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मनमर्जियाँ – 31

Manmarjiyan – 31

Manmarjiyan - 31

पारस वापस चला गया और शगुन भी अंदर चली आयी। सबसे पहले उसने छत पर आकर स्पीकर बंद किया और फिर किचन में आकर खाने की तैयारी करने लगी। खाना बनाते हुए शगुन की आँखों के सामने गुड्डू के साथ बिताये पल बार बार आ रहे थे और इस चक्कर में तवे पर रखी रोटी जल गयी। प्रीति ने देखा तो रोटी उठाते हुए कहा,”शादी के बाद गुड्डू जीजू को ये खिलाने वाली है आप ?”
शगुन अपने ख्यालो से बाहर आयी और देखा रोटी जल चुकी है तो उसने झेंपते हुए कहा,”अरे वो मुझे ध्यान ही नहीं रहा”
“हां हां आपका ध्यान तो अब कही और लगा है ना”,प्रीति ने शगुन को छेड़ते हुए कहा तो शगुन ने उसका कान पकडकते हुए कहा,”आजकल बहुत बोलने लगी है तू प्रीति”
“अरे अरे दी छोडो कान टूट जाएगा मेरा”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने उसका कान छोड़ दिया और कहा,”जाकर नहा लो , फिर बाजार चलते है मुझे कुछ सामान खरीदना है”
“ठीक है दी , चाट भी खाकर आएंगे और लौंगलता भी”,प्रीति ने कहा
“हां हां ठीक है पहले तुम तैयार तो हो”,शगुन ने कहा
“ठीक है मैं यु गयी और यु आयी”,कहकर प्रीति वहा से चली गयी। शगुन ने गुप्ता जी के लिए खाना बनाया और किचन साफ़ करने लगी। सभी काम निपटाकर शगुन अपने कमरे में आयी तब तक प्रीति भी नहाकर आ चुकी थी उसने जींस और कुर्ती पहनी। शगुन ने भी अपने बालो को गूंथकर चोटी बनायीं और फिर प्रीति के साथ बाजार के लिए निकल गयी। गुप्ता जी को प्रीति ने फोन कर दिया था और कुछ देर बाद गुप्ता जी भी घर चले आये। शगुन और प्रीति दोनों सदर बाजार पहुंची। शगुन ने शादी से जुडी खरीदारी करनी शुरू कर दी , जिसमे प्रीति उसकी हेल्प कर रही थी और शगुन के लिए यूनिक चीजे ले रही थी। खरीदारी करते हुए दोपहर हो गयी और हाथो में बैग्स भी हो गए। प्रीति के कहने पर दोनों बहने काशी चाट वाले के पास चली आयी। वहा उन्हें अमन अपने दोस्तों के साथ चाट खाते हुए मिल गया। प्रीति ने उसे सारे बैग थमाए और घर ले जाने को कहा। हालाँकि अमन प्रीति से 6 महीने बड़ा था लेकिन फिर भी प्रीति हमेशा उसे आर्डर देते रहती थी। अमन भी अपनी बहनो से बहुत प्यार करता था इसलिए उसने प्रीति से सारे बैग ले लिए और अपने दोस्तों के साथ वहा से निकल गया।
“अमन को परेशान क्यों किया हम लोग ले जाते ना बैग्स ?”,शगुन ने पूछा
“अरे चिल ना दी , वो ले जाएगा वैसे भी दिनभर घूमता रहता है अपने लफंगे दोस्तों के साथ ,, आप बताओ क्या खाओगी ?”,प्रीति ने कहा
“कुछ भी खा लुंगी”,शगुन ने कहा तो प्रीति उठकर काउंटर की और आयी और अपने शगुन के लिए कचौरी , दही वाले पुचके और फालूदा आर्डर किया। प्रीति आकर शगुन के साथ बैठ गयी और कहा,”दी शादी के बाद गुड्डू जीजू को यहाँ लेकर जरूर आना देखना बनारस की चाट के दीवाने हो जायेंगे वो”
“तू ही ले आना अपने जीजू को और जो खिलाना हो खिला देना”,शगुन ने कहा
“हां हां मैं ले आउंगी शादी के बाद तो सबसे पहले मैं उन्हें पूरा बनारस घुमाऊँगी , जितनी भी फेमस डिश है वो खिलाऊंगी और मेरी सब दोस्तों से मिलवाउंगी”,प्रीति ने कहा
“हां बाबा मिलवा देना”,शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा
कचौड़िया आयी और दोनों बाते करते हुए खाने लगी। शगुन की लगभग सभी तैयारिया हो चुकी थी ,, शाम के 5 बज चुके थे शगुन और प्रीति घर जाने के लिए निकली। शाम का वक्त था इसलिए शगुन ने रिक्शा से ना जाकर पैदल ही घूमते हुए जाने की इच्छा जाहिर की। प्रीति और शगुन पैदल ही घर के लिए चल पड़ी। दशवमेध घाट के सामने से गुजरते हुए शगुन ने कहा,”प्रीति चलो ना दर्शन कर लेते है”
प्रीति को बनारस में रहकर भी इन सब घाटों से उतना लगाव नहीं था जितना शगुन को था। शगुन का मन देखकर वह उसके साथ घाट पर चली आयी , शाम का वक्त था इसलिए भीड़ ज्यादा थी। शगुन प्रीति को लेकर मंदिर चली आयी और हाथ जोड़कर मन ही मन प्रार्थना करने लगी। दर्शन करने के बाद दोनों कुछ देर के लिए घाट की सीढ़ियों पर आकर बैठ गयी और सामने दूर तक फैले पानी को देखने लगी। शगुन के चेहरे पर सुकून देखकर प्रीति ने कहा,”दी आपको बनारस इतना पसंद क्यों है ? मतलब मानती हूँ ये अपना शहर है लेकिन आपको कुछ ज्यादा ही लगाव है इस से , यहाँ के घाटों से , यहाँ की चीजों से , ऐसा क्यों ?”
“जब किसी से मोहब्बत हो जाती है ना शगुन तो हमे उसकी अच्छाइयों के साथ साथ उसकी हर चीज से प्यार होने लगता है , वैसा ही हाल बनारस के लिए है। यहाँ बैठकर जो शांति मन को मिलती है वो कही नहीं है।”,शगुन ने कहा
“फिर तो आपको बनारस में ही शादी करनी चाहिए थी , यहाँ से दूर जाना ही नहीं पड़ता”,प्रीति ने कहा तो शगुन उसकी और पलटी और कहा,”पता है प्रीति गुड्डू जी भी ऐसे ही है बनारस जैसे ,, उलझे हुए , शांत और गहरी आँखे , बहुत कुछ है उनके मन में जो शायद उन्होंने आज तक किसी से ना बांटा हो”
“कुछ भी कहो यार गुड्डू जीजू ना सबसे अलग ही है”,प्रीति ने खुश होकर कहा
“हां अलग तो है प्रीति बस उन्हें समझना पडेगा”,शगुन ने खोये हुए स्वर में कहा
“अरे दी समझ लेना ना अभी तो पूरी लाइफ पड़ी है आप दोनों के सामने , अब चलो घर वरना पापा परेशान हो जायेंगे”,प्रीति ने उठते हुए कहा तो शगुन भी उठकर उसके साथ चल पड़ी और पलटकर घाट को देखते हुए कहा,”एक दिन गुड्डू जी को लेकर यहाँ जरूर आएंगे महादेव , बस आप अपना आशीर्वाद हम पर बनाये रखना” दशवमेध घाट से उनका घर 2किलोमीटर दूर था। शाम का वक्त था और मौसम भी अच्छा था इसलिए दोनों पैदल ही घर के लिए चल पड़ी।

कानपूर , उत्तर-प्रदेश
उसी शाम गुड्डू बाइक लेकर घर आया। मिश्रा जी भी आज जल्दी चले आये थे उन्होंने गुड्डू को अपने पास बुलाया और बैठने को कहा। गुड्डू आकर उनकी बगल में बैठ गया। सामने मक़सूद प्रिंटिंग वाला बैठा था। मिश्रा जी ने इशारा किया तो मक़सूद ने कुछ कार्डस निकालकर गुड्डू के सामने रख दिए। उन्हें देखकर मिश्रा जी ने कहा,”गुड्डू इह शादी के कार्ड्स है तुमको जो पंसद आ रहा है वो बता दो , वही छपवाएंगे”
वेदी ने देखा तो वह भी चली आयी और एक लाल रंग के लिफाफे वाला कार्ड उठाकर गुड्डू को दिखाते हुए कहा,”गुड्डू भैया हमे तो ये पसंद आ रहा है , देखो कितना सुन्दर है ना”
शादी में भले हर चीज आपकी पसंद की हो लेकिन अगर लड़का/लड़की आपके पसंद का ना हो तो हर चीज ही बुरी लगती है गुड्डू का भी यही हाल था लेकिन पिताजी के सामने भला मुंह कैसे खोलता इसलिए धीरे से कहा,”जोन तुमको अच्छा लगे वही छपवा लेंगे”
“ठीक है मक़सूद 200 कार्ड छपवा दो”,मिश्रा जी ने कहा तो मक़सूद वहा से चला गया। उसके जाते ही गुड्डू भी जाने लगा तो मिश्रा जी ने कहा,”अच्छा गुड्डू सुनो”
“जी पिताजी”,गुड्डू ने पलटकर कहा
“शादी में तुम्हाये कितने दोस्त आएंगे ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“दो ही तो दोस्त है हमाये , एक गोलू दूसरा मनोहर”,गुड्डू ने कहा
“ठीक है , तुम्हारी तरफ से शादी में जिस जिस को बुलाना हो बता देना , न्यौता भिजवा देंगे”,मिश्रा जी ने कहा
“हम्म्म ठीक है”,गुड्डू ने कहा तो उसे देखकर मिश्रा जी ने कहा,”मुंह काहे लटकाये हो बे , चिन्तियाओ नाही तुम्हाये दोस्तों के लिए इंतजाम कर देंगे शादी में”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा और ऊपर चला आया। उसका मन उदास था वजह वह खुद भी नहीं जानता था उस पर घर में अपनी शादी की तैयारियां देखकर उसका दिल बैठा जा रहा था। उधर रौशनी के घर में भी लिपाई पुताई का काम चल रहा था , गुड्डू की शादी के 10 दिन बाद ही उसकी भी शादी मनोहर से होने वाली थी। गुड्डू ने कपडे बदले और बिस्तर पर लेट गया। फोन देखा आज पिंकी का कोई फोन या मेसेज नहीं था गुड्डू ने फोन साइड में रख दिया और सोने की नाकाम कोशिश करने लगा
दिन बहुत जल्दी गुजर रहे थे , घर में गुड्डू की शादी की तैयारियां जोरो शोरो से चल रही थी। वही बनारस में भी शगुन के घर में शादी की तैयारियां शुरू हो चुकी थी। 3 हफ्ते देखते देखते गुजर गए अब शादी में बचा था 1 हफ्ता और शुरू होने वाली थी शादी की रस्मे। सुबह सुबह गुड्डू नाहा धोकर किसी काम से बाहर जा रहा था की मिसराइन ने रोक दिया और कहा,”गुड्डू आज से घर से बाहर नहीं जाना है आज हल्दी और गणेश पूजन है , हाथ में पीला धागा बंधेगा उसके बाद लड़का घर से बाहर नहीं जाता है इसलिए यही रुको थोड़ी देर में पंडित जी आने वाले है”
लेकिन अम्मा किसी जरुरी काम से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहना चाहा तभी पीछे से मिश्रा जी ने आते हुए कहा,”तुम्हायी अम्मा बिल्कुल ठीक कहय रही है , अब जो जितने भी जरुरी काम हो उनको शादी के बाद के लिए रख दो”
गुड्डू वापस ऊपर चला गया। मिश्रा जी मिश्राइन की और पलटे और कहा,”अच्छा मिश्राइन उह हमायी बहन आ रही है जौनपुर से हमहू गाड़ी भिजवा देते है उनके लिए स्टेशन और तुमहू लाजो से कहकर नींचे के सभी कमरों को व्यवस्तिथ करवाओ आज से मेहमान आने शुरू हो जायेंगे”
“चिंता मत कीजिये हम सब करवा देंगे”,मिश्राइन ने कहा
“हमहू आज से शोरूम नहीं जायेंगे गिरधर जी (मिश्रा जी का सबसे भरोसेमंद आदमी) से कह दिया है हमारी गैरमौजूदगी में शोरूम वही देख्नेगे”,मिश्रा जी ने कहा
“ये अच्छा किया आपने शादी तक घर पर ही रहेंगे तो सब इंतजाम देख पाएंगे”,मिश्राइन ने कहा
“नमस्ते चाचा जी हमारे लिए कोई काम हो तो बताओ”,मनोहर और गोलू ने घर में आते हुए कहा
“अरे मनोहर अच्छा हुआ तुम आ गए , एक ठो काम करो तुमहू जाके घर के पीछे वाले आँगन में हलवाईयो को देखो और गोलू तुम ड्राइवर के साथ जाओ स्टेशन वहा गुड्डू की भुआजी आने वाली है उन्हें लेकर आओ”,मिश्रा जी ने दोनों को आर्डर दिया तो दोनों तुरंत काम पर लग गए।
गोलू भुआ जी को घर ले आया। मनोहर ने हलवाईयो को देखा और वापस आँगन में चला आया। दूर के मेहमान घर में आ चुके थे और घर में काफी चहल पहल दिखाई दे रही थी। गोलू तो बच्चो के साथ मिलकर मिठाई चट करने में लगा हुआ था। पंडित जी भी चले आये थे और गणेश पूजन की तैयारी कर रहे थे। मिश्राइन अपने कमरे से बाहर आयी उनके हाथ में कपडे थे उन्होंने कपडे मनोहर को देकर कहा,”मनोहर बेटा इह कपडे ना जाकर गुड्डू को दे आओ और कहो की पंडित जी नीचे आ चुके है”
“ठीक है चाची”,कहकर मनोहर जाने लगा तो गोलू भी उसके पीछे चल पड़ा। दोनों ऊपर आये देखा गुड्डू बिस्तर पर पड़ा आराम से सो रहा है तो मनोहर ने उसे उठाते हुए कहा,”अबे गुड्डू अबे शादी है तुम्हायी भैया उठो”
गुड्डू आँखे मसलते हुए उठा और कहा,”बर्बादी है बे , बड़के मिश्रा जी ने चरस बो दी है हमायी जिंदगी में”
“क्या क्या क्या ? मतलब समझे नहीं हम”,मनोहर ने उलझन भरे स्वर में कहा
“कुछो नहीं मनोहर भैया नींद में बड़बड़ा रहे है गुड्डू भैया , चाची ने जो कपडे दिए है दो ना इनको”,गोलू ने बात सम्हालते हुए कहा
मनोहर ने हाथ में पकडे लाइट पिले रंग का कुरता और सफेद अचकन गुड्डू की और बढ़ाकर कहा,”पंडित जी आ गए है पहनकर निचे चले आओ”
गुड्डू ने बेमन से कपडे लिए और बाथरूम में चला गया गुड्डू कपडे बदलकर आया तो गोलू ने उसकी बलाये लेते हुए कहा,”गुड्डू भैया कतई चौंचक लग रहे हो कुर्ते में तुम्हारी तो पर्सनालिटी ही बदल गयी”
“इह तो शुरुआत है गोलू धीरे धीरे सब बदलने वाला है”,गुड्डू ने कहा और शीशे के सामने आकर कुर्ते की बाजु मोड़ने लगा। बाल बनाये और चेहरे पर हल्का सा मॉइश्चराइजर क्रीम लगाया और मनोहर से कहा,”चले”
“अरे यार शादी होने जा रही है तुम्हायी चेहरे पर थोड़ा स्माइल लाओ यार”.मनोहर ने कहा तो गुड्डू जबरदस्ती मुस्कुरा दिया और फिर तीनो नीचे चले आये। आस पास वाले सभी मेहमान आ चुके थे , मोहल्ले की औरते भी आ चुकी थी और मिलकर मंगलगीत गा रही थी। मिश्रा जी केशव पंडित के बगल में बैठे थे गुड्डू को देखते ही उन्होंने कहा,”गुड्डू आओ”
गुड्डू जाकर उनके पास बैठ गया पंडित जी ने गणेश पूजन शुरू किया। मनोहर की आँखे तो रौशनी को ढूंढ रही थी कुछ देर बाद पीले रंग का पटियाला पहने रौशनी वहा चली आयी और वेदी के पास आकर बैठ गयी। मनोहर को देखा और शरमा कर मुस्कुरा दी। गोलू बेचारा था सिंगल उसकी जिंदगी में कोई थी नहीं वह बस खड़े खड़े कभी मनोहर को देखता तो कभी गुड्डू को। वेदी तो गुड्डू की शादी को लेकर बहुत एक्साइटेड थी और रौशनी को बता रही थी वह शादी में क्या क्या पहनने वाली है। मिश्रा जी ने मनोहर को इशारा करके अपने पास बुलाया और कहा की मेहमानो को ठंडा सर्व करे। मनोहर ने सबको ठंडा सर्व किया गोलू ने देखा तो एक साथ दो ग्लास उठाये , अचानक उसकी नजर मिश्रा जी पर पड़ी जो की उसे ही घूर रहे थे तो गोलू ने एक ग्लास वापस रख दिया और दुसरा ग्लास
लेकर साइड में चला आया। गणेश पूजन सम्पन्न हुआ। गुड्डू ने बड़ो का आशीर्वाद लिया। पंडित जी को खाना खाने का बोलकर मिश्रा जी ने पंडिताइन से कहा,”पंडित जी खाना खा ले उसके बाद सभी मेहमानो को खाना खिला दीजियेगा”
“जी ठीक है”,कहकर मिश्राइन अपनी ननद के पास आयी और गोलू से मिठाई का कार्टून लेकर आने को कहा। मोहल्ले से जो औरते आयी थी उन्हें मिठाई का छोटा डिब्बा देकर विदा किया और शाम को हल्दी में आने को कहा। सभी वहा से चले गए बस घर के लोग और मेहमान बचे थे। मिश्राइन ने सबके लिए खाना लगवाया। दोपहर हो चुकी थी सभी आराम कर रहे थे। औरते बैठकर हंस बोल रही थी। गुड्डू की मौसी के बेटे की बहु अंजली भी आयी थी जो की गुड्डू को बार बार शगुन के नाम से छेड़ रही थी। गुड्डू को ओरतो में बैठना सही नहीं लगा तो वह ऊपर चला आया जबकि गोलू वही नीचे बैठकर उनकी चटपटी बातें सुन रहा था। गुड्डू जैसे ही ऊपर आया देखा मनोहर और रौशनी वहा है और मनोहर रौशनी का हाथ थामे उस से कुछ बात कर रहा है। जैसे ही मनोहर रौशनी को किस करने के इरादे से आगे बढ़ा गुड्डू ने बीच में आकर कहा,”का चल रहा है इह सब ?”
“अरे यार गुड्डू बहुते गलत टाइम पर एंट्री मारे हो यार तुम”,मनोहर ने कहा
“अच्छा हमहू गलत टाइम पर एंट्री मारे है और तुम दोनों जो खुलेआम इह सब कर रहे हो , शरम नहीं आती”,गुड्डू ने कहा
“कैसी शरम बे ? हमायी शादी होने वाली है रौशनी के साथ इतना हक़ तो बनता है हमारा”,मनोहर ने कहा। गुड्डू को वहा देखकर रौशनी ने कहा,”अच्छा हम जाते है”
गुड्डू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”तुमहू कहा चली ? रुको जरा”
“अरे यार गुड्डू रोमांस नहीं समझते हो तुमहू , जब शगुन भाभी आयी थी यहाँ तब तुमहू भी तो क़्वालिटी टाइम बिताये ना उनके साथ”,मनोहर ने कहा। गुड्डू ने जैसे ही शगुन का नाम सुना उसने रौशनी का हाथ छोड़ दिया उसे बारिश का वो पल याद आ गया जब वह शगुन के साथ था और फिर एक एक करके सभी पल आँखों के सामने आने लगे। गुड्डू को खोया हुआ देखकर मनोहर और रौशनी वहा से खिसक गए

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