Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

मैं तेरी हीर – 18

Main Teri Heer – 18

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |

Main Teri Heer – 18

शक्ति और काशी ने डिनर किया और फिर दोनों होटल से बाहर चले आये। गाड़ी के पास आकर शक्ति ने अपने आगे चलती काशी का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। काशी ने पलटकर शक्ति को देखा और अपनी भँवे उचकाई। शक्ति ने काशी को अपनी तरफ खींचा और उसकी आँखों में देखने लगा। शक्ति की इस हरकत से काशी का दिल धड़कने लगा। वह एकटक शक्ति की आँखों में देखते रही लेकिन कुछ बोल नहीं पायी। ठंडी हवाएं चल रही थी जिस से काशी के बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे थे।

शक्ति ने देखा तो धीरे से अपनी ऊँगली से काशी के बालों की लट को साइड किया और कहा,”काशी !”
“हम्म्म्म !”,मुश्किल से काशी के गले से आवाज निकली
“आज तुम बहुत प्यारी लग रही हो।”,शक्ति ने आँखों मे शरारत भरते हुए कहा और जैसे ही अपने होंठो को काशी के होंठो की तरफ बढ़ाया काशी ने अपनी आँखे मूँद ली। शक्ति के होंठ काशी के होंठो को छू पाते इस से पहले ही गाड़ी का हॉर्न बजा और शक्ति काशी से दूर हो गया।

शक्ति ने देखा उनके बगल में ही खड़ी गाड़ी में बैठा आदमी हॉर्न बजाकर शक्ति और काशी को साइड होने को कह रहा था। शक्ति काशी को लेकर अपनी गाडी की तरफ बढ़ गया। अचानक तेज हवाएं चलने लगी। शक्ति ने काशी से गाड़ी में बैठने को कहा और खुद भी ड्राइवर सीट पर आ बैठा।
हवा की वजह से काशी के बाल बिखर गए और कुछ उलझ भी गए। काशी को अपने बालो से झूंझते देखकर शक्ति ने कहा,”लाओ हम कर देते है।”


काशी ने सूना तो उसे हैरानी हुई क्योकि शक्ति एक पुलिस वाला था और वह बहुत कम रोमांटिक चीजे काशी के साथ किया करता था। काशी को अपनी तरफ देखते पाकर शक्ति ने कहा,”क्या हुआ ? लाओ हम कर देते है।”
काशी ने अपने बालों को छोड़ दिया और पलटकर बैठ गयी। शक्ति ने बड़े ही आराम और प्यार से काशी के बालों को अपने हाथो में लिया और धीरे धीरे उन्हें समेटते हुए गोल गोल मोड़ने लगा। शक्ति ने काशी के बालों का जुड़ा बनाकर उन्हें अटका दिया।
“हम्म्म्म हो गया,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा


काशी सीधे होकर बैठ गयी और कहा,”तुम ये सब भी कर लेते हो ?”
“सबके लिए नहीं पर हाँ तुम्हारे लिए कर सकते है।”,शक्ति ने प्यार से कहा
काशी ने देखा शक्ति की आँखों में उसके लिये आज प्यार कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा था। वह मुस्कुरा उठी और सामने देखने लगी। शक्ति ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया। होटल से घर अभी थोड़ी दूर था और शक्ति भी काशी के साथ थोड़ा वक्त बिताना चाहता था।


गाड़ी में फैली ख़ामोशी देखकर काशी ने कहा,”म्यूजिक ?”
“हम्म्म !”,शक्ति ने कहा
काशी ने गाड़ी का म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया और एक प्यारा सा गाना बजने लगा।
“ए मेरे हमसफ़र , ए मेरी जाने जा।
मेरी मंजिल है तू , तू ही मेरा जहा”


शक्ति ने सूना तो मुस्कुरा उठा शक्ति को ऐसे गाने बहुत पसंद थे लेकिन काशी ने ये गाना पहली बार ही सूना था। वह बड़े ध्यान से गाने को सुन रही थी। शक्ति ने काशी को गाने में खोया देखा तो उसने काशी का हाथ अपने हाथ में लिया और गाड़ी के गेयर पर रख लिया। शक्ति की छुअन से काशी को एक सिहरन सी हुई उसने अपना सर शक्ति के कंधे पर रख लिया और आने वाली जिंदगी के हसीन ख्वाब देखने लगी।

गौरी का घर
जय को परेशान करने के बाद गौरी ने उसे अपना लेपटॉप दे दिया। जय ने गौरी का लेपटॉप उठाया और अपने कमरे में चला गया। जय के जाने के बाद गौरी ने एक बार फिर मुन्ना का नंबर डॉयल किया लेकिन इस बार भी फोन बंद आ रहा था। गौरी ने फोन साइड में रखा और पीठ के बल लेटकर कमरे की छत पर लगे पंखे को देखते हुए मन ही मन सोचने लगी,”ये मान कितना अजीब लड़का है , ऐसे अपना फोन बंद कौन करता है ? क्या वो भूल गया है मिलों दूर बैठी कोई लड़की उसके इंतजार में जाग रही है।

हो ना हो वो इस वक्त जरूर मेरी सौतन के साथ ही होगा,,,,,,,,,,,,,हाँ हाँ मेरी सौतन , बनारस के उन घाटों को मैं अपनी सौतन कहू तो गलत नहीं होगा। जब भी मान खुश होता है घाट जाता है और जब भी उदास या परेशान होता है वह घाट पर ही जाता है। पता नहीं ऐसा क्या है उन घाटों में जो मान को वो सब इतना अच्छा लगता है। खैर मैं उस से उसका सुकून भी नहीं छीन सकती,,,,,,,,,,,,,उसे घाट पसंद है तो मुझे उन घाटों पर घूमता वो ,

उसे बनारस पसंद है तो मुझे बनारस में घूमता वो , उसे गौरी पसंद है तो मुझे गौरी को पसंद करता वो,,,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह ये तो एक कविता बन गयी , इस बार मैं उस से मिलूंगी तब उसे ये जरूर सुनाऊँगी,,,,,,,,,,,शायद वो मुझसे थोड़ा इम्प्रेस हो जाये और मुझे गोद में उठा ले।”
गोद में उठाने का सोचकर ही गौरी को एकदम से वो शाम याद आ गयी जब मुन्ना ने उसे गोद में उठाया हुआ था और जैसे ही वह घाट से बाहर आया अपने घरवालों को सामने देखकर उसने गौरी को गोद से नीचे गिरा दिया था।

वो वाक्या याद आते ही गौरी के चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी और गुस्से के भाव झिलमिलाने लगे। वह उठकर बैठ गयी और कहा,”हाह वो मान कितना बद्तमीज और डरपोक है , अपने पापा को देखते ही कैसे उसने मुझे उस दिन नीचे गिरा दिया था अह्ह्ह्हह पर कोई बात नहीं वो बहुत मासूम और प्यारा है मैंने तो उसे उसी दिन माफ़ का दिया था। वैसे भी उसे इतनी अच्छी लड़की कहा मिलेगी जो उसे इतनी जल्दी माफ़ कर दे , तुम्हे तो मुझ पर प्राउड होना चाहिए,,,,,,,,,,तुम्हे क्या मुझे तो खुद पर प्राउड हो रहा है।”


“गौरी तुम अभी तक सोई नहीं।”,नंदिता ने कमरे में आते हुए कहा
नंदिता की आवाज से गौरी की तंद्रा टूटी और उसने पलटकर देखा। नंदिता को अपने कमरे में देखकर गौरी ने कहा,”मॉम आप अभी तक जाग रही हो , आपकी आँखों के नीचे डार्क सर्कल हो जायेंगे।”
“अच्छा , और तुम क्यों जाग रही हो ? क्या तुम्हे अपनी आँखों की परवाह नहीं है ?”,नंदिता ने कहा
“मैं बस सोने ही जा रही थी , आप भी जाकर सो जाईये”,गौरी ने कहा


“हम्म्म ठीक है गुड नाईट।”,नंदिता ने कहा और जाने लगी
“मॉम,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“हाँ,,,,,,,!!”,नंदिता ने पलटकर कहा
“क्या आज रात आप यहाँ सो जाएँगी , मेरे साथ,,,,,,,,,,,,,,एक्चुली मुझे अकेले नींद नहीं आ रही है।”,गौरी ने मासूम सी शक्ल बनाकर कहा


“गौरी तुम अब बच्ची नहीं रही हो।”,नंदिता ने कहा
“मॉम प्लीज,,,,,,,,,,,,प्लीज सिर्फ आज , वैसे भी कुछ साल बाद तो मैं बनारस चली जाउंगी।”,गौरी ने मुंह बनाते हुए कहा
नंदिता ने सूना तो वह गौरी के पास चली आयी और उसका कान पकड़ते हुए कहा,”तुम्हे देखकर तो लग रहा है जैसे कल ही तुम्हारी शादी करके तुम्हे मानवेन्द्र जी के घर भेज दिया जाये।”
“अह्ह्ह काश ये हो सकता,,,,,,!!”,गौरी ने कहा


“क्या कहा तुमने , बेशर्म,,,,,,,!!”,नंदिता ने गौरी का कान खींचते हुए कहा
“आह सॉरी सॉरी मैं तो बस मजाक कर रही थी , मॉम छोड़िये ना प्लीज,,,,,,,,!”,गौरी ने कहा तो नंदिता ने उसका कान छोड़ दिया और बिस्तर सही करते हुए कहा,”ठीक है लेकिन पहले इस बिस्तर को सोने लायक तो बना लू। लो पकड़ो इसे।”


नंदिता ने बिस्तर की बेडशीट उठाकर गौरी को थमा दी , साथ ही ब्लेंकेट और तकिये भी उसे दे दिए। गौरी स्टेच्यू की तरफ तकिये और चद्दर लेकर एक तरफ खड़ी थी। गौरी खुद को कोस रही थी कि क्यों उसने नंदिता को यहा सोने को कहा
“मॉम हो गया क्या ?”,गौरी ने कहा
“सब्र रखो , क्या तुम कभी अपना बिस्तर नहीं झाड़ती गौरी देखो कितनी धूल है यहाँ।”,कहते हुए उन्होंने बिस्तर को साफ़ करना शुरू कर दिया।


कुछ देर बाद जय गौरी का लेपटॉप लेकर कमरे में वापस आया उसने नंदिता को वहा देखा तो वापस जाने के लिये मुड़ गया लेकिन नंदिता ने उसे देख लिया और कहा,”हाँ महाशय तुम इतनी रात में यहाँ , क्या तुम्हे सोना नहीं है ?”
“मैं बस सोने ही जा रहा था , गौरी दी ये लो अपना लेपटॉप,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए जय ने जल्दी से लेपटॉप टेबल पर रखा और वहा से भाग गया और बेचारी गौरी बस इस इंतजार में थी कि कब बिस्तर लगे और कब वो उस पर सोये ?

सिटी हॉस्पिटल , बनारस
राजन और मुन्ना ने अपनी अपनी चाय खत्म की और मुन्ना के हाथ पर लगी ड्रिप के खत्म होने का इंतजार करने लगे। राजन चुपचाप बैठा कमरे का सामान देख रहा था और मुन्ना उसे देखकर बस मन ही मन ये सोच रहा था कि क्या सच में ये वही राजन है या इसके साथ कुछ हुआ है। मुन्ना से जब नहीं रहा गया तो उसने राजन से पूछा,”एक बात पूछे तुम से ?”
“हाँ पूछो।”,राजन ने कहा


“क्या तुम हमे सच में नहीं जानते ?”,मुन्ना ने पूछा
मुन्ना का सवाल सुनकर राजन मुन्ना को एकटक देखते रहा और फिर कहा,”नहीं भाई , अगर जानते तो झूठ काहे कहते ,, वैसे एक बात बताये तुम्हे क्या हम तो अपने घर में भी किसी को नहीं पहचान पा रहे है। हमको लगता है हमारी यादास्त चली गयी है , हम जैसे सब भूल गए है तभी जे शहर , यहाँ के लोग सब नया नया लग रहा है हमे,,,,,,,,,,,,!!”


मुन्ना ने सूना तो उसे याद आया कि उसके और वंश की मार की वजह से ही राजन की ये हालत हुई है। मुन्ना को अब मन ही मन में बहुत बुरा लग रहा था। शिवम् और प्रताप की दुश्मनी के चलते राजन और मुन्ना वंश की दुश्मनी भी हो गयी और नतीजा आज उसके सामने था। मुन्ना को शर्मिंदगी महसूस होने लगी उसे अहसास हुआ कि उसे राजन को इस तरह से नहीं मारना चाहिए था। मुन्ना को खोया हुआ देखकर राजन ने कहा,”क्या हुआ भैया ? क्या आप हमे जानते है ?”


“अगर मैंने इस से हाँ कहा तो हो सकता है हमे अतीत का सच इसे बताना पड़े और ये इसके लिये सही नहीं होगा , माफ़ करना महादेव हमे राजन से झूठ बोलना पडेगा।” मन ही मन सोचते हुए मुन्ना ने कहा,”अहह नहीं , हम तुम्हे नहीं जानते पर तुम्हारा शुक्रिया हमे यहाँ लाने के लिये,,,,,,,,,!!”
“अरे भैया इसमें शुक्रिया कैसा ? किसी की मदद करना तो पुण्य का काम है,,,,,,,,,,,जे ड्रिप खत्म हो जाये फिर चलते है यहाँ से,,,,,,,!!”,राजन ने कहा


मुन्ना मुस्कुरा उठा राजन में आये इस बदलाव को देखकर मुन्ना को एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था। ड्रिप खत्म होने के बाद मुन्ना और राजन हॉस्पिटल से बाहर चले आये। राजन ने मुन्ना की बाइक की चाबी उसे दी और कहा,”जे लो भैया आपकी बाइक की चाबी”
“शुक्रिया , तुम अकेले कैसे जाओगे ? तुम्हे हम घर छोड़ दे।”,मुन्ना ने बाइक पर बैठते हुए कहा
मुन्ना की बात सुनकर राजन उलझन में पड़ गया। यादास्त जाने के बाद से राजन को अपने घर का पता तक याद नहीं था।

उसे उलझन में देखकर मुन्ना ने कहा,”क्या हुआ ? क्या सोचने लगे ? इतनी रात में तुम अकेले घर कैसे जाओगे चलो हम छोड़ देते है।”
“हाँ पर हम अपने घर का रास्ता भूल गए है।”,राजन ने अपना सर खुजाते हुए कहा
“तुम्हे कुछ तो याद होगा , मतलब तुम्हारे पापा का नाम या आस पास कुछ,,,,,,,,,,,,,!!!”,मुन्ना ने पूछा हालाँकि मुन्ना राजन का घर जानता था।


“हमारे पापा का नाम प्रताप सिंह है , कपड़ो के व्यापारी है बनारस में शायद तुम उन्हें जानते होंगे,,,,,,,,,,,,!!”,राजन ने कहा
“हाँ हमने नाम सूना है उनका , अह्ह्ह घर भी जानते है ,, बैठो तुम्हे छोड़ देते है।”,मुन्ना ने कहा
राजन मुन्ना के पीछे आ बैठा और मुन्ना ने बाइक आगे बढ़ा दी। मुन्ना के पीछे बैठा राजन थोड़ी ही देर में मुन्ना से घुल मिल गया और उस से बातें करने लगा। बाते क्या वह मुन्ना को बताने लगा कैसे उसके घरवाले उसे घर से बाहर नहीं जाने देते और वह दिनभर घर में रहकर थक जाता है।

उसने मुन्ना को भूषण के बारे में भी बताया जो उसे घाट लेकर आया था लेकिन बताते बताते वह भूषण का नाम भूल गया और मुन्ना समझ नहीं पाया राजन किस लड़के की बात कर रहा है। बाते करते हुए दोनों प्रताप के घर के सामने पहुंचे मुन्ना ने बाइक रोकी। राजन नीचे उतरकर मुन्ना के सामने चला आया।
“शायद ये ही तुम्हारा घर है।”,मुन्ना ने कहा
“हाँ हम यही रहते है , तुमको कभी फुर्सत मिले तो आना हमरे घर पिताजी तुम से मिल के बहुत खुश होंगे।”,राजन ने कहा जो अपने पापा और शिवम की दुश्मनी के बारे में भूल चूका था


“हाँ जरूर , अभी हमे जाना चाहिए माँ परेशान हो रही होंगी।”,मुन्ना ने कहा
“हाँ , तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया।”,कहकर राजन वहा से चला गया। मुन्ना वही खड़े राजन को जाते देखता रहा वह राजन के लिये खुश भी था और साथ ही हैरान भी कि उसकी जान का दुश्मन एकदम से कैसे उसका शुक्रिया अदा करने लगा। मुन्ना ने बाइक स्टार्ट की और वहा से जैसे ही जाने लगा प्रताप की आवाज उसके कानों में पड़ी,”मुन्ना !”
मुन्ना रुक गया और पलटकर देखा घर से बाहर प्रताप खड़ा था।

मुन्ना को समझ नहीं आया कि वह प्रताप से क्या कहे ? वह उस से कुछ कहता इस से पहले प्रताप मुन्ना के पास आया और कहा,”राजन को सही सलामत घर लाने के लिए तुम्हरा बहुत बहुत शुक्रिया , तुम तो जानते ही हो राजन सब भूल चुका है , डाक्टर ने कहा उसकी यादास्त जा चुकी है
हम उम्मीद करते है तुमहू भी अपनी दुश्मनी राजन के साथ भूल गए होंगे और अब उसे कोनो नुकसान नहीं पहुंचाओगे ?”


मुन्ना ने सूना तो बाइक से नीचे उतरा और प्रताप के कंधे पर हाथ रखकर कहा,”चाचा ! राजन की यादास्त छीनकर महादेव उसे पहले ही सजा दे चुके है , हमने भी उसे माफ़ कर दिया। हमरे मन में अब राजन के लिए कोई बैर नहीं है। उसका ख्याल रखियेगा हम चलते है।”
“तुम बहुते सही लड़के हो मुन्ना , मुरारी बहुते किस्मत वाला है जॉन उसको तुमरे जैसा हीरा मिला है।”,प्रताप ने कहा तो मुन्ना मुस्कुराया और अपनी बाइक लेकर वह से चला गया।

Continue With Part Main Teri Heer – 19

Read Previous Part मैं तेरी हीर – 17

Follow Me On facebook

संजना किरोड़ीवाल 

Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18

Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18Main Teri Heer – 18

5 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!