मैं तेरी हीर – 37
Main Teri Heer – 37
Main Teri Heer – 37
निशि को प्यार से देखने के चक्कर में वंश अपनी मैग्गी जला चुका था। उसने किचन में आकर देखा उसकी मैग्गी तो पूरी तरह से जल चुकी थी। वंश के पीछे पीछे निशि भी किचन में चली आयी और जली हुई मैग्गी को देखकर कहा,”ये तो पूरा जल गयी है।”
वंश ने सूना तो निशि के लिये उसका प्यार एकदम से गुस्से में बदल गया और उसने पलटकर कहा,”हाँ ! और ये तुम्हारी वजह से हुआ है।”
कहते हुए वंश निशि के इतना करीब आ गया कि बेचारी निशि की पीठ किचन के प्लेटफॉर्म से जा लगी। निशि का दिल तेजी से धकड़ने लगा और वंश बस उसे घूरे जा रहा था। वंश का यू घूरना निशि को अच्छा नहीं लगा तो उसने वंश को पीछे धक्का देकर कहा,”जब तुम्हे खाना बनाना ही नहीं आता तो क्यों खुद को मास्टर सेफ समझते हो ?”
वंश गिरते गिरते बचा और कहा,”तुम सच में लड़की ही हो ना ?”
“व्हाट डू यू मीन लड़की ही हो ?”,निशि ने गुस्से से कहा
“क्योकि कोई लड़की इतनी जोर से धक्का नहीं मारती,,,,,,,,,वैसे भी तुम जब भी मेरे आस पास रहती हो गड़बड़ जरूर होती है।”,वंश ने गैस बंद कर किचन से बाहर जाते हुए कहा
“हाह कितना बद्तमीज है ये , घर आये मेहमान को पानी के लिये पूछना तो दूर बैठने तक को नहीं कहा। ऊपर से इतना भाव खा रहा है जैसे इसने यहाँ रहकर हम सब पर अहसान किया हो।”,किचन में खड़ी निशि बड़बड़ाई
“ओह्ह्ह हेलो ये मन ही मन मुझे गली देना बंद करो।”,वंश ने सोफे पर बैठते हुए कहा।
हालाँकि बुखार की वजह से उसे भूख नहीं थी लेकिन मेघना ने खाना भेजा है सोचकर वंश ने बैग से खाना निकाला और निशि से कहा,”मैंने तुम्हे माफ़ किया क्या अब तुम मेरे लिये एक प्लेट और चम्मच लेकर आओगी ?”
“आर्डर तो ऐसे दे रहा है जैसे मैं इसकी वाइफ हो,,,,,,,,,,,,,,,,!”,निशि बड़बड़ाई और फिर ऊँची आवाज में कहा,”लाती हूँ।”
निशि ने किचन से प्लेट , कटोरी लिया और जब चम्मच उठाने लगी तो नजर साथ पड़े चाकू पर भी चली गयी निशि ने चाकू को उठाया और उसे ऐसे देखने लगी जैसे वो अभी जाकर इस चाकू से वंश का खून कर देगी।
“हेलो मिस ! मुझे डिनर आज रात ही करना,,,,,,,,,,!!”,वंश की आवाज से निशि की तंद्रा टूटी उसने जल्दी से चाकू रखा और चम्मच प्लेट में रखकर किचन से बाहर चली आयी। निशि ने बर्तन लाकर वंश के सामने पड़ी टेबल पर थोड़ा जोर से रखे।
“थैंक्यू,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
वंश के मुंह से थैंक्यू सुनकर निशि को अच्छा लगा और उसने मन ही मन कहा,”ये इतना बुरा भी नहीं है।”
“अब जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने खाना खाते हुए कहा
“हहहहह,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“मैंने कहा घर जाओ , अंकल नीचे तुम्हारा वेट कर रहे होंगे ना,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि की तरफ देखकर कहा
निशि एक बार फिर वंश को घूरने लगी उसे लगा वंश उसे साथ खाने को कहेगा या थोड़ी देर बैठने को कहेगा लेकिन यहाँ तो वंश भाव खा रहा था। निशि ने मन ही मन कहा,”बल्कि ये तो बहुत बुरा है।”
निशि ने कुछ नहीं कहा और वहा से जाने लगी तो वंश ने कहा,”सुनो !”
निशि को लगा वंश ने उसे रोकने के लिये कहा है लेकिन जैसे ही निशि पलटी वंश ने कहा,”आंटी को मेरा थैंक्यू कहना और उनसे कहना खाना बहुत अच्छा बना है।”
“ठीक है और कुछ ?”,निशि ने बड़ी सी स्माइल के साथ कहा
“अच्छी लग रही हो , ऐसे ही खुश रहा करो।”,वंश ने कहा और फिर से अपना ध्यान खाने पर लगा लिया। निशि पैर पटकते हुए वहा से चली गयी। वंश ने पलटकर देखा और मुस्कुरा उठा। निशि के घर आने से वंश खुश था।
भुनभुनाते हुए निशि बिल्डिंग से बाहर आयी। नवीन गाड़ी के बाहर ही खड़ा था। निशि को देखकर नवीन गाड़ी में आ बैठा और निशि भी आकर उसके बगल में बैठ गयी। निशि का उखड़ा हुआ मूड देखकर नवीन ने कहा,”क्या हुआ ? क्या तुम वंश से मिली ?”
“हाँ डेड ! पता है वो बहुत अजीब है।”,निशि ने नवीन की तरफ पलटकर कहा
“ठीक है पर क्या तुमने उसे सॉरी कहा ?”,नवीन ने फिर सवाल किया
“हाँ डेड ! मैंने उसे सॉरी बोल दिया है। “,निशि ने कहा
“वैरी गुड देट्स माय गर्ल , अब इस से तुम्हारा गिल्ट कम हो जाएगा।”,नवीन ने गाडी आगे बढ़ाते हुए कहा
“गिल्ट ? कैसा गिल्ट डेड ?”,निशि ने पूछा
“तुमने उसे इतना परेशान किया , इंसल्ट किया उसका गिल्ट बेटा,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा
ओह्ह्ह कम ऑन डेड अब आप मुझे उस वंश से भी ज्यादा अजीब लग रहे हो।”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा तो नवीन मुस्कुरा उठा।
दोनों बातें करते हुए घर के लिये निकल गए।
बनारस , मणिकर्णिका घाट
कॉरिडोर की सीढ़ियों पर बैठा राजन सामने बहती माँ गंगा की लहरों को आते जाते देख रहा था। माँ गंगा का पानी इस वक्त उसकी आँखों को सुकून और ठंडक का अहसास दे रहा था। यादास्त जाने के बाद राजन के साथ एक सबसे अच्छी बात ये हुई कि उसकी जिंदगी में अब किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी। राजन कुछ देर वहा बैठा और फिर सीढ़ियों से उतरकर नीचे की तरफ चला आया।
घूमते घामते राजन की नजर भूषण और उसके आदमियों पर गयी जो कि चाय की टपरी पर खड़े चाय पी रहे थे। राजन उनकी तरफ जाने लगा लेकिन कुछ कदम चलते ही राजन को अपने पिताजी की कही बात याद आ गयी और उसने अपने कदम पीछे लेते हुए कहा,”नहीं तुमको उस लड़के से नहीं मिलना है याद है ना तुमने पिताजी से वादा किया था। बनारस में कोई दोस्त भी तो नहीं है हमारा जिस के साथ बैठे , बतियाये और बनारस घूमे।”
राजन एकदम नीचे पानी के पास वाली सीढ़ी पर चला आया और अपने पैरो को लटकाकर बैठ गया। खामोश बैठा वह पानी में तैरती उन नावों को देखने लगा। इत्तेफाक से मुन्ना भी आज उसी घाट की तरफ आया हुआ था। गलियारे से होकर सीढ़ियों से उतरते मुन्ना को भूषण के आदमी ने देखा तो कहा,”भूषण भैया , मुन्ना ,, अकेला है कहो तो निपटाय दे ?”
मुन्ना फोन कान से लगाए हँसते मुस्कुराते सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था। उसने ध्यान भी नहीं दिया कि कुछ ही दूर टपरी पर भूषण और उसके आदमी मौजूद है। भूषण ने मुन्ना को फोन पर बिजी देखा तो अपने आदमी से कहा,”आज तो शिकार खुद चल के आया है , जाओ आजमालो तुम भी अपनी किस्मत,,,,,,,,,,,,पर निपटाना नहीं है बस उसको महसूस करवाना है कि बनारस में अब उह सेफ नहीं है।”
“समझ गए भैया !”,लड़के ने चाय खत्म कर कप फेंकते हुए कहा और मुन्ना की तरफ बढ़ गया। कॉरिडोर की सीढ़ियों से उतरकर मुन्ना घाट की सीढ़ी पर चला आया। भूषण के लड़के ने अपनी पेंट की जेब से फोल्डिंग चाकू निकाला और मुन्ना की तरफ बढ़ गया। मुन्ना हँसता मुस्कुराता चला आ रहा था। भूषण का आदमी बस मौके की तलाश में था जैसे ही वह मुन्ना के बगल से गुजरा उसने चाकू को तेजी से मुन्ना की बाँह पर मारा।
एक तेज कट मुन्ना की बाँह पर लग गया। मुन्ना ने खुद को सम्हाला और चारो तरफ देखा लेकिन भीड़ में वह लड़का मुन्ना को दिखाई नहीं दिया। दर्द से मुन्ना के दाँत भींच गए। उसने फोन जेब में डाला और दूसरे हाथ से अपनी बाँह को थाम लिया।
मुन्ना समझ गया कि हो ना हो ये जरूर किसी जानने वाले का काम है उसने चारो तरफ देखा तो उसे टपरी पर बैठा भूषण और उसके आदमी दिखाई दिये। मुन्ना को समझते देर नहीं लगी ये सब किसका काम है ?
वह गुस्से से जैसे ही टपरी की तरफ बढ़ा भूषण ने चाय का कप फेंककर अपने आदमियों से कहा,”चलो रे !”
दर्द की वजह से मुन्ना को रुकना पड़ा। भूषण अपने आदमियों के साथ वहा से चला गया। मुन्ना को हलकी खरोच लगी थी गनीमत था कट ज्यादा गहरा नहीं था। सीढ़ी पर बैठे बैठे राजन जब ऊब गया तो घर जाने का सोचकर उठा और जैसे ही जाने लगा उसकी नजर मुन्ना पर पड़ी। मुन्ना को वहा देखकर राजन के चेहरे पर चमक और होंठो पर मुस्कुराहट तैर गयी।
“अरे ये तो मुन्ना है,,,,,,,,,,!!”,राजन ने खुश होकर कहा और मुन्ना की तरफ बढ़ गया।
राजन मुन्ना के पास आया और जब उसकी बाँह में लगी चोट को देखा तो घबराकर कहा,”ये किसने किया ?”
“पता नहीं कौन था ?”,मुन्ना ने अपनी बाँह से निकलते खून को देखकर कहा
“इसमें तो खून निकल रहा है , जरा हमे दिखाओ”,कहते हुए राजन मुन्ना की बाँह देखने लगा। राजन को ऐसे परवाह करते देखकर मुन्ना को वंश की याद आयी
उसकी आँखों में नमी तैर गयी। राजन ने मुन्ना की बाँह देखी और अपनी जेब से रुमाल निकालकर उसे मुन्ना की बाँह पर बांधते हुए कहा,”चिंता करने वाली बात नहीं है हल्का सा घाव है ठीक हो जाएगा।”
“शुक्रिया !”,मुन्ना ने कहा
“क्या यार मुन्ना दोस्त भी कहते हो और शुक्रिया भी कहते हो। वैसे तुम यहाँ ? हमारी तरह घूमने आये होंगे ?”,राजन ने मुन्ना से सवाल किया और जवाब भी खुद ही दे दिया
“किसी काम से आये थे। तुम बताओ ?”,मुन्ना ने कहा
“अरे मुन्ना आज पता है का हुआ ? हमने सेंटी होकर दो चार डायलॉग मारे पिताजी के सामने और बस फिर क्या उन्होंने हमे अकेले बाहर आने की परमिशन दे दी। बस इसी ख़ुशी में घाट घूमने चले आये,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे वो वहा क्या हो रहा है ?”,कहते हुए राजन की नजर मणिकर्णिका पर जलती चिता पर पड़ी और उसने मुन्ना से पूछ लिया।
“वहा मणिकर्णिका घाट है , उसे मसान भी कहते है और अभी तुमने जो देखा वहा किसी का अंतिम संस्कार हो रहा है।”,मुन्ना ने जलती हुई चिता को देखकर कहा
“बढ़िया लग रहा है। पास से चलकर देखे का ?”,राजन ने बच्चो की तरह आँखों में चमक भरकर कहा तो मुन्ना उसे मना नहीं कर पाया और चलने का इशारा किया। मुन्ना से बातें करते हुए राजन मणिकर्णिका घाट की तरफ बढ़ गया।
दोनों मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर चले आये। जहा एक बड़ी सी मजबूत दिवार पर “मणिकर्णिका घाट” लिखा हुआ था। वहा एक साथ 2 चिताये जल रही थी। कहा जाता है बनारस के इस घाट पर चिता कभी शांत नहीं होती। राजन और मुन्ना साथ खड़े होकर उन्हें देखने लगे। चिताओ से निकलती आग और धुएं में मुन्ना खोकर रह गया वही राजन भी वह सब देखकर निशब्द था तभी दोनों के कानों में कुछ शब्द पड़े “राम नाम सत्य है।”
मुन्ना की तंद्रा टूटी उसने देखा कुछ लोग शव उठाये सीढ़ियों से चले आ रहे है। राजन भी उन्हें देखने लगा मुन्ना की नजर राजन पर पड़ी तो उसने कहा,”खुशनसीब है वो लोग जिन्हे मरने के बाद मणिकर्णिका घाट का मसान नसीब होता है।”
राजन ने सूना तो मुस्कुराया और कहा,”हाँ मुन्ना सही कहा , पर कभी कभी लोगो की जिंदगी जीते जी भी मसान बन जाती है।”
राजन ने इतनी गहरी बात कही कि मुन्ना उसके चेहरे की ओर देखने लगा। राजन के कहे इन शब्दों के पीछे क्या राज था ये तो मुन्ना नहीं समझ पाया लेकिन राजन की आँखों में उसे वही आग दिखाई दे रही थी जो कुछ देर पहले उसने जलती हुई चिता में देखी थी।
इंदौर , शक्ति का घर
देर रात अपने घर के ऑफिस रूम में बैठा शक्ति काशी के बारे में सोच रहा था। अब तक जो कुछ भी हुआ उसके बाद से शक्ति को ये तो यकीन हो चुका था कि ये सब काशी से जुड़ा है। शक्ति ने अपनी तरफ से बहुत छानबीन की लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। विश्वास गर्ग इस घटना से जुड़ा था लेकिन छानबीन करने पर शक्ति ने पाया कि वो घटना से 4 दिन पहले ही ये शहर छोड़कर चला गया था।
उसके बाद लेटर में काशी से दूर रहने की धमकी मिलना शक्ति कुछ समझ नहीं पा रहा था। जिस गन से गली चली थी वह गोली भी शक्ति की गन की थी। शक्ति इन सब ख्यालो में उलझकर रह गया , उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
वह उठा और घर की छत पर चला आया। ऊपर आकर शक्ति ने जेब से सिगरेट निकाली और जलाकर अपने होंठो के बीच रख ली। एक दो कश भरने के बाद शक्ति की बेचैनी कुछ कम हुई।
शक्ति वही छत पर घूमने लगा और मन ही मन खुद से कहा,”काशी से हम डायरेक्टली सब पूछ नहीं सकते , अगर पूछा भी तो वह खामखा परेशान हो जाएगी। वैसे भी हमे काशी को इन सब मुसीबतो में नहीं डालना चाहिए। हमे खुद ही सब पता लगाना होगा , क्यों ना हम मुन्ना से बात करे , काशी घर में सब से ज्यादा मुन्ना के करीब है और उसे से हर बात शेयर करती है।
अगर ये सच है तो फिर हो सकता है काशी ने मुन्ना को विश्वास गर्ग के बारे में भी बताया हो ? कही इन सब से मुन्ना हमे गलत ना समझ आखिर काशी है तो उसकी बहन ही ना,,,,,,,,,,,,,फिर वो अपनी बहन जुडी बातें हमे क्यों बताएगा ? अब तो सिर्फ एक रास्ता बचता है और वो है काशी,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे काशी से ही सब सच जानना होगा , आखिर कौन है ये विश्वास गर्ग और काशी से उसका क्या रिश्ता है ?”
शक्ति ने मन ही मन एक फैसला किया और सिगरेट के कश लगाने लगा। देर रात शक्ति नीचे अपने कमरे में चला आया और आकर सो गया।
सुबह शक्ति उठा और काशी को फोन करके मिलने को कहा। काशी सुबह सुबह अधिराज जी के साथ वाक पर जाया करती थी इसलिए उसने शक्ति से वही मिलने को कहा। अधिराज जी और काशी हर रोज की तरफ सुबह सुबह घूमने निकल पड़े। कुछ देर बाद शक्ति भी उन्हें मिल गया। बच्चे साथ घूम ले सोचकर अधिराज थोड़ा आगे बढ़ गए और आगे चल रहे अपने दोस्तों के साथ वाक करने लगे।
“इतनी सुबह सुबह हम से क्यों मिलना चाहते थे शक्ति ? कही तुम्हे हमारी ज्यादा ही याद तो नहीं आने लगी है।”,काशी ने शक्ति के बगल में चलते हुए शरारत से कहा तो शक्ति रुका और काशी के सामने आकर कहा,”काशी हमे तुम से एक जरुरी बात करनी है।”
शक्ति को सीरियस देखकर काशी ने कहा,”हाँ कहो !”
“क्या तुम किसी “विश्वास गर्ग” को जानती हो ?”,शक्ति ने काशी की आँखों में देखते हुए कहा
शक्ति के मुँह से “विश्वास गर्ग” का नाम सुनकर काशी का दिल धड़क उठा वह शक्ति की तरफ देखने लगी और कहा,”नहीं हम किसी “विश्वास गर्ग” को नहीं जानते है।”
काशी का जवाब सुनकर शक्ति मुस्कुराया और काशी के साथ आगे बढ़ गया।
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संजना किरोड़ीवाल
यार ये काशी ने फिर से शक्ति को विश्वास के बारे में नहीं बताया… देखना एक दिन इसकी वजह से शक्ति बुरा फंसेगा…और शायद काशी भी… वैसे शक्ति मुन्ना की जगह गौरी से भी पूछ सकता है ना, क्यों मुन्ना से विश्वास के बारे में पूछकर काशी की की मुश्किल बढ़ा रहा है…खैर ये भूषण अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगा… मुन्ना को अब इसे सबक सिखाना चाहिए…बस राजन की यादें वापस नहीं आनी चाहिए, नहीं तो गड़बड़ हो जाएगी…और ये निशि तो जल्दी चली गई वंश के पास से… मुझे तो लगा था कि उसे वंश के बुखार के बारे में तो पता चलेगा, पर हुआ कुछ नहीं
Kashi ko sab bata dena chahiye, Shakti se kuch chhupana galat ho jayega ❤️🧡🧡
Aur ye Nishi kyu itne jaldi Chali gayi, kuch Jayda hi rud nhi ho rahi hai ❤️❤️❤️
Kya Rajan ki yaaddast sach me gyi ya natak kr raha hai wo
Kashi ne Sakti se jhut kyu bola use sb such bta dena tha
Kashi ko Shakti ko sach bata dena chahiye per usne keh diya ki voh nahi janti Vishwas ko…Ranjan ko kushi mili Munna ko waha ghar per dekh kar aur usse aise parva karte dekh usse Vansh ki yaad agayi..aur yeah Bhushan aur uske ladke ek mauka nahi chod the Munna ko chod paunchane ke liye…Vansh kush hai Nishi ke aane se per voh uske samne aise behave kiya jaise usse fark nahi padta jisse Nishi usse aur gussa hogayi…nice part Maam♥♥♥♥
Kaashi ko shaki se sach bta dena chahiye tha