“मैं तेरी हीर” – 19
Main Teri Heer – 19
गौरी और मुन्ना इस वक्त दोनों एक ही फीलिंग से होकर गुजर रहे थे। गौरी को अभी भी मुन्ना पर भरोसा था और वह बस लगातार सब ठीक होने की दुआ कर रही थी। वही मुन्ना कोशिश कर रहा था की वह गौरी को अब और ज्यादा हर्ट ना करे। काशी और शक्ति के बारे में शिवम् को पता चल चुका था लेकिन वो लड़का शक्ति है ये बात शिवम् नहीं जानता था। मुंबई में बैठी निशि को भी वंश का ख्याल आ रहा था लेकिन अभी वह कन्फ्यूज थी और इस से भी ज्यादा ये की वह वंश के नाम से भी चिढ़ती थी।
वंश को इन सब के बारे में कुछ नहीं पता था , ना उसे निशि याद थी , ना मुन्ना के दर्द का पता था और ना ही काशी के बारे में वह मस्त अपने दोस्तों के साथ थियेटर में बैठा फिल्म देख रहा था। फिल्म में अचानक एक सीन आया जिसमे हीरोइन बाथरूम से आती है और अचानक अपने कमरे में एक अजनबी को देखकर डर जाती है और जोर से चिल्लाती है। ये सीन देखते ही वंश को एकदम से निशि की याद आ जाती है , वह भी ऐसे ही निशि के कमरे में अचानक से चला गया था और निशि भी उसे देखकर चिल्ला उठी थी। वंश ने उस बात से ध्यान हटाकर फिल्म देखना जारी रखा लेकिन अगले ही पल वंश की आँखों के सामने फिर निशि का चेहरा आने लगा। ट्रेफिक में उसका निशि से झगड़ना , घर पर निशि का उस पर चिल्लाना , रिमोट के लिए दोनों का झगड़ना , क्लब में निशि से मिलना और फिर निशि का उस से रिक्वेस्ट करना।
“ए वंश चिप्स इधर दे ना”,वंश के दोस्त ने उसका कंधा हिलाकर कहा तो वंश की तंद्रा टूटी। निशि के ख्यालों से वंश को बेचैनी होने लगी आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। वह किसी से मिलता और कुछ वक्त बाद उसे भूल जाता लेकिन निशि के साथ बिताया छोटे से छोटा पल भी उसे याद था और यही बात उसे परेशान कर रही थी। वंश ने चिप्स का पैकेट अपने दोस्त को दिया और कहा,”मैं बाहर जा रहा हूँ”
“ए वंश क्या हुआ ? तुझे फिल्म नही देखनी क्या ? अबे सुन”,दोस्त बोलता ही रह गया और वंश बाहर निकल गया। चलते चलते वंश अपने हाथ से सर को पीटने लगा और खुद में बड़बड़ाया,”मैं उसके बारे में क्यों सोच रहा हूँ ? आह्ह्ह्ह ये काफी अजीब बात है , मुझे उसके बारे में नहीं सोचना चाहिए”
कहते हुए वंश काउंटर की तरफ आया और कहा,”एक सॉफ्ट ड्रिंक प्लीज”
“ये लीजिये सर”,लड़के ने कहा वंश वही पड़ी कुर्सी पर बैठकर पीने लगा। कोल्डड्रिंक अंदर गयी तो उसे थोड़ा अच्छा लगा। अभी उसने आधा ग्लास खत्म किया ही था की सामने बैठे कुछ लोगो में वंश को निशि फिर दिखाई देने लगी। उसने अपनी आँखे मिचमिचाई और लड़के से पूछा,”इसमें कुछ मिलाया है क्या ?”
“आपने सॉफ्ट ड्रिंक बोला था सर , बस सॉफ्ट ड्रिंक है”
“ओके थैंक्यू,,,,,,,,,,,,कहकर वंश वापस पलट गया। सामने बैठे लोग अब उसे नार्मल दिखाई दे रहे थे और वहा कोई निशि नहीं थी। वंश ने कोल्ड ड्रिंक खत्म किया और ग्लास रखते हुये कहा,”मुझे अब घर जाना चाहिए”
वंश ने पैसे चुकाए और बिना अपने दोस्तों से मिले वहा से निकल गया।
वंश देर रात घर आया और सीधा अपने कमरे में चला गया उसे नहीं पता था की घर में कुछ हुआ है। अगली सुबह शिवम् , बाबा , आई सब नाश्ते के लिए डायनिंग के पास बैठे थे। सारिका ने सबके लिए नाश्ता परोस दिया सब चुपचाप खाने लगे। बढ़ती उम्र के साथ शिवम् का रवैया भी थोड़ा सख्त होने लगा था इसलिए कोई भी शिवम् से कुछ पूछने से घबराता था। सारिका ने वंश के कमरे की तरफ देखा वो अभी तक सो रहा था। सारिका को ऊपर देखते पाकर शिवम् ने कहा,”जैसे हमने काशी को छूट दी वैसे आप अपने बेटे को छूट दे रही है ,, क्या ये सोने का वक्त है ?”
“हम उसे उठा देते है”,सारिका ने कहा और जैसे ही जाने लगी शिवम् ने कहा,”सरु हमारे बच्चो को खुद ये अहसास होना चाहिए की उनके लिए क्या सही है और क्या गलत ? माँ बाप होने के नाते हम कब तक उनकी गलतियों पर पर्दा डालेंगे ? वंश जब उठ जाये तो उससे कहना हमसे आकर फैक्ट्री में मिले , नाश्ते के बाद हम सीधा वही जायेंगे”
सारिका , आई और बाबा समझ गए की आज वंश की क्लास लगने वाली है। बाबा ने शिवम् की तरफ देखा और कहा,”शिवा हम कह रहे थे की कुछ दिन के लिए तुम और बहू कही घूम आओ ,, काम की वजह से तुमहु काफी थक चुके हो थोड़ा आराम मिलेगा”
“बाबा हमे इसकी जरूरत नहीं है , सरु आपको जरूरत है”,कहते हुए शिवम् ने सारिका की ओर देखा तो सारिका शिवम् का मूड समझ गयी और ना में गर्दन हिला दी। सारिका ने आई की तरफ देखा तो आई ने कहा,”शिवा काशी बिटिया से गलती हो गयी उसे माफ़ कर दो बेटा , और फिर उह किसी को पसंद करती भी है तो इह मा का परेशानी है तुमरी और रधिया की सादी भी तो अपनी पसंद से हुई है,,,,,,,,,,,अब उह जमाना नहीं रहा है बेटा”
“किसी को पसंद करने और उसके लिए अपने ही परिवार से झूठ बोलने में फर्क होता है आई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमने कभी आपसे और बाबा से अपने प्रेम के लिए झूठ नहीं कहा था। प्रेम का मतलब का होता है जे आजकल के बच्चे कहा समझ पाएंगे इनके हिसाब से किसी को देखा पसंद किया कुछ दिन साथ रहे और हो गवा प्रेम,,,,,,,,,,,,,,,,,,किसी भी प्रेम में समर्पण होता है , त्याग होता है , एक दूसरे के प्रति सम्मान होता है , उह सब कहा है आजकल के प्रेम में ? हमारे लिए
सारिका ने जो त्याग किया का उह हमरे बच्चे कर पाएंगे ?”,शिवम् ने कहा और ये कहते हुए उसे अपने दिन याद आ गए जब सारिका के लिए उसने कितना बुरा वक्त देखा था। सारिका ने देखा तो उसने शिवम् के कंधे पर अपना हाथ रख दिया। शिवम् सारिका के हाथ को छुआ और कहा,”काशी किसी से प्रेम कर सकती है आई पर कभी अपनी माँ जैसी नहीं बन सकती”
आई ने सूना तो उसने महसूस किया की काशी की वजह से शिवम् को बहुत ठेस पहुंची है उन्होंने आगे कुछ नहीं कहा और चुपचाप नाश्ता करने लगी। कुछ देर बाद काशी आयी और शिवम् के बगल में खड़े होकर कहने लगी,”पापा , पापा हमे माफ़ कर दीजिये ,, हम आपको हर्ट करना नहीं चाहते थे पापा ,, हम डर गए थे इसलिए हमने सबसे झूठ कहा लेकिन हम आपसे बहुत प्यार करते है पापा। कल हमने जो कुछ भी कहा उसके लिए हम शर्मिन्दा है , हमे माफ़ कर दीजिये”
“सरु हम फैक्ट्री जा रहे है वंश उठ जाये तो उसे कहियेगा हमसे आकर मिले”,कहते हुए शिवम् ने नाश्ता अधूरा ही छोड़ दिया और वहा से चला गया। शिवम् को जाते देखकर काशी उसके पीछे आते हुए कहने लगी,”पापा , पापा हमारी बात सुनिए पापा ,, हम माफ़ी मांगते है पापा हम सच में शर्मिन्दा है ,, हमे बहुत बुरा लग रहा है की हमने आपसे झूठ कहा,,,,,,,,,,हमे माफ़ कर दीजिये पापा। पापा पापा ऐसे मत जाईये पापा हमारी बात सुनिए”
काशी बोलते ही रह गयी और शिवम् वहा से चला गया। काशी का चेहरा उदासी से घिर गया।
शक्ति को इस बात का आभास तक नहीं था की शिवम को उसके और काशी के रिश्ते के बारे में पता चल चुका है। वह इतने दिनों से किशोर के घर पर था और हमेशा हमेशा के लिए बनारस से जाने की तैयारी कर रहा था। शक्ति ने अपना सामान पैक किया उसकी नजर कमरे के दरवाजे पर खड़े किशोर पर चली गयी तो उसने कहा,”अंदर आ जाओ”
“सर आप ऐसे ही जा रहे है , क्या आपका काम पूरा हो गया ?”,किशोर ने शांत भाव से पूछा
“किशोर जिस काम के लिए हम यहाँ आये थे वो लगभग पूरा हो चुका है , बस एक आखरी इंसान को ढूँढना बाकी है जिसकी वजह से हमे यहाँ आना पड़ा , वैसे हम उसे ना भी ढूंढे तो कोई खास फर्क नहीं पडेगा क्योकि खुद को इनोसेंट साबित करने के लिए हमारे पास काफी सबूत है ,, वैसे भी अब ये दिखावे की जिंदगी हम अब और जीना नहीं चाहते इसलिए काशी को सच बताकर हमेशा हमेशा के लिए उसे अपने साथ लेकर चले जायेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा
“सर हमे जानकर ख़ुशी हुई की आप एक नयी जिंदगी शुरू करने जा रहे है। हम जानते है आपके साथ बहुत गलत हुआ लेकिन आपने हार नहीं मानी , आप हमारे आइडियल है सर , हमे आप पर गर्व है”,किशोर ने कहा
“किशोर तुमने हमारी बहुत मदद की है हम तुम्हारा ये अहसान जिंदगीभर नहीं भूलेंगे”,शक्ति ने कहा
“कैसी बातें कर रहे है सर ? हमने कोई अहसान नहीं किया बल्कि हमे ख़ुशी है की हमे आपके साथ काम करने का मौका मिला। जब बनारस के लोगो को पता चलेगा आप कौन है तो सब आप पर गर्व करेंगे सर”,किशोर ने कहा
“नहीं किशोर हम यहाँ से ऐसे जाना चाहते है जैसे हम यहाँ कभी आये ही नहीं , हम कौन है ये राज ही रहे तो बेहतर है किशोर”,शक्ति ने किशोर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो किशोर ने हामी भर दी। शक्ति ने अपना बैग साइड में रखा और कुछ जरुरी काम की वजह से वह बाहर निकल गया। शक्ति बनारस जिस काम के लिए आया था वो पूरा हो चुका था , जिस आखरी आदमी की आज बात कर रहा था उसके बारे में उसे अभी तक कुछ पता नहीं चला था।
शक्ति अपनी पुरानी जगह घाट के पास वाले खंडर मे चला आया , परेशानी में उसने सिगरेट जैसे ही होंठो के बीच रखी एक जानी पहचानी आवाज उसके कानो में पड़ी – तो तुम उस आखरी इंसान को ढूंढ रहे हो जो चीफ के लिए काम करता है”
शक्ति के हाथ वही रुक गए वह सिगरेट को जला नहीं पाया और होंठो से निकालकर फेंकते हुए पीछे पलटा। शक्ति ने देखा टूटी हुई दिवार पर सामने मुन्ना बैठा था और बहुत ही गंभीर भाव उसके चेहरे पर थे। मुन्ना को वहा देखकर शक्ति को इतनी हैरानी नहीं हुई जितनी हैरानी उसे मुन्ना के मुंह से चीफ नाम सुनकर हुई। मुन्ना इंदौ में जिस प्राइवेट CBI ब्रांच के लिए काम करता था उसी के सबसे बड़े अधिकारी का नाम चीफ था , और उसी चीफ के आदमियों से शक्ति इंदौर में बचता फिर रहा था। मुन्ना और शक्ति एक दूसरे के आमने सामने थे और एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। मुन्ना जो पिछले कुछ दिन से शक्ति के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहा था वो उसे हासिल हो चुकी थी और इसलिए वह शक्ति से मिलना चाहता था ताकि शक्ति की असलियत सबके सामने ला सके।
मुन्ना को घूरते देखकर शक्ति ने कहा,”तुम अभी सच नहीं जानते हो मुन्ना , तुम सिर्फ वो देख रहे हो जो तुम्हे दिखाया जा रहा है”
“सच क्या है और झूठ क्या ये तुम भी जानते हो शक्ति,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बनारस में तुम्हारे आने का जो मकसद था वो पूरा हो चुका है , छोटे गुनाहो की आड़ में तुम अपना बड़ा गुनाह छुपाना चाहते हो यही ना”,मुन्ना ने कहा
“तुम हमे गलत समझ रहे हो मुन्ना , हम तुम्हे समझाते है”,शक्ति ने जैसे ही कहना चाहा मुन्ना ने उसे खींचकर घुसा मारते हुए कहा,”क्या समझाओगे तुम , तुम सबके साथ काशी को भी धोखा दे रहे हो ,, क्या वो जानती है तुम कौन हो ? तुम्हारा बनारस आने का मकसद क्या है ?”
“हम उसे बताने वाले थे मुन्ना तुम एक बार हमारी बात तो सुनो”,शक्ति ने कहना चाहा तो मुन्ना ने उसे घुसा और मारा , इस बार शक्ति के नाक से खून बहने लगा क्योकि मुन्ना का वार बहुत तेज था। शक्ति को गुस्सा आया और उसने पलटकर मुन्ना को भी दो तीन घुसे जड़ दिए।
शक्ति और मुन्ना दोनों ही एक दूसरी की बातें सुनने को तैयार नहीं थे , दोनों ने एक दूसरे को लात घुसो से पीटना शुरू कर दिया और कुछ देर बाद दोनों ही दिवार का सहारा लेकर बैठ गये। दोनों के मुंह से खून निकल आया था और दोनों को ही दर्द भी हो रहा था। शक्ति के अपने होंठ पर लगी चोट को छूते हुए कहा,”तुम किसी डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते ?”
“क्या मतलब है तुम्हारा ?”,दर्द की वजह से मुन्ना ने अपनी पीठ दिवार से लगाकर कहा
“मतलबा ये की जब तुम इतने होशियार हो कि हमारे बारे में सब पता लगा लिया तो क्या तुम अपने चीफ के बारे में पता नहीं लगा सकते थे। तुम्हारे दिमाग में शायद कुछ लोचा है तुम वही देखते हो जो तुम्हे दिखाया जाता है। तुम बहुत सीधे हो मिश्रा और तुम्हारे उस चीफ ने तुम्हारी इसी बात का फायदा उठाया है और तुम्हे इसका अहसास तक नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे लगता है इंदौर जाकर जो जानकारी तुमने उन्हें दी उस से वो तुम्हे और तुम्हारी फॅमिली को प्रोटेक्ट करेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,उनका अगला टारगेट तुम्हारे पापा “मुरारी कुमार मिश्रा” है”,शक्ति ने कहा
“और तुम ये इतना यकीन के साथ कैसे कह सकते हो ?”,मुन्ना ने हैरानी से कहा
“क्योकि तुम्हारे उस चीफ के हर प्लान की धज्जिया उड़ाने वाले हम ही है। तुम्हारे पास ज्यादा वक्त नहीं है मुन्ना शुरू से शुरू करोगे तो तुम जान जाओगे किसने किसको धोखा दिया है , ये राजनीती है यहाँ जो दिखता है वो सच नहीं होता। अपने पापा को इस साजिश का शिकार होने से बचा लो मुन्ना”,शक्ति ने मुन्ना की आँखों में देखते हुए कहा। शक्ति की आँखों में मुन्ना को सच्चाई साफ नजर आ रही थी। वह उठा और जाने लगा तो शक्ति ने भी उठते हुए कहा,”बनारस आने का हमारा आखरी मकसद यही था तुम्हारे पापा को इस दलदल से बाहर निकालना इसे अब तुम पूरा करोगे,,,,,,,,,,,,,,क्या है की कुछ अहसान उनके भी रहे है हम पर”
मुन्ना धीमे कदमो से वहा से निकल गया। मुन्ना शक्ति का सच जानने आया था और यहाँ शक्ति ने ही उस पर बम फोड़ दिया। मुन्ना घर चला आया , उसने देखा घर में कुछ मेहमान आये हुए थे। मुरारी उनके छोटे बच्चे को गोद में उठाये , उसे दुलार कर रहा था और काफी खुश था। मुन्ना को देखते ही मुरारी ने आवाज दी,”ए मुन्ना यहाँ आओ , इनसे मिलो ये हमारे मित्र है और ये इनका नाती देखो कितना प्यारा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“नमस्ते,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने सामने बैठे लोगो को नमस्ते कहा और फिर मुरारी की ओर देखने लगा। मुरारी के चेहरे पर ख़ुशी देखकर मुन्ना का मन उदास हो गया। आखरी बार उसने चीफ को जो पेपर्स दिए थे उनमे कुछ जानकारी मुरारी को लेकर भी थी। मुन्ना ने अनजाने में अपने ही पिता को मुसीबत में डाल दिया
वह वहा से निकलकर सीधा अपने कमरे में चला आया। वह बैठकर एक बार फिर काम करने लगा , उसने सब घटनाओ को एक एक करके जोड़ना शुरू किया तो उसे समझ आया की शक्ति सच कह रहा था। मुन्ना का सर घूमने लगा , अनजाने में उसने कितनी बड़ी भूल कर दी जिस चीफ पर उसने भरोसा किया उसी ने उसे इतना बड़ा धोखा दिया। चीफ मुन्ना की कोई मदद नहीं कर रहा था उलटा उसके जरिये बनारस में फैले बुरे कामो को बढ़ावा दे रहा था। सारा सच जानने के बाद मुन्ना ने लेपटॉप बंद किया और आकर बिस्तर पर गिर गया। उसकी आँखों के सामने सब किसी फिल्म की तरह चलने लगा। मुन्ना हर तरफ से उलझन में फंस चुका था उसके सामने कई परेशानिया थी। इस गन्दी राजनीती ने आज मुन्ना को ऐसे दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया जिसमे एक तरफ उसके पिता की जिंदगी थी तो दूसरी तरफ उसके उसूल,,,,,,,,,,,,,,,,,जिस राजनीती से मुन्ना नफरत करता था आज उसी ने उसे परेशानी में डाल दिया।
काशी दिनभर अपने कमरे में उदास सी बैठी रही वह सब बर्दास्त कर सकती थी लेकिन शिवम् की नाराजगी नहीं। आज से पहले शिवम् ने कभी उस पर गुस्सा नहीं किया था। शिवम् ने काशी की हर ख्वाहिश पूरी की , सारिका कभी कभी उसकी जिद पूरी नहीं भी करती थी शिवम् काशी के मांगते ही हर चीज उसके सामने ला रखता और यही वजह थी की काशी अपने पापा के बहुत करीब थी। शाम में शिवम् घर आया लेकिन उसने काशी से कोई बात नहीं की। देर रात काशी शिवम् के कमरे के बाहर आयी। शिवम् बैठकर कोई फाइल देख रहा था। काशी को बाहर देखकर सारिका ने उसे अंदर आने को कहा और खुद बाहर चली गयी ताकि काशी अपने पापा से बात कर सके।
“पापा हम जानते है हमने आपका बहुत दिल दुखाया है लेकिन एक बार हमारी बात तो सुन लीजिये। आप जो कहेंगे हम करेंगे पापा बस आप हमसे ऐसे नाराज मत रहिये”,काशी ने आँखों में आँसू भरकर कहा
शिवम् उठा और फाइल को साइड में रख दिया। शिवम् की ख़ामोशी काशी को हर्ट कर रही थी वह शिवम् के पास आयी और उसकी बाँह थामते हुए कहा,”हमसे बात कीजिये ना पापा , हमे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है आपको ऐसे देखकर ,, आप जो कहेंगे हम करेंगे पापा , आपकी हर बात मानेंगे बस आप ऐसे चुप मत रहिये हमे बहुत तकलीफ हो रही है”
“जो हम कहेंगे करोगी ?”,शिवम् ने कहा तो काशी ने हाँ में अपनी गर्दन हिला दी
“उस लड़के या हम में से किसी एक को चुनना हो तो किसे चुनोगी काशी ?”,शिवम् ने काशी को दुविधा में डाल दिया। काशी ने सूना तो उसका दिल धड़कने लगा आँखों में आँसू भर आये। उसने शिवम् की बाँह कसकर पकड़ ली और अपना सर उसके सीने से लगाते हुए कहा,”हम आपको चुनेंगे पापा”
ये कहते हुए काशी की आँखों में आँसू थे , अपने पिता के प्यार के सामने वह अपने प्यार की क़ुरबानी जो देने जा रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!
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क्रमश – Main Teri Heer – 20
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संजना किरोड़ीवाल
Kashi ne bilkul sahi kaha,pehle to sb pyaar kr lete hain,but jb realise hota hai to apni family ko hi chunte hain
Very nice
Ak k bad ak raj khulte ja rhe hai kon kya hai kuchh samjh nhi a rha
Shivam esa nhi kr sakta book bas kashi ko azama rha hai
Jiseka khud ka pyar pura hua ho
Bo apni beti ka pyar kese adhura chod dega
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Shivam abhi ek strict pita ki tarah soch raha h, i hope wo jaldi samajh paega apne baccho ko or unke sath kuch galat nhi hone dega
यार सियपा पर सियपा हो रहा है…सब रायता फैल रहा है…पर एक बात साफ हुई है….वंश और निशि की एक-दूसरे के लिए फीलिंगस…
Yh ho kya rha h sb ulajh raha h
Nice story
Kya kash ko munna ka sach pata chalega ki bo kyun gouri ko ignore kar Raha hai
Kya vansh jan payega munna or Gouri ka sach
Shakti ka sach kya hai
Munna ki mushkile to or bdh gyii 😰😰😰😰
Har beti ka jawab yhu hota hh jo kashi ne diya 😢😢😢