Main Teri Heer Season 5 – 87
Main Teri Heer Season 5 – 87

वंश की बातो से परेशान होकर मुन्ना नीचे चला आया। नीचे सबको आया देखकर मुन्ना उनके बीच आ बैठा पर यहाँ भी हर कोई उसे छेड़ रहा था बेचारा मुन्ना जाये तो जाये कहा। सुबह से वह एक बार भी गौरी से नहीं मिला था उसने देखा सब बाहर हॉल में है तो उठा और चुपके से उस कमरे की तरफ चला आया जिसमे गौरी थी। मुन्ना ने देखा अंदर सिर्फ गौरी और अंजलि ही थी। मुन्ना अंदर चला आया उसे देखकर अंजलि ने कहा,”लो मुन्ना भैया आ गए अब इनसे ही कह दीजिये”
“क्या कहना है ?”,मुन्ना ने कहा
“वो गौरी भाभी को कुछ हेल्प चाहिए थी”,कहकर अंजलि वहा से चली गयी। कमरे में अब मुन्ना और गौरी अकेले थे , गौरी मुन्ना की तरफ पीठ किये खड़ी थी , उसने सीधे पल्लू की बहुत ही सुंदर बनारसी साड़ी पहनी थी। मुन्ना उसकी तरफ आया और कहा,”अंजलि कह रही है तुम्हे हमारी मदद चाहिए , बताओ हमे क्या क्या करना है ?”
“अह्ह्ह्ह वो मेरे बलाउज की डोरी बांधनी है मेरा हाथ नहीं जा रहा इसलिए मैंने अंजलि से कहा और वो ये काम तुम्हे सौंपकर चली गयी”,गौरी ने धीरे से कहा पहली बार उसे मुन्ना की शर्म आ रही थी।
मुन्ना ने सुना तो गौरी के पास आया और उसके ब्लाउज की डोरी को हाथो में लेकर बांधते हुए कहा,”तुम अब पुरे हक़ से हमे ये करने को कह सकते हो गौरी”
गौरी ने सुना तो मुन्ना की तरफ पलटी , मुन्ना ने गौरी को देखा तो बस देखता ही रह गया। शादी के बाद गौरी का रूप और निखर आया था उस पर मांग में भरा सिंदूर उसे और भी प्यारा बना रहा था। मुन्ना एकटक गौरी को देखता रहा तो गौरी ने धीरे से कहा,”तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? तुम्हे सबके साथ बाहर होना चाहिए”
“अरे वाह गौरी मिश्रा शादी होते ही आपके तो तेवर ही बदल गए , इतना धीरे हमे लगा तुम हमेशा की तरह कहोगी “मान अब वक्त मिला तुम्हे मेरे पास आने का , तुम कितने केयरलेस हो , तुम मुझसे प्यार करते हो भी या नहीं,,,,,,,,ओह्ह्ह ये मैं कहा फंस गयी”,मुन्ना ने गौरी की नक़ल करते हुए कहा
“मान,,,,,,,,!!”,कहकर गौरी शीशे की तरफ पलट गयी।
मुन्ना ने गौरी की कमर पर अपनी बाँहे लपेटी और उसके कंधे पर अपनी ठुड्डी टीकाकर कहा,”वैसे शादी के बाद तुम ज्यादा सुंदर लग रही हो , स्पेशली मांग में इस सिंदूर के साथ”
गौरी ने सुना तो मुस्कुराई लेकिन मुन्ना से नजरे मिलाने में उसे शर्म आ रही थी। तभी आई गौरी को बुलाने कमरे में आयी तो मुन्ना जल्दी से गौरी से दूर हट गया लेकिन आई को जो नहीं देखना चाहिए था वो तो आई ने देख लिया था इसलिए मुन्ना को छेड़ते हुए कहा,”का मुन्ना ? अपनी नयी नवेली दुल्हिन को का पाठ पढ़ा रहे हो,,,,,!!”
मुन्ना आई के पास आया और कहा,”आई हम गौरी को आपकी रसोई वाली रस्म के बारे में बता रहे थे और साथ ही समझा रहे थे कि कुछ भी करना बस आई के अचार के मर्तबानो को कभी हाथ ना लगाना , आई को अपने अचार के मर्तबान बहुत प्यारे है। क्यों आई हमने सही कहा ना ?”
“हाँ बिल्कुल सही कहा , पता है गौरी हमाई सास से हमको पुरे 51 मर्तबान मिले थे पर अब बच बचाकर सिर्फ 25 बचे है”,आई ने कहा
“बाकि कहा गए ?”,गौरी ने पूछा
“अरे उह्ह है ना तुम्हाये ससुर मुरारी मिश्रा , जब जब हमाये मर्तबान उठाये है बस तोड़ने के लिए उठाये है,,,,,,,!!”,आई ने मुंह बनाकर कहा तो गौरी मुस्कुराने लगी। आई ने हाथ में पकडे कपडे मुन्ना की तरफ बढ़ाये और कहा,”और जे पकड़ो तुम , जे पहिनो और बाहिर आ जाओ , सब अच्छे से हो गवा इहलिये आज घर मा जागरण है,,,,,,,बहुरिया तुमहू हमरे साथ चलो,,,,,जल्दी आना मुन्ना”
गौरी आई के साथ आगे बढ़ गयी और मुन्ना उसे जाते हुए देखता रहा गौरी ने पलटकर देखा तो मुन्ना ने अपना दाहिना हाथ अपने सीने के बांयी तरफ रख लिया। गौरी मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी
वंश ने लड़को से कहकर मुन्ना के कमरे को बहुत सुंदर सजवाया और फिर लड़को को भेजकर थोड़ी सजावट अपनी तरफ से करने लगा। वंश को याद आया कि उसने मुन्ना से निशि को भेजने के लिए कहा था लेकिन निशि अभी तक नहीं आयी।
वंश के हाथ में गुलाब का एक फूल था जिसे वंश लगाने की जगह ढूंढ रहा था लेकिन बीच में ही निशि का ख्याल आने की वजह से उसने फूल को अपनी शर्ट के जेब में डाला और अपने फोन से निशि का नंबर डॉयल किया लेकिन निशि ने फोन काट दिया क्योकि वह सबके बीच बैठी थी ऐसे में वंश का फोन कैसे उठा ले ?
“हाह ! उस छिपकली की इतनी हिम्मत कि मेरा फोन काटे , एक मिनिट उसे मैसेज करता हु”,वंश ने स्क्रीन देखकर कहा
और निशि के लिए मैसेज लिखने लगा,”हे छिपकली ! तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम मेरा फोन काट रही हो , अभी के अभी मुन्ना के कमरे के बाहर मुझसे मिलो”
“who are you ?”,निशि ने भी लिखकर भेजा
“हाह ! वो मुझसे पूछ रही है मैं कौन हूँ ? हाउ रुड”,वंश बड़बड़ाया और निशि को लिखकर भेजा,”तुम्हारा होने वाला पति और अगर तुम नहीं आयी तो मैं सबको बता दूंगा तुमने शादी से पहले मुझे लव बाईट दिया है,,,,,,,,,,और मैंने भी”,वंश ने लिखा और साथ में शर्माने वाला इमोजी भी भेज दिया
निशि ने मैसेज देखा और अगले 2 मिनिट बाद ही वह मुन्ना के कमरे के बाहर वंश के सामने खड़ी थी वो भी गुस्से में , वंश ने उसको गुस्से में देखा तो कहा,”तुम हमेशा ये सड़ी शक्ल बनाकर क्यों रखती हो , कभी तो मुझसे प्यार से आकर मिलो”
“प्यार से और तुम से , हरकते देखी है अपनी,,,,,,,और ये क्या है अगर मैंने तुम्हारी बात नहीं मानी तो तुम मुझे ब्लैकमेल करोगे ? तुम तुम कितने छिछोरे हो पता है तुम्हे ?”,निशि ने वंश को खा जाने वाली नजरो से घूरकर कहा
“तुमने ही पसंद किया है अब झेलो”,वंश ने बेपरवाही से कहा
“मुझे यहाँ क्यों बुलाया है तुमने ?”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा
वंश ने पहले इधर उधर देखा कि कोई उसे देख तो नहीं रहा और फिर वह निशि का हाथ पकड़कर उसे मुन्ना के कमरे में लेकर आया और दरवाजा बंद कर दिया। निशि ने देखा पूरा कमरा फूलो की खुशबु से महक रहा था और बहुत ही सुंदर लग रहा है लेकिन वंश ने उसे यहाँ क्यों बुलाया है और दरवाजा क्यों बंद किया है पूछने के लिए निशि जैसे ही पलटी उसने वंश को देखा तो मुंह खुला का खुला रह गया और उसका दिल धड़कने लगा।
वंश के शर्ट के दो बटन खुले , बाल उसने हाथ घुमाकर बिखेर लिए , होंठो के बीच गुलाब के फूल की डंडी थी और वह बहुत ही रोमांटिक निगाहो से निशि को देख रहा था।
वह निशि की आँखों में देखते हुए धीरे धीरे निशि की तरफ बढ़ने लगा निशि का दिल तो जैसे बाहर आने वाला था क्योकि वंश के इरादे उसे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे। वंश जैसे जैसे निशि के करीब आया निशि ने अपने कदम पीछे बढ़ा लिए लेकिन पीछे दिवार थी और निशि की पीठ उस से जा लगी। वंश निशि के ठीक सामने था और उतने ही प्यार से निशि को देखे जा रहा था। निशि की सांसे गले में अटकी हुई थी वह ना कुछ बोल पा रही थी ना ही वंश को रोक पा रही थी।
वंश निशि के थोड़ा और करीब आया उसने बड़ी अदा से अपने होंठो के बीच से गुलाब को निकाला और जैसे ही निशि के गाल से छुआ निशि ने घबराकर अपनी आँखे मूँद ली। वंश मुस्कुरा उठा और गुलाब उसके गाल पर घुमाकर कहा,”मुझे बताओ ये गुलाब में कहा लगाऊ”
निशि ने अपनी आँखे खोली और हैरानी से वंश को देखा तो वंश ने पीछे हटकर कहा,”इस पुरे कमरे में इसे लगाने की सही जगह नहीं मिल रही तुम बताओ मैं इसे कहा लगाऊ ?”
वंश की बात सुनकर निशि उसे घूरने लगी , निशि को लेकर वंश का कोई गलत ख्याल नहीं था वह बस अपनी निशि को थोड़ा परेशान कर रहा था।
“तुमने इसलिए मुझे यहाँ बुलाया है ?”,निशि ने वंश की तरफ आकर पूछा
वंश पीछे हटा लेकिन लड़खड़ा गया और नीचे गिरते हुए निशि का हाथ पकड़ लिया। वंश नीचे गिरा और निशि उसके ऊपर आ गिरी उसकी बाँहो में और टेबल पर रखी प्लेट के फूल और प्लेट उन दोनों पर,,,,,,,,,
दोनों एक दूसरे को देखते रहे और फिर वंश ने निशि को एकदम से साइड में गिराकर कहा,”ओह्ह्ह निशि तुमने सारा डेकोरेशन खराब कर दिया,,,,,,,,चलो अब इसे सही करने में मेरी मदद करो”
निशि के पास वंश की बात मानने के अलावा दूसरा कोई उपाय था नहीं इसलिए वह वंश के साथ गिरे हुए फूलों को उठाने लगी , फूल उठाते उठाते वंश और निशि एक दूसरे के सामने आ गए और उनके सर आपस में टकरा गए। वंश ने गुस्से से निशि को देखा तो निशि मुस्कुरा दी और उस मुस्कुराते देखकर वंश भी मुस्कुरा उठा और कहा,”पागल,,,,,,,!!”
कमरा वापस पहले जैसा करके वंश ने कहा,”चलो अब जल्दी से नीचे चलते है वरना किसी ने हमे यहाँ देखा तो गड़बड़ हो जाएगी”
“गड़बड़ क्यों ?”,निशि ने पूछा
“क्योकि ये मुन्ना भैया और गौरी भाभी का कमरा है आज उनकी,,,,,,,,,,,आई मीन आज से वो अपनी नयी जिंदगी शुरू करने जा रहे है”,वंश ने कहा
निशि को समझ आया तो वह चुपचाप दरवाजे की तरफ बढ़ गयी। वंश भी उसके साथ आया और दोनों वहा से बाहर निकल गए ग़नीमत था किसी ने उन्हें देखा नहीं था।
बाहर गार्डन में जागरण शुरू हो चुका था। गौरी मुन्ना , काशी शक्ति साथ साथ बैठे थे। बाकि घरवाले भी आज जोड़े से बैठे थे इसलिए वंश भी निशि के बगल में आकर बैठ गया। जागरण कुछ घण्टे चला उसके बाद घर के बड़े वहा रुके बाकी सब उठकर इधर उधर चले गए।
वंश ने देखा मुन्ना अभी भी जागरण में रखे सबसे सोफे पर अकेला बैठा जागरण सुन रहा है तो वह उसके बगल में आकर बैठा और कहा,”मुन्ना भैया आप यहाँ बैठे क्या कर रहे हो आज आपकी फर्स्ट नाईट है आपको गौरी भाभी के साथ होना चाहिए,,,,,,,,,जाओ जाओ अपने कमरे में जाओ वरना मेरी मेहनत बेकार जाएगी”
“कौनसी मेहनत ?”,मुन्ना ने वंश की तरफ देखकर पूछा
“अरे अब क्या सब मैं ही बताऊ ? समझा करो ना”,वंश ने दबी आवाज में कहा
“वंश , वो क्या है ना कि , हमे शरम आ रही है”,मुन्ना ने झेंपते हुए कहा
“क्या ? शरम आ रही है , मुन्ना भैया आपकी शादी हो चुकी है अब आपको इस घर में , अपने कमरे में हमेशा गौरी के साथ ही रहना है इसलिए ये शर्माना बंद कीजिये और जाईये,,,,,,,!!”,वंश ने मुन्ना को धकियाते हुए कहा
“तुम आजकल कुछ ज्यादा ही बेशर्म हो गए हो,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने जाते हुए कहा
“मैं आपकी तरह शर्मिला नहीं हु ना अब जाओ गौरी भाभी इंतजार कर रही होगी”,वंश ने धीरे से कहा तो मुन्ना वहा से चला गया।
सब घर में थे बस काशी और शक्ति कही नजर नहीं आ रहे थे तो सबको लगा वे अपने कमरे में होंगे। कुछ देर बाद आई बाबा , शिवम् सारिका , नंदिता उनके घरवाले , नवीन मेघना और बाकि घरवाले घर के लिए निकल गए। वंश ने देखा सब घर जा रहे है तो वह निशि के पास आया और कहा,”घाट चलोगी ?”
“इस वक्त ?”,निशि ने कहा क्योकि रात के 1 बज रहे थे।
“हम्म्म,,,,,,अगर मुझ पर भरोसा है तो वरना रहने देते है”,वंश ने नौटंकी करते हुए कहा
“चलो,,,,,!”,निशि ने कहा और वंश के साथ चली गयी।
सबको लगा काशी और शक्ति अपने कमरे में है लेकिन शक्ति और काशी घाट पर थे। घाट की खाली सीढ़ियों पर साथ साथ बैठे शक्ति और काशी सामने बहते माँ गंगा के शांत पानी को देख रहे थे। कुछ देर खामोश रहने के बाद काशी ने कहा,”शक्ति तुम हमे यहाँ क्यों लेकर आये हो ?”
शक्ति ने काशी का हाथ अपने हाथो में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”काशी आज हम एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत करने जा रहे है , तुम्हे याद है हम पहली बार इसी घाट पर मिले थे , जब भागते हुए हम तुम से टकरा गए थे। हमारी किस्मत में वो टकराना महादेव ने खुद लिखा था वरना इस बनारस में इन घाटों पर कितने ही लोग एक दूसरे से टकराते होंगे और भूल जाते होंगे”
काशी ने सूना तो अपना दूसरा हाथ शक्ति के हाथ से लगाया और अपना सर उसके कंधे पर टीकाकार कहा,”हाँ शक्ति सब याद नहीं रहते पर कुछ लोग टकराने के बाद हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाते है जैसे हम,,,,,,,,,!!”
“तुमने हम से पूछा कि आज की रात हम तुम्हारे साथ यहाँ क्यों चले आये ? काशी ऐसी रातें हमारे जीवन में अब अनगिनत आएगी लेकिन ये घाट का ये सुकून सिर्फ आज रात के लिए है कल शाम हम इंदौर निकल जायेंगे उसके बाद बनारस इतनी जल्दी नहीं आ पाएंगे तो सोचा यहाँ बैठकर तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताया जाये”,शक्ति ने प्यार से काशी का सर सहलाते हुए कहा
वंश निशि को लेकर घाट आया और दोनों टहलते हुए घाट पर बहती ठंडी हवा को महसूस करने लगे। ठंड थी लेकिन निशि और वंश दोनों ने ही जैकेट पहना था इसलिए उन्हें ठण्ड का अहसास ज्यादा नहीं हो रहा था। कुछ देर बाद दोनों घाट की सीढ़ियों पर आ बैठे और सामने गंगा को देखने लगे। दोनों खामोश थे लेकिन दोनों के चेहरे पर एक सुकून था।
दोनों वहा बैठकर बातें करने लगे , उन बातो में आज बहस नहीं थी , झगड़ा नहीं था , चिढ नहीं थी बल्कि दोनों एक दूसरे से अपना सुख दुःख , अच्छे बुरे पल बाँट रहे थे , आज से पहले शायद ही दोनों ने ऐसे बात की होगी सुबह तक वंश निशि के साथ वही बैठा रहा और निशि कब वंश के कंधे पर सर रखकर सोयी वंश को पता ही नहीं चला।
सुबह होते होते घाट पर लोग आने लगे वंश ने निशि को उठाया लेकिन नींद में होने की वजह से निशि ने वहा से जाने से मना कर दिया। वंश ने उसे अपनी पीठ पर चढ़ने को कहा और उठाकर चल पड़ा घाट से बाहर की ओर। बाहर आकर वंश ने निशि को बाइक पर अपने पीछे बैठाया और उसके हाथो को आगे करके अपनी कमर से लगा लिया ताकि वह सोते सोते गिर ना जाये। निशि ने भी वंश की कमर को कसकर पकड़ा और अपना सर उसकी पीठ से लगा दिया वंश मुस्कुरा उठा ऐसा अक्सर वह किया करता था जब मुन्ना के पीछे बैठता था।
वंश ने बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी ,एक हाथ बाइक के स्टेयरिंग पर और दूसरा निशि के हाथ पर ताकि वह गिर ना जाए। ये वही हाथ था जिस पर गिरने की वजह से वंश को चोट लगी थी और कल से वंश ने इस हाथ को कुछ ज्यादा ही हिलाया डुलाया जिस से ये अब फिर दर्द करने लगा था। रास्ते में वंश ने निशि को चाय पिलाई ताकि उसकी आँखे खुले और फिर उसे लेकर घर पहुंचा।
वंश निशि के साथ अंदर आया तो सब मंदिर जाने के लिए तैयार खड़े थे लेकिन एक बार फिर सब उदास । बाबा ने वंश को देखा तो उसके पास आकर कहा,”लो वंश भी आ गया , वंश जाओ जाओ जल्दी से जाकर तैयार हो जाओ और सबके साथ मंदिर चलो , हमने तुम्हाये लिए एक लड़की देखी है”
वंश ने सुना तो उसने बेचारगी से बाबा को देखा और मन ही मन कहा,”नॉट अगेन बाबा”
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संजना किरोड़ीवाल


Wow…sab kitna sahi ho rha hai… Munna aur Guri aur Shakti aur Kashi ki shadi ho gai hai…dono jode apni nai suruvat karenge…lakin ab Baba ne sabko bta diya hai ki unhone Vansh k ladki pasand kar lee hai…sab udaas hai…bas baba aur pathako ko chod kar…quki hum dono ko pta hai ki Baba ne Vansh k liye Nishi ko chuna hai…bas abhi jaldi hee Vansh aur Nishi ka bhi rishta tai ho jayega…fir hogi Happy endings
Pakka ye ladki nishi hi hogi waise couple bhi bahot achi h nice