Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

लेटते ही नींद आ गयी-06

Lette Hi Neend Aagyi-06

Lette Hi Neend Aagyi-06

रमीज़ इतना थक चुका होता है के अब उसकी हिम्मत नही होती के वो क़ब्रिस्तान में क़बर के पास बैठी औरत के पास जाकर पूछे के वो आखिर किया कर रही है इतनी रात को , एक वो नक़ाब पोश अब दूसरी यह औरत जो बैठी ना जाने किया पढ़ रही होती है !

रमीज़ अपने कमरे में आकर अपने गीले कुरते को उतार   दूसरा कुरता पहन चारपाई पर लेट अपनी साँसे दरुस्त करने लगता है !

इससे पहले के रमीज़ की आँखे लगती उसके दरवाज़े पर दस्तक होती है ! रमीज़ सुस्त कदमों से उठते हुए दरवाज़े को खोलता है तो सामने बारिश के पानी से भीगी वही औरत होती है जो क़बर के पास बैठी थी !

“जी कहिये, कौन है आप और इस वक़्त इतने तेज़ बारिश में यहाँ क़ब्रिस्तान में क्या कर रही है?” रमीज़ ने कहा!

“मेरा नाम शबीना है और मैं यही पास में रहती हूँ मैं बस अपने किसी अजीज़ के क़बर पर इशाल सवाब के लिए आयी थी!” शबीना कहते हुए थोड़ी देर खामोश होजाती है! फिर कहती है !

“कल जिस लड़की के साथ हादसा हुआ क्या उसे दफना दिया गया है?”

“जी अभी नही मगर क्यों?” रमीज़ ने थोड़ा हैरान होते हुए कहा!

“जी कुछ नही बस ऐसे ही जानना चाहती थी ठीक है मैं अब चलती हूँ!” वो औरत शबीना कहते हुए चली जाती है!

“थका हारा रमीज़ औरत के जाते ही वापस दरवाज़ा बंद कर अपनी चारपाई पर लेट जाता है लेटते ही उसे नींद आजाती है फिर से वो ख्वाबों की दुनिया मे सफर करने लगता है !

”नाक में दम कर के रखा है अम्मा आप के इस लाडले बेटे ने किसी के यहाँ नौकरी नहीं करेगा मगर चोरी का कारोबार चलायेगा !” रमीज़ के बड़े भाई ने चिल्लाते हुए कहा !

”क्या कर दिया अब इसने ? अब तो यह घर में खर्च भी दे रहा है !” रमीज़ के अम्मा ने पूछा ! जो रमीज़ को बैठा कर खाना खिला रही होती है !

”आप का यह बेटा ज़िम्मेदार के आम के बगीचे से आम चोरी कर बाजार में बेचकर पैसे कमा रहा है !” रमीज़ के बड़े भाई ने कहा !

”हाँ तो क्या हुआ तुमसे कारोबार के लिए रुपय माँगे तो तुमलोगों ने तो दिए नहीं वैसे भी जिम्मेदार के आम बागीचे में सड़ते रहते है अच्छा ही तो करता है यह बेच आता है!” अम्मा ने समझाते हुए कहा!

”अम्मा आप के इसी लाड प्यार ने इसे इतना लापरवाह और आवारा बना दिया है!” रमीज़ के बड़े भाई ने कहा!

 ”वो रुपय जमा कर रहा है जिस दिन पूरे हो जायेंगे कोई अच्छा काम शुरू कर लेगा तुम इसके पीछे ना ही पड़ो तो अच्छा होगा!” अम्मा ने कहा!

”सही है और बिगाड़ो इसे कसम खा कर कह रहा हूँ अम्मा जिस दिन आप इस दुनियाँ से रुखसत हुई मैं इसे भी इस घर से निकाल दूँगा !” रमीज़ का बड़ा भाई कहते हुए गुस्से में चला जाता है !

”अम्मा यह मेरे अपने भाई है या सौतेले ? हमेशा मुझसे इस तरह पेश क्यों आते है ?” रमीज़ ने बड़े ही मासूमियत से कहा !

”बेटा यह दुनिया ऐसी ही है यहाँ रिश्तों से ज्यादा लोग दौलत और शोहरत को अहमियत देते है जिस दिन तू भी अपने भाईयों की तरह कमाने लगेगा देखना उस दिन यही भाई तेरे तेरी इज्जत करेंगे !” रमीज़ की अम्मा ने कहा !

”अम्मा मुझे ऐसी दौलत नहीं चाहिये जिससे मुझे इज्जत मिले मैं तो ऐसा काम करूँगा जिससे भले ही मैं गरीब रहूं मगर लोग मुझे देखे तो इज्जत से पेश आये !” रमीज़ ने कहा !

”बिलकुल मेरे बच्चे अल्लाह तुझे हर ख़ुशी दे अब जा मैं जरा आराम कर लूँ दोपहर का वक़्त है तू भी जाकर अपने कमरे में सोजा !” अम्मा ने कहा तो रमीज़ वहां से निकल कर नरगिस के घर की तरफ चल देता है !

गरमी की दोपहर में सन्नाटे पड़े अपने गांव की गलियों में छुपते छुपाते रमीज़ नरगिस के खिड़की के पास पहुँच कर झाँकता है तो नरगिस बे खबर अपने चारपाई पर सोये हुई उसे दिखती है ! रमीज़ बेहद ही मोहब्बत से सोते हुए उसके मासूम चेहरे को देखता है फिर पास से एक छोटी सी कंकरी उठा कर उसे मार कर छुप जाता है ! कंकरी लगते ही नरगिस उठ कर बैठ जाती है उसे कुछ समझ नहीं आता तो वो वापस सो जाती है ! रमीज़ दूसरे बार फिर से कंकरी उठा कर मारता है !

”कौन है ? कौन है ?” नरगिस आवाज़ देती है !

”क्या हुआ नरगिस तुम इस तरह चिल्ला क्यों रही हो?” नरगिस की भाभी ने पूछा!

”भाभी वो मैं सोयी हुई थी पता नहीं किसने मुझपर यह छोटे छोटे पत्थर मारे!” नरगिस ने रमीज़ के फेंके हुए कंकरियों को दिखाते हुए कहा !

”होगी किसी की शरारत तुम ऐसा करो खिड़की बंद कर के सो जाओ!” भाभी कहते हुए चली जाती है !

नरगिस अपने चारपाई से उठ कर जैसे ही खिड़की बंद करने के लिए हाथ बढ़ाती रमीज़ उसके सामने आकर खड़ा होजाता है !

” या अल्लाह रमीज़ तुम यहाँ ? मरवाने का इरादा है किया ? ” नरगिस ने धीमे आवाज़ में कहा !

”मर तो मैं रहा हूँ तुमसे मिलने के लिए बोलो कब आओगी आम के बगीचे में मैं जारहा हूँ तुम भी पीछे से आ जाओ!” रमीज़ ने कहा !

”भैया घर पर ही है उन्हें पता चला तो मुझे ज़िंदा गाड़ देंगे?” नरगिस ने कहा!

”मैं कुछ नहीं जानता मैं जारहा हूँ तुम आजाना !” रमीज़ कहते हुए आम के बाग़ में चला जाता है ! दोनों के मिलने के तय जगह पर जाकर घांस में बैठ जाता है !

”लो आगयी अब खुश रमीज़ एक दिन तुम्हारे वजह से मेरी जान चली जायेगी तुम्हे पता है कितने मुश्किलों से घर से सब की नज़रों से बचते हुए आयी हूँ !” नरगिस ने आते हुए कहा !

”मोहब्बत में छुप छुप कर  मिलने का अपना अलग ही मज़ा होता है आओ बैठो मेरे पास !” रमीज़ ने नरगिस का हाथ पकड़ते हुए उसे बैठने का इशारा करते हुए कहा !

”मुझे अब इस तरह से मिलने में डर लगता है कहि कुछ गड़बड़ हो गयी तो !” नरगिस ने रमीज़ के पास बैठते हुए कहा !

”कुछ गड़बड़ नहीं होगी हम इतने दिनों से मिल रहे कभी कोई गड़बड़ हुई जो अब होगी !” रमीज़ कहता हुआ नरगिस के ऊपर झुक जाता है फिर दोनों दुनिया जहाँ से बेखबर अपनी मोहबब्त की दुनिया में खो से जाते है !

”मैं अब चलती हूँ घर पर सब उठ जायेंगे तो मुझे ढूंढेंगे !” नरगिस ने अपने कपड़े ठीक करते हुए कहा !

”अभी कहा थोड़ी देर मेरे साथ बैठो और पहले यह बेर खाओ फिर तुम्हे कुछ बताता हूँ !” रमीज़ ने नरगिस के हाथों में बेर देते हुए कहा !

”कहो जल्दी क्या बताना चाहते हो !” नरगिस ने बैर खाते हुए कहा !

”तुम्हे वो खेतों में बेर का पेड़ याद है ?” रमीज़ ने कहा !

”यह बेर तो बहुत लज़ीज़ है कहा से लाया तुमने ! तुम वैसे किस पेड़ की बात कर रहे वो जो गांव के सबसे आखिर में जो खेतों  के बीच में एक बेर का पेड़ है वही ?” नरगिस ने कहा !

”हाँ वही। तुम्हे पता है वहाँ मुझे कौन मिली ?” रमीज़ ने कहा !

”कौन ?” नरगिस ने भावे चढ़ाते हुए कहा !

”वो एक परी है जो उसी पेड़ पर रहती है और जो तुम यह बेर मज़े लेकर खा रही हो यह उसी ने मुझे दिए है !” रमीज़ ने हँसते हुए कहा !

”तुम्हारा दिमाग तो सही है ना तुम्हे एक परी ने बेर दिये। … बहुत ही अच्छा मज़ाक है रमीज़ !” नरगिस ने कहा !

”मैं सच कह रहा हूँ !” रमीज़ कहता है फिर वो लाइबा परी के बारे में सारी बातें नरगिस को बताता है !

”या अल्लाह एक परी मेरी सौतन बनेगी !” नरगिस ने कहा !

”अरे नहीं मैं पागल थोड़ी हूँ जो उस परी से मोहब्बत करूँगा तुम मेरे लिए किसि परी से कम थोड़ी हो !” रमीज़ ने मोहब्बत से नरगिस को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा !

तभी उन्हें किसी के क़दमों की आवाज़ सुनायी देती है रमीज़ जल्द से अपने जगह से उठ कर देखता है तो उसका दोस्त असलम नरगिस के भाई के साथ बाग़ के अंदर आरहा होता है !

”तुम्हारा दोस्त असलम मेरे भैया को लेकर इधर क्यों आरहा है ? अब क्या होगा ?” नरगिस ने डर से घबराते  हुए कहा !
”तुम घबराओ नहीं और उधर जाकर छुप जाओ मैं जाकर देखता हूँ क्या बात है ? मैं उनको दूसरी तरफ लेकर जाता हूँ तब तक तुम मौका देख कर यहाँ से चले जाना !” रमीज़ कहता है तो नरगिस थोड़ी दूर झाड़ियों में जाकर छुप जाती है !
”अरे रमीज़ तुम इस वक़्त यहाँ बाग़ में क्या कर रहा है ?” असलम ने अपने सामने से आते रमीज़ को देख कर कहा !
”अस्सलाम वालेकुम भाई कुछ नहीं घर में गर्मी बहुत लग रही थी तो यहाँ पर पेड़ो की छाव में आराम कर रहा था ! तुम इधर कैसे ?”रमीज़ ने पूछा !
”कुछ नहीं मैं बस इधर टहलने आरहा था तो रमजान भाई जान रस्ते में मिल गये तो हम इस तरफ साथ टहलते हुए चले आये !” असलम ने कहा !
”हाँ चलो उस तरफ टहलते है !” रमीज़ कह ही रहा होता है के उसे सामने ज़मीन पर नरगिस के पायल गिरे हुए दीखते है जिसके ठीक सामने नरगिस के रमजान भाई खड़े होते है !

”भाईजान चलिए ना मैं आप को उस तरफ के बाग़ दिखाता हूँ वहाँ पर तो मैंने गुलाब के कई पौधे भी लगा रखा है!” रमीज़ कहते हुए हल्का सा झुकता है और पायल को झट से उठा कर अपने कुर्ते के जेब में डाल लेता है ! 

“तुमने किसी और के बाग में गुलाब लगा दिए !” रमज़ान ने कहा !

हाँ बस ऐसे ही लगा दिये किया हर्ज़ है फूल तो फूल ही होते है कही भी खिले !” रमीज़ सिर खुजाते हुए कहता है !

“चलो फिर एक गुलाब तुम्हारी भाभी के लिए तोड़ लूँ दूँगा तो खुश होजाएगी क्यों असलम !” रमज़ान ने हंसते हुए कहा !

“हाँ रमज़ान भाई !” असलम ने कहा !

“वैसे रमीज़ तुम शादी कब कर रहे हो !”रमज़ान ने रमीज़ की पीठ थपथपाते हुए कहा !

“जी जब आप राजी होजाये !” रमीज़ ने कहा  !

“मतलब ?”रमज़ान ने कहा !

“मतलब आप के नज़र में कोई लड़की हो तो बतायेगा मैं कर कर लूंगा !

“हाहाहा जरूर मेरे भाई !” रमज़ान ने कहा !

तीनों बातें करते हुए आम के बाग के दूसरे तरफ जाने लगते है तभी नरगिस मौका देख कर बाग से बाहर निकल जाती है !

फजर की अज़ान के आवाज़ से रमीज़ की आँखे खुलती है ! ज़हन में माज़ी की याद लिए वो नमाज़ पढ़ता है नमाज़ और क़ुरआन की तिलावत के बाद वो अपने कपड़ो के बैग से एक चांदी का पायल निकालता है उसे देख उसके आँखों से बे इख्तियार आँसू बहने लगते है ! वो बार बार रोते हुए बार बार अपने लबों से उस पायल को चूमता है आज उसे अपनी मोहब्बत नरगिस बेहद याद आरही होती है ! जो नजाने उसके ज़िन्दगी की गली से कहा गुम होगयी !

सूबह दस बजे लड़की का बाप और कुछ लोग लड़की के मैय्यत को कफन में लपेट लिए मयूश क़ब्रिस्तान में दाख़िल होते है!

“आप ने खबर दे दिया होता तो मैं क़बर खोद कर रखता !”रमीज़ ने उनको आते देख कहा !

“उसकी कोई जरूरत नही है रमीज़ भाई इसकी क़बर तो पहले ही खोद चुके थे वो बदमाश चलिए नमाज़ जनाज़ा में आप भी सारिक होजाये !”लड़की के बाप ने रोते हुए कहा !

नमाज़ जनाज़ा के बाद उस लड़की के टुकड़ों में पड़े जिस्म को लोग सपुरदे ख़ाक कर के लौट जाते है! उस लड़की का बाप थोड़ी देर वही पर रुक दुआ पढ़ता रहता है !

आसमान में बदल गर्जना शुरू होजाते है मौसम सही ना देख कर रमीज़ उस लड़की के बाप को क़ब्रिस्तान से जाने का कहता है !

“रमीज़ भाई हमे कभी पता नही होता है के कब हमे हमारे अपने छोड़ कर चले जायें , एक बच्ची जिसके दुनिया मे आने का मैंने और मेरी बीवी ने नौ महीने इंतेज़ार किया , फिर वो हमारी दुनिया मे आयी हमे पूरा किया ,जब वो पहली बार चल रही थी तो हम बहुत ध्यान रखते थे के कहि हमारी बच्ची गिर ना जाए कहि उसे चोट ना लग जाये फिर उस बेटी को रात के सन्नाटे में रमीज़ भाई पानी लाने कैसे भेज दिया कैसे ? मैं खुद को माफ नही कर पा रहा हूँ जब से उसे टुकड़ो में देखा है मैं बेचैन हूँ बहुत !” लड़की के बाप ने रोते हुए कहा !

“खुद को संभाले जो होना था सो तो होगया आप की बेटी तो अब वापस नही आयेगी मगर आप उसके लिए दुआ करते रहे ! फिलहाल आप घर जाये बारिश तेज़ होने वाली है !” रमीज़ ने समझाते हुए कहा !

“जा रहा हूँ बस मेरी बच्ची का आखिरी सफर था सो सोचा थोड़ा सा ठहर जाऊं उसे अच्छा लगेगा और मुझे भी ! ठीक है चलता हूँ आता रहूंगा अब तो जब तक जिंदा हूँ!” लड़की का बाप कहते हुए चला जाता है !

रमीज़ हाथ में लालटेन लिए एक हारे हुए बाप को जाते हुए देख रहा होता है !

sanjana kirodiwal ranjhana season 2 sanjana kirodiwal kitni mohabbat hai sanjana kirodiwal manmarjiyan season 3 sanjana kirodiwal manmarjiyan season 1 sanjana kirodiwal books

क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-07

Previous Part – lette-hi-neend-aagyi-05

Follow Me On- instagram/ youtube

Written By- Shama Khan

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!