुम यहा से सीधा गेस्ट हॉउस के लिए निकलो , मैं इन्हे अपने घर लेकर जाता हूँ ताकि ये अपनी हालत सुधार सके। हम दोनों थोड़ी देर में गेस्ट हॉउस में ही मिलते है”,पारस ने कहा
“पारस ठीक कह रहा है शगुन ऐसी हालत में हम सबके बीच नहीं जा पाएंगे”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“ठीक है आप दोनों जाईये मैं रिक्शा से चली जाउंगी”,शगुन ने कहा
पारस ने सामने से आते रिक्शा को रोका और शगुन को वहा से भेज दिया। पारस गुड्डू को लेकर अपने घर आया। गुड्डू पहली बार पारस के घर आया था सभी घरवाले गेस्ट हॉउस गए हुए थे। गुड्डू दरवाजे पर ही रुक गया तो पारस ने कहा,”गुड्डू अंदर आओ”
गुड्डू अंदर आया तो पारस उसे अपने कमरे में लेकर आया और कहा,”वो वहा बाथरूम है तुम जाकर नहा लो तब तक मैं तुम्हारे लिए कपडे निकाल देता हु”
गुड्डू नहाने चला गया। नहाने के बाद उस थोड़ा अच्छा लग रहा था। पारस ने उसके लिए अपने नए कपडे निकालकर बिस्तर पर रख दिए और कमरे का दरवाजा बंद करके चला गया। गुड्डू ने कपडे उठाये , पारस हमेशा फॉर्मल कपडे ही पहनता था। गुड्डू ने वो कपडे पहने , शर्ट थोड़ा सा टाइट था लेकिन वो कपडे उस पर अच्छे लग रहे थे। गुड्डू शीशे के सामने आकर बाल बनाने लगा। पारस ने दरवाजा खटखटाया और अंदर आया उसके हाथ में चाय का कप था उसने उसे टेबल पर कहते हुए कहा,”ये कपडे तुम पर अच्छे लग रहे है गुड्डू”
जवाब में गुड्डू बस मुस्कुरा दिया तो पारस वही बिस्तर पर बैठ गया और कहा,”वैसे शगुन एक बार बता रही थी की तुम्हारे पास 150 से भी ज्यादा शर्ट है , क्या ये सच है ?”
“हाँ हमे नए नए कपडे पहनने का बहुत शौक है”,गुड्डू ने कहा
“तुम पर सूट भी करते है , वैसे एक बात कहू शादी के बाद शगुन से मैं जब भी मिला वो हमेशा तुम्हारे बारे में बात करती थी और उस वक्त उसकी आँखों में एक अलग ही चमक होती थी। शगुन तुम्हे बहुत पसंद करती है गुड्डू”,पारस ने कहा तो गुड्डू ने चाय का कप उठाते हुए कहा,”हम बहुत खुशनसीब है की वो हमायी जिंदगी में आयी है”
“तुम चाय पीकर बाहर आ जाओ फिर चलते है”,पारस ने कहा और वहा से चला गया। गुड्डू ने देखा बिस्तर के पीछे वाली दिवार पर पारस की शादी की बहुत ही प्यारी सी तस्वीर लगी हुई है। गुड्डू ने चाय खत्म की और बाहर चला आया।
सफेद लाईनिंग वाली शर्ट , ब्लैक पेंट , बालो को आज गुड्डू ने साइड की मांग निकाल कर सीधा बना रखा था जिस से माथे पर लगी खरोच को छुपाया जा सके। उसके एक हाथ में शगुन का पहनाया कडा था दूसरे हाथ में वो धागा जो कुछ देर पहले पंडित जी ने बांधा था। शर्ट की बाजू गुड्डू को थोड़ी अनकम्फर्टेबल लग रही थी इसलिए उसने उन्हें फोल्ड कर लिया। उन कपड़ो में गुड्डू बहुत सुंदर लग रहा था। पारस ने देखा तो वह भी एक पल को उसे देखता रह गया और कहा,”पर्सनालिटी अच्छी है तुम्हारी , तुम्हे देखकर ना थोड़ी जलन हो रही है अब। इसलिए शगुन तुम पर इतनी फ़िदा है”
“शगुन हमायी पर्सनालिटी पर नहीं बल्कि हमायी मासूमियत पर मरती है”,गुड्डू ने बालो में से हाथ घुमाते हुए कहा और पारस के साथ घर से बाहर चला आया। गुड्डू की बाइक को वही छोड़ दोनों पारस की बाइक से गेस्ट हॉउस के लिए निकल गए।
“अच्छा वहा जाकर हम सबसे कहेंगे का ? ऐसे अचानक जो चले आये है”,गुड्डू ने कहा
“एक छोटा सा झूठ बोल देना की बगल वाले गांव में तुम अपनी दोस्त की शादी में आये थे इसलिए सीधा यहाँ चले आये”,पारस ने कहां
“हम्म्म ठीक है , हम घर पर फोन कर देंगे कल सुबह घरवाले आएंगे तब हमारा बाकि का सामान ले आएंगे”,गुड्डू ने कहा
“ये सही रहेगा , गुड्डू एक बात कहनी थी तुमसे”,पारस ने कहा
“हां कहो”,गुड्डू ने कहा
“मैं जानता हूँ इन दिनों बहुत कुछ हुआ है और वो सब शायद कही ना कही तुम्हारे और शगुन के दिमाग में होगा। उन सबको साइड रखकर अगर तुम दोनों प्रीति एक दूसरे के साथ रहोगे , एक दूसरे को समझोगे तो हो सकता है तुम्हारे रिश्ते को एक नया मोड़ मिले। सब भूलकर शगुन के साथ एक नयी शुरुआत करो गुड्डू वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा”,पारस ने कहा
“हम ध्यान रखेंगे”,गुड्डू ने कहा तो पारस मुस्कुरा दिया।
इस पुरे सफर में एक पारस ही था जिसने हर किसी की भावनाओ को समझा था। वह शगुन का दोस्त था उसे पसंद करता था पर जब उसे पता चला की शगुन गुड्डू से बहुत प्यार करती है तो उसने अपने कदम पीछे ले लिए। सोनिया से उसने शादी की और उसे अपनी जिंदगी में शामिल किया। गुप्ता जी की उसने बहुत मदद की लेकिन कभी जाहिर नहीं होने दिया। प्रीति तो पारस को अपना बड़ा भाई मानती थी और आज भी उसने शगुन गुड्डू को मिलाने के लिए ये सब किया। उसने जानबूझकर गुड्डू से झूठ कहा ताकि शगुन के लिए गुड्डू के अंदर दबी भावनाये बाहर आ सके। ताकि गुड्डू को भी शगुन को खोने का अहसास हो , जो दर्द शगुन को हुआ वह गुड्डू को भी महसूस करवाना चाहता था। पारस ने ही गोलू से फोन करके कहा की वह गुड्डू को जाकर सब सच बता दे क्योकि पारस जानता था गुड्डू को उस सच से कोई सदमा नहीं पहुंचेगा। पारस मन ही मन बहुत खुश था। बाइक गेस्ट हॉउस के अंदर चली आयी। पारस ने गुड्डू को उतारा और बाइक लेकर पार्किंग की तरफ चला गया। गुड्डू के मन में पहली बार थोड़ी झिझक थी , साथ ही वह प्रीति को लेकर परेशान था की क्या शगुन की तरह वह उसे माफ़ करेगी या नहीं। गुड्डू को वही खड़े देखकर पारस ने कहा,”क्या हुआ गुड्डू अंदर चलो ना , आओ”
पारस गुड्डू को साथ लेकर अंदर आया। जैसे ही दोनों अंदर आये ऊपर से फूलो की पत्तिया आकर उन दोनों पर गिरी। सामने बहुत ही सुंदर सूट पहने प्रीति खड़ी थी। गुड्डू ने प्रीति को देखा तो प्रीति उसके सामने आयी और कहा,”मुझे पता था आप जरूर आएंगे , वेलकम जीजू”
गुड्डू ने देखा प्रीति उस से बिल्कुल नाराज नहीं थी , उलटा वह गुड्डू के आने से बहुत खुश थी। गुड्डू प्रीति के पास आया और धीरे से कहा,”हम इस सम्मान के लायक नहीं है प्रीति तुम जानती हो ना हमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“ओह्ह कम ऑन जीजू ये सब बातें हम लोग बाद में डिसाइड करेंगे पहले आप मेरे साथ चलो”,कहते हुए प्रीति ने गुड्डू का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ ले गयी। पारस दूसरी तरफ चला गया। प्रीति गुड्डू को लेकर अपनी सहेलियों के बीच गयी और कहा,”गाइज मैंने कहा था ना आज मैं तुम सबको अपने फेवरेट , डेशिंग , हेंडसम जीजू से मिलवाउंगी,,,,,,,,,,,,,,,,ये रहे मेरे जीजू अर्पित जी उर्फ़ गुड्डू जी”
प्रीति की सहेलियों ने गुड्डू को देखा तो सब उसे हाय हेलो नमस्ते कहने लगी। गुड्डू ने भी सबको हेलो कहा और फिर प्रीति को साइड में लाकर कहा,”प्रीति तुम हमसे नाराज नहीं हो ? हम जानते है हमने जो किया उसके बाद बहुत गुस्सा आया होगा हम पर ,, क्या तुम सच में हम से नाराज नहीं हो ?”
प्रीति ने गुड्डू के दोनों हाथो को अपने हाथो में थामा और बड़े ही प्यार से कहने लगी,”जीजू , जिस इंसान को देखकर मेरी दी के चेहरे पर स्माइल आती है उस से भला मैं कैसे नाराज हो सकती हूँ ? हां थोड़ा गुस्सा आया था आप पर लेकिन जब दी ने समझाया की आप गलत नहीं है तब वो गुस्सा चला गया। आप यहाँ आये इस से बढ़कर ख़ुशी मेरी लिए और क्या हो सकती है और वैसे भी आपका वक्त खराब था आप नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,इसलिए मेरे प्यारे जीजू ये सब सोचना बंद कीजिये और मेरी दी के साथ खुश रहिये”
“ए प्रीति जरा यहाँ आना”,किसी ने आवाज दी तो प्रीति ने गुड्डू से कहा,”मैं आती हूँ”
प्रीति चली गयी लेकिन गुड्डू की नजरो में प्रीती की इज्जत और ज्यादा बढ़ गयी। उसने सोचा नहीं था इतनी शैतानी करने वाली प्रीति एकदम से इतनी समझदार हो जाएगी। साथ ही उसे शगुन के बारे सोचकर भी गर्व महसूस हुआ की सिर्फ गुड्डू ही नहीं बल्कि और भी बहुत लोग थे जो शगुन से इतना प्यार करते थे।
घरवालों की नजर जैसे ही गुड्डू पर पड़ी सबने उसे घेर लिया और उसके बाद शुरू हुई गुड्डू की मेहमान नवाजी। सबके बीच बैठे गुड्डू को कभी मिठाई , कभी समोसे तो कभी रबड़ी खिलाई जा ही थी। गुड्डू सबको ना ना कह रहा था पर उसकी सुनता कौन ? शगुन वहा से गुजरी तो गुड्डू उठकर शगुन के पीछे आया और उसके कंधे पकड़कर उसे आगे करते हुए कहा,”अब बाकि शगुन खायेगी”
शगुन को वो पल याद आ गया जब गुड्डू पहली बार ससुराल आया था और ऐसे ही खाने से बचने के लिए उसके पीछे छुपा था। वक्त एक बार फिर उन पलो को दोहरा रहा था जिसमे शगुन और गुड्डू शामिल थे।
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संजना किरोड़ीवाल
wow…..just beautiful..after crossing a lot of hurdles in life finally they accept their love
Bhut hi pyaara part tha finally guddu shagun ki galatfehmi door ho gyi aj bhi ansoo ruk nhi rhe they lekin yh khushi k they thankyou maam itna pyaara part likhne k liye
🥺🥺❤️❤️❤️❤️so so so beautiful
Agar life kuch dena chahe to Paras or Golu jesa dost jaroor de….🥺🥺😘😘
Janti hoon is story ke hero Guddu h..lekin Paras,Golu v km nh
Finally Guddu and Shagun are together🥺🥺❤️❤️
Preeti ne dil jeet liya😍
💕💕💕Soo cute par guddu ko haath mai chot lagi hai na khair joh bhi ho bohot pyaara part tha 😊💕💕💕
I was waiting since morning for this part.
Awesome Mahadev bas aise hi khush rakhe dono ko.
Bechara guddu sasural ki mehman baji se pareshan ho gaya
Nice story
Very beautiful
❤❤❤❤😍 wow ab sab thik h love u mam itni achhi story ke liye thnx
haye dil baag baag ho gya aj to gajab karat ho madm mtlb guddu ji ko sab yaad aa gya sagun khush h thank u mam
❤️❤️❤️❤️❤️😘😘😘😘
Bahut dino ke bad sub kuch achha ho rha h, bahut achha lag rha h, 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मैम बहुत खूबसूरत भाग था आज…पारस ने भी अपनी अच्छी दोस्ती का परिचय दिया तो…प्रीति की बातें भी बहुत ही अच्छी थीं…अब तो दामाद जी अंगना पधारे हैं तो…स्वागत सत्कार तो अच्छे से ही होगा😃😊 beautiful part👌👌👌👌👌
Mst part h mja aa gya
So beautiful part.
Mind blowing 🥰💖❤️😘😘🥰💖 Awesome superrrrrrrr bbbbbbbbb ❤️💕❤️💕❤️💕❤️ part 💕❤️💕❤️💕❤️💕❤️💕❤️💕
Beautiful part
Soo cute, guddu is back uper se kanpuriya tone,mja aa gya mam padh k, behtreen story 👌👌👌👌👌 eagrly waiting for the next 👌👌👌👌
Kahani ka end bahit nazdik hai aur kahani nahut pyari hai isse chhodne ka man hi nahi karta 🙂🙂🙂
Aapki sabhi story me har ek character bhut khas hota hai aaj k part ki limelight paras or priti ke naam, beautiful
Superb part ❤️
अति सुंदर।
आभार ।
Wow….😘😘🥰😍🥰🤩😍
Wow….wow…wow….superb part…Golu aur paras ki dosti ke kya kehne…finally sab theek ho gaya hai …aur ab story bhi khatm ho jayegi….isliye accha nahi lag raha hai…Thanku for this wonderful story…❤️❤️😊😊
आज का पार्ट बेस्ट पार्ट था
Bahut hi pyara part h aajka…bahut mushkil aur intezar ke baad ye khusi ke pal aaye h guddu aur shagun ki zindagi me
Wowww❤️❤️❤️ sb thk ho gyaa😍😍😍
Beautiful part
Beautiful part❤️❤️
Finally dono sath hai….sab Mahadev Ji ki kripa hai ..
Shandar part really very interesting and superb
Very very nice👍👍👍👍👏👏👏👏😊😊😊
Such a lovely part 🥰 awsummm finally dono mil gaye sab acha ho rha hai superb 👍😊
Bahut bahut bahut achaa laga padhkar 😍😍😍😍😍😍😍🙂🙂🙂🙂🙂❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Good. At last they are together and I am super 😊😊😊😊😊😊😊
Very beautiful amazing fabulous part💓💓💓💓💓😘😘😘😘😘😘……sach mai Paras or Gollu jese dost life mai ho to life mai kisi or chees ki jarurat nahi…..
Superbbbbbbbbb💕💕💕💕💐💐💐💐💐 mind🤯🤯🤯 blowing lovely❤❤❤❤❤ part👌👌👌👌🌺🌺🌺🌺🌺🌺
बेहद खूबसूरत
Awesome part, Bs shagun, guddu ki bhi life set or ending khubsurat Ho or kya chahiye 😍😍😍😍
kamal kar diya madam ji gajab likhti hai
Nice