Manmarjiyan – 17

Manmarjiyan – 17

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

कानपूर की सड़को पर गोलू आगे और यादव जी की भैसिया उसके पीछे , गोलू ने भी बैठे बैठाये नयी मुसीबत मोल ले ली। वह घबराहट में बस भागे जा रहा था , सभी तमाशा देख रहे थे। भागते भागते गोलू थोड़ा आगे निकल आया उसने पलटकर देखा भैस उसके पीछे नहीं थी तो गोलू सड़क के बीचों बीच रुका और अपना पेट पकड़कर कर हाफने लगा। उसने हाँफते हुए अपना एक हाथ अपने सीने पर रखा और कहा,”हहहहहह साला ! हो ना हो हमका फूफा की बद्दुआ लगी है , एक के बाद एक चक्कर मा पड़े ही जा रहे है हम,,,,,,,,,,,,,,!!”


“अरे गोलू का हुआ ? हाफ काहे रहे हो ?”,वहा से गुजरते हुए केशव पंडित ने गोलू के पास रुककर कहा
“मैराथन में भाग लिये है,,,,,,,,,!!”,गोलू ने हाँफते हुए कहा
“मैराथन में ?”,केशव पंडित ने हैरानी से पूछा तभी गोलू के कानो में यादव जी की भैस की आवाज पड़ी और गोलू ने रोनी सी सूरत बनाकर पीछे देखा। भैस पुरे गुस्से से भरी गोलू को मारने आ रही थी।
“अबे भागो पंडित,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो केशव पंडित भी उसके साथ भागने लगा


केशव पंडित अपनी धोती सम्हाले आगे और गोलू उसके पीछे और यादव जी की भैस उसके पीछे जबकि केशव पंडित को समझ नहीं आया कि गोलू के साथ साथ वे क्यों भाग रहे है ? भागते भागते केशव पंडित उलझकर गिरे और सामने से गुजरते ऑटो के डंडे को पकड़ लिया , उनके गिरने से गोलू भी लड़खड़ाकर उनके ऊपर गिरा लेकिन उसके हाथ में आये केशव पंडित के पैर।


ऑटो वाला मस्ती में कानों में ईयर फोन लगाए अपना ऑटो चला रहा था उसे पता ही नहीं था कि उसके ऑटो के पीछे दो लोग लटके है। केशव पंडित और गोलू दोनों ऑटो के साथ साथ कानपूर की सड़क पर घसीटे जा रहे थे।
“अरे गोलू छोडो का कर रहे हो , हमायी धोती खुल जाएगी”,केशव पंडित ने चिल्लाकर कहा
“अरे पंडित धोती खुले चाहे कुर्ता फ़टे हमहू ना छोड़ी है,,,,,,,दिखाई ना देता मौत हमाये पीछे है,,,,,,,,!!”,गोलू ने भी ऊँची आवाज में कहा


“अरे लेकिन जे यादव जी की भैसिया तुम्हरे पीछे काहे पड़ी है ?”,केशव पंडित ने पूछा
“का है कि उनको मोहब्बत हो गयी है हमसे,,,,,,,,,,अब हमरे पियार मा अपनी जान देना चाहती है उह,,,,,,,,!!”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“का किस्मत पाये हो गोलू मतलब मोहल्ले की सबसे सुन्दर कन्या भी तुम्हरी और भैसिया भी तुम्हरी,,,,,,,,!!”,केशव पंडित ने कहा


“पंडित जियादा ना बको वरना यही धोती तुम्हरे गले मा डाल के फांसी लगाय देंगे तुमको,,,,,,तुमहू लिखे थे ना हमरे जन्म पर हमरी कुंडली , तो का भांग खा के लिखे रहे,,,,,,,,,,कुछो ढंग का ना लिख सके ओह्ह मा”,गोलू ने खीजते हुए कहा
“गोलू जे रंगबाजी और गुंडई छोड़ दयो ना तो जिंदगी सुधर जाहि है तुम्हरी पर ना बड़ो का अपमान करो और छोटो के साथ गुंडई करो,,,,,,,,,,,जे सब इसी का नतीजा है,,,,,,,,,और तुम्हरे साथ साथ हमहू भी फंस गए , हमरी धोती छोडो,,,,,,,,,,,,,,ए ए गोलू निकल रही है”,कहते कहते केशव पंडित चिल्लाया


गोलू ने देखा केशव पंडित धारी वाले कच्छे में ऑटो के साथ आगे निकल गया और उसकी धोती गोलू के हाथो में रह गयी। गोलू ने महसूस किया वह आगे नहीं जा पा रहा वही अटक गया है तो वह खुद में बड़बड़ाते हुए पलटा,”साला हमहू आगे काहे नाहीई,,,,,,,,,,,,,,,,,एएएएएएए मैया , मौसी हमहू तुम्हाये आगे हाथ जोड़ते है , अरे गंगा मैया की कसम हमहू कुछो ना किये है , हमका माफ़ी देइ दयो दो कसम से आज के बाद तुम्हरी ब्यूटी के लिए कुछो ना कहेंगे”


गोलू के पीछे यादव जी की भैस खड़ी थी और उसी ने गोलू को रोक रखा था।  गोलू को गिड़गिड़ाते देखकर भैस कुछ कदम पीछे खिसक गयी। गोलू को लगा भैस ने उसे माफ़ कर दिया तो वह बेचारा जैसे जमीन पर पड़ा था वैसे ही पलटकर घुटनो के बल आगे बढ़ा।
अब देखो इंसान हो या जानवर बदला तो बदला होता है। यादव जी की भैस ने भी आगे बढ़कर ऐसी जोरदार लात मारी गोलू की तशरीफ़ पर कि हमारे गोलू महाराज हवा में,,,,,,,,,,,,,,,!!


आगे वाली गली में किसी की मौत हो गयी थी , घर के बाहर उसी के अंतिम संस्कार की तैयारिया चल रही थी। उछलकर गोलू सीधा आकर गिरा वह पड़ी अर्थी पर , और ऐसा गिरा की बेचारा उठ ही नहीं पाया उसकी कमर की बेंड जो बज चुकी थी

शर्मा जी घर , कानपूर
“एजी पिंकिया के पापा हमहू भी तुम्हरे साथ चले का ?”,शर्माईन ने कहा
“उह्ह्ह आदमी के घर हम तुमको लेकर नहीं जा सकते , वैसे भी हम वहा दामाद जी की शिकायत लेकर जा रहे है रिश्ता नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने बिफरते हुए कहा वे सुबह से गोलू पर गुस्सा थे।
“ठीक है लेकिन एक अनजान आदमी के साथ हम यहाँ अकेले नही रहेंगे,,,,,,,,,!!”,शर्माइन ने कहा


शर्मा जी ने कुछ सोचा और कहा,”ठीक है हम रस्ते में तुमको अपनी मौसी के यहाँ छोड़ देंगे,,,,,,,,!!”
“और गुड्डू के फूफाजी,,,,,,,,!!”,शर्माईन ने पूछा
“उनको यही रहने दो , कम से कम गुप्ता जी अपने बेटे के कारनामे खुद अपनी आँखों से तो देखे,,,,,,,कसम से शादी से पहले तो उन्होंने हमारे नाम में दम कर ही रखा था , शादी के बाद तो हद कर दी,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए शर्मा जी बाहर निकल गए और शर्माइन भी घर को लॉक कर उनके पीछे बाहर चली आयी।

स्टोर रूम में कुर्सी पर बंधे फूफा खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे। काफी देर कोशिश करने के बाद वे अपने हाथ खोलने में कामयाब हो गए। उन्होंने अपने हाथो की रस्सी खोली और फिर मुंह पर बंधी बनियान हटाकर एक गहरी साँस ली और कहा,”तुमका तो हमहू ना छोड़ी है गोलू,,,,,,,,,तुमहू सांप के बिल मा जो हाथ डाले हो इह की भरपाई करनी पड़ी है तोह पे”


फूफा ने खुद को रस्सी से आजाद किया और उठकर जैसे ही दरवाजे के पास आया , उन्होने देखा दरवाजा बाहर से बंद है तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला , खोलता भी कौन ? शर्मा जी तो शर्माइन को लेकर अपने घर से जा चुके थे।  

निराश होकर फूफा वापस कुर्सी की तरफ चला आया और खुद से कहा,”एक काम करते है राजकुमारी को फोन करके सब बता देते है उह आकर हमका हिया से ले जाएगी,,,,,,,,,!!”
कहते हुए फूफा ने जैसे ही अपने कुर्ते के जेब में हाथ डाला फोन जेब में नहीं था। फूफा ने दूसरे जेब में देखा उसमे भी नहीं था। फूफा ने झल्लाकर अपना हाथ झटका और कहा,”लगता है फ़ोन कही गिर गया है , अब राजकुमारी से बात कैसे करे ? एक काम करते है गोलू वापस आये उस से पहिले हिया से निकलते है,,,,,,!!”


फूफा स्टोर रूम से निकलने के लिए जगह ढूंढने लगा तभी उसकी नजर खिड़की पर पड़ी और फूफा की आँखे चमक उठी। फूफा खिड़की के पास आये और खिड़की खोलकर बाहर निकलने लगे लेकिन हट्टे कट्टे होने की वजह से फूफा खिड़की में फंस गए। फूफा बस खिड़की से बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रहे थे। अब जिस लोहे के पेन से गोलू की किस्मत लिखी गयी है उसी पेन से शायद फूफा भी अपनी किस्मत लिखवा कर लाये थे।

जब फूफा खिड़की से निकलने की कोशिश कर रहे थे उसी वक्त शर्मा जी की पड़ोसन ने उन्हें देख लिया और चोर समझ लिया। शर्मा जी के घर पर ताला लगा था वे लोग घर पर नहीं है समझकर उन्होंने होशियारी दिखाई चिल्लाई नहीं बल्कि अंदर गयी और पुलिस को फोन कर दिया।

जैसे तैसे करके फूफा ने खिड़की से खुद को निकाला और शर्मा जी के घर के आँगन में आ गिरे। कचरे की गाडी में फेंके जाने की वजह से फूफा के हाथ पैरो पर गंदगी लगी हुई थी।  फूफा ने आँगन में लगे नल से अपने हाथ पैर धोये और फिर मुंह धोने लगे। फूफा ने अपना मुंह पोछा भूख भी लगी थी लेकिन पहले यहाँ से निकलना जरुरी था। मेन गेट तो लॉक था इसलिए फूफा चढ़े दिवार पर और जैसे ही नीचे कूदे अपने सामने खड़ी पुलिस को देखकर घबराये और वापस दिवार चढ़ने लगे लेकिन थानेदार ने उन्हें धर लिया और कहा,”का बे ? कितने दिन हुए कानपुर मा गुंडई करते ?”


अच्छा ये वही थानेदार था जो सुबह भुआ के फोन करने पर मिश्रा जी के घर आया था लेकिन इसने फूफा को देखा नहीं था ना ही मिश्रा जी ने फूफा की तस्वीर और जानकारी देकर किसी को पुलिस स्टेशन भेजा था।  

“अरे थानेदार साहब आप हमका गलत,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा लेकिन थानेदार ने उनकी एक बात नहीं सुनी और कहा,”ए डालो रे इसको जीप में,,,,,,,,,,,चोरी करेंगे , गुंडे बनेंगे , सुलेमान शक्ति नाम है हमाओ , हमरे सामने बड़े बड़े गुंडे भी ना पानी भरते है,,,,,,,!!”,थानेदार ने कहा
“हमका जीप मा डाल दयो इह ठीक है पर जे कन्फ्यूज करने वाले नाम काहे रखे हो ?”,फूफा ने थानेदार का नाम सुनकर कहा


थानेदार फूफा के पास आया और कहा,”का है कि हमरे अम्मा बाउजी ना इंटर कास्ट मैरिज किये थे हमरी अम्मा शबनम बानो और पिताजी मूलचंद जुलाहा तो हमहू उनकी देन है , वैसे एक ठो बात बताओ इह उमर मा साला चोरी करते शरम नाही आती उह भी दिन दहाड़े,,,,,,,,,!”
“ए थानेदार बाबू ! तुमका पता चली ना कि हमरा साला कौन है ? यही पेंट मा मूत दी हो हमरे सामने,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने अपने साले मिश्रा जी की धौंस दिखाकर कहा


फूफा की धमकी सुनकर थानेदार पलटा और कहा,”ए तिवारी जीप मा डालो इनको और इनके बाद साले को भी धर लयो”
फूफाजी हक्के बक्के रह गए , थानेदार तो बहुत बहादुर निकला। पुलिस फूफा को उठाकर ले गयी।

मिश्रा जी का घर , बनारस
मिश्रा जी को फूफा से बात करने बाहर जाना था लेकिन जाए किस बहाने से अभी एक दिन पहले ही उनकी अम्मा गुजरी है ऐसे में घर से बाहर जाना मतलब मोहल्ले में चार बाते बनना। मिश्रा जी ने गोलू को फोन लगाया लेकिन गोलू ने फोन नहीं उठाया। बेचारा उठाता भी कैसे वह तो खुद घर से गायब था।
“जे गोलू फोन काहे नहीं उठा रहा ?”,मिश्रा जी बड़बड़ाये तभी गुड्डू उनके लिए चाय लेकर आया और कहा,”पिताजी चाय”


मिश्रा जी ने चाय का कप लिया तो गुड्डू ने उनकी उदासी देखकर कहा,”का बात है पिताजी आप कुछो परेशान नजर आ रहे है,,,,,,,,,!!”
“कुछ नहीं बेटा बस वो आदर्श बाबू को लेकर परेशान है थोड़ा,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
“पिताजी को अगर बताया कि हम बीती रात फूफा से मिले थे और हमने गोलू से कहा था उन्हें घर छोड़ने को,,,,,,,,,नहीं नहीं ऐसा कहा तो पिताजी फिर गोलु पर गुस्सा करेंगे वैसे भी आजकल गोलू कुछ ज्यादा ही परेशान रहने लगा है”,गुड्डू ने मन ही मन खुद से कहा


“आप चिंता काहे करते है ? आज जायेंगे फूफा ,, आप कहो तो हम जाकर देखे ?”,गुड्डू ने कहा
“नहीं तुम नहीं हमने गोलू को कहा है उन्हें ढूंढने को,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
“कमाल करते है पिताजी भी , चोर को ही रखवाली करने भेज दिए,,,,,,,,,,बस गोलू कोई गड़बड़ ना करे”,गुड्डू ने मन ही मन कहा


मिश्रा जी ख़ामोशी से अपनी चाय पीने लगे तो गुड्डू वहा से चला गया और अंदर आकर भुआ को ढूंढने लगा। आँगन में बैठी भुआ गुड्डू को मिल गयी तो गुड्डू उनके पास आया और उन्हें साइड में लाकर कहा,”ए भुआ ! तुम्हायी आखरी बार फूफा से बात कब हुई थी ?”
“का आखरी बार ? जे का मतलब तुम्हरे फूफा इह दुनिया मा,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए भुआ ने जैसे ही अपने हाथो को अपनी छाती पर मारना चाहा गुड्डू ने बीच में उनके हाथो को रोककर कहा,”ज़िंदा है फूफा , और तुमहू का पूरी बात सुने बिना चूडिया तोड़ने लग जाती हो”

भुआ खिंसिया कर मुस्कुराई तो गुड्डू ने धीमे स्वर में कहा,”हमहू जा रहे है फूफा को ढूंढने तुमहू पिताजी से ना कहना ठीक है,,,,,,,,और जैसे ही फूफा मिले फोन करेंगे तुमको , समझाना उन्हें कि बिना कोनो तमाशा किये घर आ जाये,,,,,,,,ठीक है”
“ठीक है,,,,,,,,!!”,भुआजी ने कहा
 गुड्डू ने एक गहरी साँस ली और वहा से जाने के लिए बढ़ गया तभी भुआ ने कहा,”ए गुडडुआ सुनो !”


“का ?”,गुड्डू ने पलटकर कहा
“जरा पियार से बात करना का है कि उह थोड़े नाजुक दिल के है,,,,,,,,,,!!”,भुआ ने कहा
गुड्डू ने हामी में गर्दन हिलायी और आगे बढ़ते हुए बड़बड़ाया,”अच्छा हुआ बूढ़ा चल बसी , जे सब तमाशे देखती ना सोच सोच के मर जाती”

भैस की मार से गोलू जिस अर्थी पर आकर गिरा उसके आस पास लोग इकट्ठा हो गए , औरतो ने रोना बंद कर दिया और सभी हैरानी से अर्थी पर पड़े गोलू को देखने लगे।  गोलू को कोई पहचान भी लेता लेकिन सड़क पर घसीटने की वजह से उसके मुंह पर कीचड़ मिटटी जो लग चुका था।
“अरे कोनो पानी लेकर आओ , इन का मुंह पर डालो ताकि होश आये इनको”,गोलू के बगल में खड़े आदमी ने कहा


“अरे पानी आये तब तक जे छाछ ही डाल दयो”, दूसरे आदमी ने कहा
“अरे पानी की जगह तो पानी काम करेगा ना , पानी लेकर आओ जल्दी”,एक बुजुर्ग औरत ने कहा
“अरे पानी छोडो दो घूंठ चाय के डाल दयो”, पोपली औरत ने गोलू की तरफ आते हुए कहा
गोलू जो अब तक सब सुन रहा था उठा और मरे हुए स्वर में कहा,”अरे कोई बेचारी बुढिया की भी सुन लयो”
गोलू को उठते देखकर आधे तो डरकर भाग गए बाकि आधे पीछे हटे और एक आदमी ने कहा,”अरे जे तो ज़िंदा है,,,,,,,,!!”


गोलू ने आदमी की तरफ देखा और कहा,”हमहू तो ज़िंदा है भैया पर हमारा हौंसला मर चुका है,,,,,,,,,!!”
कहते हुए गोलू आसमान में देखा और कहा,”हमका माफ़ कर देना मिश्रा जी , हमसे ना हो पायेगा” कहकर गोलू फिर अर्थी पर जा गिरा और इस बार सच में उसकी आँखे बंद हो गयी

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संजना किरोड़ीवाल    

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अरे पानी आये तब तक जे छाछ ही डाल दयो”, दूसरे आदमी ने कहा
“अरे पानी की जगह तो पानी काम करेगा ना , पानी लेकर आओ जल्दी”,एक बुजुर्ग औरत ने कहा
“अरे पानी छोडो दो घूंठ चाय के डाल दयो”, पोपली औरत ने गोलू की तरफ आते हुए कहा
गोलू जो अब तक सब सुन रहा था उठा और मरे हुए स्वर में कहा,”अरे कोई बेचारी बुढिया की भी सुन लयो”
गोलू को उठते देखकर आधे तो डरकर भाग गए बाकि आधे पीछे हटे और एक आदमी ने कहा,”अरे जे तो ज़िंदा है,,,,,,,,!!”

अरे पानी आये तब तक जे छाछ ही डाल दयो”, दूसरे आदमी ने कहा
“अरे पानी की जगह तो पानी काम करेगा ना , पानी लेकर आओ जल्दी”,एक बुजुर्ग औरत ने कहा
“अरे पानी छोडो दो घूंठ चाय के डाल दयो”, पोपली औरत ने गोलू की तरफ आते हुए कहा
गोलू जो अब तक सब सुन रहा था उठा और मरे हुए स्वर में कहा,”अरे कोई बेचारी बुढिया की भी सुन लयो”
गोलू को उठते देखकर आधे तो डरकर भाग गए बाकि आधे पीछे हटे और एक आदमी ने कहा,”अरे जे तो ज़िंदा है,,,,,,,,!!”

अरे पानी आये तब तक जे छाछ ही डाल दयो”, दूसरे आदमी ने कहा
“अरे पानी की जगह तो पानी काम करेगा ना , पानी लेकर आओ जल्दी”,एक बुजुर्ग औरत ने कहा
“अरे पानी छोडो दो घूंठ चाय के डाल दयो”, पोपली औरत ने गोलू की तरफ आते हुए कहा
गोलू जो अब तक सब सुन रहा था उठा और मरे हुए स्वर में कहा,”अरे कोई बेचारी बुढिया की भी सुन लयो”
गोलू को उठते देखकर आधे तो डरकर भाग गए बाकि आधे पीछे हटे और एक आदमी ने कहा,”अरे जे तो ज़िंदा है,,,,,,,,!!”

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