Sanjana Kirodiwal

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लेटते ही नींद आगयी-02

Lette hi neend aagyi-02

Lette hi neend aagyi-02

सुबह हो चुकी थी मगर ना ही बारिश रुकी ओर ना ही तूफान थमने का नाम लेरहा होता है आज रमीज़ ने अपने कमरे में ही नमाज़ पढ़ा और दुआ करने में लग गया तस्बीह पढ़ते हुए वो जब कमरे से बाहर बरामदे में आया तो वही नक़ाब पोश औरत उसे क़ब्रिस्तान के दरवाजे पर खड़ी दिखी , रमीज़ जब तक उस औरत के पास पहुँचता तब तक वो वहा से गायब हो चुकी होती है ,

“अरे अभी तो वो औरत यही थी फिर किधर चली गयी !” रमीज़ खुद में बड़बड़ाता हुआ क़ब्रिस्तान के दरवाजे से बाहर देखता है तभी उसकी नज़र उस लड़के की लाश पर पड़ती है जिसे उसने अपने खटिया पर लेटाया था मगर अब उस लड़के का लाश ओंधे मुँह ज़मीन पर पड़ा होता है और खटिया दूर झाड़ियों में उल्टा फसा हुआ होता है !

”या खुदा मुझे तो याद ही नहीं रहा इस बच्चे के बारे में !” रमीज़ खुद में कहता हुआ फिर

रमीज़ जल्दी से दौड़ता हुआ खटिया झाड़ियों से निकालता है ,उस लड़के का जिस्म पानी से भीग कर काफी फुल चुका होता है जिससे वो काफी भारी भी होजाता है किसी तरह उस लड़के की लाश को उठा कर रमीज़ अपने खटिया पर दोबारा से लेटा देता है खड़े होकर साँसे दुरुस्त करने लगता है तभी उसकी नज़र उस लड़के के चेहरे पर पड़ती है !

“यह तो वही लड़का है जिसकी तस्वीर रात में उस नक़ाब पोश खातून ने दिखाई थी !” रमीज़ खुद में कहता है ! फिर जल्दी से मस्जिद की तरफ चल देता है !

“अस्सलाम ओ अलैकुम रमीज़ भाई आगये आप आइये मैं आप का ही इंतेज़ार कर रहा था चाय पीने के लिए अरे आप तो काफी भीग गए हो !”इमाम साहब ने रमीज़ को अपने तरफ आते देख कहा !

“वालेकुम अस्सलाम इमाम साहब चाय बाद में पी लूंगा पहले आप मेरी मदद करे सड़क पर एक लड़के की लास पड़ी है और वो बारिश में रात से भीग कर फूल गयी है उसे मेरे घर के बरामदे के पास चल कर रख दिजीये मुझसे अकेले यह काम होगा नही !” रमीज़ ने अपने सांसों को दरुस्त करते हुए कहा !

“क्या बात कर रहे आप रमीज़ भाई कौन है वो लड़का !” इमाम साहब ने हैरान होते हुए कहा !

”पहले उस लड़के के मैयत को बारिश से हटा देते है फिर बताता हूँ सारा मामला और हाँ आप अपना फ़ोन साथ लाये है ना हमे पुलिस को खबर भी देनी होगी !” रमीज़ ने कहा !
”हाँ ठीक है चलिए चल कर देखता हूँ !” इमाम साहब कहते हुए रमीज़ के साथ चल देते है !
खटिया उठा दोनों रमीज़ के घर के बाहर के बरामदे में रख देते है !
”लगाइये जरा फ़ोन पुलिस को !” रमीज़ ने चेहरे पर बारिश के पानी को पोछते हुए कहा !
”हाँ लगाता हूँ !” कहते हुए इमाम साहब पुलिस को कॉल लगाते है मगर उन्हें कोई भी सिग्नल नहीं मिल रहा होता है !
”फ़ोन नहीं लग रहा है सायेद नेटवर्क का दिक्कत है अक्सर बारिश में फ़ोन नहीं लगता है पहले रमीज़ भाई आप मुझे सारा मामला बताये !” इमाम साहब ने कहा !

”क्या बताऊँ आप को मैं इमाम साहब कल रात जब मैं क़ब्रिस्तान का दरवाज़ा बंद कररहा था तब एक तेज़ रफ़्तार कार गुज़री जिसमे से इस बच्चे को फेंका गया जब मैं देखने गया तो यह मरा हुआ था देखिए इसके सर पर गोली के निशान भी है मुझसे तो इसकी मैय्यत अकेले यहाँ तक लायी नहीं जाती इसलिए मैंने अपना खटिया उठा कर सड़क किनारे ही इसे खटिया पर लेटा कर अच्छे से बांध दिया दूसरा वाक़िया यह पेश आया के आधी रात के क़रीब एक औरत ने मेरे दरवाज़े को खटखटया जो अपने बच्चे को ढूंढ रही थी मैंने उससे कहा के वो मेरे घर में रुक जाये सुबह होते ही मैं उसके साथ मिल कर उसके बेटे को ढूंढूंगा मगर जब मैं सुबह उठता हूँ तो देखता हु के कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद है मगर वो औरत गायब है ताजूब की बात यह है के उस औरत के हाथ में जिस लड़के की फोटो थी यह वही लड़का है !” रमीज़ ने कहा !

”कौन औरत थी वो रमीज़ भाई आप ने उसकी सकल नहीं देखी !” इमाम साहब ने पूछा !

”नहीं वो नक़ाब पोश खातून थी सर से लेकर पैर तक पूरा हिस्सा नक़ाब के अंदर था !” रमीज़ ने कहा !

”अच्छा मैं ऐसा करता हूँ के खुद ही पुलिस को इत्तला देता हूँ तब तक आप यही इस मैय्यत के पास रहिये !” इमाम साहब ने कहा !

”ठीक है इमाम साहब तब तक मैं इंतज़ार करता हूँ !” रमीज़ ने कहा !

इमाम साहब चले जाते है रमीज़ कुछ देर उस लड़के के मैय्यत को देखता रहता है फिर उठ कर अपने कमरे में जाता है और खटिया के पास अगरबत्ती जला कर रख देता है फिर नहाने के पानी का इंतजाम कर के सुन्नत तरीके से लड़के की मैय्यत को गुसल देता है फिर अपने कमरे से वो कफ़न निकाल कर लाता है जो उसने खुद के लिए रखा होता है क्यों के मौत का किया भरोसा कब आप को अपनी आगोश में लेले वैसे भी रमीज़ का कोई भी अपना नहीं होता जो उसके लिए कफ़न का इंतजाम करेगा !

लड़के को गुसल देने के बाद रमीज़ उसको कफ़न पहना देते है फिर कूदाल लेकर क़ब्रिस्तान के एक सिमत चला जाता है और क़ब्र खोदने में लग जाता है ! बारिश के वजह से क़ब्र खोदने में काफी दिक्कत आरही होती है फिर भी क़ब्र तो खोदना ही पड़ेगा करीब घंटो की मेहनत के बाद क़ब्र तैयार रहती है रमीज़ क़ब्र से निकल कर नहाने चला जाता है जब तक वो नहा कर आता है तब तक इमाम साहब भी वापस आजाते है !

”इमाम साहब आगये आप पुलिस नहीं आयी आप के साथ !”रमीज़ ने पूछा !

”हाँ बस वो मेरे पीछे ही थे लो आगये !” इमाम साहब ने क़ब्रिस्तान के मैन दरवाज़े की तरफ इशारा करते हुए कहा !

”अच्छा तो यह है बॉडी हाँ तो आप दोनों ऐसा करो अपने बयान देदो मैं एक फोटो लेलेता हु इस लड़के के आप लोग इसे दफ़न करदो फालतू के चक्करों में क्यों पड़ना !” पुलिस वाले ने कहा !

”मगर साहब ना जाने किस का बच्चा है इसके माँ बाप इसके लिए कितना परेशान होरहे होंगे बिना किसी जांच के कैसे दफना दूँ !” रमीज़ ने अजीजी से कहा !

”जितना कह रहा हूँ उतना करो वैसे भी हर रोज इस तरह के नाजाने कितने लास देखने को मिलते है किस किस जाँच करे हम हम और भी कई काम रहते है तुम ज्यादा बकवास ना करो वरना तुम्हारी भी क़ब्र इस लड़के के बगल में बना दूंगा चलो अब अपना ब्यान दो अंसारी तुम बयान लो इनका !” पुलिस वाले ने गुस्से में कहा !

”ठीक है साहब हाँ तो शुरू से बताईये क्या क्या देखा आप ने!” अंसारी कांस्टेबल ने पूछा ! तो रमीज़ सारे वाक़्यात उसे बता देता है !

”साहब इनका कहना है के इन्होने किसी औरत को भी देखा है जो इस लड़के की माँ है और इसे ढूंढ रही थी !” अंसारी ने कहा !

”ठीक है चलो अगर होगया होतो बारिश से मेरा दिमाग खराब होरहा है सुनो तुम बुड्ढे कुछ देर देख लो सायेद वो औरत आजाये अगर नहीं आती तो दफना देना इसे !” पुलिस वाला कहते हुए वहा से चला जाता है !

”अजीब दुनिया होगयी है रमीज़ भाई इंसानियत लगभग खतम ही होगया है ऊपर से यह पुलिस वाले अपना काम भी सही से नहीं करना चाहते है !” इमाम साहब ने उदास लफ़्ज़ों में कहा !

”अब क्या करे इमाम साहब सपुर्दे ख़ाक करदे इसे !”रमीज़ ने पूछा !

”हाँ करना तो पड़ेगा इसकी माँ को कहा ढूंढेंगे हम इस बारिश में इसका नाम वगैरा भी तो हमे पता नहीं है !” इमाम साहब ने कहा !

”आप इजाजत दे तो मैं पास के इलाक़े में देख आऊं सायद वो औरत मिल जाये बिना इसके आखिरी दिदार के मैं इसे कैसे दफना दूँ !” रमीज़ परेशान होते हुए कहता है !

”मगर रमीज़ भाई आप कहा कहा ढूंढोगे उस औरत को इतना आसान नहीं है मेरी माने तो मैं इसकी नमाज़ जनाज़ा पढ़ा देता हूँ !” इमाम साहब ने कहा !

”ठीक है जैसा आप को सही लगे !” रमीज़ उदास अल्फ़ाज़ों में कहता है ! फिर दोनों मिल कर उस लड़के के आखिरी सफर की तैयारी में लग जाते है

इमाम साहब नमाज़ जनाज़ा पढ़ाने के बाद उस लड़के के हक़ में दुआ करते है फिर रमीज़ के साथ खटिया उठाये क़ब्र के पास जाते है !

”रमीज़ भाई क़ब्र में तो काफी पानी भर गया है आप ऐसा करो लकड़ी के पटरे बिछा दो पहले फिर उसके ऊपर मैय्यत को लेटाना !” इमाम साहब ने कहा !

”ठीक है अभी ले आता हूँ मैंने खुद के क़ब्र के लिए लकड़ियां भी रखी थी अभी मेरे मरने में टाइम है तो इस बेचारे के काम आजायेगी !” रमीज़ कहता हुआ अपने घर की तरफ जाता है और लकड़ी के तख्ते लेकर आता है फिर उसे क़ब्र के अंदर बिछा कर लड़के की मैय्यत को उसमे लिटाता ! इमाम साहब और रमीज़ मिटटी देकर क़ब्र को अच्छे से बंद करदेते है !

”इमाम साहब यह कुछ पैसे है आप मेरे तरफ से इस बच्चे के ईशाल सवाब के लिए क़रीबों को देदेना और हो सके तो क़ुरआन खानी करवा देना इस अनजान लड़के के लिए !” रमीज़ अपने पास से कुछ रूपए इमाम साहब को थमाते हुए कहता है !

”जी बिलकुल रमीज़ भाई अब चल कर कुछ खा लिजिए सुबह से आप परेशान है !”इमाम साहब ने कहा !

”देखता हूँ कुछ बना कर खा लेता हूँ आज तो किसी के घर से खाना नहीं आयेगा भला इतने बारिश में किसी याद रहेगा क़ब्रिस्तान आना !” रमीज़ कहता हुआ अपने घर की तरफ चल देता है !

वैसे तो हर रोज कोई ना कोई क़ब्रिस्तान में आता रहता था अपने अज़ीज़ के क़ब्र पर फातेहा पढ़ने मगर आज बारिश के वजह से क़ब्रिस्तान में अच्छा खासा सनाटा पसरा हुआ रहता है नमाज़ ज़ोहर के बाद जब रमीज़ मस्जिद से अपने घर आता है अभी वो अपने घर में चूल्हे को जला ही रहा होता है के दरवाज़े पर दस्तक होती है जब रमीज़ दरवाज़ा खोलता है तो उसे अपने घर के दरवाज़े पर खाना रखा हुआ मिलता है मगर दूर दूर तक कोई भी नहीं दिखता है ! रमीज़ थोड़ी देर इधर उधर देख कर खाना उठाकर घर के अंदर आजाता है !

रात का अँधेरा फ़ैल चूका होता है बारिश और बिजली का कहर आसमान में जारी रहता है अब्दुल रमीज़ हाथ में लालटेन लिए क़ब्रिस्तान के दोनों दरवाज़े को लगा कर घर की तरफ मुड़ते है तभी उसके कानो में किसी के रोने की आवाज़ पड़ती है ऐसी आवाज़ जिसमे बहुत ही दर्द भरा होता है जो क़ब्रिस्तान के माहौल को बेहद डरौना बना रही होती है रमीज़ का दिल बैठ सा जाता है उसकी नज़र उस लड़के की ताज़ा क़ब्र पर पड़ती है जहाँ पर वही नक़ाब पोश औरत बैठी रो रही होती है !

रमीज़ लालटेन लिए उस औरत के पास जाता है और कहता है !” माफ़ करियेगा मैंने आप को बिना बताये आप के बेटे को दफना दिया आप अगर सुबह में मुझे बिना बताये नहीं जाती तो सायेद आप आखिरी बार अपने बेटे को देख पाती और इसके क़ातिलों को सजा भी दिला पाती मगर अब !”

” कौन सजा देगा मेरे बेटे के क़ातिलों को कोई नहीं , जिसको जाना होता है वो चले जाते है मेरे बेटे की तरह नाजाने कितने ही लोग हर रोज बिना मौत के मार दिया जाते है जिनके बारे में सवाल करने वाला कोई नहीं होता मैं बस इसलिए रो रही हूँ क्यों के मैं कभी भी अपने बच्चे को अपने सीने से नहीं लगा पायी और ना ही कभी दिल भर के इसे प्यार दिया !” कहते हुए नक़ाब पोश औरत बे इन्तेहाँ रोने लगती है !

उसको रोता देख रमीज़ का दिल भी भर आता है वो खामोश खड़ा काफी देर उस नक़ाब पोश के सामने खड़ा रहता है बारिश धीरे धीरे तेज़ होने लगती है साथ में बिजली भी लगातार कड़क रही होती है जिससे रमीज़ का पूरा वजूद भीगने लगता है !

”सुनिया रात हो चुकी है और बारिश भी तेज़ हो रही इस वक़्त आप का यहां रहना सही नहीं है आप अपने घर चले जाये अब जो चला गया है वह तो वापस नहीं आ सकता है आप को सब्र से काम लेना चाहिए !” रमीज़ ने समझाते हुए कहा !

”कहा जाऊँगी मैं मेरा तो अब यही ठिकाना है सालों से अपने बेटे की तलाश में भटक रही थी !” नक़ाब पोश औरत ने कहा उसकी आवाज़ में अजीब और पुरिसरार होती है रमीज़ को उस औरत की आवाज़ गूंजती हुई महसूस हो रही होती है ऐसा मालूम होरहा होता है मानो कई औरतें एक ही बात को एक साथ कह रही हो !

रमीज़ काफी देर वैसे ही भींगता हुआ खड़ा रहा उसकी लालटेन भी बारिश से बुझ चुकी होती है मगर वो औरत वैसे ही बैठी बस रो रही होती है रमीज़ सिवाये उसके रोने के आवाज़ के और कुछ भी नहीं देख पारहा होता है !

”मैं लालटेन जला कर दरवाज़े पर रख दूंगा आप चाहे तो वहां पर आकर बैठ सकती है !” रमीज़ कहता हुआ घर की सिमत चल देता है !

क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-03

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Written by- Shama Khan

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