Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – S61

Manmarjiyan – S61

Manmarjiyan

Manmarjiyan – S61

मिश्रा जी से पीटकर गोलू अपने घर पहुंचा उसे लगा अपने पिताजी की गलती जब वह उनके सामने कहेगा तो गोलू के पिताजी शर्मिन्दा होकर गोलू की बात मान लेंगे लेकिन यहाँ मामला उलटा पड़ गया गोलू के पिताजी ने गोलू को ही सूत दिया। गुड्डू गोलू से मिलने आया लेकिन गोलू को ऐसी हालत में देखकर गुड्डू वापस अपने घर की ओर निकल गया। रास्ते भर गुड्डू गोलू के बारे में सोचता रहा,”जे साला गोलू हर बात हमे बताता था लेकिन अपनी शादी की बात हमे काहे नहीं बताई ? हो सकता है भूल गया हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,या बताना ही नहीं चाहता हो,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता , गोलू हमसे बहुते प्यार करता है हमसे कोई बात नहीं छुपाता,,,,,,,,तुमहू खामखा जियादा सोच रहे हो गुड्डू गोलू तुमसे कभी कोई बात नहीं छूपायेगा”
गुड्डू घर आया बाइक साइड में लगाईं और अंदर चला आया हाथ मुंह धोते हुए उसने आवाज लगाईं,”अम्मा चाय”
हाथ मुंह धोकर उसने तौलिये से पोछते हुए , तौलिये को वही कुर्सी के हत्थे पर डाल दिया और जैसे ही पलटा शगुन चाय लेकर खड़ी थी गुड्डू कुछ कहता इस से पहले ही शगुन ने कहा,”आपकी चाय”
“एक अच्छी पत्नी बनने के सारे गुण दिखाई दे रहे है तुम में , शगुन गुप्ता”,गुड्डू ने शगुन के हाथ से चाय लेते हुए कहा। शगुन गुड्डू की बात का जवाब दे पाती इस से पहले ही वेदी अपने हाथो में दो तीन कुर्तियां लेटकर आयी और कहा,”गुड्डू भैया जे आप हमाये लिए लाये थे ना , बहुते सुन्दर है”
“नहीं जे तो हम श,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां हां तुम्हाये लिए ही लाये थे अपने पैसो से”,गुड्डू शगुन का नाम लेना चाहता था लेकिन मिश्रा जी को वहा से गुजरते देखा तो तुरंत अपनी बात बदल दी और वेदी का नाम ले दिया। हलाकि गुड्डू वह कपडे शगुन के लिए लेकर आया था लेकिन वेदी और मिश्रा जी के सामने कैसे कहता ? बेबस सा गुड्डू शगुन को देखने लगा तो वेदी ने दो कुर्ती अपने पास रखी और एक लॉन्ग सूट शगुन की तरफ बढ़ाकर कहा,”ये आप पहनना आप पर ज्यादा अच्छा लगेगा।”
गुड्डू के दिल को तसल्ली मिली सारे ना सही कम से कम एक तो शगुन को मिला। शगुन ने देखा लाल रंग के सूट में गले और बाजुओं पर गुलाबी रंग की कसीदाकारी की हुई थी जो की देखने में काफी अच्छी भी लग रही थी। शगुन को वह बहुत पसंद आया और उसने गुड्डू की तरफ देखकर कहा,”थैंक्यू”
जवाब में गुड्डू मुस्कुरा दिया देखा मिश्रा जी उसे ही देख रहे है तो नजरे बचाकर वह ऊपर अपने कमरे में चला आया। गुड्डू अब पहले की तरह खुश रहने लगा था। ना मन में कोई उलझन थी ना ही किसी तरह की कोई टेंशन बस एक ही परेशानी थी और वो थी गोलू की सगाई , गुड्डू ने रात के खाने के बाद गोलू को फोन लगाया एक दो रिंग जाने के बाद उधर से गोलू ने फोन उठाते ही कहा,”जिस नंबर से तुमहू संपर्क करना चाह रहे हो उह पव्वा टीकाकार अपनी किस्मत को कोसने में व्यस्त है कृपया कल सुबह संपर्क करे”
“अबे गोलू सुनो तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू कहता ही रह गया और गोलू ने फोन काट दिया। गुड्डू ने फ़ोन साइड में रखा और बिस्तर पर आकर लेट गया।

सुबह गुड्डू उठा और नहा धोकर दुकान के लिए निकल गया। मिश्रा जी से उसकी बात-चीत बंद थी और इस बार गुड्डू को मिश्रा जी की नजरो में खुद को ऊपर उठाना ही था। वह अपने काम को लेकर सीरियस था और इन दिनों कोशिश कर रहा की था उस से कोई गड़बड़ ना हो। गुड्डू दुकान पहुंचा तो देखा गोलू अपना सर पकडे बैठा था गुड्डू उसके पास आया और कहा,”का हुआ गोलू सब ठीक है ना ? कल से बड़े परेशान दिखाई दे रहे हो , यार हमको बताओ हम निकालते है कुछो हल”
“का बताये गुड्डू भैया जिंदगी का जी निकला पड़ा है , तुम्हाये पिताजी कभी कभार मूड होने पर पीट दिया करते थे अब तो हमाये पिताजी भी हाथ साफ करने लगे है”,गोलू ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
” तुमहू कुछो गड़बड़ किये होंगे ऐसे तो कोई पिटेगा नहीं तुम्हे”,गुड्डू ने बगल में बैठते हुए कहा तो गोलू उसे खा जाने वाली नजरो से देखने लगा। गोलू को गुस्स्से में देखकर गुड्डू ने कहा,”अच्छा बताओ हुआ का ? हम बात करेंगे तुम्हाये पिताजी से,,,,,,,,,,,,,,,,,,और जे सब छोडो पहिले हमे जे बताओ की तुम्हायी सगाई हो रही है और हमे किसी और से पता चल रहा है”
“सगाई ? किसने कहा आपसे ?”,गोलू ने हैरानी से कहा
“नवरतन कहे रहय तुमहू सूट सिलवाए हो , सगाई के लिए,”गुड्डू ने कहा
“जे नवरतन चचा के पेट में कोनो बात नहीं टिकती , अरे गुड्डू भैया हमे तो पता भी ना है हमाये लिए लड़की देखि जा रही है उह पिताजी कहे रहय नाप दे आओ हमहू दे आये , घर आकर इसी बात पर तो बहस होय रही उनसे”,गोलू ने गुड्डू को बातो में लपेटते हुए कहा
“वही तो हम कह रहे थे गोलू की तुमहू सब कर सकते हो लेकिन हमसे कुछो नहीं छुपाओगे , तब ही तो तुमहू हमाये इतने अच्छे दोस्त हो,,,,,,,,,,,,,,,,चलो अब ये मनहूसियत छोडो और आओ नए आर्डर के काम की लिस्ट बनाते है”,कहते हुए गुड्डू दुकान के अंदर काउंटर की तरफ चला गया”
“यार गुड्डू भैया कितना भरोसा करते है हम पर उनसे पिंकी के बारे में बात छुपाना सही रहेगा क्या ? का करे कुछो समझ भी नहीं आ रहा है ,,,,, !!”,गोलू ने मन ही मन खुद से कहा
“अरे गोलू का हुआ ? अरे आ जाओ नहीं मांगेंगे पार्टी सगाई की”,गुड्डू ने हँसते हुए कहा तो गोलू ने गुड्डू की तरफ देखा और मन ही मन कहा,”हमे माफ कर देना गुड्डू भैया हमहू चाह के भी तुमको सच नहीं बता पा रहे है , एक तरफ हमारा प्यार है तो दूसरी तरफ तुम्हायी दोस्ती”
गोलू अंदर चला आया , लड़का चाय रखकर चला गया। गुड्डू और गोलू ने चाय पी और काम पर लग गए।

मिश्रा जी ने शर्मा जी को मना लिया था लेकिन बात गुप्ता जी की माफ़ी पर आकर अटक गयी थी। उधर गुप्ता जी ने शर्माईन से माफ़ी मांगने के नाम पर गोलू को ही पेल दिया लेकिन माफ़ी के लिए राजी नहीं हुए। गुड्डू अपनी पसंद से शगुन के लिए तोहफा लेकर आया लेकिन अपने हाथो से दे नहीं पाया पर खुश था की वेदी के जरिये ही सही शगुन तक सूट पहुँच गया। सब सही चल रहा था लेकिन जब सब सही चलता है तो किसी ना किसी को चल मचती ही है और यहाँ चूल मची थी गुप्ता जी यानि गोलू के पिताजी को। गोलू ने जिस तरह से उनसे बात की उन्होंने तय कर लिया की गोलू की शादी अब उनकी मर्जी से ही होगी। उसी सुबह उन्होंने केशव पंडित जी को बुलाया और गोलू के लिए रिश्ता बताने को कहा। गुप्ता जी की अच्छी किस्मत कहे या गोलू की बुरी किस्मत , गोलू की कुंडली के हिसाब से कानपूर में ही एक अच्छा रिश्ता गोलू के लिए मिल गया लड़की भी सुन्दर थी गोलू के अम्मा-पिताजी को देखते ही पसंद आ गयी और उन्होंने हाँ कह दी। शाम में गोलू जब घर आया तो उसके पिताजी गुनगुनाते हुए आये और लड़की की फोटो गोलू के सामने लहराते हुए कहा,”हे हे ओह ओह गोलू जे रही तुम्हायी होने वाली दुल्हिन की फोटो जल्दी से देखो और पसंद करो , कल इसको देखने जायेंगे”
गोलू ने फोटो ली और बिना देखे फाड़कर टुकड़े गुप्ता जी को थमा दिए और कहा,”पिताजी आप चाहे तो हमे 100 जूते और मार लीजिये पर हमहू जे शादी नहीं करेंगे”
“शादी तो तुम्हायी इसी लड़की से होगी हम जबान दे चुके है”,गुप्ता जी ने कहा
“सब आपकी जबान का ही नतीजा है उस दिन पिंकिया की मम्मी से कुछो न कहे होते तो आज हमाये बच्चे यहाँ खेल रहे होते”,गोलू बड़बड़ाया
उसे बड़बड़ाता देखकर गुप्ता जी ने कहा,”बेटा तुमहू चाहो या ना चाहो शादी तो तुम्हायी इसी लड़की से होगी , तुमहू देख लो अपने हिसाब से बाकि तुम्हायी लाश को भी अपने साथ ले जाना पड़े तो हम ले जायेंगे”
कहकर गुप्ता जी वहा से चले गए गोलू समझ गया की जोर जबरदस्ती से गुप्ताजी नही मानने वाले , उनके लिए उन्हें कोई और दिमाग लगाना पडेगा। गोलू अपने कमरे में चला आया और यहाँ वहा चक्कर काटने लगा उसके पास अब एक ही रास्ता था और वो था गुड्डू गोलू ने गुड्डू को फोन लगाया और सब बात बतायी तो गुड्डू ने कहा,”जे केशव पंडित ने तो हमायी जिंदगी में भी काफी चरस बो रखी है इनसे बदला लेने का जे सही टाइम है तुमहू 10 मिनिट में चौक पर मिलो हमहू आते है”

शाम के 7 बज रहे थे गोलू और गुड्डू केशव पंडित के घर पहुंचे। केशव पंडित अपने पूजा घर में आँखे मूंदकर बैठे थे। घर में आज पंडित जी अकेले ही थे बाकी सब तो कही बाहर गए हुए थे उन्होंने पूजा खत्म करके जैसे ही आँखे खोली सामने गुड्डू और गोलू को बैठा देखकर हैरान हो गए और कहा,”तुम दोनों तिकड़मबाज हिया का कर रहे हो “?
“आपको कुछो देने आये है पंडित जी”,गुड्डू ने गोलू की तरफ देखते हुए कहा
“हमे का देने आये हो ?”,पंडित जी ने हैरानी से कहा
“उह का है ना पंडित जी बचपन से आप हमाये और हमाये पिताजी के लिए इतना सब किये , हर शुभ काम में उनके साथ रहे , सब अच्छा अच्छा किया और बदले में मिली आपको छोटी सी दक्षिणा ,, का होता है थोड़ी सी दक्षिणा में तो सोचा क्यों ना हम दोनों मिलकर आपको कुछो दे”,गुड्डू ने कहा
“जे तो बहुते पुण्य का काम है गुड्डू गोलू , का देना चाहते हो ?”,केशव पंडित ने खुश होकर कहा
गुड्डू मुस्कुराया और जेब से कट्टा (छोटी बन्दुक जो की नकली थी ) निकालकर केशव पंडित के सामने रख दी और कहा,”जे इसकी 6 की 6 गोलिया आपके लिए ,, बताओ कैसे खाना चाहोगे ?”
कट्टा देखते ही केशव पंडित घबरा गया और कहा,”जे जे जे का कर रहे हो गुड्डू हम तुम्हाये पिताजी की की उम्र के है , जे खेलने की चीज थोड़ी है अंदर रखो इसे चल जायेगा”
“अच्छा और आप जो चरस हमायी जिंदगी में बोये उसका का ? जीना हराम कर रखा है आपने हम सबका ,, का जरूरत थी गोलू के लिए रिश्ता ढूंढने की और ढूंढना ही था तो पहले गोलू से तो पूछ लेते की उह शादी के लिए तैयार है की नहीं , थमा आये इनके बाप को लड़की की फोटो और इनके बाप पड़े है इनके पीछे”,गुड्डू ने कहा
“तो इसमें हम का कर सकते है गुड्डू बेटा , हमारा तो काम है जे और हमायी रोजी रोटी भी इसी से चलती है और फिर शादी करवाना तो पुण्य का काम है ना”,केशव पंडित ने डरते डरते हुए कहा
“अरे पुण्य का काम है तो उनकी करवाओ ना जो 36 के हो गए है और अभी तक खुले सांड बनके घूम रहे है , हमयी उम्र अभी 24-25 है कहा हमायी शादी के पीछे पड़े है आप”,गुड्डू ने कहा
“पर तुम्हई शादी भी तो हमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,केशव पंडित ने जैसे ही कहना चाहा गोलू ने बात सम्हालते हुए कहा,”अरे इनको छोडो हमायी सुनो अगर जे रिश्ता हुआ ना तो एक बात सुन ल्यो हमयी घरवाली की डोली और तुम्हायी अर्थी साथ उठेगी ,, फिर हम रखवाएंगे सत्यनारायण की पूजा अपने घर में और तुम्हाये घर में शांति पाठ”
गोलू की धमकी से केशव पंडित डर गया क्योकि आजकल के लड़को का कोई भरोसा नहीं था , कब क्या कर बैठे इसलिए मिमियाते हुए कहा,”तो अब तुम्ही बता दो का करना है ?”
गुड्डू उन्हें साइड में लेकर आया और सारी बात समझाकर कहा,”आपको ज्यादा कुछो करना नहीं है हमने जो हमने जो जो कहा है वो कल सुबह आकर गोलू के पिताजी से कह देना बस”
“ठीक है हम कह देंगे लेकिन पहले हमसे वादा करो आज के बाद ऐसे कट्टा लेकर हमाये घर नहीं घुसोगे”,केशव पंडित ने कहा
गुड्डू मुस्कुराया और कहा,”आपके घर में बच्चे है ?”
“हाँ है”,केशव पंडित ने हैरानी से कहा
“हाँ तो उह कट्टा ना उनको दे देना तिकड़ी चलाने के काम आएगा का है की उह सिर्फ दिवाली पर काम आता है या फिर कमजोर दिलवालो को डराने के लिये”,गुड्डू ने कहा तो केशव पंडित को समझ आया की गोलू और गुड्डू उसे सिर्फ डरा रहे थे।
“दुष्ट इसका मतलब अब तक तुम दोनों हमे डरा रहे थे , रुको अभी तुम्हाये पिताजी को फोन करके बताते है”,केशव पंडित ने कहा तो गोलू ने कहा,”ठीक है बताय दयो हमहू भी जाकर पंडिताईन को बता देते है की पनघट वाली गली में कोनसा प्रवचन सुनने जाते हो आप , वैसे हमाये पास उसका पूरा विडिओ भी है का वॉट्सप कर दे का आपको ?”
केशव पंडित ने सूना तो उसे याद आया की हर शनिवार शाम में वे अपने दोस्तों के साथ ताश खेलते हुए कभी कभार सुट्टा लगा लेते है। उनके चेहरे का उड़ा रंग देखकर गोलू उनके पास आया और कहा,”पंडित जी जे कानपूर है और हिया की हर चौथी गली में एक ठो रंगबाज तो मिल ही जाता है ,,,,,,,, गुड्डू भैया ने जो कहा है उह याद रखियेगा वरना आपकी फिल्म बना के पोस्टर छपवा देंगे , चलो गुड्डू भैया”
कहकर गोलू और गुड्डू वहा से निकल गए बेचारे केशव पंडित इन दोनो के बीच बुरे फंसे

मिश्रा जी से पीटकर गोलू अपने घर पहुंचा उसे लगा अपने पिताजी की गलती जब वह उनके सामने कहेगा तो गोलू के पिताजी शर्मिन्दा होकर गोलू की बात मान लेंगे लेकिन यहाँ मामला उलटा पड़ गया गोलू के पिताजी ने गोलू को ही सूत दिया। गुड्डू गोलू से मिलने आया लेकिन गोलू को ऐसी हालत में देखकर गुड्डू वापस अपने घर की ओर निकल गया। रास्ते भर गुड्डू गोलू के बारे में सोचता रहा,”जे साला गोलू हर बात हमे बताता था लेकिन अपनी शादी की बात हमे काहे नहीं बताई ? हो सकता है भूल गया हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,या बताना ही नहीं चाहता हो,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता , गोलू हमसे बहुते प्यार करता है हमसे कोई बात नहीं छुपाता,,,,,,,,तुमहू खामखा जियादा सोच रहे हो गुड्डू गोलू तुमसे कभी कोई बात नहीं छूपायेगा”
गुड्डू घर आया बाइक साइड में लगाईं और अंदर चला आया हाथ मुंह धोते हुए उसने आवाज लगाईं,”अम्मा चाय”
हाथ मुंह धोकर उसने तौलिये से पोछते हुए , तौलिये को वही कुर्सी के हत्थे पर डाल दिया और जैसे ही पलटा शगुन चाय लेकर खड़ी थी गुड्डू कुछ कहता इस से पहले ही शगुन ने कहा,”आपकी चाय”
“एक अच्छी पत्नी बनने के सारे गुण दिखाई दे रहे है तुम में , शगुन गुप्ता”,गुड्डू ने शगुन के हाथ से चाय लेते हुए कहा। शगुन गुड्डू की बात का जवाब दे पाती इस से पहले ही वेदी अपने हाथो में दो तीन कुर्तियां लेटकर आयी और कहा,”गुड्डू भैया जे आप हमाये लिए लाये थे ना , बहुते सुन्दर है”
“नहीं जे तो हम श,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां हां तुम्हाये लिए ही लाये थे अपने पैसो से”,गुड्डू शगुन का नाम लेना चाहता था लेकिन मिश्रा जी को वहा से गुजरते देखा तो तुरंत अपनी बात बदल दी और वेदी का नाम ले दिया। हलाकि गुड्डू वह कपडे शगुन के लिए लेकर आया था लेकिन वेदी और मिश्रा जी के सामने कैसे कहता ? बेबस सा गुड्डू शगुन को देखने लगा तो वेदी ने दो कुर्ती अपने पास रखी और एक लॉन्ग सूट शगुन की तरफ बढ़ाकर कहा,”ये आप पहनना आप पर ज्यादा अच्छा लगेगा।”
गुड्डू के दिल को तसल्ली मिली सारे ना सही कम से कम एक तो शगुन को मिला। शगुन ने देखा लाल रंग के सूट में गले और बाजुओं पर गुलाबी रंग की कसीदाकारी की हुई थी जो की देखने में काफी अच्छी भी लग रही थी। शगुन को वह बहुत पसंद आया और उसने गुड्डू की तरफ देखकर कहा,”थैंक्यू”
जवाब में गुड्डू मुस्कुरा दिया देखा मिश्रा जी उसे ही देख रहे है तो नजरे बचाकर वह ऊपर अपने कमरे में चला आया। गुड्डू अब पहले की तरह खुश रहने लगा था। ना मन में कोई उलझन थी ना ही किसी तरह की कोई टेंशन बस एक ही परेशानी थी और वो थी गोलू की सगाई , गुड्डू ने रात के खाने के बाद गोलू को फोन लगाया एक दो रिंग जाने के बाद उधर से गोलू ने फोन उठाते ही कहा,”जिस नंबर से तुमहू संपर्क करना चाह रहे हो उह पव्वा टीकाकार अपनी किस्मत को कोसने में व्यस्त है कृपया कल सुबह संपर्क करे”
“अबे गोलू सुनो तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू कहता ही रह गया और गोलू ने फोन काट दिया। गुड्डू ने फ़ोन साइड में रखा और बिस्तर पर आकर लेट गया।सुबह गुड्डू उठा और नहा धोकर दुकान के लिए निकल गया। मिश्रा जी से उसकी बात-चीत बंद थी और इस बार गुड्डू को मिश्रा जी की नजरो में खुद को ऊपर उठाना ही था। वह अपने काम को लेकर सीरियस था और इन दिनों कोशिश कर रहा की था उस से कोई गड़बड़ ना हो। गुड्डू दुकान पहुंचा तो देखा गोलू अपना सर पकडे बैठा था गुड्डू उसके पास आया और कहा,”का हुआ गोलू सब ठीक है ना ? कल से बड़े परेशान दिखाई दे रहे हो , यार हमको बताओ हम निकालते है कुछो हल”
“का बताये गुड्डू भैया जिंदगी का जी निकला पड़ा है , तुम्हाये पिताजी कभी कभार मूड होने पर पीट दिया करते थे अब तो हमाये पिताजी भी हाथ साफ करने लगे है”,गोलू ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
” तुमहू कुछो गड़बड़ किये होंगे ऐसे तो कोई पिटेगा नहीं तुम्हे”,गुड्डू ने बगल में बैठते हुए कहा तो गोलू उसे खा जाने वाली नजरो से देखने लगा। गोलू को गुस्स्से में देखकर गुड्डू ने कहा,”अच्छा बताओ हुआ का ? हम बात करेंगे तुम्हाये पिताजी से,,,,,,,,,,,,,,,,,,और जे सब छोडो पहिले हमे जे बताओ की तुम्हायी सगाई हो रही है और हमे किसी और से पता चल रहा है”
“सगाई ? किसने कहा आपसे ?”,गोलू ने हैरानी से कहा
“नवरतन कहे रहय तुमहू सूट सिलवाए हो , सगाई के लिए,”गुड्डू ने कहा
“जे नवरतन चचा के पेट में कोनो बात नहीं टिकती , अरे गुड्डू भैया हमे तो पता भी ना है हमाये लिए लड़की देखि जा रही है उह पिताजी कहे रहय नाप दे आओ हमहू दे आये , घर आकर इसी बात पर तो बहस होय रही उनसे”,गोलू ने गुड्डू को बातो में लपेटते हुए कहा
“वही तो हम कह रहे थे गोलू की तुमहू सब कर सकते हो लेकिन हमसे कुछो नहीं छुपाओगे , तब ही तो तुमहू हमाये इतने अच्छे दोस्त हो,,,,,,,,,,,,,,,,चलो अब ये मनहूसियत छोडो और आओ नए आर्डर के काम की लिस्ट बनाते है”,कहते हुए गुड्डू दुकान के अंदर काउंटर की तरफ चला गया”
“यार गुड्डू भैया कितना भरोसा करते है हम पर उनसे पिंकी के बारे में बात छुपाना सही रहेगा क्या ? का करे कुछो समझ भी नहीं आ रहा है ,,,,, !!”,गोलू ने मन ही मन खुद से कहा
“अरे गोलू का हुआ ? अरे आ जाओ नहीं मांगेंगे पार्टी सगाई की”,गुड्डू ने हँसते हुए कहा तो गोलू ने गुड्डू की तरफ देखा और मन ही मन कहा,”हमे माफ कर देना गुड्डू भैया हमहू चाह के भी तुमको सच नहीं बता पा रहे है , एक तरफ हमारा प्यार है तो दूसरी तरफ तुम्हायी दोस्ती”
गोलू अंदर चला आया , लड़का चाय रखकर चला गया। गुड्डू और गोलू ने चाय पी और काम पर लग गए।मिश्रा जी ने शर्मा जी को मना लिया था लेकिन बात गुप्ता जी की माफ़ी पर आकर अटक गयी थी। उधर गुप्ता जी ने शर्माईन से माफ़ी मांगने के नाम पर गोलू को ही पेल दिया लेकिन माफ़ी के लिए राजी नहीं हुए। गुड्डू अपनी पसंद से शगुन के लिए तोहफा लेकर आया लेकिन अपने हाथो से दे नहीं पाया पर खुश था की वेदी के जरिये ही सही शगुन तक सूट पहुँच गया। सब सही चल रहा था लेकिन जब सब सही चलता है तो किसी ना किसी को चल मचती ही है और यहाँ चूल मची थी गुप्ता जी यानि गोलू के पिताजी को। गोलू ने जिस तरह से उनसे बात की उन्होंने तय कर लिया की गोलू की शादी अब उनकी मर्जी से ही होगी। उसी सुबह उन्होंने केशव पंडित जी को बुलाया और गोलू के लिए रिश्ता बताने को कहा। गुप्ता जी की अच्छी किस्मत कहे या गोलू की बुरी किस्मत , गोलू की कुंडली के हिसाब से कानपूर में ही एक अच्छा रिश्ता गोलू के लिए मिल गया लड़की भी सुन्दर थी गोलू के अम्मा-पिताजी को देखते ही पसंद आ गयी और उन्होंने हाँ कह दी। शाम में गोलू जब घर आया तो उसके पिताजी गुनगुनाते हुए आये और लड़की की फोटो गोलू के सामने लहराते हुए कहा,”हे हे ओह ओह गोलू जे रही तुम्हायी होने वाली दुल्हिन की फोटो जल्दी से देखो और पसंद करो , कल इसको देखने जायेंगे”
गोलू ने फोटो ली और बिना देखे फाड़कर टुकड़े गुप्ता जी को थमा दिए और कहा,”पिताजी आप चाहे तो हमे 100 जूते और मार लीजिये पर हमहू जे शादी नहीं करेंगे”
“शादी तो तुम्हायी इसी लड़की से होगी हम जबान दे चुके है”,गुप्ता जी ने कहा
“सब आपकी जबान का ही नतीजा है उस दिन पिंकिया की मम्मी से कुछो न कहे होते तो आज हमाये बच्चे यहाँ खेल रहे होते”,गोलू बड़बड़ाया
उसे बड़बड़ाता देखकर गुप्ता जी ने कहा,”बेटा तुमहू चाहो या ना चाहो शादी तो तुम्हायी इसी लड़की से होगी , तुमहू देख लो अपने हिसाब से बाकि तुम्हायी लाश को भी अपने साथ ले जाना पड़े तो हम ले जायेंगे”
कहकर गुप्ता जी वहा से चले गए गोलू समझ गया की जोर जबरदस्ती से गुप्ताजी नही मानने वाले , उनके लिए उन्हें कोई और दिमाग लगाना पडेगा। गोलू अपने कमरे में चला आया और यहाँ वहा चक्कर काटने लगा उसके पास अब एक ही रास्ता था और वो था गुड्डू गोलू ने गुड्डू को फोन लगाया और सब बात बतायी तो गुड्डू ने कहा,”जे केशव पंडित ने तो हमायी जिंदगी में भी काफी चरस बो रखी है इनसे बदला लेने का जे सही टाइम है तुमहू 10 मिनिट में चौक पर मिलो हमहू आते है”शाम के 7 बज रहे थे गोलू और गुड्डू केशव पंडित के घर पहुंचे। केशव पंडित अपने पूजा घर में आँखे मूंदकर बैठे थे। घर में आज पंडित जी अकेले ही थे बाकी सब तो कही बाहर गए हुए थे उन्होंने पूजा खत्म करके जैसे ही आँखे खोली सामने गुड्डू और गोलू को बैठा देखकर हैरान हो गए और कहा,”तुम दोनों तिकड़मबाज हिया का कर रहे हो “?
“आपको कुछो देने आये है पंडित जी”,गुड्डू ने गोलू की तरफ देखते हुए कहा
“हमे का देने आये हो ?”,पंडित जी ने हैरानी से कहा
“उह का है ना पंडित जी बचपन से आप हमाये और हमाये पिताजी के लिए इतना सब किये , हर शुभ काम में उनके साथ रहे , सब अच्छा अच्छा किया और बदले में मिली आपको छोटी सी दक्षिणा ,, का होता है थोड़ी सी दक्षिणा में तो सोचा क्यों ना हम दोनों मिलकर आपको कुछो दे”,गुड्डू ने कहा
“जे तो बहुते पुण्य का काम है गुड्डू गोलू , का देना चाहते हो ?”,केशव पंडित ने खुश होकर कहा
गुड्डू मुस्कुराया और जेब से कट्टा (छोटी बन्दुक जो की नकली थी ) निकालकर केशव पंडित के सामने रख दी और कहा,”जे इसकी 6 की 6 गोलिया आपके लिए ,, बताओ कैसे खाना चाहोगे ?”
कट्टा देखते ही केशव पंडित घबरा गया और कहा,”जे जे जे का कर रहे हो गुड्डू हम तुम्हाये पिताजी की की उम्र के है , जे खेलने की चीज थोड़ी है अंदर रखो इसे चल जायेगा”
“अच्छा और आप जो चरस हमायी जिंदगी में बोये उसका का ? जीना हराम कर रखा है आपने हम सबका ,, का जरूरत थी गोलू के लिए रिश्ता ढूंढने की और ढूंढना ही था तो पहले गोलू से तो पूछ लेते की उह शादी के लिए तैयार है की नहीं , थमा आये इनके बाप को लड़की की फोटो और इनके बाप पड़े है इनके पीछे”,गुड्डू ने कहा
“तो इसमें हम का कर सकते है गुड्डू बेटा , हमारा तो काम है जे और हमायी रोजी रोटी भी इसी से चलती है और फिर शादी करवाना तो पुण्य का काम है ना”,केशव पंडित ने डरते डरते हुए कहा
“अरे पुण्य का काम है तो उनकी करवाओ ना जो 36 के हो गए है और अभी तक खुले सांड बनके घूम रहे है , हमयी उम्र अभी 24-25 है कहा हमायी शादी के पीछे पड़े है आप”,गुड्डू ने कहा
“पर तुम्हई शादी भी तो हमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,केशव पंडित ने जैसे ही कहना चाहा गोलू ने बात सम्हालते हुए कहा,”अरे इनको छोडो हमायी सुनो अगर जे रिश्ता हुआ ना तो एक बात सुन ल्यो हमयी घरवाली की डोली और तुम्हायी अर्थी साथ उठेगी ,, फिर हम रखवाएंगे सत्यनारायण की पूजा अपने घर में और तुम्हाये घर में शांति पाठ”
गोलू की धमकी से केशव पंडित डर गया क्योकि आजकल के लड़को का कोई भरोसा नहीं था , कब क्या कर बैठे इसलिए मिमियाते हुए कहा,”तो अब तुम्ही बता दो का करना है ?”
गुड्डू उन्हें साइड में लेकर आया और सारी बात समझाकर कहा,”आपको ज्यादा कुछो करना नहीं है हमने जो हमने जो जो कहा है वो कल सुबह आकर गोलू के पिताजी से कह देना बस”
“ठीक है हम कह देंगे लेकिन पहले हमसे वादा करो आज के बाद ऐसे कट्टा लेकर हमाये घर नहीं घुसोगे”,केशव पंडित ने कहा
गुड्डू मुस्कुराया और कहा,”आपके घर में बच्चे है ?”
“हाँ है”,केशव पंडित ने हैरानी से कहा
“हाँ तो उह कट्टा ना उनको दे देना तिकड़ी चलाने के काम आएगा का है की उह सिर्फ दिवाली पर काम आता है या फिर कमजोर दिलवालो को डराने के लिये”,गुड्डू ने कहा तो केशव पंडित को समझ आया की गोलू और गुड्डू उसे सिर्फ डरा रहे थे।
“दुष्ट इसका मतलब अब तक तुम दोनों हमे डरा रहे थे , रुको अभी तुम्हाये पिताजी को फोन करके बताते है”,केशव पंडित ने कहा तो गोलू ने कहा,”ठीक है बताय दयो हमहू भी जाकर पंडिताईन को बता देते है की पनघट वाली गली में कोनसा प्रवचन सुनने जाते हो आप , वैसे हमाये पास उसका पूरा विडिओ भी है का वॉट्सप कर दे का आपको ?”
केशव पंडित ने सूना तो उसे याद आया की हर शनिवार शाम में वे अपने दोस्तों के साथ ताश खेलते हुए कभी कभार सुट्टा लगा लेते है। उनके चेहरे का उड़ा रंग देखकर गोलू उनके पास आया और कहा,”पंडित जी जे कानपूर है और हिया की हर चौथी गली में एक ठो रंगबाज तो मिल ही जाता है ,,,,,,,, गुड्डू भैया ने जो कहा है उह याद रखियेगा वरना आपकी फिल्म बना के पोस्टर छपवा देंगे , चलो गुड्डू भैया”
कहकर गोलू और गुड्डू वहा से निकल गए बेचारे केशव पंडित इन दोनो के बीच बुरे फंसे

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संजना किरोड़ीवाल

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