Main Teri Heer – 4

Main Teri Heer – 4

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

राजन राजदुलारी से मिलने के इंतजार में घाट की सीढ़ियों पर खड़ा था तभी उसके कानो में एक लड़की की मीठी सी आवाज पड़ी,”राजन बाबू”
आवाज सुनकर राजन का दिल जोरो से धड़क उठा , वह धड़कते दिल के साथ पीछे पलटा उसने कुछ सीढ़ियों से ऊपर खड़ी लड़की को देखा जो कि प्यार भरी नजरो से राजन को ही देख रही थी। राजन ने एक नजर भूषण को देखा उसे मुस्कुराते देखकर राजन समझ गया कि सामने खड़ी लड़की कोई और नहीं बल्कि राजदुलारी ही है उसके बचपन का प्यार,,,,,,,,,,,!!


राजन को खामोश देखकर राजदुलारी धीरे अदा से चलते हुए धीरे धीरे सीढिया उतरने लगी  
जैसे जैसे राजदुलारी राजन की तरफ बढ़ रही थी राजन का दिल जोरो से धड़कने लगा। वह अपनी धड़कनो को सामान्य करने की नाकाम कोशिश करने लगा। राजदुलारी राजन के सामने आकर खड़ी हो गयीं। राजन एकटक उसे देखता रहा। सुन्दर नैन नक्श , काजल से सनी बड़ी बड़ी आँखे , होंठो पर पुता गुलाबी रंग , ललाट पर लगी बिंदी , कानों में सोने के झुमके , नाक में बाली ,चेहरे पर झूलती बालों की लटे उसे और भी आकर्षक बना रही थी।

राजन को खामोश देखकर राज दुलारी ने कहा,”कइसन बा ?”
“हम , हम , हम ठीक है,,,,,,,,,,,तुम , तुम कैसी हो ?”,राजन के गले से मुश्किल से चंद शब्द निकले
“तुम्हे देख लिया बस अब ठीक है,,,,,!!”,राज दुलारी ने राजन की आँखों में देखते हुए कहा

राजन और राजदुलारी को एक दूसरे के साथ देखकर भूषण ने कहा,”आप दोनों बाते कीजिये , हम आप दोनों के लिए कोल्ड कॉफी लेकर आते है”
भूषण वहा से चला गया। राजन और राजदुलारी दोनों सीढ़ियों पर आ बैठे। राजन ख़ामोशी से सामने बहते माँ गंगा के पानी को देखने लगा। बीच बीच में वह नजर भर राजदुलारी को भी देख लेता उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बचपन का प्यार उसकी आँखों के सामने था।


राजन को खामोश देखकर राजदुलारी ने कहा,”कच्चे आम खाना छोड़ दिए राजनवा ?”
राजन ने सुना तो हल्का सा मुस्कुराया और अपने जेब में रखे दो कच्चे आम निकालकर राजदुलारी की तरफ बढ़ा दिए। राजदुलारी खिलखिला उठी और आम लेकर कहा,”तुम आज भी नहीं बदले,,,,,,,,,,!!”
“पर तुमहूँ बदल गयी दुलारी,,,,,,,,,,उह दिन हमने तुमको जाने को कह दिया और तुमहू हमेशा के लिए चली गई,,,,,,,,,,,,!!”,राजन की बात सुनकर राज दुलारी ने उसकी तरफ देखा तो राजन ने आँखों में नमी भरकर कहा,”तुमहू वापस काहे नहीं आयी ?”


राजदुलारी ने सुना तो खामोश हो गयी , राजन की आँखों में एक तड़प साफ देख पा रही थी। राजन उसके जवाब का इंतजार कर रहा था और इस इंतजार ने उस तड़प को और बढ़ा दिया। राजदुलारी ने सामने देखा और एक ठंडी आह भरकर कहा,”कैसे आती ? तुमने जाने को जो कह दिया , उसके बाद बाबा ने शादी तय कर दी और हमे मन मारकर ब्याह करना पड़ा,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह के बाद बनारस कबो आना ही नहीं हुआ पर हम तुम्हे भूले नहीं थे , रोज याद करते थे तुमको,,,,,,,,!!”


राजन ने सुना तो राजदुलारी की तरफ देखा और कहा,”ऐसा नहीं है दुलारी , उह बख्त हमहू समझ ही नहीं पाए थे तुम्हे अपने मन की बात बताते ओह से पहिले तुमहू जा चुकी थी, खैर छोडो जे सब जे बताओ तुमहू खुश हो ना ?”
राजन की बात सुनकर राजदुलारी के चेहरे पर उदासी झिलमिलाने लगी और उसने मायूसी से कहा,”हाँ खुश है , एक ठो बेटा है 9 साल का , उह भी अच्छे ही है , ग्वालियर में ससुराल है , घर गाड़ी सब सुविधा है,,,,खुश है हम”


“फिर तुम्हरे शब्द तुम्हरे एक्सप्रेशन से मैच काहे नहीं कर रहे ?”,राजन ने पूछा तो राजदुलारी खमोशी से उसकी तरफ देखने लगी और फिर एकदम से ठहाका लगाकर हंस पड़ी और कहा,”तुम बिल्कुल नहीं बदले राजन , अच्छा हमरी छोडो जे बताओ तुम्हरी घरवाली कैसी है ? हमसे तो बहुते सुंदर होगी,,,,,,,,,,!!”
“हमने अभी तक शादी नहीं की है,,,,,,,!!”,राजन ने धीरे से कहा
“का ? का तुमने सच में शादी नहीं की पर काहे ?”,राजदुलारी ने हैरानी से कहा  


“बस ऐसे ही कोनो पसंद ही नहीं आयी,,,,,,, और अब मन नहीं है”,राजन ने मायूसी से कहा
राजन और राजदुलारी आगे कुछ बात कर पाते इस से पहले भूषण हाथ में कॉफी लिए वहा चला आया और दोनों की तरफ बढाकर कहा,”जे ल्यो कॉफी”
“थैंकू,,,,,!!”,राजदुलारी ने कहा
भूषण भी वही दो सीढ़ी छोड़कर नीचे आ बैठा। तीनो ख़ामोशी से कॉफी पीने लगे , कॉफी पीने के बाद राजदुलारी उठी और कहा,”अच्छा रजनवा अब मैं चलती हूँ , पता नहीं फिर कबो मिलना हो ना हो,,,,,,,,,,,!!”


राजन ने सुना तो उदासी उसके चेहरे पर फिर झिलमिलाने लगी,,,,,,,,, राज दुलारी ने आगे बढ़कर उसे गले लगाया और वहा से चली गयी। राजन खामोश खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा , वह उसे अलविदा भी नहीं कह पाया। ये जानने के बाद कि राजदुलारी की शादी हो चुकी है और वह अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुश है जानकर राजन ने पीछे हटने का फैसला कर लिया।
राजदुलारी के जाने के बाद भूषण राजन के पास आया और कहा,”और भैया ! मिल लिए राज दुलारी से , कही ओह से अपने दिल की बात,,,,,,,,,,,!!”


“हमरे दिल की बात कहने का अब कोनो फायदा नहीं है रे भूषण !”,राजन ने कहा
“काहे ?”,भूषण ने अनजान बनते हुए पूछा
राजन भूषण की तरफ पलटा और कहा,”उह अपनी शादीशुदा जिंदगी मा खुश है भूषण , उसने बताया उसका एक ठो 9 साल का बेटा है और उह ख़ुशी ख़ुशी अपनी जिंदगी जी रही है,,,,,,,,,,,,,,,अपनी दिल की बात बताकर हम ओह की खुशिया छीनना नहीं चाहते,,,,,,,!!”


“तो फिर आपका का राजन भैया ? का आप सारी जिंदगी ओह के प्रेम मा,,,,,,,,,,,,!!”,भूषण कहते कहते रुक गया
राजन मुस्कुराया और कहा,”हम अपने प्रेम को अपने दिल में हमेशा हमेशा के लिए दफन कर लेंगे,,,,,,,,और पिताजी जहा कहेंगे वहा सादी कर लेंगे”
भूषण ने सुना तो मन ही मन मुस्कुराया , उसने प्रताप के साथ मिलकर जो प्लान बनाया था राजन को शादी के लिए राजी करने का वह सफल हो चुका था।

भूषण ने अपनी ख़ुशी को चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”अरे भैया ! काहे चिंता करते है , हम है ना ऐसी कंटाप लड़की ढूंढेंगे आपके लिए तबियत खुश हो जाएगी आपकी,,,,,,,,,,,!!”
“कैसी बाते करते हो भूषण ? चलो घर चलते है,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए राजन आगे बढ़ गया और भूषण ख़ुशी ख़ुशी राजन के साथ चल पड़ा।

घाट की सीढ़ियों पर चलते हुए एकाएक राजन की नजर गंगा किनारे खड़े मुन्ना पर पड़ी तो वह रुका और भूषण से कहा,”उह मुन्ना है ना ?”
भूषण ने देखा गंगा किनारे हाथो को बांधे मुन्ना खामोश खड़ा है , राजन कही फिर से मुन्ना के चक्कर में ना पड़ जाये सोचकर भूषण ने कहा,”अरे होने दीजिये ना भैया हमे क्या ?  आईये चलते है”
राजन कुछ कहता इस से पहले भूषण उसे वहा से ले गया। जाते जाते राजन ने पलटकर मुन्ना को देखा और वहा से चला गया।

अस्सी घाट पर गंगा किनारे खड़ा मुन्ना अपने दोनों हाथो को बांधे ख़ामोशी से माँ गंगा के शांत बहते पानी को देख रहा था। उसके जहाँ में इस वक्त कई सारे विचार एक साथ चल रहे थे और मुन्ना उन विचारो में उलझता जा रहा था। जहन में चल रहे विचार आवाज बनकर उसके कानो में गूंजने लगे
“राजनीती वो दलदल है मुन्ना जिसमे इंसान जाता तो अपनी मर्जी से है लेकिन वापस आने में पूरी जिंदगी लग जाती है”


“मुझे इस बात का अफ़सोस है कि मैं राजनीती में होकर भी उर्वशी को बचा नहीं पाया”
“तुम नहीं समझोगे मुन्ना राजनीती बाहर से जितनी साफ दिखाई देती है अंदर से ये उतनी ही गन्दी और भयावह है”
“जीने के लिए पैसा नहीं बल्कि पॉवर जरुरी है और पॉवर राजनीती से मिलती है”
मुन्ना ने अपने हाथो को खोला और आँखे मूंदकर सर ऊपर उठा लिया। जिस राजनीती से मुन्ना अब तक दूर भागते आया था उसी राजनीती ने उसे ऐसी उलझन में डाल दिया कि वह चाहकर भी इस से बाहर नहीं निकल पा रहा था।


राजनीती की वजह से उसके पापा को लोगो के सामने हाथ जोड़ने पड़े , राजनीती की वजह से बेकसूर उर्वशी ने उसकी बांहो में दम तोड़ दिया , राजनीती की वजह से उसे और उसके परिवार को पुलिस स्टेशन जाना पड़ा और राजनीती की वजह से दोस्त कहने वाले शक्ति ने उसे धोखा दिया। मुन्ना के चेहरे पर कठोरता के भाव झिलमिलाने लगे। उसकी आँखों के सामने बार बार वो पल आ रहा था जब मुरारी बड़े के सामने हाथ जोड़ रहा था। मुन्ना ने एक ठंडी आह भरी और कहने लगा,”जिस राजनीती से हमने खुद को दूर रखा , जिस राजनीती से हम नफरत करते थे उसी राजनीती के लिए काम करते रहे और हमे अहसास तक नहीं हुआ ,,,,

हम उर्वशी को बचा सकते थे लेकिन नहीं बचा पाए , हम उन लोगो को मरने से बचा सकते थे जिन्हे राजनीती ने अपना शिकार बनाया , हम पापा का सर झुकने से बचा सकते थे लेकिन हमने , हमने क्या किया ? हमने ख़ामोशी से ये सब होते देखा क्योकि हम शक्ति के लिए काम कर रहे थे , वो शक्ति जो खुद राजनीती का हिस्सा था हमने उसके लिए ये सब होने दिया,,,,,,,,,,,,,!!

मुन्ना का चेहरा दर्द और उदासी से घिर गया। वह कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”हमारी वजह से पापा को उन लोगो के सामने हाथ जोड़ने पड़े , सर झुकाना पड़ा , अगर हम वो सबूत शक्ति को ना देते तो ऐसा कभी नहीं होता , इन सबकी वजह हम है,,,,,,,,,,,आख़िरकार हमने भी राजनीती की कालिख में अपने हाथो को काला कर लिया , जिस दलदल से दूर भागते थे आख़िरकार उसमे हमारे पैर धंस ही गए,,,,,,लेकिन हमे ये सब खत्म करना होगा , हमेशा हमेशा के लिए,,,,,,,,,,,!!”


कहते हुए मुन्ना की बांयी आँख से निकलकर आँसू की एक बूंद माँ गंगा में जा गिरी और दूर कही शंखनाद हुआ। गंगा आरती होने वाली थी और ये शंखनाद मुन्ना के आगे बढ़ने की घोषणा कर रहा था। मुन्ना ने बांह से अपने गाल पर आयी आँसू की बूंदो को पोछ लिया।

“मुन्ना भैया ! आप यहाँ क्या कर रहे है ? चलिए सब आपको बुला रहे है”,अंजलि ने आकर कहा तो मुन्ना की तंद्रा टूटी
“वो हम बस गंगा मैया के दर्शन करने चले आये थे,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अंजलि की तरफ पलटकर कहा
अंजलि मुस्कुराई और कहा,”वंश भैया सही कहते है , आप बनारस में सबके बिना रह सकते है लेकिन अस्सी घाट के बिना नहीं , तभी तो इंदौर से लौटते ही घर नहीं गए सबसे पहले यहाँ चले आये। अब चलिए छोटे मामाजी आपका इंतजार कर रहे है।”


“हम्म्म चलो,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अंजलि के साथ चलते हुए कहा तभी मुन्ना का फोन बजा। मुन्ना ने चलते चलते फोन निकाला स्क्रीन पर गौरी का नाम देखकर मुन्ना ने अंजलि से कहा,”बेटा ! तुम चलो हम बस आते है,,,,,,,,,,,!!”
“अह्ह्हम अह्ह्हम भाभी का फोन है ना,,,,,,,,बात करने का दिल कर रहा होगा , उनकी बहुत याद आ रही होगी,,,,,,,,,,ठीक है मैं आगे चलती हूँ आप आ जाना”,अंजलि ने शरारत से कहा और उछलते कूदते वहा से चली गयी।

 मुन्ना ने फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो”
“हेलो बाद में , पहले ये बताओ तुमने कल से मुझे कोई फोन मैसेज क्यों नहीं किया ? मैं यहाँ तुम्हारी याद में मरी जा रही हूँ और तुम्हे मेरी याद तक नहीं आयी। पीछा छुड़वाना चाहते हो मुझसे ? तुम्हे लगता है सगाई हो गयी , रिंग फिंगर में सबके सामने अंगूठी पहना दी और गौरी तुम्हारी हो गयी,,,,,,,,,,,,,जी नहीं गौरी शर्मा तक तक पूरी तरह तुम्हारी नहीं होगी जब तक तुम दिन में चार बार फोन करके उसे ये नहीं जताओगे कि वो तुम्हारी है,,,,,,,,,

बनारस पहुँच भी गए और मुझे बताया भी नहीं , हाँ हाँ मुझे क्यों बताओगे मैं लगती कौन हूँ तुम्हारी ? पक्का तुम सबसे पहले मेरी सौतन से मिलने गए होंगे,,,,,,,,,,,,!!”
“सौतन , कौन सौतन ?”,मुन्ना ने हैरानी से पूछा
“वाह वाह वाह बन तो ऐसे रहे हो जैसे कुछ पता ही नहीं है , घंटो जिसके साथ वक्त बिताते हो वो और कौन,,,,,,,,,तुम्हारा अस्सी घाट , कभी कभी तो लगता है कही तुम सन्यास लेकर वही ना बस जाओ,,,,,,,,,,

लड़किया डरती है कि उनके लवर किसी दूसरी लड़की के चक्कर में ना पड़ जाये लेकिन मैं लोगो से क्या कहू मेरे मिश्रा जी को घाट से मोहब्बत है,,,,,,,,,,ओह्ह्ह्ह लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे ? सब हसेंगे मुझ पर कि गौरी की सौतन बनारस के कुछ घाट है,,,,,,,,,!!”,गौरी ने एक साँस में सब कह दिया
मुन्ना ने सुना तो अपना सर पीट लिया और कहा,”ये सब पट्टी किसने पढाई तुम्हे ?”


“मैंने और किसने ? और ये कोई पट्टी नहीं है मुन्ना सच्चाई है,,,,,,,,,,,,,,तुम मेरी इतनी प्यारी भाभी को कैसे भूल सकते हो ?”,वंश की आवाज आयी तो मुन्ना समझ गया कि गौरी और वंश दोनों लाइन पर है।
“ओह्ह्ह तो ये तुम हो , तुम से तो हम बाद में निपटेंगे वंश गुप्ता पहले यहाँ से निकलो हमे गौरी से बात करनी है,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने सीढिया चढ़कर आगे बढ़ते हुए कहा

“ओहके बाय मुझे वैसे भी मगरमच्छ से मिलने जाना है”,वंश ने कहा
“मगरमच्छ ?”,मुन्ना ने हैरानी से पूछा
“अरे छिपकली का बाप,,,,,,,,,मैं निकलता हूँ बाय बाय बाय , बाय भाभीजी,,,,,,,,,,,,अच्छे से खबर लेना मुन्ना की”,कहकर वंश ने फोन काट दिया
“ये वंश क्या बोल रहा है मगरमच्छ , छिपकली , इसका क्या मतलब है ?”,गौरी ने पूछा


“कुछ नहीं छोडो उसे,,,,,,,,,,हमे ये बताओ क्या तुम हम से सच में गुस्सा हो ?”,मुन्ना ने प्यार से पूछा
“अब तुम इतने प्यार से पूछोगे तो कोई कैसे नाराज रह पायेगा मान,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मासूमियत से कहा
मुन्ना मुस्कुरा उठा वह गौरी से कुछ कहता इस से पहले सामने से आते शख्स ने जान बूझकर मुन्ना के कंधे को अपने कंधे से जोर की टक्कर मारी जिस से मुन्ना का फोन हाथ से छूटकर नीचे जा गिरा और टूट गया।
मुन्ना ने गुस्से से पलटकर देखा तो सामने खड़े शख्स को देखकर उसके चेहरे के भाव कठोर हो गए

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राजनीती की वजह से उसके पापा को लोगो के सामने हाथ जोड़ने पड़े , राजनीती की वजह से बेकसूर उर्वशी ने उसकी बांहो में दम तोड़ दिया , राजनीती की वजह से उसे और उसके परिवार को पुलिस स्टेशन जाना पड़ा और राजनीती की वजह से दोस्त कहने वाले शक्ति ने उसे धोखा दिया। मुन्ना के चेहरे पर कठोरता के भाव झिलमिलाने लगे। उसकी आँखों के सामने बार बार वो पल आ रहा था जब मुरारी बड़े के सामने हाथ जोड़ रहा था। मुन्ना ने एक ठंडी आह भरी और कहने लगा,”जिस राजनीती से हमने खुद को दूर रखा , जिस राजनीती से हम नफरत करते थे उसी राजनीती के लिए काम करते रहे और हमे अहसास तक नहीं हुआ ,,,,

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