Manmarjiyan – 10

Manmarjiyan – 10

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुड्डू ने सब सामान रखा और खाना खाने चला आया। घर के बड़े आंगन में सब थे तो गुड्डू पीछे वाले आँगन की तरफ चला आया। शगुन ने गुड्डू को देखा तो उसके लिए खाना लेकर चली आयी। उसने खाना गुड्डू के सामने रखा और जाने लगी तो गुड्डू ने उसका हाथ पकडकर उसे रोक लिया और कहा,”शगुन ! हमहू खाना खाये तब तक हिया बइठो ना प्लीज”
“गुड्डू जी घर में सब लोग है ऐसे अच्छा नहीं लगता,,,,,,,,,आप खाना खा लीजिए मैं आपसे बाद में आकर मिलती हूँ”,शगुन ने कहा और वहा से चली गयी।


गुड्डू को भूख लगी थी फिर भी उसने प्लेट आगे खिसका दी और जैसे ही उठने को हुआ शगुन के पापा वहा चले आये और गुड्डू से कहा,”इतना लेट खाना खा रहे है बेटा जी,,,,,,,,,,,!!”
शगुन के पापा को देखकर गुड्डू रुक गया और कहा,”अरे पापा आप , बैठिये ना”
गुप्ता जी ने कुर्सी खिसकाई और उस पर आ बैठे। गुड्डू भी अपनी कुर्सी पर आ बैठा अब गुप्ता जी सामने थे इसलिए गुड्डू ने खाना अपनी तरफ खिसकाया और खाना शुरू किया।


गुड्डू को चुपचाप खाते देखकर गुप्ता जी ने कहा,”अम्माजी के गुजर जाने के बाद आपके पिताजी काफी अकेले पड़ गए है बेटा जी , आप उन्हें हिम्मत देते रहना जिस से वे इस दुःख से उबर पाए,,,,,,,,,!!”
“हाँ पापा हमहू ध्यान रख रहे है पिताजी का , भूलकर भी ऐसा कुछो नहीं कर रहे जिस से उन्हें ठेस पहुंचे या उह हमरी वजह से परेशान हो,,,,,,,आज शाम फूफाजी ने बस थोड़ा रायता फैला दिया , पिताजी की वजह से रुक गए हमहू वरना वही समझा देते अच्छे से फूफा को,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने थोड़ा गुस्से से कहा

वह भूल गया कि उसके सामने शगुन के पापा बैठे है , गुड्डू झेंप गया और कहा,”माफ़ करना उह हम फ्लो फ्लो में कुछो जियादा ही कह गए,,,,,,,,,,पर हम ना अपने पिताजी का को ऐसे मायूस नहीं देख सकते,,,,,,,,,,!!”
“माफ़ी की कोई जरूरत नहीं है बेटा जी , आपने कुछ गलत नहीं कहा हम वही थे आदर्श बाबू ने मिश्रा जी बदतमीजी की बस इसलिए उन्होंने हाथ उठा दिया,,,,,,,,,,,ये सब तो हर घर में होता रहता है इस पर ज्यादा ध्यान मत दो ,, अभी के लिए बस मिश्रा जी का ध्यान रखो,,,,,,,,,,,कल सुबह हम और शगुन के चाचा चाची बनारस के लिए वापस निकल जायेंगे,,,,,,,,,!!”,शगुन के पापा ने कहा


“अरे इत्ती जल्दी काहे ? अम्मा के दिनों में रुकिए ना हिया,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“माफ़ करना बेटा जी , बिटिया के ससुराल में ऐसे रुकना अच्छा नहीं लगता और फिर वहा भी कोई नहीं है। प्रीति अपने ससुराल है और अमन पढाई के लिए बाहर गया है,,,,,,,,,,तो जाना पडेगा , दिन जब पुरे हो जाये तो आप शगुन बिटिया को लेकर बनारस आईयेगा”,गुप्ता जी ने कहा
“हम्म्म ठीक है आप कह रहे है हम आपको नहीं रोकेंगे लेकिन जाने से पहले आप एक बार पिताजी से जरूर मिल लीजियेगा,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने गुप्ता जी की तरफ देखकर कहा


“हाँ बिल्कुल बेटा , वैसे अम्माजी के दिन पुरे हो जाए उसके बाद हम विनोद के साथ एक बार कानपूर फिर आएंगे ,, अमन और आपकी छोटी बहन को लेकर कुछ बात करनी है मिश्रा जी से,,,,,,,,,,अभी सही वक्त नहीं है और अच्छा भी नहीं लगता ऐसे टाइम में,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
गुड्डू को याद आया कि शगुन का भाई अमन उसकी बहन वेदिका को पसंद करता है लेकिन वह शगुन के साथ अपनी नयी जिंदगी शुरू करने में इतना व्यस्त हो गया कि उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। गुड्डू को सोच में डूबा देखकर गुप्ता जी ने कहा,”आपको अमन और वेदी बिटिया के रिश्ते से कोनो परेशानी,,,,,,,,,,,!!”


“अरे नहीं नहीं पापा कैसी बाते कर रहे है आप ? अमन अच्छा लड़का है हमहू जानते है और अगर वेदी और अमन दोनों एक दूसरे को पसंद करते है और साथ मा जिंदगी बिताना चाहते है तो हमे कोनो परेशानी नाही,,,,,,,,,,बस घर का माहौल थोड़ा ठीक हो उसके बाद हम खुद बात करते है पिताजी से,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
गुप्ता जी वही बैठकर गुड्डू से बतियाने लगा और गुड्डू उनसे बाते करते हुए खाना खाने लगा।

गोलू फूफाजी को रिक्शा में डालकर बाबू गोलगप्पे वाले के घर पहुंचा। बहुत ज्यादा शराब पी लेने की वजह से फूफाजी बेसुध थे बाबू की मदद से गोलू ने फूफा को  उसके कमरे के अंदर लेकर आया और बिस्तर पर डाल दिया। फूफा को अंदर लाते लाते गोलू की जान हलक में अटक गयी वह हाफने लगा तो बाबू उसके लिए पानी का गिलास ले आया और कहा,”गोलू भैया पानी”


“अरे थैंक्यू बाबू ! साला जे आदमी है कि कोनो जानवर , का खाता होगा ऐसा ? जान ही निकाल दी हमायी”,गोलू ने हाँफते हुए कहा और गिलास में रखा सारा पानी एक साँस में पी गया।
“भैया लेकिन जे है कौन और आप इनको घर काहे नहीं लेकर जाते ?”,बाबू ने डरते डरते पूछा कि कही गोलू उसे फिर ना घुड़क दे


गोलू ने गिलास बाबू की तरफ बढ़ाया और कहा,”बहुते लम्बी कहानी है बाबू कभी फुर्सत में बताएँगे,,,,,,,,अभी हमहू जाते हैं कल सुबह जल्दी आएंगे इनको लेने ठीक हैं तब तक ख्याल रखना,,,,,,,,,,,,!!”
“ठीक है भैया,,,,,,,,,!”,बाबू ने कहा और गोलू के साथ उसे छोड़ने दरवाजे तक चला आया
गोलू ने बाबू को जाकर सोने को कहा और पैदल ही घर के लिए निकल गया।

चलते चलते गोलू खुद में ही बड़बड़ाने लगा,”साला जे फूफा ने गुड्डू भैया को जे काहे कहा कि मिश्रा जी उसके बाप नहीं है ? जे बात का का मतलब हो सकता है ? का कुछो ऐसा है जो मिश्रा जी हम सबसे छुपा रहे है या फिर फूफा जान बुझकर आग लगाय रहे है ? जे मेटर तो सुलझाना पडेगा गोलू,,,,,,,,,,,, पर हमहू साला कित्ते चूतिया है

फूफा अभी हमरे हाथ मा थे यही से उठा लेते ना उनको मिश्रा जी का काम भी हो जाता और हमरा भी,,,,,,,,,,,,चूतिया तो तुमहू हो गोलू अभी नशे में फूफा को उठा लिए तो उनको का पता चलेगा तुमहु उन्हें काहे उठाये हो,,,,,,,,,,,फूफा को पुरे होशो हवास में उठाना है का समझे तभी तो पुरा कानपूर तुम्हरा भौकाल देखेगा,,,,,,,,,,,!”


खुद में बड़बड़ाते हुए गोलू का चलते चलते पैर उलझा और वह अँधेरे में मुंह के बल नीचे जा गिरा। अँधेरे में गोलू को कुछ दिखा नहीं वह उठा और खुद को झाड़ते हुए कहा,”साला जे फूफा सच मा मनहूस ही है मल्लब इह का नाम लेते ही गिर गए,,,,,,,,,,,,,,कसम से बहुते गिरा हुआ इंसान है,,,,,,,,,,,छोडो सुबह आकर उठाते है फूफा को , लेकिन गुड्डू को बता देते है फोन करके उह परेशान होय रहे होंगे घर पे,,,,,,,,,,!!”

गोलू आगे बढ़ा और चलते चलते गुड्डू का नंबर डॉयल कर के फोन कान से लगा लिया। एक दो रिंग के बाद गुड्डू ने फोन उठाया और कहा,”हाँ गोलू !”
“हाँ भैया ! हमहू जे कह रहे थे कि उह्ह फूफा को ठिकाने लगा दिया है , तुमहू चिंता नाही करो”,गोलू ने कहा
गुड्डू सबके बीच था गोलू की बात सुनकर साइड में आया और दबी आवाज में कहा,”ठिकाने लगा दिए मतलब ? का जान से मार वार दिए का गोलू उनको ?”


“अरे का गुड्डू भैया , एक ठो चींटी तो हमसे मारी नहीं जाती तुमको लगता है आदमी मार देंगे,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने चिढ़कर कहा
“तो फिर जे का था कि ठिकाने लगाय दिए ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे मतलब फूफा को सही जगह छोड़ दिए है , सुबह घर पहुंचा देंगे उन्हें,,,,,,,,,आप परेसान नाही हो,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“ठीक है , घर आ रहे हो ?”,गुड्डू ने पूछा


“नहीं हमहू अपने घर जा रहे है ,, आज सुबह से हमहू जो लट्टू बने है हमको नींद की सख्त जरूरत है भैया,,,,,,,,,,और फिर कल सुबह फूफा को भी उठाना है”,गोलू ने कहा
“फूफा को काहे उठाना है ? गोलू तुमहू फिर से कोनो काण्ड करने जा रहे हो का ?”,गुड्डू ने चिंतित स्वर में पूछा


“अरे उठाना है मतलब नींद से उठाना है , उह बाबू के घर सुलाकर आये है ना उनको इहलीये,,,,,,,,,,,,,ए भैया हमायी ना एक ठो बिनती है तुमसे , जे सवाल जवाब का खेला ना कल खेलिएगा हमसे , अभी हमका जाय दयो,,,,,,,,,!!”,गोलू ने दुखी स्वर में कहा


“हाँ ठीक है और कल सुबह जल्दी आ जाना हमे जरूरत रहेगी तुम्हारी,,,,,,,,,,,,रखते है”,गुड्डू ने कहा और फोन काट दिया
गोलू ने भी फोन रखा और वहा से गुजर रहे ऑटो में आ बैठा और घर का पता बताया। नींद से गोलू की आँखे भारी हो रही थी वह बस घर पहुंचकर सोना चाहता था।

 घर में बरामदे में गोलू के पिताजी यहाँ से वहा चक्कर लगाते हुए उसका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कलाई पर बंधी घडी में समय देखा जो कि रात के 10 बजा रही थी। उन्होंने समय देखकर अपना हाथ झटका और बड़बड़ाये,”लगता है आज गोलुआ को कुछो जियादा ही डांट दिए रहय , अभी तक घर नहीं आया उह,,,,,,,,!!”
“काहे परेशान होते है आ जाएगा गोलुआ,,,,,,,,,,गुड्डू के घर गया होगा”,गोलू की अम्मा ने कहा


“गुड्डू के घर नहीं गया है तभी तो परेशान हो रहे है,,,,,,,,अब तक तो आ जाना चाहिए था उसे,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“आप भी कमाल करते है गोलू के पिताजी , दिनभर उसके पीछे पड़े रहते है , उसे डांटते है , गरियाते है और अब उसके लिए चिंतियाय रहे है ,, चलकर सो जाईये उह आजायेगा,,,,,,,,,,,हमहू बहुरिया से कहे रहे गोलू के आने पर दरवाजा खोलने को उह खोल देगी,,,,,,,,,,!!”,गोलू की अम्मा ने कहा


“अरे बहु को काहे परेशान की तुमहू जे सब कहके , उह पेट से है ओह का आराम करि दयो हमहू करते है गोलुआ का इंतजार तुमहू जाकर सो जाओ”,गुप्ता जी ने कहा तो गुप्ताइन कुछ देर रुकी और फिर अपने कमरे में चली गयी।

 गोलू घर पहुंचा जैसे ही अंदर आया अपने पिताजी को देखकर उसके कदम लड़खड़ाए , गुप्ता जी से बचने के लिए गोलू चुपचाप जाने लगा तो गुप्ता जी ने उसे अपने पास आने का इशारा किया। गोलू ने मन ही मन अपनी किस्मत को कोसा और गुप्ता जी के सामने आ खड़ा हुआ। गुप्ता जी ने ध्यान से गोलू को देखा , नाक सिकोड़ी जैसे कुछ सूंघ रहे हो और फिर गोलू को एकटक देखने लगे।


अच्छा गोलू थोड़ी देर पहले अंधेर में जहा गिरा था वहा कालिख पड़ी थी जो कि गोलू के मुँह पर लग चुकी थी लेकिन गोलू को इस बात का अहसास नहीं था ऊपर से फूफा को अपने साथ लेकर वह बाबू के घर गया था तो उसके कपड़ो से अब शराब की बदबू भी आ रही थी और उसके लड़खड़ाते कदमो को कुछ देर पहले गुप्ता जी ने देखा ही था। कुल मिलाकर गोलू की लंका फिर से लगने वाली थी।

गुप्ता जी को एकटक अपनी ओर देखते पाकर गोलू झेंपते हुए मुस्कुराया और कहा,”हमका बहुते नींद आय रही है पिताजी हमहू अंदर जाए,,,,,,,,,,आपको जो कहना हो कल सुबह कह लेना हम कौनसा कही जा रहे है , यही पड़े मिलेंगे का है कि आज का कोटा तो हमरा पूरा हो चुका,,,,,,,ओवर टाइम तो हमहू बिल्कुल नाही करेंगे”
“जाने से पहिले हमका जे बताओ कि कहा मुंह काला करवा के आये हो ?”,गुप्ता जी ने अपने हाथो को बांधकर कहा


“मुंह काला ? पिताजी हमहू शादीसुदा है , अरे अपनी पिंकिया के अलावा हमहू किसी को देखते तक नाही हमहू काहे मुंह काला करेंगे , लगता है आप होश में नाही है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा जबकि उसे नहीं पता था उसके पुरे मुंह पर कालिख लगी है


“पी तुमने है और होश में हम नाहीं है,,,,,,,,,,हमरे सामने ठीक से खड़े तक नहीं हो पा रहे हो तुमहू गोल , सिगरेट बीड़ी पान मसाला तक ठीक था अब शराब पीना भी शुरू कर दिए तुम,,,,,,,,सच सच बताओ कौनसे बाड़े में लौटकर आये हो , हमायी नाक कटवाने में तो तुमने कोनो कसर नाही छोड़ी है गोलू,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने दबी आवाज में लेकिन थोड़ा गुस्से से कहा


गोलू ने सुना तो सब उसके सर के ऊपर से गया और उसने कहा,”पिताजी जे सब का कह रहे है आप ? हमहू शराब काहे पीकर आएंगे और कही नहीं लोटे है हम उह तो चलते चलते गिर गए थे तो उसी से कपड़ो पर मिटटी लग गयी,,,,,,,,,,,!!”


“शराब पीकर चलोगे तो नाले में ही गिरोगे ना गोलू फूलों की सेज तो बिछायी नहीं होगी किसी ने तुम्हाये लिए कि कानपूर के श्री गोलू महाराज मदिरापान करके हिया से गुजरेंगे क्यों न उनके लिए फूलो की सेज बिछा दे,,,,,,,,,,हमका जे बताओ तुमने शराब काहे पी है ?”


गोलू के अंदर बकैती का एक कीड़ा था जो हर 5 मिनिट में फड़फड़ाता जरूर था , इतने सीरियस मोमेंट में भी गोलू को ना जाने क्या सुझा उसने अपना एक हाथ कमर पर रखा और थोड़ा कमर झुकाकर दूसरे हाथ को अपने पिताजी के सामने करके श्री अमिताभ बच्चन जी के अंदाज में कहा,”हई साला ! कौन कमबख्त बर्दाश्त करने के लिए पीता है, हम तो पीते हैं कि यहां पर बैठ सके, तुम्हें देख सके, तुम्हें बर्दाश्त कर सकें,”


एक तो गोलू ने गलत समय पर , गलत आदमी के सामने , गलत डायलॉग बोलने की हिम्मत की ऊपर से वह गुप्ता जी ठीक सामने खड़ा था। गुप्ता जी ने आव देखा ना ताव खींचकर एक थप्पड़ गोलू के गाल पर रसीद किया और कहा,”एक तो दारू पीकर आये हो ऊपर से गलत डायलॉग भी बोल रहे हो,,,,,,,,,,,,,गोलू तुम्हरी जे भाँडो वाली हरकत बताय रही है कि नशा किये हो तुम,,,,,,,,,!!”


थप्पड़ खाने के बाद गोलू को होश आया कि वह अपने पिताजी के सामने खड़ा है , और अब उसे सारी बातें समझ आ रही थी जो गुप्ता जी कह रहे थे। उसने गुप्ता जी की तरफ आते हुए कहा,”किसने कहा आपसे हमहू दारू पीकर आये है ?”
“कहने की जरूरत का है बेटा इह तुम्हरे कपड़ो से जो महक आय रही है उह रजनीगंधा के फूलो की तो होगी नहीं,,,,,,,,,दारू ही है ना”,गुप्ता जी ने कहा


गोलू ने अपना नाक बाजु से लगाकर जैसे ही सुंघा उसे पता चला कि उसके कपड़ो से शराब की बदबू आ रही है और ऐसा इसलिए था क्योकि वह नशे में धुत्त फूफा को बाबू के घर छोड़ने जो गया था।
“अरे पिताजी जे तो उह फूफा,,,,,,,,,,,,,!!”,कहे कहे गोलू रुका और मन ही मन खुद से कहा,”फूफा का नाम लिया तो फिर फंस जाएंगे,,,,,,,,,,!!” 
गोलू को खामोश देखकर गुप्ता जी ने कहा,”का हुआ जबान को ताला काहे लगा लिए गोलू गुप्ता ?”


“उह्ह्ह पिताजी,,,,,,,,,,,,,,!”,गोलू ने कहा लेकिन गुप्ता जी ने उसे आगे बोलने से रोक दिया और कहा,”कुछो नाही बोलोगे तुम , तुमसे तो हम सुबह बात करेंगे , आज रात यही सोवो तुम,,,,,,,,,,,,अंदर नहीं आना”
कहकर गुप्ता जी चले गए और दरवाजा बंद कर लिया।


“अरे पिताजी ! अरे हमहू नहीं पीकर आए है यार हमरी बात का यकीं करो कसम से,,,,,,,,,,,,,,साला आज का दिन ही खराब है”,कहे हुए गोलू ने ऊपर आसमान की तरफ देखा और गुस्से से कहा,”और कोनो भसड़ बाकि है तो उह भी लिख दयो हमायी किस्मत मा का है कि हमायी नाम की तो सुपारी लेकर बैठे है आप,,,,,,,!!”
कहते हुए गोलू ने जैसे ही गुस्से में सामने अपना पैर मारा गोलू का पैर सामने रखे गमले से टकराया और गोलू अपना पैर पकड़कर वही बैठ गया।

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संजना किरोड़ीवाल 

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गोलू ने सुना तो सब उसके सर के ऊपर से गया और उसने कहा,”पिताजी जे सब का कह रहे है आप ? हमहू शराब काहे पीकर आएंगे और कही नहीं लोटे है हम उह तो चलते चलते गिर गए थे तो उसी से कपड़ो पर मिटटी लग गयी,,,,,,,,,,,!!”
“शराब पीकर चलोगे तो नाले में ही गिरोगे ना गोलू फूलों की सेज तो बिछायी नहीं होगी किसी ने तुम्हाये लिए कि कानपूर के श्री गोलू महाराज मदिरापान करके हिया से गुजरेंगे क्यों न उनके लिए फूलो की सेज बिछा दे,,,,,,,,,,हमका जे बताओ तुमने शराब काहे पी है ?”

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