Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 36

Manmarjiyan – 36

Manmarjiyan - 36

Manmarjiyan – 36

मनोहर और गोलू को हँसते देखकर गुड्डू ने एक बार फिर खुद को शीशे में देखा। जितना कूल और हेंडसम वह दाढ़ी में दिखता था आज थोड़ा अलग दिख रहा था। गुड्डू उन दोनों की और पलटा और कहा,”हँसना बंद करो बे तुम दोनों”
“अच्छा अच्छा ठीक है गोलू चुप बिल्कुल चुप”,मनोहर ने मुश्किल से अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए कहा। गोलू भी चुप हो गया लेकिन अगले ही पल फिर हंस पड़ा और उसे देखकर मनोहर भी ,, गुड्डू गोलू के पास आया और उसे गर्दन से दबोच कर कूटने लगा। मनोहर ने दोनों को अलग किया और कहा,”अरे गुड्डू काहे बिलबिलाय रहे हो यार अच्छे लग रहे हो , सीधे सिंपल लड़के,,,,,,,,,,,,,,,,कम से कम तुम्हायी रंगबाजी वाली इमेज तो साफ हुई”
“मनोहर बताय रहे है मुंह तोड़ देंगे हम तुम दोनों का , साले हमाये बाप ही काफी है हमे परेशान करने के लिए तुम दोनों हमाये बाप ना बनो समजे”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा अच्छा ठीक है , चलो गेस्ट हॉउस चलते है मिश्रा जी का दो बार फोन आ चुका है तीसरी बार में फोन नहीं आएगा वो खुद आ जायेंगे”,मनोहर ने कहा तो गुड्डू और गोलू दोनों उसके साथ चल पड़े। तीनो गुड्डू की बाइक से गेस्ट हॉउस पहुंचे। सब गुड्डू को इस नए लुक में देखकर हैरान थे। हमेशा जींस शर्ट पहनने वाला , साथ में स्पोर्ट्स शूज , बालो को जेल लगाकर सेट करना , दाढ़ी में रहना , हाथ में ब्रासलेट , शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खुले रखकर अपनी बुलेट पर पुरे कानपूर में घूमने वाला गुड्डू आज फॉर्मल कपड़ो में बिना शेविंग के बहुत प्यारा लग रहा था। गुड्डू का ममेरा आ चुका था और गेस्ट हॉउस के हॉल में फंक्शन था। गुड्डू अपने पिताजी के साथ उनके बीच चला आया। गोलू और मनोहर ने कुछ ही दूर कुर्सियां डाल ली और बैठकर फंक्शन देखने लगे। गुड्डू के ननिहाल वाले लखनऊ से थे और काफी पैसे वाले थे इसलिए उन्होंने ममेरे में काफी खर्चा किया था। गुड्डू के लिए भी कीमती कपडे और ढेर सारा सामान लाये थे।
दो घंटे के इस लम्बे फंक्शन से गुड्डू उठा और अपनी कमर सीधी करते हुए कहा,”खाना कब मिलेगा ?”
“बस थोड़ी देर में शुरू करवाते है खाना तब तक अपने मामा नाना से मिलो उनके पास बैठो”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू गोलू के पास चला आया।
गुड्डू उनके पास आकर बैठा तो देखा गोलू कोल्ड ड्रिंक पि रहा है गुड्डू ने उस से लेकर कहा,”तुमहू दूसरी ले आओ”
गोलू जो की इन कामो में एक नंबर का आलसी था उसने पास से गुजरते छोटे लड़के को अपने पास बुलाया जिसके पास कोल्डड्रिंक थी और उस से लेकर कहा,”जाओ बेटा तुमहू दूसरी ले आओ , ऑरेंज वाली ठीक है”
लड़का गोलू को घूरते हुए वहा से चला गया। गुड्डू ने देखा तो कहा,”अबे सुधर जाओ गोलू”
“काहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब हम काहे सुधरे ?,,,,,,,,,,सादी तुम्हायी होय रही है सुधरने की जरूरत तुमको है समझे”,गोलू ने इत्मीनान से कोल्ड ड्रिंक पीते हुए कहा। गुड्डू ने सूना तो कहा,”तो सादी तो तुम्हायी भी होगी ना कभी न कभी”
“अरे भैया तुम्हायी छोटी साली से सेटिंग करवाय दो यार हमरी , अच्छी जोड़ी रहेगी हमारी”,गोलू ने एकदम से गुड्डू की और झुककर कहा
“हां हां हूर के साथ लंगूर”,गुड्डू ने कहा तो मनोहर हसने लगा और कहा,”अरे तो का बुराई है गुड्डू गोलू की सादी तुम्हायी साली से हो जाती है तो अच्छा है दोनों बहने एक शहर में रहेगी भाभी का भी मन लगा रहेगा ,,, नई गोलू”
“और नहीं तो का ?”,गोलू ने कहा
“देखो बेटा ऐसा है उह हमायी होने वाली साली है अभी हुई नहीं है और उसकी सादी कहा करनी है किस से करनी उह खुद डिसाइड करेगी”,गुड्डू ने कहा
“देखा मनोहर भैया अभी शादी हुई नहीं अभी से बदल गए गुड्डू भैया”,गोलू ने कहा तो मनोहर ने उसे दिलासा देते हुए कहा,”अरे गोलू टेंशन काहे ले रहे हो यार कल चल रहे है ना गुड्डू की बारात में बनारस वही देख लेंगे तुम्हारे लिए भी कोई ,, जब मेरा और गुड्डू का कट रहा है तुम साले सिंगल काहे रहो”
“जे बात बिल्कुल ही सही कहे हो मनोहर भैया वैसे हमहू तो कानपूर की भी चल जाएगी”,गोलू ने कहा और मुस्कुरा उठा। खाना शुरू हुआ तो गुड्डू उन दोनों के साथ उठकर खाने की और चला गया।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
शगुन के घर में भी मेहमानो की काफी चहल पहल थी ,, घर में आज संगीत था और सब उसी की तैयारियों में लगे हुए थे। गुप्ता जी विनोद के पास आये और उसे साइड में लाकर कहा,”विनोद पैसो का इंतजाम हुआ , कल शाम शादी है और लड़के वालो को शगुन में इतने तो देने ही होंगे”
“भाईसाहब मेरे पास 2 लाख मिल जायेंगे इस से ज्यादा तो नहीं होंगे , शादी में भी खर्चा हो चुका है तो मैं इंतजाम नहीं कर पाऊंगा”,विनोद ने कहा
“ये क्या कह रहे हो विनोद ? मैंने तुम्हारे भरोसे पर पंडित जी से शगुन देने की बात कह दी है ,, अब बात खराब होगी”,गुप्ता जी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“क्यों ना हम मिश्रा जी से बात करे हो सकता है वो ये परेशानी समझे और शगुन ना ले”विनोद ने कहा
“नहीं विनोद उन्होंने अपने मुंह से शगुन माँगा भी नहीं है लेकिन लड़की वालो का फर्ज बनता है उन्हें कुछ तो दे”,गुप्ता जी ने कहा
“तो अब क्या करेंगे ?”,विनोद ने कहा
“मैं बैंक में बात करके देखता हूँ अगर लॉन मिल जाये”,गुप्ता जी ने कहा
“लेकिन दो दिन में हमे लॉन कौन देगा ?”,विनोद ने कहा तो गुप्ता जी और परेशान हो गए और सोफे पर आ बैठे उनके चेहरे से चिंता साफ दिखाई दे रही थी। विनोद ने उन्हें हिम्मत बंधवाई और कहा,”आप चिंता मत कीजिये कुछ ना कुछ हो जाएगा”
“हम्म्म , तुम जाकर हलवाईयो को देखो तब तक मैं बाहर होकर आता हूँ”,कहते हुए गुप्ता जी बाहर चले गए।
घर में शगुन के संगीत कि सभी तैयारी हो चुकी थी। सभी संगीत का आनदं ले रहे थे। शगुन अपनी दोस्त बिंदु के साथ सोफे पर बैठी हुई थी , उसने लाइट आसमानी रंग का लहंगा और पिंक दुपट्टा लगाया हुआ था। चेहरे पर शादी का रंग चढ़ा हुआ था और हाथो में गुड्डू के नाम की मेहँदी बहुत गहरी रची थी। सबसे गहरा रचा था गुड्डू का नाम। शगुन की नजर बार बार अपनी मेंहदी में लिखे गुड्डू के नाम पर जा रही थी। बिंदु ने देखा तो छेड़ते हुए कहा,”बस थोड़ा सा सब्र और कर लो शगुन उसके बाद तो गुड्डू जी परमानेंट तुम्हारे होने वाले है”
शगुन शरमा कर मुस्कुरा दी। प्रीति जो की संगीत में डांस कर रही थी शगुन के पास आयी और उसे अपने साथ लेकर चली गयी। शगुन उसके साथ डांस करने लगी। ख़ुशी से उसका चेहरा दमक रहा था। भुआ जी ने शगुन को डांस करते हुए देखा तो 100 का नोट उसके सर से वारकर कहा,”तुझे दुनिया का सारा सुख मिले और तेरे इस चेहरे की मुस्कराहट बनी रहे”
प्रीति ने भुआ जी का हाथ पकड़ा और उन्हें भी अपने साथ साथ नचवाने लगी। डांस करते हुए शगुन खो सी गयी और उसे लगा जैसे गुड्डू वहा है , गुड्डू धीरे धीरे शगुन के पास आया और अपना हाथ उसकी और बढ़ा दिया शगुन ने भी गुड्डू का हाथ थाम लिया। जैसे ही शगुन ने गुड्डू का हाथ थामा गुड्डू ने उसे अपनी और खींचा और उसकी आँखों में देखते हुए बालो की लट शगुन के कान के पीछे कर दी। गुड्डू की छुअन का अहसास इतना गहरा था की शगुन ने अपनी आँखे मूंद ली।
“दी कहा खोयी हो ? डांस करो ना”,प्रीति ने शगुन को हिलाते हुए कहा तो शगुन अपने खयालो की दुनिया से बाहर आयी और मुस्कुरा दी। प्रीति ने शगुन को मुस्कुराते हुए देखा तो उसके करीब आयी और कहा,”दी आप खुश हो ना ?”
शगुन ने प्रीति को गले लगाया और कहा,”हां मैं बहुत खुश हूँ”
प्रीति ने बिंदु को देखा तो उसे भी ले आयी साथ में चाची को भी सभी डांस कर रहे थे और खुशिया मना रहे थे।

कानपूर , उत्तर-प्रदेश
शाम होते ही गेस्ट हॉउस में सजी धजी घोड़ी और बेंड बाजे वाले तैयार खड़े थे। मिश्रा जी ने काले रंग का कोट पेंट पहना हुआ था , मिश्राइन ने लहंगा पहना हुआ था , वेदी अपनी सहेलियों के साथ खड़ी थी उसने भी लहंगा पहना हुआ था। अंजलि भाभी ने नेट वाली साड़ी पहनी हुई थी और आधे से ज्यादा लड़को की नजर आज उन पर ही थी लेकिन उनकी नजर थी अपने पति भूपेश पर। गुड्डू अपने कमरे में तैयार हो रहा था , तैयार क्या हो रहा था बल्कि मनोहर और गुड्डू के जरिये उसे तैयार किया जा रहा था। गुड्डू ने शेरवानी पहनी , पैरो में जूती , हाथ में महंगी घडी , माथे पर साफा बिल्कुल दूल्हा लग रहा था आज गुड्डू , शेविंग हटाने से चेहरा रोजाना से ज्यादा गोरा दिख रहा था। गोलू ने भी कुरता पजामा पहना था और मनोहर ने कोट पेंट। सभी तैयार थे ,, गुड्डू बाहर आया तो मिश्रा जी उसे देखकर उसके पास आये और 500 का नोट उसके सर से वारकर घोड़ी वाले को दे दिया। रौशनी भी आयी थी उसे देखते ही मनोहर तो उसकी और चला गया। गोलू को मिश्रा जी ने इशारा किया तो गोलू भी चला गया। केशव पंडित जी आये थे उन्होंने गुड्डू से छोटी सी पूजा करवाई। पूजा के बाद गुड्डू बाहर आया तो वेदी और उसकी सहेलिया गुड्डू के साथ सेल्फी लेने लगी। इसी बीच गुड्डू को कुछ नया देखने को मिला। गोलू जो की या तो गुड्डू के साथ घूमता है या सिर्फ खाने के आस पास कुछ देर से वह पुरे गेस्ट हॉउस में अकड़कर घूम रहा था। साथ ही गुड्डू के कॉलेज के दोस्त और कुछ मोहल्ले वाले दोस्त गोलू के पीछे पीछे ,, गुड्डू ने गोलू को आवाज देकर अपने पास बुलाया , वेदी और बाकि लड़कियों से जाने को कहा और गोलू से पूछा,”क्या हो गया बे इतना अकड़कर काहे घूम रहे हो ? और इह फौज काहे जमा कर रखी है अपने पीछे ?”
“काहे नहीं अकडेंगे मिश्रा जी ने दारू पिलाने का ठेका हमको दिया है तुम्हायी शादी में”,गोलू ने चौडाते हुए कहा
“दिमाग खराब हुआ है तुम्हारा और हमाये पिताजी का ,, सादी में लौंडो को दारू पिला रहे है बवाल करवाएंगे”,गुड्डू ने दबी आवाज में कहा !
“भैया तुम्हाये पिताजी के पास ना तुमसे ज्यादा दिमाग है , दारू उसी को मिलेगी जो तुम्हायी निकासी में नहीं जाएगा ,, जैसे पिंजरे में रोटी डालकर चूहा पकड़ते है ना वैसे ही मिश्रा जी ने दारू दिखाकर लोकल यार दोस्तों को यही रोक दिया ,, इसे कहते है दिमाग,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने गुड्डू के पिताजी की तारीफ करते हुए कहा
“जे पिताजी भी ना न जाने का का करते है”,गुड्डू ने कहा
“अरे गुड्डू आओ चलो घोड़ी पर बैठो”,गुड्डू के मामाजी ने आकर कहा और गुड्डू को अपने साथ ले गए
गुड्डू घोड़ी पर बैठा उसके पीछे सभी रिश्तेदार और घरवाले चल पड़े , घोड़ी से आगे बेंड बाजा चल रहा था जिस पर एक लड़का हाथ में माइक लिए शादी वाले गाने गा रहा था और बाकि सब बेंड बाजे वाले उसी धुन पर बजा रहे थे। गुड्डू चुपचाप घोड़ी पर बैठा सबको देख रहा था , गोलू और मनोहर डांस कर रहे थे। आज मिश्रा जी भी मूड में थे। गुड्डू की निकासी गेस्ट हॉउस से चल पड़ी। लड़का माइक में गाना गा रहा था- झूम नाचो , नाचो गाओ , झूम नाच के गाओ सकीना”
कुछ लोग सर पर लाइट से जगमगाते गमले सर पर रखे गुड्डू के अगल बगल चल रहे थे। गुड्डू को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सवारी निकाली जा रही है जैसे विसर्जन के समय निकालीं जाती है। अभी कुछ ही दूर चले की लड़के ने गाना चेंज कर दिया और गाने लगा,”आज मेरे यार की शादी है , आज मेरे यार की शादी है लगता है जैसे पुरे संसार की शादी है ,, आज मेरे यार की शादी है।”
गोलू और मनोहर ने सूना तो दोनों घोड़ी के अगल बगल आकर नाचने लगे थे। ये बात सच थी की मनोहर और गोलू ही गुड्डू के सच्चे और पक्के दोस्त थे बाकि सब तो दारू में बिक गए थे। यहाँ गुड्डू थोड़ा मुस्कुराया उसे मुस्कुराता देखकर मिश्रा जी उसके पास आये और 10-10 के नोटों की गड्डी गुड्डू के ऊपर उछाल दी। पहली बार गुड्डू ने मिश्रा जी को इतना खुश देखा था। मिश्रा जी आज पुरे रंग में थे उन्होंने मिश्राइन का हाथ पकड़ा और उसे आगे लेकर आये और डांस करने लगे। अंजलि भाभी ने जैसे ही “सात समंदर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गयी” पर डांस किया माहौल थोड़ा गरमा गया। जितने भी लड़के थे सब अंजलि भाभी को देख रहे थे , एक तो उनका फिगर इतना कातिलाना उस पर उनके लटके झटके देखकर तो कोई भी फ़िदा हो जाये। गुड्डू ने तो नजरे ही घुमा ली लेकिन गोलू ने देखा तो थोड़ा आगे आया और भूपेश भैया (अंजलि भाभी के पति) के कंधे पर कोहनी रखकर कहा,”अबे का सही चीज है बे , उपरवाले ने ना बड़ी फुर्सत से बनाया है इनको ,, मजा आ गया”
भूपेश भैया ने जैसे ही सूना गोलू की और पलटे और एक थप्पड़ मारकर कहा,”साले बीवी है हमारी ज्यादा बक#दी की ना तो यही पटक के पेल देंगे”
बेचारा गोलू उड़े हुए होश लेकर मनोहर के पास चला आया , गोलू को गाल से हाथ लगाए देखकर मनोहर ने कहा,”क्या हुआ भाई गाल काहे सहला रहे हो ?”
गोलू ने रोनी से सूरत बनाकर कहा,”कभी कभी तो लगता है हमारा जन्म सिर्फ थप्पड़ खाने के लिए हुआ है ,, जब देखो तब कोई ना कोई बजाता रहता है कभी गुड्डू भैया , कभी मिश्रा जी तो कभी उनके रिश्तेदार”

Manmarjiyan - 36
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संजना किरोड़ीवाल

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