Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 71

Main Teri Heer – 71

Main Teri Heer
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प्रताप के कहने पर प्रताप के आदमी शक्ति को पकड़कर ले आये। शक्ति जो की जानता था ऐसा कुछ होने वाला है उसने पहले ही विष्णु को इस शहर से दूर भेज दिया। शक्ति घुटनो के बल गिरा हुआ था , और प्रताप के आदमी उसे घेरे खड़े थे। प्रताप नीचे आकर शक्ति के सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठा , उसने पान चबाते हुए एक बार फिर पीक साइड में थुकी और शक्ति की तरफ देखने लगा। शक्ति जिसे इस वक्त डरना चाहिए था वह प्रताप को घूरे जा रहा था। प्रताप से ये बर्दास्त नहीं हुआ तो उसने शक्ति की तरफ झुककर गुस्से से कहा,”तुम्हरी इतनी हिम्मत के हमरे सामने बैठकर तुम हमे ही आँख दिखाओ”
“क्यों तुम्हे डर लग रहा है क्या ?”,शक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा तो प्रताप के एक आदमी ने हाथ में पकडे डंडे को शक्ति की पीठ पर दे मारा लेकिन शक्ति के मुंह से एक आह तक नहीं निकली उलटा हसने लगा। उसे हँसते देखकर शक्ति ने कहा,”लगता है ससुरा पगला गया है अबे हंस काहे रहे हो ?”
“हम इसलिए हंस रहे है क्योकि 10 मिनिट बाद तुम और तुम्हारे आदमी यहाँ जमीन पड़े धूल चाटते नजर आएंगे”,शक्ति ने हँसते हुए कहा
“शिवमवा से हाथ मिलायके खुद को तीस मार खा समझ रहे हो , तुमको का लगा तुमहू उसके साथ मिलके हमको जेल भेज दोगे और हम डर जायेंगे,,,,,,,,,,,,हमरा नाम है प्रताप सिंह हमको आज तक शिवमवा कुछो नहीं कर पाया , तुमको लगता है तुम कुछो उखाड लोगो,,,,,,,,,,,,,उह शिवमवा जोन तुमरे माँ-बाप को मारा तुमहू उसी से हाथ मिला लिए,,,,,,,,,,,,का बदले की आग ठंडी हो गयी तुमरी”,प्रताप ने कहा
राजन और भूषण भी मामला समझने के लिए उस ओर चले आये। शक्ति ने प्रताप की बात सुनी तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया उसने अपने बगल में खड़े आदमी के पैर अपने सर को जोर से दे मारा आदमी दर्द के मारे बिलबिला के वही गिर पड़ा। प्रताप और प्रताप के आदमी कुछ समझ पाते इस से पहले शक्ति उठा और उन्हें बुरी तरह मारने लगा। जो गुस्सा और नफरत अब तक उसने अपने अंदर दबा रखी थी वो सब आज यहाँ निकला। जैसा की शक्ति ने कहा था 10 मिनिट बाद प्रताप , राजन और भूषण को छोड़ बाकी सब जमीन पर पड़े धूल चाट रहे थे। ये देखकर प्रताप अंदर से हिल गया क्योकि इस वक्त शक्ति में उसने 25 साल पुराने शिवम् को देखा था। वह कुर्सी छोड़कर उठ खड़ा हुआ। शक्ति गुस्से से पलटा और एक घुसा प्रताप के बगल वाले खम्बे पर दे मारा लड़की का वो खम्बा टूटकर बिखर गया। शक्ति ने प्रताप की कॉलर पकड़ी और अपने करीब करके कहा,”तुम्हे सिर्फ इसलिए छोड़ रहे है क्योकि एक वक्त पर हमने तुम्हारा नमक खाया था , दोबारा जे गलती करनी की भूल मत करना। हमारे माँ-बाप को जिसने मारा था वो हम जान चुके है इसलिए आज से तुम्हारा और हमारा रिश्ता खत्म”
प्रताप शक्ति के आँखों में छलकते गुस्से को साफ देख सकता था वह जान गया की शक्ति को सब सच पता चल चुका है। शक्ति को अपने पापा की कॉलर पकडे देखकर राजन को गुस्सा आ गया तो उसने शक्ति को उनसे दूर करते हुए कहा,”अबे पगला गए हो पापा ने तुमको रहने को घर दिया , खाना दिया और तुमहू साले इन्ही की कॉलर पकड़ रहे हो , और उह शिवम् गुप्ता जिसने कभी तुम्हारी खबर तक नहीं ली उसके लिए तुम जे सब कर रहे हो ? का रीजन है इसके पीछे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,?”
“भैया रीजन हम जानते है , गुप्ता जी की लौंडिया पर नजर है इसकी , हमने एक दो बार घाट पर साथ देखा है इसको,,,,,,,,,,,,,,काफी क्लोज थे दोनों”,भूषण ने कहा तो शक्ति उसे घूरने लगा और राजन को भी ये बात पसंद नहीं आयी उसने शक्ति की कॉलर पकड़ ली और कहा,”भूषण जो कह रहा है उह सही है का , देखो हमरे पिताजी से तुमको जो दुश्मनी रखनी है रखो लेकिन काशी से दूर रहो समझे,,,,,,,,,,,,,,,,,काशी को हम बहुते पसदं करते है और बहुत जल्द उह इह घर की बहू बनने वाली है”
शक्ति ने बड़े ही आराम से राजन के हाथो को नीचे किया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”प्यार करते है हम काशी से , और तुमने तो क्या अगर बनारस के किसी भी लौंडे ने उसकी तरफ आँख उठाकर भी देखा तो उसको जिन्दा जमींन में गाड़ देंगे,,,,,,,,,,,,,,,इह बात अच्छे से अपने भेजे में उतार लो तुम”
राजन ने सूना तो गुस्से से उसके नथुने फूल गए उसने जैसे ही प्रताप पर हाथ उठाने की कोशिश की प्रताप ने उसकी कॉलर पकड़ कर उसका सर बगल की दिवार से भिड़ाते हुए कहा,”हम पागल है उसके लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,वो सिर्फ हमारी है और हम उसके इसलिए तुम्हारी भलाई इसी में है की उसे भूल जाओ वरना तुम्हारा वो हाल करेंगे कुछ याद नहीं रख पाओगे”
राजन के सर से खून निकलकर कनपटी से बहने लगा। शक्ति का गुस्सा देखकर भूषण ने भी अपने कदम पीछे ले लिए। शक्ति ने एक नजर प्रताप को देखा और फिर वहा से चला गया। राजन ने शक्ति के पीछे जाने की कोशिश की तो प्रताप ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”नहीं राजन , बनारस फिर अपना इतिहास दोहरा रहा है,,,,,,यही गुस्सा 25 साल पहले हमने शिवम् की आँखों में देखा था सारिका के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,शक्ति के रास्ते में मत आओ हम तुमको खोना नहीं चाहते”
प्रताप की बात सुनकर राजन रुक गया और सहसा ही उसका हाथ अपनी कनपटी पर चला गया। उसने अपनी उंगलियों पर लगे खून को देखा तो अचेत होने लगा। भूषण और प्रताप ने उसे सम्हाला,,,,,,,,,,,,,,,,प्रताप की नजरे अभी भी अपने घर के दरवाजे की ओर थी जहा से कुछ देर पहले एक तूफान आया था और सब तबाह करके जा चुका था।

प्रताप के घर से निकलकर शक्ति बाजार की तरफ चल पड़ा। संकरी गलियों से होते हुए शक्ति चला जा रहा था। उसकी आँखे काशी को देखने के लिए बैचैन थी। चलते चलते शक्ति की नजर अपने हाथ पर गयी जिस पर चोट लगी , उसने गली की एक दुकान पर लटके स्कार्फ में से एक पतला स्कार्फ निकाला और अपने हाथ पर लपेटते हुए आगे बढ़ गया। चलते चलते उसके कानो में अपनी ही कही बात गुंजी “प्यार करते है हम काशी से , “हम पागल है उसके लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,वो सिर्फ हमारी है और हम उसके”
शक्ति के होंठो पर मुस्कान तैर गयी , उसे काशी से इतना प्यार हो जाएगा उसने कभी सोचा नहीं था। चलते चलते काशी अस्सी घाट की तरफ चला आया। काशी अक्सर यहाँ आया करती थी , शक्ति ने चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन आज काशी यहाँ नहीं थी। शक्ति की नजर अस्सी घाट से लगकर जाती गली की तरफ जाती है तो उसे वो पल याद आ जाता है जब काशी उसका हाथ पकड़कर उसे वहा लेकर गयी थी और बारिश शुरू हो गयी , लेकिन आज काशी को वहा ना देखकर शक्ति की आँखे नम हो गयी। उसने नजरे घुमा ली तभी नजर कुछ दूर एक चाय की टपरी पर चली गयी। ऐसे ही एक चाय की दुकान पर खड़े होकर काशी ने साथ चाय पी थी और उस वक्त कितना बोल रही थी वो,,,,,,,,,,,लेकिन आज शक्ति उसकी आवाज सुनने तक को तरस गया था। नम आँखों के साथ वह फिर मुस्कुराने लगा और बड़बड़ाने लगा,”कैसे मिले काशी से ? काश वो यहाँ होती और हम उसे बता पाते की हम उसे कितना चाहते है,,,,,,,,,,,,,,,हमे उसकी जरूरत है,,,,,,,इस पुरे शहर में अगर कोई हमारा अपना है तो वो सिर्फ काशी है,,,,,,,,,,,हमारी ही गलती की वजह से वो हमसे दूर चली गयी , काश उस सुबह हमने उसे सच ना बताया होता , हालातों के सही होने का इंतजार किया होता तो शायद आज वो हमारे साथ होती,,,,,,,,,,,,,,,कितना चाहती थी वो हमे , और हमने हमेशा कठोर बातें करके उसका दिल दुखाया उसे ठेस पहुंचाई,,,,,,,,,,,,,,,हम तुम्हारे गुनहगार है काशी पर हमे सजा देने के लिए ही सही हमसे मिलो
हम तुम्हे देखना चाहते है , तुमसे बात करना चाहते है , तुम्हारी आवाज सुनने को तरस गए है काशी,,,,,,,,,बस एक बार हमसे मिलों , उसके बाद हम कभी तुम्हे जाने नहीं देंगे”
कहते हुए काशी का दिल भारी होने लगा , गले में दर्द महसूस होने लगा और आँखों में आँसू भर आये। शक्ति काशी को बहुत याद कर रहा था और पिछले दो दिन से वह बस काशी की एक झलक पाने को तरस रहा था लेकिन काशी उसे नहीं मिली। शक्ति ने अपने हाथो को अपने होंठो से लगा लिया और ऊपर आसमान में देखते हुए महादेव से प्रार्थना करने लगा की वह एक बार उसे काशी से मिला दे।

“शाहिद भैया तीन प्लेट चाट लगा दीजिये वो भी तीखी वाली”,काशी की आवाज शक्ति के कानो में पड़ी। शक्ति ने आवाज वाली दिशा में देखा। कुछ ही दूर काशी अपनी दो सहेलियों के साथ शाहिद के ठेले के पास खड़ी थी। काशी को देखकर शक्ति के दिल को सुकून मिला वह कुछ देर अपलक उसे देखता रहा। काशी अपनी सहेलियों से बात करते हुए हंस-मुस्कुरा रही थी। शक्ति की आँखों में आंसू थे लेकिन होंठो पर मुस्कान भी थी उसे काशी को देखकर इतनी ख़ुशी हो रही थी की उसका दिल किया अभी दौड़कर जाये और काशी को गले से लगा ले लेकिन शक्ति वही खड़ा बस उसे प्यार से निहारता रहा। काशी का ध्यान शक्ति पर नहीं गया। शक्ति ने अपने कपडे सही किये , अपने बालों को सही किया , अपनी आँखों को पोछा आज पहली बार काशी के सामने जाते हुए उसे
अपना ख्याल आ रहा था वरना आज से पहले उसने अपने कपड़ो या खुद पर ध्यान नहीं दिया था। शक्ति धड़कते दिल के साथ काशी की ओर बढ़ गया वह काशी के सामने आया और कहा,”काशी”
शक्ति की आवाज काशी के कानो में पड़ी तो उसका दिल धड़क उसने अपनी पलके उठाकर सामने खड़े शक्ति को देखा। काशी ने बड़ी मुश्किल से अपनी आँखों में आते आंसुओ को रोका और शक्ति को इग्नोर कर शाहीद से कहा,”थोड़ा जल्दी कीजिये”
“बस दीदी बना रहे है”,शाहिद ने कहा
“काशी हमे तुमसे कुछ बात करनी है”,शक्ति ने बहुत मुश्किल से कहा
“ऋतू , प्रिया यहाँ से चलते है”,कहते हुए काशी उन दोनों को साथ लेकर जाने लगी तो शक्ति एकदम से उसके सामने आ गया और कहा,”काशी दो मिनिट हमारी बात सुन लो , हमे तुम्हे कुछ बताना है”
शक्ति को अपने सामने देखकर काशी को बहुत तकलीफ हो रही थी , वह इस वक्त शक्ति से कोई बात नहीं करना चाहती थी इसलिए शक्ति के साइड से निकलने लगी तो शक्ति ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”काशी एक बार हमारी बात तो सुनो”
“क्यों सुने हम तुम्हारी बात ?”,काशी ने दर्दभरे स्वर में कहते हुए शक्ति का हाथ झटक दिया। शक्ति काशी की तरफ पलटा तो काशी आँखो में आंसू भरकर कहने लगी,”क्यों सुने हम तुम्हारी बात ? जब हम तुम्हारे पीछे आते थे , तुमसे बात करना चाहते थे तब तुम्हे हम में कोई दिलचस्पी नहीं थी। तुम हमे पसंद नहीं करते ये जानते हुए भी हम तुमसे बार बार मिलते थे , तुम्हारे पीछे आते थे ये सोचकर की एक दिन तो तुम्हे यकीन होगा की हम तुम्हे कितना पसंद करते है , क्यों सुने हम तुम्हारी बात जब तुमने कभी हमारी भावनाओ को नहीं समझा हमेशा हमे दुःख पहुंचाया और हम फिर भी पागलो की तरह तुम्हारा इंतजार करते रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों सुने हम तुम्हारी बात जब तुम्हे हम से प्यार ही नहीं है”
कहते हुए काशी की आँखों में रुके हुए आँसू बह गए काशी की आँखों में आंसू देखकर शक्ति का दिल तकलीफ से भर गया उसे महसूस हो रहा था की उसने अपने व्यवहार से काशी को कितनी तकलीफ दी है। उसका गला भर आया और आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे वह काशी के पास आया और उसके गालों पर आये आंसुओ को जैसे ही पोछने के लिए अपना हाथ बढ़ाया काशी ने अपने दोनों हाथो से शक्ति को पीछे धकेलते हुए कहा,”चले जाओ यहाँ से”
“काशी एक बार हमारी बात सुन लो उसके बाद हम तुम्हारी हर बात मानने को तैयार है , बस एक बार हमारी बात सुन लो”,शक्ति ने दर्दभरे स्वर में कहा
“जब वो कह रही है की वो तुमसे बात नहीं करना चाहती तो तुम जबरदस्ती क्यों कर रहे हो ? तुम शायद वही लड़के हो जिसने काशी का दिल तोड़ा है ,, तुम जानते हो उस दिन कितना रोई थी ये और कितनी तकलीफ हुई थी इसे तुम्हारे बिहेव से ,, अब जब वो चाहती है की तुम उसके सामने ना आओ तो फिर तुम सबके सामने तमाशा क्यों कर रहे हो ?”,ऋतू ने शक्ति को समझाते हुए कहा
“हम जानते है क्योकि वो सब करके हमे काशी से ज्यादा तकलीफ हुई है , हमने जो किया वो गलत था बस हम अपनी सफाई में कुछ कहना चाहता है”,शक्ति ने कहा
“हमे कुछ नहीं सुनना है , क्या कहा था उस दिन तुमने की तुम्हे भूल जाये , तो हम तुम्हे भूल गए है शक्ति , हम भूल गए है की हम तुमसे कभी मिले भी थे , हम भूल गए है की हमने तुमसे कभी प्यार किया था,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए काशी की आँखों से फिर आंसू बहने लगे।
“तो फिर रो क्यों रही हो ?”,शक्ति ने काशी की आँखों से बहते आंसुओ को देखकर कहा
“क्योकि ये सब कहते हुए हमे बहुत तकलीफ हो रही है”,काशी ने लगभग रोते हुए कहा। ऋतू से ये सब देखा नहीं गया तो उसने कहा,”काशी चलो यहाँ से”
काशी वहा से जाने लगी तो शक्ति ने एक बार फिर उसकी कलाई पकड़ ली और कहा,”जाने से पहले तुम्हे हमारी बात सुननी होगी काशी , तूम ऐसे मुंह फेरकर नहीं जा सकती”
काशी ने कुछ नहीं कहा उसने अपनी आँखे मूंद ली वो जानती थी की बाहर से वो कितना भी दिखाए की उसे शक्ति की परवाह नहीं है लेकिन वह अभी भी उसे बहुत पसंद करती थी और इस वक्त उसे बहुत तकलीफ हो रही थी। वहा आसपास खड़े लोग उन्हें देखने लगे , शक्ति को सब जानते थे लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी की वहा आकर शक्ति से कुछ कह सके सब चुपचाप खड़े तमाशा देख रहे थे। काशी को खामोश देखकर शक्ति ने उसका हाथ छोड़ दिया। उसका दिल भर आया और उसे लगा की वह अभी रो देगा उसने बहुत मुश्किल से अपनी आँखों में आये आंसुओ को रोका लेकिन अगले ही पल एक जोरदार घुसा आकर शक्ति को लगा और वह मुंह के बल नीचे जा गिरा।
काशी घबराकर पलटी , शक्ति नीचे गिरा हुआ था और उसे मारने वाला कोई और नहीं बल्कि मुन्ना था। काशी ने मुन्ना को वहा देखा तो डर गयी क्योकि वह कभी नहीं चाहती थी शक्ति और मुन्ना का सामना हो। गौरी काशी के पास आयी और उसे सम्हाला।
दरअसल पुराना बाजार जाते हुए मुन्ना गौरी को लेकर जब इधर से गुजरा तो अचानक उसकी नजर काशी पर गयी जिसका शक्ति से हाथ पकड़ा हुआ था। मुन्ना ने अपनी बाइक रोकी और उतरकर उस तरफ आया और शक्ति को एक घुसा दे मारा। गिरने की वजह से शक्ति के होंठ से खून निकल आया। वह सम्हल पाता इस से पहले ही मुन्ना ने उसे मारना शुरू कर दिया। शक्ति चुपचाप मार खाता रहा लेकिन बदले में उसने मुन्ना पर एक बार भी हाथ नहीं उठाया , ना ही बचाव की कोशिश की। वह बस मुन्ना से मार खाता रहा। शक्ति को पीटते हुए मुन्ना की नजर काशी पर पड़ी उसकी आँखों में आँसू देखकर मुन्ना को इतना बुरा लगा की उसने शक्ति का सर पास ही खम्बे से दे मारा। शक्ति सर से खून निकलकर कनपटी पर बहने लगा लेकिन उसने उफ़ तक नहीं , वह बस काशी को देखता रहा।
काशी की अवाक् थी , उसकी आँखों से आंसू बहते रहे ना वह मुन्ना को रोक पाई ना ही कुछ बोल पाई। काशी जानती थी की जितना प्यार मुन्ना उस से करता है वह कभी उसकी आँखों में आंसू नहीं देखना चाहेगा। मुन्ना का गुस्सा देखकर गौरी , प्रिया और ऋतू भी डर गयी क्योकि हमेशा शांत रहने वाला , सबसे प्यार से बात करने वाला मुन्ना आज शक्ति को बेरहमी से पीट रहा था।
“आँखे नीची कर”,मुन्ना ने शक्ति को घुसा मारते हुए कहा लेकिन शक्ति की आँखे अभी भी काशी पर थी। मुन्ना ने उसकी कॉलर पकड़ी और तकलीफ भरे शब्दों में कहा,”अगर तू वही है जिसने काशी का दिल तोड़ा है , उसे तकलीफ पहुंचाई है तो हम चाहेंगे की तुम आज के बाद उस से ना मिलो क्योकि हम सबकुछ देख सकते है लेकिन अपनी बहन की आँखों में आँसू नहीं,,,,,,,,,,,,,,आज के बाद हमारी बहन से दूर रहना तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,समझे ?”
कहते हुए मुन्ना ने शक्ति को धक्का दे दिया। शक्ति नीचे जा गिरा लेकिन उसकी नजरे अभी भी काशी पर थी। शक्ति को पीटते देखकर आखिर काशी से रहा नहीं गया। उसने गौरी से अपनी बाँह छुड़ाई और मुन्ना के पास आकर उसकी बाँह पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”मत मारिये भैया”
काशी को रोते देखकर मुन्ना रुक गया , उसने काशी के आंसू पोछे और उसे अपने सीने से लगाकर शक्ति की तरफ देखकर गुस्से में कहा,”आज के बाद काशी से दूर रहना”
शक्ति ने कुछ नहीं कहा बस जवाब में मुस्कुरा दिया क्योकि वो जानता था की काशी अभी भी उस से प्यार करती है। मुन्ना काशी को लेकर चला गया।
मुन्ना इस वक्त गुस्से में था और वह किसी से बात करना नहीं चाहता था। उसने वहा खड़े रिक्शा वाले को बुलाया और गौरी ऋतू प्रिया को उसमे बैठने को कहा।
“मैं काशी के साथ रुक जाती हूँ”,गौरी ने डरते डरते कहा
“हमने कहा ना आप सब घर जाएँगी”,मुन्ना ने गुस्से से कहा तो गौरी सहम गयी और चुपचाप बिना सवाल जवाब किये ऋतू प्रिया के साथ रिक्शा में आ बैठी।
अस्सी घाट के पंडित जी ने शक्ति को बदहाल देखा तो उसके पास आये और कहा,”जे का शक्ति ? किसने किया जे सब ? तुम तो बहुते जख्मी हालत में हो,,,,,,,,,,,,,,,अरे तुम में से आओ कोई हमारी मदद करो” शक्ति कुछ जवाब दे पाता इस पहले अचेत हो गया

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क्या राजन काशी को पाने के लिए शक्ति से लड़ेगा या मान लेगा हार ? क्या काशी समझेगी शक्ति के जज्बात ? क्या मुन्ना रोक पायेगा अपना गुस्सा ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 72

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