मनमर्जियाँ – 90
Manmarjiyan – 90
मनमर्जियाँ – 90
शगुन और गुड्डू हाथ जोड़े महादेव की आरती देख रहे थे आरती खत्म होने के बाद प्रीति और अमन भी शगुन गुड्डू के पास चले आये। गुड्डू को वहा देखकर शगुन से ज्यादा प्रीति खुश थी उसने चहकते हुए कहा,”जीजू आप कब आये ?”
“बस थोड़ी देर पहले का है की हम सुने थे की शाम की आरती बहुत अच्छी होती है , बनारस कई बार आये है पर संध्या आरती नहीं देखे आज मौका मिल गया”,गुड्डू ने शर्ट की बाजु ऊपर चढ़ाते हुए कहा
“बहुत सही किया जीजाजी , वरना मैं तो दो लड़कियों के बीच फंस गया था”,अमन ने कहा तो गुड्डू हसने लगा और कहा,”अरे हम है ना बताओ कोनसी वाली ने ज्यादा परेशान किया तुमको ?”
“प्रीति ने”,अमन ने कहा
“यार देखो प्रीति को कुछ नहीं कहेंगे इह है हमायी इकलौती साली तो इनको तो कुछो बोलने का सवाल ही पैदा नहीं होता”,गुड्डू ने कहा
“हां और शगुन दी को वैसे आप कुछ नहीं कहेंगे”,अमन ने कहा
“इनको तो साक्षात् महादेव कुछो नहीं कह सकते हम का चीज है , अभी कुछो बोल भी दिए ना तो थोड़ी देर में हमायी ही क्लास लगा देंगी ये”,गुड्डू ने शगुन को देखते हुए कहा , अमन ने सूना तो हसने लगा और फिर कहा,”अच्छा ये सब बाते छोडो कुछ खाने चलते है”
“हां चलो”,कहकर प्रीति अमन का हाथ पकडे गुड्डू और शगुन को अकेला छोड़कर आगे बढ़ गयी। गुड्डू और शगुन एक दूसरे के सामने खड़े खमोशी से एक दूसरे को देख रहे थे की तभी पास से गुजरती भीड़ से गुड्डू को धक्का लगा और वह शगुन के करीब आ गया।
“अबे देख के,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने पलटकर कहा लेकिन भीड़ में कौन सुनता ? गुड्डू शगुन के करीब था और शगुन बस एकटक गुड्डू को देखे जा रही थी। ये देखकर गुड्डू की धड़कने बढ़ने लगी। वह शगुन से नजरे चुराने लगा लेकिन उस भीड़ में देखे भी तो कहा देखे , घूमकर नजर फिर शगुन पर आ ठहरती। शगुन ने गुड्डू को असहज देखा तो अपना दाहिना हाथ गुड्डू के बांये सीने पर रख दिया और जब हाथ रखा तो शगुन ने महसूस किया की गुड्डू की धड़कने बहुत तेज चल रही है और इसलिए गुड्डू उस से नजरे चुरा रहा है। भीड़ थोड़ी कम हुई तो गुड्डू ने मरे हुए स्वर में कहा,”चले”
“हम्म्म”,शगुन ने कहा और दोनों भीड़ में सीढिया चढ़ते हुए वहा से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। चलते चलते गुड्डू ने शगुन का हाथ थाम लिया। एक बहुत ही खूबसूरत अहसास शगुन को महसूस हुआ उसने गुड्डू की और देखा तो गुड्डू ने कहा,”भीड़ में गुम हो जाओगी इसलिए पकड़ा है”
“हम्म्म्म”,शगुन ने कहा और गुड्डू का हाथ थामे आगे बढ़ गई। चलते चलते शगुन पलटी और घाट को देखते हुए मन ही मन भोलेनाथ का शुक्रिया अदा किया
शगुन गुड्डू बाहर आये और अमन प्रीति के साथ पैदल ही चल पड़े। चारो बातें करते हुए चल रहे थे प्रीति गुड्डू को हर एक दुकान की खूबी और दुकानवाले का नाम बताते हुए चल रही थी। चारो एक रेस्टोरेंट पहुंचे वहा पहुंचकर अमन ने चार प्लेट छोले कुलचे देने को कहा। चारो बैठकर मजे से खाने लगे। शगुन का ध्यान खाने पर कम और गुड्डू पर ज्यादा था। खाना खाने के बाद चारो वहा से निकले और मक्खन मलाई खाने पहुंचे प्रीति की फेवरेट जगह। प्रीति ने सबको प्लेट दी और खुद भी लेकर खाने लगी। गुड्डू तो हमारे वैसे भी खाने के शौकीन वह बड़े चाव से खा रहा था। खाते हुए गुड्डू की नजर शगुन के गाल पर गयी जहा कुछ लगा था अब इतना हक़ तो गुड्डू खुद को दे ही चुका था की इसलिए उसने अपने हाथ से ही शगुन के गाल पर लगा हुआ अपने हाथ से हटा दिया। प्रीति ने देखा तो चुपके से अपने फोन में गुड्डू और शगुन की उसी हालत में एक तस्वीर ले ली। घूमते घामते सभी घर पहुंचे। गुप्ता ने गुड्डू को देखा तो खुश हो गए। गुड्डू और शगुन के जाने के बाद प्रीति गुप्ता जी पास आयी और कहा,”देखा पापा गुड्डू जीजू शगुन दी से कितना प्यार करते है उनके बिना रह नहीं पाए वापस चले आये”
“बस इन दोनों प्यार ऐसे ही बना रहे”,गुप्ता जी ने कहा
गुड्डू ऊपर कमरे में चला आया और बिस्तर पर बैठते हुए कहा,”पिताजी भी हमे परेशान करते है , भुआजी के हिया खाली पैसे भिजवाने थे उसमे भी हमे वहा तक भेजा”
“पैसे किसलिए ?”,शगुन ने पूछा
“अरे वो भुआ जी के बेटो ने बटवारे को लेकर कुछो बखेड़ा किया होगा घर में तो भुआजी और फूफाजी अपने पुश्तैनी घर में आ गए , कुछ पैसो की जरूरत थी तो पिताजी कहे रहय भिजवाने के लिए”,गुड्डू ने कहा
“क्या पर वे लोग उनके साथ ऐसा कैसे कर सकते है ?”,शगुन ने सुना तो उसे बुरा लगा
“अरे हरामी,,,,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब घटिया दोनों बेटे एक को पीने से फुर्सत नहीं है दुसरा आवारागर्दी करता है ,, फूफाजी ने समझाना चाहा तो सुने कौन उनकी ? हमारा तो मन किया वही पटक के मारे लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,(कहते हुए गुड्डू शगुन की और देखकर चुप हो गया)
“अब कैसी है भुआ जी ?”,शगुन ने कहा
“अभी ठीक है , पिताजी जायेंगे उनसे मिलने”,गुड्डू ने कहा
“हम्म्म्म”,शगुन ने उदास होकर कहा , गुड्डू को शगुन का उदास होना ना जाने क्यों अच्छा नहीं लगा तो उसने माहौल चेंज करने के लिए कहा,”तुमको तो यकीन नहीं हुआ होगा ना हमाये अचानक वापस आने पर”
“हां , आपसे एक बात कहू आप यकीन नहीं करेंगे”,शगुन ने नजरे झुकाकर कहा
“काहे यकीन नहीं होगा बताओ ज़रा”,गुड्डू ने कहा
“उस वक्त मैं आप ही के बारे में सोच रही थी”,शगुन ने कहा
“तुमने दिल से याद किया तो हम पहुँच गए ना , हम ऐसे ही है एक बार किसी से मन जुड़ा ना हमारा फिर कभी नहीं टूटता”,गुड्डू ने कहा
“लेकिन,,,,,,,,,,,,,,!”,शगुन ने बात अधूरी छोड़ दी
“लेकिन का ?”,गुड्डू ने सवाल किया
“जब आप भीड़ में मेरे करीब थे तो आपकी धड़कने इतनी तेज क्यों थी ?”,शगुन ने एकदम से पूछ लिया
गुड्डू ने सूना तो दूसरी और देखते हुए कहा,”कोई लड़की इतना पास आएगी तो जायज सी बात है घबराहट होगी”
“क्यों इस से पहले आप किसी के करीब नहीं गए ? आपकी तो गर्लफ्रेंड भी रह चुकी है तो किस,,,,,,,,,,,,,,,,,,”,शगुन ने गुड्डू को छेड़ने के लिए सवाल किया
“छी छी कैसी बातें करती हो ? किस तो दूर की बात है हमने किसी लड़की को आज तक छुआ भी नहीं है”,गुड्डू ने शरमाते हुए कहा
शगुन ने सूना तो मन ही मन हसने लगी क्योकि वह जानती थी गुड्डू ऐसा नहीं है। वह बस गुड्डू को छेड़ रही थी और ऐसी बातो के बाद गुड्डू की हालत देखने लायक थी। शगुन को चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”तुमको हमपे भरोसा तो है ना”
शगुन उठी और गुड्डू के सामने आकर कहा,”अगर महादेव खुद आकर भी कहे ना की आप बुरे इंसान है तो मैं नहीं मानूगी”
गुड्डू ने सूना तो मन के तार झनझना उठे इतना भरोसा उसके लिए आज तक किसी ने नहीं दिखाया था। गुड्डू शगुन को देखता रहा और फिर उस पर से नजरे हटाकर कहा,”कानपूर कब चलोगी ?”
“इतनी जल्दी ?”,शगुन ने बिस्तर लगाते हुए कहा
“यार ससुराल है इह हमारा इतने दिन यहाँ अच्छा थोड़े लगता है एक ठो काम करते है तुमहू कुछो दिन और रुको हिया हम चले जाते है। गोलू का फोन आया था उधर भी काम देखना है”,गुड्डू ने कहा
“माजी ने पूछा मैं क्यों नहीं आयी तो ?”,शगुन ने कहा
“अरे उनसे हम कह देंगे तुमहू टेंशन ना लो , तुमको जितना दिन रुकना है तुम रुको फिर आ जाना कानपूर या हम आजायेंगे लेने”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने मुस्कुरा कर हामी भर दी। गुड्डू ने फोन साइड में रखा और फिर सोने चला गया। शगुन भी उस से कुछ दूरी बनाकर लेट गयी। नींद शगुन की आँखो से कोसो दूर थी वह बस लेटे लेते गुड्डू के बारे में सोच रही थी ,धीरे धीरे गुड्डू अब अपने और शगुन के बीच के रिश्ते को समझने लगा था साथ ही वह शगुन की बहुत इज्जत भी करता था। शगुन गुड्डू की और करवट किये लेटी हुयी थी नींद में गुड्डू ने करवट ली और शगुन की और पलट गया। शगुन को भला और क्या चाहिए था
गुड्डू को निहारते हुए शगुन की आँख लग गई। सुबह शगुन जल्दी ही उठ गयी , नीचे आकर वह किचन में चली आयी। गुड्डू भी उठ गया और नहाने चला गया उसे आज वापस कानपूर जाना था। गुप्ता जी से मिलकर उन्हें जाने के बारे में बताया। गुप्ता जी भी गुड्डू की भावनाये समझते थे इसलिए जाने की इजाजत दे दी और जल्दी ही वापस आने को कहा। जाने से पहले गुड्डू ने सबके साथ नाश्ता किया लेकिन प्रीति नहीं थी। गुड्डू ने नाश्ता किया। गुप्ता जी ने गुड्डू को तिलक किया उसे नए कपडे और पैसे देने चाहे तो गुड्डू ने साफ मना कर दिया। गुड्डू ने शगुन से प्रीति के बारे में पूछा तो उसने बताया की वो ऊपर छत पर है। प्रीति से मिलने के लिए गुड्डू छत पर चला आया देखा प्रीति दिवार के पास खड़ी है , गुड्डू उसके पास आया और देखा प्रीति हाथ में छोटे छोटे पत्थर लिए दूसरी छत पर पड़े पानी के टोकरे में फेंकने की कोशिश कर रही है लेकिन निशाना चुकता जा रहा है।
“ए प्रीति यार हम वापस कानपूर जा रहे है और तुमहू हिया खड़ी हो”,गुड्डू ने कहा
“मुझे अच्छा नहीं लग रहा आप इतनी जल्दी जा रहे हो , अभी तो मुझे आपको अपनी दोस्तों से मिलवाना था”,प्रीति ने पत्थर फेंकते हुए कहा
“अच्छा तो हमे भी नहीं लग रहा पर का करे जाना जरुरी है ,,,,,,,,,,,और इह का कर रही हो तुम ?”,गुड्डू ने कहा
“वो पानी का टोकरा देख रहे हो उसमे अगर एक पत्थर भी पड़ा तो समझो आपकी कोई भी एक विश पूरी हो जाएगी”,प्रीति ने ऐसे ही बात बनाते हुए कहा लेकिन गुड्डू ने सच मान लिया और कहा,”बस इतनी सी बात इह तो हमाये बाए हाथ का खेल है , एक का तीनो पत्थर उसमे जायेंगे”
“हैं कुछ भी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,प्रीति ने गुड्डू का मजाक उड़ाते हुए कहा
“अभी करके दिखाते है”,गुड्डू ने कहा
“और अगर नहीं कर पाए तो ?”,प्रीति ने कहा
“तो तुम जो कहोगी हमे मंजूर है”,गुड्डू ने जोश जोश में कह दिया
“सोच लीजिये फंस जायेंगे आप”,प्रीति ने गुड्डू को चेताते हुए कहा
“अरे सोच लिया हमाये कानपूर में हमायी टक्कर का कोई निशानेबाज नहीं है , आओ पत्थर दो”,गुड्डू ने कहा तो प्रीति ने तीन छोटे छोटे पत्थर गुड्डू की हथेली पर रख दिए। गुड्डू ने पहला फेंका निशाना चूका , दूसरा फेंका ये भी चूक गया अब गुड्डू को चिंता होने लगी और प्रीति उसे देखकर मुस्कुरा रही थी
“साला इह निशाना काहे चूक रहा है हमसे वो इते नजदीक का , इस बार पुरे मन से फेंकते है”,मन ही मन सोचकर गुड्डू ने भगवान का नाम लेकर तीसरा पत्थर फेंका लेकिन इस बार भी निशाना चूक गया। गुड्डू ने नीचे वाले होंठ को बाहर निकालते हुए मुंह बना लिया। प्रीति से बचकर जैसे ही जाने लगा वह उसके सामने आयी और कहा,”मुंह छिपाकर कहा जा रहे है आप ? चलिए चलिए अब मैं जो कहूँगी आपको वो करना होगा”
गुड्डू जानता था प्रीति जिद्दी है ऐसे तो मानेंगी नहीं इसलिए उसने कहा,”अच्छा ठीक है बताओ का करना है ?”
“आपको जाने से पहले दी के गाल पर एक छोटा सा किस करना है”,प्रीति ने कहा
“का का पगला गयी हो का ? इह का करने को बोल रही हो ?”,गुड्डू ने सूना तो एकदम से कहा
“अरे आपकी वाइफ है वो इतना क्यों डर रहे है आप ?”,प्रीति ने कहा
“डर नहीं रहे है पर तुम इह का करने को बोल रही हो ? कुछो और बोलो”,गुड्डू ने कहा
“नहीं अब तो आपको यही करना पड़ेगा वरना मैं समझूंगी आप डरपोक है”,प्रीति ने अपने दोनों हाथो को बांधकर गुड्डू को धर्म संकट में डालते हुए कहा
एक तरफ गुड्डू की इज्जत का सवाल था तो दूसरी और उसका ब्रह्मचर्य जो आज तक ना टुटा था। गुड्डू को सोच में डूबा देखकर प्रीति ने कहा,”क्यों डर गए ?”
“डरते तो हमहू किसी के बाप से भी नहीं है”,गुड्डू ने चौडाते हुए कहा
“अच्छा तो फिर जाईये ना”,प्रीति ने कहा तो गुड्डू ने मन ही मन कहा,”जे कहा फंस गए हम ? एक तरफ इज्जत है दूसरी और शगुन,,,,,,,,,,,,,,,,,का करे ?”
“आप जा रहे है या नहीं ?”,प्रीति ने थोड़ा गुस्से से कहा
“अरे जा रहे है यार , बहुते चालाक लड़की हो तुम बताय रहे है”,गुड्डू ने जाते हुए कहा। गुड्डू नीचे आया शगुन नीचे आँगन में थी गुप्ता जी अमन से कहकर गुड्डू की गाडी में कानपूर भेजने वाला सामान रखा रहे थे। गुड्डू शगुन के पास आया उसने पलटकर छत पर देखा तो प्रीति ने इशारा किया। गुड्डू ने मुश्किल थूक निगला और कहा,”अच्छा तो हम , हम चलते है”
“हम्म्म ध्यान से जाईयेगा”,शगुन ने मुस्कुरा कर सहज भाव से कहा
गुड्डू नर्वस हो रहा था प्रीति ने जो करने को कहा वो तो गुड्डू ने कभी सोचा नहीं था। गुड्डू को वही खड़े देखकर शगुन ने कहा,”आप कुछ कहना चाहते है ?”
“हां उह कह रहे थे की पिताजी से मत कहना हमने यहाँ किसी को पिटा था”,गुड्डू ने हकलाते हुए कहा
“ठीक है नहीं कहूँगी”,शगुन ने इस बार भी सहजता से जवाब दिया। गुड्डू ने पलटकर फिर प्रीति को देखा तो उसने गुड्डू को आँखे दिखाते हुए किस करने का इशारा किया। बेचारा गुड्डू प्रीति की जाल में फंस चुका था वह वापस शगुन की और पलटा और कहा,”उह पापाजी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
शगुन ने जैसे ही साइड में देखा गुड्डू ने आगे बढ़कर उसके गाल पर किस किया और कहा,”बाय”
शगुन कुछ समझ पाती इस से पहले ही गुड्डू वहा से चला गया और शगुन गाल से हाथ लगाए मुंह फाडे जाते हुए गुड्डू को देखती रही। ऊपर छत पर खड़ी प्रीति ने ये नजारा देखा तो ख़ुशी से उछल पड़ी !!
क्रमश – मनमर्जियाँ – 91
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संजना किरोड़ीवाल
Kitna khubsurat nazara hoga Banaras me mahadev ke sham ki aarti aur usme do pyar karne wale ek dusre ka hath thaam kar chale , Sanjana ji aap ki kahaniyo me Banaras ki khubsurti pad kar hame bhi aap ki tarah Banaras se ishq ho gaya hai , jindagi me kabhi mauka mila to hum Banaras jarur jayenge
Wow
अरे वाह…साली हो तो प्रीति जैसी… मतलब जो काय ये दोनों (गुड्डू-शगुन) नहीं कर पाए थे, वो काम प्रीति ने कर दिखाया… गुड्डू ने किस किया और वो भी शगुन को… कसम से मजा आ गया आज तो😅😅😅😂😁
Haye …gajab priti..mast kaam kiya..shagun to bichari shock main hogi😘🤣
Preeti n to aj kamaal hi kr diya mazaa aa gya
😂😂😂😂😂😂😂
Priti hi kand krwayegi Guddu se
wow… yeh preeti to bahut sahitaan hai
Amazing
मैम साली हो प्रीति जैसी…बताओं गुड्डू से वो करवा दिया…जिसके लिऐ शगुन को पता नहीं कितना इंतजार करना पड़ता…खैर कभी गोलू तो कभी चूहा तो कभी प्रीति… इन सबकी वजह से तो कुछ रोमांटिक मूवमेंट तो आ रहे हैं…लेकिन अच्छा तो तब होगा जब गुड्डू ये मूवमेंट अपने दिल से पूरे होशोहवाश में लायें😊 beautiful part👌👌👌👌👌
अरे मतलब प्रीती ने तो कमाल कर दिया।
बहुत ही शानदार आज तो प्रीती ने कमाल ही कर दिया…🌷🌷🌷🌷
Hay😍😍😍😍😍 preeti aaj dil khush kar diya ….saali sahiba ho to esi 😚😘😘😘😘😘 aaj ka part padke dil garden garden ho gya mazza aa gya
Very nice part 👍👌👌👌👌👌👌
Wow….
😍😍😍😍❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ mazaa aa gaya….🙂🙂🙂🙂😍😍😍😍😍 I to loved it…..😊😊😊😊
Je baat 😘😘😘😘😘priti to bhute gajab nikli
Lovely 💐💐💐🌹🌹💐🌹🌹💕
Preeti ne to guddu ki halat kharab katdi kya sali mili hai junior mishra ji ko