Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 50

Main Teri Heer – 50

Main Teri Heer
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Main Teri Heer – 50

कहानी का रुख पूरी तरह मुड़ चुका था। किशोर ने प्रताप , केशर , मंत्री जी , कमिशनर सर पर बाकि सब लोगो को गिरफ्तार कर लिया लेकिन शिवम् और मुरारी को भी वह सलाखों के पीछे देखना चाहता था। उसने बाकी सबके खिलाफ तगड़ा केस बनाया और थाने से सबको बड़ी जेल शिफ्ट करवा दिया। सुबह से शाम होने को आयी शिवम् और मुरारी उस अनजान शख्स की बंदूक की नोक पर थे उस पर काशी भी मुसीबत में थी शिवम् के पास उस लड़के की बात मानने के सिवा कोई और चारा नहीं था। लड़का किसी का इंतजार कर रहा था शायद इसलिए बार बार अपनी घडी में समय देख रहा था। मुरारी काफी देर से उस लड़के को देखे जा रहा था उसने अपना दिमाग दौड़ाया और कहा,”हमको लघुशंका ( वाशरूम ) जाना है”
लड़के ने मुरारी को देखा और जाने का इशारा कर दिया। मुरारी उठा और झाड़ियों के पास चला गया। अब लड़के में इतनी शर्म तो थी की वह मुरारी को ना देखे इसलिए पीठ घुमा ली। मुरारी को कोई लघुशंका नहीं लगी थी वह बस बहाना बना रहा था। जैसे ही उसने देखा की लड़का अपना फोन देखने में बिजी है तो उसने चुपके से आकर लड़के की गर्दन पकड़ी और उसे नीचे जमीन पर दे पटका। लड़के की आह निकल गयी वह खुद को सम्हाल पाता इस से पहले ही मुरारी ने उसकी बन्दुक उठायी और कहा,”का बेटा बाप से पन्गा लोगे , हम कुर्सी पर बैठने लगे इह का मतलब जे नाही है की तुम जैसे लौंडे हमको डराएंगे”
“मुरारी जे का कर रहे हो तुम ? काशी इसके कब्जे में है”,शिवम् ने घबराते हुए कहा
“अरे भैया चिंता ना करो अभी सीधा करते है इसको दुई मिनट का बख्त है तुम्हरे पास जल्दी से बताओ काशी कहा है ?”,मुरारी ने कहा
लड़का ख़ामोशी से जमीन पर पड़ा रहा और मुरारी शिवम् को देखता रहा। ना कुछ कहा ना कुछ किया। उसे चुप देखकर मुरारी ने कहा,”अबे तुम हमको बहुते हल्के में ले रहे हो बे ?”
कहते हुए मुरारी ने एक हवाई फायर किया लेकिन ये क्या गोली चली ही नहीं बल्कि बन्दूक खाली थी। मुरारी ने दो तीन बार और किया फिर देखा की उसमे तो एक भी गोली नहीं है वह लड़के पास आया और उसकी कोलर पकड़ कर उसे उठाते हुए कहा,”तुम का हमारे साथ लूडो खेलने का सोच रहे हो , एक कंटाप धरेंगे तुम्हरे कान पर जिंदगीभर बजते फिरोगे का समझे ? अबे ! तुम्हरी वजह से हमारा कितना बड़ा नुकसान हुआ है पता भी है तुमको,,,,,,,,,,,,, चले है ससुरे गुंडे बनने,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे तो हम”
कहते हुए मुरारी ने जैसे ही हवा में हाथ उठाया सामने खड़े लड़के ने कहा,”हमे माफ़ कर दो पापा”
“पापा” शब्द सुनते ही मुरारी और शिवम् के चेहरे हैरानी से भर गए , आवाज भी जानी पहचानी लगी। मुरारी को लगा लड़का बचने के लिए झूठ बोल रहा है तो उसने अपनी भँवे चढ़ाकर कहा,”देखो बेटा पासवर्ड बहुत रहे है हमारे लेकिन लेकिन खाता हमने एक से ही जोड़ा है , जे बकैती की ना हमरे साथ साले बहुते बुरा पेलेंगे तुमको बता रहे है”
मुरारी की बात सुनकर लड़के ने अपना मास्क उतार फेंका और कहा,”अरे पापा हम है मुन्ना”
इस बार चौंकने की बारी मुरारी की थी , मुन्ना को वहा देखकर उसके तो चेहरे का रंग ही उड़ गया , मुंह से एक शब्द ना फूटा। शिवम् ने भी मुन्ना को देखा तो अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने हैरानी से कहा,”मुन्ना तुम और ये सब ? काशी कहा है ?”
“काशी ठीक है बड़े पापा ,घर चलिए हम सब बताते है”,मुन्ना ने सहजता से कहा
मुरारी का तो सर ही घूम गया , मुन्ना उसे ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी। मुन्ना ने शिवम् और मुरारी से गाड़ी में बैठने को कहा और खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा लेकिन मुरारी ऐसे में कुछ ना कहे ऐसा भला कैसे हो सकता था उसने कहा,”इस बार तो सीधे रस्ते जाओगे ना ड्राइवर सर ?”
“घर ही चल रहे है पापा”,मुन्ना ने थोड़ा डरते हुए कहा
“हां हां घर ही चलो खातिरदारी करनी है तुम्हरी इतना अच्छा काम जो किये हो तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अक्ल क्या घुटनो में चली गयी है तुमरी ?”,मुरारी ने पहले बड़े ही प्यार से धीमी आवाज में कहा और फिर एकदम से उसकी आवाज तेज हो गयी। मुन्ना तो डर ही गया लेकिन मुरारी को जवाब देने की हिम्मत उसमे कहा थी भला। शिवम् ने सूना तो मुरारी के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा,”मुरारी शांत हो जाओ घर चलकर बात करते है,,,,,,,,,,!!
जैसे तैसे मुरारी ने अपना गुस्सा कंट्रोल किया और अगले ही पल झुंझलाकर कहा,”कैसी औलाद पैदा किये है हम , जे तो हमरी ही लंका लगाने पे तुले है”
“मुरारी हमने कहा ना घर चलकर बात करते है,,,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना तुम चलो”,शिवम् ने कहा तो मुन्ना ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी।

सुबह का गया शिवम् घर वापस नहीं आया किसी अनहोनी के डर से सारिका का दिल बैठा जा रहा था उसने शिवम् को फोन लगाया। शिवम् ने देखा सारिका का फोन है तो वह सोच में पड़ गया क्योकि जो कुछ भी हो रहा था उस बारे में सारिका को बताकर वह उसे परेशान करना नहीं चाहता था । शिवम् ने सारिका से बात की और उसे चिंता ना करने को कहा साथ ही ये भी कहा की वह घर देर से आएगा। शिवम् से बात करके सारिका को थोड़ी तसल्ली मिली उसने फोन रखा और शाम की आरती करने लगी। आरती करने के बाद सारिका को याद आया की आज वंश सुबह से गायब है सारिका ने पुरे घर में वंश को ढूंढा लेकिन वो उसे कही नहीं मिला। सारिका ऊपर वंश के कमरे में आयी तो देखा वंश का का पूरा कमरा फैला पड़ा है। वंश अपने लेपटॉप में लगा हुआ था ये देखकर सारिका कमरे के अंदर आयी और कहा,”वंश ये सब क्या है बेटा ? तुमने अपने कमरे का ये क्या हाल बना रखा है ?”
“माँ मैं बहुत जरुरी काम कर रहा हूँ प्लीज इस बारे में हम दोनों बाद में बात करेंगे”,वंश ने लेपटॉप में नजरे गड़ाए हुए कहा
“वंश हम देख रहे है दिन ब दिन तुम लापरवाह होते जा रहे हो। अब तुम बच्चे नहीं रहे बेटा”,सारिका ने उसके बिखरे हुए कपड़ो को उठाते हुए कहा
“वही तो मैं कहना चाहता हूँ माँ की अब मैं बड़ा हो गया हूँ,,,,,,,,,ये सब मैं कर लूंगा बाद में”,वंश ने सारिका के हाथ से अपने कपडे लेकर कबर्ड में ठुसते हुए कहा
“अच्छा हमे ये बताओ सुबह से तुम अपने कमरे में कर क्या रहे हो ? आई बता रही थी की दोपहर का खाना भी नहीं खाया तुमने,,,,,,,,,,,,,,वंश ये आदतें अच्छी नहीं है बेटा”,सारिका ने वंश के बालो को सही करते हुए कहा
“माँ मैं कुछ जरुरी काम कर रहा था अपनी स्टडी को लेकर ,,,,,,,,,,,,,,,बस उसी में बिजी था। आप मेरे लिए कुछ बना देगी प्लीज मुझे बहुत भूख लगी है”,वंश ने छोटे बच्चे की तरह मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा।
“स्टडी कर रहे थे ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा,,,,,,,,,,,,,सॉरी हमने तुम्हे डिस्टर्ब किया , हम तुम्हारे लिए कुछ अच्छा सा बनाकर दीना भैया के हाथो भिजवाते है,,,,,,,,ठीक है”,सारिका ने प्यार से कहा
“थैंक्यू माँ”,वंश ने खुश होकर कहा और वापस अपने लेपटॉप के सामने बैठकर काम करने लगा। कुछ देर बाद सारिका ने उसके लिए खाने को भिजवाया और खुद बाबा के पास चली आयी।

मुन्ना शिवम् और मुरारी के साथ घर पहुंचा। तीनो अंदर आये। आज अचानक शिवम् को अपने घर में देखकर अनु का चेहरे खिल उठा और उसने कहा,”अरे जीजू आप इस वक्त ?”
“अनु किशना से कहके चाय भिजवाओ हमारे ऑफिस वाले कमरे में”,मुरारी ने कहा और चला गया। मुरारी का उखड़ा मूड देखकर अनु को अजीब लगा वह शिवम् के पास आयी और कहा,”जीजू इनको क्या हुआ है ?”
“कुछ नहीं सुबह से वो फैक्ट्री वाले काम में लगे हुए है ना तुम्हारे मुरारी तो थोड़ा सा चिड़चिड़ा गए है”,शिवम् ने मुस्कुरा के कहा
“हां जैसे जैसे उनकी उम्र हो रही है चिड़चिड़ाना बढ़ता जा रहा है उनका,,,,,,,,,,,,,,,खैर उन्हें छोड़िये आप बताईये क्या खाएंगे ? बहुत दिनों बाद घर आये है आपको ऐसे नहीं जाने दूंगी”,अनु ने खुश होकर कहा
“सारिका बता रही थी की तुम गोभी के पराठे बड़े अच्छे बनाती हो , आज तो हम वही खाएंगे”,शिवम् ने कहा
“ठीक है आप चलकर बैठिये पहले मैं आपके लिए चाय भिजवाती हूँ बाद में पराठे”,कहते हुए अनु किचन की तरफ चली गयी। मुन्ना हाथ मुंह धोने वाशबेसिन की ओर चला गया। शिवम् ने जान बुझकर अनु को बिजी कर दिया ताकि वह उन लोगो की तरफ ना आये। शिवम् ने मुन्ना को मुरारी के ऑफिस में आने को कहा और खुद भी उस तरफ चला गया। मुंह धोते हुए मुन्ना के दिमाग में अनगिनत सवाल आ जा रहे थे , खैर हिम्मत करके मुन्ना उनके सामने गया। मुरारी तो बस उसे घूरे जा रहा था। शिवम् भी वही सोफे पर शांत भाव से बैठा था। मुन्ना ने उन दोनों को देखा और कहने लगा
“सबसे पहले तो हम आप दोनों से माफ़ी चाहते है हमने आज जो कुछ भी किया वो सही नहीं था लेकिन हमारे पास और कोई उपाय भी नहीं था। बड़े पापा और आपने जिस जमीन को लेकर पेपर्स बनवाये थे वो जगह बनारस के महंतो की है जिसे सी.एम. सर ने धोखे से अपने कब्जे में कर लिया था और उस जमीन के चार हिस्से करके बड़े पापा , आपके , प्रताप चाचा और उस व्यापारी के बेटे के नाम करवा दी। आपको (मुरारी की तरफ देखकर ) लगा उन्होंने आपके काम से खुश होकर आपको वो जमीन दी है नहीं , उन्होंने उसे इसलिए हिस्सों में बटवाया ताकि किसी को उन पर शक ना हो। वहा के महंत और उनके साथियो को उन्होंने डरा-धमका कर निकलवा दिया। पापा और आपका अच्छा नाम है इसलिए उन्होंने उस जगह का आधा हिस्सा आपको दे दिया ताकि उनका सच सामने भी आये तो वे लोग आप दोनों को फंसा सके। जो शुगर फैक्ट्री बड़े पापा शुरू करने वाले थे उसमे शराब और दूसरी नशीली चीजे बनाई जानी थी , जिसका लाइसेंस भले बड़े पापा के नाम पर होता लेकिन उस में हो रहा काम गैर क़ानूनी होता। इस पुरे षडयंत्र में कमिशनर सर , सी.एम. सर और केशर का हाथ था लेकिन उन्होंने प्रताप को भी इसमें शामिल कर लिया।”
मुन्ना की बात सुनकर मुरारी और शिवम् एक दूसरे की तरफ देखने लगे उन्हें अंदाजा भी नहीं था की उनकी पीठ पीछे ये सब हो रहा था। दोनों मुन्ना की तरफ देखने लगे तो मुन्ना ने आगे कहना शुरू किया
“हमे पहले से इन लोगो पर थोड़ा शक था फिर जब मीटिंग वाली जगह हमने प्रताप को पापा से उलझते देखा तो हमे थोड़ी गड़बड़ लगी और हमने प्रताप की छानबीन शुरू कर दी। राजन और वंश का जब झगड़ा हुआ था तब हमने ही प्रताप के घर जाकर राजन को पीटा था”
इतना सुनते ही मुरारी की आँखे फ़ैल गयी उस सुबह उसने खामखा वंश को डाट लगा दी थी। मुन्ना ने आगे कहना शुरू किया,”उस रात जब हम राजन के घर गए थे तब हमने वहा केसर प्रताप से बात करते देखा था हमारा शक यकीन में बदल गया था कोई बड़ी प्लानिंग चल रही थी जिसमे प्रताप भी शामिल था लेकिन तब तक हम ये नहीं जानते थे की उसमे आप भी शामिल है। जब बड़े पापा ने हमसे प्रताप की छानबीन करने को कहा तब हमने उसके सारे बैंक अकाउंट छान मारे लेकिन उसके पास कुछ नहीं मिला। प्रताप ने इन्ही कुछ दिनों में आखरी फण्ड सी.एम सर को भेजा था और उन्होंने उस फंड का 8 गुना पैसा एक अकाउंट में ट्रांसफर किया था। जानते है वो अकाउंट किसका था ?”
“किसका ?”,शिवम् ने पूछा
“8430101#####”,मुन्ना ने एक अकाउंट नंबर बताया
“जे तो हमरा अकाउंट है , कुछ दिनों पहले ही सी.एम. सर ने यहाँ के सरकारी स्कूलों को लेकर फंड भेजने की बात कही थी”,मुरारी ने कहा
“जानते है वो फंड कितना था ?”,मुन्ना ने इस बार मुरारी की तरफ देखकर पूछा
“नहीं पर हमने अपने पी.ए. से कहा था सब देखने को”,मुरारी ने कहा
“पुरे 18 करोड और वो कोई फंड नहीं था बल्कि बनारस ककी जनता से लूटा गया पैसा था , उन लोगो की मेहनत की कमाई और आपके लिए काला धन जिसका आपके पास कोई रिकॉर्ड नहीं रिकॉर्ड था”,मुन्ना ने सहजता से कहा
मुरारी ने सूना तो अपनी कुर्सी से गिरते गिरते बचा क्योकि 18 करोड़ उसने अपनी पूरी जिंदगी में एक साथ नहीं देखे थे। मुरारी का गला सूखने लगा। मुन्ना ने टेबल पर रखा पानी का ग्लास उठाकर मुरारी की तरफ बढ़ा दिया। मुरारी ने पानी पीया और कहा,”18 करोड़ लेकिन इतना पैसा हमारे अकाउंट में काहे ?”
“इन सबने मिलकर आपके और बड़े पापा के अच्छे पन का फायदा उठाया है। इन्होने अपने गलत इरादों को अंजाम देने के लिए इन्होने शुगर फैक्ट्री बनाने का नाटक किया और आप दोनों ने इसे बनारस के लिए अच्छा काम समझकर हाँ कह दी , आपने थोड़ी सी भी छानबीन नहीं की और इन लोगो पर आँख बंद करके भरोसा कर लिया। कल दिनभर हमने बहुत कोशिश की पापा के अकाउंट को हैक करने की लेकिन नहीं हो पा रहा था। हमारे पास कोई दुसरा उपाय नहीं था इसलिए कल रात हम उस जगह गए जहा केसर रुका हुआ था। वो हमे नहीं जानता था इसलिए बातो बातो में उसने फैक्ट्री का जिक्र किया और कहा की कल बहुत बड़ा कांड होने वाला है। हम घर आये हमे कुछ समझ नहीं आ रहा था हमे बस आप दोनों को वहा जाने से रोकना था , इतना वक्त नहीं था हमारे पास की हम आपको सब समझा पाते इसलिए हमने ड्राइवर की जगह ले ली और आप दोनों को शहर से बाहर ले गए।”
“और काशी,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् को अभी भी काशी की चिंता हो रही थी
“काशी ठीक है बड़े पापा कल रात हमने ही उस से हेल्प मांगी थी और ये छोटा सा नाटक करने को कहा क्योकि हम जानते थे काशी के आगे आप कमजोर पड़ जायेंगे। हम आपको झूठ बोलना नहीं चाहते थे पापा लेकिन आज आपका वहा जाना सही नहीं होता। आपको लग रहा होगा वहा फैक्ट्री का काम शुरू होना था नहीं बल्कि वहा मौजूद वो सब लोग बनारस को बाटने वाले थे और ऐसे में आप दोनों का वहा होना सही नहीं होता,,,,,,,,,,,,,,,,,आप अपने साथ हुए धोखे को अपनी आँखों से नहीं देख पाते,,,,,,,,,,,आपका बनारस जिस से आपको बहुत प्यार है उसे बटता नहीं देख पाते,,,,,,,,,,,,लेकिन महादेव ये नहीं होने दे सकते थे शायद इसलिए वहा पुलिस फ़ोर्स की पूरी टीम पहुचं गयी और उन सबको मोके पर ही गिरफ्तार कर लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये सब करने में अगर हमने आप दोनों को ठेस पहुंचाई हो तो हम माफ़ी चाहते हैं।”,मुन्ना ने हाथ जोड़ते हुए कहा
शिवम् ने सब सच सूना तो उसका दिल ही टूट गया। उसने गलत लोगो पर भरोसा कैसे कर लिया यही बात उसे खल रही थी।
मुरारी तो बेचारा जैसे सदमे में ही चला गया। उसे अपने साथ हुए इस कांड से ज्यादा सदमा इस बात का लगा की शांत सा दिखने वाला मुन्ना अब तक ये सब कर रहा था और किसी को कानो कान खबर तक नहीं। मुन्ना अपनी बात जारी रखता इस से पहले अनु सबके लिए चाय ले आयी। जबरदस्ती तीनो को अपने चेहरे पर मुस्कराहट लानी पड़ी। अनु ने चाय रखी और वापस चली गयी
मुन्ना कुछ देर शांत रहा और फिर कहने लगा,”जो कुछ भी हुआ है उस से सब ठीक हो जाएगा इसकी हम गारंटी तो नहीं देते लेकिन हाँ बनारस के लोगो का भरोसा नहीं टूटेगा जो वो आप दोनों पर करते है। आप दोनों ने कभी कोई गलत काम नहीं किया हम जानते है लेकिन अनजाने में हुई गलतिया भी अक्सर बहुत बड़ा नुकसान कर देती है। हमने जो कुछ भी किया अपने परिवार को बचाने के लिए किया बड़े पापा हमारी जगह आप होते तो शायद आप भी यही करते”
शिवम् ने सूना तो वह उठा और मुन्ना के सामने आकर उसके कंधो को थामकर कहा,”नहीं मुन्ना हम तुम्हारी जगह होते तो ऐसा कभी नहीं करते”
शिवम् की बात सुनकर मुन्ना को लगा शायद उस से गलती हुई है उसने बैचैन आँखों से शिवम् की तरफ देखा तो शिवम् ने उसके कंधो को दबाकर कहा,”तुम्हारे जितना संयम हम में नहीं है मुन्ना , तुमने बिना किसी को तकलीफ पहुंचाए इतना बड़ा काम किया हम होते तो शायद कभी नहीं कर पाते। बनारस के लिए तुम्हारा जो प्यार है वो तुम्हारी आँखों में दिखाई देता है। हमसे और मुरारी से भूल हुई है और इसका पश्चाताप हम जरूर करेंगे। अपने स्वार्थ के लिए तो हर कोई लड़ता है मुन्ना लेकिन तुमने जो बनारस के खातिर किया उसके लिए हम जिंदगीभर तुम्हारे शुक्रगुजार रहेंगे। खुश रहो”
मुन्ना ने सूना तो थोड़ा सा भावुक हो गया ये देखकर शिवम् ने उसे गले लगा लिया और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”मुरारी बहुत खुशनसीब है मुन्ना जिसे तुम्हारे जैसा बेटा मिला है”
“हम डर गए थे बड़े पापा , हमे लगा हम ये नहीं कर पाएंगे ,, जिस राजनीती से हम दूर भागते आये है उस राजनीती ने आज हमे ये करने पर मजबूर कर दिया”,मुन्ना ने उदासी भरे लहजे में कहा
मुरारी अपनी जगह से उठा और मुन्ना के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”राजनीती बुरी नहीं है बेटा बस कुछ लोगो के लालच ने उसे ऐसा बना दिया है। हमारी इस विधायकी ने हमरे बच्चो को आज हिया लाकर खड़ा कर दिया”
शिवम् ने देखा इतने सालो में पहली बार मुरारी की आँखों में नमी थी उसने मुरारी के कंधे पर अपना हाथ रखा और अपनी पलके झपका दी।

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क्या शिवम् और मुरारी खुद को सही साबित कर पाएंगे ? क्या मुरारी खुद को माफ़ कर पायेगा ? क्या ये सब पहले वाली जिंदगी जी पाएंगे ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 51

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