Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 41

Love You Zindagi – 41

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

अवि गोआ से विपिन जी के लिए स्कॉच की बोतल लेकर आया था लेकिन घर आकर पता चला विपिन जी तो ड्रिंक करते ही नहीं है। विपिन जी के कहने पर अवि ने स्कॉच की बोतल को घर के नौकर के हाथ चौधरी साहब के स्टडी रूम में भिजवा दिया। अवि विपिन जी के साथ ही था और कुछ देर पहले हुई बात से थोड़ा असहज भी था। विपिन जी ने देखा तो अवि का मूड ठीक करने के लिए कहा,”बेटा जी एक बात बताओ आपके घर में छत वत नहीं है क्या ?”
“हैं ना पापा”,अवि ने कहा
“तो चलो फिर खुली हवा में चलते है थोड़ा”,विपिन जी ने कहा तो अवि उन्हें अपने साथ लेकर घर की छत पर चला आया। अवि का घर जितना आलिशान था उसके घर की छत भी उतनी ही खूबसूरत थी। छत की दिवार से लगकर ही एक खुबसुरत प्लांट एरिया था जहा ढेर सारे गमलो में तरह तरह के पौधे लगे हुए थे। उनसे लगकर एक बड़ा सा झूला था जिसके आस पास खूबसूरत लाइटिंग लगी थी। छत पर खुली हवा में आकर विपिन जी को काफी अच्छा लग रहा था। वे टहलते हुए अवि से बातें करने लगे। विपिन से बात करते हुए अवि काफी सहज था। बाते करते हुए दोनों रेलिंग के पास चले आये और सामने फैले खुले मैदान को देखने लगे। विपिन जी ने रेलिंग से पीठ लगायी और अपने जेब से सिगरेट निकालकर मुंह में रखकर लाइटर ढूंढने लगे।
अवि ने जेब से लाइटर निकालकर उनके होंठो के बीच रखी सिगरेट को जला दिया।
विपिन जी ने एक कश लिया और सिगरेट अवि की तरफ बढ़ा दिया तो अवि ने झिझकते हुए कहा,”अरे नहीं मैं आपके सामने ऐसे,,,,,,,,,,,,,,रहने दीजिये”
“अरे लो यार ससुर बनने से पहले मैं तुम्हारा दोस्त रह चुका हूँ , वैसे भी ये दामाद वाला रिश्ता बाकि सबके सामने है अकेले में तो तुम मेरे दोस्त ही रहोगे बेटा”,विपिन जी ने सिगरेट अवि की तरफ बढाकर कहा
अवि विपिन जी को मना नहीं कर पाया और एक कश लगाकर सिगरेट वापस उन्हें देकर कहा,”उस दिन के बाद से मैंने कभी सिगरेट नहीं पी है पापा”
“हाँ मुझे पता है , लेकिन कभी कभी ऐसा कर लेना चाहिए। देखा जाए तो तुम्हे मेरी तरह एक कूल इंसान बनने की जरूरत है”,विपिन जी ने कहा
“हाँ आप बहुत ज्यादा कूल है और अच्छे भी है,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने मुस्कुरा कर कहा
जवाब ने विपिन जी मुस्कुरा दिए और सिगरेट का कश लगाते हुए कहा,”मैं हर किसी के सामने इतना नहीं खुलता बेटा जी जब पहली बार आपसे मिला था तब दिल किया आपसे बात करने का और फिर धीरे धीरे सब बाटने का,,,,,,,,,,,,,,,नैना हमारी इकलौती बेटी है हालाँकि ऐसा कभी हुआ नहीं लेकिन कभी कभी बेटे की कमी जरूर महसूस होती थी लेकिन वो आपने पूरी कर दी,,,,,,,,,,,,,,,एक अच्छे दामाद के साथ साथ आप मेरे अच्छे बेटे भी हो,,,,,,,,,और अच्छे दोस्त भी”
“मैं कोशिश करूंगा आपको कभी निराश ना करू”,अवि ने विपिन जी के बगल में खड़े होकर रेलिंग से पीठ लगाकर कहा
“अच्छा एक बात पुछु आपसे,,,,,,,,,,,,,,?”,विपिन जी ने कहा
“पूछिए ना पापा,,,,!”,अवि ने कहा
“आपने एकदम से मुझे और आराधना को चंडीगढ़ क्यों बुला लिया ? आपके और नैना के बीच सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब वो थोड़ी चंचल है और सख्त भी लेकिन वो दिल की बहुत अच्छी है। अपनों की बहुत परवाह भी करती है और अपनों से बहुत प्यार भी करती है। अगर नैना से कोई गलती हुई हो तो आप उसका बचपना समझकर,,,,,,,,,,,,,,!!”,विपिन जी कहते कहते रुक गए
“कई बातें कर रहे है पापा ? नैना बहुत अच्छी लड़की है ये उसके साथ रहकर जाना है मैंने,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो जितनी अच्छी बेटी और दोस्त है उतनी ही अच्छी वाइफ भी है। वो मेरा और मेरे परिवार का बहुत ख्याल रखती है , उनकी रिस्पेक्ट करती है और उसे सबकी बहुत परवाह भी है। आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन वो रोज दिन में एक बार मेरे लिए कॉफी जरूर बनाती है।
हाँ उसे गुस्सा जल्दी आता है लेकिन जितनी जल्दी गुस्सा होती है उतनी जल्दी मान भी जाती है। कुछ दिनों से वो आपको और मम्मी को बहुत मिस कर रही थी। मैं उसे लेकर लखनऊ आता लेकिन अपनी नेक्स्ट एग्जीबिशन केकारण मुझे रुकना पड़ा इसलिए सोचा क्यों ना आपको ही बुला लू इस से आप लोग सबसे मिल भी लेंगे और नैना भी खुश हो जाएगी”
“हाँ वो बहुत खुश है लेकिन उसके चेहरे पर ये ख़ुशी हमारे आने से ज्यादा इस बात से है कि ये आपने उसके लिए किया। वो पागल लड़की ये नहीं जानती कि वो कितनी लकी है बेटा है जिसकी जिंदगी में आप जैसा हमसफ़र है।”,विपिन ने जी खत्म हुई सिगरेट को बुझाते हुए कहा
“ऐसा नहीं है पापा नैना सच में बहुत अलग है ये मुझे शादी के बाद पता चला,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो कभी अपनी परेशानी अपना दुःख किसी से जाहिर नहीं करती है मुझसे भी नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,बस अपनी शरारतो और अपनी मुस्कुराहट के पीछे सब छुपा लेती है।”,अवि ने थोड़ा हताश होकर कहा
विपिन जी ने देखा तो अवि के कंधो पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”पर मुझे ऐसा लगता है मैंने नैना को बहुत काबिल और सही इंसान को सौंपा है जो उसे उसकी दुनिया से बाहर लेकर असल दुनिया में लेकर आएगा , आप उसे सम्हाल लोगे बेटा जी मुझे पूरा भरोसा है आप पर”
विपिन जी का प्यार और परवाह देखकर अवि का मन खुश हो गया। वह कभी अपने पापा के इतना क्लोज नहीं जा पाया जितना विपिन जी के क्लोज था। विपिन जी को खुश और अच्छे मूड में देखकर अवि ने उन्हें नैना की तबियत के बारे में नहीं बताया। दोनों हँसते मुस्कुराते बाते करते वही खड़े रहे
कुछ देर बाद नैना आयी जब उसने विपिन जी और अवि को साथ साथ देखा तो कुछ दूर ख़ामोशी से खड़े होकर उन्हें प्यार से देखने लगी। अवि और उसके डेड हॅसते मुस्कुराते कितने अच्छे लग रहे थे। नैना ने अपने हाथो को बांध लिया और गर्दन को थोड़ा बांयी तरफ झुकाकर उन्हें देखने लगी। नैना हमेशा चाहती थी कि उसका हमसफ़र बिल्कुल उसके डेड जैसा हो और आज अवि में उसे वो झलक दिखाई दे रही थी जब विपिन जी बातों बातो में हँसते हुए अवि के कंधो पर अपना हाथ रख रहे थे , उसे थपथपा रहे थे और उसके साथ हंस मुस्कुरा रहे थे।
“अरे नैना वहा क्यों खड़ी हो ? यहाँ आओ”,विपिन जी ने आवाज दी तो नैना उनके पास चली आयी
“आप दोनों इतनी रात में यहाँ क्या करे है डेड ?”,नैना ने पूछा
“बस खुली हवा में आये थे तो सोचा दामाद जी तुम्हारे बारे में थोड़ी बात कर लू,,,,,,,,,,,,,बहुत शिकायते आयी है आपकी बेटा जी”,विपिन जी ने कहा
“शिकायते ? जरा मैं भी तो सुनु क्या कहा है इन्होने मेरे बारे में ?”नैना ने अपने हाथो को एक बार फिर बांधा और अपनी पलकों को फड़फड़ाते हुए अवि की तरफ देखकर कहा तो अवि अपने कंधे उचका दिए
“डेड आप झूठ बोल रहे हो ना पडोसी मेरी शिकायत कर ही नहीं सकता,,,,,,,,,,,,,,,मुझे भरोसा है”,नैना ने कहा
“अरे जरा धीरे आराधना ने सूना तो तुम्हारी खैर नहीं और बेटा जी हमे तुम्हारी ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आयी तुम्हे थोड़ा तमीज से पेश आना चाहिए”,विपिन जी ने कहा
“किसके साथ ?”,नैना ने अपनी आँखों को बड़ा करते हुए कहा
“अवि के साथ और किसके साथ ?”,विपिन जी ने भी सेम रिएक्शन के साथ कहा
“अरे पडोसी तो अपना,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब अपना ही बंदा है ना डेड”,नैना ने अवि के कंधो पर हाथ रखते हुए कहा
“देखा पापा ये हमेशा ऐसे ही करती है,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे लगता है मुझे शादी करने से पहले थोड़ा और सोचना चाहिए था”,अवि ने मुंह बनाकर कहा
“हाँ मुझे भी लगता है खामखा मैंने एक सीधे साधे लड़के की जिंदगी बर्बाद कर दी,,,,,,,,,,,,,,!!”,विपिन जी ने भी अफ़सोस जताते हुए कहा
नैना आँखे फाड़े दोनों को देख रही थी और अगले ही पल उसने कहा,”एक ही दिन में ऐसा क्या जादू किया इसने आप पर जो आप इसकी साइड हो गए ?”
“बेटा जी मैं तो उसी की साइड हूँ जो मेरी अमानत को सम्हाले”,विपिन जी ने नैना को साइड हग करते हुए कहा तो नैना सामने खड़े अवि को देखने लगी और मुस्कुरा उठी।
तीनो कुछ देर वही रुके और फिर विपिन जी ने कहा,”रात बहुत हो चुकी है मैं अब नीचे चलता हूँ , अवि बेटा आप भी नैना को लेकर नीचे आ जाना”
“डेड आप चलिए हम दोनों आते है”,नैना ने अवि के कहने से पहले ही कहा तो विपिन जी दोनों को गुड नाईट बोलकर चले गए। अवि और नैना अब छत पर अकेले थे विपिन जी के जाने के बाद अवि ने कहा,”हम लोग क्यों रुके है चलो नीचे चलते है ?”
“तुमने अपने दोस्त से मेरी रिपोर्ट्स के बारे में पूछा ?”,नैना ने सवाल किया
“ओह्ह यार ! आई ऍम सॉरी मैं तो भूल ही गया मैं अभी उसे फोन,,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने जेब से फोन निकालते हुए कहा
“पडोसी टाइम देखा है तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी नहीं तुम सुबह उस से पूछ सकते हो,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने अवि को रोकते हुए कहा
“हाँ ये सही रहेगा”,अवि ने कहा और फोन वापस जेब में रख लिया
“तुम्हे क्या लगता है ?”,नैना ने खोये हुए स्वर में पूछा जैसे वो कुछ सोच रही हो
“किस बारे में ?”,अवि ने पूछा
“क्या मुझे कोई सीरियस डिजीज है ?”,नैना ने एकदम से अवि की तरफ देखकर कहा
अवि ने नैना के सर पर हाथ रखा और उसे अपने सीने से लगाकर कहा,”ऐसा कुछ भी नहीं होगा नैना तुम बिल्कुल ठीक हो। कल सुबह मैं तुम्हारी रिपोर्ट्स ले आऊंगा”
“हम्म्म्म”,नैना ने धीमे स्वर में कहा हालाँकि उसके मन में कही ना कही ये डर था कि उसे कुछ हुआ है।

बीकानेर , मोंटी का घर
रात के खाने के बाद मोंटी परेशान सा अपने कमरे में बैठा लेपटॉप पर काम कर रहा था। रुचिका कमरे में आयी तो मोंटी को परेशान देखकर उसकी तरफ चली आयी। मोंटी ने खीजकर लेपटॉप साइड में रखा और अपना सर पकड़ लिया। रुचिका उसके बगल में आकर बैठी और अपना हाथ उसके कंधे पर रखकर कहा,”क्या हुआ मोंटी ? सब ठीक है ना तुम कुछ परेशान नजर आ रहे हो”
“बैंक ने मेरा लोन रिजेक्ट कर दिया रूचि,,,,,,,,,,,,,,,मैंने कितनी कोशिश के बाद इसे अप्रूव करवाया था लेकिन आज दोपहर बाद इसे रिजेक्ट कर दिया”,मोंटी ने बुझे स्वर में कहा
“तुमने लोन के लिए क्यों अप्लाई किया था ?”,रुचिका ने हैरानी से पूछा
“मुझे गाड़ी लेनी थी और भी बहुत कुछ था जो करना था लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं क्या करू ?”,मोंटी ने कहा
“मोंटी तुम्हे इतना परेशान होना नहीं चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुमने आज ही जॉब छोड़ा है एक वीक में तुम्हे कोई ना कोई दूसरी जॉब मिल ही जाएगी। रही बात गाड़ी की तो फ़िलहाल हमे उसकी जरूरत नहीं है मोंटी”,रुचिका ने मोंटी को समझाते हुए कहा
“वो बात नहीं है रूचि शादी के बाद मैंने तुम्हे कोई ज्यादा अच्छी लाइफ भी नहीं दी है”,मोंटी ने रुचिका की तरफ देखकर कहा
“मोंटी ऐसा तुम सोचते हो जबकि मैं तुम्हारे साथ बहुत खुश हूँ,,,,,,,,,,,,इन्फेक्ट मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है। तुम्हे अभी थोड़ा स्ट्रांग रहना होगा ये सब तो चलता रहता है , लेकिन कैसी भी सिचुएशन हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ”,रुचिका ने मोंटी का हाथ थामकर कहा
“मैंने कभी सोचा नहीं था माला ऐसा करेगी ? उसने डील केंसल की मुझे उसका बुरा नहीं लगा लेकिन उसने आज जो सबके सामने किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,आखिर वो लड़की चाहती क्या है ? ये जानते हुए भी कि मैं शादीशुदा हूँ,,,,,,,,,,,,,,मैंने कभी उसे गलत नजर से नहीं देखा रूचि उसे क्या तुम से मिलने के बाद मैंने कभी किसी लड़की को गलत नजर से नहीं देखा,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“मुझे तुम पर भरोसा है मोंटी और उस माला को भाड़ में जाने दो,,,,,,,,,,,,,,,,,,अगली बार अगर वो मुझसे टकराई ना तो मैं उसे अच्छे से सुनाने वाली हूँ। वो मेरे कपकेक को ऐसे परेशान नहीं कर सकती,,,,,,,,,,,,लेकिन वो बेचारी करे भी तो क्या तुम इतने क्यूट जो हो ?”,रुचिका ने मोंटी के गाल खींचते हुए कहा
“मैं यहाँ इतनी सीरियस बात कर रहा हूँ और तुम्हे रोमांस सूझ रहा है”,मोंटी ने रुचिका को घूरते हुए कहा
“तो फिर हमे इसे सीरियस वाला रोमांस बनाना चाहिए,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने हँसते हुए कहा तो मोंटी भी उसकी इस बचकानी बात पर हंस पड़ा। रुचिका के साथ हँसते मुस्कुराते मोंटी कुछ वक्त के लिए अपनी सब परेशानी भूल गया।

आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
सार्थक और शर्मा जी किचन में साथ मिलकर खाना बना रहे थे। शर्मा जी और सार्थक दोनों ही अपनी अपनी पत्नियों से बहस करके आये थे और दोनों ने उनकी बात नहीं सुनी इसलिए दोनों अभी एक ही स्तिथि से गुजर रहे थे। मिस्टर शर्मा जिन्हे कुकिंग का बहुत शौक था और वो खाना भी बहुत अच्छा बनाते थे उन्होंने आज खाना खुद बनाया और टेढ़े मेढ़े चपाती सार्थक ने बनाये।
“लो ये सब तो तैयार है , तुम खाना टेबल पर लगाओ मैं तब तक जरा हाथ मुंह धो लू”,शर्मा जी ने एप्रिन उतारते हुए कहा
“हम्म्म ठीक है पापा , आप खाने के लिए मम्मी को भी बुला लेंगे क्या ?”,सार्थक ने गैस बंद करते हुए कहा
“तुम चाहते हो मैं उस सोई हुई शेरनी को जगाउ ताकि वो मुझे कच्चा चबा जाये,,,,,,,,,,,,,,,,वाइफ को लेकर एक्सपीरियंस अच्छा नहीं है तुम्हारा बेटा ,, जाओ खाना लगाओ भूख लगी है जिसको खाना होगा वो खुद आ जायेगा”,शर्मा जी ने कहा और किचन से बाहर चले गए।
सार्थक ने खाना टेबल पर लगाया और खुद भी हाथ मुंह धोकर चला आया। शर्मा जी पहले से वहा मौजूद थे। सार्थक कुर्सी पर आ बैठा शर्मा जी ने उसके और अपने लिए खाना परोसा और खाने को कहा।
मिसेज शर्मा और शीतल के बिना भला सार्थक कैसे खाता ? उसने आसभरी नजरो से पहले अपनी मम्मी के कमरे को देखा और फिर अपने कमरे को लेकिन दोनों ही बाहर नहीं आयी। मिस्टर शर्मा ने देखा तो कहा,”जाओ बुला लाओ उन्हें उनके बिना तुम्हारे गले से खाना कहा उतरेगा”
सार्थक ने सूना तो तुरंत उठकर पहले अपनी मम्मी के कमरे में गया और उन्हें साथ ही ले आया। मिसेज शर्मा थोड़ा भाव खाती रही लेकिन शर्मा जी के हाथो से बने खाने का मौका वे गवाना नहीं चाहती थी। मिसेज शर्मा आकर बैठ गयी। उन्होंने प्लेट उठाई और खुद ही उसमे खाना परोसने लगी। कुछ देर बाद सार्थक शीतल को भी मनाकर अपने साथ ले आया। शीतल को देखते ही मिसेज शर्मा का मुंह बन गया और शीतल के चेहरे के भाव भी बदल गए।

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