Sanjana Kirodiwal

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लेटते ही नींद आ गयी-10

Lette Hi Neend Aagyi-10

Lette Hi Neend Aagyi-10

अचानक अज़ान की आवाज़ कानों में पड़ते ही रमीज की आँख खुलती है आज का ख्वाब उसे हैरान करने वाला होता है पेसानी पर पड़े पसीने को पोछते हुए अपनी तेज चलती सांसो को दुरुस्त कर वो वज़ू कर के फज़र की नमाज़ अदा करता है ! बारिश का मौसम अपने जोरों पर रहता है साथ में नरगिस की यादें उसके जहन में शोर मचाने लगते है !

नमाज़ के बाद तस्बीह वा खुदा का ज़िक्र कर वो वापस आकर अपने चारपाई पर आँखे मूंद सोने की कोशिश करता है !वो दोबारा सो कर उस ख्वाब को मुकम्मल देखना चाह रहा होता है! मगर नींद उसकी आँखो से मिलो दूर होती है! 

“रमीज़ भाई उठिये नमाज़ पढ़ ली क्या आप ने ? आज आप को फुरसत नही मिलने वाली है !” इमाम साहब ने रमीज़ को आवाज़ देते हुए कहा !

“अस्सलाम वालेकुम इमाम साहब मैं अभी नमाज़ पढ़ कर ही लेटा था कहिये क्या होगया आप मस्जिद के बजाय आज क़ब्रिस्तान में क्या कर रहे ?” रमीज़ अपनी चारपाई से उठते हुए कहता है !

“वालेकुम अस्सलाम रमीज़ भाई किया बताऊँ बात ही ऐसी है बारिश के कारण  गाँव के एक घर का छत गिरने की वजह से एक ही घर के पाँच लोगों की मौत हो गयी है मुश्किल से दो लोग बचे है अल्लाह उनको सब्र दे बस ! उन पाँच लोगों की क़बर तैयार करनी है आप को चलिये चाय वगैरा पी लिजीये फिर काम मे लग जाइये !” इमाम साहब ने अफसोस जताते हुए कहा !

“ठीक है आप उनके क़बर की नाप लेकर आये हैं तो मुझे देदो और उनको मिट्टी कब पड़ेगी यह भी बता दो मैं क़बर तैयार करदेता हूँ फ़ौरन ही !” रमीज़ ने पूछा !

“यह रही उनके नामों की पर्ची उनके क़बर के नाप के साथ ज़ोहर बाद मिट्टी होनी है उनकी उससे पहले चलो आप मेरे साथ कुछ खा लो फिर वापस आकर क़बर खोद लेना आज मैं घर से आप के लिए चाय नास्ता लेकर आया हूँ !” इमाम साहब ने कहा !

“ठीक है चलिये !” रमीज़ मुँह हाथ धो कर उनके साथ चल देता है !

कुछ लोगों की भीड़ पांचो मैयत को खाट में लिये क़ब्रिस्तान के ईदगाह में दाखिल होती है हल्की बारिश सभी के वजूद को भिगो रही होती है ! बेहद ही गमगीन माहौल बना हुआ रहता है ! 

दोपहर में नमाज़ जनाज़ा के बाद पांचों मैयत को क़बर में दफनाने के बाद सभी लोग वापस चले जाते है रमीज़ क़बर की मिट्टी को सही कर वापस अपने घर की तरफ मुड़ता है के उसे शबीना के क़बर की याद आती है तो वो उस सिम्त मुड़ता है और अच्छे से जायज़ा लेता है के कही कुछ निशान उसके बाहर तो नही पड़े जिससे उसपर किसी को शक हो ! सब सही होने का तसल्ली कर वो वापस अपने कमरे की तरफ चल देते है आज उसका मन अंदर से बेहद गमगीन रहता है वो बस ख्वाब में आगे के वाक़्यात देखना चाह रहा होता है ! उसके ज़ेहन में उसकी नरगिस की यादें बसी होती है ! कमरे की सिम्त जाते वक़्त उसे क़ब्रिस्तान के एक पेड़ के पास वो नक़ाब पोश खातून दिखती है जो रमीज़ को ही देख रही होती है ! रमीज़ उसे अनदेखा कर के जल्दी से अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है ! वो काफी थक चुका होता है जिससे चारपाई पर लेटते ही उसे कुछ ही देर बाद नींद उसे अपनी आगोश में लेलेती है फिर से उसके ख्वाबों का सफर शुरू हो जाता है! 

“रमीज़ ख्वाब में खुद को शहर में इधर उधर काम की तलाश में भटकते हुए देखता है ! उसके बदन के कपड़े मैले हो चुके होते है , भूख से उसका बुरा हाल हो रखा होता है उसके पास इतने पैसे नही होते है के वो खुद के लिये खाना खरीदे ! सड़कों पर इधर उधर मारा फिरता रहता है वो, तभी उसे एक होटल के बाहर रखे झूठे बर्तनों में लोगों के छोड़े हुए खाने दिखते है रमीज़ उन बर्तनों में पड़े खाने को उठा कर खाने लगता है जिससे उसके थोड़ा सुकून मिलता है!

“ऐ लड़के क्या कर रहा है तू ? भागता है के नही इधर से !” होटल के मालिक ने चिल्लाते हुए रमीज़ के हाथ से खाना छीनते हुए कहा  कहा !

“भैया बहुत भूख लगी है और मेरे पास खाना खरीदने के लिये पैसे नही है इसलिए इन झूठे खानों को उठा कर खा रहा था माफ करदो अगर आप को बुरा लगा हो तो वैसे भी यह खाना आप फेंक ही दोगे इससे अच्छा है के मैं खा लूँ!” रमीज़ ने बेबसी से खाने की तरफ देखते हुए कहा !

“ठीक है चल चल अब निकल इधर से वरना धक्के देकर भगाऊंगा ना जाने कहा कहा से आजाते है मुफ्त की रोटी खाने काम वाम तो करना नहीं है इन्हे!” होटल के मालिक ने चिल्लाते हुए कहा ! 

काम की तलाश में ही हूँ साहब मैं खुद मुफ्त की रोटी खाना पसंद नहीं करता वो तो बस वक़्त बुरा चल रहा फ़िलहाल मेरा !’’ रमीज़ कहता हुआ खामोशी से वहाँ से चला जाता है !

“नही नही यह नही देखना है मुझे , मुझे तो अपनी नरगिस को देखना है !” रमीज़ खवाब में खुद में ही बड़बड़ाता हुआ उठ कर बैठ जाता है ! अपनी सांसों को दरुस्त कर वो घड़े से पानी निकाल कर एक सांस में गटक जाता है वापस दोबारा सोने की कोशिश में लग जाता है वो काफी थका हुआ रहता है इसलिए उसे फ़ौरन ही नींद आजाती है !

धीरे धीरे वो खवाबों की दुनियाँ में क़दम रखने लगता है इस बार ख्वाब में वो नरगिस के घर के बरामदे में खड़ा होता है जहाँ नरगिस के भाई और भाभियाँ परेशान खड़े एक दूसरे से बहस कर रहे होते है ! अंदर कमरे से नरगिस की दर्द में लिपटी कराहने की आवाज़ आरही होती है !

“कहा था तुम लोगों को मैंने के इसे घर से बाहर मत जाने दो मगर तुम लोगों ने मेरी बात नही मानी और आज अंजाम सामने है दिल तो करता है के इसके साथ साथ तुम सब का गला दबा दूँ! इज्जत खराब कर दी सब ने मिल के किसी को भी मुँह दिखाने लायक नही छोड़ा है इन बदजातों ने !” नरगिस के बड़े भाई ने गुस्से में इधर उधर टहलते हुए सीधा आकर अपनी बीवी का गला दबाते हुए  कहा! 

“भाई जान ये क्या? कर रहे हो आप भाभी की इसमे क्या गलती है गलती इसमे सिर्फ और सिर्फ नरगिस की है जिसने हमारे तरफ से दि हुई आज़ादी का गलत फायदा उठाया , भाभी को छोड़ो और यह बताओ के अब आगे क्या करना है ?” नरगिस के छोटे भाई ने अपने भाई का हाथ अपने भाभी के गले से हटाते हुए कहा! 

सारी उम्र हम इज्जत इज्जत करते रहते है एक पल में इन लोगों ने सब ख़तम कर दिया ! गुस्सा तू मुझे इन दोनों पर आरहा के जब इन्हे मालूम होचुका था के नरगिस हमल से है फिर इन्होने उसी वक़्त हमें क्यों नहीं बताया ? उस वक़्त हम कोई रास्ता निकाल सकते थे मगर नहीं इन्होने आठ महीने यह राज हमदोनो से छुपा कर रखा अब तुम्ही बताओ भाई इन्हे जान से मारने का मन होगा के नहीं सब बर्बाद करदिया इन्होने !” नरगिस के बड़े भाई ने सर पिटते हुए कहा !

”इसमें हम दोनों की भी कोई गलती नहीं है ,चार महीने पूरे होने पर हमे पता चला के तुम्हारी बहन के पेट में किसी का बच्चा पल रहा है और उस वक़्त हमल गिरा भी नहीं सकते थे ! हमने तो बात छुपा कर बस आपलोगों की इज्जत बचायी है ! अच्छे संस्कार दिये होते आप लोगों ने अपनी बहन को तो वो आम के बगीचे में रंगरेलियाँ नहीं मनाती और ना ही पेट से होती उस लड़के का वो तो मज़े कर के चला गया शहर थोड़ी ना वो अब वापस आयेगा !” नरगिस की छोटी भाभी ने तीखे सवर में जवाब दिया !

”बकवास मत कर ज्यादा वरना तेरा मुँह तोड़ दूँगा कैंची की तरह ज़ुबान चलती है तेरी और भाई आप इन औरतों की बातों  पर ध्यान मत दो इन्हे बकवास करनी आती है बस !” नरगिस के छोटे भाई ने अपनी बीवी को डांट लगाते हुए कहा !

“तुम दोनों शक़्ल क्या देख रही हो हमारी जाओ जाकर अंदर देखो बच्चा हुआ के नही और हाँ उसके मुँह पर कपड़ा बांध दो ताके बाहर आवाज़ ना जाये और बच्चे के पैदा होते ही उसे मार देना वरना मैं मार दूँगा सुबह होने से पहले इन सब बातों को रफा दफा करना है हमें ! “नरगिस के बड़े भाई ने कहा तो नरगिस की भाभिया डर से वापस नरगिस के कमरे में आती है जहाँ वो दर्द से तड़प रही होती है! 

“छोटी जा तु गरम पानी लेकर आ नरगिस तुम कोशिश करो सब बहतर होगा ! ” नरगिस की बड़ी भाभी ने कहा! 

“भाभी बहुत डर लग रहा है,  मुझे नही लगता के अब भैया मुझे जिंदा छोड़ेंगे बस तुम मेरे बच्चे को बचा लेना इन सब में इस मासूम की कोई गलती नही है ! खुदा के वास्ते भाभी बचा लेना मेरे बच्चे को इसे रमीज़ को दे देना !” नरगिस दर्द से करहाते हुए रोते हुए कहती है !

“नरगिस फिलहाल तुम शांत रहो वरना आस पास के लोगों को भनक लग जायेगी फिर ना जाने कैसी कैसी बातें बनेंगी !” नरगिस की बड़ी भाभी ने उसे चुप कराते हुए कहा !

काफी दर्द सहने के बाद आखिर कार नरगिस एक खूबसूरत से बेटे को जन्म देती है जो दिखने में बिलकुल रमीज़ की तरह होता है! रमीज़ ख्वाब में खड़ा सब देख रहा होता है उसकी आँखे आँसू से भरी होती है वो ख्वाब में ही अपने बच्चे को गोद लेने की कोशिश करता है मगर उसके हाथ आर पार हो जाते है उसे अपनी बेबसी पर और भी रोना आता है !

 बच्चे की रोने की आवाज़ सुन नरगिस के बड़े भाई दौड़ते हुए कमरे में आते है और अपने हाथों से रोते हुए बच्चे के मुँह दबा कर मारने लगते है ! रमीज़ उसे बचाने की नाकाम सी कोशिश करने लगता है!

“नही भाईजान नही छोड़ दिजीये मेरे बच्चे को इन सब में इसका कोई कसूर नही है खुदा के वास्ते छोड़ दिजीये ! आप इसे मस्जिद के बाहर रख दे कोई ना कोई इसे उठा लेगा इसे मार कर गुनाह ना करे खुदा के लिए !” नरगिस रोते हुए कहती है !

“बदतमीज़ आवाज़ बंद कर अपनी पूरे मौहल्ले को उठा देगी क्या ? रंगरेलियाँ मनाने में तो बड़ा मज़ा आरहा था तुझे हराम की पैदाइश है इसे मारना बहतर होगा !’’ नरगिस के बड़े भाई ने कहा !

”मैंने कहा ना छोड़ दिजीए मेरे बच्चे को वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ! बहुत सह लिया मैंने आप लोगों का जुल्म !” नरगिस अपने बेटे को अपने भाई के हाथों से छुड़ाते हुए अपने सीने से लगाते हुए कहती है !

”ठीक कहा तुमने इस गुनाह में इसकी गलती नहीं है तो पहले तेरा काम तमाम करूँगा फिर तेरे बच्चे का चल छोटे पकड़ इसके हाथों को !” नरगिस बड़े भाई ने कहा !

”भाभी खुदा के लिये मेरे बच्चे बचा लो कहि भी इसे छोड़ आओ किसी के भी दहलीज पर भाभी मेरी आखिरी ख्वाहिश  जहाँ इतना किया मेरे लिए एक काम और कर दो फिलहाल मेरे बच्चे को बस बचा लो बाकी मेरी रूह इसकी हिफाज़त करेगी !” नरगिस ने अपने बेटे को अपनी बड़ी भाभी की गोद में थमाते हुए कहा ! 

”मैं किसी को कुछ नहीं होने दूँगी छोड़िये आप क्या कर रहे है मासूम बच्चा है वो !” नरगिस की बड़ी भाभी कहते हुए उसके बच्चे को गोद में लेकर घर से दौड़ते हुए बाहर चली  है !

”नरगिस दर्द और आँसुओ से भरी आँखों से अपने जिगर के टुकड़े को खुद से दूर जाते  हुए देख रही होती है ! तभी उसके भाई उसके मुँह को कपड़े से बाँध कर उसका गाला बे रहमों की तरह दबाने लगते है !समाज और इज्जत के आगे वो अपने और अपनी बहन के बीच की मोहब्बत को भूल चुके होते है !   बेचारी नरगिस काफी देर तक अपने हाथ पैर पटकते रहती है अभी अभी उसने हमल के दर्द को सहा था अभी हमल का खून बहना बंद भी नहीं हुआ होता है के उसके भाई उसकी ज़िन्दगी छीनने के लिए उसका गला दबाते जारहे होते है ! सामने रमीज़ खड़ा अपने खवाब में यह सब देख नरगिस को बचाने की  नाकाम सी कोशिश करता रहता है ! वो काफी चींखता चिल्लाता है मगर कोई भी उसे नहीं सुनता है ! और उसकी नरगिस उसके सामने धीरे धीरे मर रही होती है ! नरगिस ने जब आखिरी साँस ली तो रमीज़ को यूँ महसूस हुआ जैसे वो उसे देख रही है और कह रही है रमीज़ मेरा सफर मुकम्मल हुआ !

क्रमशः 11

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Written By- Shama Khan

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