Sanjana Kirodiwal

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लेटते ही नींद आ गयी-05

Lette Hi Neend Aagyi-05

Lette Hi Neend Aagyi-05

बारिश की रफ्तार थोड़ी कम हो चुकी थी बादलों ने भी चमकना और गर्जना बंद कर दिया था ! मगर क़ब्रिस्तान का सन्नाटा वैसे ही बरक़रार होता है ! लड़की का बाप इस तरह अपनी बेटी की लाश को देख बे इनतहाँ रोने लगता है ! जिस बेटी को लाल जोड़े में देखने की ख्वाहिश लिए उसने अपने ज़िन्दगी की पाई पाई जमा की थी आज वो सब बेकार हो चुके होते है !

रमीज और इमाम साहब रोते और बिलखते उस लड़की के बाप को संभालते है मगर उसके रोने का सिलसिला जारी रहता है ! तभी उन सब की नज़र सामने ही कुछ दूर पर मौजूद एक कुत्ते पर पड़ती है जो कि एक पेड़ के नीचे बैठ कर रो रहा होता है ! पुलिस इंस्पेक्टर उस ओर जाता है तो उसे पेड़ से लटके बिना कपड़ों के एक 35 से 40 उम्र के आदमी की लाश दिखती है ! रमीज़ और इमाम साहब भी उस तरफ जाकर देखते है !

उस आदमी की लाश जगह जगह से नाखून से नोचि हुई रहती है !

“साहब यह तो वही आदमी है जिसने इस बच्ची को मारा है!” रमीज़ ने उस आदमी की लाश को देखते ही  साथ कहा!

“यह बात तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो?” पुलिस इंस्पेक्टर ने सवालिया नज़रों से रमीज़ की तरफ देखते हुए कहा!

“साहब क्यों के रात में उन दो आदमियों में से एक ने यही कपड़े पहने थे जो आप के सामने ही पेड़ के पास पड़े है यही है वो जो मुझे कुदाल से मारना चाहता था!” रमीज़ ने कहा!

“तुम इसे चेहरे से पहचानते हो?” पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा!

“नही साहब चेहरे पर इसने नक़ाब लगा रखा था और अंधेरे भी काफी था बस बिजली की चमक से इसके कपड़े को देखा था!” रमीज़ ने कहा!

“अंसारी तुम एक टीम बुलवा कर दोनी बॉडी को पहले पोस्टमॉर्टेम के लिए भेजो फिर पूरे क़ब्रिस्तान की जांच करो सायेद कुछ और मिल जाये और हाँ यह कुदाल और यह हथियार भी जाँच के लिए भेज देना!” पुलिस इंस्पेक्टर ने कांस्टेबल अंसारी से कहा!

“जी साहब मगर साहब एक बात है यह सारे वारदात क़ब्रिस्तान में ही क्यों हो रहे कही इसमे इस गोरकन रमीज़ का तो हाथ नही?” कॉन्स्टेबल अंसारी ने शक की नज़र रमीज़ पर डालते हुए कहा!

“वो सब तो जांच में पता चल ही जायेगा के किसने क्या किया है तुम पहले अपना काम करो!” पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा!

“रमीज़ भाई मैं चलता हूँ मेरी जरूरत हो तो बतायेगा आप भी आराम कर लो बाकी पुलिस अपना काम कर रही है!’’ इमाम साहब ने कहा!

पुलिस अपने काम में लगी होती है पुलिस के साथ साथ खबर मिलते ही कुछ अख़बार वाले भी पहुँच चुके होते है आज सन्नाटे पड़े क़ब्रिस्तान में लोगों का आना जाना लगा होता है ! रमीज़ अपने कमरे में आकर चारपाई पर लेट जाता है भूक से उसका बुरा हाल रहता है मगर कुछ भी बना कर खाने का उसका दिल नहीं चाह रहा होता है !

 धीरे धीरे नींद उसपर हावी होने लगती है और एक फिर वो अपने ख्वाबों की दुनिया में सफर करने लगता है !

”छोटी भाभी खाना लगा दो बहुत तेज़ भूख लगी है और यह अम्मा कहा गयी कही भी नज़र नहीं आरही है !” रमीज़ ने मुँह हाथ धोते हुए कहा !
”मैं किसी की नौकर नहीं हूँ भूख लगी है तो खुद निकाल कर खा लो वैसे भी तुम्हे मुफ्त की रोटियाँ ही तोड़नी है मेहनत का एक रुपया तो तुम घर में कमा के देने से रहे!” रमीज़ की छोटी भाभी ने ताना मारते हुए कहा!
”भाभी नहीं देना खाना तो मत दो मगर बेकार का ताना मारने की जरुरत नहीं है आप के मायके का नहीं खाता हूँ अपने भाइयों का खाता हूँ!” रमीज़ ने कहा!

”हाँ तो तुम्हारा भाई हमारे शौहर लगते है उनका भी अपना खुद का परिवार है बीवी बच्चे है तुम्हे और तुम्हारे माँ बाप के पेट पोसने के चक्कर में हमारा खुद का बेड़ा गर्क होता रहता है वैसे भी माँ बाप की जिम्मेदारी सिर्फ इन दोनों भाईयों के सर थोड़ी है तुम्हारा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है!” रमीज़ की बड़ी भाभी ने कमरे से निकलते हुए कहा!
”यह लो खाना खा लो वरना कहते फिरोगे के भाभियों ने बातें सुना कर पेट भर दिया!” रमीज़ की छोटी भाभी ने उसके सामने खाना रखते हुए कहा!
”पेट तो सच में भर गया मेरा भाभी आप दोनों की बातें सुन कर अब भूख नहीं है!” कहते हुए रमीज़ चप्पल पहन घर से बाहर जाने लगता है तभी उसका बड़ा भाई आजाता है!

”निकम्मों को वैसे भी गुस्सा बहुत आता है एक तो हराम का खाना है बैठ कर उसपर से कोई अगर जायज़ बातें कह दे तो गुस्सा अलग चढ़ जाता है इन जनाब को !”

रमीज़ बड़े भाई को बिना जवाब दिये घर से चला जाता है ! उसके कुर्ते की जेब में कुछ रुपय रहते है जो उसने अपने माँ को देने के लिए रखे होते है मगर उससे पहले ही उस के भाई और भाभियों ने उसका मिज़ीज़ खराब कर दिया होता है वो गुस्से में जाकर खेतों में एक बैर के दरख्त के नीचे बैठ जाता है आँखे आँसुओ से भरी होती है ज़ेहन में हज़ारों तानों का शोर चल रहा होता है जो उसे हमेशा उसके भाई और भाभी दिया करते थे अचानक उस के सर पर अंगिनत बैर गिरने लगते है !

रमीज़ हैरान रहता है के पेड़ में तो एक भी बैर नहीं लगा हुआ है फिर इतने सारे बैर उसके ऊपर कहा से आ गिरे ! रमीज़ उठ कर चारो तरफ देखता है मगर उसे कोई भी दिखाई नहीं दे रहा होता है भूख तो लगी होती है तो वो पेड़ से टेक लगा कर गिरे हुए बैर उठा कर खाने लगता है !

बैर आकार में काफी बड़े और लज़ीज़ होते है रमीज़ बैर खा कर पेड़ के नीचे ही आँखे मूंदे आराम करने लगता है तभी उसके कानों में किसी लड़की की हँसी गूँजती है वो हड़बड़ा कर उठ बैठता है !

”का का कौन है?” रमीज़ थोड़ा घबराते  हुए कहता है ! मगर कोई भी जवाब नहीं देता है ! रात का सन्नाटा चारों तरफ फ़ैल चूका होता है चाँद आसमान में अपने ताब में चमक रहा होता है ! रमीज़ सर खुजाते हुए चाँद की रौशनी ने चारों तरफ नज़रे दौड़ाता है तभी फिर उसे किसी लड़की के हँसने की आवाज़ सुनायी देती है !

”नरगिस यह तुम हो किया ? कहा छुपी हो और तुम मुझे दिख क्यों नहीं रही हो ?” रमीज़ ने इधर उधर देखते हुए कहा !

”कौन नरगिस मेरा नाम तो लाइबा है !” रमीज़ के सामने आती एक दोशीज़ा ने कहा जो सफ़ेद रंग का खूबसूरत लिबास पहने उसके बाल खुले और कमर तक लम्बे दिखने में निहायत खूबसूरत होती है ! रमीज़ कुछ वक़्त के लिए उसकी खूबसूरती में खो सा जाता है फिर उसे ख्याल आता है यह लड़की रात में इस वक़्त यहाँ किया कर ही ?

”लड़की तुम रात में इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो?” रमीज़ ने सवाल किया!

”अभी बताया तो तुम्हे के मेरा नाम लाइबा है और मैं यही रहती हूँ ?” लाइबा ने कहा !

”मगर मैंने तो तुम्हे आज तक नहीं देखा इस गांव में मैं यहाँ रहने वाले हर शख्स को जानता हूँ !” रमीज़ ने भावे चढ़ाते हुए कहा !

”मैंने कब कहा के मैं गांव में रहती हूँ मैं तो इसे बेरी के दरख्त पर रहती हूँ और अक्सर तुम्हे इधर आते देखा करती थी आज तुम कुछ ज्यादा उदास लग रहे थे तो सोचा के तुमसे थोड़ी बात कर ली जाये !” लाइबा ने कहा !

”तो तो क्या तुम इंसान नहीं हो ?” रमीज़ ने थोड़ा डरते हुए कहा !

”हाँ मैं तुम इंसानो में से नहीं हूँ बल्के मैं एक परी हूँ और मैं इस बेरी के दरख्त पर ही सालों से रह रही हूँ !” लाइबा ने कहा !

यह सुन रमीज़ की हालत नागवार सी होने लगती है के वो अभी जिस बला की खूबसूरत लड़की के सामने खड़ा है वो कोई इंसान नहीं बल्के एक दूसरी मखलूक में से है रमीज़ डरते हुए अपना गाला साफ़ कर ते हुए कहता है !” सुनो तुम जो कोई भी हो मैं तुमसे माफ़ी मांगता हूँ मेरा इरादा तुम्हारे आराम में खलल डालना नहीं था मैं बस ऐसे ही आकर यहाँ बैठ गया अब मैं चलता हूँ मुझे इजाजत दो !”

”मैंने कब कहा के तुमने मेरे आराम में खलल डाला बल्के मैं तो खुश हूँ के तुम इधर आये मैं तो कब से तुमसे मिलना चाहती थी तुम मुझे बेहद पसंद हो बोलो मुझसे दोस्ती करोगे !” लाइबा ने अपने क़दम रमीज़ की तरफ बढ़ाते हुए कहा कहा !

”नहीं नहीं मुझे माफ़ करे मैं आप से किसी तरह का रिस्ता नहीं रखना चाहता !” रमीज़ ने अपने क़दम पीछे करते हुए कहा !

”अरे डरो नहीं मैं तुम्हे खा थोड़ी जाऊँगी कही तुम मुझे खून पीने वाली कोई चुड़ैल तो नहीं समझ रहे ?” लाइबा ने मुस्कुराते हुए कहा !

”तुम चुड़ैल हो या परी या कोई जिन हो तो एक गैर मखलूक ही ना इसलिए खुदा के वास्ते मुझसे दूर रहो!” रमीज़ ने हाथ जोड़ते हुए कहा !

”मैं कोई भी हूँ मगर दोस्ती करने में क्या हर्ज़ है ? रमीज़ हम दोस्त तो बन ही सकते है !” लाइबा ने अपना हाथ रमीज़ की तरफ बढ़ाते हुए कहा !

”आप को मुझसे दोस्ती कर के कुछ नहीं मिलने वाला मैं बहुत गरीब हूँ और पास के ही आम के बाग़ से आम चूरा कर बाजार में बेचता हूँ !” रमीज़ ने कहा !
”बाकी सब कुछ है मेरे पास मुझे तुमसे सिर्फ तुम्हारी दोस्ती चाहिए और अब तुम इंकार नहीं करोगे पिछले बार जब तुम यहाँ पर आये थे अपने दोस्त असलम के साथ तब मैंने पहली बार तुम्हे देखा था तब से तुम मुझे पसंद हो !” लाइबा ने कहा !
”देखो लाइबा मैं अपनी नरगिस से बेइन्तेहाँ मोहब्बत करता हूँ उसके एलावा मैं किसी और से रिस्ता कभी भी नहीं रख सकता समझी तुम !” रमीज़ ने गुस्से से कहा !
”दोस्ती मांगी है तुम्हारी मोहब्बत नहीं बातों को समझना सीखो वैसे मैं चाहूँ तो तुम्हे अभी के अभी अपने दुनिया में उठा कर ले जाऊँ मगर मुझे जबरदस्ती किसी पर अपना हक़ जताने की आदत नहीं है तो शराफत से मान रहे हो या मुझे कुछ और करना पड़ेगा !” लाइबा ने कहा !
इस पहले के रमीज़ कुछ कह पाता उसे ढूंढते हुए उसके अब्बा और उसका दोस्त असलम वहाँ पर आ पहुंचता !
”कमज़र्फ हम यहाँ पूरे गांव में तुझे तलाश कर के थक गए और तू यहाँ है वहाँ तेरी अम्मा ने रो रो कर बुरा हाल कर रखा है !” रमीज़ के अब्बा ने आते ही उसे एक जोर का तमाचा मारते हुए कहा !’’

दरवाज़े पर तेज़ दस्तक से रमीज़ की आँख खुल जाती है वो आँखे मसलता हुआ दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलता है !
”एक क़ब्र खोदनी है मेरे वालिद साहब की है मगरिब की नमाज़ के बाद हम मैय्यत लेकर आयेंगे दफ़नाने आप क़बर तैयार रखना और हाँ यह कुछ रुपय और खाना भी है आप रख लो !” दरवाज़े के बाहर खड़े एक आदमी ने कहा !
”ठीक है मैं ज़ोहर की नमाज़ पढ़ कर क़बर तैयार कर दूँगा !” रमीज़ ने कहा !
”ठीक है आप खाना खा लो पहले गरम है  !” आदमी कहता हुआ चला जाता है !

रमीज़ को वैसे भी सुबह से भूख लगी होती है तो पहले हाथ मुँह धो कर खाना खाने बैठ जाता है उस के ज़हन में उसके ख्वाबों का वाक़्या चलने लगता है उसे मालूम नहीं रहता है के आखिर उसे अपनी ज़िन्दगी से जुड़े हर बात ख्वाब में क्यों दिखाई देते है?
बारिश रुकी हुई रहती है रमीज़ क़ब्रिस्तान में एक जगह का इंतेखाब कर क़बर खोदने अपना कुदाल लेकर उस सिम्त चल देता है !

 मगरिब की नमाज़ के बाद मैयत को लोग सुपुर्दे ख़ाक करने के बाद लोग अपने अपने घर की तरफ चल देते है रमीज़ सब के जाने के बाद क़बर की ऊपर अच्छे से मिटटी चढ़ाता है ! रात का अँधेरे धीरे धीरे क़ब्रिस्तान में फैलने के साथ साथ आसमान में बदल उमड़ने लगते है हलकी हलकी बारिश की बूंदे रमीज़ के ऊपर पड़ने लगती है वो जल्द से जल्द अपना काम खतम कर जाना चाह रहा होता है ! रमीज़ अपना काम खतम कर के क़ब्रिस्तान के दोनों तरफ का दरवाज़ा लगा कर अभी अपने कमरे की तरफ जा ही रहा होता है के उसे एक औरत क़ब्रिस्तान के अंदर आती हुई दिखती है जो एक क़बर के पास जाकर खड़ी हो जाती है   पहले वो    चारो तरफ देखती है फिर आलती पालती मार कर बैठ जाती है ! बारिश तेज़ हो चुकी होती है और रमीज़ भीगता हुआ उस अनजान औरत को देख रहा होता है !

क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-06

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Written By – Shama Khan

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