Manmarjiyan Season 3 – 31

Manmarjiyan Season 3 – 31

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

पिंकी का फोन आने की वजह से गुड्डू जल्दी में घर से निकल गया लेकिन फूफाजी ने शगुन के दिमाग में गुड्डू को लेकर शक का बीज डाल दिया। अतीत में  पिंकी और गुड्डू के रिश्ते की वजह से शगुन ने जो दुख देखे थे वो शगुन भूली नहीं थी। शगुन को सोच में डूबा देखकर फूफा मुस्कुराते हुए वहा से चले गए।

“आदर्श बाबू ने तो हद ही कर दी है , सोचा नहीं था इनका लालच भरा चेहरा ऐसे सामने आएगा”,मिश्राइन ने शगुन के पास आकर कहा तो शगुन की तंद्रा टूटी और उसने मिश्राइन से कहा,”माजी ! क्या हुआ ? आप परेशान क्यों है ?”


“परेशान नाही है शगुन बल्कि हमे जीजी और आदर्श बाबू पर गुस्सा आ रहा है , बेशर्मी की भी एक हद होती है पर आदर्श बाबु ने तो सारी हदें पार कर दी और तो और जीजी को भी अपने जैसा बना लिया। अरे जब घर का सदस्य ही घर मा तमाशा बनाने का मन बना ले तो बाहर वाले से तो शिकायत ही कैसी ?”,मिश्राइन ने हताश होकर कहा
“हाँ माजी ! फूफाजी की बदतमीजियां कुछ ज्यादा ही बढ़ चुकी है , वे जानबूझकर बात बात पर घर में सबसे उलझ रहे है ताकि घर का माहौल खराब हो ,,

फूफाजी जो कर रहे है वो बहुत गलत है और भुआ जी भी इन सब में उनका साथ दे रही है,,,,,,,गुड्डू जी से भी कई बार उलझ चुके है। एक दो बार तो हम सबने मिलकर उन्हें रोक लिया पर हर बार नहीं रोक पाएंगे,,,,,,,,,,,माजी ! आपको और पापाजी को एक बार बैठकर फूफाजी और भुआजी से बात करनी चाहिए , आखिर उन्हें क्या चाहिए ?”,शगुन ने परेशानी भरे स्वर में कहा


“अरे का बैठकर बात करे इन लोगन से , दोनों पति पत्नी बेशर्मी पर उतर आये है। अम्मा को गुजरे दुइ दिन नाही हुए और जीजी ने हमसे अम्मा के बक्से की चाबी मांग ली,,,,,,,,,,,हमे तो अम्मा का कोनो सामान चाहिए भी नाही शगुन पर का इन लोगन का जे बर्ताव सही है,,,,,,,,,,,,,,आँखों पर लालच की ऐसी पट्टी बंधी है कि उन्हें कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा। जे घर गुड्डू की पिताजी ने अपनी मेहनत से बनाया है आदर्श बाबू को जे घर कैसे दे दे ?”,मिश्राइन ने गुस्से से कहा


शगुन ने सुना तो उसे फूफा की बुरी नियत जानकर बहुत हैरानी हुई और उसने कहा,”ये आप क्या कह रही है माजी ? फूफाजी इतना कैसे गिर सकते है ?”
“अरे का बताये शगुन ! जब घर के मुखिया ही जे सब पर चुप्पी साध ले तो कोई का कर सकता है ?”,मिश्राइन ने सामने से आते मिश्रा जी को देखकर कहा
मिश्राइन की बात मिश्रा जी के कानो में पड़ चुकी थी लेकिन उन्होंने फिर भी नजरअंदाज किया और मिश्राइन से आकर कहा,”राजकुमारी को अगर अम्मा का बक्सा चाहिए तो ओह्ह का देइ दयो का परेशानी है ?”


“परेशानी हमका बक्सा या अम्मा का सामान देने मा नहीं है , परेशानी उनका इह तरह से बर्ताव करने से है। जीजी और आदर्श बाबू जे घर मा मेहमान है फिर काहे वे लोग इह घर के मालिक बनने की बाते कर रहे है ? और अम्मा के बक्से की चाबी चाहिए ना तो उह हम जीजी को जरूर देंगे , बल्कि कल तिये की बैठक के बाद अम्मा का बक्सा खुली है सबके सामने और सबको बराबर हिस्सा मिली है,,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने गुस्से से कहा


मिश्राइन हमेशा शांत रहने वाली , हसने मुस्कुराने वाली महिला थी। शगुन ने आज पहली बार उनको गुस्से में देखा था पर शगुन समझ रही थी मिश्राइन का गुस्सा जायज था। मिश्रा जी ने सुना तो उन्होंने विनम्र स्वर में कहा,”जाने दयो गुड्डू की अम्मा , राजकुमारी को जो चाहिए उह देइ दयो,,,,,,तुम्हे उन जैसा बनने की जरूरत नाही है”
“काहे ? जब वे लोग नीचता पर उतर आये है तो फिर उनको उनकी ही भाषा मा जवाब देना हमरा फर्ज बनता है”,मिश्राइन ने कहा और वहा से चली गयी।


मिश्रा जी ने अफ़सोस से अपना सर झटका और शगुन की तरफ देखा तो पाया शगुन उनकी ही तरफ देख रही थी। शगुन को अपनी ओर देखते पाकर मिश्रा जी ने कहा,”कुछो कहना है बिटिया ?”
“पापा जी ! जब से हम गुड्डू जी से शादी करके इस घर में आएंगे हमने हमेशा आपका एक रौब और रूतबा इस घर में देखा है। मैंने कभी आपको इतना मजबूर और शांत नहीं देखा। हम सबकी गलतियों पर हमे डांट लगाने वाले , हमे समझाने वाले , हम सबको सही और गलत में फर्क बताने वाले आप , फूफाजी के सामने इतना लाचार क्यों है

? मैंने आज ही फुफाजी को कहते सुना कि आपकी दुखती रग उनके हाथ में है ,, क्या ऐसी कोई बात है जिस से आप उनकी हर बदतमीजी हर बदसुलूकी पर चुप है,,,,,,,,,,,,ये सवाल सिर्फ मेरा ही नहीं है पापा जी बल्कि इस घर के हर सदस्य का है कि आप चुप क्यों है ? आप चाहे तो उन्हें उनकी सही जगह दिखा सकते है फिर आप क्यों पिछले दो दिन से उनका बुरा बर्ताव सह रहे है,,,,,,,,,!!”,शगुन ने दुखी स्वर में कहा


मिश्रा जी ने उदास आँखों से शगुन को देखा तो शगुन ने आगे कहा,”मैं जानती हूँ पापाजी मुझे आपसे इस तरह सवाल नहीं करना चाहिए पर अगर आपकी जगह मेरे पापा होते तो क्या वे मुझे अपनी परेशानी नहीं बताते ?
आप ही तो कहते है ना मैं इस घर में बहू के साथ साथ इस घर की बिटिया भी हूँ और आप तो मुझे गुड्डू जी और वेदी से ज्यादा समझदार भी मानते है ना फिर क्या आप अपनी परेशानी मुझे नहीं बताएँगे,,,,,,,,,,,मैं आपको ऐसे नहीं देख सकती पापा जी,,,,,,,,बेबस और लाचार , आपको मेरी कसम है पापाजी बताईये आखिर ऐसी कौनसी बात है जो अंदर ही अंदर आपको खाये जा रही है ?”


कहते हुए शगुन ने मिश्रा जी का हाथ अपने सर पर रख दिया , मिश्रा जी ने जल्दी से शगुन के सर हाथ हटाया और कहा,”का कर रही हो बिटिया ? ऐसे कोनो अपनी कसम देता है का ? और खबरदार जो आज के बाद ऐसे अपनी कसम दी तो भूलो मत अब तुमहू अकेली नाही हो। तुम पर एक ठो नन्ही सी जान की जिम्मेदारी भी है।”
“तो फिर बताईये आखिर वो कौनसी बात है जिसकी वजह से आप चुप है”,शगुन ने कहा


मिश्रा जी ने शगुन को देखा और उसके सर पर हाथ रखकर कहा,”हम नहीं बता सकते बिटिया,,,,,,,नहीं बता सकते,,,,,,,,,,कुछ बाते ऐसी होती है जो सामने ना ही आये तो सबके लिए अच्छा है,,,,,,जाओ अंदर जाओ”
“पापा जी,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा उसकी आँखों में नमी थी , वह पिता समान अपने ससुर को इस तकलीफ में नहीं देख पा रही थी।


“अम्मा के दिन पुरे हो जाही ओह्ह के बाद हमहू सब ठीक कर देंगे,,,,,,,,हम वचन देते है”,कहकर मिश्रा जी वहा से चले गए क्योकि वे जानते थे कि शगुन से अपने मन की बात ज्यादा देर तक छुपा नहीं पाएंगे।  

 शगुन नम आँखों से उन्हें जाते देखते रही और फिर मन ही मन कहा,”आपकी परेशानी का मैं पता लगाकर रहूंगी पापा जी और फूफा जी को सबक भी जरूर सिखाऊंगी , लेकिन मुझे इन सब में किसी की मदद लेनी होगी,,,,,,,,,,,,किसकी मदद ले ? हाँ गोलू जी , गोलू जी ही है जो इसमें मेरी मदद कर सकते है। माफ़ करना पापा जी लेकिन जब घी सीधी ऊँगली से ना निकले तो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ती है”
शगुन गुड्डू पिंकी को भूल गयी और गोलु को फोन लगाने अपने कमरे की तरफ चली गयी।

गुप्ता जी का घर , कानपूर
शाम हो चुकी थी और गोलू घर से नरारद , गुप्ता जी को लगा गोलू उनसे गुस्सा होकर गुड्डू के घर चला गया होगा इसलिए उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने किसी दोस्त से मिलने घर से निकल गए। जैसे घर के दरवाजे पर आये सामने से बाइक पर आता गुड्डू मिल गया। गुड्डू ने बाइक रोकी तो गुप्ता जी ने कहा,”अरे गुड्डू तुम यहाँ ?”
“हाँ चचा वो जरा गोलू के लिए आये थे”,जल्दबाजी में गुड्डू ने कहा


” गोलू से मिलने ? पर गोलू तो तुम्हरे घर ही गया है,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
गुड्डू को याद आया गुप्ता जी को गोलू के बारे में कुछ पता नहीं है तो उसने तुरंत बात बदलकर कहा,”अरे चचा गोलू तो हमाये घर ही है , हमहू तो उह ज़रा ऑफिस की फाइल लेने आये थे ज़रा अर्जेन्ट मा भिजवानी है,,,,,,,,,,आप कहो तो लेइ ले ?”


“हाँ हाँ लेइ ल्यो , गोलू की अम्मा और पिंकी अंदर है ओह्ह स कही दयो पर हमका एक ठो बात बताओ गुड्डू”,गुप्ता जी ने कहा
“का चचा ?”,गुड्डू ने कहा
“तुम्हायी ददिया अभी ताजा ताजा गुजरी है और तुमहू गोलू के साथ मिलके दूकान खोल लिए,,,,,,,,,,,,13 दिन तो रुकना था ना बेटा,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा


गुड्डू जिसके पास ये सब बाते सुनने का ना टाइम था ना ही कोई जवाब इसलिए उसने अंदर जाते हुए कहा,”तो ददिया कौनसा हमरा कापी पेन लेकर गुजरी है,,,,,,,,,धंधा तो धंधा होता है ना चचा”
“का जमाना आ गवा है परिवार के बड़े बुजुर्गो के लिए नोजवानो के मन मा कोनो इमोशन ही ना रहे है,,,,,,,,,,,,महादेव मिश्रा जी की अम्मा की आत्मा को शांति दे “,गुप्ता जी बड़बड़ाते हुए घर से चले गए।

गुड्डू अंदर आकर सीधा पिंकी के कमरे के बाहर चला आया और कहा,”पिंकिया , हम है गुड्डू”
पिकी ने कमरे का दरवाजा खोला और बाहर आयी , उसने गुड्डू का हाथ पकड़ा और उसे घर के आँगन में साइड में लाकर कहा,”गोलू का कुछो पता चला ?”
 “अरे पिंकिया हमहू घर से पहिले सीधा हिया आये है , पुरे कानपूर मा पागलो के लिए 3 अस्पताल बने है हमहू कौनसे मा ढूंढने जाये ओह्ह का ? और अकेले कैसे जाए तुमहू साथ चलो हमरे ताकि कुछो परेशानी भी हो तो तुमहू सम्हाल ल्यो”,गुड्डू ने कहा


“हम साथ चले ? लेकिन हम घर पर क्या कहे गुड्डू ? अगर माँ को बताया गोलू पागलखाने में है तो वो रो रोकर पूरा घर सर पर उठा लेंगी और पापा जी वो तो गोलू को पीट देंगे,,,,,,,,,,क्योकि उनके हिसाब से गोलू खुद ही अपने लिए गड्ढा खोदता है”,पिंकी ने उलझन भरे स्वर में कहा
“सही कहते है गुप्ता जी , और जे गोलू को तुमरे बाप के सामने जाकर तमाशा करने की का जरूरत थी , उह्ह तो पहिले दिन से किलसे पड़े है गोलू से , उनको


तो बस एक ठो मौका चाहिए था और निकाल ली अपनी भड़ास गोलू पर,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने गोलू का गुस्सा शर्मा जी पर उतारते हुए कहा
“गुड्डू हमे का पता गोलू ने वहा का किया होगा ? ऐसे ही तो पापा उसे पागलखाने नहीं ना भेज देंगे,,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा


गुड्डू ने थोड़ा गुस्से से पिंकी को देखा और कहा,”पिंकिया पहिले तुमहू डिसाइड कर ल्यो तुमहू गोलू की साइड हो कि अपने पिताजी की साइड , जे दोनों तरफ से फुटबॉल ना खेलो हमरे साथ,,,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह फ़ो गुड्डू अगर हमे पापा की साइड लेनी होती तो हम तुम्हे मदद के लिए क्यों बुलाते ? अब ये बताओ गोलू को कहा ढूंढे ? इस वक्त तो हमे भी कोई घर से बाहिर नहीं जाने देगा”,पिंकी ने परेशानी भरे स्वर में कहा।

गुप्ताइन तुलसी के पौधे में दीया जलाने आँगन की तरफ आयी तो गुड्डू को वहा देखकर कहा,”अरे गुड्डू तुम हिया कैसे ? कोनो काम से आये हो का ?”
देखो भसड़ के टाइम में गुड्डू और गोलू का दिमाग हमेशा सामान्य से तेज ही चलता था इसलिए गोलू ने कहा,”हाँ चाची ! वो कल दादी की तिये की बैठक है तो अम्मा ने कहा आपको घर आकर बता दू”
“अरे गुड्डू जे भी कोई कहने की बात है , हमहू तो बिना कहे आ जाते घरवालों को भी कबो जे सब कहने की जरूरत पड़ती है का ?”,गुप्ताइन ने दीपक जलाकर तुलसी के पौधे के पास रखकर कहा।  


पिंकी ने गुड्डू को गोलू की अम्मा से बात करते देखा तो उसे इशारा किया तभी गुड्डू ने पिंकी से चक्कर आने का नाटक करने का इशारा किया। पिंकी ने वैसे ही किया। गोलू की अम्मा ने देखा तो भागकर पिंकी के पास आयी और उसे सम्हालते हुए कहा,”अरे पिंकिया ! का हुआ बिटिया ? तुम्हरी तबियत तो ठीक है ना ? ए गुड्डू भाग के ज़रा एक ठो गिलास पानी लेकर आओ और गोलू को फ़ोन करो,,,,,,,,लगता है कमजोरी की वजह से चक्कर आ गवा”


“जे लो चाची पानी”,गुड्डू ने पानी का गिलास बढाकर कहा , गुप्ताइन ने पिंकी को पानी पिलाया लेकिन पिंकी जो कि एक्टिंग के मामले में एक नंबर थी उसने अपना हाथ अपने सर से लगाया और कहा,”माँ हमे बहुते चक्कर आ रहे है , लगता है हमका हॉस्पिटल जाए का पड़ी,,,,,,,,!!!”
पिंकी की बिगड़ती तबियत देखकर गुप्ताइन ने गुड्डू से कहा,”ए गुड्डू ! गोलू को फोन किये की नाही ?”
“हाँ चाची कर दिया , उह कह रहा है पिंकी को सीधा अस्पताल ले आये”,गुड्डू ने कहा जो कि उसका प्लान था पिंकी को घर से बाहर ले जाने का।


“अरे तो खड़े खड़े देख का रहे हो ? लेकर जाओ जल्दी,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने कहा
“हम लेकर जाए ?”,गुड्डू ने हैरानी से पूछा
एक तो पिंकी की तबियत खराब थी ऊपर से गोलू और गोलू के पिताजी घर में नहीं उस पर गुड्डू उनसे ऐसा बचकाना सवाल किया तो गुप्ताइन उठी और कहा,”नहीं तुम काहे लेकर जाही हो , हमहू राजमाता शिवगामी बनकर बाहुबली के जइसन टोकरा मा उठाकर ले जाते है”


“का कह रही हो चाची ?”,गुड्डू ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“अरे तो और का कहे ? उह्ह बेचारी की तबियत खराब है और तुमहू हमसे बकैती कर रहे हो। अरे भैया लेकर जाओ इह का जल्दी इह से पहिले जे की तबियत ज्यादा खराब हो तब तक हम गोलू के पिताजी को लेकर अस्पताल पहुँचते है”,गुप्ताइन ने कहा तो गुड्डू ने पिंकी को सम्हाला और बाहर चला आया

“साला जे गोलू तो गोलू पूरा खानदान ही बकचोद है,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने पिंकी के साथ बाहर आते हुए कहा
पिंकी ने गुड्डू को धीरे से एक मुक्का मारा और कहा,”तुमहू भी कम नाही हो गुड्डू , अंदर माँ से का पंचायती कर रहे थे। उन्होंने बोला तो एक बार में साथ लेकर आ जाते बाहिर”
गुड्डू ने पिंकी को देखा और चिढ़कर अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए कहा,”ए पिंकिया हम पे जियादा ताव ना दिखाओ , एक तो तुम्हरे गोलू महाराज रायता फैलाये और हमहू ओह्ह का समेटे और फिर तुम्हरे तेवर भी देखे”


“हमसे झगड़ा बाद में कर लेना गुड्डू पहिले चलो हिया से,,,,,,,,,,,किसी ने जे बख्त हमे तुम्हारे साथ देखा ना तो दिक्कत हो जाएगी”,पिंकी ने गुड्डू के पीछे बैठते हुए कहा
“आराम से बइठो वैसे भी तुमहू अब हमरे दोस्त की बीवी हो हमरी प्रेमिका नाही”,गुड्डू ने कहा और बाइक आगे बढ़ा दी , पिंकी ने सुना तो मुंह बना दिया उसे तो बस अपने गोलू की चिंता हो रही थी

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संजना किरोड़ीवाल  

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