Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 22

Main Teri Heer – 22

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Main Teri Heer – 22

मुरारी ने जब सुना की अनु में ढाई लाख का नेकलेस खरीदा है तो बेचारे का कलेजा मुंह को आ गया। एक तो अनु ने पहले ही खरीदारी में मुरारी के इतने पैसे उड़ा दिए अब ये ढाई लाख का नेकलेस। मुरारी कुर्सी पर बैठा अनु के बारे में सोच रहा था और मन ही मन कहने लगा,”विधायकी के नाम पर एक दिन जे गमछा रह जाएगा हमारे पास , जे तुम ठीक ना की अनु इहलीये सुबह सुबह इतना मीठा बतिया रही थी हमसे”
“विधायक जी , विधायक जी”,शोरूम के मालिक ने डरते डरते मुरारी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“का है बे ?”,मुरारी ने झुँझलाकर कहा
“चाय कॉफी कुछ लेंगे आप ?”,शोरूम के मालिक ने पूछा
“पहिले हमको जे बताओ किस से पूछकर जे ढाई लाख का बिल हमारे नाम पर फाडे तुम , अरे उह पत्नी है हमारी इह का मतलब जे थोड़े है की तुमहू पूरा शोरूम उठा के उनके सामने रख दो”,मुरारी ने उठकर फटकार लगाते हुए कहा
“सर मैडम को पसंद आया तो हमने पैक करवा दिया , सिर्फ ढाई लाख की ही तो बात है”,शोरूम के मालिक ने डरते डरते कहा
“सिर्फ ढाई लाख,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुमहू तो ऐसे बोल रहे हो जैसे मुरारी मिश्रा अपना गमछा झटकेंगे और ढाई लाख तुम्हारे सामने आ गिरेगे”,मुरारी ने कहा
“अरे जाने दीजिये ना विधायक जी , घरवाली ही तो है दो ढाई लाख कौनसी बड़ी बात है ? वैसे जे औरतो का न गहनों का कुछो ज्यादा ही शौक होता है”,उस थुलथुले पेट वाले आदमी ने मुरारी को बिना माँगे सलाह देते हुए कहा
“जरा हिया आओ बेटा”,मुरारी ने आदमी से कहा
“जी विधायक जी”,थुलथुले पेट वाले आदमी ने ख़ुशी ख़ुशी मुरारी के सामने आकर कहा
मुरारी ने एक थप्पड़ उसके कान के नीचे रखते हुए कहा,”का बे काहे इतना बिलबिलाय रहे हो ? बेटा सरकारी नहीं है प्राइवेट है ज्यादा उड़े ना तो यही पटक के मारेंगे ससुरे को , चलो भागो यहाँ से”
“हमने का कर दिया ?”,आदमी ने अपना गाल सहलाते हुए कहा
“बेटा बिना माँगे किसी को सलाह दोगे तो कंटापे ही ना खाओगे,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा और फिर शोरूम के मालिक की तरफ पलटकर कहा,”हम चेक दे देते है दिवाली के बाद जाकर बैंक से पैसे ले लेना”
“जी जी विधायक जी”,शोरूम के मालिक ने खुश होकर कहा
मुरारी ने चेक दिया और वहा से निकल गया। मुरारी ने ड्राइवर से शिवम् के घर चलने को कहा। कुछ देर बाद ही गाड़ी शिवम् के घर के सामने आकर रुकी मुरारी अंदर चला आया उसका लटका हुआ मुंह देखकर शिवम् ने कहा,”का बात है मुरारी ऐसे मुंह काहे लटका है तुम्हारा ?”
“आपकी साली साहिबा की वजह से , जे अनु हमे एक दिन हार्ट अटैक देकर मानेगी”,मुरारी ने शिवम् की तरफ आते हुए कहा
“का किया हमारी साली साहिबा ने ?”,शिवम् ने कहा
“जे देखो ढाई लाख जड़े है इस बार हमे”,मुरारी ने बिल शिवम् को दिखाते हुए कहा
“कितने में बिके तुम ?”,शिवम् ने बिल को देखते हुए कहा जो की मुरारी को बहुत अच्छे से जानता था।
“का का कह रहे है भैया ? हम बहुत सख्त है आपको का लगता है अनु हमे बहलाएगी और बिक जायेंगे , अरे बच्चे थोड़े है”,मुरारी ने खिंसियाते हुए कहा जबकि अनु की मीठी मीठी बातों में आकर ही उसने ये बिल भरने की हामी भरी थी।
“रहने दो मुरारी तुम्हारी रग रग से वाकिफ है हम , अच्छा सुनो हम जे कह रहे थे की कल शाम में दिवाली का एक छोटा सा प्रोग्राम रखे है तो तुम अनु और मुन्ना जल्दी चले आना”,शिवम् कहते हुए मुरारी की तरफ पलटा लेकिन मुरारी नरारद था। शिवम् ने इधर उधर देखा तो पाया कुछ ही दूर चबूतरे पर , अपने हाथ को कनपटी पर लगाए बैठा मुरारी सोच में डूबा है। शिवम् उसके पास आया और कहा,”अबे ए मुरारी का हुआ मतलब इतना काहे चिन्तियाय
रहे हो यार , ढाई लाख की तो बात है हम दे देंगे तुम ज्यादा लोड ना लो”
“का बताये भैया हमने हमारी जिंदगी में ढाई लाख एक्को साथ नहीं देखे और हमरी मेहरारू कैसे पानी के जैसे पैसा बहा रही है ,, मैग्गी मसाला की कसम छोड़ेंगे नहीं हम उनको”,मुरारी ने खोये हुए स्वर में कहा
“अच्छा छोडो जे सब दिवाली के बाद वो नहर वाला काम शुरू करवाते है , सभी कागज तैयार है ना ?”,शिवम् ने कहा
“हां वो हम देख लेंगे पर एक्को डाउट है उह राजन जरूर कुछ ना कुछ गड़बड़ करेगा”,मुरारी ने कहा
“दिवाली के बाद उसे भी देख लेंगे”,शिवम् ने धीरे से कहा और फिर दीना से चाय भिजवाने का इशारा करके मुरारी के बगल में आ बैठा

सुबह से अंजलि सारिका के पीछे पीछे घूम रही थी। उसके सारिका के पीछे किचन में आते हुए कहा,”बड़ी मामी बताईये ना क्या लगाया है आपने ? आपका चेहरा आज बहुत चमक रहा है”
“अच्छा बताते है , हमने हल्दी का उबटन लगाया है तुम भी लगाओगी ?”,सारिका ने कहा
“हाँ”,अंजलि ने चहकते हुए कहा
“ठीक है तुम बाहर चलकर बैठो हम तैयार करके लाते है”,सारिका ने कहा और अंजलि को किचन से बाहर भेजकर उसके लिए उबटन तैयार करने लगी। सारिका ने उबटन तैयार किया और उसे किचन की खिड़की के पास रखकर किसी काम से बाहर चली आयी !
सारिका के जाने के बाद किचन की खिड़की की तरफ हुडी पहने एक लड़का आया। उसने हल्दी की कटोरी में कुछ मिलाया और अपनी हुडी का कैप पीछे किया और कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा,”अब आएगा मजा छिपकली , जब ये हल्दी छपेगी तुम्हारे गालो पर”
हल्दी में कुछ गड़बड़ करने वाला कोई और नहीं बल्कि हमारे वंश बाबू ही थी। सारिका को आते देखकर वंश वहा से चला गया। सारिका ने हल्दी लाकर अंजलि को दे दी और लगाकर सुखाने को कहा। अंजलि ने हल्दी लगाई और वही हॉल के सोफे पर लेटकर सेब खाने लगी। वंश बाहर से अंदर आया अंजलि को देखकर मन ही मन खुश होते हुए कहा,”थोड़ी देर में आएगा मजा”
उसने अंजलि के सामने पड़े सोफे पर बैठते हुए कहा,”तुम लड़कियों को ये लीपा पोती करने के अलावा कोई काम नहीं है क्या ? हम लड़को को देखो कोई मेकअप नहीं बिना मुंह धोये भी हम लोग बाहर जा सकते है”
“तो फिर वो आपके कमरे में इतने सारे , फेस वाश , क्रीम , स्क्रब और मॉयस्चराइजर क्यों रखे है ?”,काशी ने आकर सोफे के हत्थे पर बैठते हुए कहा
“वो इसलिए रखे है ताकि वंश भैया कॉलेज के बाद अपनी दुकान खोल सके”,अंजलि ने हँसते हुए कहा तो काशी भी हंस पड़ी ये देखकर
वंश ने पास पड़ा कुशन उठाकर अंजलि की तरफ फेंका , थोड़ी देर बाद अंजलि को अपने चेहरे पर हल्की हल्की खुजली महसूस होने लगी , उसने एक दो बार खुजाया और फिर उठकर वाशबेसिन के सामने आ गयी। जैसे ही उसने मुंह धोया हल्दी में मिलाया रंग घुलने लगा और चेहरे पर लगने लगा। मुंह धोकर अंजलि ने जैसे ही शीशे में देखा उसकी चीख निकल गयी। अंजलि की चीख सुनकर सब उसके पास आये काशी ने उसके पास आकर कहा,”ये क्या हुआ तुम्हारे फेस को ?”
“पता नहीं हमने तो बड़ी मामी का दिया उबटन लगाया था।”,अंजलि ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
शिवम् सारिका और मुरारी भी चले आये। सबको वहा देखकर वंश पतली गली से निकल गया। हालाँकि वह जानता था रंग कच्चा है निकल जाएगा उसे सिर्फ अंजलि को परेशान करना था।
“ये कैसे हुआ बेटा ?”,सारिका ने अंजलि का चेहरा देखते हुए कहा
“बड़ी मामी आपने जो उबटन दिया था उसे लगाने के बाद हमारे चेहरे पर खुजली होने लगी और फिर ये हो गया”,अंजलि ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
“लेकिन हमने टी हल्दी और दूध के अलावा कुछ भी मिक्स नहीं किया था”,सारिका ने कहा
“सरु हो सकता है अंजलि को हल्दी से एलर्जी हो , हम अभी डॉक्टर के पास चलते है”,शिवम् ने कहा
काशी ने देखा वंश वहा नहीं है तो उसने कहा,”हम बताते है ये किसकी शरारत है ?”
“किसकी ?”,मुरारी ने पूछा
“वंश भैया की जरूर उन्होंने ही अंजलि को परेशान करने के लिए इसमें कुछ मिलाया होगा”,काशी ने कहा
“ये वंश दिन ब दिन कुछ ज्यादा ही बिगड़ता जा रहा है , सरु नीचे बुलाइये उसे”,शिवम् ने गुस्सा होकर कहा
“आप उसे बाद में डांट लीजियेगा , पहले हमे ये सब ठीक करने दीजिये”,कहते हुए सारिका अंजलि को लेकर वाशबेसिन के पास आयी और उसे फेसवाश देकर दो तीन बार मुंह धोने को कहा। दो तीन बार अच्छे से मुंह धोने से अंजलि का चेहरा साफ हो गया , लेकिन थोड़ा लाल भी हो गया। सारिका ने उसे मुंह पोछने को कहा और फिर क्रीम लगाने को दी जिस से अंजलि को थोड़ा आराम मिला।
वंश की इस हरकत पर तो सारिका को भी बुरा लगा। उसने शिवम् को समझा बुझाकर बाहर भेज दिया और खुद अंजलि के पास चली आयी।

आई बाबा से मिलकर मुरारी पहुंचा अपने घर , दिमाग में अभी भी बिल वाली बात चल रही थी वह अंदर आया और अनु को ढूंढने लगा .अनु ने जैसे ही मुरारी को देखा तुरंत वहा से गायब हो गयी लेकिन मुरारी भी मुरारी ठहरा उसने अनु को ढूंढ लिया और कबर्ड की पीछे से निकालकर अपने सामने करते हुए कहा,”का बाबू काहे छुपती फिर रही हो हमसे ?”
“मैं मैं क्यों छुपुंगी तुमसे , मैं कोई तुमसे डरती थोड़े हु”,अनु ने मुरारी के सामने से गुजरते हुए कहा और ड्रेसिंग की तरफ चली आयी
“हां हां तुम काहे डरोगी , डरना तो हमे चाहिए तुमसे ,, हमारी धोती उतरवा दोगी तुम किसी दिन मैगी,,,,,,,,,,,,,,,पिछले हफ्ते ही तुमने इतना खर्चा किया था और इह बार फिर से तुमहू हार्ट अटैक देने का पूरा बंदोबस्त कर ली हो”,मुरारी ने कहा
“तो क्या हो गया मुरारी ? सिर्फ ढाई लाख ही तो है”,अनु ने भी तुनक कर कहा
“अरे ढाई लाख तो ऐसे बोल रही हो जैसे पीपल के पेड़ पर लगते है पैसे , हम बता रहे है अनु अपनी बेफ़िजूली पर ना थोड़ी लगाम लगाओ”,मुरारी ने कहा
“वरना क्या ?”,अनु ने गुस्से से मुरारी को घूरते हुए कहा
“अरे वरना का यार एक बार फिर रिक्वेस्ट कर लेंगे तुमसे , देखो बाबू ऐसा है जे सब पैसे ना हम मुन्ना के भविष्य के लिए जमा कर रहे है , थोड़ा सोच समझकर खर्च करोगी तो कल को हमे किसी से मांगना नहीं पडेगा , नई”,मुरारी ने थोड़ा नरमी से कहा
अनु उसके पास आयी और उसके कुर्ते के बटन से खेलते हुए प्यार से कहा,”अच्छा सॉरी पर मैं क्या करू मुरारी वो इतना अच्छा था की मैं खुद को रोक नहीं पाई , आगे से मैं ध्यान रखूंगी”
“कोई बात नहीं , अच्छा कहा है उह नेकलेस लाओ हम अपने हाथो से पहनाते है तुम्हे”,मुरारी ने कहा तो अनु ने ख़ुशी ख़ुशी वो नेकलेस लाकर मुरारी को दे दिया मुरारी अनु को लेकर शीशे के सामने आया और नेकलेस पहनाते हुए कहा,”जच रही हो मिश्राइन”
जवाब में अनु मुस्कुरा दी ,, भले मुरारी उस से कितना भी लड़े झगड़े लेकिन उस से आज भी प्यार बहुत करता था।

शाम में आई , सारिका , काशी और अंजलि घाट जाकर दीपक जलाने जाने के लिए तैयार हो गयी। आज छोटी दिवाली थी और बनारस में सभी महिलाये , लड़किया आज के दिन घाट पर जाकर दीपक जलाती है जिस से उनकी जिंदगी में सुख समृद्धि बनी रहे। काशी और अंजलि दोनों ने चूड़ीदार सूट पहने थे। सारिका ने हरे और गुलाबी रंग की बनारसी साड़ी जिसमे वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। आई ने भी बनारसी साड़ी पहनी थी साथ ही बालो में मोगरे के फूलो का गजरा लगाया हुआ था। चारो घर के बरामदे में खड़ी थी। कुछ देर बाद अंदर से शिवम् आया और कहा,”आई आप सब लोग तैयार है तो चले”
“हां बेटा”,कहते हुए आई गाड़ी की आगे वाली सीट पर आ बैठी। पीछे वाली सीट पर सारिका , काशी और अंजलि आ बैठे। वंश को घाट जाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए वह बाबा के साथ बैठकर कल के फंक्शन को लेकर डिस्कशन कर रहा था।
गाड़ी वहा से निकल गयी ,सबके जाते ही वंश को लगा की उसे भी जाना चाहिए था ऐसे तो वो अकेला बोर हो जाएगा। वह सोच ही रहा था की तभी मुन्ना की बाइक की आवाज उसे सुनाई दी। वंश के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी। वह उठा और घर के दरवाजे पर आया देखा मुन्ना ही था वंश ने उसके पीछे बैठते हुए कहा,”दो दिन से कहा था तू , मिलने भी नहीं आया”
“हां तूने तो जैसे मेरी याद में गंगा जमना बहा दी हो”,मुन्ना ने ताना मारते हुए कहा
“अच्छा ठीक है , सब घरवाले घाट गए है चल ना हम भी चलते है”,वंश ने कहा
मुन्ना पलटा और वंश का सर छूकर देखते हुए कहा,”बेटा तबियत तो ठीक है ना तुम्हारी , तुम घाट जाने की बात कर रहे हो”
“चल ना यार”,वंश ने कहा तो मुन्ना ने बाइक स्टार्ट की और घाट की तरफ बढ़ा दी। घाट से कुछ कदम पहले से एक रेस्त्रो था जहा वंश के दोस्त उसका इंतजार कर रहे थे। उसने मुन्ना को रोका और नीचे उतरकर अपना जैकेट ठीक करते हुए कहा,”वापस जाये तब मुझे लेते हुए जाना”
“ओह्ह तो ये है तेरा घाट”,मुन्ना ने अफसोस के साथ कहा
“बाबू मुझे घाट की उन सीढ़ियों पर बैठकर उस पानी को देखने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है , मैं चला बाय”,कहकर वंश वहा से चला गया। मुन्ना ने भी बाइक आगे बढ़ा दी। बाइक को बाहर ही रोककर मुन्ना सीढ़ियों से नीचे जाने लगा। आज भीड़ कुछ ज्यादा ही , सब लोग नए नए कपड़ो में मुस्कुराते चेहरे लिए घाट की सीढ़ियों पर घूम रहे थे। मुन्ना कुछ सीढिया उतरकर रुक गया और वहा मौजूद भीड़ को देखने लगा , शाम का वो भव्य नजारा , चमचमाता अस्सी घाट , शिव चालीसा का गुंजन , भक्तिमय माहौल और धुप की सुगंध , ये सब देखकर मुन्ना का मन खुश हो गया उसने अपने हाथ जोड़े आँखे बंद की और महादेव को नमन किया। तभी कोई उसे छूकर गुजरा मुन्ना ने अपनी आँखे खोली तो देखा अभी अभी सफेद रंग के सूट में एक लड़की उसके सामने से गुजरी है। उस सफ़ेद दुपट्टे को देखते ही मुन्ना को गौरी का ख्याल आया।
ना चाहते हुए भी उसके कदम उसक लड़की के पीछे चल पड़े। भीड़ में चलते हुए मुन्ना उस लड़की के पास आया। आज से पहले उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया था लेकिन आज ना जाने क्यों वह अपनी भावनाओ को रोक नहीं पा रहा था। वह लड़की गौरी हो सकती है सोचकर उसने काँपते हाथो से हल्के से उस लड़की के कंधे को छुआ। मुन्ना का दिल धड़क रहा था। लड़की पीछे पलटी और कहा,”जी कहिये”
वो लड़की गौरी नहीं थी , कोई और थी मुन्ना ने उस से माफ़ी मांगी और जाने के लिए वापस लौट गया। जिस बेचैनी से बचने के लिए मुन्ना घाट पर आया था वो बेचैनी और बढ़ चुकी थी।

क्या गौरी और मुन्ना की मुलाकात फिर हो पायेगी ? क्या वंश बनारस को अपना पायेगा ? क्या काशी पता लगा पायेगी उस लड़के का पता ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे मैं तेरी हीर

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