मैं तेरी हीर – 36

Main Teri Heer – 36

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 36

मुरारी को लेकर अनु काफी गुस्से में थी और बेचारा मुरारी उसके गुस्से के डर से भीगी बिल्ली बनकर खिड़की पर चढ़ा हुआ था। सारिका और आई ने देखा तो सारिका ने अनु के पास आते हुए कहा,”अनु ये क्या कर रही हो ? ये फूलदान हमे दो , पागल हो गयी हो क्या ? क्या है ये सब ?”
“आप बीच में मत आईये दी आज या तो ये मुरारी नहीं या मैं नहीं,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए अनु ने फूलदान मुरारी को तरफ फेंका पर उसे लगा नहीं और नीचे गिरकर टूट गया


“अरे अरे अनु बिटिया रुक जाओ तनिक जे बताओ बात का है ? काहे इतना गर्माय रही हो ? बेचारे मुरारी को देखो कैसे तुमरे गुस्से को देखकर काँप रहा है , गुस्सा थूक दो बिटिया और आओ बाहर चलकर बात करते है।”,आई ने कहा
आई के मुंह से अपने लिये बेचारा सुनकर मुरारी दयाभरी नजरो से आई को देखने लगा। आज तो उसे आई में साक्षात् माँ लक्ष्मी नजर आ रही थी।


“हाँ अनु आई सही कह रही है ये सब छोडो और बाहर आओ हमारे साथ,,,,,,,,,,,,हमे बताओ तो आखिर हुआ क्या है ? मुरारी आप भी बाहर आईये।”,सारिका ने कहा और अनु को कमरे से बाहर ले जाने लगी
“नहीं दी आज तो मैं इस मुरारी को छोडूंगी नहीं,,,,,,,,,,,,,आज या तो ये नहीं या मैं , नहीं अगर इसकी रंगबाजी मैंने ना निकाली तो मेरा भी नाम अनु नहीं,,,,,,,,,,!!”,अनु ने मुरारी को घूरते हुए कहा और सारिका आई के साथ कमरे से बाहर चली आयी।


चलते चलते सारिका ने पलटकर मुरारी को देखा और बाहर आने का इशारा किया। मुरारी खिड़की से नीचे उतरा और दो चार गहरी सांसे लेकर खुद को सामान्य किया और डरते डरते बाहर चला आया।

सारिका अनु को लेकर बाहर हॉल में आई उसने टेबल पर रखे जग से गिलास में पानी डाला और अनु की तरफ बढ़ाकर कहा,”लो पानी पी लो।”
अनु ने गिलास लिया और पानी पीकर कहा,”दी आप लोगो को इस वक्त यहाँ नहीं आना चाहिए था।”
“अच्छा हुआ हम और आई वक्त पर यहाँ पहुँच गए वरना तुम पता नहीं मुरारी के साथ क्या करती ?”,सारिका ने कहा


“दी नाम मत लो उस धोखेबाज आदमी का,,,,,,,,आप जानती भी है उसने क्या किया ?”,अनु ने गुस्से से उठकर कहा
“अनु ! अपने पति के लिये कोई इस तरह से बात करता है। मुरारी ने जो किया वो हम बाद में सुनेंगे पहले माफ़ी मांगो मुरारी से,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने गुस्से से कहा तो अनु मुरारी को घूरकर देखने लगी और फिर सारिका से कहा,”हरगिज नहीं , इस आदमी से माफ़ी मांगने से अच्छा है आप मुझे 100 जूते मार ले।”


सारिका ने सूना तो अनु से कुछ ना कहकर मुरारी की तरफ पलटी और कहा,”मुरारी ! अब आप ही बताईये आखिर ऐसा क्या किया है आपने जिस से अनु इतना नाराज है और गुस्से में है ?”
मुरारी ने सूना तो उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम , वह कहे तो क्या कहे और कैसे समझाए सबको अनु ने जो देखा वो सब सच नहीं था। मुरारी को चुप देखकर अनु ने कहा,”अरे ये क्या बताएगा मैं बताती हूँ , दी आपके प्यारे देवर जी का बाहर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चल रहा है।

कैन यू इमैजिन दी ? वहा मैं अपने बेटे की शादी की तैयारियां कर रही हूँ और यहाँ बाप को रंगबाजी से फुरसत नहीं है। आप सही कहती थी दी बनारस में हर मर्द शिवम् जीजू जैसा नहीं होता,,,,,,,,,,,,,,,शादी के इतने सालो बाद क्या जरूरत पड़ी इन्हे बाहर ये सब करने की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तो ये सब कहते हुए भी शर्म आ रही है दी , मुन्ना को पता चलेगा उसके पापा ऐसे है तो बेचारे पर क्या बीतेगी वो तो शर्म से मर जायेगा। एक महीने बाद उसकी सगाई है और यहाँ ये प्यार के गुल खिला रहे है।”


सारिका और आई ने जैसे ही सूना दोनों हैरानी से मुरारी को देखने लगी। अनु ने जो कुछ भी कहा उस पर आई को तो झट से यकीन हो गया और वह लगी मुरारी को सुनाने
“वाह मुरारी वाह का खबर सुनाये हो , मतलब पुरे बनारस तुमको हमरी बहू ही मिली दिल दुखाने के लिये। जे उम्र मा जे सब करते शर्म नहीं आयी तुमका ? अरे मुन्ना के बाप हो तुम जे उम्र मा बालों में मेहँदी लगती है और तुम ससुरा हाथो में मेहँदी लगाने का ख्वाब दे रहे हो।

हम पूछते है कौन है उह चुड़ैल जोन तुमको अपने प्रेम जाल मा फसाई है ? हमका बताओ हम अबे जाकर ओह की चुटिया काट देब , उह का मुँह नोच लेइ अउर ऐसी ऐसी गाली सुनात कि उह तुम्हरी जिंदगी मा तो का इह बनारस आने से पहिले चार बार सोचे,,,,,,,,,,,,,,,,बताओ हमको , जे मेंढक की तरह टुकुर टुकुर का देख रहे हो ? कुछो बोलबो के नाही ?”
आई की बाते सुनकर मुरारी ने कहा,”अरे आई खामखा उस बेचारी को काहे चुड़ैल और इह सब बोल रही हो ?”


“देखा , देखा दी कैसे इसे अपनी उस माशूका के लिये बुरा लग रहा है ? मैं जानती ही थी दी कि जरूर कुछ गड़बड़ है तभी आजकल ना ये वक्त से घर आते है ना ही कुछ बताते है। मेरी तो जिंदगी खराब हो गयी ऐसे इंसान से शादी करके , मुझे और मेरे मुन्ना को कही मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा इसने,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने रोते हुए कहा
मुरारी ने सूना तो वह अनु के पास आया और कहा,”अरे हमका कोई बुरा नहीं लग रहा है।

उर्वशी से हमरा कोई रिश्ता नहीं है तुमरे सर की कसम यार भरोसा करो हम पर,,,,,,,,,,,,,,,,तुमने जो देखा वो सच नहीं है , ये सब छोडो तुमहू और मुन्ना की सगाई की तैयारी करो।”
“मुन्ना की सगाई बाद में होगी उस से पहले होगा हमारा तलाक , मैं तुमको तलाक दूंगी मुरारी,,,,,,,,,,,उसके बाद रहो तुम अपनी उस उर्वशी के साथ,,,,,,,,,,,,बहुत डायमंड के नेकलेस खरीदे जा रहे है ना उनके लिये,,,,,,,,,,,,,अब खरीदो नेकलेस और पहिनाओ अपने हाथो से,,,,,,,,,!!”,अनु ने कहा


“अनु ! पागल हो गयी हो क्या ? ये क्या कह रही हो ? और मुरारी आप पहले शांति से यहाँ बैठिये और हमे बताईये पूरी बात क्या है ?”,सारिका ने दोनों को चुप कराते हुए कहा
“हे गंगा मैया जे सब का सुनना पड़ रहा है हमे ? जे उम्र मा बच्चो की सादी की जाती है और जे मुरारी खुद सेहरा बांधने के ख्वाब देख रहा है। हे भोलेनाथ सद्बुध्दि दो इह मंदबुद्धि को,,,,,,,,,,,,,,,!!”,आई ने कहा
“आई आप भी यहाँ बैठिये,,,,,,!!”,सारिका ने कहा


“अरे ना बिटिया हमहू जाकर ज़रा बाहर की हवा खाकर आते है , हमरा तो सर घूमने लगा है जे सब सुन सुन के,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए आई वहा से चली गयी।
“अनु , मुरारी देखो सिचुएशन को और कॉम्प्लिकेटेड मत बनाओ और हमे बताओ हुआ क्या ?”,सारिका ने कहा तो अनु ने एक नजर मुरारी को देखा और उर्वशी के घर आने से लेकर मार्किट में नेकलेस खरीदने तक की सारी बातें सारिका को बता दी।


सारिका ने सूना तो उसे भी बड़ी हैरानी हुई कि मुरारी ऐसा कैसे कर सकता है ? उसने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”मुरारी , अनु जो कह रही है क्या वो सब सच है ?”
“भाभी ! अनु ने जो कहा वो सच है उर्वशी हिया आयी थी लेकिन उह अपने किसी जरुरी काम से आयी थी , भैया को भी इसके बारे में पता है बल्कि खुद उन्होंने ही उनका काम करने को हमे कहा था।”,मुरारी ने मिमियाते हुए कहा


“अच्छा और जो मार्किट में डायमंड का सेट उनको अपने हाथो से पहिना रहे थे वो सब क्या था ?”,अनु ने आग बबूला होते हुए कहा
“अरे बताया तो था उह हम तुमरे लिये लेना चाह रहे थे अब कोई महिला थी नहीं वहा तो उनको पहिना कर देख रहे थे तुम पर कैसा लगेगा ? तुमहू यार खामखा तब से भौकाल बनाये हुए हो इह बात का,,,,,,,,,,,,,,अरे आज तक तुमरे अलावा किसी पराई लड़की को देखे तक नहीं , तुमरे अलावा किसी और के लिये 10  रूपये का भुट्टा तक ना लिये है डायमंड कहा से लेंगे ? तुमको ना सक की बीमारी हो गयी है अनु हम बताय रहे है।”,मुरारी ने कहा


अनु हमेशा मुरारी की इन चिकनी चुपड़ी बातो में आजाया करती थी लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ और उसने कहा,”ये चुना ना पान पर लगाना मिश्रा , तुम मुझे ये बताओ वकील तुम करोगे या मैं ?”
“का मतलब ?”,मुरारी ने पूछा
“मतलब ये कि हमारा तलाक तो होकर रहेगा और इसकी वजह है तुम्हारी ये रंगबाजी,,,,,,,,,!!”,अनु ने कहा
“अनु , अनु , अनु हमारी बात सुनो,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने अनु को आवाज दी लेकिन तब तक अनु वहा से जा चुकी थी।

सारिका ने मुरारी की तरफ देखा तो पाया मुरारी उदास सा सारिका की तरफ ही देख रहा है। मुरारी को अपनी ओर देखते पाकर सारिका ने कहा,”मुरारी , क्या सच में तुम उस औरत से मार्किट में मिले थे ?”
“भाभी हम सच कह रहे है हमरा उसके साथ कोई रिश्ता नहीं है। उह तो अनु ने हमे साथ देख लिया और गलतफहमी पाल ली आप तो जानती ही है उह हमे लेकर कितना पजेसिव है।

अभी उह गुस्से में है हमरी आपकी कोई बात नहीं सुनेगी , हम करते है कुछो जुगाड़ उसे मनाने का”,मुरारी ने उदासी भरे लहजे में कहा
“देखो मुरारी किसी भी रिश्ते में विश्वास सबसे बड़ी चीज है , कोशिश करना अनु का विश्वास कभी टूटने ना पाये। हम अनु को समझायेंगे तब तक आप भी उस से इस बारे में ज्यादा बात मत करना,,,,,,,,,,,,,

वो थोड़ा अपसेट है और आप भी थोड़ा ध्यान दे इस उम्र में शक की दीवारे मन में जल्दी बनती है।”,सारिका ने सहजता से मुरारी को समझाते हुए कहा
मुरारी समझ गया सारिका क्या कह रही है इसलिए उसने हामी में सर हिला दिया। मन ही मन मुरारी को बहुत शर्म भी महसूस हो रही थी आई और सारिका के सामने इन सब बातो का आना उसे शर्मिंदगी का अहसास करवा रहा था।

मुरारी को खामोश देखकर सारिका ने कहा,”अच्छा अभी हम चलते है शिवम् जी घर आ गए होंगे। अनु का ख्याल रखना और हम कल फिर आएंगे,,,,,,,,,,,!!”
“कल फिर ?”,मुरारी ने असमझ की स्तिथि में पूछा
“अरे मुन्ना की सगाई के बारे में डिस्कस करने , इंदौर कब जाना है और कैसे करना है सब ? कोशिश करेंगे आई बाबा और शिवम् जी भी साथ आये। आपने अपने चाचा चाची को बताया इस बारे में ये नहीं ?

उन्हें भी बुलाइये आखिर ये सब काम तो घर के बड़े ही करेंगे ना।”,सारिका ने मुस्कुरा कर कहा
मुरारी ने देखा इतना बड़ा सीन होने के बाद भी सारिका नार्मल थी। मुरारी से रहा नहीं गया तो उसने सारिका से पूछ लिया,”भाभी का आप हमसे नाराज नहीं है ?”
“मुरारी ! हम आपसे क्यों नाराज होंगे ? हम आपको अच्छे से जानते है आप मस्ती मजाक कर सकते है लेकिन कभी किसी औरत के दिल से नहीं खेलेंगे। अब हम चलते है , हर हर महादेव।”


सारिका की बातो में अपने लिये विश्वास देखकर मुरारी की आँखों में नमी उतर आयी और उसने कहा,”शुक्रिया भाभी ! हर हर महादेव।”
सारिका ने मुरारी की बांह को थपथपाया और वहा से चली गयी।

मुंबई , वंश का फ्लेट
हॉल में रखे सोफे पर वंश सो रहा था। बारिश में भीगने की वजह से वंश को ठंड लग गयी थी और इसी वजह से उसे तेज बुखार भी हो चुका था लेकिन वहा उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। वंश का फोन भी खराब हो चुका था जिस वजह से उसकी घर पर भी कोई बात नहीं हो पायी। वंश की नींद खुली वह उठा देखा अन्धेरा हो चुका है।

वंश उठा उसने महसूस किया उसका पूरा बदन दर्द से टूट रहा है लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके उसने सब लाइट्स चालू की और किचन की तरफ चला आया। गैस के सामने आकर वंश सोचने लगा खाने के लिये क्या बनाये ? वंश को कुछ बनाना नहीं आता था , बाहर से आर्डर करने का सोचता भी तो उसका फोन खराब था।
वंश ने मार्ट से लाये सामान को बैग से बाहर निकाला और उनमे से एक मैग्गी का पैकेट उठा लिया लेकिन वंश को तो वो बनाना भी नहीं आता था।

वंश ने फिर भी पेन में पानी चढ़ाया और गर्म होने पर उसमे मैग्गी डाल कर उसके पकने का इंतजार करने लगा। पानी ज्यादा था लेकिन वंश को इसकी समझ नहीं थी इसलिए ध्यान भी नहीं दिया और उसी पानी में मसाला डालकर उसे मिक्स करने लगा। वह मेग्गी कम और मेग्गी सूप ज्यादा लग रहा था। वंश ने चखने के लिये उसे थोड़ा सा चम्मच में लेना चाहा लेकिन ऐसा करते हुए उसकी ऊँगली जल गयी और उसने ऊँगली अपने होंठो के बीच रख ली।


वंश उसे चख पाता इस से पहले ही डोरबेल बजी।
वंश ने घडी देखी रात के 9 बज रहे थे इस वक्त कौन आया होगा सोचकर वंश अपनी ऊँगली को मुँह में रखे दरवाजे की तरफ गया उसने दरवाजा खोला तो हैरानी रह गया। सामने निशि खड़ी थी। निशि को देखते ही वंश ने दरवाजा उसके मुँह पर ही बंद कर दिया। वंश ने निशि को देखकर दरवाजा बंद किया तो निशि की आँखों में आँसू भर आये।

दूसरी तरफ वंश ने दरवाजा बंद किया और बड़बड़ाया,”नहीं नहीं नहीं नहीं ये निशि नहीं हो सकती , इतनी रात में निशि यहाँ क्या करने आएगी ? और उसे तो मेरे फ्लेट का एड्रेस भी नहीं पता होगा ? नहीं ये निशि तो बिल्कुल नहीं है ये सिर्फ मेरा वहम है। अह्ह्ह्ह क्या मुझे फिर से दरवाजा खोलकर देखना चाहिए कही कोई और हुआ तो,,,,,,,,,,,,,,,,देख ही लेता हूँ।”


कहते हुए वंश ने धीरे से फिर से दरवाजा खोला और देखा निशि अब भी सामने ही खड़ी है और उसके हाथ में एक छोटा बैग भी था। अब तो वंश को यकीन हो गया कि वो निशि ही है उसने धीरे से कहा,”क्या तुम सच में यहाँ हो ?”
“तुम्हे मेरे अलावा यहाँ कोई और दिख रहा है ?”,निशि ने बिना किसी भाव के वंश को घूरते हुए कहा
“अह्ह्ह नहीं , अहह मेरा मतलब तुम , तुम यहाँ क्या कर रही हो वो भी इस वक्त ?”,वंश ने पूछा


निशि ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि वह सीधा अंदर आयी और अपने साथ लाया बैग टेबल पर रखते हुए कहा,”मॉम ने तुम्हारे लिये खाना भिजवाया है , और मैं डेड के साथ यहाँ आयी थी। और मुझे तुमसे,,,,,,,,,,,,,!!”
“तुम्हे मुझसे क्या ?”,वंश ने एकदम से निशि के सामने आकर पूछा
“मुझे तुमसे सॉरी भी कहना था,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने वंश की आँखों में देखते हुए कहा जिस से वंश का दिल धड़कने लगा


वंश ने अपने दोनों हाथो को बांधा और पीछे हटकर कहा,”हम्म्म तो कहो !”
“आई ऍम सॉरी वंश , जो कुछ भी हुआ उसके लिये मैं बहुत शर्मिंदा हूँ,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने नजरे झुकाकर कहा
वंश को निशि का सॉरी सुनने में कोई इंट्रेस्ट नहीं था बल्कि माफ़ी मांगते हुए वह वंश को बहुत ही मासूम और प्यारी नजर आ रही थी। वंश सब भूलकर निशि को प्यार से देखता रहा और उधर गैस पर चढ़ी मैग्गी जलकर पेन में चिपक गयी और जलने की बदबू आने लगी।


“कुछ जल रहा है क्या ?”,निशि ने धीरे से पूछा
“हाँ मेरा दिल,,,,,,,,,,,,,,,आई मीन मेरी मैग्गी”,वंश ने खोये हुए स्वर में कहा और फिर एकदम से चिल्लाते हुए किचन की तरफ भागा।

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संजना किरोड़ीवाल 

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