Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 2

Manmarjiyan – 2

“मनमर्जियाँ”

Sanjana Kirodiwal

(अब तक आपने पढ़ा की गुड्डू मिश्रा दूसरे मोहल्ले की लड़की पिंकी शर्मा को बहुत पसंद करता है जिसके चलते वह पहले मैच हार जाता है और फिर अपने ही शोरूम में नुकसान कर देता है। पिंकी को इसकी कानोकान खबर भी नहीं है की गुड्डू उसे पसंद करता है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अब आगे -)

शाम होते ही मिश्राइन गुड्डू के पीछे पड़ गयी , गुड्डू गुप्ता जी के फंक्शन में नहीं जाना चाहता था लेकिन मरता क्या ना करता उसे जाना ही पड़ा। “संजीवनी पैलेस” गुप्ता जी ने अपने पोते के पहले जन्मदिन पर बड़ा आयोजन रखा। मिश्राइन बच्चे के लिए तोहफा लेकर गयी थी वहा पहुंचकर गुड्डू ने देखा की हॉल मेहमानो से खंचाखच भरा हुआ है। वह बाहर ही रुक गया , वेदी और मिश्राइन अंदर चली गयी। बच्चे का फंक्शन था इसलिए वहा काफी बच्चे भी थी और उन्ही से जुडी थीम्स थी। गुड्डू ने एक कोल्ड ड्रिंक लिया और एक साइड खड़े होकर पीने लगा। अभी एक दो घूंठ भरे ही थे की नजर सामने गयी और गुड्डू की आँखे बस वही रुक गयी सामने से पिंकी अपने घरवालों के साथ चली आ रही थी। गुड्डू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा अब तक वह यहाँ आने के लिए खुद को कोस रहा था लेकिन पिंकी को देखते ही उसका कोसना बंद हो गया। उसने कोल्ड ड्रिंक का बॉटल साइड रखा और अपने जैकेट को सही करने लगा। बालो को संवारा और अपनी सांसो को हाथो पर फूँक मारकर देखा , सांसो से महक नहीं आ रही थी।
“आज तो पिंकिया से बात करके रहेंगे”,कहते हुए गुड्डू जैसे ही पिंकी की और जाने लगा सामने से उसे पडोस की रौशनी दिखाई दी , चलते चलते गुड्डू पलट गया लेकिन रौशनी ने उसे देख लिया और उसके सामने आकर कहा,”अरे गुड्डू तुम भी यहाँ आये हो , पहले कहा होता मैं भी तुम्हारे साथ चली आती तुम्हारी बाइक पर”
“हमाई बाइक पर पहली लड़की कोई बैठेगी तो वो होगी उँह लड़की जॉन से हमहू प्यार करेंगे ,, तुम नहीं हुंह”,गुड्डू ने मुंह बनाते हुए कहा
“हे हे हे तेवर तो देखो लाड साहब के , बेटा कोई ना पटी है तुमसे इह कानपूर में ,,, अभी भी मौका है हमसे ब्याह कर ल्यो , दहेज़ में बाइक के साथ साथ चार पहियों वाली गाड़ी भी दिलवा देंगे अपने पिताजी से”,रौशनी ने कहा
“चल हट ! बड़ी आयी दहेज़ दिलवाने वाली , हमाये पिताजी के पास कोनो कमी है जो दहेज़ लेंगे”,गुड्डू ने कहा
“मतलब बिना दहेज़ के शादी कर लोगे वाह गुड्डू क्या बात है ?”,रौशनी ने कहा
“सादी तो हम करेंगे पर तुमसे नहीं , इसलिए ये खुली आँखों से सपने देखना ना बंद कर दो”,गुड्डू ने कहा तो रौशनी थोड़ा चिढ गयी और कहा,”हां हां जानते है मिश्रा आजकल जिनकी गली के चक्कर लग रहे है , उह्ह शर्मा जी की लौंडिया के पहले से कई चक्कर है”
पिंकी के बारे में ऐसी बात सुनकर गुड्डू को गुस्सा आ गया लेकिन सबके सामने रौशनी से क्या कहता इसलिए थोड़ा सा पास आकर कहा,”तुम ना जलती हो , और देखना गुड्डू की बहु तो पिंकिया ही बनेगी”
“अभी खुली आँखों से सपने तू देख रहा है गुड्डू , देखते है कौन बनती है तेरी घरवाली”,रौशनी ने कहा

गुड्डू वहा से चला गया और चलते चलते बड़बड़ाने लगा,”क्या समझती है खुद को ? उस से शादी करेंगे हम शक्ल देखी है अपनी शीशे में ,, पगलेट कही की हमारा भाग्य तो एक ही लड़की से जुड़ा है और उह है पिंकी”
चलते चलते गुड्डू सामने से आते गोलू से टकरा गया और जैसे ही कहने के लिए मुंह खोला गोलू को सामने देखकर कहा,”अरे गुप्ता जी तुम भी आये हो”
“फ्री की दारू और फ्री का खाना गोलू नहीं छोड़ता”,गोलू ने थोड़ा अकड़कर कहा
“अरे ! यार सुबह वाली बात से अभी तक नाराज हो ,, मान भी जाओ यार गोलू पुरे कानपूर में एक तुम्ही तो हो हमारे जिगरी”,गुड्डू ने कहा तो गोलू मुस्कुरा दिया
गोलू के आने से गुड्डू को कम्पनी मिल गयी थी लेकिन उसकी नजरे अभी भी किसी को ढूंढ रही थी। दोनों बाते करते हुए हॉल में चले आये और सबसे पीछे ही पीछे जाकर खड़े हो गए। सोनू ने अपने बेटे के हाथ केक कट करवाया और सभी घरवालों को खिलाया।
“यार ये बर्थडे पर केक क्यों काटते है ?”,गोलू ने कहा
“हमे क्या पता ? आज तक किसी ने हमारा बड्डे मनाया ही नहीं , हर साल पिताजी बर्थडे के नाम पर बस 100 रूपये की पत्ती पकड़ा देते है , अम्मा मंदिर में पूजा कर आती है , बुढ़ऊ आशीर्वाद दे देती है बस हो गया बड्डे ,, इह केक शेक तो कभी ना काटे हमने”,गुड्डू ने कहा
“सही है भैया खाली पैसो की बर्बादी है बस , और सोनू भैया तो वैसे भी दो नंबर के कामो में इतना पैसा कमाए है , कही ना कही तो खर्च करना ही है”,गोलू ने कहा
“अबे धीरे बोल , चल यार बाहर चलकर कुछ खाते है !”,गुड्डू ने कहा और गोलू के साथ बाहर चला आया।
“भैया पहले मीठे से शुरू करेंगे”,गोलू ने कहा
“अबे जाहिल आदमी ! मीठा हमेशा खाने के बाद खाते है”,गुड्डू ने कहा।
“तो भैया हम कौनसा शरीफो में आते है”,गोलू ने कहा
“जे बात भी सही है , चलो चलकर निपटाते है”,गुड्डु ने कहा इधर उधर देखते हुए उसकी नजर चाट वाले स्टॉल की तरफ पड़ी जहा पिंकी कुछ लड़कियों के साथ खड़ी गोलगप्पे खा रही थी और पास ही में खड़े लड़के लार टपकाते हुए उसे देख रहे थे। गुड्डू को अच्छा नहीं लगा इसलिए उसने गोलू से कहा,”भाई पहले गोलगप्पे खाएंगे”
“आयं ? तुमहू कबसे गोलगप्पे खाने लगे ? और खाने भी है तो सबसे लास्ट में खाएंगे ना”,गोलू ने कहा
“अरे ! गोलगप्पे तो बहुते पसंद है हमको , चलो पहिले चलकर खाएंगे”,गुड्डू ने गोलू को ले जाते हुए कहा बेचारे गोलू की नजर सामने पड़े गुलाब जामुनों से हट नहीं पा रही थी। गुड्डू सबसे पहले उन लड़को के पास आया और कहा,”का है बे ? हिया काहे खड़े हो ?”
“अरे , अरे गुड्डू भैया आप ,, हम लोग तो बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,,,,चलो रे !”,कहते हुए वह एक लड़का जो की गुड्डू के मोहल्ले का ही था , बाकि सबको लेकर वहा से चला गया ! अपने मोहल्ले में गुड्डू का काफी दबदबा था , एक तो वह मिश्रा जी का लड़का , उसपर अच्छी खासी बॉडी बना रखी और साथ ही उपरवाले ने खूबसूरत भी बनाया था। लड़को के जाते ही गुड्डू जैसे ही गोलगप्पे वाले की और जाने लगा , गोलू ने रोककर कहा,”सुनो भैया , अकड़ में जाना लड़कियों को ऐसे लड़के ही पसंद आते है”
“का सच में ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे और नहीं तो का , चिपकू लड़को से लड़किया दूर ही रहती है ,, हमरा 5 साल का एक्सपीरियंस है”,गोलू ने कहा
“कितनी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी ?”,गुड्डू ने पूछा
“अभी तक तो एक भी नहीं”,गोलू ने मासूमियत से कहा
“हां तो बेटा अपना एक्सपीरिंस ना अपने पास ही रखो , हम अपने तरीके से उनको इम्प्रेस करेंगे”,गुड्डू ने कहा और जैकेट झटककर पिंकी की बगल में खड़े होकर कहा,”हां भैया गोलगप्पे खिलाओ ज़रा”
गुड्डू की आवाज सुनकर सामने खड़े लड़के ने गुड्डू की और कटोरी बढ़ा दी साथ ही उसमे पानी से भरा गोलगप्पा भी रख दिया।

गुड्डू ने उठाते हुए जैसे ही खाने की कोशिश की वह उसके हाथ में टूट गया। वहा खड़ी लड़किया हंस पड़ी। बेचारा गुड्डू आया था पिंकिया को इम्प्रेस करने लेकिन यहाँ तो उसका ही पोपट हो गया। खिलाने वाले ने देखा तो कहा,”अरे भैया कोनो बात नहीं दुसरा दे देते है”
गुड्डू ने दूसरा भी उठाया लेकिन पानी ज्यादा भरा होने की वजह से वो भी उंगलियों में ही टूट गया ! इस बार पिंकी से रहा नहीं गया और वह गोलगप्पे वाले से बोल पड़ी,”भैया इनको अच्छे से बनाकर दीजिये , लगता है पहली बार खा रहे है”
गुड्डू ने सूना तो मन में तितलियाँ सी उड़ने लगी , उसने पिंकी की और पलटकर कहा,”गोलगप्पे तो बहुत खाये है , लेकिन लड़कियों के साथ पहली बार खा रहे है”
“कहो तो हम खिला दे”,सामने खड़ी लड़कियों में से किसी ने कहा
“क्या खिलाने का इरादा है वैसे आप लोगो का ?”,गुड्डू ने कहा
“इरादे तो बड़े अच्छे है फ़िलहाल गोलगप्पे खिला देते है आपको”,लड़कियों में से फिर किसी ने कहा।
तभी किसी ने पिंकी को आवाज दी और पिंकी ने पलटकर कहा,”हां आते है”
उसने हाथ में पकड़ी कटोरी फेंकी और वहा से चली गयी उसके साथ साथ बाकि लड़किया भी चली गयी। गुड्डू बस उसे जाते हुए देखता रहा। गोलू आया और उसको साइड करते हुए कहा,”अरे कितना खाओगे हमे भी खाने दो”
गुड्डू के हाथ में पकड़ी कटोरी निचे जा गिरी , नजर अभी भी सामने थी जाते जाते पिंकी ने पलटकर देखा और गुड्डू की और देखकर मुस्कुरा दी। जैसे ही पिंकी मुस्कुराई गुड्डू ने अपना हाथ ख़ुशी के मारे गोलू के कंधे पर दे मारा। गोलू के हाथ में पकड़ा गोलगप्पा मुंह तक पहुँचने से पहले ही निचे जा गिरा। उसने खा जाने वाली नजरो से गुड्डू की और देखा और कहा,”का है ?”
“अबे गोलुआ उह्ह हमको देख के स्माइल की”,गुड्डू ने ख़ुशी से भरकर कहा
“ठीक से देख लेओ भैया देख , हंसकर देख रही थी , देखकर हंस रही थी।”,गोलू ने कहा
“चुप कर बे मनहूस , पहली बार उह हमको देख के स्माइल की है यार ,, मतलब पसंद तो उह भी करती है ना”,गुड्डू ने कहा
“इसमें का है पुरे कानपूर की लड़किया आपको पसंद करती है”,गोलू ने दूसरा प्लेट बनाने का इशारा करते हुए कहा। लड़के ने दुसरा प्लेट गोलू की और बढ़ा दिया इतने में वेदी वहा आ पहुंची और कहा,”गुड्डू भैया अम्मा बुलाय रही है अंदर”
“ठीक है आते है”,कहकर गुड्डू ने गोलू की प्लेट में रखा गोलगप्पा उठाकर खाया और वेदी के साथ चला गया। गोलू कितनी देर से खाने की कोशिश कर रहा था पर बेचारे को कोई आराम से खाने नहीं दे रहा था। गुस्से में आकर उसने प्लेट ही फेंक दी और भुनभुनाते हुए वहा से चला गया।

गुड्डू अंदर हॉल में आया तो देखा अम्मा पंडित जी के पास बैठी , केशव पंडित जो की कानपूर में सबसे प्रख्यात पंडित है और हर शुभ काम में आते जाते रहते है। गुड्डू के पिताजी तो उनसे पूछे बिना कोई शुभ काम नहीं करते। गुड्डू को देखते ही मिश्राइन ने कहा,”गुड्डू हिया आब”
गुड्डू चुपचाप चला आया , उसकी केशव पंडित से कभी नहीं बनी। उसका मानना था पंडित जी जो बाते कहते है उनमे से आधी बाते तो ऐसे ही होती है और वह उन बातो में विश्वास भी नहीं करता था। गुड्डू आकर उनके सामने बैठा तो , केशव पंडित ने पहले तो उसे देखा और फिर बड़बड़ाते हुए कहा,”तितलियों के पीछे भँवरे बने घूम रहे हो गुडुआ !”
“का का पंडित जी का भवंरा का बोले आप ?”,मिश्राइन ने कहा
“अरे कछु नहीं मिश्राइन कह रहे बहुते सौभाग्यशाली है तुमरा लड़का , इसकी शादी जिस लड़की से भी होगी उसके आने के बाद इसमे बहुत बदलाव आएगा , कुल मिलाकर सुधर जाएगा तुमरा लड़का”,केशव पंडित ने कहा
“तो अभी का हम बिगड़े हुए है ?”,गुड्डू ने तुनक कर कहा
“ए कोनो तमीज है की नहीं कैसे बात कर रहा है पंडित जी से ?”,मिश्राइन ने गुड्डू को डांट लगाते हुए कहा और पंडित जी की और पलटकर कहा,”माफ़ करना पंडित जी इसको अक्ल नहीं ना है”
केशव पंडित ने सबको आशीर्वाद दिया और फिर वहा से चले गए। गुड्डू भी वहा से निकलकर बाहर आया वेदी भी उसके पीछे पीछे चली आयी और कहा,”गुड्डू भैया सुनिए !”
“ह्म्म्मम्म !”,गुड्डू ने पलटकर कहा
“अम्मा ने कहा है घर जाओ तो हमको साथ लेकर जाना , अम्मा को लेने पिताजी आएंगे गुप्ता अंकल ने बुलाया है उन्हें”,वेदी ने कहा
“खाना खायी हो ?”,गुड्डू ने पूछा
“नहीं”,वेदी ने कहा
“चलो फिर चलकर खाय ल्यो”,गुड्डू ने कहा तो वेदी उसके साथ चल पड़ी। गुड्डू ने वेदी को रुकने का इशारा किया और खुद एक प्लेट में दोनों के लिए खाना ले आया ! दोनों साथ साथ खाने लगे। खाने के बाद वेदी मिश्राइन से कहकर गुड्डू के साथ घर के लिए निकल गयी। पीछे बाइक पर बैठे हुए वेदि ने कहा,”अच्छा गुड्डू भैया एको बात बताओ , तुम्हारी बाइक पर किसी लड़की को बैठने की परमिशन नहीं तो हमे बैठने की परमिशन काहे है”
“का है की तुम हमाई बहन हो , अब जितना प्यार अपनी बाइक से करते है उतना तुमसे भी तो करते है।”,गुड्डू ने कहा
“हम्म्म तो ये बात है , वैसे होने वाली भाभी तो बैठेगी न या उसको भी मना कर दोगे ?”,वेदी ने कहा
“अरे ! उसको काहे मना करेंगे उसके लिए तो बचा के रखी है , अच्छा ये बताओ तुम्हारा कॉलेज कैसा चल रहा है ?”,गुड्डू ने बात बदलते हुए कहा
“अच्छा चल रहा है , इस साल अगर आप पास नहीं हुए तो अगले साल आपकी क्लास में आ जायेंगे हम”,वेदी ने हँसते हुए कहा
“देखना तुम इस बार पास हो जायेंगे उह्ह तो हम ठीक से पढाई नहीं किये नहीं ते हो जाते पास”,गुड्डू ने कहा
“देखते है !”,कहकर वेदी फिर हसने लगी और गुड्डू ने बाइक की स्पीड बढ़ा दी !
गुड्डू को पढ़ने लिखने में कोई दिलचस्पी नहीं थी उसे पसंद था शीशे के सामने खड़े होकर अपने आपको निहारना या फिर अपने बालो में हाथ घूमाना , किताबो से ज्यादा उसके पास शर्ट्स का कलेक्शन था , वो भी इतने की सबको बारी बारी पहने तो एक शर्ट का नंबर 2 महीने से आये , घूमना फिरना बहुत पसंद था लेकिन मिश्रा जी ने कभी ज्यादा बाहर जाने नहीं दिया , मोहल्ले की लड़कियों में चर्चित गुड्डू मिश्रा उर्फ़ अर्पित मिश्रा जिसका असल नाम सिर्फ कॉलेज के रजिस्टर और आधार कार्ड पर नजर आता है। पिछले 2 साल से कॉलेज के फाइनल ईयर में था और ये आखरी साल था उसके बाद तो भगवान ही मालिक था !

इस कहानी के पार्ट्स हर रोज पब्लिश होंगे , वेबसाइट पर मेल की समस्या जल्दी ही खत्म हो जाएगी तब तक इस कहानी से जुड़ा नोटिफिकेशन पाने के लिए आप टेलीग्राम पर मेरे चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते है और साथ ही फेसबुक पेज पर फॉलो कर सकते है। Make Your Day Special With मनमर्जियाँ

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