“मैं तेरी हीर” – 61
Main Teri Heer – 61
बनारस आते ही गौरी और वंश की नोकझोक शुरू हो गयी। काशी को देखने आया लड़का और उसका परिवार दोनों ही अच्छे थे और सब घरवालों को पसंद भी आ गए लेकिन काशी के पास उस लड़के को रिजेक्ट करने की कोई वजह नहीं थी। मुन्ना ने सही वक्त पर आकर बात सम्हाल ली , उसने बड़ी आसानी से लड़के को काशी एक मन की बात समझा दी और लड़के ने भी काशी की भावनाओ की कदर करते हुए उस से ये वादा किया की वह इस सगाई से इंकार कर देगा। काशी बहुत खुश थी।
शिवम् ने मेहमानो और बाकि सबके लिए दोपहर का खाना अपने घर में ही रखवाया था। घर के बाहर वाले लॉन में एक तरफ घर के बड़ो के लिए दूसरी तरफ घर के बच्चो के लिए टेबल्स लगवा दी। शिवम् चाहता था लड़के के घरवाले जाने से पहले खाना खाकर ही जाये। शिवम् , मुरारी , बाबा , लड़के के पिता और अंजलि के पापा टेबल के एक साइड थे बाकि आई , लड़के की माँ , सारिका , अनु , राधिका एक तरफ।
वंश सबसे पहले आकर बैठा और अपने पास वाली कुर्सी खाली छोड़ दी ताकि गौरी वहा आकर बैठे , वंश के दूसरी तरफ काशी को देखने आया लड़का , ऋतू , प्रिया और काशी बैठ गए। गौरी आयी उसे आता देखकर वंश खुश हो गया की चलो गौरी उसी की बगल में आकर बैठेगी लेकिन तभी अंजलि आकर वंश के बगल में बैठी और उसकी खाली प्लेट अपनी तरफ खिसकाते हुए कहा,”आह्ह बहुत भूख लगी है”
“ए छिपकली तुम यहाँ क्यों बैठी हो ? चलो जाओ यहाँ से”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा
“हम क्यों जाये आपको जाना है तो आप जाओ”,अंजलि ने हाथ नचाते हुए कहा। वहा से गुजरते हुए गौरी ने एक नजर वंश को देखा और फिर काशी के बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठी।
“तुम ऐसे नहीं मानोगी ना,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश ने जैसे ही अंजलि के बाल खींचे उसने शिवम् से शिकायत कर दी,”बड़े मामाजी देखिये ना वंश भैया हमारे बाल खींच रहे है”
“वंश यहाँ आओ”,शिवम् ने उसे अपने पास बुलाया
“तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा छिपकली”,कहते हुए वंश उठा और शिवम् की तरफ चला आया और कहा,”जी पापा”
“मेहमानो के सामने कैसे पेश आते है तमीज नहीं है तुम्हे ?”,शिवम् ने सख्त स्वर में लेकिन धीमी आवाज में कहा
“वो पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहना चाहा लेकिन शिवम् ने उसकी बात नहीं सुनी और दीना को अपनी तरफ आने का इशारा किया। दीना के हाथ में मिठाई का बर्तन था जिसे वह सबको परोसने वाला था। वह शिवम् के पास चला आया
“ये बर्तन वंश को दीजिये , आज मेहमानो को खाना ये खुद परोसेंगे”,शिवम् ने लगभग आदेश देते हुए कहा। बेचारा वंश कहा गौरी के साथ खाना खाने की सोच रहा था और कहा उसे ही खाना परोसने की पनिशमेंट मिल गयी। वंश ने देखा उसने आज बहुत ही महंगे कपडे पहने है तो उसने शिवम् से कहा,”लेकिन पापा इसकी क्या जरूरत है दीना भैया और बाकि सब है ना ये करने के लिए”
“अगर 2 मिनिट के अंदर तुमने सबको खाना परोसना शुरू नहीं किया तो तुम्हे ये सारे बर्तन भी धोने होंगे”,शिवम् ने फिर कहा
बर्तन धोना खाना परोसने से भी ज्यादा मुश्किल काम लगा तो वंश चुपचाप दीना के साथ चला आया और खाने का बर्तन उठाकर सबको खाना परोसने लगा। मुन्ना वहा आया तो वंश को खाना परोसते देखकर थोड़ा हैरान हुआ , वह उसे देख ही रहा था की काशी ने उसे अपने पास बुला लिया। गौरी के बगल वाली कुर्सी भी खाली थी लेकिन मुन्ना गौरी के साथ बैठने में झिझक रहा था।
“मुन्ना भैया बैठिये ना सब साथ खाते है”,काशी ने कहा
“मैं उठ जाती हूँ आप यहाँ बैठ जाईये”,गौरी ने उठते हुए कहा
“अरे नहीं आप बैठिये हम यहाँ बैठ जायेंगे”,मुन्ना ने सहजता से कहा और गौरी के बगल वाली कुर्सी पर आ बैठा। काशी गौरी से कुछ बात करने लगी और मुन्ना उसके बगल में बैठा अपनी धड़कनो को दुरुस्त करने लगा। गौरी के करीब आते ही उसकी धड़कने उसका साथ छोड़ देती थी। दीना आधे से ज्यादा खाना सबकी प्लेट में परोसकर जा चुका था। वंश खाना परोसते हुए जैसे ही गौरी के सामने आया गौरी ने उसे छेड़ते हुए कहा,”अच्छे लग रहे हो”
कहकर गौरी काशी की तरफ देखकर हसने लगी। वंश को बुरा लगा तो उसने गौरी की प्लेट में रसमलाई रखी ही नहीं और आगे बढ़ गया।
“ए मुझे तो दो,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी कहते ही रह गयी और फिर बड़बड़ाई,”कितनी जल्दी बुरा मान जाता है ये लड़का , रसमलाई तो मेरी फेवरेट थी और उसने वही नहीं रखी”
बगल में बैठे मुन्ना ने सूना तो अपनी प्लेट में रखा रसमलाई का कप उठाकर गौरी की प्लेट में रखते हुए कहा,”आप ये खा लीजिये”
“अरे नहीं आप खाइये”,गौरी ने कहा
“कोई बात नहीं आप मेहमान है आप पहले लीजिये हम दूसरी मंगवा लेंगे”,मुन्ना ने कहा तो गौरी उसके चेहरे की तरफ देखने लगी। मुन्ना और वंश में उसे जमीन आसमान का अंतर् दिख रहा था। उसने मुन्ना को निराश नहीं किया और अपनी गर्दन हिला दी। सभी खाना खाने लगे , वंश खाना परोसते हुए जैसे ही राधिका के सामने आया राधिका ने कहा,”हाये बेचारे हमारे बेटे की क्या हालत कर दी है ? ले ये खा”
कहते हुए राधिका ने एक निवाला तोड़कर वंश को खिलाया तो वंश ने कहा,”भुआ बस एक आप ही हो इस घर में जो मुझसे इतना प्यार करती हो”
“अरे मैं भी हूँ भांजे , ये लो मुंह खोलो”,अनु ने भी एक निवाला तोड़कर वंश को खिला दिया
“वंश यहाँ आओ”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा तो वंश सारिका तरफ चला आया
“तुम ये सब क्यों कर रहे हो ?”,सारिका ने पूछा
“ये बात आप अपने मिस्टर परफेक्ट से पूछिए , छोटी छोटी बातो पर पनिशमेंट दे देते है”,वंश ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
“जरूर तुमने कोई शरारत की होगी वरना शिवम् जी ऐसा नहीं करते”,सारिका ने कहा
“देखा भुआ माँ भी उनकी साइड ले रही है”,वंश ने राधिका की तरफ देखकर कहा
“इधर आ तेरी भुआ है ना तेरे साथ,,,ये ले ये खा”,कहते हुए राधिका ने उसे एक निवाला और खिलाया वंश खुश हो गया और ख़ुशी ख़ुशी सबको खाना परोसने लगा लेकिन गौरी के सामने तो वह दोबारा बिल्कुल नहीं गया। खाना खाने के बाद लड़का और उसके घरवाले जाने लगे। शिवम् और मुरारी उन्हें उनकी गाडी तक छोड़ने चले गए। ऋतू प्रिया ने ज्यादा खा लिया था इसलिए वे दोनों आराम करने अंदर चली गयी अब तक अंजलि की भी उनसे अच्छी खासी दोस्ती हो चुकी थी इसलिए वह भी उनके साथ चली गयी। काशी मुन्ना से बात कर रही थी उसे अभी भी घबराहट हो रही थी की कही लड़का अपनी बात से मुकर ना जाये तो मुन्ना ने उसे भरोसा दिलाया की वह हमेशा उसके साथ है। सभी घरवाले अंदर चले आये वंश अकेला ही बाहर खाने की टेबल पर बैठा था।
“वंश बाबा आपके लिए खाना परोस दे ?”,दीना ने पूछा
“नहीं दीना भैया आप खा लीजिये , हमे भूख नहीं है”,वंश ने कहा
दीना वहा से चला गया कुछ देर बाद गौरी फोन पर किसी से बात करते हुए घर के बरामदे में आयी उसने वंश को अकेले बैठे देखा तो उसकी ओर चली आयी। गौरी ने देखा वंश खाली प्लेट सामने रखे किसी सोच में गुम है। वह टेबल के पास गयी जहा खाने के बर्तन रखे थे वह खाना लेकर आयी और वंश की प्लेट में परोसा तो वंश ने कहा,”अरे ये मैं कर लूंगा”
“इट्स ओके मैं परोस देती हूँ तुम खाओ”,गौरी ने कहा
वंश को ये देखकर ख़ुशी हुई की गौरी उसके लिए खाना परोस रही है। खुश होने की एक वजह और भी थी की गौरी और वो दोनों अकेले है उन्हें डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं है , ऐसे में वह गौरी से थोड़ी बात कर सकता था। गौरी ने वंश की प्लेट में खाना परोसा और जाने लगी तो वंश ने कहा,”जब तक मैं खाना खाऊ यहाँ बैठ सकती हो प्लीज,,,,,,,,,,,,,,वो क्या है ना मुझे अकेले खाने की आदत नहीं है ?”
गौरी ने वंश को देखा और कहा,”अगर फ्लर्ट नहीं करो तो बैठ सकती हूँ”
“तुम्हे ये क्यों लगता है मैं तुम्हारे साथ फ्लर्ट करूंगा ?”,वंश ने पूछा
गौरी ने कुर्सी खिसकाई और वंश से कुछ दूरी बनाकर बैठते हुए कहा,”क्योकि तुम सबके साथ यही करते हो”
“पर तुम सबसे अलग हो”,वंश धीरे से बड़बड़ाया
“तुमने फिर कुछ कहा ?”,गौरी ने पूछा
“नहीं मैंने कुछ नहीं कहा और मैं कोई फ्लर्ट नहीं कर रहा वो तो बस तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए मैंने तुम्हारी दोस्तों से वो सब कहा”,वंश ने मासूम सी शक्ल बनाकर कहा
“और तुम्हे मेरी अटेंशन क्यों चाहिए ?”,गौरी ने सीधे सीधे पूछ लिया
“क्या तुम्हे सच में नहीं पता ?”,वंश ने खाते हुए हैरानी से पूछा
“नहीं,,,,,,!”,गौरी ने कहा और फिर अचानक उसे याद आया की वंश सुबह नाराजगी की बात कर रहा था और काशी के आने की वजह से उनकी बात अधूरी रह गयी थी उसने वंश की तरफ देखकर कहा,”ओह्ह याद आया पहले ये बताओ की मुझसे नाराज क्यों थे ?”
“इंदौर में तुमने मुझसे अच्छे से बात की लेकिन जब मैंने तुम्हे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी तो तुमने उसे रिजेक्ट कर दिया”,वंश ने कहा
“फ्रेंड रिक्वेस्ट ? पर मुझे तुम्हारी कोई फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं मिली”,गौरी ने चौंकते हुए कहा
“ज्यादा बनो मत , फेसबुक पर गौरी शर्मा ब्लैक ड्रेस में तुम्हारी ही आई डी है ना”,वंश ने गौरी की तरफ देखकर कहा
गौरी ने सूना तो उसने अपना सर पीटा और कहा,”ये सारी मिसअंडरस्टैंडिंग ना उस गधे जय की वजह से हो रही है , उसे तो मैं छोडूंगी नहीं”
“जय कौन है ?”,वंश ने पूछा
“मेरा छोटा भाई वो दिनभर आई डी हैक करता रहता है , उसी ने शायद तुम्हारी रिक्वेस्ट रिजेक्ट की होगी”,गौरी ने कहा
“सच बोल रही हो ?”,वंश ने शकभरे स्वर में पूछा
“मैं कभी झूठ नहीं बोलती”,गौरी ने कहा
“हम्म्म ठीक है मान लेता हूँ लेकिन मैं भी फ्लर्टी नहीं हूँ”,वंश ने कहा
“अपना फोन दो”,गौरी ने कहा तो वंश ने अपने उलटे हाथ से अपना फोन जेब से निकाला और गौरी की तरफ बढ़ा दिया। गौरी ने वंश का फोन लिया और उसके फोन में कॉन्टेक्ट लिस्ट निकालकर वंश को दिखाते हुए कहा,”तुम्हारी क्लास में शायद इतनी लड़किया नहीं होगी जितनी तुम्हारी कॉन्टेक्ट लिस्ट में है , इसके बाद भी अगर तुम कहोगे तुम बहुत ही शरीफ लड़के हो तो आई ऍम सॉरी मैं नहीं मानने वाली”
वंश ने सूना तो उसे बहुत बुरा लगा गौरी सिर्फ उसे उसके फोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट वजह से जज कर रही थी जबकि जबसे गौरी आयी थी तबसे उसने फोन छुआ तक नहीं था। वह उठा और अपना फोन लेकर जेब में डालते हुए कहा,”मेरा हो गया , तूम जा सकती हो”
गौरी उठी और वहा से चली गयी। वंश भी अंदर आकर वाशबेसिन के पास आया और हाथ धोने लगा। हाथ धोते हुए उसके कानो में गौरी की कही बात गुंजी। पहली बार किसी लड़की ने वंश से इस तरह से बात की थी उसे अच्छा नहीं लगा। सभी घरवाले हॉल में बैठकर हंसी मजाक कर रहे थे लेकिन वंश उनके बीच ना जाकर सीधा अपने कमरे में चला आया।
गौरी भी सबके बीच चली आयी। बातो बातो में अनु ने कहा,”काशी अपनी दोस्तों को लेकर घर आओ ना ?”
“हाँ मौसी जरूर वैसे भी हम सोच रहे है क्यों ना शाम में घाट की आरती के समय हम सब आपके घर आ जाये”,काशी ने कहा
“अरे बिल्कुल ये भी भला कोई पूछने की बात है वो घर भी तुम्हारा ही घर है,,,,,,,,,,,,,,गौरी आओगी ना ?”,अनु ने गौरी की तरफ देखकर पूछा
“स्योर आंटी काशी बहुत तारीफ करती है अपने शहर की मुझे भी देखना है आखिर ऐसा क्या है बनारस में ?”,गौरी ने कहा
“बनारस में शक्ति है,,,,,,,,,,!”,काशी धीरे से बड़बड़ाई जो सिर्फ पास बैठी गौरी को सूना और वह मुस्कुरा उठी
“तो फिर तय रहा आज शाम तुम सब हमारे घर आ रही हो,,,,,,,,,,,,गर्ल्स पार्टी करेंगे”,अनु ने चहकते हुए कहा
“जरा अपनी उम्र का लिहाज करो मिश्राइन गर्ल नहीं रही हो तुमहू,,,,,,,,,,!”,मुरारी ने वहा से गुजरते हुए कहा
“ए मिश्रा जी हमको ना छेड़ो हम बता रहे है”,अनु ने तमकते हुए कहा
“हाँ हाँ ठीक है , घर नहीं चलोगी ?”,मुरारी ने कहा
“बस चलते है”,कहते हुए अनु उठी और सबको बाय कहकर वहा से चली गयी। कुछ देर बाद राधिका ने कहा,”अच्छा भाभी अब हम भी चलते है”
“राधिका आज आज रुक जाओ ना”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा
“हाँ मम्मी रुक जाईये ना काशी दीदी की दोस्त भी आयी है।”,अंजलि ने मचलते हुए कहा
“भाभी हम रुक जाते लेकिन उन्हें आज शाम में ही शहर से बाहर जाना है और फिर घर पर माँ अकेली है ,, और फिर अंजलि के भी अगले महीने से एग्जामस शुरू होने वाले है इसलिए इसी भी साथ लेकर जाना होगा”,राधिका ने अपनी मज़बूरी बताई
“लेकिन मम्मी,,,,,,,,,,,,,!!”,अंजलि ने कहा
“बेटा जिद नहीं करते चलो उठो तुम्हारे पापा इंतजार कर रहे है”,राधिका ने कहा तो अंजलि उठी और सबको बाय बोलकर चली गयी
“आई आप आराम कर लीजिये और बेटा तुम सब भी जाकर कपडे बदल लो और थोड़ा आराम कर लो”,सारिका ने कहा तो काशी , ऋतू , प्रिया और गौरी चारो काशी के कमरे में चली आयी।
चारो ने कपडे बदले और बिस्तर पर एक साथ गिर गयी चारो के सर एक दूसरे से मिले हुए थे और पैर चारो दिशाओ में। काशी ने राहत की साँस ली और कहा,”फाइनली ये सब खत्म हुआ अब बस वो लड़का घर जाकर इस रिश्ते से ना कह दे”
“हाँ लेकिन इसका सारा क्रेडिट तुम्हारे भाई को जाता है काशी”,गौरी ने कहा जिसे पता था की ये सब मुन्ना ने किया है
“उन्हें तो मैं स्पेशली थेंक्स बोलूंगी आज शाम में”,काशी ने कहा
“क्या सच में आज शाम हम लोग उनके घर जा रहे है ?”,ऋतू ने पूछा
“हाँ अनु मौसी ने कहा है जाना ही पडेगा वरना हम सबको लेने वो यहाँ आ जाएगी”,काशी ने कहा तो सब हंस पड़ी और उसके बाद उन चारो के बीच शुरू हो गयी कभी ना खत्म होने वाली बाते।
शाम में काशी , गौरी , ऋतू और प्रिया अनु के घर जाने के लिए तैयार हो गयी। काशी ने सूट पहना था , ऋतू और प्रिया ने जींस और टॉप , गौरी का कुछ अलग पहनने का मन था इसलिए उसने जींस पहनी और उस पर लॉन्ग कुर्ता पहन लिया जिस के कट से साइड से उसकी कमर थोड़ी सी दिख रही थी पर उन कपड़ो में गौरी अच्छी लग रही थी। चारो तैयार होकर बाहर आयी दीना उन्हें लेकर जाने के लिए तैयार खड़ा था। गौरी ने देखा दोपहर बाद से वंश उसे कही नजर नहीं आ रहा तो उसने काशी से कहा,”तुम्हारे वंश भैया हम सबके साथ नहीं जा रहे ?”
“वंश भैया को घाट देखने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है , वो नहीं आएंगे”,काशी ने गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए कहा
सभी गाड़ी में आ बैठी और कुछ ही देर में मुरारी के घर पहुँच गयी। गाड़ी मेन गेट से अंदर आयी और घर के सामने आकर रुक गयी। सभी नीचे उतरी ऋतू ने चारो और देखकर कहा,”ओह्ह वाओ काशी अनु मौसी का घर तो सच में बहुत अच्छा है , सब कितना खुला खुला है यहाँ”
“अंदर चलो अंदर और भी अच्छा है , ये घर हमारे मुरारी चाचा की पसंद का है और उनकी पसंद तो वैसे भी यूनिक है”,काशी ने सबको अंदर लेकर जाते हुए
“जैसे तुम्हारी अनु मौसी,,,,,,,,,,,,,है ना ?”,प्रिया ने तपाक से कहा
“हाँ,,!!”,काशी ने कहा और सबको अंदर ले आयी। अनु हॉल में ही थी उसने जब चारो को देखा तो बहुत खुश हुई। सभी हॉल में बैठी। ऋतू प्रिया तो बस घर को देखे जा रही थी , इतना बड़ा और आलिशान घर उन दोनों ने सिर्फ फिल्मो में देखा था लेकिन गौरी अपने फोन में बिजी थी। कुछ देर बाद गौरी ने अनु से कहा,”आंटी आपके घर में कंप्यूटर होगा ? एक्चुअली मुझे एक जरुरी मेल करना है और मेरे फोन से हो नहीं पा रहा”
“कंप्यूटर तो मुरारी के ऑफिस में है और कुछ दिनों से बंद पड़ा है”,अनु ने कहा।
“ओह्ह्ह कोई बात नहीं यहाँ आस पास में सायबर कैफे होगा मैं वहा कर लुंगी”, गौरी ने कहा अनु ने देखा बाहर से मुन्ना चला आ रहा है तो उसने गौरी से कहा,”लो हो गया तुम्हारा काम , मुन्ना के कमरे लेपटॉप है तुम उसे इस्तेमाल क्यों नहीं करती ? एक मिनिट मुन्ना,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना”
“जी माँ”,मुन्ना ने अनु के पास आकर कहा जैसे ही उसने वहा गौरी को देखा उसका दिल फिर धड़का
“गौरी को तुम्हारा लेपटॉप चाहिए उसे कुछ जरुरी काम है तो तुम दे दो”,अनु ने कहा
“सिर्फ दो मिनिट के लिए”,गौरी ने मुन्ना से कहा
“ठीक है माँ लेकिन हमने उसे कल ही उसे वायर से अटैच किया है हम उसे नीचे नहीं ला पाएंगे”,मुन्ना ने कहा
“इट्स ओके अगर आपको प्रॉब्लम ना हो तो मैं वहा जाकर भी देख सकती हूँ”,गौरी ने कहा
“हाँ क्यों नहीं ? मुन्ना गौरी को लेकर जाओ तब तक मैं तुम सब के लिए चाय बना देती हूँ”,कहकर अनु चली गयी
“आईये,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। गौरी भी उसके पीछे पीछे चल पड़ी। मुन्ना ने कमरे का दरवाजा खोला और गौरी को अंदर आने को कहा। पहली बार कोई लड़की मुन्ना के कमरे में आ रही थी। गौरी कमरे में आयी , कमरे का माहौल काफी शांत था। गौरी कमरे को देखने लगी मुन्ना ने अपनी स्टडी टेबल पर रखे अपने लेपटॉप को ऑन किया और गौरी से कहा,”आप इसे इस्तेमाल कर सकती है”
“या थैंक्यू”,गौरी ने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा।
मुन्ना गौरी के पास ना रुककर अपने कमरे के दरवाजे के पास चला आया अपने दोनों हाथो को बांधा और दरवाजे से पीठ लगाकर खड़ा हो गया। गौरी अपना काम करने लगी। मुन्ना प्यार से बस गौरी को देखे जा रहा था। गौरी ने अपना काम खत्म किया और लेपटॉप बंद करके उठते हुए कहा,”थेंक्यू सो मच”
गौरी जैसे ही पलटी उसकी नजर दिवार के पास रखे बुक रेंक पर चली गयी जिसमे ढेर सारी किताबे थी। उसने मुन्ना की तरफ देखा और कहा,”इतनी सारी किताबे ?”
“हाँ ये सब हमारी है”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“क्या मैं देख सकती हूँ ?”,गौरी ने कहा
“या प्लीज”,मुन्ना ने वही खड़े खड़े कहा
गौरी रेंक के पास आयी और उन्हें देखने लगी लेकिन एक भी किताब उसके काम की नहीं थी। रेंक के सबसे ऊपर एक किताब थी जो की गौरी की हाइट से थोड़ी ऊपर थी। उस किताब को लेने के लिए उसने जैसे ही अपनी एड़ीया उठायी , कुर्ते के साइड कट से उसकी कमर नजर आने लगी और सहसा ही मुन्ना की नजर भी उस पर पड़ गयी। उसने नजरे घुमा ली। वह गौरी के पास आया और उस किताब को उतारकर गौरी को दे दी
“थैंक्स,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा और किताब को देखा लेकिन ये भी उसके लिए नहीं थी उसने किताब को वापस रखते हुए कहा,”ये भी मेरे काम की नहीं है , इतनी सारी किताबे है लेकिन इनमे एक भी नोवेल्स नहीं है,,,,,,,,,,,,,,आई मीन आप लव स्टोरी नहीं पढ़ते ?”
मुन्ना ने उस किताब को उठाया और उसे साफ कर रेंक में ठीक से जमाते हुए कहा,”मुझे लगता है दुनिया की सबसे खूबसूरत प्रेम कहानी होती है हमारी अपनी जिसे ना लिखा जा सकता है ना ही पढ़ा जा सकता है,,,,,,,,,,,बस सिर्फ महसूस किया जा सकता है”
मुन्ना ने अपनी बात इतनी सहजता से कही की उसकी बात सुनकर गौरी उसे देखने लगी !!
Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61 Main Teri Heer – 61
आखिर गौरी की बात से वंश को क्यों पहुंची ठेस ? क्या काशी शक्ति से फिर मिलेगी ? गौरी को क्या आएगा पसंद वंश की नादानियाँ या मुन्ना की सादगी जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 62
Read More – “मैं तेरी हीर” – 60
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संजना किरोड़ीवाल