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मैं तेरी हीर – 21

Main Teri Heer – 21

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 21

उर्वशी ने अपनी समस्या मुरारी को बताई और चाय खत्म कर उठते हुए कहा,”अच्छा मुरारी अब मुझे चलना चाहिए।”
“हाँ , आप कहे तो हम ड्राइवर से कहकर घर तक छुड़वा दे आपको ?”,मुरारी ने भी अपनी अच्छाई का परिचय देते हुए कहा
“अरे घर कहा मैं तो पिछले 4 दिनों से होटल में ठहरी हूँ , आप परेशान मत होईये मेरी गाड़ी बाहर खड़ी है मैं चली जाउंगी।”,उर्वशी ने मुस्कुराते हुए कहा


“अरे महादेव ! बनारस में मेहमान होकर आप होटल में रह रही है , चौहान साहब को पता चला तो हमको कभी माफ़ ना करी है उह,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“तभी तो मुझे आपकी मदद चाहिए उस नहर वाले बंगले के लिये,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने कहा
“अरे समझो हो गया आज ही भैया से बात करते है। अभी आप हमारी पहुँच जानती नहीं है,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी बोलते बोलते उर्वशी का नाम भूल गया
“उर्वशी,,,,,,,,,उर्वशी मिश्रा”,उर्वशी ने अपना नाम मुरारी को याद दिलाते हुए कहा


“हाँ वही , बेफिक्र रहिये आपका काम हो जायेगा।”,मुरारी ने कहा
उर्वशी वहा से जाने लगी मुरारी भी उसे बाहर तक छोड़ने का सोचकर साथ चल पड़ा। सामने से अनु चली आ रही थी। मुरारी का ध्यान तो उर्वशी को देखने में था लेकिन उर्वशी की नजर अनु पर पड़ गयी और उसके दिमाग में एक शैतानी ख्याल दौड़ने लगा। अनु को आते देखकर उर्वशी ने जान बूझकर अपना पैर मोड़ा और जैसे ही गिरने को हुई मुरारी ने आगे बढकर उसे अपनी बांहो में थाम लिया और गिरने से बचा लिया।


मुरारी अपनी नयी मेहमान के साथ ऐसे देखकर अनु का चेहरे गुस्से से तमतमा उठा और किशना की कही बात उसे सच लगने लगी। रही सही कसर घर के बगल से गुजरते रिक्शा में बजते गाने में पूरी कर दी। अपनी बाँहो में उर्वशी को थामे मुरारी उसकी आँखों में देखे जा ही रहा था कि तभी रिक्शा में गाना बजने लगा,”देखा है पहली बार , साजन की आँखों में प्यार,,,,,,,,,,,,,अब जाके आया मेरे बैचैन दिल को करार”
अनु ने सूना तो उसने गुस्से से कहा,”मुरारी,,,,,,,,,,!!”


अनु की आवाज का असर था या उसके गुस्से का डर मुरारी ने अपनी बाँहो में पकड़ी उर्वशी को एकदम से छोड़ दिया और वह जमीन पर आ गिरी। मुरारी को काटो तो खून नहीं अनु को गुस्से में देखकर मुरारी अंदर ही अंदर डर गया लेकिन अपने उस डर को चेहरे पर आने नहीं दिया और अनु की तरफ आते हुए कहा,”अरे अनु ! का हुआ ? का कोनो भूत वुत देख लिया का जो इता जोर से चिल्लाई”


घर के माली ने जब उर्वशी को नीचे गिरा देखा तो दौड़कर उसके पास आया और अपना हाथ उसकी ओर बढाकर कहा,”अरे साहब ने तो आपको गिरा दिया , लाईये अपना हाथ दीजिये”
“हुंह माय फुट,,,,,!!?”,कहते हुए उर्वशी खुद ही उठी और अपने कपडे झाड़कर खड़ी हो गयी।
अनु ने उर्वशी को देखा तो उसकी तरफ आयी और कहा,”भूत नहीं मुरारी चुड़ैल , वो मैं चुड़ैल देखकर डर गयी थी।”


चुड़ैल शब्द कहते हुए अनु की नजर उर्वशी पर ही थी। मुरारी ने सूना तो कहा,”का यार अनु तुमहू भी दिन में का भूत चुड़ैल दिखते है भला,,,,,,,,,,अच्छा इन से मिलो जे है उर्वशी मिश्रा , उह्ह चौहान साहब है ना जो होली पर घर आये थे उनकी रिश्ते मा बहन है। किसी जरुरी काम से बनारस आयी है।”
“और वो काम तुम पूरा कर ही दोगे है ना मुरारी,,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने लगभग मुरारी पर तंज कसते हुए कहा
“हाँ लेकिन तुमको कैसे पता ? तुम का छुप छुप के हमरी बाते सुन रही थी ?”,मुरारी ने हैरानी से कहा


“मुरारी तुम कितने सीधे हो , अब बहन का काम भाई नहीं करेगा तो और कौन करेगा ? हाँ,,,,,!”,अनु ने मुरारी के कुर्ते की कॉलर ठीक करते हुए कहा
“बहन-भाई मतलब,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने उलझनभरे स्वर में कहा
“मुरारी तुम भी मिश्रा , ये भी मिश्रा , तो मिश्रा मिश्रा हुए ना भाई बहन,,,,,,,,,,अब अंदर चलिए मैं आपके लिए नाश्ता लगाती हूँ।”,अनु ने अपने हाथ को बंद कर मुट्ठी बांधते हुए कहा।

मुरारी समझ गया उर्वशी को घर में देखकर अनु को अच्छा नहीं लगा है और अंदर जो नाश्ता उसका इंतजार कर रहा है वो उसे बहुत भारी पड़ने वाला है। मुरारी ने अनु के हाथ को नीचे करते हुए कहा,”तुम चलो हम इनको ज़रा बाहर तक छोड़कर आते है , मेहमान है ना।”


“इनको बाहर का रास्ता मैं दिखा दूंगी आई मीन मैं इन्हे बाहर तक छोड़कर आती हूँ तुम चलकर नाश्ता करो।”,अनु ने उर्वशी की साइड आकर कहा
मुरारी ने वहा से जाने में ही अपनी भलाई समझी क्योकि अनु को वो बहुत अच्छे से जानता था। उसने उर्वशी को नमस्ते किया और वहा से चला गया।

उर्वशी ने अनु की तरफ देखा तो अनु मुस्कुरा दी और कहा,”चले ?”
“जी बिल्कुल,,,,,,,!!”,उर्वशी ने बहुत ही चिढ़े हुए स्वर में कहा और अनु के साथ चल पड़ी।
चलते चलते अनु ने उर्वशी को समझाते हुए कहा,”बनारस में मेहमान बनकर आयी हो तो मेहमान बनकर रहो परमानेंट बनने का मत सोचो,,,,,,,,,,,,,,बनारस बाहर के लोगो को अपना सकता है बनारस के लोग नहीं,,,,,,,,,,,!!”
उर्वशी ने सूना तो उसने अनु के सामने हाथ जोड़कर कहा,”जी नमस्ते,,,,,,,,,,!!”


उर्वशी वहा से चली गयी अनु ने कम शब्दों में ही उसे एक बड़ी चेतावनी जो दे दी थी।  उर्वशी के जाने के बाद मुरारी की खबर लेने का सोचकर अनु अंदर आयी। अंदर आकर अनु ने देखा मुरारी घर के मंदिर वाले एरिया में बैठा है। अनु ने वहा कर कहा,”मुरारी,,,,,,,,,,,,!!”
अनु से बचने के लिये ही मुरारी वहा बैठा था जैसे ही अनु ने उसे पुकारा मुरारी जोर जोर से हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा और अनु उसे घूरते हुए वहा से चली गयी।

बनारस , शिवम् का घर

नाश्ता कर शिवम् अपने सीमेंट गोदाम के लिए निकल गया। सारिका भी डायनिंग टेबल पर पड़े बर्तनो को उठाने लगी तो आई ने आकर उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,”सारिका बिटिया जे सब का है ? रखो सारे बर्तन नीचे,,,,,,,!!”
सारिका ने हाथ में पकडे बर्तन नीचे रखे और कहा,”क्या हुआ आई ? हम से कोई गलती हुयी क्या ?”
“हाँ बिल्कुल ! बहुते बड़ी गलती हुई है तुम से,,,,,,,,!!”,आई ने गंभीरता से कहा


सारिका ने सूना तो हैरानी से आई को देखने लगी और सोचने लगी कि उसने ऐसा क्या कर दिया जो आई को अच्छा नहीं लगा। सारिका को ऐसा कुछ याद नहीं आया और उसने पूछा,”आप ही बताईये हम से क्या गलती हुई है ?”
“बिटिया एक गलती हो तो बताये , गलतियों का पूरा पुलिंदा है हमरे पास,,,,,,,,,हमको सब से पहिले जे बताओ तुम इह घर की बहू हो के काम वाली ?”
“ये कैसा सवाल है आई ?”,सारिका ने कहा


“नहीं बताओ हमका , तुम्हरी अपने प्रति कोनो जिम्मेदारी बनती है कि नहीं , अरे हम का तुमको इह घर मा इहलिये ब्याहकर लाये रहे कि तुम बस दिन रात जे रसोईघर का काम करती रहो और सबकी जरूरत के हिसाब दिनभर घर में चक्कर घिनि बनी रहो। बिटिया तुम्हरी पढाई , तुम्हरे चाइल्ड होम के बारे में भी कुछो सोचो , जे ना भूलो की तुम अब भी उह बंबई वाली सारिका ही हो जो अपने अप्लोय को अनुसासन मा रखती थी।”

आई के मुंह से इम्प्लॉय की जगह अप्लोय सुनकर सरका हंस पड़ी और कहा,”अप्लोय नहीं आई इम्प्लॉय और अब हम उस कम्पनी की मालकिन नहीं रहे है वो कम्पनी बंद हो चुकी है। आप क्या कहना चाह रही है हम समझ गए लेकिन इस घर के लोगो का ख्याल रखना भी तो हमारी जिम्मेदारी है ना और हमे ये सब काम करके बहुत अच्छा लगता है।”


“घर के लोगो का ख्याल रखने के लिये हम है ना बिटिया और फिर इह घर मा है ही कितने लोग , हम , तुम्हरे बाबा , शिवा और तुम,,,,,,,,,,,,वंश काशी तो वैसे भी इह घर मा कम और बाहिर ज्यादा रहते है। चार लोगो के लिये खाना बनाना कौनसी बड़ी बात है उह हम बना दिया करेंगे तुम अपना चाइल्ड होम सम्हालो “,आई ने कहा
“आई चाइल्ड होम सम्हालने के लिये वहा मैनेजर और बहुत सारा स्टाफ है। हम हफ्ते भर भी ना जाये तो वो लोग अच्छे से सम्हाल लेते है।”,सारिका ने कहा


“सारिका बिटिया एक बात बताये , इह घर मा इतने नौकर चाकर है फिर भी हर शाम तुम ही खाना बनाकर हम सबको खिलाती हो बताओ काहे ?”,आई ने बड़े ही प्यार से पूछा
“वो इसलिए क्योकि ऐसा करके हमे सुकून मिलता है और साथ ही हमे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास भी रहता है। आप सब जब हमारे हाथो से बना खाना खाते है और आपके चेहरे पर जब वो सुकून के भाव आते है तो हमारी आत्मा तृप्त हो जाती है आई।”,सारिका ने आई के हाथो को अपने हाथो में थामते हुए प्यार से कहा


आई मुस्कुराई और कहा,”बिल्कुल सही , तुमहू ऐसा इहलीये करती हो क्योकि हम तुम्हरा परिवार है वैसे ही उह चाइल्ड होम में चाहे कितने भी सम्हालने वाले नौकर चाकर हो उहा रहने वाला परिवार तुम्हरे जाने से तृप्त होता है।”
सारिका ने सूना तो उसे अहसास हुआ कि आई सही कह रही है। एकदम से उसकी आँखों में नमी तैर गयी और उसने कहा,”हम्म्म आप ठीक कह रही है आई , हम आज ही जाकर उनसे मिलेंगे,,,,,,,,!!”


“तुम नहीं हमहू भी साथ चलेंगे,,,,,,,हमहु भी उनके साथ थोड़ा बख्त बिता लेंगे।”,आई ने कहा
“लेकिन बाबा के लिये खाना , हम पहले उनके लिये खाना बना देते है।”,सारिका ने फिर घर की चिंता करते हुए कहा
“हे महादेव तुमहू ना सच्ची मा इह घर मा रम गयी हो सारिका , अपने बाबा के खाने की चिंता तुम ना करो उह अपना जुगाड़ खुद कर लेंगे। तुम जाकर तैयार हो जाओ,,,,,,,,!!”,आई ने कहा


“आई बाबा इस उम्र में कैसे करेंगे,,,,,,,,,,,,,,थोड़ा सा टाइम लगेगा हम अभी कुछ बना देते है।”,सारिका ने जैसे ही कहा बाहर से आते बाबा ने दोनों की बातें सुन ली और अंदर आकर कहा,”हमारे खाने की परवाह ना करो बेटा , अरे भूल गयी हम बनारस के फेमस हलवाई रह चुके है ,, हमरे हाथो से बने जलेबी कचौड़ियो का स्वाद पुरे शिवाला में फेमस रहा है। तुम जाओ बिटिया अपना काम सम्हालो,,,,,,,,,,,,,इह रसोईघर मा रोटी बनाते देखने से ज्यादा तुमको चाइल्ड होम में काम करते देखकर ज्यादा ख़ुशी होगी तेरे इस बाबा को,,,,,,,,!!”


बाबा की बात सुनकर सारिका मुस्कुरा उठी , उसे खुद पर बहुत फक्र महसूस हो रहा था कि वह एक ऐसे परिवार का हिस्सा थी जहा औरतो का हक़ मर्दो के बराबर था।
“जे सही है शिवम् के बाबा , हमरे लिये तो कबो ना बनाई जलेबी और कचौड़िया,,,,,,,,,,,,,,,?”,आई ने बाबा को छेड़ने के लिये कहा


“अरे कावेरी तुमहू हुकुम करो अभी बना दी है , बस तुमहु पहिले देख ल्यो जलेबी और कचौड़ी खाने के लिये तुमरे दाँत सलामत है के नहीं,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने आई को छेड़ते हुए कहा और वहा से चले गए
आई को जब तक ये बात समझ आती तब तक बाबा वहा से जा चुके थे। सारिका ने सूना तो हंस पड़ी और जैसे ही आई ने उसे घुरा सारिका अपने कमरे की ओर बढ़ गयी। .  

मुंबई , फिल्मसिटी
कैब फिल्मसिटी के बाहर आकर रुकी। वंश ने पैसे दिए और अपना बैग लेकर नीचे उतर गया। फिल्म सिटी के गेट पर आकर उसने अपनी एक सेल्फी ली और खुश होकर कहा,”अह्ह्ह फर्स्ट डे ऑफ़ माय ड्रीम वर्क”
वंश ने वो तस्वीर सबसे पहले सारिका को भेजी और फिर मुन्ना को क्योकि ये दो ही लोग थे जिन्होंने वंश के सपनो को तवज्जोह दी थी। ख़ुशी ख़ुशी वंश अंदर आया। अंदर आकर वंश ने फिल्म सिटी को देखा तो बस देखते ही रह गया। वह तो बस उन सब में खोकर रह गया।

एक तरफ कुछ आर्टिस्ट किसी गाने पर प्रेक्टिस कर रहे थे। एक तरफ कुछ लोग अपने डायलॉग्स की प्रेक्टिस कर रहे थे। एक आर्टिस्ट पॉल डांस कर रही थी वंश खड़े होकर उसे देखने लगा। अब तक जो कुछ उसने फ़ोन और टीवी में देखा था वो सब अब उसे असल में देखने को मिल रहा था वंश तो अलग ही दुनिया में चला गया।
“हेलो , हेलो , ओह्ह्ह मिस्टर,,,,,,,,,,,,!!”,एक लड़के ने आकर वंश का कंधा हिलाते हुए कहा
वंश डिस्टर्ब हुआ तो उसने पलटकर चिढ़ते हुए कहा,”क्या है ?”


“क्या तुम्हारा नाम वंश गुप्ता है ?’,लड़के ने पूछा
“हाँ !”,वंश ने इस बार आराम से कहा
“हाँ तो यहाँ क्या कर रहे हो सेट नंबर 4 पर जाओ , सुमित सर ने तुम्हे बुलाया है।”,लड़के ने कहा और वहा से चला गया


वंश को याद आया वो यहाँ ये सब देखने नहीं आया है बल्कि आज उसकी शूटिंग का पहला दिन है। वंश जल्दी से सेट नंबर 4 पर पहुंचा उसने देखा वहा काफी सारे आर्टिस्ट थे और सब बहुत व्यस्त नजर आ रहे थे। वंश को देखते ही सुमित उसके पास आया और कहा,”आज से हमारी वेब सीरीज की शूटिंग का पहला दिन है नर्वस नहीं होना है बी कॉंफिडेंट , के.डी. बस आता ही होगा तब तक तुम राइटर से अपनी स्क्रिप्ट ले लो और डायलॉग्स अच्छे से पढ़ लो।”


“ओके सर,,,,,,,!!”,वंश ने कहा तो सुमित उसके कंधे पर हाथ रखकर वहा से चला गया।
वंश ऑफिस एरिया में आया और आकर बैठ गया। राइटर ने उसे 2 पेपर दिये और चला गया उन पेपर्स पर सीन और कुछ डायलॉग्स लिखे थे जिन्हे वंश को याद करना था।
“सुमित तुम्हे लगता है ये लड़का कर लेगा ?”,वंश से कुछ ही दूर खड़े प्रोडूसर अमितेश ने कहा


“बिल्कुल कर लेगा सर , इस लड़के में वो बात है”,कहते हुए सुमित ने जैसे ही वंश की तरफ देखा उसे अपनी ही कही बात पर अफ़सोस होने लगा क्योकि वंश इस वक्त अपनी स्क्रिप्ट ना पढ़कर अपने बगल में पड़े फिश टेंक की मछलियों को देखकर खुश हो रहा था।

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