Sanjana Kirodiwal

Story with Sanjana Kirodiwal

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Funny Story With Sanjana Kirodiwal – 3

Funny Story With Sanjana Kirodiwal – 3

Funny Story With Sanjana Kirodiwal

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Funny Story With Sanjana Kirodiwal – 3

शराब और शराबी

अमिताभ बच्चन जी की मूवी का एक गाना

“लोग कहते है मैं शराबी हु”

बहुत मशहूर हुआ था ओर यही नही शराब पर बना हर गाना वैसे ही खास ही होता है l

ना ना ना ऊपर लिखी लाइनों से मेरा कोई संबंध नही है मैने कभी शराब नही पी है हा पीने वालों से पाला बहुत पडा है !

जैसे शराब के प्रकार है वैसे ही शराबियों के भी प्रकार है !! जिनमे से दो खास है

साइलेंट ओर वाईलेंट

साइलेंट जो होते है वो दो पेग लगा के बत्ती बंद करके सो जाते है
ओर वाईलेंट दो पेग लगा के दस घरों की बत्ती जला देते है !

पीने वालों का भी अपना एक 5-6 लोगो का अलग ग्रुप होता है
इनमें से एक होता है जो पिता नही है
ना ना ना वो शरीफ नही है बल्कि उसको सिर्फ बैठ कर चखना खाना होता है !!

इसी ग्रुप में एक ओर होता है जो तीन चार पेग पीते ही अपनी गलफ्रेंड को याद करके रोना शुरू कर देता है , जबकि उसकी कोई गर्लफ्रेंड है भी नही l l

एक इनमें होता है जो रोज पीकर उल्टियां करता है और फिर भी कहेगा – भाई एक स्मॉल ओर बना दे l

मेरे पड़ोस में रहने वाले अंकल बहुत पीते है
अच्छा एक तो पीने वाले से पूछो इतनी क्यों पी रहा है तो हर शराबी यही कहेगा
“तेरे बाप की पी है”

अरे मेरे भाई मेरे बाप की दूध की दुकान है दारू की नही l
खैर अंकल बहुत पीते है एक दिन मुझसे कहा
इस दारू की वजह से मेरी माँ बहन अलग अलग हो गयी !!
मैने कहा दारू छोड़ दो आपकी माँ बहन फिर से एक हो जाएगी !!
अच्छा बेस्ट पार्ट ये है कि अंकल नशे में था फिर भी गालिया साफ साफ दी मुझे !!

एक तो शराब पीने के बाद ये किसी के बाप की नही सुनते ! ओर फिर इनकी पूरा मोहल्ला सुनता है !!

अच्छा बीवियों का भी एक गजब का बवाल है
शाहरुख खान शराब पीकर tv पर आए तो देवदास ओर खुद का पति शराब पिये तो बेवड़ा !

आज तक ऐसी कोई शादी नही देखी
जिसमे शराब ना हो !!
मतलब लौंडे खुद तो पी ही रहे है साथ मे दूल्हे को भी पिला रहे है
की पिले भाई शादी करने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है !!

अच्छा आजकल की दुल्हन भी कुछ कम नही कुछ कुछ तो पूरी बेवड़ी
शादी के अगले ही दिन सुबह सुबह उल्टियां कर रही है ! सास खुश हो रही है कि खुशखबरी आने वाली है

उधर से दुल्हन कहती है – सासु माँ निम्बू देना हैंगओवर उतारना है

भई दारू चीज ही ऐसी है दो घूंट अंदर गयी और शेरू से बंदा शेर बन जाता है !!
ऐसे ही एक बंदा रात में पीकर घर आया बाप के डर से पान खाकर आया है
अच्छा इनको लगता है इससे बदबू नही आएगी

बाप ने देखा और पिट डाला ! कहा बेटा पान हमने भी बहुत खाये है लेकिन पीक कभी बाथरूम में नही थूकी !!

शादी के बाद बन्दा पिके आया तो बीवी से कहेगा – सॉरी यार वो दोस्तो ने पिला दी
बीवी आसानी से मान भी लेगी क्योकि वो नही जानती
“गंगाधर ही शक्तिमान है”

पीने से मुझे परहेज नही पर कुछ लोग पीकर गलत हरकत करते है और फिर कहते है मैं नशे में था
उनसे मैं कहना चाहूंगी अमिताभ जी के गाने में साफ साफ कहा गया है
“नशा शराब में होता तो नाचती बोतल”
इसलिए शराब को बदनाम करना बंद करे और अपनी नियत को साफ रखें !!

Funny Story With Sanjana Kirodiwal

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!! उफ़ ये रिश्तेदार !!

प्रॉब्लम ?

प्रॉब्लम ये है की वो रिश्तेदार है , और क्या प्रॉब्लम है
basically लोगो की लाइफ में प्रॉब्लम होती है और मेरी लाइफ में रिश्तेदार ही सबसे बड़ी प्रॉब्लम है !!
कम्बख्त जब देखो तब अपने ज्ञान का घंटा बजाने के लिए आजायेंगे
तुम कौन हो ? क्या हो ? इस से इन्हे घंटा फर्क नहीं पड़ता
ये बस इतना धयान रखेंगे तुम्हारी कब , कहा , कैसे बैंड बजानी है


इनकी खुद की बेटी भले पूरे मोहल्ले में नंगई करती रहे तुमने जरा सा
किसी लड़के को देख कर स्माइल क्या
कर दी – मतलब अब तो तुम घर से भाग जाओगी
अरे ! कोनसा इंसान सिर्फ एक स्माइल देने से हमे भगा ले जाएगा यार
एक तो जब भी मिलो बस एक ही बात कहेंगे – अरे ! तूम तो कितनी बड़ी हो गयी हो ,,,


कितनी बड़ी , क़ुतुब मीनार तो क्रॉस नहीं की न अभी तक और बड़ी हो गयी तो क्या ?
पैदा होने के बाद इंसान बढ़ेगा ही ना तुम्हारी उम्र बढ़ रही है हमने कुछ बोला
पढ़ाई से लेकर तुम्हारे कपड़ो तक तुम्हारे हर काम में इनको अपनी टांग अडानी है
अरे इतनी लम्बी है तो कटवा क्यों नहीं देते ,,
भले इनके बच्चो ने अपनी लाइफ में कुछ ना किया हो लेकिन हमसे ऐसे उम्मीद रखेंगे


जैसे इनके सपने पूरे करने का ठेका हमने ले रखा हो ,, साला खुद के बच्चो ने नाक में दम किया है
इसका मतलब ये थोड़े है तुम हमारी नाक में दम करो …..
रिश्तेदार कभी रिश्तेदार नहीं होते है , इनकी प्रजातियां होती है
भुआ , मौसी , मामी , नानी , भाभी , फूफा , मौसा !!! और इन सब से भी खतरनाक प्रजाति है “दूर के रिश्तेदार”
सालो जब दूर के रिश्तेदार हो तो दूर क्यों नही रहते , लेकिन सब से नजदीक यही मिलेंगे ….
बिल्ली जैसे अपने शिकार का इन्तजार करती है ये भी बस मौका देखते है हमे जलील करने का …


एक तो इनकी बात शुरू होगी आलू मटर के भाव से और रुकेगी जाकर मेरी शादी पे
और जब तक मेरी जिंदगी का सलाद ना बन जाये तब तक रट्टू तोते की तरह एक ही बात बार बार बार बार घूमाते रहेंगे
अबे मैं इंसान हु ऍम आर ऍफ़ का टायर नहीं जो घूमाते जा रहे हो …
रिश्तेदारों से बचने के लिए एक महान इंसान ने फेसबुक बनाया लेकिन ये लोग वहा भी
एयरटेल के पप्पी की तरह पीछे पीछे पहुंच जायेंगे !!


वो गाना नहीं सूना तू जहा जहा चलेगा मेरा साया साथ होगा … कभी कभी तो लगता है ये गाना मेरे लिए ही बनाया है
इसलिए मैंने सबको ब्लॉक कर रखा है !!
यार मान लिया की मेहमान भगवान सामान होता है तो क्या इसका मतलब वो खुद को भगवान मान लेंगे ,
अरे एक बार किसी बुढ्ढे ने गलती से ये कहावत क्या कह दी ये साले तो सब के सब जिंदगीभर का सच मान के बैठे है और चलो मैंने इनको भगवान् मान भी लिया तो कोनसा सेल्फ रेस्पेक्टेड भगवान मुझपर इतनी नजर रखता है ,,, चलो इनको खुश करने के लिए मैं उनके पैर छू भी लू , तो घुटनो तक छूना पाप है क्या


वैसे भी अकल तो सबकी घुटनो में ही है ….
एक तो इनके साथ टीवी देख रहे हो तो “मन क्यों बहका रे बहका आधी रात को” ऐड आते ही चैनल चेंज कर देंगे और कहेंगे अच्छी चीजे देखा करो ,, और खुद साले ठरकी आधी रात को अंग्रेजी फिल्मे म्यूट करके देखते है !!
एक तो जब भी घर आएंगे बिना बताये आएंगे ,, और बच्चो के लिए कुछ लाये भी तो “सोहन पपड़ी का डिब्बा उठा लाएंगे”
क्युकी सबसे सस्ता और टिकाऊ तो वही है लेकिन उसे भी खाता कोई नहीं है बस यहाँ से वहा एक दूसरे के घर में घूमता रहता है और आखिर में वही पहुंच जाता है जिसने उसे ख़रीदा था !!


इनकी वजह से इतना नाम ख़राब हो जाता है हमारा की खुद के माँ बाप भी एक बार तो शक की नजर से देख ही लेते है हमे
एक तो अपने बच्चो की हमारे माँ बाप के सामने इतनी तारीफ करेंगे की हमारे माँ को लगेगा दुनिया में सिर्फ उन्होंने ही नालायक औलाद पैदा की है ….
जब भी कही मिलेंगे – और बेटा कैसी हो , और सुनाओ ? और सुनाओ ?
दिल तो करता है इनको ऐसी ऐसी सुनाऊ की दोबारा पूछे ही न ,, लेकिन बाद में माँ की चप्पल याद आ जाती है …


दिन रात कुत्तो की तरह हाथ जोड़कर पैर पकड़कर माँ बाप से गोवा जाने की परमिशन ले भी लो तो ये कही ना कही से टपक जायेंगे – अरे आजकल जमाना नहीं है लड़कियों को अकेले कही भेजने का ? मम्मी पापा को साथ लेकर जाओ .

यार कोनसी लड़की माँ बाप के साथ गोआ जाती है ,, और अगर चली भी गयी तो कोनसी लड़की घुटनो तक सलवार सूट पहन के सर पे दुप्पटा ओढ़ कर समंदर में नहाने जाती है बे ..

एक तो वैसे कोई लड़का मेरे टच में नहीं उसके बाद अगर बेस्ट फ्रेंड से फोन पर कुछ देर बात कर लो तो कहने लगेगे मेरा चक्कर चल रहा है , मेरा चक्कर भले ना चले इनकी ऐसी बाते सुनसुनकर मुझे चक्कर आने लगते है
और बेस्ट फ्रेंड लड़की है मेरी और उस से चक्कर क्यों चलाना है मुझे मैं लेस्बियन थोड़े हु !! इंसान क्या शांति से बात भी नहीं कर सकता … इन सबके बाद सबसे बड़ा सियापा है इनका “गाली” का ,,,


इनकी नजर में तुम हो दुनिया के सबसे बेकार , फालतू , और बेशर्म इंसान
खुद दो पेग पिते ही माँ बहनो पर आ जाते है और अगर तुम्हारे मुँह से इनके सामने ग़लती से भी bc निकल गया मतलब तुम हो गए “आवारा , बेशर्म , अश्लील”
दुनियाभर की नसीहते देकर तुम्हारा दिमाग इतना ख़राब कर देंगे की तुम्हे लगेगा bc ये नहीं bc तुम खुद हो ….

अरे जहर इनसे ज्यादा वफादार है एक बार खाओ और सीधा ऊपर लेकिन ये लोग तो वो जहर है जो ना निगला जाता है ना उगला …. क्युकी ना ये कही जायेंगे न तुम्हारी जिंदगी अच्छी होगी . बड़े बुजर्ग कहते थे इंसान पहले बंदर था और जंगल में रहता था – जिस तरह से ये रिश्तेदार नाच नचाते है साले मदारी से कम थोड़े है
और हम भी बन्दर ही है ना इन्हे काट सकते है ना बोल सकते है बस जल जल के खुद की लाल कर रखी है , इस से तो अच्छा है साला जंगलो में ही चले जाये !!!

” रिश्तेदारों से जिंदगी है , और लानत है ऐसी जिंदगी पर “

यहाँ लिखी सभी बाते सत्य घटना पर आधारित है इसलिए दिल पर न ले अगर लेते भी है तो आप भी मेरे रिश्तेदारों में शामिल हो सकते है

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” एक बेशर्म लड़की – मैं “

कहानी का शीर्षक पढ़कर अजीब लग रहा होगा ना आपको ?

भला एक लड़की खुद को “बेशर्म” बताये ऐसा कैसे हो सकता है l खैर कहानी पढ़िए आप खुद-ब-खुद समझ ही जायेंगे !!

ऑफिस से घर आते ही मम्मी ने फरमान जारी कर दिया,”गांव में रिश्तेदार के घर शादी है , मामाजी ने सबको बुलाया है तुम्हे भी चलना है l अपने ऑफिस से 2 दिन की छुट्टी ले लो”

रिश्तेदार के घर शादी मतलब “आप की अदालत” शुरू l जहा कटघरे में खड़ी मैं रहूंगी और बाकि सब सवालों पर सवाल करेंगे l खैर अपने आपको संयम में रखकर मैंने कहा,”आप लोग चले जाईये मुझे नहीं जाना”

“क्यों नहीं जाना ?”,मम्मी बिफर पड़ी

मैंने ख़ामोशी से उनकी तरफ देखा तो कहने लगी,”ऐसे कब तक अकेले रहने का इरादा है , घर से बाहर निकलोगी , लोगो से मिलोगी तो अच्छा लगेगा l वैसे भी सब तुमसे मिलना चाहते है , चुपचाप चलो l

“मिलना चाहते है या मेरी वाट लगाना चाहते है”,मैंने मन ही मन खुद से कहा l

“चलो ना दीदी मजा आयेगा”,छोटी बहन ने मम्मी के फरमान को बढ़ावा देते हुए कहा l

“तू नहीं जाएगी तो हम लोग भी नहीं जायेंगे”,मम्मी ने थोड़ा सख्ती से कहा l

बुरे फसे आख़िरकार हां कहना ही पड़ा l अंदर आकर कपडे बैग में ठुसे और साइड में रख दिया l अगली सुबह जल्दी निकलना था l सुबह सुबह तैयार होकर सब अपने अपने बैग सम्हाले घर से निकल पड़े l बस स्टेण्ड पहुंचकर टिकट ली और बस में आ बैठे सब खुश थे सिवाय मेरे l ऐसा नहीं है की मुझे शादियों में जाना पसंद नहीं है लेकिन रिश्तेदार के घर शादी में जाना

“आ बैल मुझे मार” कहावत जैसा है l मैं जानती थी शादी में मुझे भांति भांति के रिश्तेदार मिलेंगे और जिस तरह के लेख मैंने रिश्तेदारों को लेकर लिखे है मेरी वाट लगना पक्का था l ऐसा लग रहा था मुझे शादी में रिश्तेदारों द्वारा जूते खाने के लिए इन्वाइट किया जा रहा है l

इसी उधेड़बुन में कब गांव आया कुछ पता ही नहीं चला l बस से उतरते ही मुझे शिष्टाचार अपनाना पड़ा l शादी वाले घर पहुंचे तो दरवाजे पर ही बड़े मामाजी मिल गए l मम्मी ने पैर छूने का इशारा किया मैंने आज्ञा का पालन किया तो मामाजी बोल पड़े खुश रहो

“आप रहने दो तब ना”,मैंने फुसफुसाकर कहा

“क्या कहा ?”,मामाजी ने घूरकर देखा तो मैंने बात पलटते हुए कहा,”मैं पूछ रही थी कैसे है आप ?”

“मैं ठीक हु , जाओ अंदर जाकर अपनी मामी से मिलो”,कहकर मामाजी आगे बढ़ गए l मम्मी मेरी शकल देख कर समझ गयी इसलिए धीरे से कहा,”उम्मीद है यहाँ तुम कोई तमाशा नही करोगी और हां अपने से बड़ो के सबके पैर छूने है”

मम्मी वहा से चली गयी मैं समझ गयी 2 दिन यहाँ बहुत मुश्किलों में कटेंगे l खैर बैग उठाये अंदर आई l सबके पैर छूते छूते कमर ही अकड़ गयी l शादी का घर था इस लिए मेहमानो का जमघट लगा हुआ था l सब अलग अलग ग्रुप बनाकर बैठी थी मुझे हमेशा से ही भीड़ भाड़ वाली जगहे पसंद नहीं थी इसलिए मैंने ढूंढा अपने लिए एक खाली कोना और जाकर वहा बैठ गयी l

सब अपनी अपनी बातो में बिजी थे किसी की नजर मुझपे नहीं पड़ी मैंने चैन की साँस ली और जेब से फोन निकाल लिया और नोटिफिकेशन चेक करने लगी l अभी एक मिनिट ही गुजरा था की जीजाजी (मामाजी के बड़े जमाई ) आ धमके और कहने लगे,”कैसी हो सालीजी ? आप तो याद ही नहीं करती है “

“आपकी याद ही नहीं आती है”,मैंने फिर से मन ही मन कहा लेकिन जीजाजी को भी तो कोई जवाब देना था न इसलिए कहा,”आती है जीजू !

“अगर ऐसा है तो अब तक फेसबुक पर मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट क्यों नहीं की ? दो महीने पहले भेजी थी लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं”,जीजाजी ने तुनक कर कहा

“अच्छा आपने भेजी थी , मुझे तो नहीं मिली”,मैंने झूठ ही कह दिया l झूठ बोलने का नतीजा अब ये निकला की उनके सामने ही उनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करनी पड़ी फिर जब उन्होंने मेरे पोस्ट पढ़े तो लगे ज्ञान बघारने l पूरे 10 मिनिट उन्होंने एक लम्बा लेक्चर दिया l मैं चुपचाप सुनती रही कहती भी क्या ? शिष्टाचार की चादर जो ओढ़े हुई थी l

पर उस ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं ! जिस लड़की की शादी थी वो आई और मुझे अपने साथ ले गयी l जीजाजी के बोरिंग लेक्चर से पीछा छूटा l वो मुझे अपने साथ छत पर ले आयी जहा मेरी हमउम्र और भी लड़किया थी l सब मुझे घूर घूर कर ऐसे देख रही थी जैसे मैं कोई दूसरी दुनिया से आई हु l घूरना भी जायज था मैंने कपडे ही ऐसे पहने थे लॉन्ग कुर्ता और टखने से ऊपर की जींस ऊपर से दुपट्टा भी नहीं डाला हुआ l अगले 10 मिनिट तक तो उन्होंने मुझे घमंडी भी समझ लिया था l

“यार सुन न , शादी के लिए कोई अच्छी टिप्स दे ना ! तुझे तो एक्सपीरियंस भी है”,होने वाली दुल्हन ने मुझे पास पड़ी कुर्सी पर बैठाते हुए कहा l

मेरा माथा ठनक गया अकसर लोग मुझसे गलत एडवाइस ही मांगते है l मुझे चुप देखकर उसने कहा,”बता ना ?

“शादी मत कर , बाद में रोयेगी”,मैंने बिना किसी भाव से कहा

“हट पागल ! तू भी ना कुछ भी बोलती है l अरे मैं टी चाहती हु किशन (होने वाला पति) मुझे हर जन्म में मिले”,उसने एक्साइटेड होकर कहा

“मतलब हर जन्म में उसकी लॉटरी पर तेरा ही नंबर निकलेगा , कैसे झेलेगा बेचारा ?”, ये बात भी मैंने अपने मन में ही कही l

कुछ देर इधर उधर की बातें होने लगी l तभी दूर की रिश्तेदार कोई आंटी आई और कहा,”अरे तूम तो उनकी बेटी हो ना ? हो कितनी बड़ी हो गई हो

“क्या करू आंटी और कोई ऑप्शन भी नहीं था”,मैंने मासूम सा मुंह बनाकर कहा कुछ देर तो वह मेरा मुंह तांकती रही और फिर कहा,”हेहेहेहीह बड़ी मजाकिया हो ! मैंने सुना है शादी हो गयी तुम्हारी , लड़का क्या करता है ?

“जी अफ़सोस करता है”,मैंने बिना किसी भाव के कहा पर इस बार आंटी के चेहरे के भाव बदल गए तो दुल्हन ने बात सम्हालते हुए कहां,”आंटी ये मजाक कर रही है l अभी आप ही ने कहा था ना बड़ी मजाकिया है”

“हा हा हा , मैं चलती हु”,कहकर आंटी वहा से चली गयी l

“सच्ची में बड़ी बेशर्म है तू , चल निचे चलते है”,उसने कहा और मेरे साथ निचे चली आयी l सीढिया उतरते हुए मैं बस यही दुआ कर रही थी की अब किसी से सामना ना हो l लेकिन निचे आते ही मौसी ने रोक लिया , दुलहन तो वहा से चली गयी फंस गयी तो मैं l

“क्या बात है कितनी सोहणी हो गयी है , फिगर भी अच्छा बना लिया है l क्या खा रही हो आजकल ?”,मौसी ने पूछा

मैंने कहा,“जी धोखे खा रही हु”

अब देखो ऐसे मामलो में मेरी जुबान मेरा बिल्कुल साथ नहीं देती है l

“क्या धोखे ?”, मौसी चौंक पड़ी l

“धोखे नहीं मौसीजी धो के , फल सब्जिया सब धो के ही खाती हु”,मैंने बात को सम्हाल लिया l मौसी हसने लगी l

उन सब से पीछा छुड़ाकर मैं घर से बाहर आ गयी l मामाजी के घर के अलावा वहा और भी घर थे तो छोटे मामाजी के घर चली आयी l यहाँ थोड़ सुकून मिलेगा ये सोचना मेरी सबसे बड़ी भूल थी यहाँ मम्मी पहले से ही मौजूद थी l उन्होंने बुला लिया और फिर एक एक कर सबसे मेरा परिचय करवा रही है l उनसे जिन्हे मैं जानती नहीं और उन्होंने ने भी जानकर क्या उखाड़ लेना है l मैं बस मुस्कुराकर हां या ना में गर्दन हिला देती क्योकि यहा तो मैं उन लोगो को कोई जवाब भी नहीं दे सकती l

जैसे तैसे करके मैंने दिन निकाला l शाम को खाने के बाद संगीत , डांस प्रोग्राम था जो की सबसे बोरिंग होता है तब जब आप रिश्तेदारों से घिरे हो l मैं जल्दी ही सोने चली गयी l अगली सुबह एक नयी समस्या पैदा हो गयी मुझे खासी स्टार्ट हो गयी l खाँसते खाँसते बुरा हाल l गांव में कोई हॉस्पिटल नहीं बस क्लिनिक था लेकिन शादी के दिन सब बिजी थे इसलिए बाहर जाना पॉसिबल ही नहीं था l घर में रखी दवाईया , कफ सिरप ली लेकिन असर नहीं हुआ l

मम्मी ने आराम करने को कहा इसका ये फायदा हुआ की मैं कुछ देर के लिए सबसे दूर हो गयी l पर इस खांसी ने मेरा साथ नहीं छोड़ा l सब घरेलु नुस्खे आजमा लिए लेकिन कोई फर्क नहीं l शाम को बारात आ गयी मम्मी मेरे लिए परेशान तो मैंने झूठ ही कह दिया की मैं ठीक हु और तैयार होकर बाहर आ गयी l मैंने क्रॉप टॉप पहना था , मेरे लहंगे और कुर्ती में मात्र 2 इंच का गेप था जिसमे से हल्का सा पेट दिख रहा था l शहरो में ये आम होता है लेकिन मेरे रिश्तेदारों के सामने ये वर्ल्ड वॉर से भी बड़ा मुद्दा है l

ऐसे ही एक भारी भरकम आंटी की नजर मुझ पर पड़ गयी अब उन्हें भी तो अपना टेलेंट दिखाना था वो आई मेरे पास और कहा,”तुम आजकल की लड़कियों में जरा भी शर्म नहीं है , ये कैसे कपडे पहने है ? पेट देखो कैसे दिख रहा है ? बारात में कितने लड़के आये है उनके सामने ऐसे जाओगी ? किसी ने छेड़ वेड दिया तो बाद में तुम लोग ही तमाशा करोगी l ये गांव है तुम्हारा शहर नहीं यहाँ ढंग के कपडे पहने जाते है l और तो और दुपट्टा भी ना लगाया हुआ है

आंटी बुलेट ट्रेन से भी फ़ास्ट बोले जा रही थी

“आंटी मेरे दो इंच के गेप को देखने के बजाय अपने ब्लाउज और लहंगे के बिच के 7 इंच के गेप को भी देख लिया होता एक बार ! कितना बोलती हो आप मेरे गेप से ज्यादा लम्बी तो आपकी जुबान है l लड़के हमे नहीं छेड़ेंगे तो क्या आपको छेड़ेंगे ? अपना जो ये टंकी जैसा बड़ा पेट रखा हुआ है वैसे ही थोड़ी अपनी सोच भी बड़ी रखिये ll”,मैंने मुस्कुराते हुए कहा

“बड़ी बेशर्म हो मैं कुछ कह रही हू और तुम हंस रही हो ?”, आंटी ने कहा

“क्या करू आंटी मुंह पर बोलने की आदत है न , बस आप अपना मुंह सम्हाल के रखिये और मुझसे 2 इंच का नहीं बल्कि 7 इंच का गेप बनाकर रखिये ! धन्यवाद , चलती हु l”,कहकर मैं आगे बढ़ गयी

बेचारी आंटी !!

खैर सब भूलकर मैं शादी एन्जॉय करने की कोशिश कर रही थी की एक आंटी फिर से मेरे पास आई और अपने बेटे की बढ़ा चढ़ाकर तारीफ करने लगी l अच्छा ये उसी लड़के की बात कर रही थी जो सुबह से हर लड़की के आगे पीछे घूम रहा था l आंटी ने 10 मिनिट तक जमकर तारीफ की और फिर आखिर में कहा,”अरे ! मेरा बेटा तो सोना है सोना !

मुझे इसी डायलॉग का इंतजार था और मैंने तपाक से कह डाला,“तो इसको खुला क्यों छोड़ रखा है , बैंक लॉकर में डाल के रखिये”

इसके बाद आंटी क्या बोलती बस मुंह बनाकर चली गयी l लोग सेल्फी लेते वक्त इतना मुंह नहीं बनाते जितना मेरी बातो पर बना लेते है l खैर इसी नोक झोक में शादी हो गयी दुल्हन विदा हो गयी l सभी रिश्तेदार यहाँ वहा बैठकर बातें कर रहे है और इसी बिच एक बार फिर खांसी शुरू हो गयी l खांसी के साथ साथ अब तो आँखों से पानी और पीठ में भी दर्द होने लगा l होता भी क्यों नहीं सूबह से बेचारे रिश्तेदारों ने कितनी बार कोसा होगा l

परेशान होकर ऊपर छत पर चली आई वहा अलग ही सीन था बड़े मौसाजी बैठकर मदिरापान कर रहे है l मुझे खांसता देखकर उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और कहा,”तेरी खांसी अभी तक ठीक नहीं हुई”

“नहीं ना मौसाजी ! सब उपाय कर लिया पर ये तो जा ही नहीं रही है , लगता है मुझे साथ लेकर ही जाएगी”,मैंने पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा l

मौसाजी ने एक ढक्कन में थोड़ी सी रम डाली और मेरी तरफ बढाकर कहा,”ले ये पि ले इस से तेरी खांसी रुक जाएगी”

“अरे नहीं नहीं , शराब नहीं पीती मैं”,मैंने खांसते हुए कहा

“शराब नहीं है , दवा समझ कर पी लो ! बचपन में तेरी मम्मी ने बहुत बार पिलाई है तुझे”,मौसाजी ने कहा

“क्या ? मतलब मैं बचपन से ही शराबी हु ,, तभी मेरी आँखे इतनी नशीली है”,मैंने मन ही मन खुद से कहा और फिर खांसने लगी l

“पी ले बेटा एक ढक्कन से कुछ नहीं होता , ये दवा का ही काम करती है”,मौसाजी ने प्यार से कहा

खासंते खांसते हालत ख़राब हो चुकी थी मैंने उनकी बात मान ली और एक ढक्कन पि लिया l आह इतनी कड़वी पूछो मत समझ नहीं आता लोग इसे इतने शौक से कैसे पी लेते है l

“देखना थोड़ी देर में खांसी छूमंतर हो जाएगी , तुम बैठो मैं जरा निचे होकर आता हु”,कहकर मौसाजी वहा से चले गए l मेरे मुंह का स्वाद अभी भी बिगड़ा हुआ था l मैंने सामने पड़ा पानी का ग्लास उठाया और एक साँस में सब पी गयी लेकिन ये क्या वो पानी नहीं था l कुछ देर बाद सर चकराने लगा l मौसाजी तो नहीं आये बल्कि मुझे ही निचे आना पड़ा l लड़खड़ाते हुए मैं निचे आयी l उसके बाद अगले दिन सूबह 10 बजे जाकर मेरी आँख खुली l सर दर्द से फटा जा रहा था लेकिन मेरी खांसी दूर हो चुकी थी l

लेकिन एक अजीब बात और हुई आज सुबह से कोई भी रिश्तेदार मेरे आस पास नहीं फटका l दोपहर को मामाजी ने गाड़ी मंगवाई और मम्मी , बहन और मैं वहा से रवाना हो गए l रास्ते भर मम्मी खामोश बैठी थी l बहन बार बार मेरे चेहरे को देख रही थी और फिर मुस्कुराने लगी

“क्या है ? ऐसे क्यों हंस रही है ?”,मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने पूछ लिया l

“तुझे क्या सच में कुछ भी याद नहीं ?”,उसने अपनी आँखे बड़ी करते हुए कहा l

मैंने ना में गर्दन हिला दी तो वो हसने लगी और कहा,”कल रात तो तूने अपने सारे रिश्तेदारों का बेंड बजा दिया l क्या डायलॉगबाजी की वाह मजा आ गया l पहले मुझे लगा तू ये सब जान बूझकर बोल रही है बाद में पता चला तूने पी रखी है l लेकिन क्या धोया तूने कल रात सबको”,बहन ने कहा तो मम्मी ने घूरकर पीछे देखा मैंने चेहरा घुमा लिया तो कहने लगी

“हां हां अब घुमा लो चेहरा जब मैंने कहा कोई तमाशा मत करना ,तब तो सुना नहीं अब मुंह ही छुपाओ ! पता नहीं किस गधे ने तुम्हे पीला दी ?”

“आपके जीजाजी ने”,मेरी जुबान फिर बोल पड़ी l

एक बार फिर मम्मी ने घुरा और कहा,”बेशर्मी की भी हद होती है , घर चलो बताती हु”

“आखिर मैंने बोला क्या था ?”,मैं फुसफुसाकर बहन से पूछा

“आपने एक बार रिश्तेदारों पर एक स्टोरी लिखी थी ना बस यु समझ लो पूरी की पूरी वो ही सुना दी उन सबको”,बहन ने मेरी हालत पर हँसते हुए कहा l

“अब समझ आया मम्मी इतना गुस्सा क्यों हो रही है ? इसका मतलब मैंने कल रात बहुत कुछ सुनाया है सबको l तेरी तो लग गयी बेटा संजना घर जाते ही झाड़ू और चप्पल से स्वागत के लिए तैयार हो जा”,मैंने मन ही मन खुद से कहा और आँखे मूंद ली l रिश्तेदारों पर लिखी कहानी की एक एक लाइन मुझे याद आ रही थी l

( पाठको को बता दू जिस कहानी की बात यहाँ हो रही है वो आपको मेरी प्रोफाइल पर “उफ़ ये रिश्तेदार” नाम से मिल जाएगी , जिन्होंने पढ़ी है उनको मेरी सिचुएशन समझ आ रही होगी जिन्होंने नहीं पढ़ी वो निचे दिए लिंक पर पढ़ लेना)

अब आगे -: घर पहुँचते ही मम्मी ने डांट का कोटा पूरा किया और मैं सर झुकाकर चुपचाप सब सुनती रही l मुझे लगा मामला ख़त्म हुआ पर नहीं अगले ही दिन बड़े मामा , छोटे मामा , बड़े मौसाजी , जीजू , भैया सब आ धमके मेरी क्लास लेने l सभी हॉल में जमा हो गए l सबने पहले चाय नाश्ता लिया ताकि बाद में मेरी क्लास ले सके l

बहन ने आकर कहा,”तुम्हे बाहर बुलाया है”

और मुस्कुराकर वहा से चली गयी l मेरी तो हालत ख़राब थी रिश्तेदारों पर लिखना आसान होता है पर बाद में उन्ही रिश्तेदारों का सामना करना मुश्किल हो जाता है l खैर थोड़ी हिम्मत करके मैं बाहर आयी और सर झुकाकर खड़ी l एक घंटे तक उन्होंने कितना कुछ कहा और मैं चुपचाप सुनती रही l मुझे खामोश देखकर सबको लगा मुझे अपनी गलती पर पछतावा है इसलिए जाते जाते बड़े मामाजी पास आये और सर पर हाथ रखकर कहा,“बातें कड़वी थी पर सच थी , लेकिन कभी कभी ज्यादा सच बोलने से इंसान मुसीबत में भी पड जाता है l आगे से ध्यान रखना”

मैंने हां में सर हिला दिया l सभी वहा से चले गए मम्मी मेरे पास आयी और कहा,”उन्होंने जो समझाया , समझ आया कुछ ?

मैंने ना में गर्दन हिला दी मम्मी मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी तो बड़ी सी स्माइल मेरे चेहरे पर आ गयी और मैंने कानो में फसाई हुई रुई निकाली और मम्मी की हथेलियों पर रख दी l मम्मी हैरानी से मेरी तरफ देखकर कहने लगी,”इसका मतलब उन लोगो ने जो कुछ भी कहा तूने कुछ नहीं सुना l अब मैं उन्हें क्या जवाब दूंगी ?”

“आपके रिश्तेदार है आप झेलो”,कहकर मैं वहा से अपने कमरे की और बढ़ गयी और अपना बेग फोन और इयर फोन हाथ में पकडे बाहर निकल गयी l

पीछे से मम्मी ने कहा – “ये लड़की कभी नहीं सुधरेगी !!

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समाप्त

संजना किरोड़ीवाल

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