Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 54

Manmarjiyan – 54

Manmarjiyan - 54

Manmarjiyan – 54

गोलू ने पिंकी को अच्छा सबक सिखाया साथ ही शगुन ने भी पिंकी को करारा जवाब दिया। शगुन इतना तो जान चुकी थी की पिंकी गुड्डू के लिए सही लड़की नहीं है। पिंकी अपने घर जा चुकी थी , गुड्डू भी दूसरे कामो में बिजी हो गया और शगुन वेदी मिश्राइन के पास चली आयी। रौशनी के फेरे हो चुके थे और वह मनोहर की पत्नी बन चुकी थी। विदाई सुबह होनी थी इसलिए मिश्राइन ने गुड्डू से वेदी और शगुन के साथ घर जाने को कहा। गुड्डू गोलू वेदी और शगुन गेस्ट हॉउस के बाहर आ गए। वेदी आकर गोलू की स्कूटी पर बैठ गयी और गुड्डू से कहा,”गुड्डू भैया आप और भाभी साथ में आ जाईये”
गुड्डू ने भी अपनी बाइक स्टार्ट की और शगुन से बैठने का इशारा किया। शगुन गुड्डू के पीछे आ बैठी , गुड्डू ने बाइक आगे बढ़ा दी। इस वक्त गुड्डू के जहन में सेंकडो सवाल चल रहे थे जिनका जवाब सिर्फ शगुन के पास था। गोलू वेदी को घर छोड़कर अपने घर चला गया , कुछ देर बाद शगुन और गुड्डू भी घर पहुंचे। शगुन ऊपर अपने कमरे में चली गयी और गुड्डू बाइक को साइड में लगाकर घर का मेन गेट बंद करने लगा। कुछ देर बाद गुड्डू ऊपर कमरे में आया तो देखा शगुन उन्ही कपड़ो में सोफे पर बैठी सोच में डूबी हुई है। गुड्डू अंदर आया और अपना कबर्ड खोलते हुए कहा,”हमहू जानते है पिंकिया की वजह से तुमहू परेशान हो , उसने जो कुछ कहा उसके हम माफ़ी चाहते है”
“मैं इसलिए परेशान नहीं हूँ की मैं आज पिंकी से मिली बस ये सोचकर बुरा लग रहा है की आप उसे समझ नहीं पाए”,शगुन ने बिना गुड्डू की और देखे कहा
गुड्डू ने कबर्ड बंद किया और शगुन की और देखकर कहा,”इह हमारा आपसी मामला है शगुन”
“आपसी मामले को आपसी ही रखे तो बेहतर होगा पब्लिकली आपको और आपके घरवालों को परेशानी हो जाएगी ,,,,,,,,,और हमे इस घर के सम्मान की फ़िक्र है उम्मीद है आगे से ध्यान रखेंगे”,शगुन ने कहा और उठकर बाथरूम की और चली गयी। शगुन की बातो में चेतावनी गुड्डू को साफ नजर आ रही थी।
गुड्डू को लगा शगुन उस पर गुस्सा करेगी , चिल्लायेगी , हो सकता है मिश्रा जी को बता दे लेकिन शगुन ने ऐसा कुछ नहीं किया उलटा वह बस शांति से गुड्डू से सम्हल कर रहने को कह गयी। शगुन कपडे चेंज करके आयी और सोफे को साफ करने लगी क्योकि अब यही उसका बिस्तर था। गुड्डू ख़ामोशी से शगुन को ये सब करते हुए देखता रहा और फिर आकर बिस्तर पर बैठ गया। उसने अपनी गर्दन झुका ली और कहने लगा,”हमने पिंकी को वहा नहीं बुलाया था , हम तो जानते भी नहीं थे की उह वहा आने वाली है। तुमको हर्ट करने का कोई इरादा नहीं था हमारा”
“जब तक मैं ना चाहू आप मुझे हर्ट कर भी नहीं सकते , मुझे अपने इमोशन्स कंट्रोल करने आते है”,शगुन ने बिना गुड्डू की और देखे कहा तो गुड्डू को ये अखर गया वह एकदम से शगुन के सामने चला और कहा,”तुमहू हर्ट हो रही हो”
“मैं कोई हर्ट नहीं हूँ आपसे”,शगुन ने इस बार भी गुड्डू की और देखे बिना अपना बिस्तर ठीक करते हुए कहा। गुड्डू ने शगुन का हाथ पकड़कर उसे अपनी और किया और कहा,”अगर नहीं हो तो फिर हमायी तरफ देख काहे नहीं रही हो ? नजरे काहे चुरा रही हो हमसे ? यार का किये हम ऐसा तुम्हाये साथ एडजस्ट करने की कोशिश कर रहे है ना इस से जियादा और का करे”
शगुन गुड्डू की आँखों में देखने लगी जिनमे शगुन को एक अजीब सी फीलिंग नजर आ रही थी जिस से लग रहा था जैसे गुड्डू बहुत दुखी है आज की बात से। शगुन को अपनी और ददेखता पाकर गुड्डू ने उसका हाथ छोड़ दिया और साइड होकर कहने लगा,”हमहू खुद नहीं समझ पा रहे है हमाये साथ हो क्या रहा है ? हम सही करने जाते है गलत हो जाता है , कुछ अच्छा करने जाते है तो बुरा हो जाता है। हम किसी को बिल्कुल हर्ट करना नहीं चाहते है पर का करे हमायी किस्मत ही ऐसी है। कोई हमे समझ नहीं पाता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इन कुछ दिनों से इतना उलझे हुए है की कभी कभी तो लगता है मर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
गुड्डू आगे कह पाता इस से पहले ही शगुन ने अपना हाथ उसके मुंह पर रख दिया और कहा,”शशशशशश ऐसी बाते मत कीजिये मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है”
गुड्डू ने धीरे से शगुन का हाथ अपने मुंह से हटाया और कहा,”लेकिन हमे है खुद से ना हम एक अच्छे बेटे बन पाए ना अच्छे प्रेमी और ना ही अच्छे पति,,,,,,,,,हां मानते है की हम में समझ नहीं है पर हम गलत नहीं है।”
शगुन ने गुड्डू को पहली बार इमोशनल होते देखा , उसे गुड्डू हँसता मुस्कुराता चिड़चिड़ाता ही अच्छा लगता था। वह समझ रही थी की गुड्डू आज शाम जो कुछ हुआ उसे लेकर बहुत अपसेट है इसलिए उसने बात बदलने के लिए कहा,”वैसे मैंने सूना था की आप फ़ैल हो गए है”
शगुन की बात सुनकर गुड्डू परेशानी भूल गया और घूरकर उसे देखने लगा तो शगुन ने नजरे घुमाते हुए कहा,”वैसे आप चाहे तो मैं आपको पढ़ा सकती हूँ , टॉप तो नहीं पर हां पास जरूर हो जायेंगे”
“कोई जरूरत नहीं है हमाये बाप बनने की कोशिश मत करो , उह काफी है हमायी जिंदगी में चरस बोने के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और जिंदगी में ना कामयाबी सबको पढाई से नहीं मिलती है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन हल्का सा मुस्कुरा दी। उसे मुस्कुराते देखकर गुड्डू ने कहा,”तुम्हायी ये रहस्य्मयी मुस्कान ना हमायी समझ से बाहर है”
“कोई बात नहीं धीरे धीरे समझ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,गुड़ नाईट”,कहकर शगुन सोफे पर आकर लेट गयी। कुछ देर बाद गुड्डू भी सोने चला गया और शगुन की और पीठ कर ली। शगुन सोई नहीं थी वह अपने दोनों हाथो को गालो के नीचे दबा के करवट लिए गुड्डू को बड़े प्यार से देख रही थी। गुड्डू को नींद आ चुकी थी उसने नींद में करवट ली और शगुन की और पलट गया। बाल आँखों पर आ रहे थे और वह सोया हुआ जैसे कोई मासूम बच्चा लग रहा था। शगुन बस एकटक उसे देखते रही , गुड्डू का वह मासूम चेहरा उसकी आँखों में बसता चला गया और फिर धीरे धीरे नींद ने शगुन को अपने आगोश में ले लिया।

अगली सुबह गुड्डू नहा धोकर शोरूम के लिए निकल गया। शगुन भी अपने काम में लग गयी। उधर पिंकी रात से ही काफी गुस्से में थी शगुन और गोलू ने उसकी जो इंसल्ट की थी उसका बदला तो उसे उन दोनों से लेना ही था। ऊपर से गुड्डू ने भी उन दोनों को कुछ नहीं कहा और इस बात से पिंकी और ज्यादा नाराज थी। गुस्से में वह अपने कमरे में यहाँ से वहा घूम रही थी की तभी उसकी खास सहेली नेहा आयी और कहा,”अरे पिंकी तुमको क्या हुआ ऐसे क्यों घूम रही हो ?”
“नेहा हमे ना बहुत गुस्सा आ रहा है , इतना गुस्सा की हम किसी का खून कर देंगे”,पिंकी ने कहा तो नेहा उसका हाथ पकड़कर उसे बिस्तर की और ले आयी और बैठने को कहा। नेहा ने पास टेबल पर रखा पानी का ग्लास पिंकी की और बढ़ाया उसके पानी पिने के बाद कहा,”अब बताओ हुआ क्या ?”
पिंकी ने नेहा को शुरू से लेकर अब तक की सारी बाते बता दी। नेहा ने ध्यान से सब सूना और कहा,”देख यार पिंकी गुड्डू की शादी हो चुकी है , तू ही सोच वो एक लड़का है और कब तक वो खुद को शगुन के करीब जाने से रोकेगा। मेरी बात मान तो भूल जा गुड्डू को , तेरे लिए लड़को की कमी है क्या यार ?”
“नहीं नेहा ! बात अब ईगो पर आ गयी है उस दो कोड़ी की शगुन ने हमे चेलेंज किया है गुड्डू को तो अब हम पाकर ही रहेंगे”,पिंकी ने गुस्से से कहा
“ये तू गलत कर रही है पिंकी ऐसे तो तू अपने साथ साथ गुड्डू और शगुन की जिंदगी भी खराब कर लेगी”,नेहा ने समझाते हुए कहा
“किसी एक की जिंदगी तो खराब होनी है नेहा फिर उस शगुन की ही क्यों ना हो ? वैसे भी जबसे गुड्डू की शादी हुई है ना वो मुझसे ठीक से बात करता है ना ही मुझसे मिलना चाहता है ,, एक बार तो उसकी अक्ल ठिकाने लानी ही होगी”,पिंकी ने कहा
नेहा ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन पिंकी के सर पर तो न जाने कौनसा भूत सवार था।
पिंकी की बाते सुनकर नेहा को लगा की पिंकी को समझाना बेकार है इसलिए उसने कहा,”तो अब तुम क्या करोगी ?”
ये सवाल सुनकर पिंकी की आँखे चमक उठी और उसने कहा,”उस शगुन ने अपने रूप के जाल में गुड्डू को फंसाया है ना आज हम गुड्डू का ब्रह्मचर्य ही तोड़ देंगे , एक बार गुड्डू मेरे आगोश में आ जाये उसके बाद वह खुद शगुन को छोड़कर मेरे पास आएगा”
“तुम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकती हो की गुड्डू और शगुन के बीच,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,”,नेहा ने हैरानी से पूछा
“अपनी सुहागरात वाले दिन गुड्डू मेरे साथ था , हॉस्पिटल में”,पिंकी ने कहा तो नेहा को अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ और उसने कहा,”तू कितनी कामिनी है पिंकी”
“सॉरी बेबी बेकार है पर प्यार है,,,,,,,,,,,,,,,ऐसे कैसे गुड्डू किसी और लड़की को वो हक़ दे सकता है जो सिर्फ मेरा है”,पिंकी ने कहा
“जैसा तुम्हे ठीक लगे लेकिन मैं तो अब यही कहूँगी पिंकी की सम्हलकर कही तुम्हारी ये सब हरकते तुम्हे किसी बड़ी मुसीबत में ना डाल दे”,नेहा ने उठते हुए कहा तो पिंकी ने उसकी और देखा और कहा,”पिंकी शर्मा ने कभी हारना नहीं सीखा है नेहा , जल्दी ही तुम्हे हमारी और गुड्डू की शादी का इन्विटेशन दूंगी ,, आना जरूर”
नेहा वहा से चली गयी और पिंकी तैयार होने लगी। उसके दिमाग में गुड्डू को लेकर अब क्या प्लान चल रहा था ये बस पिंकी ही जानती थी। पिंकी एक बहुत ही महत्वकांशी लड़की थी जिसने गुड्डू से प्यार सिर्फ उसके पैसे और ऐशो आराम की जिंदगी के लिए किया था लेकिन गुड्डू की शादी के बाद वह प्यार ईगो में बदल गया। जब गुड्डू पिंकी से शादी करना चाहता था तब पिंकी ने नहीं की और आज जब गुड्डू शादीशुदा था तो वह किसी भी कीमत पर पाना चाहती थी। खैर पिंकी अपनी प्लानिंग कर चुकी थी और तैयार होकर घर से निकल गयी।
दोपहर के खाने के समय वेदी ने आकर मिश्रा जी से कहा,”पिताजी हमे किसी काम से बाहर जाना है जाए क्या ?”
“का काम है ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“कुछ नयी बुक्स लेनी है और कुछ कपडे भी”,वेदी ने कहा
“ठीक है चली जाओ पर जल्दी वापस आना और हां सुनो एक ठो काम करो शगुन को भी साथ ले जाओ ,, शादी के बाद से उह कबो बाहर नहीं गयी उसका भी मन दुसरा हो जाएगा”,मिश्रा जी ने सूना तो वेदी खुश हो गयी और कहा,”हां हां बिल्कुल हमे भी कम्पनी मिल जाएगी,,,,,,,,(शगुन की और देखकर) चलोगे ना भाभी ?”
“मैं क्या करुँगी ?”,शगुन ने हिचकिचाते हुए कहा
“अरे बिटिया चली जाओ , बनारस घूमी हो ज़रा कानपूर की आबो-हवा भी देखो तुमको अच्छा लगेगा”,मिश्रा जी ने कहा तो शगुन ने हामी भर दी। शगुन तैयार होकर आयी और जैसे ही वेदी के साथ जाने लगी मिश्रा जी ने उसे अपने पास बुलाया और कुछ पैसे निकालकर शगुन की और बढ़ा दिए। शगुन ने मना किया तो मिश्रा जी ने कहा,”अरे रखो बिटिया काम आएंगे , बाजार में कुछो पसंद आये तो बेझिझक खरीद लेना”
मिश्रा जी ने इतने प्यार से कहा की शगुन उन्हें ना नहीं कह पाई और पैसे लेकर वेदी के साथ चली गयी। वेदी ने शगुन को कानपूर का मार्किट घुमाया , कुछ बुक्स ख़रीदे और उसके बाद कपडे लेने दुकान चली आयी। हालाँकि मिश्रा जी का खुद का शोरूम था लेकिन वेदी को इस बार बाहर से लेना था। खैर वेदी ने कुछ कपडे खरीदे शगुन को प्रीति के लिए कुछ कपडे पसंद आये तो उसने उसके लिए खरीद लिया। वेदी ने जिद की तो शगुन ने अपने लिए सिर्फ कानो के झुमके लिए। घूमते हुए शगुन की नजर दुकान में लगे पुतले पर चली गयी जिसने डार्क ग्रीन शर्ट पहना हुआ था। शगुन को उसमे गुड्डू दिखाई दे रहा था , शगुन ने देखा गुड्डू के पास हर रंग का शर्ट है बस ये नहीं। उसे खोया हुआ देखकर वेदी ने कहा,”क्या हुआ भाभी ?”
“कुछ नहीं वो शर्ट अच्छा लग रहा है”,शगुन ने कहा
“अरे तो खरीद लीजिये ना भैया के लिए वो तो देखकर खुश हो जायेंगे”,वेदी ने कहा
“हां लेकिन बिना ओकेजन”,शगुन ने कहा
“अरे भाभी अगले महीने भैया का बर्थडे है , तभी दे देना”,वेदी ने कहा तो शगुन ने उस शर्ट को गुड्डू के लिए खरीद लिया दोनों ख़ुशी ख़ुशी वहा से बाहर निकल आयी। मार्किट से बाहर आकर वेदी ने शगुन से कहा,”भाभी चलिए चाट खाते है”
शाम के 5 बज रहे थे वेदी शगुन को चाट वाले के पास ले आयी और दो प्लेट बनाने को कहा। शगुन वहा खड़ी कानपूर की भीड़भाड़ देख ही रही थी की तभी उसकी नजर सड़क के उस पार गयी जहा गुड्डू खड़ा था और साथ में पिंकी भी और उसके बाद पिंकी सामने बने होटल में उसे लेकर चली गयी।
“वेदी तुम यही रुको मैं अभी आती हूँ”,कहकर शगुन भी वहा से चली गयी

Manmarjiyan - 54
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संजना किरोड़ीवाल

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