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मनमर्जियाँ – S49

Manmarjiyan – S49

Manmarjiyan

Manmarjiyan – S49

गोलू ने गुड्डू को एक मनघड़त कहानी सूना दी जिसका कोई सर पैर नहीं था लेकिन ये कहानी सुनकर गुड्डू के मन में शगुन के लिए प्यार और परवाह उमड़ने लगी थी। खाने की टेबल पर जब गुड्डू ने शगुन से कहा की कल सब ठीक हो जाएगा तो ना जाने क्यों शगुन के मन में एक आस जगी। शगुन वही खड़ी गुड्डू को देखते रही और फिर वहा से चली गयी। गुड्डू भी उठा और हाथ धोने वाशबेसिन की तरफ चला गया। हाथ धोकर गुड्डू हॉल की तरफ आया तो गुप्ता जी ने कहा,”दामाद जी आप आये बहुत अच्छा लगा , आँखे तरस गयी थी आपको देखने के लिए कितने दिनों बाद आपको देख रहा हूँ अच्छा लग रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा खाना कैसा बना था ?”
“खाना बहुते अच्छा था”,गुड्डू ने कहा जबकि गुप्ता जी के मुंह से उसे दामाद जी सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा था। उसे सोच में डूबा देखकर गुप्ता जी ने कहा,”आप खड़े क्यों है आईये बैठिये ना ?”
गुड्डू आकर सोफे पर बैठ गया गुप्ता जी भी उसके सामने आ बैठे और कहा,”हम जानते है आपके और शगुन के रिश्ते में बहुत सी परेशानिया है , कई उतार चढाव देखने को मिले है लेकिन जब तक आप उसके साथ है वो हर परेशानी से लड़ लेगी ,, बस कभी उसका साथ मत छोड़िएगा”
गुप्ता जी की बात सुनकर गुड्डू ने सामने देखा शगुन कुछ ही दूर खड़ी अमन को कुछ काम समझा रही थी। गुड्डू ने शगुन से नजर हटाई और गुप्ता जी की तरफ देखा तो उन्होंने अपना हाथ गुड्डू की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”आपसे हमे कुछ नहीं चाहिए बस एक वादा चाहिए की आप हमारी शगुन का हमेशा ख्याल रख्नेगे , उसके साथ रहेंगे , उसे कभी निराश नहीं करेंगे”
गुड्डू धर्मसंकट में फंस गया , कुछ देर सोचने के बाद उसने गुप्ता जी के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”हम हु वादा करते है”
“सदा खुश रहो बेटा , महादेव आपको खूब कामयाबी दे,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने गुड्डू के हाथो को थामते हुए कहा तो एक जाना पहचाना सा अहसास उसे हुआ। गुप्ता जी गुड्डू से बातें करते रहे और गुड्डू भी हाँ हूँ में जवाब देता रहा जैसा की गोलू ने उसे ज्यादा बोलने से मना किया था। देर रात गुप्ता जी ने कहा,”रात बहुत हो गयी है अब आपको सोने जाना चाहिए”
“हम्म्म्म”,गुड्डू ने चैन की साँस ली और वहा से निकल गया सीढिया चढ़ते हुए गुड्डू बड़बड़ाते हुए जा रहा था
उसे सामने से आती शगुन दिखाई नहीं दी और गुड्डू उस से जा टकराया। शगुन जैसे ही गिरने को हुयी गुड्डू ने उसे अपनी बांहो में थाम लिया दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे।
बैकग्राउंड म्यूजिक
“नजर खामोश सी ,धड़कनो में उठा इक शोर है
तू बदला सा है , या फिर कोई और है
अबसे पहले दिल की ऐसी हालत ना थी
इस से पहले हमको किसी चाहत ना थी
अजनबी सा अहसास है
आ रहा हो जैसे कोई पास है,,,,,,,,,,,,,,,,,,कोई पास है
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे बिन अधूरा ये जहा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग है मेरे दो जहा”
दोनों एक दूसरे की आँखों में खोये हुए थे की सीढ़ियों से नीचे आती प्रीति ने खाँसने का नाटक किया। गुड्डू और शगुन को होश आया। गुड्डू और शगुन एक दूसरे से दूर हटे और इधर उधर देखने लगे। प्रीति को वहा देखकर शगुन वहा से चली गयी। प्रीति को एक बार फिर गुड्डू को छेड़ने का मौका मिल गया वह गुड्डू के बगल में आयी और अपनी कोहनी गुड्डू के कंधे पर रखते हुए कहा,”क्या बात है मेरी दी के बिना एक मिनिट भी नहीं रहा जा रहा ना ,, हां हां मुझे पता है ये फीलिंग्स ऐसी ही होती है।”
गुड्डू ने अपना कंधे को नीचे झुकाया जिस से प्रीति की कोहनी नीचे हो गयी और फिर प्रीति की तरफ देखकर कहा,”बहुते बोलती हो तुम , जिस से तुम्हायी शादी होने वाली है पता नहीं उह कैसे झेलता होगा तुम्हे”
“अरे वो मुझे झेल लेगा आप ये बाताओ आपके और दी के बीच कुछ बात आगे बढ़ी ?”,प्रीति ने गुड्डू की तरफ देखते हुए कहा
“जे सब हम तुमको क्यों बताये ?”,गुड्डू ने घूरते हुए कहा
“क्या आप भी , अब वो मेरी दी है तो उस हिसाब से आप हुए मेरे जीजाजी,,,,,,,,,,,,,,,,,अब जीजा अपनी इकलौती साली को ये सब नहीं बताएगा तो किसे बताएगा ?”,प्रीति ने चहकते हुए कहा
गुड्डू ने वहा से निकलने में ही भलाई समझी और कहा,”हमको ना बहुते नींद आ रही है हम बाद में बात करते है”
इतना कहकर गुड्डू वहा से ऊपर छत पर चला गया। शगुन ने अपने कमरे में गुड्डू और गोलू के सोने का इंतजाम किया था और खुद बगल वाले कमरे में वेदी और प्रीति के साथ सोने चली आयी। शगुन के कमरे में आते ही प्रीति ने उसे छेड़ते हुए कहा,”क्या बात है दी जबसे गुड्डू जीजू आये है आपके चेहरे की चमक पहले से ज्यादा बढ़ गयी है। गुड्डू जीजू के आने से कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही है आप”
“अच्छा और ये सब किसने कहा तुमसे ?”,शगुन ने प्रीति की तरफ देखकर कहा
“कहेगा कौन मैंने खुद देखा कैसे दोनों एक दूसरे की आँखों में खोये हुए थे इतना रोमांटिक मोमेंट था ना उस वक्त की पूछो मत , इतना रोमांटिक तो मुझे कभी रोहन को देखकर नहीं लगा,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू जीजू तो एकदम शाहरुख़ खान वाली फीलिंग दे रहे थे”,प्रीति ने कहा तो वेदी उठी और शगुन के गले से झूलते हुए कहा,”हाँ भाभी हमे भी ना भैया को यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई बस अब जल्दी से उन्हें सब याद आ जाये”
“वेदी कुछ याद ना आये तब भी अच्छा है कम से कम हमारे गुड्डू जीजू को शगुन दी से फिर से प्यार होगा और हमे इनकी लव स्टोरी देखने को मिलेगी जो अब तक नहीं मिली थी”,प्रीति ने कहा
“आजकल तुम कुछ ज्यादा ही बेशर्म हो गयी हो प्रीति”,शगुन ने कहा
“काश आप और गुड्डू जीजू भी होते तो अब तक मैं मौसी बन चुकी होती”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने पास रखा पिलो उठाया और प्रीति के पीछे भागते हुए कहा,”रुक तुझे अभी मैं बताती हूँ , बेशर्म लड़की रुको तुम”
प्रीति कहा उसके हाथ आने वाली थी वह कमरे से बाहर भाग गयी शगुन भी उसके पीछे पीछे आयी। वेदी उस कमरे के दरवाजे के सामने आकर खड़ी हो गयी जिसमे गुड्डू और गोलू सोये थे , भागने के लिए कोई रास्ता भी नहीं बचा था शगुन ने खींचकर तकिया प्रीति को मारने के लिए फेंका लेकिन प्रीति की अच्छी किस्मत की वह साइड हो गयी। उसी पल गुड्डू ने दरवाजा खोला और तकिया सीधा जाकर लगा उसके मुंह पर , जिस से उसकी आंख में भी लग गयी। प्रीति तो ये देखते ही 9-2-11 हो गयी। शगुन ने देखा की उस की वजह से गुड्डू को लगी तो वह गुड्डू के पास आयी और कहा,”सॉरी वो प्रीति”
“अरे उसको छोडो बहुते जोर से से लगी है यार हमायी आँख में”,गुड्डू ने अपनी आँख मसलते हुए कहा
“मुझे दिखाईये”,कहते हुए शगुन गुड्डू के थोड़ा क़रीब आयी , हाइट गुड्डू से कम थी इसलिए उसकी आँख तक पहुँचने के लिए शगुन को अपनी एड़िया उठानी पड़ी और फिर वह गुड्डू की आंख में फूंक मारने लगी। गुड्डू को शगुन का यु करीब आना बहुत अच्छा लग रहा था वह चाहता ही नहीं था की शगुन इस पल उस से दूर जाये। गुड्डू को अपनी तरफ देखता पाकर शगुन ने कहा,”अब ठीक है ?”
“हाँ , हाँ ठीक है शुक्रिया ,,, वैसे तुमहू उसके पीछे काहे भाग रही थी ?”,गुड्डू ने अपने बालो को सही करते हुए कहा
“वो उसने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते शगुन रुक गयी उसे प्रीति की कही बात याद आ गयी थी और उसने बात बदलते हुए कहा,”कुछ नहीं बस ऐसे ही”
“वैसे एक बात कहे तुम्हायी बहन ना बहुते चंचल है”,गुड्डू ने कहा
“आपको परेशान किया उसने ?”,शगुन ने पूछा जैसा की वह प्रीति की आदतों से वाकिफ थी
“अरे नहीं परेशान करना नहीं कहेंगे उसे बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,,,,,खैर तुमहू जाओ सो जाओ थक गयी होगी”,गुड्डू ने कहा तो शगुन वहा से चली गयी जाते जाते उसका मन किया एक बार पलटकर गुड्डू को देख ले , फिर अगले ही पल मन में ख्याल आया की गुड्डू तो जा चुका होगा सोचकर शगुन अपने कमरे के दरवाजे के सामने चली आयी और रुक गयी। मन नहीं माना तो शगुन ने पलटकर देखा उसका दिल धड़क उठा गुड्डू वही अपने दरवाजे पर खड़ा शगुन को ही देख रहा था। शगुन अपने कमरे में चली आयी

वेदी और प्रीति सोने जा चुकी थी , शगुन भी आकर उनके बगल में लेट गयी लेकिन नीदं आँखों से कोसो दूर। गुड्डू के बारे में सोचते हुए शगुन को कब नींद आयी उसे पता ही नहीं चला। सुबह शगुन जल्दी उठ गयी क्योकि घर में बहुत सारे काम थे। शगुन तैयार होकर नीचे चली आयी और सगाई के फंक्शन के अरेजमेंट्स देखने लगी। हलवाई आ चुके थे और घर के पीछे वाले हिस्से में अपने कामो में लगे हुए थे। सजावट हो चुकी थी , रोहन और उसके घरवाले अपने रिश्तेदारों के साथ सुबह के 11 बजे पहुँचने वाले थे। गुड्डू उठा और कमरे के बाहर रेलिंग के पास आकर अंगड़ाई लेने लगा। ऐसा करते हुए उसकी नजर जब नीचे यहाँ वहा काम करती शगुन पर पड़ी तो वह एक टक उसे देखने लगा। कुछ देर बाद गुड्डू ने नजरे हटा ली लेकिन फिर से उसकी नजरे शगुन पर चली जाती। उसने खुद को बहुत रोका लेकिन शगुन को देखने से खुद को नहीं रोक पा रहा था। शगुन का ध्यान अपने काम पर था उसे पता भी नहीं था गुड्डू उसे देख रहा है। कुछ देर बाद गुड्डू की नजर बगल वाली छत पर गयी तो देखा वहा खड़ी एक औरत (शगुन की चाची) उसे ही देख रही है। उन्हें देखकर गुड्डू ने नमस्ते कहा तो चाची मुंह बनाकर वहा से चली गयी और गुड्डू ने खुद से कहा,”अजीब औरत है हमाये कानपूर में तो ना होती ऐसी औरते जो नमस्ते का जवाब ही ना दे”
“का हुआ गुड्डू भैया सुबह सुबह हिया का कर रहे हो तुम ?”,गोलू आँखे मसलता हुआ आया और उबासियाँ लेते हुए कहा
गुड्डू ने उसे चाची के बारे में बताया तो गोलू ने कहा,”तो तुमहू काहे पराई औरत को सुबह सुबह नमस्ते कर रहे हो यार”
“हमायी तरफ देख रही थी तो लगा हमे जानती होगी इसलिए कर दी नमस्ते , अच्छा जे बताओ कब शुरू करना है ?”,गुड्डू ने कहा
“का ?”,गोलू ने कहा
“अबे काम जिसके लिए हम दोनों हिया आये है , ऐसे ही रहा न गोलू तो तुम्हायी दुकान पर ताला लग जाना है एक दिन”,गुड्डू ने गोलू के सर पर एक चपत लगाते हुए कहा।
गोलू को याद आया की जो झूठ बोलकर गोलू गुड्डू को लाया था उसे भी तो कायम रखना था इसलिए गोलू ने कहा,”अरे भैया हम दोनों है ओनर और काम करेंगे हमारे लड़के देखो उधर सबको काम पर लगा तो रखा है।”
गुड्डू ने देखा पीछे कुछ लोग काम कर रहे है , गुड्डू को यकीन हो जाये सोचकर गोलू ने वहा काम कर रहे एक लड़के से कहा,”ओये जे आलू ज़रा ढंग से छीलो , हाथ धोकर छीलना कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए”
नीचे काम कर रहे लड़के ने जब किसी अनजान आदमी को अपने काम में दखल देते देखा तो चिल्लाकर कहा,”खुद ही आके छील लो ना”
गोलू जहा गुड्डू के सामने इम्प्रेशन जमाना चाहता था लड़के ने उसे गुड़ गोबर कर दिया था। गोलू ने गुड्डू की तरफ देखा और खिंसिया कर मुस्करा दिया। गुड्डू ने सूना तो कहा,”साले तुमहू ऑनर कम वेटर ज्यादा लग रहे हमे , का है जे सब ? तुम्हाये लड़के तुम पर ही जोर दिखा रहे”
“अरे भैया ऐसा नहीं है जे ना हमारा आपस में प्यार है,,,,,,,,,,,,,,चाय नहीं पी ना चलो पिलाते है”,कहते हुए गोलू गुड्डू को खींचकर निचे ले आया। शगुन ने देखा तो गुड्डू के लिए चाय ले आयी।
शगुन ने गुड्डू चाय दी , लाइट ग्रीन सूट में शगुन आज बहुत प्यारी लग रही थी गुड्डू की नजरे बार बार शगुन पर चली जाती जिसका अहसास शगुन को भी था। चाय पीकर गुड्डू नहाने चला गया। गोलू ने अपना दिमाग लगाया और वहा काम कर रहे सभी लोगो से बात कर ली जिस से सब ऐसे बर्ताव करे की इन्हे काम पर गोलू ने रखा और ये सब गोलू के स्टाफ से है। गुड्डू तैयार होकर आया नेवी ब्लू शर्ट और वाइट पेंट में बहुत ही हॉट लग रहा था , उस पर उसके बाल और उसकी हल्की दाढ़ी और सुर्ख लाल होंठ। गुड्डू तैयार होकर जैसे ही बाहर आया देखा सगाई वाली कुर्सियां और बाकि सामान आ चुका है।
पंडित जी भी चले आये थे उन्होंने गुप्ता जी से कुछ सामान मंगवाने को कहा लेकिन अमन वहा नहीं दिखा। विनोद हलवाईयो की तरफ था। गोलू दूसरे अरेजमेंट्स देख रहा था गुप्ता जी को परेशान देखकर गुड्डू ने कहा,”का बात है बहुते परेशान दिख रहे है आप ?”
“बेटा जी वो कुछ सामान चाहिए था मैं बाहर जा नहीं सकता और ये अमन भी पता नहीं कहा चला गया ?”,कहते हुए गुप्ता जी ने इधर उधर देखा।
“हमे बताईये हम ले आते है”,गुड्डू ने कहा
“अरे नहीं नहीं बेटा आप दामाद है इस घर में आपसे कैसे कह सकते है ?”,गुप्ता जी ने कहा
“इसका मतलब आप हमे अपना नहीं समझते”,गुड्डू ने कहा
“अरे नहीं नहीं ऐसा क्यों कह रहे है आप ?”,गुप्ता जी ने कहा
“तो फिर हमे बताईये हम चले जाते है”,गुड्डू ने कहा तो गुप्ता जी ने पंडित जी से सामान की लिस्ट लेकर गुड्डू को दे दी।
गुड्डू ने लिस्ट जेब में रखी और गोलू से गाड़ी की चाबी मांगी तो पास खड़ी शगुन ने कहा,”बनारस की गलियां संकरी है उनमे आपकी गाड़ी नहीं जाएगी आप बाइक से चले जाईये”
“तुमको इतना पता है तो तुमहू साथ चलो ना”,गुड्डू ने कहा जो की शगुन के साथ कुछ वक्त बिताना चाहता था।
शगुन ने गुड्डू को देखा और फिर कहा,”ठीक है आप चलिए मैं आती हु”,शगुन ने कहा तो गुड्डू घर के बाहर चला आया। कुछ देर बाद शगुन भी चली आयी उसके हाथ में बाइक की चाबी थी उसने चाबी गुड्डू की तरफ बढ़ा दी। गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और शगुन से बैठने का इशारा किया। शगुन गुड्डू के पीछे आ बैठी और अपना हाथ गुड्डू के कंधे पर रख दिया। ये हक़ शगुन को बहुत पहले मिल चुका था और अब उसे गुड्डू की परमिशन की जरूरत नहीं थी। गुडडू ने तिरछी नजर से अपने कंधे पर रखे शगुन के हाथ को देखा और मुस्कुरा दिया। शर्ट में लगा चश्मा निकाला और आँखों पर लगाते हुए बाइक आगे बढ़ा दी। दोनों खामोश थे लेकिन दोनों साथ में बहुत अच्छे लग रहे थे। बनारस की गलियों में शगुन के साथ बाइक पर घूमना गुड्डू को बहुत अच्छा लग रहा था। दोनों एक संकरी से गली में पहुंचे जहा से सामान लेना था
गुड्डू ने बाइक साइड में लगाई और शगुन के साथ दुकान के सामने आकर खड़ा हो गया। गुड्डू ने उसे लिस्ट दी और सामान निकालने को कहा। शगुन सब देखकर लेने लगी कुछ देर बाद किसी काम से वह गुड्डू से कुछ कहने के लिए पलटी लेकिन गुड्डू वहा नहीं था। शगुन ने इधर उधर देखा तो सामने कुछ ही दूर खड़े गुड्डू शगुन मुस्कुरा उठी। दरअसल गुड्डू सामने जा रही एक बुजर्ग महिला का सामान उठाये चला जा रहा था। ये भाव गुड्डू में अक्सर देखने को मिल जाया करते थे। शगुन वापस अपने काम में लग गयी। कुछ देर बाद उसे महसूस हुआ जैसे पास खड़ा लड़का उसे जान बूझकर छू रहा है। शगुन थोड़ा साइड में आ गयी तो दूसरी तरफ से दूसरा लड़का आकर ऐसा करने लगा।
“ये क्या बदतमीजी है ?”,शगुन ने गुस्से से कहा
“बदतमीजी तो अभी तक हमने की ही नहीं मैडम”,उनमे से एक लड़के ने शगुन को खा जाने वाली नजरो से देखते हुए कहा
“ए क्यों परेशान कर रहे हो इन्हे ?”,दुकानवाले ने कहा
“क्यों तेरी बहन लगती है या तेरी बेटी ?”,कहते हुए उनमे से एक ने आदमी की दुकान पर रखा सामान उठाकर फेंक दिया।
“अरे कोई रोको इनको , कोई आकर हमारी मदद करो भाई कैसे दिन दहाड़े ये लोग यहाँ मनमानी कर रहे है”,आदमी ने दुकान से बाहर आते हुए कहा लेकिन सब खड़े होकर तमाशा कर रहे थे। शगुन को ये देखकर गुस्सा आया तो उसने लड़के को ऊँगली दिखाकर कहा,”ए ! जाते हो यहा से या पुलिस को बुलाऊ”
“बुलाओ पुलिस को हम भी देखे क्या उखाड़ लेती है पुलिस हमारा , लेकिन उस से पहले थोड़ी बदतमीजी तो कर ले”,कहते हुए एक लड़के ने जैसे ही शगुन की तरफ हाथ बढ़ाया गुड्डू ने आकर बीच में उसका हाथ पकड़ा और मरोड़ते हुए कहा,”का बाबू अकेले समझे हो ? बेटा ऐसा होंकेंगे ना जिंदगीभर भूल नहीं पाओगे”
“कौन है बे तू ? इसका बॉडीगार्ड है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लगता तो इसका आशिक़ है,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या लगती है ये तेरी ?”,दूसरे ने गुड्डू के सामने आकर कहा तो गुड्डू ने कहा,”हमाये और इनके बीच का रिश्ता है वो हम तुम जैसे सड़कछाप को क्यों बताये ? बस इह समझ लो हमहू है इह कहानी के हीरो और तुम हो विलीन,,,,,,,,,,,,,तो तुम्हरा पीटना तो बाबू तय है”
“तू हमे मारेगा ?”,कहते हुए लड़का जैसे ही गुड्डू की तरफ बढ़ा गुड्डू ने एक घुसा सीधा उसकी कनपटी पर दे मारा। एक ही घुसे में लड़का नीचे जा गिरा। दूसरे वाले की भी गुड्डू ने खूब सुताई की और दोनों भाग खड़े हुए। शगुन ने देखा तो वह गुड्डू के पास आयी और कहा,”उन्हें मारने की क्या जरूरत थी आप उन्हें समझा भी सकते थे ना”
“तुमको लगता है लातो के भूत बातो से मानेंगे , पैदा हुए नहीं की चले है बदमाश बनने”,गुड्डू ने कहा
“और ये सब करने से आप में और उनमे क्या फर्क रह जाएगा फिर ?”,शगुन ने कहा
“ओह्ह शगुन गुप्ता हमहू तुम्हायी तरह देवता नहीं है , कुछो गलत देखेंगे तो हमे गुस्सा आएगा और हमहू तो तोड़ेंगे”,गुड्डू ने शगुन को घूरते हुए कहा तो शगुन को लगा की गुड्डू को ये सब समझाना बेकार है। उसने अपना बैग और सामान उठाया और पैदल ही चल पड़ी। गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की लेकिन शगुन नहीं बैठी और आगे बढ़ गयी। गुड्डू ने बाइक लाकर शगुन के सामने रोकी और उतरकर उसके सामने आकर कहा,”अच्छा बताओ तुमहू का चाहती हो , हम झगड़ा ना करे यही ना,,,,,,,,,,,,,,,ठीक है नहीं करेंगे झगड़ा अब खुश,,,,,,,अब चलो”
शगुन ने अपना हाथ गुड्डू के सामने करके कहा,”हाथ पर हाथ रखकर वादा कीजिये किसी पर हाथ नहीं उठाएंगे ?”
गुड्डू ने जब शगुन के मुंह से ये सूना तो उसके जहन में धुंधली सी तस्वीरें बनने लगी और उसे अहसास हुआ जैसे ये सब पहले भी हो चुका है। गुड्डू ने अपना हाथ शगुन के हाथ पर रख दिया , गुड्डू का हाथ काँप रहा था और वह शगुन की आँखो में मन ही मन देखते हुए खुद से कहने लगा,”कुछ तो रिश्ता है इनसे हमारा , जब भी इनके साथ होते है कुछो ऐसा घटता है जिसे देखकर लगता है जैसे सब पहले हो चुका है। का रिश्ता है हमारा इनसे ?”
वही सामने खड़ी शगुन बस मन ही मन कह रही थी,”इन लड़ाई झगड़ो की वजह से एक बार आपको खो चुके है गुड्डू जी , फिर से नहीं खोना चाहते”

“शगुन गुड्डू को जल्दी से मिला दो , वरना कहानी अब बोरिंग हो जाएगी” कहानी को लम्बा खींचना मैं भी नहीं चाहती लेकिन जो रायता इसमें फैला है उसे भी तो ठीक करना है , दीपक का सच , गोलू ने जो पिंकी-कांड किया उसका सच , शगुन गुड्डू के रिश्ते का सच , काफी कुछ है जो सामने आना बाकि है इसलिए कहानी को थोड़ा धैर्य के साथ पढ़े !!
धन्यवाद !!”

क्रमश – Manmarjiyan – S50

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संजना किरोड़ीवाल

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