मनमर्जियाँ – 72
Manmarjiyan – 72
मनमर्जियाँ – 72
गोलू ने पिंकी को अच्छा सबक सिखाया और वहा से भगा दिया , लेकिन पिंकी ने गोलू के होंठ को काट खाया जिसका मीठा मीठा दर्द गोलू को हो रहा था। आज से पहले किसी लड़की को किस करना तो दूर गोलू ने कभी किसी लड़की को ऐसे छुआ तक नहीं था। खैर गोलू अपनी चोट को बर्फ से सेकने लगा और गुड्डू शगुन को ढूंढने लगा। पार्टी से आधे लोग खाना खाकर जा चुके थे बस कुछ लोग ही बचे थे। गुड्डू को शगुन नहीं मिली और शगुन के साथ साथ वेदी भी गायब थी। गोलू गुड्डू के पास आया और कहा,”का हुआ मिली भाभी ?”
“अरे ना शगुन मिल रही है ना वेदी , पता नहीं कहा है दोनों ?”,गुड्डू ने परेशान होकर
“घर तो नहीं चली गयी ?”,गोलू ने कहा
“अरे नहीं इतनी रात में अकेले कैसे जाएँगी ?”,गुड्डू ने कहा तभी उसकी नजर पिछले गेट पर गयी जहा छुपते छुपाते कार्टून्स की ड्रेस में वो चार जन वापस जा रहे थे। गुड्डू उनकी ओर लपका और साथ में गोलू भी चला आया गुड्डू एकदम से उनके सामने आ खड़ा हुआ और कहा,”किधर ?”
“कौन हो बे तुम सब ? और हिया किसने बुलाया तुम सबको ?”,गोलू ने पूछा तो सब खामोश
“देखो बहुत हो गया तुम सबका चलो अब अपनी अपनी शक्ल दिखाओ हम भी तो देखे कानपूर में हमसे बड़ा बदमाश कौन आ गया ?”,गोलू ने चारो को धमकाते हुए कहा। सबसे पहले भालू की ड्रेस पहने जन ने अपने सर से कॉस्ट्यूम हटाया गुड्डू और गोलू ने देखा तो हैरान रह गए
भालू की ड्रेस में और कोई नहीं बल्कि मनोहर खड़ा था। एक एक करके तीन जनो ने अपने सर से कॉस्ट्यूम उतार दिया। मनोहर के साथ साथ रौशनी और वेदी भी थे। गुड्डू हैरानी से सबको देख रहा था और फिर कहा,”तुम सब”
“हम सब क्या दोस्त हो यार तुम हमारे इतनी सी हेल्प नहीं करेंगे तुम्हारी बोलो”,मनोहर ने कहा
“हां गुड्डू हमे तो बड़ी ख़ुशी हो रही है की तुमने इतना मेहनत वाला काम चुना”,रौशनी ने खुश होकर कहा
“और लाजो तुम ?”,गुड्डू ने लाजो के सामने आकर कहा तो लाजो ने कहा,”अरे गुड्डू भैया अब तुमहू हमाये भाई जैसे हो तो तुम्हाये लिए जे काम करने में कैसी शर्म ?”
“भैया ये चौथा कौन है ?”,गोलू की नजर अभी भी चौथे कार्टून पर थी। गुड्डू उसके सामने आया और अपने हाथो से सर का कॉस्ट्यूम उतार कर देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि शगुन थी। गुड्डू को सबसे ज्यादा हैरानी अब हुई की इन सब में शगुन भी शामिल थी गुड्डू ने मनोहर की और देखा तो उसने कहा,”तुमहू जो सोच रहे हो मिश्रा सही सोच रहे हो , जे तुम्हायी शगुन का ही आईडिया था इसी ने हम सबको यहाँ बुलाया”
गुड्डू ने सूना तो शगुन के लिए उस के मन में इज्जत और बढ़ गयी। उसने शगुन की और देखा जो की गुड्डू को देखकर मुस्कुरा रही थी गुड्डू का मन किया अभी के अभी आगे बढकर शगुन को गले लगा ले लेकिन सबके बीच था इसलिए अपनी भावनाओ पर काबू रखा और कहा,”अब हम का कहे यार मतलब थैंक्यू नहीं बोलेंगे तुम सबको , थैंक्यू बोलने से चीजे अहसान लगने लगती है और तुम सबने जो किया है वो हम हमेशा याद रखेंगे। जाओ कपडे चेंज करके आओ सब फिर खाना खाते है”
सभी चले गए शगुन जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया शगुन का दिल धड़क उठा दोनों एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े थे। गुड्डू कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”समझ नहीं आ रहा किन शब्दों में तुम्हारा शुक्रिया अदा करे , आज तुमने हमाये लिए किया उह आज तक किसी ने नहीं किया,,,,,,,,,,,,,तुमहू बहुत अच्छी हो शगुन हम ही तुम्हे समझ नहीं पाए”
“आप भी बहुत अच्छे है गुड्डू जी बस लोग (पाठक) आप में वो अच्छाईया देख नहीं पाए , वैसे भी शादी के वक्त एक वचन मैंने भी लिया था की हमेशा आपका साथ दूंगी”,शगुन ने सहजता से कहा तो गुड्डू मुस्कुरा उठा और धीरे से शगुन का हाथ छोड़कर कहा,”हम खाना लगवाते है , तुमहू चेंज करके आओ”
शगुन वहा से चली गयी गुड्डू आज बहुत खुश था , पिंकी ने शुक्ला जी ने जो उसकी इंसल्ट की उसे गुड्डू भूल चुका था उसे अब याद था तो बस शगुन का उसके लिए ये सब करना। गुड्डू और गोलू ने एक टेबल पर सबके लिए खाना लगवाया और वही आस पास टहलने लगा। गोलू खोया हुआ सा कुर्सी पर बैठा हुआ था उसकी आँखों के सामने बार बार वो पिंकी को किस करने वाला सीन आ रहा था। गोलू झुंझला उठा और खुद से कहा,”जे बार बार उस चुड़ैल का ख्याल काहे आ रहा है हमे ? मुंह लगाकर ही गलती कर दिए उसे”
गोलू को अकेले में बड़बड़ाते देखकर गुड्डू ने कहा,”का हुआ गोलू माता वाता चढ़ गयी का तुम पे , अकेले में का बड़बड़ा रहे हो ?”
“कुछो नहीं भैया ऐसे ही हिसाब किताब लगा रहे थे”,गोलू ने बात बदलते हुए कहा। गुड्डू किसी काम से वहा से चला गया चलते चलते उसकी नजर गेट पर खड़ी वेदी पर गयी शायद वह वहा खड़ी किसी से बात कर रही थी। गुड्डू उसके पास आया और एकदम से वेदी के कंधे पर हाथ रखकर कहा,”बाबू यहाँ का कर रही हो इति रात में ?”
वेदी को काटो तो खून नहीं वह डरते डरते पलटी और कहा,”क क कुछ नहीं भैया उह हम अपनी दोस्त को छोड़ने आये थे”
गुड्डू ने देखा वहा कोई दोस्त नहीं था इसलिए वेदी से कहा,”चलो उधर चलकर खाना खाओ , सब इतंजार कर रहे है”
“जी भैया”,वेदी की जान में जान आयी और वह गुड्डू के साथ चल पड़ी। गुड्डू ने पलटकर एक नजर देखा और फिर वेदी के साथ चला आया। सबने साथ बैठकर खाना खाया और उसके बाद मनोहर से कहा,”मनोहर एक ठो काम करो तुमहू रौशनी , लाजो , वेदी और शगुन को लेकर घर निकलो हम और गोलू ये सब सामान पैक करवाकर आते है”
“मैं भी रुक जाता हूँ हेल्प कर दूंगा”,मनोहर ने कहा
“अरे नहीं तुमहू इतना सब किये काफी है , हम और गोलू है यहाँ और लड़के भी तो है हम कर देंगे बंदोबस्त तुमहू निकलो ,, रात बहुत हो चुकी है पिताजी नाराज होंगे”,गुड्डू ने कहा तो मनोहर ने उसकी बात मान ली और सबको लेकर वहा से निकल गया। जाते जाते शगुन ने पलटकर देखा गुड्डू उसे ही देख रहा था शगुन ने गर्दन वापस घुमा ली और एक चपत अपने माथे पर खायी। मनोहर चला गया , शुक्ला जी भी अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ वहा से निकल गए। बस गुड्डू गोलू और कुछ लोग ही बचे थे वहा। गुड्डू ने सब सामान जमाया , टेंट उतरवाया और प्लाट खाली करके सामान भिजवा दिया। सब करते करते रात के 2 बज चुके थे गुड्डू बुरी तरह थक चुका था। शुक्ला जी ने फ़ोन करके कहा की बची हुई पेमेंट अगली सुबह उसकी दुकान पर पहुंचा देंगे। गोलू और गुड्डू खुश थे ………….ये पहली बार था जब गुड्डू और गोलू ने कोई काम शुरू किया और सफल हुए हालाँकि काण्ड इसमें भी कई हुए लेकिन कुछ गुड्डू की समझदारी ने तो कुछ शगुन के आईडिया ने सम्हाल लिए। गुड्डू और गोलू घर जाने के लिए निकले गुड्डू ने चाबी गोलू को दी और कहा,”लो तुम चलाओ”
गोलू ने गुड्डू की बाइक स्टार्ट की और गुड्डू को बैठने का इशारा किया। गुड्डू गोलू के पीछे आ बैठा और गोलू की कमर को अपनी बांहो में लेकर अपना गाल गोलू की पीठ से लगा दिया और कहा,”चलो”
गोलू मुस्कुरा दिया , कुछ साल पहले जब गोलू और गुड्डू रात में बाहर घूमते थे तो ऐसे ही दोनों बेवजह पुरे कानपूर का चक्कर लगा आते थे लेकिन जबसे गुड्डू की शादी हुई है उसके बाद से गोलू और गुड्डू बहुत कम मिल पाते थे। बाइक चलाते हुए गोलू ने कहा,”एक ठो बात पूछे गुड्डू भैया ?”
“हम्म्म पूछो”,गुड्डू ने आँखे मूंदे हुए कहा
“आज जब शुक्ला जी तुमहू वेटर बनाए तो तुम्हे बुरा काहे नहीं लगा ?”,गोलू ने पूछा तो गुड्डू को शगुन का चेहरा दिखाई देने लगा और उसने कहा,”ऐसा है ना गोलू की पहली बार किसी की आँखों में अपने लिए विश्वास देखे थे , हमहू उह खोना नहीं चाहते थे। अपने काम के लिए हमहू वेटर बने हमे इस बात का कोई दुःख नहीं है पर पहली बार हमे समझ आया की मेहनत करना का होता है ? पिताजी बार बार कहते है ना गोलू की मेहनत करोगे तो पता चलेगा , आज पता चला ,, साला पिताजी ना हर बात सही कहते है”
गोलू ने सूना तो थोड़ी हैरानी हुयी और थोड़ी ख़ुशी भी फिर कहा,”सही है भैया बस ऐसे ही मेहनत करके ना पुरे कानपूर में नाम रोशन करना है।”,गोलू ने कहा
“वो तो करेंगे ही गोलू और साले तुमको भी थैंक्यू तुम नहीं होते तो कहा कर पाते इह सब और एक थैंक्यू उनको भी की उह हमायी जिंदगी में आयी और हमे सही रास्ता दिखाया”,आखरी लाइन गुड्डू ने बड़े प्यार से कही
“का बात है भैया जे बदलाव तो पहिले कभी ना देखे हम आप में”,गोलू ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“अब तुमको जो समझना है समझो यार पर उन्होंने हमायी बहुत मदद की है”,गुड्डू ने झिझकते हुए कहा
“फिर तो इस बात पर आपको भाभी को कुछ गिफ्ट देना चाहिए”,गोलू ने एकदम से गुड्डू के मन की बात कह दी
“है सही में ? हमहू भी यही सोच रहे थे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,का गिफ्ट दे उनको ?”,गुड्डू ने एकदम से गोलू की पीठ से गाल हटाकर कहां
“कुछ भी दे दो जो उन्हें पसंद हो,,,,,,,उह तो इतने में ही खुश हो जाएगी और वैसे भी भैया देना हो तो कुछो अपनी पसंद का दो”,गोलू ने कहा तो गुड्डू मन ही मन सोचने लगा शगुन को क्या दे ? कुछ देर बाद दोनों नुक्कड़ पर पहुंचे गोलू को उसके घर छोड़कर गुड्डू अपने घर चला आया। दरवाजा खोला , अंदर आया और सीधा ऊपर चला आया। देखा कमरा अंदर से बंद है शगुन सो रही होगी सोचकर गुड्डू बाहर पड़ी बेंच पर ही सो गया। शगुन की वह इतनी परवाह करने लगेगा उसने कभी सोचा भी नहीं था। थकान की वजह से गुड्डू को लेटते ही नींद आ गयी।
उधर गोलू की नींदे उडी हुई थी बार बार उसे पिंकी का ख्याल आ रहा था। आज से पहले तो गोलू के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था। हालाँकि गुड्डू के साथ पिंकी ने जो किया उस वजह से गोलू पिंकी को पसंद नहीं करता था पर कभी कभार उसे छेड़ लिया करता था। गोलू परेशान सा अपने कमरे में यहाँ से वहा घूम रहा था , ना उसे नींद आ रही था ना ही उसका मन शांत था। खैर जैसे तैसे रात कटी और सुबह गोलू नींद के आगोश में चला गया।
शगुन जब सुबह उठी तो देखा गुड्डू कमरे में नहीं शायद गोलू के घर रुक गए हो सोचकर शगुन कमरे से बाहर आयी। जब नजर बाहर पड़ी बेंच पर गयी तो उसे बहुत बुरा लगा गुड्डू बाहर सो रहा था। शगुन ने गुड्डू को उठाया और कहा,”गुड्डू जी , गुड्डू जी उठिये अंदर चलकर सो जाईये”
गुड्डू नींद से उठा उसकी आँखे भारी हो रही थी वह उठा और कमरे में आकर सो गया। शगुन ने देखा गुड्डू काफी थका हुआ था उसने जूते भी नहीं उतारे , शगुन ने आकर गुडडू के जूते और जुराबे उतारी और पास पड़ी चद्दर उसे ओढ़ा दी। गुड्डू गहरी नींद में सो रहा था। उसके बाल हमेशा की तरह उसके माथे पर आ रहे थे ना जाने शगुन को ऐसा क्या मन में आया की शगुन गुड्डू के पास आयी और धीरे से उसके सर पर आये बालों को साइड में कर दिया। गुड्डू का चमकता चेहरा वह अपलक निहारती रही और फिर अपनी ही सोच पर मुस्कुरा कर बाहर चली आयी।
तैयार होकर शगुन नीचे चली आयी मिश्राइन ने देखा तो कहा,”शगुन गुड्डू घर आ गया ?”
“हां वो शायद सुबह ही आये है , अभी सो रहे है”,शगुन ने धीरे से कहा और अपने काम में लग गयी। लाजो चाय बना रही थी मिश्राइन भी कुछ काम कर रही थी और फिर कहने लगी,”कल तो चमत्कार ही हो गवा लाजो , गुड्डू तो एकदम से ही बदल गवा है इतना जिम्मेदार तो उसे हमहू कबो ना देखे।”
“अरे चाची इह सब ना हमायी भाभी के आने की वजह से उन्होंने ही ना गुड्डू भैया को सुधारा है”,लाजो ने कहा तो मिश्राइन मुस्कुरा उठी और कहने लगे,”एक ठो औरत चाहे तो का नहीं कर सकती लाजो , शगुन के आने के बाद से गुड्डू में जो बदलाव हुए है उह तो कभी हम भी ना ला पाए थे गुड्डू में ,,, बस इन दोनों का प्यार ऐसे ही बना रहे”
शगुन ने सूना तो मुस्कुरा उठी। मिश्रा जी नहा धोकर तैयार थे उन्होंने नाश्ते के लिए कहा तो मिश्राइन ने उनके लिए नाश्ता लगा दिया। मिश्रा जी ने देखा गुड्डू कही नजर नहीं आ रहा है , उन्होंने चुपचाप नाश्ता किया और उठकर जाने लगे तो मिश्राइन ने कहा,”गुड्डू से मिलकर जायेंगे तो अच्छा लगेगा”
“काहे ? उह का प्राइम मिनिस्टर लगा है जो मिलकर जाये ,, एक ठो टेंट ही तो लगाया है उसमे कोनसी बड़ी बात है,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी से उसको सर मत चढ़ाओ मिश्राइन कल को हमाये ही सर पर तांडव करेंगे उह”
कहकर मिश्रा जी वहा से चले गए। मिश्राइन को बुरा लगा गुड्डू की सफलता देखकर खुश होने के बजाय मिश्रा जी ने ये सब कहा तो वे थोड़ा उदास हो गयी।
मिश्रा जी शोरूम चले आये और अपना काम देखने लगे। कुछ देर बाद वे ऑफिस में आये और हिसाब किताब देखने लगे तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई। मिश्रा जी ने अंदर आने को कहा।
“अरे मिश्रा जी आप कहे होते हम गुड्डू का पेमेंट उसके दुकान भिजवा देते हमे यहाँ काहे बुआया ?”,शुक्ला जी ने अंदर आकर बड़े ही प्यार से कहा
मिश्रा जी अपनी कुर्सी से उठे और शुक्ला जी की और आते हुए कहने लगे,”उह का है शुक्ला की तुमहू गुड्डू को इतना अच्छा काम दिए , मान सम्मान दिए तो बदले में तुमको भी तो कुछ मिलना चाहिए ना”
“अरे नहीं नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शुक्ला जी आगे कुछ कह पाते इस से पहले ही मिश्रा जी ने खींचकर एक तमांचा शुक्ला जी के गाल पर रसीद कर दिया। शुक्ला जी हक्के बक्के रह गए तो मिश्रा जी ने कहा,”का बे शुक्ला हमाये लड़के को काम दिए इसका मतलब जे नहीं है की तुमहू उस से वेटर गिरी करवाओगे ,, आज तक हमहु उस से ऐसा कुछो नहीं करवाए तुमहू कौन होते हो बे ? उह हमारा लड़का है समझे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, और इह मत भूलना की हम उसके बाप है। हमहू वही आंनद मिश्रा है जिसकी एक आवाज पर तुम जैसो की पेंट गीली हो जाया करती थी ,, हमसे बकैती सिख के हमाये ही बेटे पर आजमाने की भूल ना करना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“म म माफ़ करना मिश्रा जी हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं था गुड्डू बेटा को हर्ट करने का,,,,,,,,,,,,,,,हम हम ध्यान रखेंगे ना आगे से”,शुक्ला जी ने हकलाते हुए कहा तो मिश्रा जी टेबल पर रखा
पानी का ग्लास उठाकर शुक्ला जी को दिया और पीने का इशारा किया। शुक्ला जी ने पानी पीया तो मिश्रा जी ने बाहर फोन करके कहा,”चाय भिजवा दीजिये”
“नहीं चाय नहीं पिएंगे”,शुक्ला जी ने गाल सहलाते हुए कहा
“अरे काहे नहीं पिएंगे ? बैठिये रिश्तेदार है आप हमारे , बैठिये बैठिये”,मिश्रा जी ने बड़ी सी मुस्कान के साथ कहा
क्रमश – manmarjiyan-73
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संजना किरोड़ीवाल
Guddu mein yeh baikaiti mishra ji se hi hai. Nice part
Waaah bhyi mtlab kya btau mujhe mjaa aa gya aanand ji ka seen dekh k yha se pta chlta hai ki aanand ji bhi pehle guddu jaise the 🤣
😂😂😂
Maja aa gya.
Aaj to badka mishra ji ka tevar dekh kr😂😂😂
Shukla ji ke to hosh thikane aa gye.
Ab bari u pinki ki hai.
Kash use v shagun achhe se batti deti to thik hota.
मैम गोलू को पिकीं से लव तो नहीं हो गया…सही हैं…पिंकीया का दिमाग भी तो वो ही सही कर सकता हैं….वैसे गुड्डू शगुन धीरे धीरे ही अपने प्यार में आगे बढ़ रहें हैं…मिश्रा जी ने शुक्ला जी को अच्छा सबक दिया😊 superb part👌👌👌👌👌
Wah kya baat hai mishra g….thapad bhi diya r uske bd marhum k liye chai bhi pila rahe hai….guddu bhi aisa hi hai
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 Mishra ji ne mjaa hi laa Diya aj tohh… Aya bda guddu se vetar giri krayegaa😏😏😏
Wah bhai wah👏👏👏👏👏 aaj to mazaa aa gaya…. Guddu bhaiya k papa to aur bhi mast ….🤣🤣🤣🤣🤣
Aaj to chhaa gaye mishra ji😍
😂😂😂 अरे बाप रे…ये बड़े मिश्रा जी तो बड़े ही कमाल और धांसू निकले…क्या कंटाप लगाए है शुक्ला जी को…बहुत बढिया संजना जी…
Very beautiful
Are gjjb Mishra ji ne to kamal kar diya
Aur to aur golu ki himmat ki bhi dad dete hai ka tamacha jada hai pinkiya maja aa gya yarrr
Shandar jabardast zindabad🙂🙂
Bap bap hota h
मिश्रा जी आज तो छा गए
बेटा शेर तो बाप सवा शेर
Bhut hi pyaara part tha mazaa aa gya
Sach h mishra ji guddu k samne sakht bante h par aaj to shukla ji k sath kiya usse y pata chal gaya k vo guddu se kitna pyar karte h, baki golu ko pinkiya k chakkar m na dalo verna achcha khasa ladke k life k lag jane hai😉😉
Wah bhai Mishra ji to gajab kr diye super👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
Beta to beta baap Bhi baap kya baat mishra ji, aapne to clean bold kr diya, 🤠🤠🤠