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मनमर्जियाँ – S60

Manmarjiyan – S60

मनमर्जियाँ – S60

गोलू के कहने पर मिश्रा जी शर्मा जी को पिंकी और गोलू की शादी के लिए मना लिए लेकिन उनके सामने नयी समस्या ये थी की शादी से पहले गुप्ता जी को मांगनी थी पिंकी की मम्मी से माफ़ी ,, अब जिस तरह का कांड गोलू के पिताजी ने अतीत में किया था उस हिसाब से वर्तमान में तो गोलू को पिटना ही था। शाम में में गोलू जब मिश्रा जी से मिलने आया तो मिश्रा जी ने सामने पड़ी बाटा की चप्पल लेकर आने को कहा। गोलू भी निपट मुर्ख प्राणी ले भी आया उसके बाद मिश्रा जी उसे देखा और पीठ पर तीन चार चप्पल जमाते हुए कहा,”तुमको का हम दलाल दिखते है गोलू जो तुम्हारा रिश्ता लगाते फिरेंगे , और तुमहू तो रंगबाज थे सो थे तुम्हाये पिताजी तुमसे भी बड़े आशिक़ निकले ,, का जरूरत थी शर्मा जी की धर्मपत्नी से मसखरी करने की पड़ गयी ना भारी। साला हमे पतो होतो तो हमहू कबो ना बात करि तुम्हाये रिश्ते की। पहिले अपने घर को सम्हालो बाद में शादी का सोचना ,, चले है फेरे खाने”
“अरे हुआ का चचा ? और हमाये पिताजी का कांड किये हमे का पता ?”,गोलू ने अपनी पीठ सहलाते हुए कहा
“का हुआ है शर्मा शर्त रखे है शादी की तुम्हाये पिताजी जाकर उनकी पत्नी से माफ़ी मांगे तभी जे रिश्ता मंजूर करेंगे वरना नहीं ,, आज तक कानपूर में किसी की हिम्मत ना हुई हमाये सामने शर्त रखने की पर तुम्हायी वजह से का का देखना पड़ रहा हमको ,,, कसम से गोलू अगर वचन दिए नहीं रहते ना कबो ना करते जे सब”, मिश्रा जी ने कहा , गोलू को जब सारी बात पता चली तो उसे बहुत गुस्सा आया अपने पिताजी पर लेकिन उनसे निपटने से पहले गोलू को मिश्रा जी का गुस्सा ठंडा करना था इसलिए वह उनके पास आया और कहा,”अरे चचा लेकिन जे सब आप गुड्डू भैया के लिए भी तो कर ही रहे हो ना , और आपको एक बात बताये गुड्डू भैया कल ही हमसे पिंकिया के बारे में पूछ रहे थे (गोलू ने मिश्रा जी को अपनी बातो में लपेटते हुए कहा) हमे नहीं लगता गुड्डू भैया इतनी आसानी से पिंकिया को भूल जायेंगे ,, लेकिन अगर बार अगर उन्होंने पिंकिया को शादी करते देख लिया तो फिर सब अपने आप क्लियर हो जाएगा”
गोलू का झूठ काम कर गया मिश्रा जी उसकी बातो के झांसे में आ गए और कहा,”वो सब तो ठीक है लेकिन जे पिंकिया का बाप माने तब ना , साला लडके वाले हम है शर्त उह रहा है”
“हां तो मानेंगे ना”,गोलू ने तपाक से कहा
“कैसे ? तुम्हाये पिताजी से माफ़ी कौन मंगवाएगा ?”,मिश्रा जी ने कहा
“वो सब हम कर लेंगे चचा बस आप शर्मा जी हमारा मतलब पिंकिया के पापा को मना लो”,गोलू ने आसभरे शब्दों में कहा
“देखो गोलू तुम्हायी शादी ना अब सिर्फ तुम्हाये पिताजी की माफ़ी पर टिकी है”,मिश्रा जी ने थोड़ा सीरियस होकर कहा
“वो सब हम देख लेंगे भरोसा है ना हम पर”,गोलु ने मिश्रा जी से आँखे मिलाते हुए कहा
“अगर 100 रूपये वाले स्टाम्प पर साइन करके देओ ना तब भी भरोसा नहीं होगा तुम पर , बाकि शादी तुम्हारी है मना सको तो मनाय ल्यो वरना अगले साल टेंट लगाते घूमना अपनी पिंकिया की शादी का ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चाय पीनी है तो अंदर आ जाओ वरना दफा हो जाओ”,कहते हुए मिश्रा जी अंदर चले गए
गोलू कुछ देर सोच में डूबा रहा और फिर अंदर चला आया। मिश्रा जी के कहने पर मिश्राइन ने चाय चढ़ा दी। शगुन को गोलू से बात करनी थी इसलिए उसे चाय देने शगुन खुद आयी। गोलू को चाय देते हुए शगुन उसे साइड में लेकर आयी और कहा,”गोलू जी बात आगे बढ़ी ? क्या कहा पापा जी ने , वो मिले थे पिंकी के पापा से ? गोलू जी बताईये ना क्या हुआ ?”
“अरे होना का है भाभी ? हमे लगा कानपूर में सिर्फ हमने ही अपनी जिंदगी में चरस बोई है लेकिन हमाये पिताजी ने हम से भी ज्यादा कबाड़ा किया हुआ है हमायी जिंदगी का”,गोलू ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
“मैं कुछ समझी नहीं”,शगुन ने हैरानी से कहा तो गोलू ने उसे सारी बात बता दी। शगुन ने सूना तो उसे भी बहुत बुरा लगा और उसने कहां,”अब पिंकी के पापा को मनाने के लिए आपके पापा को उनसे माफ़ी मांगनी होगी और आपके पापा को शर्मा जी बिल्कुल पसंद नहीं है ,,,,,,,,, ये गुत्थी तो सुलझने के बजाय और उलझती जा रही है गोलू जी अब क्या होगा ?”
“अब होगा तांडव और उह करेंगे हमाये पिताजी , बहुत नचाया है उन्होंने हमे अपने नाच पर अब हमारी बारी”,गोलू ने सोचते हुए कहा लेकिन शगुन को यहाँ डर लग रहा था की गोलू कही मामले को और ना बिगाड़ दे। उसने गोलू को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक गोलू वहा से निकल गया। उसी वक्त गुड्डू अपनी बाइक लिए घर में आया उसने गोलू को वहा देखा तो थोड़ी हैरानी हुई वह अंदर आया सीढ़ियों पर शगुन मिल गयी तो गुड्डू ने कहा,”ये गोलू यहाँ क्यों आया था ? और इतनी जल्दी में कहा जा रहा है ?”
“पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब अंकल जी से मिलने आया था”,शगुन ने जल्दबाजी ने कहा
“हमने देखा तुमसे कुछो बात कर रहा था वो , का कह रहा था ?”,गुड्डू ने शगुन के चेहरे के बदलते भावो को देखकर पूछा
“वो वो ,,,,,,,,,,,, वो गोलू जी कह रहे थे की यहाँ के गोलगप्पे बड़े अच्छे है , तो खाने चलेंगी क्या ? बस यही पूछ रहा था”,शगुन के दिमाग में उस वक्त जो आया उसने वो बोल दिया। गुड्डू ने सूना तो मुस्कुराया और कहा,”अरे वो तो हम भी खिला देंगे तुम्हे बताओ कब चलना है ?”
“जाना वाना बाद में पहिले जाकर नवरतन को जे पैसे पहुंचाकर आओ”,मिश्रा ने लिफाफा गुड्डू की तरफ बढाकर कहा और शगुन को वहा देखा तो कहा,”अरे बिटिया तुमहू हिया का कर रही जाओ अंदर जाओ”
“जी”,कहकर शगुन वहा शगुन वहा से चली गयी। गुड्डू को इस वक्त मिश्रा जी पर खुन्नस हुई कहा वह शगुन को बाहर ले जाने की सोच रहा था और कहा मिश्रा जी उसे फिर से बाहर भेज रहे थे। गुड्डू को सोच में डूबा देखकर मिश्रा ने कहा,”मुहूर्त निकलवा दे बेटा ? के ऐसे ही चले जाओगे ?”
“हाँ जा रहे है”,कहते हुए गुड्डू ने बेमन से लिफाफा लिया और जींस की पॉकेट में डाल लिया और नवरतन की दुकान पर चला गया। दुकान पहुंचकर गुड्डू ने देखा नवरत्न कोई सिलाई में बिजी है उसने जेब से लिफाफा निकालकर उसकी सिलाई मशीन पर रखते हुए कहा,”जे पिताजी भिजवाए है आपके लिए”
नवरत्न ने गुड्डू की बात पर ध्यान नहीं दिया तो गुड्डू ने फिर से कहा,”चचा जे रूपये भिजवाए है पिताजी ने , देख ल्यो फिर हमहू जाए”
“अरे गुड्डू रुको यार बहुते जरुरी काम लगे है ठहरो जरा”,नवरत्न ने कहा
“ऐसा कोनसा जरूरी काम है ? और जे किसका सूट सिल रहे हो ?”,गुड्डू ने कहा
“का तुमको नहीं पता ?”,इस बार नवरतन ने गुड्डू की और देखकर कहा
“का नहीं पता ?”,गुड्डू ने भी हैरानी से पूछा
“का सच में नहीं पता जे सूट किसका है ?”,नवरत्न ने कहा
“अरे यार तुमहू का कौन बनेगा करोड़पति खेलने बैठे हो हमारे साथ ? खुद ही काहे नहीं बता देते किसका है जे ?”,गुड्डू ने खीजते हुए कहा
“तुम्हाये परम मित्र गोलू का”,नवरतन ने कहा
“का गोलू का ? उह काहे सूट सिलवा रहा है ?”,गुड्डू ने कहा
“लो कर लो बात , मतलब तुमहू सच में गोलू के दोस्त ही हो ना गुड्डू , अरे कल गोलू लड़की देखने जा रहा है तुम्हे नहीं बताया उसने ?”,नवरतन ने कहा तो गुड्डू को अजीब लगा की गोलू ने उस से ये बात क्यों छुपाई ? उसने नवरत्न को पैसे दिए और वहा से बाइक लेकर सीधा निकल गया गोलू के घर की तरफ !

गोलू अपने घर पहुंचा तो उसकी अम्मा ने कहा,”अरे आ गए गोलू बेटा आज तो तुम्हायी पसंद का हलवा बना है जरा चखकर बताओ कैसा है ?”
“अम्मा तुम्हाये पति ने हमयी जिंदगी में चरस बो रखी है तुमहू हमे हलवा खिला रही हो , पहिले इह बताओ पिताजी कहा है ?”,गोलू ने खीजते हुए कहा
“हमहू हिया है , अब कौनसा तूफ़ान आ गवा हमयी वजह से तुम्हायी जिंदगी में जो ऐसे एक पैर पर नाच रहे हो तुम ? बताओ जरा हम भी तो सुने”,गुप्ता जी ने आँगन में पड़ी कुर्सी पर बैठे बैठे दांत घिसते हुए कहा
“तूफ़ान ?,,,,,,,,,,,,,,,अरे जे कहो की आप शनि बनके हमायी कुंडली में बैठ गए है ,, वहा पिंकिया के बाप शादी के लिए मानने ही वाले थे की आपकी वजह से उन्होंने ना कह दिया”,गोलू ने अपने पिताजी से कहा
“जे तो पहली बार कोई ढंग का काम किया है उसने , का है की बेटा उह नहीं करते ना तो हमहू मना कर देते”,गुप्ता जी ने कुल्ला करते हुए कहा
“आप तो मना तब करेंगे ना जब उनके सामने जाने लायक रहेंगे”,गोलू ने गुस्से से दबी आवाज में कहा
“का मतलब ?”,गुप्ता जी ने गोलू की तरफ देखकर कहा
“होली वाले दिन का कांड किये थे शर्मा जी घर में जाकर बताये अम्मा को ?’,गोलू ने सीधा सीधा अपने ही बाप को धमकी दे डाली
“को को कौनसा कांड ? हम हम तो होली खेलते ही नहीं है”,गुप्ता जी की जबान थोड़ी सी लड़खड़ाई
“अच्छा जब कुछो किया नहीं है तो फिर जबान काहे लड़खड़ा रही है आपकी , हमे सब पता है पिताजी आप जो हमयी होने वाली सास से जिस भासा में बात किये हो हम सब जानते है”,गोलू ने कहा तो पहली बार गुप्ता जी थोड़े नरम पड़े और कहा,”गोलू बेटा हमायी बात सुनो उह न बहुते पुरानी बात है और फिर होली में मस्ती मजाक में हो जाता है जे सब”
लेकिन गोलू महाराज कहा सुनने वाले थे अपने पिताजी को नरम पड़ता देख वो आ गए अपनी फोम में और कहने लगे,”वाह पिताजी वाह खुद पुरे बगीचे पर नजर रखे थे हम उस बगीचे का आम भी ना खाये ,, कहा गए आपके उसूल , आपके संस्कार , आपकी मर्यादा ,, अरे एक लड़की से प्यार किये रहय अपनी जिंदगी में उसकी भी अम्मा को छेड़ कर आ गए आप का सोचे गोलू खुश होगा , शाबासी देगा ,, आपने शर्मा जी की घरवाली को नहीं मेरी होने वाली सासु माँ को छेड़ा है पिताजी अब इसकी एक ही सजा है की चलकर उनसे माफ़ी मांग लो और हमायी शादी पिंकिया से करवा दयो”
गोलू की बात सुनकर गुप्ता जी मुस्कुराए और गोलू के पास आये गोलू को लगा गुप्ता जी डर गए वह मन ही मन में खुश ,,,,,,,,,,,,, पर देखो का है की बाप बाप होता है , उन्होने गोलू का हाथ पकड़ा , मरोड़कर पीठ से लगाया , अपने पैर में पहनी पैरागोन की चप्पल निकाली और गोलू की तशरीफ़ लाल करते हुए कहा,”का बे नौटंकी कर रहे हो हमाये साथ , साले बाप के सामने बकैती करोगे और हमहू चुपचाप सुनेंगे का नौटंकी वाला समझे हो हमको ,, बेटा खाल उधेड़ धोलक बना देंगे और बजायेंगे बहुते जोर से ,, हमसे जबान लड़ाएंगे”
कहते हुए गोलू की सुताई कर दी। गोलू पैर पसारे जमीन पर उजड़े चमन की तरह बैठा था गुप्ता जी वहा से चले गए। अगले ही पल गुड्डू आया। गोलू को ऐसे देखकर गुड्डू उसके उसके पास आया और कहा,”अबे गोलू ऐसे काहे बैठे हो का हुआ भाई ?”
गोलू सुन्न , आँखे खुली की खुली मुंह फाडे बैठा रहा एक शब्द नहीं कहा। गुड्डू ने उसे हिलाते हुए कहा,”अबे हुआ क्या ? कुछ तो बोल”
गुड्डू का हाथ लगते ही गोलू मुंह फाड़कर रोने लगा,”आह्ह्ह्हह आह्ह्ह्हह अह्हह्ह्ह”
बेचारे गुड्डू को कुछ नहीं आ रहा था। उसने खींचकर एक थप्पड़ गोलू के गाल पर रसीद किया और कहा,”अबे कौन मर गया ?”
“हमको हमायी ददिया के पास जाना है , हमको हिया नहीं रहना है। आह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह”,गोलू ने गला फाड़कर रोते हुए कहा
“गोलू हुआ का वो तो बताओ”,गुड्डू ने परेशानी भरे स्वर में कहा तो गोलू रोते हुए कहने लगा,”पहिले तुम्हाये पिताजी हम पर हाथ साफ किये , फिर हमाये वाले और रही सही कसर आपने पूरी कर दी , हम कोई मंदिर का घंटा है जो बजाते रहते हो हमे”
“अरे गोलू सॉरी वो तुमहू सुन नहीं रहे थे इसलिए हमने सॉरी भाई,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“अरे तुम्हायी वाली मार झेल लेंगे लेकिन हमाये बाप का कुछो करो यार बहुते बुरा मारता है यार ये आदमी , जल्लाद है एकदम ,, हमको हिया नहीं रहना हमको हमायी ददिया के पास जाना है”,मार खाकर पगलाए गोलू ने जमीन पर लौटते हुए कहा
सामने से गुप्ता जी आते दिखे तो गुड्डू ने कहा,”चचा कहा रहती है गोलू की ददिया भेज दो ना इसको उनको घर”
“12 साल हो गए इसकी ददिया और हमायी अम्मा को स्वर्गवासी हुए ,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा और जाते जाते एक लात गोलू की तशरीफ़ पर और जमा दी। गुड्डू ने सूना तो उठा और बाहर की ओर जाते हुए कहा,”लगता है पूरा खानदान पागल है”

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संजना किरोड़ीवाल

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