Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 33

Manmarjiyan – 33

Manmarjiyan - 33

Manmarjiyan – 33

अपनी हल्दी के फंक्शन में पिंकी को देखकर गुड्डू थोड़ा परेशान हो गया। रात का खाना खाने के बाद गुड्डू जैसे ही ऊपर जाने लगा मिश्राइन ने कहा,”अरे गुड्डू यहाँ आकर बैठो”
“काहे ?”,गुड्डू ने कहा
“मेहँदी लगेगी तुम्हायी उंगलियों पर”,मिश्राइन ने कहा और हाथ में पकड़ा मेहँदी का कटोरा अंजलि भाभी जी पकड़ा दिया।
“हमे नहीं लगवानी इह मेहँदी वेहन्दी”,गुड्डू ने कहा
“अरे बिटवा शादी में दूल्हे को मेहँदी लगती ही है , चलो बैठो”,भुआ जी ने कहा तो मिश्राइन ने इशारे से गुड्डू को बैठने को कहा
गुड्डू आकर बैठ गया अंजलि भाभी ने उसकी उंगलियों पर मेहँदी लगा दी। लाजो ने सिगड़ी लाकर गुड्डू के सामने रख दी जिस से मेहँदी जल्दी सुख जाये। अप्रैल का महीना था लेकिन हल्की ठंड थी। गुड्डू वही बैठकर मेहँदी सुखाने लगा।
“अरे गुडडुआ अपनी दुल्हिन की फोटो तो दिखाओ जरा”,भुआ जी ने कहा
“हमाये पास नहीं है”,गुड्डू ने बुझे मन से कहा
“का बात कर रहे हो ? चार दिन बाद तुम्हायी शादी है और तुम कह रहे हो तुम्हारे पास उसका फोटो तक नहीं”,भुआ जी ने कहा
“मुझे तो लगता है भुआ जी जैसे शादी ना गुड्डू भैया की मर्जी से नहीं हो रही”,अंजलि भाभी ने रहस्य्मयी मुस्कान के साथ गुड्डू को देखते हुए कहा
“ऐसा कुछ भी नहीं है अंजलि , शगुन और गुड्डू की पसंद से ही शादी हो रही है ,,केशव पंडित जी है ना कानपूर वाले उन्होंने खुद ये रिश्ता करवाया है”,मिश्राइन ने कहा तो अंजलि ने मुंह बनाकर कहा,”लेकिन गुड्डू तो खुश नहीं दिख रहे”
“अब का दिनभर चिरियाते रहे , खुश है हम दिखाना जरुरी थोड़ी है”,गुड्डू ने कहा
“अरे इह सब छोडो कोई हमे दुल्हिन की फोटो दिखाओ यार”,भुआ जी ने कहा
“भुआ जी हम दिखाते है , ये देखो आज भाभी के यहाँ भी हल्दी थी ,, उनकी हल्दी के फोटो दिखाती हूँ आपको”,वेदी ने भुआ जी की बगल में बैठते हुए कहा
वेदी एक एक करके भुआ जी को शगुन के फोटो दिखाने लगी तो भुआ जी मुस्कुरा उठी और कहा,”रे गुडडुआ तुम्हायी दुल्हिन तो बहुते सुन्दर है”
गुड्डू ने सूना तो फीका सा मुस्कुरा दिया और वापस अपनी मेहँदी सुखाने लगा , भुआ जी ने फोन अंजलि की और करके कहा,”देखो बहुरिया इह है हमारे गुड्डू की दुल्हिन पुरे कानपूर में ऐसी कोई नहीं मिलेगी”
अंजलि ने देखा तो मुस्कुरा उठी और कहा,”हां गुड्डू जी की तो किस्मत चमक गयी , वैसे कुछ भी कहो गुड्डू जी देवरानी जी है आपके टक्कर की”
“हमाये टक्कर का तो पुरे कानपूर में कोई नहीं है , है ना बूढ़ा”,गुड्डू ने बगल में बैठी अपनी दादी से कहा
“हां एकदम सही कही हो”,दादी ने कहा।
“लीजिये गुड्डू जी आप भी देख लीजिये अपनी दुल्हिन को”,अंजलि ने शरारत से कहा और उठकर चली गयी। गुड्डू ने वेदी का फोन लिया और एक नजर डाली। हल्दी लगे चेहरे में शगुन बहुत प्यारी लग रही थी। गुड्डू एक टक शगुन की तस्वीर को देखता रहा और जब वेदी ने खाँसने का नाटक किया तो गुड्डू ने फोन वेदी को दे दिया। मेहँदी सुख चुकी थी गुड्डू ने वेदी से उसे उतारने को कहा और फिर उपर चला आया। बार बार शगुन का चेहरा उसकी आँखों के आगे आ रहा था। गुड्डू को समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये सब उसके साथ क्यों हो रहा है ? वह आकर बिस्तर पर गिर गया और सो गया। सुबह गुड्डू उठा और नीचे आया उसका सर हल्का हल्का भारी लग रहा था , वह निचे आकर सोफे पर बैठा और मिश्राइन को आवाज लगायी,”अम्मा हमायी चाय कहा है ?”
कुछ देर बाद लाजो आयी और कहा,”गुड्डू भैया ये लीजिये आपकी चाय”
गुड्डू ने चाय का कप लिया और पीने लगा तभी नवरत्न कुछ बैग लेकर वहा पहुंचा और मिश्रा जी से कहा,”नमस्ते मिश्रा जी जो आर्डर आप दिए थे वो तैयार है ये लीजिये”
“अरे अंदर आईये चाय वाय लीजिये”,मिश्रा जी ने कहा तो नवरत्न अंदर चला आया , मिश्रा जी ने लाजो से नवरत्न के लिए चाय लाने को कहा। चाय पीकर नवरत्न ने मिश्रा जी को बिल थमाया और कहा,”पेमेंट की कोई जल्दी नहीं है आप आराम से भिजवा दीजियेगा”
“जी बिल्कुल , और हां शादी में आना है वैसे न्योता भिजवाए है आपके यहाँ”,मिश्रा जी ने कहा
“अरे मिश्रा जी न्योते की जरूरत नहीं थी , हम तो अकेले है चले आते ऐसे ही”,नवरत्न ने खींसे निपोरते हुए कहा
“अरे महादेव ने चाहा तो इस साल तुम्हरा लगन भी हो जाएगा नवरत्न,,,,,,,,,,,,,हैं”,मिश्रा जी ने कहा तो नवरत्न हसने लगा और चला गया। सोफे पर बैठा गुड्डू मन ही मन कहने लगा,”आपका बस चले ना पिताजी पुरे कानपूर का लग्न करवा दो आप , किसी को कंवारा ना छोडो”
“रे गुड्डू”,मिश्रा जी ने आवाज लगाई
“जी पिताजी”,गुड्डू आकर उनके सामने खड़ा हो गया
“इह कपडे देकर गया है नवरत्न एक ठो बार चेक करके देख लेओ कोनो कमी हो तो तुरंत बताओ ताकि सही करवा दे”,मिश्रा जी ने गुड्डू को बैग थमाते हुए कहा
गुड्डू बैग लेकर ऊपर कमरे में आया कपडे निकाले और एक एक करके पहनकर देखने लगा। सब सही थे गुड्डू ने सबको साइड में रख दिया और नहाने चला गया। गुड्डू नहाकर आया कपडे पहने और शीशे के सामने आकर बाल बनाने लगा , बालो में हाथ घुमाते हुए उसकी नजर अपनी उंगलियों पर गयी जिनपर मेहँदी बहुत गहरी रची थी। गुड्डू की आँखों के सामने एक बार फिर शगुन का चेहरा आने लगा तो उसने खुद से ही कहा,”इह का हो गया है हमको बार बार उसकी याद काहे आ रही है। खैर छोडो याद का अब तो उह परमानेंट हमायी जिंदगी में आने वाली है” गुड्डू ने बाल बनाये और वापस निचे चला आया घर में रहकर गुड्डू बोर हो रहा था ऊपर से घर में आये मेहमान भी उसे बार बार प[परेशान कर रहे थे। गुड्डू ने नाश्ता किया और वापस ऊपर चला आया और अपने कमरे में आकर सो गया। अभी गुड्डू की आँख लगी ही थी की बच्चो के शोर से वह जाग गया और आँखे मसलते हुए बाहर आया। उसने देखा बच्चे तकिये लेकर आपस में खेल कूद कर रहे है। गुड्डू को उनका शोर पसंद नहीं आ रहा था तो उसने कहा,”ए काहे इतना शोर मचा रहे हो ? अभी पेल देंगे सबको”
“सॉरी भैया”,एक बच्चे ने कहा और फिर सबके सब वहा से चले गए।
“अरे गुड्डू काहे बच्चो को डांट रहे हो यार ? शादी का घर है शोर शराबा तो होगा न थोड़ा”,सोनू भैया ने बालकनी मे खड़े खड़े कहा तो गुड्डू भी बालकनी में चला आया और कहा,”यार सोनू भैया बोर हो गए है घर में रहकर , अम्मा पिताजी बाहर भी ना जाने देय रहे ,, थोड़ा सोने की कोशिश की तो इह बच्चा लोग उठा दिए अब तुम्ही बताओ का करे ?”
“हम्म्म तो इह बात है एक ठो काम करो शाम को पार्टी का इंतजाम करते है अपने घर में तुम भी आ जाओ”,सोनू भैया ने कहा
“भाभी ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे तुम्हायी भाभी अपने मायके गयी है अपनी अम्मा से मिलने कल सुबह आएगी ,, तुमहू आ जाओ आज शाम में पार्टी करते है”,सोनू भैया ने खुश होकर कहा
“लेकिन पिताजी को पता चला तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“अरे यार तुमहू डरते बहुत हो , रात में सबके सोने के बाद आना किसको पता चलेगा ?”,सोनू भैया ने कहा तो गुड्डू ने हामी भर दी। कुछ देर दोनों वही खड़े बालकनी में खड़े बाते करते रहे और फिर गुड्डू को मिश्रा जी ने किसी काम से निचे बुला लिया

बनारस , उत्तर-प्रदेश
शगुन अपने कमरे में सो रही थी , प्रीति आज जल्दी उठ चुकी थी इसलिए वह नीचे दूसरे कामो में चाची की हेल्प कर रही थी। रसोईये से चाय लेकर प्रीति ऊपर कमरे में आयी और शगुन को उठाते हुए कहा,”गुड़ मॉर्निंग दी , उठ जाईये”
शगुन उठकर बैठी और कहा,”कितनी अच्छी नींद आ रही थी”
“अरे दी चार दिन और है उसके बाद तो आपकी रातो की नींद उड़ने वाली है जीजू सोने थोड़े ना देंगे आपको”,प्रीति ने शगुन को छेड़ते हुए कहा
“धत बेशर्म कुछ भी बोलती है”,शगुन ने प्रीति को थप्पड़ दिखाते हुए कहा
“अच्छा आप चाय पीकर नहा लो , उसके बाद गौरी पूजा के लिए जाना है”,प्रीति ने शगुन की अलमारी से कपडे निकालते हुए कहा। उसने शगुन के लिए हरे रंग की लाल बॉर्डर वाली बनारसी साड़ी निकाली और साथ में अपनी माँ की ज्वेलरी (जो उन्होंने शगुन के लिए सम्हाल के रखी थी) निकालकर रखते हुए कहा,”दी आज आप ये पहनना पूजा में , और हां ये माँ के गहने भी रखे है पहन लेना। मैं नीचे जाकर देखती हूँ सबने नाश्ता किया या नहीं”
“प्रीति इधर आ”,शगुन ने कहा तो प्रीति उसके सामने चली आयी और कहा,”हां कहिये”
शगुन ने उसके सर पर किस करते हुए कहा,”कितनी जिम्मेदार हो गयी है ना आजकल तू सबका ख्याल रखने लगी है”
“अरे दी आपके जाने के बाद पापा का ख्याल मुझे ही तो रखना है , इसलिए अभी से प्रेक्टिस कर रही हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा मैं जा रही हूँ आप तैयार होकर निचे आ जाना ठीक है”,प्रीति ने कहा और चली गयी
शगुन ने चाय पि , चाय पीते हुए उसने अपनी उंगलियों के पोरो पर लगी मेहँदी को देखा जिसका रंग बहुत ही गहरा रचा था। शगुन मुस्कुरा उठी। चाय खत्म कर वह नहाने चली गयी। शगुन ने गहने ओर साड़ी पहनी , आईने के सामने आकर अपने गीले बालों को पोछा ओर सुलझाते हुए गुड्डु के बारे में सोचने लगी,”क्या वो भी मेरे बारे में सोचते होंगे । उनसे तो ठीक से बात तक नही हुई है मेरी , खैर कोई नही शादी के बाद उनसे ढेर सारी बाते करनी है मुझे”
शगुन ने बालो की दो लटों को मोड़ते हुए पीछे किया और छोटा सा क्लिप उसमे लगा लिया । आंखों में काजल लगाया , होंठो पर हल्की लाल लिपस्टिक लगाई एक छोटी बिंदी ललाट पर लगाकर शगुन नीचे चली आयी । नीचे सभी गौरी पूजा की तैयारियों में लगे थे । बिंदु भी आ चुकी थी शगुन को देखते ही वह शगुन के पास चली आयी और कहा,”बहुत सुंदर लग रही हो शगुन किसी की नजर ना लगे , जरा अपनी मेहंदी दिखाना”
शगुन ने हाथ आगे कर दिया तो बिंदु ने कहा,”वाह क्या बात है शगुन मेहंदी तो पहली बार मे ही खूब गहरी रची है , इस हिसाब से तो जीजू बहुत प्यार करते है तुमसे”
“क्या ऐसा सच मे होता है ?”,शगुन ने पूछा
“हा ओर नही तो क्या ? जितनी गहरी मेहंदी उतना गहरा प्यार”,बिंदु ने कहा तो शगुन मुस्कुरा उठी ।
बिंदु शगुन को लेकर आंगन में चली आयी चाची ने उसे चौकी पर बैठने का इशारा किया , शगुन ने सर पर पल्लू लिया और चौके पर आकर बैठ गयी । चाची ने पूजा शुरू की ओर महिलाओं ने गीत गाने शुरू कर दिए । शगुन के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी जिस से वह ओर भी खूबसूरत नजर आ रही थी । पूजा खत्म कर चाची ने उसे लाल रंग की चुनरी दी और कहा,”इसे गौरी माँ को अपने हाथों से चढ़ाना है जिस से गौरी माँ हमेशा तुम्हारे सुहाग की रक्षा करे ।”
“जी चाची”,शगुन ने चुनरी को सर से लगाकर कहा ।
घर मे पूजा खत्म कर चाची ने गौरी माता की पूजा के लिए थाल सजाया ओर घर की औरतों के साथ शगुन को लेकर अस्सी घाट पर बने गौरी मंदिर की ओर चल पड़ी । मंदिर पहुंचकर शगुन ने माँ गौरी की पूजा की ओर अपने हाथों से उन्हें चुनरी ओढाई । पंडित जी ने आशीर्वाद के रूप में शगुन को माँ गौरी के चरणों से सिंदूर उठाकर डिब्बे में डालकर दिया । सभी मंदिर की परिक्रमा कर बाहर आई । चाची ने शगुन से जाकर नंदी भगवान के कान में अपनी मनोकामना कहने को कहा । शगुन आयी और नंदी भगवान के कान में धीरे से कहा,”हे नंदी महाराज गुड्डु जी की जिंदगी में ढेर सारी खुशियां आये और एक पत्नी के रूप में मैं उन्हें कभी किसी शिकायत का मौका न दू”
अपनी मनोकामना कहने के बाद शगुन वापस चाची के पास चली आयी । आज अस्सी घाट पर भीड़ कुछ कम थी । गौरी पूजा करते हुए दोपहर हो चुकी थी सभी वापस लौट आये । खाना लग चुका था इसलिये सब खाने बैठ गए । शगुन भी खाना खाकर जैसे ही उठी पार्लर वाली सोनू आ गयी और उसे अपने साथ ले गयी । प्रीति ने लगे हाथ शगुन के साथ साथ भाभी , चाची ओर भुआ जी का भी फेशियल करवा दिया ।
चाचा ओर गुप्ता जी टेंट वालो को बता रहे थे कि कौनसा डेकोरेशन कहा होना है । प्रीति कपड़े बदलकर आयी और कहा,”दी मैं अपना लहंगा लेने टेलर के पास जा रही हूं , जल्दी आ जाऊंगी”
“ठीक है अमन को लेकर जा साथ मे”,शगुन ने कहा
“अरे दी अमन पापा के साथ काम मे लगा है मैं उसकी स्कूटी लेकर चली जाऊंगी”,कहते हुए प्रीति वहां से चली गयी
प्रीति ने अमन की स्कूटी ली और घर से निकल पड़ी लेकिन जल्दी जल्दी में प्रीति ने स्कूटी लाकर ट्रेफिक में खड़े एक लड़के की बाइक में लेजाकर थोक दी । लड़के ने देखा तो हेलमेट उतार कर प्रीति के पास आया और कहा,”ओह्ह हेलो मैडम चलानी नही आती तो स्कूटी लेकर आती क्यों हो ?”
प्रीति ने सुना तो गुस्से से कहा,”मेरी स्कूटी है मैं कही भी लेकर जाऊ तुम्हे क्या ?”
“चोरी ऊपर से सीना जोरी ये देखो मेरी बाइक का क्या हाल किया है तुमने ? देखकर नही चला सकती”,लड़के ने कहा
“देखकर ही चला रही थी तुमने अपनी बाइक गलत जगह खड़ी की है”,प्रीति कहा हार मानने वाली थी
“अरे पागल वागल हो क्या तुम ? एक तो मेरी बाइक को ठोक दिया और ऊपर से बहस कर रही हो”,लड़के ने प्रीति को घूरते हुए कहा
“मुझे कोई शौक नही है तुमसे बहस करने का समझे ना ही मेरे पास इतना टाइम है , एक तो पहले से इतनी देर हो चुकी है”,प्रीति ने कहा
“अरे भैया दोनो मिया बीवी रोड के बीचों बीच काहे झगड़ रहे हो ? साइड होकर मामला सुल्टाय ल्यो”,पास से गुजरते एक ऑटो ड्राइवर ने कहा तो लड़का प्रीति को छोडकर उसकी ओर लपका ओर ऑटो रुकवाकर कहा,”वो हमारी बीवी नही है समझे , उसने हमारी बाइक को टक्कर मारी है हम सिर्फ उसे,,,,,,,,,,,,,,,,!”
कहते हुए लड़के ने जैसे ही पलटकर देखा प्रीति ने अपनी स्कूटी आगे बढ़ा दी और वहां से चली गयी ।
“चलो चलो भैया बाइक हटाओ अपनी ओर जाने दो बाकी लोगो को”,कहकर ऑटो वाला भी आगे बढ़ गया
बेचारा लड़का अपनी बाइक लेकर वहां से चला गया । प्रीति ट्रेलर के पास आई और लहंगा देने को कहा । अपने ओर शगुन के कपड़े लेकर प्रीति घर चली आयी देखा तो खुशी से आंखे चमक उठी पूरा घर लाइट से सजा हुआ था उसने अंदर आते हुए कहा,”अरे वाह पापा अब लग रहा है शादी वाला घर”
“हा वैसे तुम कहा से आ रही हो ?”,गुप्ताजी ने पूछा
“पापा वो मैं अपने ओर दी के कपड़े लेने टेलर के यहां गयी थी”,प्रीति ने कहा
“अच्छा ठीक है अंदर जाओ और अपनी चाची से कहना शादी में शगुन के ससुराल भेजे जाने वाले कपड़ो ओर सामान को देख ले”,कहकर गुप्ता जी चले गए
प्रीति ने अंदर आकर समान रखा तो सोनू ने उसे भी फेसिअल करवाने को कहा , प्रीति भी आकर बैठ गयी सोनू ने उसके चेहरे पर क्रीम लगाया और सूखने को छोड़ दिया । प्रीति आंखे बंद करके लेटी थी उसकी आँखों के सामने ट्रेफिक वाला सीन आ गया तो वह बड़बड़ाई,”कितना बदतमीज था वो लड़का”
शगुन ने सुना तो पूछ लिया,”कौन लड़का ?”
प्रीति ने अपनी आंखें खोली ओर ट्रेफिक वाली सारी बात बता दी तो वहां बैठे सब लोग हँसने लगे और भाभी ने कहा,”बेचारा लड़का उसे क्या पता था वो हमारी प्रीतू दी से भिड़ने जा रहा है”
प्रीति ने सुना तो वह भी सबके साथ हँसने लगी

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To be continued – Manmarjiyan – 34

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