मनमर्जियाँ – 47
Manmarjiyan – 47
”मनमर्जियाँ – 47”
गुड्डू की कमर में दर्द हो रहा था वह बिस्तर पर आ बैठा और चाय पीने लगा। उसे शगुन पर गुस्सा आ रहा था वह बड़बड़ाने लगा,”पिंकिया ने तो कहा था की शगुन ज्यादा दिन इस घर में नहीं टिकेगी पर हिया तो सब ही उलटा हो रहा है ,, खुद परेशान होने के बजाय उह हमे परेशान कर रही है। हमने उसे पिंकिया के बारे में बताया लेकिन उसने ना गुस्सा किया , ना ही कुछ कहा ,, पिताजी से कहना होता तो अब तक उन्हें कह चुकी होती। आखिर इसके दिमाग में का पक रहा है पता लगाना पडेगा”
गुड्डू सोच में डूबा चाय पिने लगा और शगुन नीचे चली आयी। रात के खाने के समय गुड्डू निचे आया और सबके साथ बैठ गया। मिश्राइन ने गुड्डू को देखा तो शगुन से कहा,”बहुरिया गुड्डू के लिए खाना लगाय दयो”
“जी माजी”,कहकर शगुन गुड्डू की और चली आयी और उसे खाना परोसने लगी। गुड्डू चुपचाप खाना खाने लगा उसे चुप देखकर मिश्रा जी ने कहा,”आज शोरूम काहे गए थे बेटा ?”
“आप ही तो कहे रहे की रिजल्ट नहीं आता तब तक शोरूम आओ”,गुड्डू ने कहा
“उह तो इसलिए कहे रहय की हमे मालूम था तुमहू इस बार भी फ़ैल होने वाले हो , पर अब तो तुम्हायी शादी हो चुकी है तो थोड़े दिन घर में ही रुको”,मिश्रा जी ने कहा
“घर में कोई काम नहीं होता है”,गुड्डू ने मुंह बनाकर कहा
“तो शोरूम आकर कोनसा कुछो उखाड़ लेते हो तुम ? आज दोपहर में ही तुमहू अचानक से गायब हुई गए। हमहू जानते है शोरूम के काम में तुम्हारा बिल्कुल मन नहीं है”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू के गले में खाना अटक गया। कही मिश्रा जी को गुड्डू और पिंकी के मिलने को लेकर शक ना हो गया हो सोचकर गुड्डू मन ही मन परेशान हो उठा। उसे खांसता देखकर शगुन ने पानी का ग्लॉस गुड्डू की और बढ़ा दिया। गुड्डू ने पानी पीया मुंह का निवाला हलक से नीचे उत्तरा तो मिश्रा जी ने कहा,”कल से रौशनी के घर में शादी की तैयारियां शुरू हो जाएगी इसलिए तुम वहा जाओगे किसी तरह की जरूरत हो तो देख लेना”
“ठीक है”,गुड्डू ने कहा और खाने लगा। खाना खाने के बाद गुड्डू ऊपर छत पर चला आया देखा रौशनी भी अपनी छत पर किसी से फोन पर बातें करती हुई घूम रही थी। गुड्डू को देखकर रौशनी मुस्कुरा दी , बदले में गुड्डू भी मुस्कुरा दिया। रौशनी फिर बातो में लग गयी गुड्डू दिवार पर आ बैठा और सामने खाली पड़े आसमान को देखने लगा। हमेशा उसके पीछे भागने वाली रौशनी को आज उसके होने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। गुड्डू सोच में डूब गया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर वह क्या करे ? जितना वह अपनी परेशानियों से निकलने की कोशिश करता उतना ही उनमे उलझता जा रहा था। शगुन खाना खाकर ऊपर आयी और कमरे मे आयी देखा गुड्डू वहा नहीं है। शगुन ने अपना सूटकेस खोला और उसमे से कपडे निकालकर कबर्ड में एक साइड में रखने लगी। शगुन ने फैसला कर लिया था की वह इस घर से नहीं जाएगी। उसने अपना सामान और कपडे अंदर रखे और खाली सूटकेस को उठाकर ऊपर रखने लगी। हाइट कम होने की वजह से शगुन का हाथ वहा तक जा नहीं रहा था फिर भी शगुन कोशिश कर रही थी की जैसे तैसे वह उस सूटकेस को ऊपर रख सके। अभी वह उसे ऊपर रखने की जद्दोजहद कर ही रही थी की गुड्डू कमरे में आया जब शगुन पर उसकी नजर पड़ी तो वह उसके पास आया और सूटकेस लेकर बड़ी आसानी से उसे अलमारी पर रख दिया।
“थैंक्यू”,शगुन ने सहजता से कहा लेकिन गुड्डू ने कोई जवाब नहीं दिया और बिस्तर की और चला आया। उसने अपना तकिया सही किया और कम्बल ओढ़कर सो गया। शगुन बस उसे देखते रही और फिर दुसरा तकिया कम्बल लेकर सोफे पर आकर सो गयी। गुड्डू को नींद नहीं आ रही थी बस वह जानबूझकर शगुन से बचने के लिए ऐसा कर रहा था। उसने अधखुली आँखों से देखा की शगुन को सोफे पर सोने में काफी परेशानी हो रही थी। वह बार बार करवटें बदल रही थी। गुड्डू ने कम्बल सर तक ओढ ली और सो गया। सुबह जब आँख खुली तो देखा शगुन वहा नहीं है। गुड्डू आँखे मसलते हुए बाहर आया तो देखा कमरे के बांयी और बने बाथरूम के बाहर शगुन ने धोबीघाट बनाया हुआ है। साथ ही दांयी और लगे तारो पर गुड्डू के अनगिनत धुले हुए कपडे सुख रहे थे। गुड्डू शगुन के पास आया और कहा,”इह सब का कर रही हो ?”
शगुन ने गुड्डू की और देखा और कहा,”पत्नीधर्म निभा रहे है”
“तुमहू पागल हो का ? इत्ते सारे कपडे एक साथ काहे धो रही हो ? लाजो से कहती उह धो देती वरना धोबी के यहाँ भिजवा देते हम”,गुड्डू ने कहा
“आपने ही कहा था धोने के लिए , वैसे भी लाजो दी निचे काम कर रहीं है और धोबी के यहाँ इतने कपडे जायेंगे तो पैसे भी लगेंगे इसलिए हमने धो दिए”,शगुन ने कहा तो गुड्डू को थोड़ा अजीब लगा और उसने कहा,”काहे ? हम कुए में कूदने को कहेंगे तो कूद जाएँगी ?”
“वजह सही रही तो कूद जायेंगे”,शगुन ने गुड्डू की और देखते हुए कहा
“सच में पागल हो तुम”,कहकर गुड्डू वहा से चला गया। शगुन फिर अपने काम में लग गयी गुड्डू निचे आया और हाथ मुंह धोकर मिश्राइन से चाय मांगी। मिश्राइन ने लाजो को चाय चढाने को कहा और खुद पूजा पाठ में लग गयी। गुड्डू चाय पि ही रहा था की तभी गोलू वहा आ पहुंचा और गुड्डू की बगल में बैठते हुए कहा,”भैया आज शाम में रिजल्ट आने वाला है”
गुड्डू ने जैसे ही सूना उसके मुंह से चाय का घूंठ फनवारे की तरह निकला और उसने कहा,”मतलब फिर से सुताई होगी”
“सुताई होगी,,,,,,,,,,,,,,,,,का फिर से फ़ैल होने वाले हो का तुम ?”,गोलू ने गुड्डू को अजीब नजरो से घूरते हुए कहा
“अरे यार उह पिंकिया के चक्कर में कुछो पढ़ ही नहीं पाए थे ,, और जिस तरह से पेपर लिखे है हमे नहीं लगता पास होंगे हम”,.गुड्डू ने कहा तो गोलू ने अपना सर पीट लिया और कहा,”इह पिंकिया के चक्कर में ना एक ठो दिन अपनी लंका लगवा लोगे तुम गुड्डू मिश्रा ,, फ़ैल होने का मतलब है मिश्रा जी अब आगे पढ़ने नहीं देंगे तुमको”
“अबे हमको पढ़ना भी नहीं है हमे तो डर है कही पिताजी परमानेंट हमे शोरूम में ना लगा दे”,गुड्डू ने चाय खत्म करते हुए कहा
“अच्छा छोडो ये सब इह बताओ भाभी कहा है नजर नहीं आ रही”,गोलू ने घर में नजर दौड़ाते हुए कहा लेकिन शगुन उसे कही नहीं दिखी। गोलू के मुंह से भाभी सुनते ही गुड्डू चिढ गया और कहा,”पहली बात तो इह की उसे भाभी भाभी बुलाना बंद करो दूसरी बात इह की हमे नहीं पता वो कहा है हम उसके पीछे नहीं घूमते है”
“भाभी को भाभी नहीं बोले तो और का बोले ? और साला इह एकदम से तुम्हरा टोन कैसे चेंज हो गया भाभी को लेकर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमको काहे लग रहा है कुछो गड़बड़ किये हो तुम ?”,गोलू ने शकभरी निगाहो से गुड्डू को देखते हुए कहा
“हम का गड़बड़ करेंगे ? और इतनी ही परवाह है ना उनकी तो जाकर खुद ही जाकर पूछ लो”,गुड्डू ने मुंह बनाते हुए कहा
गोलू उठा और कहा,”हां तो पूछ लेंगे हमे कोनसा किसी से परमिशन लेनी है”
गोलू तो गया नहीं इसलिए गुड्डू ही उठकर वहा से चला गया और आकर अपनी बाइक साफ करने लगा। गोलू ऊपर आया देखा शगुन कपडे निचोड़कर सूखा रही है। तार पर सूखे कपडे देखकर गोलू का सर चकराने लगा। वह शगुन के पास आया और कहा,”अरे भाभी इह सब का कर रही है आप ? अभी आपके हाथो की मेहँदी नहीं छूटी है और आप है के इतने कपडे धोय रही है”
“घर का काम करने में कैसी शर्म गोलू जी , वैसे भी ये सब कपडे गंदे थे और इतने सारे कपडे धोबी को देते तो खर्चा होता इसलिए मैंने धो दिए”,शगुन ने धीरे से कहा
“हां पर मशीन से धो लेने चाहिए थे , और गुड्डू भैया ने भी आपको नहीं रोका गधे कही के”,गोलू बड़बड़ाया तो शगुन ने कहा,”मेरे घर में मशीन नहीं थी वहा हाथ से ही कपडे धोने की आदत थी मुझे,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे भाभी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे बुरा लग रहा है आपको देखकर रुको अभी चाची से कहते है जाकर”,गोलू जैसे ही जाने लगा शगुन ने कहा,”गोलू भैया रुकिए”
गोलू रुक गया तो शगुन उसके सामने आयी और कहने लगी,”आप नीचे जाकर माजी से कुछ कहेंगे तो उन्हें बुरा लगेगा , मै अपनी ख़ुशी से ये सब काम कर रही हूँ और फिर ये मेरा घर है यहाँ काम करना तो मेरा फर्ज है ना। माजी को पता चला ये सब कपडे गुड्डू जी के है तो हो सकता है वो उन्हें भी डांट दे इतने कपडे धुलवाने के लिए”
शगुन की बात सुनकर गोलू को उसके चेहरे पर मासूमियत नजर आने लगी , वह मुस्कुराया और कहा,”अच्छा ठीक है हम किसी से नहीं कहेंगे , तो आज शाम आप आ रही है ना ?”
“कहा ?”,शगुन ने पूछा
“अरे सामने अपनी रौशनी के घर आज उसकी हल्दी है ना तो हम और गुड्डू भैया दिनभर उधर ही काम करने वाले है”,गोलू ने कहा
“हम्म्म्म ठीक है”,शगुन ने कहा तो गोलू उसे आने का बोलकर वापस नीचे चला आया। गुड्डू अपनी बाइक को साफ कर रहा था तो गोलू ने उसके पास आकर कहा,”इसे बाद में चमका लेना पहले रौशनी के घर चलो ,, जो बड़े बड़े लेक्चरबाजी दिए हो ना उसे पूरा भी कर दो”
गुड्डू उठा और कहा,”चलो”
गोलू और गुड्डू दोनों रौशनी के घर आये , सबसे पहले दोनों ने घर में रौशनी वाली लड़िया और फुल मालाये लगायी। ऊपर छत पर टेंट बंधवाया , हल्दी के फंक्शन की सारी व्यवस्था जमाई। छत पर घूमते हुए गुड्डू की नजर अपनी छत पर सुख रहे अपने ही कपड़ो पर चली गयी शगुन की मेहनत उसे साफ दिखाई दे रही थी। गुड्डू को खोया हुआ देखकर गोलू ने कहा,”अरे भैया चलो ध्यान कहा है तुम्हारा ?”
दोपहर तक गुड्डू और गोलू गधो की तरह काम में लगे रहे और सारी तैयारियां ख़त्म होने के बाद गोलू अपने घर चला गया और गुड्डू अपने घर चला आया। गुड्डू जब ऊपर जाने लगा तो आँगन में बैठी मिश्राइन ने कहा,”ए गुड्डू ज़रा हिया आओ”
गुड्डू उनकी और आया और कहा,”का बात है ?”
मिश्राइन ने शोरूम से कुछ साडिया मंगवाई थी उन्ही में से 2 साड़ी उठाकर गुड्डू के सामने करते हुए कहा,”जे बता इनमे से कोनसी ज्यादा अच्छी है जे लाल वाली या जे पिली वाली ?”
“कोई भी लेओ दोनो अच्छी है , और हमे काहे पूछ रही है आप हमे थोड़े ना पहननी है”,गुड्डू ने कहा
“तुम्हे नहीं पहननी है लेकिन जे तुम्हायी दुल्हिन के लिए ले रहे है शाम में रौशनी की हल्दी में पहनने के लिए , इसलिए पूछ रहे बताओ कोनसी अच्छी है ?”,मिश्राइन ने पास बैठी शगुन की और देखकर कहा
“इन्ही से पूछ लो हम का बताये ?”,गुड्डू ने कहा
“छोडो शगुन इह तो बौड़म है तुम्ही बताओ कोनसी अच्छी है ?”,मिश्राइन ने शगुन से पूछा तो शगुन ने कहा,”जो आपको ठीक लगे”
“एक ठो काम करो बनवारी जे दोनों साड़िया ही बहू के लिए रहने दो”,मिश्राइन ने कहा तो शगुन ने देखा साड़ी पर 5200 रूपये का टैग लगा है तो उसने कहा,”लेकिन माजी ये बहुत महंगी है”
शगुन की बात सुनकर मिश्राइन हसने लगी और कहा,”अरे शगुन अपने ही शोरूम से आयी है तो का सस्ती और का महंगी ? तुमहू रखो”
बनवारी बाकि की साड़िया लेकर वहा से चला गया। गुड्डू भी जाने लगा तो मिश्राइन ने कहा,”गुड्डू तुमहू उपर कमरा में जा रहे हो तो इह साड़ी भी ले जाओ”
गुड्डू बेमन से दोनों साड़िया लेकर सीढ़ियों की और बढ़ गया। चलते चलते गुड्डू की नजर साड़ी के प्राइस टैग पर पड़ी तो वह बड़बड़ाया,”का किस्मत है तुम्हायी शगुन मतलब हम 1000 का शर्ट खरीदे तो पिताजी 100 बातें सुनाएंगे और तुम्हाये लिए इतनी मेहंगी साड़िया।”
गुड्डू ने साडी लाकर सोफे पर रख दी और खुद नहाने चला गया। नहाकर उसने लाइट कलर की पेंट और नेवी ब्लू रंग का शर्ट पहना और नीचे चला आया। गुड्डू बहुत अच्छा लग रहा था , शादी में क्लीन शेव की हुई दाढ़ी अब वापस आने लगी थी। गुड्डू ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया। शाम में रौशनी के घर हल्दी की रस्म शुरू हुई। सभी रौशनी को हल्दी लगा रहे थे , वेदी तो शाम से ही उसके साथ थी। गुड्डू और गोलू भी सजे धजे वहा चले आये और फंक्शन देखते हुए चाय गटकने लगे। शगुन को ससुराल में अभी 3 ही दिन हुए थे और यहाँ वह किसी को जानती भी नहीं थी लेकिन मिश्राइन के कहने पर उसने रौशनी की हल्दी में वो पिले रंग की साड़ी पहनी और रौशनी के घर चली आयी। शगुन को देखकर वेदी उसके पास आ गयी हर कोई गुड्डू की बहू की तारीफ कर रहा था और शगुन बस मुस्कुराते हुए सबको नमस्ते कर रही थी। वेदी शगुन को अपने साथ आगे ले गयी और रौशनी को हल्दी लगाने को कहा। शगुन को वहा देखकर रौशनी बहुत खुश हुई और हल्दी लगाने का इशारा किया। शगुन ने अपने हाथो से जरा जरा सी हल्दी लेकर रौशनी के गालो पर लगा दी। कुछ ही दूर खड़े गुड्डू की नजर शगुन पर पड़ी तो वह पलट गया और गोलू से कहा,”गोलू चल चलते है”
“काहे अभी तो फंक्शन शुरू हुआ है”,गोलू ने कहा
“अबे मनोहर की भी तो हल्दी है ना आज वहा नहीं जाना”,गुड्डू ने झूठ ही कह दिया जबकि मनोहर की हल्दी सुबह हो चुकी थी। पर हमारे गोलू जी ठहरे भोंदूराम गुड्डू की बातो में आ गए और चल पड़े उनके साथ। जैसे ही दोनों नीचे आये सामने ही रौशनी के पापा मिल गए और गुड्डू से कहा,”अरे गुड्डू वो सिलेंडर तो लाना भूल गए तुम”
“तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने चौंकते हुए कहा
“तो का लेकर आओ शाम को खाना कैसे बनेगा और पुरे 11 सिलेंडर है”,रौशनी के पापा ने गोलू से कहा
“चच्चा गैस एजेंसी खोल रहे हो का ? मतलब इतने सिलेंडर का करोगे का ?”,गोलू ने कहा
“अरे यार तुमको लाने से मतलब है सवाल काहे कर रहे हो ? और हां उन्हें ऊपर रखना है किसी की नजर ना पड़े”,कहकर रौशनी के पापा चले गए।
“और लो उड़ता तीर का जरूरत थी रौशनी की शादी का काम करने के लिए हां बोलने की”,गोलू ने कहा
“गोलू मोहल्ले की लड़की ना बहन जैसी होती है , अब चलो”,कहते हुए गुड्डू गोलू को लेकर घर से बाहर आ गया। पहले दोनों गैस एजेंसी से सिलेंडर लेकर आये उसके बाद एक एक करके ऊपर ले जाकर रखने लगे। एक सिलेंडर रखने में ही दोनों को पसीने आ गए। गोलू की नजर खाने पर पड़ी तो वह तो उधर निकल गया। बेचारा गुड्डू फंस गया लेकिन क्या करता उड़ता तीर मेरा मतलब जबान दी थी इसलिए करना पड़ा। गुड्डू अकेले ही सिलेंडर उठा उठा कर सीढ़ियों से छत पर ले जाने लगा। पसीने से उसकी शर्ट भीगने लगी थी और माथे से भी पसीना टपक रहा था। शगुन की नजर गुड्डू पर गयी तो वह गुड्डू के पीछे चली आयी। पहली बार वह गुड्डू को मेहनत करते देख रही थी। सज संवर कर ठाठ बाट से रहने वाला गुड्डू सिलेंडर उठाकर रख रहा था। आखरी सिलेंडर रखकर गुड्डू जैसे ही नीचे आया शगुन उसके सामने आ गयी। गुड्डू रुक गया शगुन ने देखा गुड्डू के माथे पर पसीना झलक आया है , शर्ट भी पसीने से जगह जगह से गीली हो चुकी है। गुड्डू के गंदे हाथ देखकर शगुन ने अपनी साड़ी का पल्लू लिया और गुड्डू के माथे पर आया पसीना पोछ दिया। दोनों खामोश थे गुड्डू बस ख़ामोशी से शगुन को देखे जा रहा था ,, ये वही 5200 वाली साड़ी थी जिसे मिश्राइन ने शगुन के लिए पसंद किया था। सहसा ही गुड्डू को पिंकी की याद आ गयी जब उसने कहा था – ,”का कर रहे हो गुड्डू ? पुरे 1200 का दुपट्टा है इसे खराब मत करो ,, अपना चश्मा कही और जाकर साफ करो”
क्रमश : manmarjiyan-48
Previous Part – manmarjiyan-46
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संजना किरोड़ीवाल
Par pinki ka dupatta to 500 ka tha.🙄..
लेकिन हमारे अक्ल से पैदल गुड्डू जी को समझ थोड़ी आएगा… कि ये शगुन है जो उसकी पत्नी है और उससे प्यार करती है…उसे फर्क नहीं पड़ता कि उसकी साड़ी कितनी महंगी है या सस्ती…उसे बस गुड्डू का पसीना दिखा और जो उसने साफ किया… अगर अब भी गुड्डू को समझ नहीं आया तो संजना जी गुड्डू बहुत जोर लात पड़नी चाहिए पिंकी की तरफ से…बस
Guddu ko dimag dijiye sangana ji..ye samjhne ki ..ki kon uske fikar krta hai or saccha pyar karta hai..shagun bahut acchi ladki hai..uske saath sab accha hona chahiye..to plese….aage shagun ke saath sab accha accha kijiye or vo pinki ko maza chakahiye…guddu buddhihin ladke ko thodi buddhi dijiye sahi chiz samjhne ki…
Nice part wating for next part….🌹🌷🌷🌷
Yh guddu bilkul bewakoof h shayad shagun k pyaar m pagla gya h jo usse shagun ki achai nazar nhi aati
मैम अब तो गुड्डू को अक्ल दिला दों….पिंकी का लालचीपन और शगुन का उसका हर हालत में परवाह करना…ये तो नजर आ जायें उसे….मैम गोलू को भी तो पता चलने दो…कि उसके दोस्त ने क्या गुल खिलाया हैं😊 shandaar part👌👌👌👌👌
Hmare bholebhandari guddu ji ab to akl s kam lijiye plz kahe apni swarg si jindagi m aag lgane p tule ho 🌺🙏
Ab to guddu ko dheere dheere difference samjh ayega….
Ye bat thoda thoda hi sahi Guddu ko samjh to ayega.😎😎
Nice part
Guddu ji jahan pyaar hota h wahan paise ki keemat nhi dekhi jati
Very beautiful
Aj is guddu ko bche ko golu se lat pdwao.. akal ka dushmn.. ab to km se km sch dkh ske vo pinki kaa..pr guddu to hh bel budhii itnii jldi kese akal ayegii😏😏😏
Aaj ka part bahut accha tha aur sabse accha tha shagun ka guddu ke liye pyar aur uski care karna butifull
Je baat.. 500-1000 k dupatte se chashma tk saaf na krne dia.. yaha saree k pallu se piya ji ka pasina pochha ja rha.. lovely 🤗
Please Sanjana ji is bail budhi guddu ko ab kuch akl bhi dijiye pta ni abi or kitni bewkoofiya krega
Bht hi jbrdst story