Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 40

Love You Zindagi – 40

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

मोंटी और रुचिका को माला के होंने से कोई खास फर्क नहीं पड़ा वो दोनों अपना लंच इंजॉय करने लगे ये देखकर माला जल भून गयी। उसने खाने की प्लेट उठाकर जमीन पर फेंक दी। रेस्ट्रोरेंट में मौजूद सभी लोग उसे देखने लगे। मोंटी और रुचिका भी उसके इस बिहेव पर हैरान थे। माला गुस्से से लाल पिली हुई जा रही थी। रेस्त्रो का मैनेजर वहा आया और माला से कहा,”मेम ये क्या तरिका है ? आप यहाँ इस तरह पेश नहीं आ सकती”
“मुझे मत सिखाओ मुझे कैसे बिहेव करना है”,माला ने गुस्से से मैनेजर को घूरते हुए कहा
“मेम आपकी वजह से बाकि लोग डिस्टर्ब हो रहे है प्लीज आप यहाँ से जाईये”,मैनेजर ने शालीनता से कहा जबकि गुस्सा उसे भी आ रहा था
“वो मेरी प्रॉब्लम नहीं है , वैसे भी ऐसे बकवास रेस्टोरेंट में रुकना मैं पसंद भी नहीं करती , तुम्हारा जो भी बिल हो मुझे दो”,माला ने पैसो का रौब झा ड़ते हुए कहा
“अगर ये रेस्टोरेंट इतना ही बकवास है तो लोग यहाँ आते ही क्यों है ? दुसरो का क्वालिटी टाइम बर्बाद करने या फिर इग्नोर होने”,रुचिका ने कहा
“यू जस्ट शट अप , ये सब तुम्हारी ही वजह से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तुम्हारे मुंह लगना ही नहीं है”,माला ने खीजते हुए कहा
“मैंने इन्वाइट भी नहीं किया है , तुम्हे ही शौक है दुसरो की जिंदगी में घुसने का”,रुचिका ने भी थोड़ा कठोरता से कहा
“ओह्ह्ह रियली और पर तुम्हे देखकर तो लगता है तुम मोंटी की जिंदगी में बस खुद को फिट करने की कोशिश कर रही हो जबकि तुम खुद फिट नहीं हो। कभी शीशे में देखा है खुद को तुम किसी भी एंगल से मोंटी के लायक तो बिल्कुल नहीं लगती,,,,,,,,,,,,,,,,,मोंटी सच में तुम्हारा टेस्ट बहुत खराब है , बदलो इसे”,माला ने मोंटी पर निशाना साधते हुए कहा
मोंटी जो कि अब तक माला को लेकर चुप था इस बार उसकी बात सुनकर खुद को नहीं रोक पाया और कहा,”इनफ इज इनफ माला , रुचिका मेरी वाइफ है कोई राह चलती नहीं जो तुम इसके बारे मे कुछ भी बकवास किये जा रही हो। रुचिका फिट है या नहीं मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन हमारा रिलेशनशिप फिट है जिसमे तुम जान बुझाकर घुसना चाहती हो। बेहतर होगा तुम यहाँ से चली जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब तक मैं तुम्हारी बहुत इज्जत करता था लेकिन अब तुम मेरी नजरो से गिरती जा रही हो। एक औरत होकर दूसरी औरत के लिए ऐसे बात करने में तुम्हे जरा भी शर्म नहीं आ रही कैसी इंसान हो तुम ? मैं शादीशुदा हूँ और ये मेरी वाइफ है रुचिका मानव शर्मा और ये मेरे लिए काफी है,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
माला ने सूना तो उसका खून जल उठा लेकिन रुचिका का दिल ख़ुशी से खिल गया। सबके सामने सार्थक उसके लिए ये सब कह रहा था रुचिका तो मन ही मन फुले नहीं समायी।
माला फ़टी आँखों से मोंटी को देखते रही और फिर कहा,”तुम्हे क्या लगता है मुझे ठुकरा कर तुम खुश रह पाओगे ? इस शहर में तुम्हे कोई नौकरी नहीं देगा , बड़ी बड़ी कम्पनिया मेरे डेड के एक इशारे पर तुम्हे उठाकर कम्पनी से बाहर फेंक देगी,,,,,,,,,,,,,मैं तुम दोनों का जीना हराम कर दूंगी , दर दर की ठोकरे खाने पर मजबूर कर दूंगी और फिर तुम मेरे पास आओगे मुझसे माफ़ी मांगोगे और मैं तुम्हे माफ़ भी कर दूंगी क्योकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ,,,,,,,,,,तुम्हरे पास दो चॉइस है मोंटी या तो मुझे अपना लो या फिर बैठकर अपनी बर्बादी का तमाशा देखो”
रुचिका ने ये सब सूना तो उसे माला पर बहुत गुस्सा आया उसने टेबल पर रखा पानी का ग्लास उठाया और उसमे भरा पानी माला के मुंह पर फेंककर कहा,”इस से शायद तुम्हारी नींद खुल जाये और तुम ख्वाबो की दुनिया से बाहर आ जाओ”
“यू बिच,,,,,,,,,,,,!!”,.माला ने गुस्से से जैसे ही कहा मोंटी चिल्लाया,”माला,,,,,,,,,,,,,!!”
“मोंटी मैं,,,,,,,,,,,,!!”,माला ने बेचारगी से कहा
“अपना मुंह बंद रखो , मैं सोच भी नहीं सकता तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो , तुम एक अच्छे घर की , एक बड़ी कम्पनी की कामयाब वीमेन हो और ऐसी घटिया बाते,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुम्हारा स्टेंडर्ड इतना गिर गया है कि तुम्हे एक शादी शुदा आदमी में फर्क नजर नहीं आ रहा”,मोंटी ने दुःख और परेशानी भरे स्वर में कहा
“प्यार स्टेंडर्ड नहीं देखता है मोंटी , आई लव यू सो मच मैं मैं तुम्हे इस रुचिका से भी ज्यादा खुश रखूंगी”,माला ने मोंटी के पास आकर उसके शर्ट की कॉलर पकड़कर कहा
“बिहेव योर सेल्फ माला,,,,,,,,,,,,तुमने शायद ठीक से सुना नहीं मैंने अभी क्या कहा , मैंने कहा मैं शादीशुदा हूँ और मेरे लिए मेरी वाइफ काफी है , तुम्हारी नजर में रूचि फिट हो या न हो लेकिन मेरे लिए वो परफेक्ट है”,मोंटी ने माला के हाथो को पकड़कर अपनी कॉलर छुड़ाकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा। रुचिका तो बस ये सब देखकर ही खुद पर नाज कर रही थी आज से पहले उसने मोंटी के मुंह से ऐसा कुछ नहीं सूना था। माला ने सूना तो उसका दिल टूट गया उसे लगा मोंटी उसकी खूबसूरती और पैसे के सामने पिघल जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ उलटा मोंटी ने सबके सामने उसे रिजेक्ट कर दिया। गुस्से और दुःख से भरी माला ख़ामोशी से मोंटी को देखने लगी।
“मेम बहुत हो चुका प्लीज यहाँ से जाईये”,मैनेजर ने एक बार फिर माला से कहा तो माला ने मैनेजर का हाथ झटक दिया और मोंटी से कहा,”तुम बहुत पछताओगे मोंटी”
“रूचि कम लेटस गो”,मोंटी ने रुचिका का हाथ थामकर वहा से निकलते हुए कहा
माला बस उन दोनों को वहा से जाते हुए देखते रही जाते जाते रुचिका ने पलटकर माला को देखा और मोंटी की बांह थामकर हल्का सा मुस्कुरा दी।
पार्किंग में आकर मोंटी ने अपनी बाइक निकाली और रुचिका चुपचाप उसके पीछे आ बैठी और दोनों वापस घर जाने के लिए निकल गए। माला की वजह से मोंटी का लंच और मूड दोनों खराब हो चुके थे।
मोंटी को माला पर बहुत गुस्सा आ रहा था। माला से हुई पहली मुलाकात से लेकर अब तक की हर मुलाकात उसकी आँखों के सामने घूमने लगी। मोंटी माला की बहुत रिस्पेक्ट करता था लेकिन आज उसने मोंटी के सामने अपना असली रंग दिखा ही दिया। चलते चलते मोंटी ने बाइक दूसरी और मोड दी तो रुचिका ने कहा,”मोंटी घर तो उस तरफ है इधर कहा ?”
“हम पुलिस स्टेशन जा रहे है , माला की रिपोर्ट करने”,मोंटी ने कहा
“व्हाट ? मोंटी बाइक रोको,,,,,,,,,,,,,,,,,मोंटी बाइक रोको”,रुचिका ने हैरानी से कहा तो मोंटी ने बाइक एक साइड रोक दी। रुचिका नीचे उतरी और मोंटी के सामने आकर कहा,”तुम पागल हो गए हो क्या मोंटी ? इतनी सी बात के लिए तुम पुलिस स्टेशन जाओगे। वो माला एक सायको है तुम उसकी बात को इतना सीरियस मत लो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
“नहीं रूचि उसकी बातो से लग रहा है वो इतनी जल्दी हार नहीं मानेगी और उसकी वजह से मैं तुम्हे किसी प्रॉब्लम में डालना नहीं चाहता””,मोंटी ने रुचिका के गाल को अपने हाथ से छूकर कहा
“हाह तुम उसकी फुद्दू धमकी से डर गए मोंटी , तुम भूल गए तुम्हारी वाइफ कितनी स्ट्रांग है ये देखो,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए रुचिका ने अपना बाजु थपथपाते हुए मोंटी को दिखाया और फिर आगे कहा,”अगर मैंने तबियत से उसे एक घुसा मार दिया तो वो 4 दिन तक पानी नहीं मांगेगी तुम खामखा उस से डर रहे हो मोंटी,,,,,,,,,,,,,,,,वो बस हम दोनों के बीच मिस अंडरस्टेंडिंग पैदा करना चाहती है। जब तक हम दोनों नहीं चाहेंगे कोई हमारे बीच नहीं आ सकता”
“हम्म्म्म लेकिन वो माला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा है उसी की वजह से मुझे कम्पनी से रिजाइन देना पड़ा और उसने तुम्हारे साथ बदतमीजी भी की”,मोंटी ने बच्चो की तरह गुस्सा होते हुए कहा
“ओह्ह्ह्ह मेरे कपकेक तुम कितने प्यारे हो , उसने जो कहा मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ा पर आज तुमने जो कहा वो सुनकर सच में मुझे खुद पर प्राउड फील हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,आई लव यू फॉरएवर”,रुचिका ने वही सड़क पर ही मोंटी के गले लगते हुए कहा
“अरे रूचि क्या कर रही हो ? सब हमे देख रहे है”,मोंटी ने थोड़ा असहज होते हुए कहा
“तो देखने दो मैं अपने हस्बेंड को हग कर रही हूँ किसी को प्रॉब्लम है तो वो अपनी आँखे बंद कर ले”,रुचिका ने मोंटी को थोड़ा और टाइट गले लगाते हुए कहा

“उस माला ने हमारा सारा लंच बर्बाद कर दिया”,कुछ देर बाद रुचिका ने मोंटी से दूर हटते हुए कहा
“तो हम कही ओर चलते है अब पूरा शहर तो माला का नहीं है न,,,,,,,,,,,,,,,,,चलो आओ बैठो”,मोंटी ने मुस्कुरा कर कहा और रुचिका उसके पीछे आ बैठी। दोनों एक बार फिर अपना अधूरा लंच पूरा करने दूसरी जगह चले गए।

आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
सार्थक की मम्मी और शीतल के बीच हुए झगडे में सार्थक फस गया। अगर वह शीतल को समझाए तो वह अपनी माँ की साइड ले रहा है और अगर मिसेज शर्मा को समझाए तो वह हुआ जोरू का गुलाम,,,,,,,,,,,,,! सार्थक ने दोनों से बात की लेकिन दोनों ही कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी। सार्थक बाहर हॉल में चला आया और सोफे पर बैठकर सोच में डूब गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था पहली बार उसने घर में ऐसी सिचुएशन देखी थी वरना तो उसकी मम्मी और शीतल हमेशा एक दूसरे के साथ हँसते मुस्कुराते रहती थी। अन्धेरा होने लगा था लेकिन न शीतल अपने कमरे से बाहर आयी ना ही मिसेज शर्मा। ऑफिस के काम की थकान थी के सार्थक की वही सोफे पर आँख लग गयी। मिस्टर शर्मा घर आये उन्होंने अन्धेरा देखा तो थोड़ा हैरान हुए और फिर हॉल की लाइट जलाते हुए कहा,”सार्थक की मम्मी कहा हो ? आज घर में इतना अन्धेरा क्यों है ?”
मिसेज शर्मा ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि उनकी आवाज सुनकर सार्थक की नींद जरूर टूट गयी और उसने उठकर बैठते हुए कहा,”अरे पापा आ गए आप ?”
“हाँ लेकिन तुम्हारी मम्मी कहा है दिखाई नहीं दे रही , और शीतल भी नहीं है दोनों कही गयी है क्या ? और तुम ये सोफे पर क्यों सो रहे हो ?”,शर्मा जी ने अपना बैग टेबल पर रखते हुए सवालो को झड़ी लगा दी।
“वो ऑफिस से आया तो थोड़ा थक गया था फिर यही आँख लग गयी , मम्मी और शीतल यही है अपने कमरों में है मैं बुलाता हूँ आप बैठिये ना”,सार्थक ने कहा और फिर शीतल को आवाज दी,”शीतल , शीतल पापा घर आ गए है उनके लिए चाय बना दो”
सार्थक की आवाज शीतल के कानो में पड़ी या नहीं लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। घर का माहौल शांत देखकर शर्मा जी भी थोड़ा हैरान थे पर उन्हें समझते देर नहीं लगी कि माजरा क्या है ? इसलिए उन्होंने कहा,”सार्थक सुनो बेटा मुझे अभी चाय नहीं पीनी , मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ फिर सीधा रात का खाना ही खाएंगे”
“ठीक है पापा”,सार्थक ने कहा तो शर्मा जी वहा से चले गए। सार्थक अपने कमरे में आया देखा शीतल बैठकर आराम से टीवी देख रही है तो सार्थक ने थोड़ा खीजते हुए कहा,”शीतल ये सब क्या है ? मम्मी का गुस्सा तुम पापा पर क्यों निकाल रही हो ? तुम बाहर क्यों नहीं आयी ?”
“अगर तुम गलत को सही साबित करने की कोशिश करोगे तो ऐसा ही होगा सार्थक , मेरी कोई गलती नहीं है मम्मी जी ने ही आकर मुझसे फालतू बहस की और उलटा सीधा कहा,,,,,,,,,,,,,,मैं सोसायटी की उन सो कॉल्ड आंटियो से माफ़ी नहीं मांगूंगी”,शीतल अभी भी सार्थक की बातो से गुस्सा थी
“शीतल वो मेरी मम्मी है वो हम दोनों से बड़ी है यार वो कुछ गलत क्यों कहेगी और अगर कुछ कहा भी तो भूल जाओ ना”,सार्थक ने शीतल को समझाते हुए कहा
“ऐसा है तो फिर एक काम करो आज रात उन्ही के हाथ से बना खाना खाओ , वो माँ है मैं तो कुछ लगती नहीं हूँ”,शीतल ने कहा और वहा से चली गयी
सार्थक मुंह लटकाकर वही बैठ गया। जो सार्थक के साथ हुआ वही उसके पापा के साथ हुआ उन्होंने भी मिसेज शर्मा को समझाना चाहा तो मिसेज शर्मा ने उन्हें कमरे के बाहर का रास्ता दिखा दिया। रात हो चुकी थी इसलिए सार्थक और मिस्टर शर्मा साथ साथ कमरे से बाहर निकले और किचन की तरफ बढ़ गए क्योकि आज खाना बनाने की बारी उनकी थी।
रात के खाने के बाद सौंदर्या जी ने नैना के मम्मी पापा के लिए बढ़िया कमरा तैयार करवा दिया जहा वे लोग बिना किसी परेशानी के आराम कर सके। अवि अपने कमरे में था और सूटकेस में कुछ ढूंढ रहा था। सबसे निचे ही निचे उसे वो स्कॉच की बोतल मिली जो उसने गोआ में खरीदी थी। अवि ने उसे एक पेपर में लपेटा और नीचे चला आया। नैना उस वक्त बाथरूम में थी। अवि निचे विपिन जी के कमरे के सामने आया। दरवाजा खुला था शायद विपिन जी और आराधना भी तक सोये नहीं थे। अवि ने दरवाजा खटखटाया और कहा,”क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ?”
“अरे अवि बेटा , कैसी बात कर रहे हो बेटाजी आपको भला पूछने की जरूरत है आओ अंदर आओ”,बिस्तर पर बैठे विपिन जी ने उठकर दरवाजे की तरफ आते हुए कहा। अवि अंदर चला आया उसके हाथ में कुछ सामान देखकर आराधना ने कहा,”ये तुम्हारे हाथ में क्या है ?”
“वो ये मैं पापा के लिए लेकर आया था”,अवि ने सामान विपिन जी की तरफ बढ़ाते हुए कहा
आराधना ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और कहा,”मैं ज़रा किचन से पानी ले आती , आप लोग बैठिये बाते कीजिये”
“मैं ले आता हूँ”,अवि ने कहा
“अरे नहीं बेटा मैं चली जाउंगी , वैसे भी मुझे सौंदर्या जी से थोड़ी बातें करनी है उसके बाद पता नहीं फिर कब आना हो ? तब तक दामाद ससुरजी एक दूसरे से बाते कीजिये,,,,,,,,,,,,,,हम्म्म”,आराधना ने मुस्कुरा कर कहा
आराधना के जाने के बाद विपिन जी ने कागज हटाकर जैसे ही स्कॉच की बोतल को देखा उनकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी। उन्होंने एक बार अवि को देखा और फिर दोबारा बोतल को देखा। उन्हें अवि से ऐसे किसी तोहफे की उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी। वे अवि से कुछ कहते इस से पहले ही अवि बोल पड़ा,”ये गोआ की सबसे बेस्ट स्कॉच है , मैंने इसे स्पेशली आपके लिए खरीदा था सोचा आपको पसंद आएगी। ये काफी स्ट्रांग भी है लेकिन आपको सूट करेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे मैंने अपने दोस्तों के साथ एक आध बार ड्रिंक की है पर आप चाहेंगे तो मैं आपको भी कम्पनी दे सकता हूँ।”
“बेटाजी जी आपसे किसने कहा मैं ये पीता हूँ ?”,विपिन जी ने सहजता से पूछा
“एक बार नैना ने मुझे बताया था की आपको स्कॉच बहुत पसंद है , गोआ में मैंने जब ये देखी तो सोचा क्यों ना मैं ये आपको गिफ्ट करू”,अवि ने मासूमियत से कहा
“बेटा जी नैना अपने स्कॉच के आगे बटर लगाना भूल गयी थी शायद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे स्कॉच नहीं बटर स्कॉच शेक पसंद है लेकिन नैना उसे कभी शैक नहीं कहती वो हमेशा स्कॉच ही कहती है। आपको शायद ग़लतफ़हमी हुई है मैं कभी कभार सिगरेट जरूर पी लेता हूँ लेकिन ये सब नहीं,,,,,,,,,,,,,,,!!”,विपिन जी ने बड़े प्यार से कहा
अवि ने जैसे ही सूना उसका दिल किया सामने कोई गहरा खड्डा हो और वह उसमे कूद जाये। कहा वो विपिन जी के सामने इम्प्रेशन जमाना चाहता था और कहा नैना की वजह से उसका एक बार फिर पोपट हो गया। अवि मन ही मन नैना को पूरी बात ना बताने के लिए कोसने लगा। विपिन जी से नजरे मिलाने की अवि में हिम्मत नहीं हो रही थी उसे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी साथ ही उसने अपना कच्चा-चिटठा भी खोल दिया। अवि को असहज देखकर विपिन जी ने उसके कंधो पर हाथ रखा और मुस्कुरा कर कहा,”नैना के साथ रहकर आप भी उसके साथ हो गए है बेटा जी”
“हम्म्म्म आई ऍम सॉरी पापा”,अवि ने धीमी आवाज में कहा
“अरे इट्स ओके बेटा जी , कभी कभी हो जाता है अब आराधना जी ये देखे इस से पहले इसे गायब करना होगा , वरना बटर लगाकर आपकी और मेरी जो खातिरदारी होगी उस से तो खुद नैना भी हमे नहीं बचा पायेगी”,विपिन जी ने हसते हुए कहा तो अवि भी मुस्कुरा उठा।

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संजना किरोड़ीवाल

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