Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 12

Main Teri Heer – 12

Main Teri Heer
Main Teri Heer

बनारस आने के बाद काशी को बस शक्ति से मिलने का बहाना चाहिए था इसलिए अगले दिन फिर काशी तैयार होकर जैसे ही घर से निकलने को हुई आई ने कहा,”काशी बिटिया बाहर जा रही हो ?”
“हाँ आई”,काशी ने अपनी गर्दन दूसरी ओर घुमाई और आँखे मींचते हुए कहा
“तो एक्को काम करो हमे भी साथ ले चलो हमको ज़रा उह सविता से मिलना है”,आई ने काशी की तरफ आते हुए कहा
“कौन सविता ?”,काशी ने पूछा हालाँकि काशी नहीं चाहती थी आई उसके साथ जाये क्योकि उसे शक्ति से जो मिलना था।
“अरे हमरी सहेली है , अब चलो देर ना करो तुम्हरी फटफटिया पर चलेंगे”,कहते हुए आई काशी से आगे निकल गयी और काशी उनके पीछे चली आयी। काशी ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की , आई उसके पीछे आ बैठी और दोनों वहा से निकल गयी। आई रास्तेभर काशी को कुछ ना कुछ बताते जा रही थी। काशी ने आई को उनकी सहेली के घर छोड़ा और कहा,”अच्छा आई आप अपनी सहेली से बातें कीजिये हम अपनी सहेली से मिलकर आते है”
“सहेली के तुम्हरा प्रेमी ?”,आई ने काशी को घूरते हुए पूछा , काशी ने सूना तो उस की सांसे अटक गयी। वह हैरानी से आई को देखने लगी काशी की शक्ल देखकर आई हसने लगी और कहा,”अरे अरे मजाक कर रहे है , जाओ हमको थोड़ा टाइम लगेगा तो तुम मिलकर आओ और वापसी में हमरे लिए चाट पपड़ी ले आना , बहुते मन है हमारा”
काशी ने सूना तो उसने अपनी आँखों को छोटा किया और आई को घूरते हुए कहा,”आप बहुत शैतान है आई”
“तुमसे कम , अब जाओ देर हो जाएगी”,कहते हुए आई अपनी सहेली के घर चली गई काशी ने ख़ुशी ख़ुशी स्कूटी स्टार्ट की और चल पड़ी अपने शक्ति से मिलने। उसे आई की कही बात याद आयी तो वह मुस्कुराने लगी। अस्सी घाट की ओर से निकलते हुए अचानक से एक बाइक काशी के सामने आ गयी और काशी को ब्रेक लगना पड़ा। काशी को बहुत गुस्सा आया क्योकि बाइक वाला लड़का रोंग साइड से आ रहा था। उसने काशी की स्कूटी को तो मारा ही बल्कि सामने से आती औरत को भी मारते मारते बचा उस औरत के हाथ से टोकरा भी नीचे गिर गया काशी अपनी स्कूटी से उतरी उसने उस टोकरे वाली को सम्हाला और फिर लड़के पर गुस्सा होते हुए कहा,”ए देखकर नहीं चल सकते , अगर किसी को लग जाती तो ?”
“लगी तो नहीं ना ? और वैसे भी गलती तुम दोनों की है”,लड़के ने कहा और लहराते हुए अपनी बाइक लेकर वहा से निकल गया। औरत ने काशी को शुक्रिया कहा और चली गयी। काशी भी अपनी स्कूटी की तरफ आयी तो नजर स्कूटी के पहिये पर चली गयी।
“ओहो ये तो पंचर हो गया है , इसे भी अभी पंचर होना था ,, लगता है हम शक्ति से मिल ही नहीं पाएंगे सब उलटा पुलटा हो रहा है आज”,काशी खुद में ही बड़बड़ाई। तभी एक गाडी आकर बिल्कुल उसके बगल में रुकी। गाड़ी का शीशा नीचे हुआ और एक लड़के ने काशी से कहा,”क्या हुआ मैडम ? कोनो दिक्कत है तो हम मदद कर दे ?”
“नहीं शुक्रिया”,कहकर काशी जैसे ही साइड में जाने लगी आगे बैठे लड़के ने पीछे बैठे कुछ लोगो को इशारा किया। अगले ही पल गाड़ी का पिछला दरवाजा खुला दो लड़के उतरे और काशी को जबरदस्ती गाडी में बैठा लिया। काशी ने जैसे ही चिल्लाना चाहा पीछे बैठे एक लड़के ने उसका मुंह बंद कर दिया।
“अबे पकड़ के रखो बे इसे”,ड्राइवर सीट के बगल मे बैठे भूषण ने पीछे देखकर कहा। काशी भूषण को पहले से जानती थी इसलिए जब उसने भूषण को देखा तो उसकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी और उसने महसूस किया की वह किसी बड़ी मुसीबत में फसने वाली है।

सुबह से दोपहर होने को आयी लेकिन काशी घर नहीं आयी ना ही सविता के घर आई को लेने पहुंची। शक्ति को इस बात का जरा भी आभास नहीं था की काशी मुसीबत में है वह बस अपने काम में लगा हुआ था। वंश अपने दोस्तों के साथ था उसे भी इस बारे में कुछ नहीं पता था और मुन्ना उसने खुद को बिजी कर लिया ताकि कुछ वक्त के लिए ही सही वह वंश और गौरी का ख्याल दिमाग से निकाल सके।
आई काशी की राह देख रही थी लेकिन जब काशी नहीं आयी तो उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने तुरंत शिवम् को फोन किया और काशी के बारे में बताया। शिवम् गाड़ी लेकर सविता के घर चला आया उसे देखते ही आई ने कहा,”पता नहीं काशी कहा रह गयी , हमसे कहकर तो गयी थी के जल्दी आ जाएगी , हमरा मन बहुते घबरा रहा है शिवा ,, हमरी काशी ठीक तो होगी ना”
“आई आप शांत हो जाईये हम काशी को फोन करते है हो सकता है वो कही रुक गयी हो”,शिवम् ने काशी को फोन लगाते हुए कहा
काशी का फोन बंद था। शिवम् ने काशी की दोस्त के घर फोन किया लेकिन काशी वहा नहीं थी अब शिवम् को चिंता होने लगी। वह आई को लेकर घर पहुंचा , काशी घर में भी नहीं थी और सारिका को भी इस बारे में कुछ पता नहीं था। शिवम् ने सारिका से आई को सम्हालने को कहा और खुद बाहर बरामदे में चला आया उसने वंश को फोन लगाया। कुछ देर बाद वंश ने फोन उठाया और कहा,”हाँ पापा”
“काशी ने तुम्हे कुछ बताया वो कहा गयी है ?”,शिवम् ने पूछा
“नहीं पापा मैं तो सुबह से बाहर हूँ और आप काशी के बारे में क्यों पूछ रहे है ? कुछ हुआ है क्या ?”,वंश ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“काशी सुबह आई के साथ बाहर गयी थी लेकिन अभी तक वापस नहीं आयी है , उसका फोन भी बंद आ रहा है तुम्हे काशी कही मिले तो हमे फोन करना”,शिवम् ने कहा और फोन काट दिया
काशी लापता है सुनकर वंश दोस्तों के बीच से उठा और जाने लगा तो उसके एक दोस्त ने कहा,”ए वंश कहा चला ? अभी तो आये है हम लोग”
“अभी मुझे किसी जरुरी काम से निकलना है , काशी घर नहीं पहुंची है और पापा परेशान हो रहा है मुझे उसे ढूंढना होगा”,वंश ने कहा
“तेरी बहन हम सबकी बहन चल सब साथ में ढूंढते है हो सकता है उसका फोन बंद हो गया हो , टेंशन मत ले मिल जाएगी”,वंश के दोस्त ने कहा
“हम्म्म”,वंश ने कहा तो सभी अपनी अपनी बाइक्स उठाये अलग अलग निकल गए।

वंश अपनी बाइक लिए बनारस की गलियों में घूमते हुए काशी की दोस्तों के घर पहुंचा लेकिन किसी के यहाँ भी काशी नहीं थी। अब तो वंश को भी लगने लगा की काशी किसी मुसीबत में है। उसने मुन्ना को फोन लगाया लेकिन उसका भी फोन बंद,,,,,,,,वंश बाइक लेकर सीधा मुन्ना के घर की तरफ ही निकल गया। उसने बाइक साइड में खड़ी की और अंदर चला आया। अनु ने देखा तो कहा,”अरे वंश तूम कब आये ?”
“मैं आपसे बाद में बात करता हूँ”,कहते हुए वंश सीढ़ियों से सीधा मुन्ना के कमरे की तरफ चला गया
“ये लड़का भी ना हमेशा जल्दी में रहता है”,कहते हुए अनु वहा से चली गयी। वंश मुन्ना के कमरे में आया देखा मुन्ना कमरे की दिवार के पास बैठा है और आस पास ढेरो किताबे रखी है कुछ बंद कुछ अधखुली। एक हाथ मुन्ना के किताब में भी थी जिनमे वह अपनी आँखे गड़ाए हुए था। वंश ने मुन्ना के हाथ से किताब लेकर उसे बंद करते हुए कहा,”मुन्ना मेरे साथ चलो”
मुन्ना उठ खड़ा हुआ और कहा,”वंश हमे अभी कही नहीं जाना , हमारा बिल्कुल मन नहीं है”
“मैं कुछ नहीं सुनूंगा मुन्ना तुम मेरे साथ चल रहे हो बस”,वंश ने मुन्ना की बात को नजरअंदाज करते हुए कहा
“हमने कहा ना हमे नहीं जाना , तुम्हे समझ क्यों नहीं आ रहा ?”,पहली बार मुन्ना ने थोड़ा तेज आवाज में कहा जिसे सुनकर वंश भी हैरान था। वंश ने मुन्ना के थोड़ा करीब आकर कहा,”काशी सुबह से लापता है , उसका फोन भी बंद है और वो कही मिल नहीं रही,,,,,,,,,,,,,,,,अगर अब भी तुम्हे साथ नहीं आना तो तुम यही रहो अपनी दुनिया में”
कहकर वंश चला गया। मुन्ना को अहसास हुआ की अनजाने में उसने वंश पर अपना गुस्सा उतार दिया वह वंश को रोकता इस से पहले ही वंश वहा से जा चुका था। मुन्ना ने अपना जैकेट उठाया और कमरे से बाहर निकल गया। वंश जा चुका था मुन्ना ने अपनी जीप की चाबी उठायी और घर से निकल गया। काशी वंश और मुन्ना की इकलौती बहन थी और जितना प्यार वंश अपनी बहन से करता था इतना ही प्यार मुन्ना भी करता था। शिवम् के आदमी , वंश और मुन्ना दिनभर काशी को ढूंढते रहे। मुरारी को जब पता चला तो उसने भी अपनी पार्टी के आदमियों को काम पर लगा दिया लेकिन काशी का कोई अता पता नहीं था।
शाम हो चुकी थी , ब्रिज से गुजरते हुए वंश रुका और किनारे आकर खड़ा हो गया उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर वह अपनी बहन को कहा ढूंढे ? परेशान सा वंश वहा खड़ा नीचे बहते गंगा के पानी को देख रहा था , उसे काशी को ना ढूंढ पाने का अफ़सोस था और वह काफी उदास था की अगले ही पल मुन्ना ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”चिंता मत करो हम उसे ढूंढ लेंगे”
मुन्ना को अपने बगल में खड़े देखकर वंश के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली , मुन्ना के महज साथ खड़े होने से वंश खुद को मजबूत महसूस करने लगता था। मुन्ना ने वंश को वहा से चलने को कहा। वंश अपनी बाइक से और मुन्ना अपनी जीप लेकर उसके साथ चल पड़ा। दोनों घर पहुंचे और घर में मौजूद पुलिस देखकर किसी अनहोनी के डर से दोनों का दिल धड़का लेकिन अंदर आकर पता चला की पुलिस मुरारी ने बुलाई है। सभी घरवाले काशी के लिए परेशान थे और सारिका का तो रो रोकर बुरा हाल था। अनु भी वही थी सारिका के साथ।
मुन्ना ने वंश को इशारा किया की वह जाकर अपनी माँ को सम्हाले और खुद जीप लेकर वहा से निकल गया। मुन्ना जीप लेकर एक बार फिर काशी को ढूंढने निकल पड़ा। अभी सूरज डूबा नहीं था , मुन्ना अपनी जीप लेकर अस्सी घाट की तरफ से निकला अस्सी घाट के बाहर खड़ी काशी की स्कूटी जब उसने देखी तो जीप से उतरकर स्कूटी की ओर चला आया। स्कूटी का टायर देखकर मुन्ना को कुछ गड़बड़ लगी वह वही स्कूटी के आस पास घूमने लगा तो उसे वही नीचे गिरी काशी की टूटी घडी दिखाई दी। मुन्ना ने उसे उठाकर देखा वह समझ गया की काशी लापता नहीं हुई है बल्कि किसी ने जानबूझकर उसे अगवा किया है और बनारस में ये काम सिर्फ एक ही आदमी कर सकता है। उसके बारे में सोचकर मुन्ना की भँवे तन गयी और चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। उसने काशी को घडी को जेब में रखा और जीप लेकर वहा से निकल गया

बनारस से बाहर बने फार्म हॉउस के बाहर एक गाड़ी आकर रुकी राजन उसमे से उतरा और अंदर चला आया। अंदर भूषण और राजन के कुछ आदमी बैठे थे राजन को देखते ही भूषण उसके सामने आया और कहा,”हमने अपना कहा पूरा किया राजन भैया”
“अरे जिओ भूषणवा साले तुम्ही हमारे सच्चे वाले दोस्त हो , बताओ का चाहिए तुम्हे ?”,राजन ने खुश होकर कहा
“अरे हमे कुछो नहीं चाहिए भैया , बस तुम्हरा हाथ हमरे सर पर बना रहे जे काफी है”,भूषण ने राजन को खुश करने की कोशिश करते हुए कहा
“हमारा हाथ और साथ हमेशा तुम पर बना रहेगा , पहले उसके दर्शन तो कर ले जिसके लिए इतना रिस्क लिए है,,,,,,,,,,,,,,,,,कहा है तुम सबकी भाभी ?”,राजन ने थोड़ा ऊँची आवाज में कहा
भूषण ने पास वाले कमरे की तरफ इशारा किया। राजन मुस्कुराते हुए कमरे की तरफ चला आया। दरवाजा खोलकर वह अंदर आया तो देखा काशी दिवार से पीठ लगाए बैठी थी , उसके हाथ पैर बंधे थे और मुंह पर टेप चिपका हुआ था। राजन काशी के सामने आकर बैठ गया। राजन को वहा देखकर काशी की आँखों में डर उतर आया वह पीछे हटने लगी तो राजन ने कहा,”अरे अरे डरो मत हम तुम्हे कुछ नहीं करेंगे , बल्कि छुएंगे भी नहीं बस हम तुमसे शादी करेंगे उसके बाद तुम हमेशा हमेशा के लिए हमारी हो जाओगी काशी,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए राजन ने काशी के मुंह से टेप हटा दी। काशी ने गुस्से से राजन को देखा और नफरत भरे स्वर में कहा,”नामर्दो की तरह हमे अगवा करके तुम हमसे प्यार करने का दावा कर रहे हो ? छी: क्या तुम में एक लड़की का दिल जितने जितनी भी हिम्मत नहीं थी जो तुमने ऐसी हरकत की”
“हम मर्द है या नहीं ये साबित करने के लिए सिर्फ दो मिनिट लगेंगे काशी,,,,,,,,,,,,लेकिन हम तुम्हे कोई चोट पहुँचाना नहीं चाहते का है की हम तुम्हे पसंद करते है , और चाहते है की तुम भी हमे पसंद करो और हमसे शादी के लिए हाँ कह दो”,राजन ने अपने दाँत पीसते हुए कहा
“अगर हमरे भाईयो को पता चला की ये घटिया हरकत तुमने की है तो तुम सोच भी नहीं सकते वो तुम्हारा क्या हाल करेंगे ?”,काशी ने गुस्से से शक्ति को देखते हुए कहा तो शक्ति हसने लगा और एकदम से उठ खड़ा हुआ उसने कमरे में घूमते हुए कहा,”तुम्हारा भाई तो क्या तुम्हारा वो आशिक़ भी तुम्हे ढूंढ नहीं पायेगा ,, तुम्हारे सामने लाकर पटकेंगे तुम्हरे उस आशिक़ को और उसी की आँखों के सामने तुमसे ब्याह रचाएंगे याद रखना”
कहकर शक्ति वहा से चला गया। काशी अपनी इस हालत पर सिसकने लगी और शक्ति को याद करने लगी।

शक्ति आज दिनभर अपने काम में लगा हुआ था। वह घाट की तरफ आया इस उम्मीद में शायद काशी आयी हो और वह उस से मिल सके। शक्ति वही घाट पर घूमते हुए काशी का इंतजार करने लगा लेकिन काशी नहीं आयी। शाम होने लगी थी , सूरज डूबने वाला था और आसमान लालिमा से भरा हुआ था। चलते चलते शक्ति को ठोकर लगी साथ ही हिचकी भी शुरू हो गयी उसे लगा जैसे उसके किसी अपने ने उसे दिल से याद किया हो। शक्ति एक बार फिर काशी का इन्तजार करते हुए वही घूमने लगा लेकिन आज काशी नहीं आयी। शक्ति ने काशी को फोन किया लेकिन उसका फोन बंद था। उदास होकर शक्ति ने फोन वापस जेब में रख लिया। वह कुछ देर वही रुका और फिर घाट से बाहर चला आया। बाहर आकर शक्ति चाय की टपरी की ओर बढ़ गया। उसने चायवाले से एक चाय देने को कहा। शक्ति के अलावा भी कुछ लोग वहा खड़े थे और किसी गंभीर बात पर चर्चा कर रहे थे। शक्ति ने ध्यान नहीं दिया और अपनी चाय का इंतजार करने लगा चाय वाले ने एक कुल्हड़ शक्ति की तरफ बढ़ा दिया शक्ति ने एक घूंट भरा ही था की तभी उसके कान में एक आवाज पड़ी – अरे भैया जब बनारस के विधायक की भतीजी सुरक्षित नहीं है तो आम लड़की कहा सुरक्षित रहेगी”
“हाँ भैया मैंने भी सूना पूरा परिवार परेशान है लेकिन लड़की का कुछो आता पता नहीं”,दूसरे आदमी ने कहा
“अरे हो सकता है किसी लड़के के चक्कर में खुद ही भाग गयी हो”,तीसरे आदमी ने कहा तो शक्ति को गुस्सा आया और उसने उस आदमी की कॉलर पकड़ते हुए कहा,”ए जबान खींच लेंगे तुम्हारी अगर कुछ भी बकवास की तो , किसी लड़की की इज्जत का ख्याल रखना सीखो,,,,,,,,,,,,,,,,समझे”
“म म माफ़ करना शक्ति भैया”,आदमी ने झेंपते हुए कहा तो शक्ति ने उसे छोड़ दिया और वहा से निकल गया। घाट के बाहर खड़ी अपनी बाइक स्टार्ट की और तेजी से वहा से निकल गया जैसे वह जानता हो काशी कहा है ?”

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