मैं तेरी हीर – 31

Main Teri Heer – 31

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |

Main Teri Heer – 31

बनारस , मुरारी का घर
सुबह के 7 बज रहे थे। मुन्ना अपने कमरे में सो रहा था तभी उसका फोन बजा। फोन बजने से मुन्ना की नींद में खलल पड़ा और उसने फोन उठाकर देखा। अननोन नंबर देखकर मुना ने कॉल काट दिया और वापस सो गया लेकिन अगले ही पल फोन फिर बजा और इस बार मुन्ना को वो कॉल अटेंड करनी पड़ी। मुन्ना ने फोन अपने कान से लगाया और कहा,”हेलो !”
“हेलो ! हम बोल रहे है,,,,,,,,,,!!”,एक मर्दाना आवाज उभरी
“हम कौन ?”,मुन्ना ने पूछा


“अरे हम राजन , उह दिन मिले थे ना तुमसे ,, तुमको अस्पताल लेकर गए थे। याद आया कुछ ?”,राजन ने फुसफुसाते हुए कहा
राजन का नाम सुनते ही मुन्ना एकदम से उठकर बैठ गया। वह हैरान था ये जानकर कि राजन के पास उसका नंबर कैसे आया ? मुन्ना ने फोन कान से लगाए रखा और कहा,”तुम ? तुमने इस वक्त फोन क्यों किया ?”
“हमे तुम्हारी एक मदद चाहिए।”,राजन ने कहा
“हमारी मदद ? वो भी इस वक्त ? बताओ क्या हुआ ?”,मुन्ना ने असमझ की स्तिथि में कहा


“हमारे पास इह जो फोन है इह पिताजी का है और इह मा तुम्हरा नंबर मुन्ना के नाम से सेब है। हम जे जानना चाहते है कि का पिताजी तुमको जानते है ?”,राजन ने पूछा
राजन का सवाल सुनकर मुन्ना उलझन में पड़ गया क्योकि मुन्ना को पता था कि राजन की यादास्त जा चुकी है ऐसे में उसे कुछ भी बताना खतरे से कम ना होगा। मुन्ना ने थोड़ा सोचा और कहा,”हमारा नंबर ? इसमें कोई बड़ी बात नहीं है हमारे पापा पहले बनारस में विधायक थे और ये नंबर उनके सेकेरेट्री के पास था यानि हमारे तो विधायक जी से संपर्क करने के हिसाब से तुम्हारे पिताजी ने ये नंबर रखा होगा।”


“हाँ लेकिन मुन्ना नाम से , जे तो तुमरे घर का नाम मालूम पड़ता है।”,राजन एक के बाद एक सवाल किये जा रहा था
“बनारस में हमे सब इसी नाम से जानते है। तुम ज्यादा सोचो मत सो जाओ,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है हम सो जाते है,,,,,,,,,,,,,,अच्छा हुआ तुमने हमारा कन्फ्यूजन दूर कर दिया वरना हम शाम से परेशान हो रहे थे। पता नहीं काहे जे नाम देखकर हमे लगा जैसे किसी मुन्ना को हम भी जानते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,और एक्को बात बताये बिल्कुल अच्छी फीलिंग नहीं थी जे नाम देख के तो ऐसा मन किया जैसे उसे मार दे हम”,राजन ने थोड़ा सीरियस होकर कहा

तो मुन्ना के चेहरे पर भी कठोर भाव आये लेकिन उसने खुद को सामान्य रखा और कहा,”सुबह सुबह कैसी बातें कर रहे हो राजन ? तुम अभी कुछ दिन पहले ही हॉस्पिटल से घर आये हो तुम्हे इतना ज्यादा नहीं सोचना चाहिए,,,,,,,,,,,!!”
“अरे अरे नहीं मुन्ना हम तुमरी बात नहीं कर रहे तुम तो अब हमारे दोस्त हो,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा हमने तुमको इति सुबह फोन करके परेशान किया , सॉरी हम फोन रखते है।”,राजन ने कहा और फोन काट दिया
मुन्ना ने भी फोन रखा और बिस्तर पर लेट गया लेकिन उसकी आँखों से अब नींद गायब थी और उसने मन ही मन कहा,”इस राजन से हमे जरा दूर रहना होगा।”

निशि ने देखा वंश वहा से जा चुका है तो उसे बहुत दुःख हुआ। वह उदास सी वापस पूर्वी के सामने चली आयी। पूर्वी ने उसे देखा और कहा,”अब  तुम्हारा मुँह क्यों उतरा हुआ है निशि तुम्हे तो खुश होना चाहिए वंश तुम से हार गया। एक लड़की होकर तुम खुद में इतना ईगो कैसे रख सकती हो ? बट कोन्ग्रेचुलेशन निशि तुम्हारा ईगो जीत गया।”
“बस करो पूर्वी , मुझसे गलती हो गयी बिना सच्चाई जाने मैंने ना जाने वंश को क्या क्या कह दिया ? मैं स्टुपिड हूँ गुस्से में सब भूल जाती हूँ , मैंने उसे बहुत हर्ट किया और आई ऍम सॉरी मैंने तुम्हे भी बहुत हर्ट किया मुझे माफ़ कर दो।”,निशि ने आँखों में आँसू भरकर कहा


“मैं तुम से नाराज नहीं हूँ निशि मुझसे सॉरी मत कहो। वंश अच्छा लड़का है तुम्हे एक बार उस से बात करके सब क्लियर करना चाहिए। मुझे पूरा यकीन है वो तुम्हे माफ़ कर देगा।”,पूर्वी ने निशि की बाँह छूकर कहा।
“ओह्ह्ह पूर्वी थैंक्स,,,,,,,,,,,मुझे वंश की फ़िक्र हो रही है पता नहीं वो घर गया भी होगा या नहीं ? मैं अभी घर जा रही हूँ सबसे पहले मुझे वंश से मिलना है , उस से बात करनी है , मैं तुमसे बाद में मिलती हूँ।”,कहते हुए निशि ने जल्दी जल्दी अपना सब सामान बैग में डाला और जाने लगी। जाते जाते निशि रुकी और वापस आकर पूर्वी को गले लगाते हुए कहा,”थैंक्यू पूर्वी मुझे सही गलत में फर्क समझाने के लिये।”


“इट्स ओके अब जाओ , कही तुमसे नाराज होकर वंश सीधा बनारस ही ना चला जाये।”,पूर्वी ने कहा तो निशि वहा से चली गयी
पूर्वी ने एक लम्बी सी साँस ली और कहा,”आह्ह और आख़िरकार दोनों की ग़लतफ़हमी दूर हुई , अब मुझे मुंबई की एक सबसे बेस्ट लव स्टोरी देखने को मिलेगी,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह मैं इसका इंतजार करुँगी।”
निशि के जाने के बाद पूर्वी ने टीवी पर गाने लगाए और घर की सफाई करने लगी। निशि बिल्डिंग से बाहर आयी और सड़क पर आकर उसने अपने लिये टेक्सी ली। निशि ने टेक्सी वाले को अपने घर का एड्रेस दिया और जल्दी चलने को कहा। कुछ ही दूर चले होंगे कि टेक्सी ट्रेफिक में आकर फंस गयी।

निशि को घर पहुँचने की जल्दी थी लेकिन ट्रेफिक क्लियर होते होते 40 मिनिट लग गए और निशि को तब तक टेक्सी में ही बैठना पड़ा। निशि ने वंश को फोन लगाया लेकिन उसका फोन भी बंद आ रहा था।
निशि घर पर फोन करके डायरेक्ट वंश के बारे में भी नहीं पूछ सकती थी इसलिए बैठकर ट्रैफिक के क्लियर होने का इंतजार करने लगी। ट्रेफिक क्लियर हुआ और टेक्सी आगे बढ़ी जल्दी जाने के चक्कर में निशि ने ड्राइवर से दूसरे रूट से चलने को कहा और यहाँ भी यही हुआ कुछ दूर जाकर ही गाड़ी फिर ट्रेफिक में रुक गयी क्योकि सड़क के एक तरफ शूटिंग चल रही थी।

निशि के पास इंतजार करने के अलावा और कोई चारा नहीं था इसलिए वह बैठकर इंतजार करने लगी। घंटेभर बाद निशि घर पहुंची।
घर के सामने आकर ना जाने क्यों निशि का दिल तेजी से धड़कने लगा। अंदर वंश होगा और उसे वंश का सामना करना पडेगा सोचकर ही निशि का दिल बैठा जा रहा था। साथ ही निशि ये सोचकर घबरा रही थी कही वंश ने नवीन को सब ना बता दिया हो। धड़कते दिल के साथ निशि ने घर की बेल बजायी।

कुछ देर बाद दरवाजा खुला। निशि ने देखा सामने उसकी मम्मी मेघना खड़ी थी।
“गुड मॉर्निंग मॉम,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा और अंदर चली आयी लेकिन मेघना के चेहरे पर ना निशि के आने की ख़ुशी थी ना ही मेघना ने रोजाना की तरह निशि से सवाल किया कि वह देर से घर क्यों आयी है ? मेघना बिना कुछ बोले ही किचन में चली गयी।

मेघना को खामोश देखकर निशि को कुछ समझ नहीं आया उसे लगा मेघना उस से कल सुबह के लिये नाराज है। निशि ने अपना बैग सोफे पर रखा तो नजर गेस्ट रूम की तरफ चली गयी। निशि को लगा वंश वहा होगा इसलिए उसने हॉल में खड़े होकर कमरे में झाँकने की कोशिश की लेकिन वंश उसे नहीं दिखा।
“वंश यहाँ से जा चुका है निशि।”,मेघना ने कहा
मेघना की आवाज सुनकर निशि पलटी और कहा,”जा चुका है मतलब ?”


“सारिका जी ने इस बार उसके लिये फ्लेट बुक करवाने को कहा था ताकि इस घर में उसे कोई परेशानी ना हो। तुम्हारे पापा ने पहले ही उसके लिये एक फ्लैट बुक कर दिया था। कल रात वंश घर नहीं आया था। आज सुबह भी आया तो काफी उदास था,,,,,,,,,,,,,उसे कोई परेशानी है शायद पर वो ज्यादा बताता भी तो नहीं है। उसने कहा वो अपने फ्लैट में रहना चाहता है इसलिए वो यहाँ से चला गया।”,मेघना ने कहा


निशि ने सूना तो उसे एक धक्का सा लगा। उसे लगा कि वंश हमेशा उसके साथ इस घर में ही रहेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ वंश यहाँ से चला गया। निशि के मन में कई सारी चीजे एक साथ चल रही थी लेकिन निशि उन्हें अपने चेहरे पर लाना नहीं चाहती थी और ज्यादा देर वह रोक भी नहीं सकती थी इसलिए मेघना से कहा,”मम्मा क्या मुझे एक कप कॉफी मिलेगी ?’
“हम्म्म ठीक है मैं बनाती हूँ , तुम बैठो,,,,,,,,,,,!!”,मेघना ने कहा और किचन की तरफ चली गयी।


निशि सोफे पर आ बैठी। उसने पलटकर गेस्ट रूम की तरफ देखा , उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि वंश ये घर छोड़कर जा चुका है। उसे वंश से बात करनी थी। उसके साथ अपनी गलतफहमी दूर करनी थी लेकिन वंश तो यहाँ था ही नहीं। निशि ने अपना सर पकड़ लिया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे ? वंश का फोन भी नहीं लग रहा था और उसका फ्लैट कहा है ये भी निशि नहीं जानती थी ?

निशि अपना सर पकडे वैसे ही बैठे रही। मेघना कॉफी लेकर आयी और निशि के सामने रखते हुए कहा,”क्या हुआ निशि वंश के जाने से तुम परेशान हो रही हो क्या ? तुम्हे तो खुश होना चाहिए बेटा , तुम ही तो चाहती थी वो यहाँ ना रहे। अब तुम आराम से इस घर में रह सकती हो।”
मेघना की इन बातो ने निशि के जले पर नमक छिड़कने का काम किया लेकिन उसने खुद को सम्हाल लिया और कहा,”मॉम,,,,,,,,,!!”


मेघना निशि के बगल में आ बैठी और कहने लगी,”मैं मानती हूँ निशि कभी कभी कुछ लोगो का स्वाभाव हमारे जैसा नहीं होता , हर इंसान का नेचर अलग होता है इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं होता बेटा कि वो इंसान गलत है। कभी कभी हम किसी इंसान से इतना चिढ जाते है कि उसे समझने की कोशिश ही नहीं करते,,,,,,,,वो कितने भी अच्छे हो , सही हो हम उनमे वो अच्छाई देखते ही नहीं है। वंश अच्छा लड़का है बस तुम उसे समझ नहीं पायी बेटा,,,,,,,,,,,इस घर में वो कुछ दिन और रुकना चाहता था , वो कहता था कि उसे मेरे हाथो से बनी कॉफी की आदत हो चुकी है

जब तक वो ऐसी कॉफी बनाना नहीं सिख जाता इस घर से नहीं जाएगा,,,,,,,,,,लेकिन ,, खैर छोडो अब तुम्हे इस घर में कोई परेशान नहीं करेगा। तुम नाश्ता करोगी ?”
निशि ख़ामोशी से सब सुनते रही साथ ही उसे महसूस हुआ कि उसने सिर्फ वंश का ही नहीं बल्कि ये सब करके अपने माँ-बाप का दिल भी दुखाया है। मेघना ने नाश्ते का पूछा तो निशि ने मना कर दिया। उसे मन ही मन बस वंश की चिंता हो रही थी। निशि ने कप उठाया और कॉफी पीने लगी। निशि को खामोश देखकर मेघना उठी और वहा से चली गयी।

कुछ देर बाद मेघना वापस आयी और निशि को साड़ी दिखाते हुए कहा,”ये वंश लेकर आया था मेरे लिये , पर उसने ये आज दी वो भी जाने से पहले। तुम्हारे डेड के लिये भी बहुत सुंदर वाच लेकर आया था। नवीन ने पहनी हो शायद,,,,,,,,,,,,,!!”
”वो कितना स्वीट है मॉम-डेड के लिये तोहफे लेकर आया था। अगर वो इनके लिये तोहफे लेकर आया है तो मेरे लिए भी,,,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने मन ही मन खुद से कहा और कॉफी का कप टेबल पर रख जल्दी से सीढ़ियों की तरफ भागी। मेघना ने देखा तो कहा,”निशि,,,,,,,,,,क्या हुआ ?”

निशि भागकर अपने कमरे में आयी और वंश का लाया तोहफा ढूंढने लगी। निशि ने स्टडी टेबल , उसके ड्रावर , बिस्तर , खिड़की हर जगह देखा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। ढूंढते ढूंढते वह ड्रेसिंग के पास आयी तभी उसकी नजर वहा रखे छोटे से बॉक्स पर गयी जिसके साथ एक चिट भी थी। निशि ने उस चिट को उठाया और पढ़ा
“आई नो तुम मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करती , बट आई ऍम स्योर तुम्हे ये तोहफा जरूर पसंद आएगा”


निशि ने चिट को रखा और जल्दी से उस बॉक्स को खोला उसमे सफ़ेद मोती और डायमंड लगे बहुत ही सुन्दर झुमके थे। निशि ने उन्हें देखा तो अपने होंठो से लगा लिया। उसकी आँखों से आँसू बह गए। निशि उदासी से घिर गयी। उस बॉक्स को हाथ में थामे वह बिस्तर पर आ बैठी और वंश के बारे में सोचने लगी। वंश के साथ बिताये खूबसूरत पल एक एक करके उसकी आँखों के सामने आने लगे।

इंदौर , शक्ति का घर
अपने घर के लॉन में घूमते हुए शक्ति चाय पी रहा था साथ ही वह उस दिन वाले हादसे के बारे में सोच रहा था। शक्ति ने अपनी तरफ से ही इस केस को सुलझाने की कोशिश की लेकिन सुलझने के बजाय ये केस और उलझता जा रहा था। शक्ति नहीं चाहता था डिपार्टमेंट में इसके बारे में पता चले और ना ही शक्ति काशी को इस बारे में बताना चाहता था। इन सब के अलावा विश्वास का ये शहर छोड़कर चले जाना और गाडी में उसे धमकी भरा पेपर मिलना

ये सब शक्ति को उलझाए हुए थे। आज पेपर मिलने के बाद एक चीज तो क्लियर हो चुकी थी कि ये गोली काशी की वजह से चली थी लेकिन वो कौन था जो काशी को हासिल करना चाहता था।
इस ख्याल से ही शक्ति का खून खौल उठा चाय पीते हुए शक्ति जैसे ही पलटा उसकी नजर घर की उस खिड़की पर चली गयी जिस पर जाकर वो गोली लगी थी। शक्ति ने चाय खत्म की और कप टेबल पर रखकर खिड़की के पास आया। शक्ति ने खिड़की को बड़े गौर से देखा तो पाया वह गोली अभी भी खिड़की में धंसी हुयी थी।

शक्ति अंदर से सामान लेकर आया और उस गोली को वहा से निकालने लगा। थोड़ी मशक्क्त के बाद आख़िरकार शक्ति ने वो गोली निकाली और अपनी उंगलियों में लेकर देखने लगा। गोली को देखने के बाद शक्ति ने जेब से अपना फोन निकाला और एक नंबर डॉयल किया। एक दो रिंग जाने के बाद किसी ने फोन उठाया तो शक्ति ने कहा,”हेलो यादव ! हम अगर तुम्हे एक गन बुलेट दे तो क्या तुम बता सकते हो ये बुलेट किस गन की है। इस बुलेट पर एक स्पेशल नंबर लिखा है अगर उसके जरिये तुम ये पता कर पाओ।”


“व्हाई नॉट , ये हो जाएगा लेकिन सॉरी यार अभी मैं शहर से बाहर हूँ कल शाम तक आ जाऊंगा। एक काम क्यों नहीं करते तुम डिपार्टमेंट के जरिये ये पता  लगा सकते हो।”,दूसरी तरफ से किसी ने कहा
“नहीं ! ये सिर्फ हम तक सिमित है।”,शक्ति ने कहा
“ओह्ह्ह मतलब तुम सीक्रेट मिशन पर हो”,दूसरी तरफ से आवाज आयी
“तुम ऐसा समझ सकते हो , अब बताओ हमे कितना इंतजार करना पडेगा ?”,शक्ति ने पूछा


“सिर्फ कुछ घंटे मैं अपने किसी आदमी को भेजता हूँ तुम उसे सामान दे देना। शाम तक मैं तुम्हे इसकी सब डिटेल्स भिजवाता हूँ।”,दूसरी तरफ से आवाज आयी और फोन कट गया
शक्ति ने गोली को अपनी उंगलियों मे उठाकर फिर देखा। उसे गोली में उसे उम्मीद की एक छोटी सी किरण नजर आ रही थी।

Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31

Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31Main Teri Heer – 31

Continue With Part Main Teri Heer – 32

Read Previous Part Here मैं तेरी हीर – 30

Follow Me On facebook

संजना किरोड़ीवाल

4 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!