Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 62

Main Teri Heer – 62

Main Teri Heer
Main Teri Heer

मुन्ना की बात सुनकर गौरी प्यार से एकटक मुन्ना को देखने लगी। मुन्ना ने गौरी को अपनी तरफ देखते पाया तो उसका दिल धड़क उठा। उसने गौरी की तरफ देखा और कहा,”अगर आपका काम हो गया हो तो चले ?”
“हाँ,,,,,,,,,,हाँ चलते है”,गौरी की तंद्रा टूटी और वह मुन्ना के साथ कमरे से बाहर चली आयी। मुरारी ऊपर किसी काम से आया था जैसे ही गौरी और मुन्ना कमरे से बाहर आये मुरारी की नजर उन दोनों पर पड़ गयी। मुरारी वही ऊपर सीढ़ियों के पास रुक गया गौरी ने मुरारी को देखा तो उसके पास आकर कहा,”हेलो अंकल”
“हम्म्म्म नमस्ते बिटिया,,,,,,,,,,,,तुमहु हिया ? हमारा मतलब मुन्ना के कमरे में,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने मुन्ना की तरफ देखते हुए पूछा
“पापा इन्हे मेरे लेपटॉप पर कुछ काम करना था इसलिए,,,,,,,,,,,,,!”,गौरी कुछ कहती इस से पहले ही मुन्ना बोल पड़ा
“अच्छा अच्छा कोई बात नहीं इसे अपना ही घर समझो,,,,,,,,,,,,आओ नीचे चलते है”,मुरारी ने कहा तो गौरी नीचे जाने के लिए आगे बढ़ गयी। मुन्ना भी उसके पीछे जाने लगा तो मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए धीमी आवाज में कहा,”हमे तो कभी ना करने दिया अपने लेपटॉप पे काम,,,,,,,,,,,,,,,जे स्पेशल है ?”
“पापा क्या बोल रहे है आप हम कुछ समझे नहीं,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना ने हिचकिचाते हुए कहा जबकि मुरारी का कहा वह समझ चुका था
“बेटा जिस स्कूल में तुम पढ़ रहे हो ना उस से हम पी.एच्.डी. कर चुके है,,,,,,,,,,,,,,पसंद है तो बात चलाये इनसे ?”,मुरारी ने अपने बेटे के साथ फ्रेंक होते हुए कहा तो मुन्ना ने मुरारी के हाथ से अपना कंधा निकाला और कहा,”हमे ना किसी जरुरी काम से बाहर जाना है , हम आप से बाद में मिलते है”
“अरे सुनो तो,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना”,मुरारी आवाज देता ही रह गया लेकिन मुन्ना तब तक जा चुका था। उसे देखकर मुरारी मुस्कुराये बिना ना रह सका और फिर मुरारी मुन्ना का बाप था अपने बेटे के मन में क्या चल रहा है ये भला उस से कहा छिप सकता था।
मुरारी भी नीचे चला आया और सबके साथ बैठकर बाते करने लगा। चाय नाश्ते के बाद अनु सबको अपना घर दिखाने लगी। घर देखते हुए ऋतू बड़बड़ाई,”यार अनु मौसी का घर कितना खूबसूरत है , जो भी लड़की काशी की भाभी बनेगी उसकी तो लाइफ बन जाएगी यहाँ आकर”
आगे चलते हुए गौरी ने सूना पहली बार उसे ऋतू की बातें थोड़ी चीप लगी पर उसने कुछ नहीं कहा वह अनु के साथ साथ ही चल रही थी। गौरी ने महसूस किया अनु बिल्कुल उसके जैसी ही थी मस्तमौला और चुलबुली। घर देखते देखते शाम हो चुकी थी काशी को याद आया उसे घाट पर आरती देखने भी तो जाना है उसने कहा,”अनु मौसी चलिए अब घाट पर चलते है”
“काशी मैं तुम यंग लोगो में जाकर क्या करुँगी ? तुम सब फ्रेंड्स जाओ और इंजॉय करो”,अनु ने कहा
“चलिए ना आंटी बहुत मजा आयेगा”,गौरी ने कहा
अनु उन सबका मुंह देखने लगी और फिर कहा,”वो दरअसल मुझे मुरारी के साथ बाहर जाना था”
“अहम्म्म्म तो ये बात है मौसी फिर तो हम आपको नहीं रोकेंगे,,,,,,,,,वैसे भी कभी कभी तो मुरारी चचा को मौका मिलता है बाहर जाने का,,,,,,!!”,काशी ने कहा तो अनु ने मुस्कुराते हुए गाल को छुआ और कहा,”थैंक्यू बेटा , तुम सब घूमकर आओ और हाँ मैं मुन्ना को भेज देती हु साथ में वो अच्छे से ले जायेगा और घूमने के बाद सभी यही चली आना दी से मैं बात कर लुंगी”
“ठीक है मौसी”,काशी ने खुश होकर कहा
ऋतू भी खुश थी की चलो मुन्ना भी उनके साथ जाएगा और उसे इम्प्रेस करने का उसके पास एक अच्छा मौका होगा। काशी इसलिए खुश थी की इसी बहाने अगर उसकी शक्ति से मुलाकात हो गयी तो वह उसे अपने दिल की बात कह देगी। गौरी को ये देखना था की आखिर ऐसा क्या है इस बनारस में जिसे लेकर काशी ने उसे इतना परेशान किया था ?
सभी घर से बाहर चली आयी। काशी ने मुन्ना को फोन किया तो उसने बताया उसे आने में 10 मिनिट लगेंगे। काशी सबके साथ वही बाहर लॉन में घूमने लगी। ऋतू प्रिया और काशी तीनो सेल्फी लेने में बिजी हो गई और गौरी वंश के बारे में सोचने लगी। जिस तरफ से उसने वंश से बात की उसे अब उसके बारे में सोचकर थोड़ा बुरा लग रहा था खैर कुछ देर बाद मुन्ना आया और काशी से कहा,”हाँ काशी क्या हुआ ?”
“हम सबको घाट की आरती देखनी है आप लेकर चलेंगे ना ?”,काशी ने प्यार से कहा
“ठीक है आओ”,मुन्ना ने कहा और पार्किंग में खड़ी जीप की तरफ बढ़ गया। मुन्ना जीप लेकर आया और सबसे बैठने को कहा
काशी मुन्ना के बगल में आ बैठी , ऋतू प्रिया और गौरी पीछे आ बैठी। मुन्ना की नजर जीप के अंदर लगे मिरर पर पड़ी उसमे पीछे बैठी गौरी का चेहरा नजर आ रहा था। मुन्ना एकटक उसे देखता रहा तो काशी ने कहा,”मुन्ना भैया क्या हुआ चलिए ना”
“हाँ,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मुन्ना ने जीप स्टार्ट की और घर से निकल गया। जीप चलाते हुए मुन्ना को याद आया की आज दोपहर के बाद से ही उसने वंश को नहीं देखा। ना ही वह काशी के साथ घर आया। उसने काशी से कहा,”काशी वंश कहा है ?”
“वंश भैया घर में ही होंगे , आप तो जानते ही है उन्हें घाट जाना बिल्कुल पसंद नहीं है”,काशी ने कहा
“कोई बात नहीं”,मुन्ना ने कहा और अस्सी घाट के सामने आकर जीप साइड में रोक दी। सभी नीचे उतर गए अभी आरती शुरू होने में थोड़ा वक्त था लेकिन लोग जमा होने लगे थे। गौरी , ऋतू और प्रिया पहली बार बनारस का अस्सी घाट देख रही थी उन्हें ये काफी रोमांचक लग रहा था। ऋतू प्रिया काशी के साथ अस्सी घाट की सीढ़ियों की और बढ़ गयी। गौरी ने हिल्स पहनी थी और उसे यहाँ चलने में थोड़ी दिक्कत आ रही थी। मुन्ना आया और गौरी को वही खड़े देखकर उसने कहा,”आप नहीं जा रही ?”
“चलिए चलते है”,गौरी ने कुछ देर सोचने के बाद कहा अब किसी लड़के के सामने वह हिल्स की वजह से शर्मिन्दा होना नहीं चाहती थी।
“हम्म्म आईये”,मुन्ना ने कहा और गौरी से कुछ दूरी बनाकर उसके साथ साथ चलने लगा। जैसे जैसे गौरी सीढिया उतर रही थी घाट का नजारा देखकर उसकी आँखों में चमक बढ़ती जा रही थी। वह मुस्कुराते हुए बस घाट को देखे जा रही थी। उसके बगल में चलते हुए मुन्ना ने गौरी को देखा और मन ही मन कहने लगा,”जिस लड़की से हम इंदौर में टकराये थे ये वो बिल्कुल नहीं है , उसकी आँखों में गुस्सा था और इनकी आँखों में सिर्फ मासूमियत है। क्या ये मुमकिन है की एक ही इंसान दो किरदार निभाए ? या फिर हमारी आँखों को धोखा हुआ है,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या करे इनसे पूछे या फिर महादेव पर छोड़ दे , क्योकि अभी के लिए तो इन्होने ऐसा कुछ नहीं किया जिस से हमे परेशानी हो,,,,,,,,,,,,,,हो सकता है ये वैसे बिल्कुल ना हो और इनकी असली पर्सनालिटी यही हो,,,,,,,,,,खैर हम इतना क्यों सोच रहे है ? अभी तो हमारी इनसे ठीक से बात भी नहीं हुई है इतनी जल्दी इन्हे जज करना सही नहीं होगा”
मुन्ना ने कहा और फिर सामने देखते हुए चलने लगा। चलते चलते गौरी ने मुन्ना को देखा तो मन ही मन कहने लगी,”काशी ने सच कहा था उसके मुन्ना भैया थोड़े अलग है और ये इन्होने साबित भी कर दिया काशी की मदद करके , मुझे शायद इसके लिए इन्हे थैंक्स कहना चाहिए”
सोचते हुए गौरी एकदम से मुन्ना के सामने आ गयी और कहा,”थैंक्यू सो मच”
“थैंक्यू किसलिए ?”,मुन्ना ने थोड़ा असमझ की स्तिथि में कहा
“आपने जो मेरी दोस्त के लिए किया उसके लिए , आप सच में एक बहुत अच्छे भाई हो”,गौरी ने मुस्कुराते हुए कहा तो मुन्ना उसकी मुस्कुराहट में खोकर रह गया। वह गौरी को देख ही रहा था की तभी वहा से गुजरते हुए एक लड़के ने जानबूझकर गौरी के कंधे को अपने कंधे से टकराया ऊपर जाने लगा
“ए दिखाई नहीं देता,,,,,,,,,,,,, !!”,गौरी ने कहा लड़का जैसे ही मुन्ना के बगल से गुजरा मुन्ना ने गौरी को देखते हुए लड़के की कॉलर पकड़ उसे रोक लिया और गौरी के सामने कर दिया। लड़के ने देखा उसकी कॉलर पकड़ने वाला कोई और नहीं मुन्ना है तो उसने डरते हुए कहा,”माफ़ करना मुन्ना भैया वो हमने देखा नहीं था”
“हम्म्म !”,मुन्ना ने गौरी की तरफ इशारा किया तो लड़का गौरी को सॉरी बोलकर वहा से चला गया। मुन्ना की इस अदा पर गौरी उस से इम्प्रेस हुए बिना ना रह सकी। मुन्ना ने देखा काशी और उसकी बाकि दो दोस्त नीचे है तो उसने गौरी से कहा,”आप चलिए हम आते है”
गौरी काशी की तरफ चली आयी। चारो साथ में घाट की खूबसूरती को निहारने लगी। मुन्ना पूजा के लिए फूल ले आया और थोड़े थोड़े सबको दे दिए। वह उन चारो से दो सीढिया छोड़कर खड़े हो गया। महादेव की आरती शुरू हुई। शंख और आरती के गुंजन से माहौल काफी खुशनुमा हो चला था। मुन्ना का ध्यान महादेव की आरती में था। काशी की नजरे शक्ति को ढूंढ रही थी लेकिन शक्ति उसे दिखाई नहीं दिया। गौरी तो बस उस वक्त खोकर रह गयी , इस मोमेंट को इतने सालो में क्यों नहीं देखा उसे इस वक्त इसी बात का अफ़सोस हो रहा था।
आरती खत्म हुई कुछ लोग वही सीढ़ियों पर बैठ गए तो कुछ अपने घर जाने के लिए वापस मुड़ गए। भीड़ में काशी को अचानक शक्ति नजर आया तो ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठी लेकिन अगले ही पल वो ख़ुशी गायब भी हो गयी क्योकि वहा मुन्ना के साथ साथ ऋतू और प्रिया भी मौजूद थी और उनके सामने शक्ति से मिलना या बात करना मुश्किल था। काशी मन ही मन महादेव से प्रार्थना कर रही थी की वो कुछ ऐसा करे जिस से उसे शक्ति से बात करने का मौका मिल जाये और वह उसे अपने दिल की बात कह सके।
“काशी वो वहा क्या है ? शायद कुछ इंट्रेस्टिंग होगा मैं और ऋतू देखकर आये ?”,प्रिया ने आकर एकदम से कहा तो काशी मन ही मन खुश हो गयी लेकिन अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”हाँ हाँ बिल्कुल देखकर आओ हम यही है”
“चल ऋतू चलते है”,प्रिया ने कहा और ऋतू का हाथ पकड़कर उसे ले जाने लगी
“अरे लेकिन मुझे मुन्ना से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,ऋतू ने कहा लेकिन प्रिया ने उसकी एक नहीं सुनी और कहा,”चलो ना यार देखकर आते है”
उनके जाने के बाद गौरी काशी की तरफ आयी देखा काशी किसी सोच में गुम है तो गौरी ने उसके सामने चुटकी बजाते हुए कहा,”हेलो मिस काशी कहा खोई हो तुम ?”
“शक्ति यही है और हमे उस से मिलना है लेकिन मुन्ना भैया के सामने उस से कैसे मिलने जाये ?”,काशी ने धीरे से कहा
“ओह्ह्ह वैसे मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूँ लेकिन एक शर्त पर,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कुछ सोचते हुए कहा
“हमे तुम्हारी सारीशर्तें मंजूर है”,काशी ने एकदम से कहा तो गौरी मुस्कुरा उठी और काशी से कहा,”मैं तुम्हारे भाई को यहाँ से लेकर जा रही हूँ तब तक तुम शक्ति से मिल सकती हो”
“थैंक्यू,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने खुश होकर कहा
गौरी मुन्ना की तरफ जाने के लिए मुड़ गयी दो कदम चलकर वापस काशी के पास आयी और कहा,”काशी वैसे तुम शक्ति के बारे में मुन्ना को बता सकती थी , वो तुम्हे समझता है”
“गौरी पहले हम शक्ति के दिल की बात जानना चाहते है उसके बाद ही हम कोई फैसला कर सकते है। मुन्ना भैया और वंश भैया हमसे बहुत प्यार करते है लेकिन अगर उन्हें शक्ति के बारे में पता चला तो पता नहीं वो क्या करेंगे ? इसलिए हमे अभी उन्हें कुछ नहीं बताना”,काशी ने कहा
“समझ गयी , मैं चलती हूँ”,कहकर गौरी मुन्ना की तरफ चली आयी और उसके बगल में खड़े होकर कहा,”मैंने इस से खूबसूरत जगह आज से पहले कभी नहीं देखी , कितना सुकून है यहाँ”
मुन्ना ने सूना तो गौरी की तरफ देखने लगा जो की घाट के पानी को देख रही थी। मुन्ना ने गौरी से नजरे हटाई और सामने देखते हुए कहा,”आपको ये शहर पसंद आया ?”
“हाँ बहुत,,,,,,,,,,,,,उम्मीद से भी ज्यादा”,गौरी ने कहा
“और यहा के लोग ?”,मुन्ना ने एकदम से पूछ लिया
“यहाँ के लोग काफी अच्छे है,,,,,,,,,,,,धीरे धीरे वो भी पसंद आ जायेंगे”,गौरी ने कहा तो मुन्ना मुस्कुराने लगा। अपने कॉलेज में सेंकडो स्टूडेंट्स के सामने बेझिझक स्टेज पर बोलने वाला मुन्ना गौरी के सामने शांत था। वह गौरी से बात करना चाहता था , उसके बारे में जानना चाहता था लेकिन शुरुआत कहा से करे कुछ समझ नहीं आया। वह गौरी से कुछ कहता इस से पहले ही गौरी उसकी ओर पलटी और बोल पड़ी,”मुझे ये घाट और देखना है , क्या हम वाक पर चले ?”
मुन्ना ने सूना तो फिर गौरी को देखने लगा और कहा,”ठीक है चलिए”
मुन्ना गौरी को साथ लेकर चल पड़ा। दोनों साथ साथ ही चल रहे थे लेकिन खामोश। चलते चलते गौरी ने कहा,”वैसे आपसे एक बात पूछ सकती हूँ ?”
“हाँ पूछिए”,मुन्ना ने कहा
“आपका नाम मुन्ना क्यों है ? आई मीन अजीब नहीं लगता जब कोई आपको इस नाम से बुलाता है ?”,गौरी ने डरते डरते पूछा
मुन्ना हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”बचपन में पापा ने हमारा ये नाम रखा था फिर तबसे सब इसी नाम से बुलाने लगे और अब सबको आदत हो गयी। वैसे हमारा नाम “मानवेन्द्र” है”
“ये और भी अजीब है , लाईक पुराने ज़माने में राजा महाराजा होते थे उनके नाम की तरह ,, किसी ने आपको अच्छा नाम क्यों नहीं दिया ?”,गौरी ने कहा जो की अपनी बात रखने के मामले में फ्रेंक थी
“आप चाहे तो आप दे सकती है”,मुन्ना ने गौरी की तरफ देखकर कहा
“मैं ?,,,,,,,,,,,,,,,,मैं कैसे कोई नाम दे सकती हूँ ?”,गौरी ने झिझकते हुए कहा
गौरी की बात सुनकर मुन्ना हल्का सा मुस्कुराया और फिर आगे बढ़ गया। गौरी फिर उसके बगल में चलने लगी और जब उस से रहा नहीं गया तो उसने कहा,”वैसे मेरे पास आपके लिए एक अच्छा नाम है”
“क्या ?”,मुन्ना ने पूछा
“वो नाम है “मान” , ये कूल भी है और आप पर सूट भी करेगा”,गौरी ने मुस्कुरा कर कहा
मुन्ना ने सूना तो उसका दिल धड़क उठा। पहली बार उसे अपने बड़े नाम का इतना खूबसूरत छोटा और प्यारा नाम सुनने को मिला था। उसके होंठ धीरे से बुदबुदाए,”मान”
“अच्छा है ना ?”,गौरी ने बच्चो की तरह चहकते हुए कहा
“हम्म्म अच्छा है”,मुन्ना को वह नाम पसंद आया और आता भी क्यों नहीं गौरी ने इतने प्यार से उसका ये नाम रखा था। गौर ने सूना तो खुश होकर कहा,”तो फिर आज से मैं आपको “मान” कहकर बुलाऊ ?”
वह आगे कुछ कहती या मुन्ना उसकी बात का जवाब देता इस से पहले ही उसकी हील मुड़ी और गौरी पीछे गिरने लगी। मुन्ना ने देखा तो उसका हाथ गौरी की कमर से जा लगा और उसने उसे गिरने से बचा लिया लेकिन खुद उसकी बड़ी बड़ी आँखों के समंदर में गिर गया। उसका दिल इस वक्त बहुत तेज धड़क रहा था। वह खामोश सा गौरी को देखे जा रहा था। मुन्ना के चेहरे पर बेचैनी देखकर गौरी ने जैसे ही अपना हाथ उसके सीने पर रखा उसे महसूस हुआ की मुन्ना का दिल जोरो से धड़क रहा है। गौरी के हाथ रखते ही मुन्ना ने एक गहरी साँस ली उस पल लगा जैसे गौरी के छूने से उसकी धड़कने ही रुक गयी हो।
दोनों एकटक एक दूसरे की आँखों में देखते रहे , गौरी काशी की मदद करने आयी थी और खुद ही मुन्ना की गिरफत में आ गयी।

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क्या काशी मिल पायेगी शक्ति से और कह पायेगी उसे अपने दिल का हाल ? क्या वंश फिर बात करेगा गौरी से या भूल जाएगा उसे ? क्या मुन्ना को होने लगा है गौरी से प्यार ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 63

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