Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 40

Love You Zindagi – 40

Love you Zindagi
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सुबह सुबह अवि के ख्याल से नैना डिस्टर्ब हो गयी ! अंदर आकर वह स्कूबी का सर सहलाने लगी , विपिन जी सुबह की सैर पर गए हुए थे और आराधना किचन में थी ! नैना ने बाहर से आवाज लगाई,”मम्मा चाय !”
“बन रही है , तुम्हारी दोस्त उठ गयी ?”, आराधना ने किचन से ही आवाज देकर कहा ! नैना ने बीन बैग पर पसरते हुए कहा,”नहीं वो दोनों सो रही है !”
नैना फिर स्कूबी के बालो में हाथ घुमाती कुछ देर पहले के ख्याल के बारे में सोचने लगी ! अवि उसके दिमाग में एक जगह बना चुका था और नैना उसे चाहकर भी निकाल नहीं पा रही थी ! आराधना नैना के लिए चाय लेकर आयी तब तक शीतल भी नहाकर निचे आ चुकी थी और आराधना से कहा,”गुड़ मॉर्निंग आंटी !
“गुड़ मॉर्निंग बेटा , तुम इतनी जल्दी नहा ली !”,आराधना ने कहा
शीतल उनके पास आयी और कहा,”हां आंटी मुझे सुबह जल्दी उठने की आदत है ! जब इंदौर में थी तब मैं स्कूल में बच्चो को पढ़ाती थी बस तबसे ही !”
“ये तो बहुत अच्छी आदत है , वरना इस घर में ऐसे इंसान भी है जिनके नहाने खाने और सोने का कोई टाइम नहीं है !”,आराधना ने बीन बैग पर पसरी नैना को देखकर कहा लेकिन नैना ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया ! शीतल मुस्कुरा उठी तो आराधना ने प्यार से उसका गाल छूकर कहा,”तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए भी चाय ले आती हूँ !”
शीतल सोफे पर आ बैठी और नैना को देखकर कहा,”सुबह सुबह तुम्हारा फ्यूज क्यों उड़ा हुआ है , मिस नैना ?”
“अगर मैंने इसे सच बताया तो ये लोग फिर से मेरे पीछे पड़ जाएगी”,सोचते हुए नैना ने कहा,”नहीं कुछ भी तो नहीं , चाय नहीं पी ना इसलिए ,, तुम बताओ नींद अच्छे से आयी ना तुम्हे ?’
“हां यार ! बिल्कुल घर जैसा सुकून था !”,शीतल ने कहा
कुछ देर बाद रुचिका भी चली आयी और सैर से विपिन जी भी लौट आये ! सभी हॉल मे ही बैठे बातें करने लगे आराधना ने सबके लिए चाय चढ़ा दी ! कुछ देर बाद लाकर उन्हें दी और खुद भी वही बैठ गयी ! सभी सुबह की चाय की चुस्किया लेने लगे हलकी ठण्ड थी ! अभी चाय पि ही रहे थे तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई , 5 फुट 8 इंच का , अच्छी कद काठी , सांवला रंग , क्लीन शेव , बालों को जेल से सेट किया हुआ , केप्री और टीशर्ट में अपने पीठ पर बैग टाँगे एक लड़का घर में दाखिल हुआ उसे देखते ही विपिन जी और आराधना के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी और नैना ने मुंह बना लिया ! लड़के ने पीठ से बैग उतारकर रखा और आराधना विपिन के पैर छुए !
“अरे मोंटी तुम तो रात में आने वाले थे ना , इतनी देर कैसे कर दी ?”,विपिन जी ने कहा
मोंटी उनकी बगल में आ बैठा और कहा,”क्या करू अंकल ? ट्रेन इतनी लेट थी ना पूछो मत !”
“कोई बात नहीं तुम आराम से बैठो मैं तुम्हारे लिए कॉफी ले आती हूँ !”,आराधना ने उठते हुए कहा तो मोंटी ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें वापस बैठाते हुए कहा,”अरे आंटी मैं बाद में पि लूंगा , आप बैठो !” नैना की और देखकर कहता है,”और बेटाजी दिल्ली रास आ रहा है के नहीं ?”
“दिल्ली अच्छा है मोंटी लेकिन तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”,नैना ने कहा
“तुमसे मिलने आया हूँ और क्या कर रहा हूँ ? दो दिन पहले ही अंकल ने बताया की तुम आ रही हो तो बस चला आया !”,मोंटी ने कहा
“डेड के पेट में कोई बात नहीं टिकती है !”,नैना ने विपिन जी की और देखकर कहा और फिर मोंटी को देखने लगी !
मोंटी विपिन जी के दोस्त का बेटा हैं , मोंटी के मम्मी पापा पिछले 10 सालो से यही लखनऊ से कुछ ही दूर चित्रकूट में रहते है ! मोंटी नैना का हमउम्र है और बचपन में दोनों साथ साथ ही खेलकर बड़े हुए थे ! फ़िलहाल मोंटी बीकानेर में नौकरी करता है जब उसे पता चला नैना घर आ रही है तो वह भी चला आया ! जबसे मोंटी की फॅमिली लखनऊ छोड़कर चित्रकूट गयी थी तबसे ही नैना और मोंटी के बिच बातें कम हो गयी दोनों अपनी अपनी जिंदगियों में बिजी हो गए ! मोंटी के पापा चाहते थे की नैना उनके घर की बहु बने लेकिन नैना और मोंटी दोनों ने ही ये कहकर मना कर दिया की वो दोनों अपनी दोस्ती खत्म नहीं करना चाहते ! शीतल और रुचिका चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी ! मोंटी ने उनकी और देखा तो मुस्कुरा कर कहा,”हाय , आप लोग शायद नैना की दोस्त हो ?”
“हां वो रूचि है और वो शीतल !”,नैना ने कहा
“अच्छा नाम है , मैं मानव शर्मा लेकिन घर में सब मोंटी ही बुलाते है !”,मोंटी ने कहा
“तो हम लोग आपको क्या बुलाये ?”,रुचिका ने कहा
“जो आपको अच्छा लगे !”,मोंटी ने कहा और फिर आराधना की और मुड़कर कहा,”आंटी बहुत जोरो से भूख लगी है , मैं फ्रेश होकर आता हूँ प्लीज आप कुछ अच्छा सा बना दीजिये !”
“भुक्कड़ इंसान ट्रेन में कुछ खाने को नहीं मिला था !”,नैना ने कहा
“मिला था लेकिन अच्छा नहीं था और फिर तुमसे बहस करने के लिए खाना भी जरुरी है न !”,कहकर उसने नैना के बाल खींचे और भाग गया नैना उसे मारने उसके पीछे भागी ! उनके जाने के बाद आराधना ने शीतल और रुचिका से कहा,”ये दोनों ऐसे ही है इतने बड़े हो गए लेकिन इनका बचपना अभी तक नहीं गया ! रूचि शीतल आप दोनों नाश्ते में क्या लोगे बेटा ?”
“आंटी जो आप बनाये , आपके हाथ का कुछ भी चलेगा !”,शीतल ने कहा !
विपिन जी उठे और कहा,”आप सब बैठो , और बैठो क्यों मैं तो कहता हूँ घर देखो , बाहर गार्डन है , और बहुत सी चीजे है देखने को वो सब देखो तब तक मैं नहाकर आता हूँ उसके बाद सब साथ मिलकर नाश्ता करेंगे !”
“जी अंकल !”,कहकर शीतल और रुचिका उठकर बाहर बरामदे में आ गयी ! बरामदे में स्कूबी बैठा था और दयाल गाड़ी धो रहा था ! शीतल ने सोचते हुए रुचिका से कहा,”नैना और मोंटी दोस्त है , तो उस रात फोन कही मोंटी का ही तो नहीं था नैना के लिए !”
“क्या बोल रही है ? देखा ना नैना उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती है कैसे झगड़ रहे थे दोनों !”,रुचिका ने कहा
“हां लेकिन , मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा !”,शीतल ने कहा
“क्या समझ नहीं आ रहा ?”,रुचिका एकदम से उसके सामने आ गयी
“यही की आखिर नैना को लड़को से क्या प्रॉब्लम है ? , अवि के इतना अच्छा होने के बाद भी नैना उसे भाव नहीं देती है !”,शीतल ने कहा
“क्योकि वो ऐसी ही है , वो दुनिया को उस नजर से देखती ही नहीं है जिस नजर से हम लोग देखते है ,, और ये किसने कहा उसे सब लड़को से प्रॉब्लम है वो देख सामने !”,कहते हुए रुचिका ने सामने इशारा किया ! शीतल ने देखा नैना और मोंटी दोनों साथ साथ हंस रहे थे ! शीतल उन्हें देखती रही तो रुचिका ने कहा,”नैना को हर लड़के से नहीं बल्कि उन लड़को से प्रॉब्लम है जो दिखावा करते है , अच्छा बनने का नाटक करते है ! नैना के साथ रहते हुए इतना तो जानने लगी हूँ उसे”
रुचिका की बात सुनकर शीतल को खुद पर शर्म आयी और उसने कहा,”सॉरी यार मैं तो बस,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुमने सही कहा नैना हम सब से अलग है ! बस वो हमेशा ऐसे ही खुश रहे !”
नैना की नजर शीतल और रुचिका पर गयी तो उन लोगो को भी अपने पास आने का इशारा किया ! रुचिका और शीतल उसके पास चली आयी ! रुचिका मोंटी के बिल्कुल बगल में ही खड़ी थी उसने मोंटी को देखा हँसता हुआ वह बड़ा प्यारा लग रहा था हसने की वजह से उसके बांये गाल में छोटा सा गड्डा भी पड़ रहा था ! मोंटी शीतल से बात कर रहा था बातों के हिसाब से उसे शीतल काफी इंटेलिजेंट और सुलझी हुई लगी ! रुचिका से उसकी ज्यादा बात नहीं हुयी तो रुचिका ने भी खुद से बात नहीं की ! कुछ देर बाद मोंटी ने कहा,”मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ बाद में बात करते है !”
मोंटी वहा से चला गया नैना रुचिका और शीतल को साथ लेकर झूले के पास आयी और तीनो उसपर बैठ गयी !
“आह कितना सुकून है ना यहाँ !”,नैना ने कहा
“थैंक्यू हमे यहाँ लाने के लिए !”,शीतल ने नैना को हग करते हुए कहा !
“इसमें थैंक्यू की क्या बात है ? तुम दोनों जब चाहो तब यहाँ आ सकती हो अपना घर समझ के !”,नैना ने कहा
“वो सब तो ठीक है यार लेकिन दिल्ली में कहा रहेंगे अब ? दुसरा घर भी नहीं देखा हम लोगो ने !”,रुचिका ने कहा
“डोंट वरी मैं हूँ ना मैं कर दूंगी सब सेट !”,नैना ने कुछ सोचते हुए कहा !
तीनो वही बैठकर बातें करने लगी आधे घंटे बाद आराधना ने उन सबको नाश्ते के लिए बुलाया ! नैना शीतल और रुचिका तीनो अंदर चली आयी और आकर डायनिंग पर बैठ गयी ! नैना को उन्ही कपड़ो में देखकर आराधना ने कहा,”बेटा नहा तो लो !”
“अपने ही घर में कौन नहाता है मॉम , आप नाश्ता दो”,नैना ने प्लेट सीधी करते हुए कहा !
विपिन जी और मोंटी भी आ बैठे मोंटी ने जींस और लाइट ग्रीन रंग की टीशर्ट पहन रखी थी ! वह बिल्कुल रुचिका की बगल में ही बैठा था और रुचिका को उसके बॉडी स्प्रे की महक आ रही थी ! आराधना ने सबको नाश्ता परोसा आज उन्होंने नैना की पसंद का मसाला डोसा और सांभर बनाया था साथ में नारियल की चटनी और इडली भी थी ! सभी नाश्ता करने लगे सब सही चल रहा था की आराधना के फोन पर किसी का फोन आया और उनसे बात करते हुए वे थोड़ा अपसेट हो गयी ! उन्होंने फोन रखा और डायनिंग के पास आकर नैना से कहा,”नैना दिल्ली में क्या किया तुमने ?”
आराधना की बात सुनकर नैना की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी उसे लगा शायद आराधना को फ्लेट वाली बात पता चल गयी है ! उसने चुप रहना ही सही समझा और गर्दन झुकाये खाती रही ! जवाब ना मिलने पर आराधना ने थोड़ा सख्ती से कहा,”नैना मैंने कुछ पूछा है दिल्ली में क्या किया तुमने ?”
“अरे आरु आराम से, इतना गुस्सा क्यों हो रही हो ? उसे ठीक से खा लेने दो बाद में बात कर लेना !”,विपिन जी ने बिच बचाव करते हुए कहा
“हां आपने ही इसे सर पर चढ़ा रखा है , जरा पूछिए इस से क्या किया है इसने ?”,आराधना ने कहा तो नैना बोल पड़ी,”क्या किया है मैंने ?”
“मैंने तुम्हे सुमि के घर जाकर उनसे मिलने को कहा था क्या किया तुमने वहा जाकर ? और ये क्या है किस्मत फ़टी पड़ी है ,, ऐसे कौन बात करता है बेटा ?”,आराधना ने कहा तो रुचिका और शीतल भी नैना की और देखने लगी और रुचिका ने मन ही मन कहा,”बस इतना ही अभी तक इसकी बकैती नहीं सुनी है आंटी आपने !” विपिन जी ने सूना तो उन्हें याद आया की नैना ने उन्हें इस बारे में भी बताया था वे नैना के बिल्कुल बगल में ही बैठे थे उन्होंने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा,”हम्म्म अब जवाब दो मुझसे तो कोई उम्मीद मत रखना !”
“वो वो मैं मतलब उन्होंने ऐसे ही मजाक मजाक में !”,नैना ने सांभर से आधी भरी कटोरी में चम्मच घुमाते हुए कहा !
“मजाक ऐसे मजाक कौन करता है बेटा ? सुमि कितना हर्ट हुई होगी ,, कोई अपने रिश्तेदारों से ऐसे बात करता है क्या ?”,आराधना ने कहा
नैना को थोड़ा गुस्सा आ गया तो उसने टेबल पर हाथ मारते हुए कहा,”आखिर मैंने अपने रिश्तेदारों का क्या बिगड़ा है ?”
“जरा फिर से कहना”,आराधना ने कहा तो नैना की आवाज धीमी हो गयी और वो धीरे से बड़बड़ाई,”आखिर मैंने उनका क्या बिगाड़ा है ?’
आराधना ने मोंटी की और हाथ करके कहा,”मोंटी बताना ज़रा”
शीतल और रुचिका बड़े इंट्रेस्ट के साथ सब देख सुन रही थी , मोंटी मुस्कुराया और गला साफ करते हुए कहने लगा,”सो तुम जानना चाहती हो की तुमने अपने रिश्तेदारों का क्या बिगाड़ा है ? शर्मा अंकल जो की मेरे पापा है उनकी वाइफ को तुमने ही जाकर कहा की वो छत पर खड़े होकर पड़ोसन को ताकते है , तुम्हारी राधा मौसी ने जब तुमसे शादी के बारे में पूछा तो तुमने उनसे कहा की तुम लेस्बियन हो ! तुम्हारे अंकल जो तुम्हारा रिश्ता अपने दोस्त के बेटे से करवाना चाहते थे उस लड़के को तुमने गालियों के इतने वर्जन सुनाये की वो तुम्हे देखने तक नहीं आया ! हमारे पड़ोस वाली गुप्ता आंटी उन पर तुमने एक बार स्कूबी को छोड़ दिया था क्योकि उन्होंने तुम्हारे पापा को बुरा भला कहा था ! फेसबुक , इंस्टा और हर सोशल साइट पर तुम उन्हें ट्रोल करती रहती हो , उनका फ़ोन नहीं उठाती , उनके सवालो का जवाब नहीं देती इसके बाद भी तुम्हे जानना है तुमने क्या किया है तो मेरे पास तुम्हारे कारनामो की पूरी डायरी पड़ी है !”
मोंटी एक साँस में सब कह गया रुचिका और शीतल ने सूना तो दोनों अवाक् की जिस नैना के साथ वो पिछले एक महीने से रह रही है उसने इतना सब किया है
नैना ख़ामोशी से सब सुनती रही और फिर कहा,”कोई ऊँगली करे तो मैं सीधा हाथ तोड़ने में विश्वास रखती हूँ और आपके रिश्तेदारों को कहो की वो मेरी जिंदगी में दखल देते ही क्यों है जब उनसे सच बर्दास्त नहीं होता !”
“बेटा , वो रिश्तेदार है हमारे ! तुम्हारा अच्छा ही सोचते है इसलिए कह दिया होगा !”,आराधना ने कहा
“इंद्रधनुष है सब के सब”,नैना ने कहा
“मतलब ?”,आराधना ने कहा
“मतलब सतरंगी प्राणी , अब नाश्ता करने देंगी आप या रिश्तेदारों के नाम पर और लेक्चर देना है आपको !”,नैना ने गुस्से से कहा तो आराधना वहा से चली गयी ! नैना का मूड ऑफ हो चुका था लेकिन शीतल और रुचिका के सामने वह इस घर की लड़ाई को बढ़ावा नहीं देना चाहती थी इसलिए नाश्ता करने लगी ! विपिन जी ने उन्हें शहर घूमाने का प्रॉमिस किया था इसलिए नाश्ता करने के बाद नैना नहाने चली गयी ! शीतल किचन में आकर आराधना से बात करने लगी ! मोंटी भी नाश्ता करने के बाद उठकर चला गया ! रुचिका नाश्ता करने के बाद फोन पर बात करते हुए बरामदे में चली आयी ! उसने अपनी मम्मी पापा से बात की और अपने नैना के घर होने की बात बतायी ! बात करते हुए ख्याल नहीं रहा और बरामदे कोने में टेबल पर रखा वो लैम्प निचे जा गिरा ! रुचिका ने कॉल कट की और जैसे ही उसे उठाने लगी एक टुकड़ा उसके हाथ में चुभ गया और खून आने लगा ! दर्द की वजह से उसकी आवाज निकल गयी ! रुचिका ने वो टुकड़ा निकालने की कोशिश की कुछ ही दूर खड़े मोंटी ने कहा,”छूना मत !”
मोंटी की आवाज पर रुचिका ने उस और देखा मोंटी उसके पास आया और कहा,”ये कैसे हुआ ?”
“वो गलती से लेम्प गिर गया मैं उठा रही थी तो,,,,,,,,,,,!”,रुचिका ने कहा उसे दर्द हो रहा था !
“रुको मैं फर्स्ट ऐड बॉक्स लेकर आता हूँ !”,कहकर मोंटी अंदर चला गया और कुछ देर बाद वापस आया उसके हाथ में एक डिब्बा था ! उसने रुचिका को सीढ़ियों के पास आने को कहा और खुद उसकी बगल में बैठ गया ! उसने डिब्बे से डेटोल और कॉटन निकाला ! मोंटी ने रुचिका का हाथ जैसे ही अपने हाथ में लिया रुचिका को एक खूबसूरत अहसास अंदर तक छू गया ! मोंटी ने कॉटन पर डेटोल लिया और घाव पर लगाया तो रुचिका की सिसकी निकल गयी !
“थोड़ा जलेगा !”,मोंटी ने फूंक मारते हुए कहा ! रुचिका ने कुछ नहीं कहा बस कभी अपने हाथ को तो कभी मोंटी को देख रही थी ! उसने जब टुकड़े को निकालना चाहा तो रुचिका की फिर आह निकली ये देखकर मोंटी ने कहा,”मेरी तरफ देखो , मेरी आँखों में”
रुचिका ने एक बार उसकी आँखों में देखा तो बस देखते ही रह गयी मोंटी ने पकड़ कर वो छोटा सा टुकड़ा निकाल दिया और वहा कॉटन रख दिया ! रुचिका ने अपनी नजरे हटा ली ! मोंटी ने चोट पर दवा लगाई और पट्टी बांधते हुए कहा,”ज्यादा गहरी नहीं है , शाम तक ठीक हो जाएगी ! हां एंटीबायोटिक जरूर ले लेना और पानी से थोड़ा दूर रखना !”
“थैंक्यू !”,रुचिका ने अपना हाथ देखते हुए कहा
“अरे इट्स ओके !”,मोंटी ने उठते हुए कहा और डिब्बा लेकर अंदर चला गया ! रुचिका सामने देखते हुए सोच में डूब गयी !! दयाल ने आकर शीशे उठाकर कचरे कचरे के डिब्बे में डाल दिए !!

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संजना किरोड़ीवाल !

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