Sanjana Kirodiwal

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लेटते ही नींद आगयी-04

Lette Hi Neend Aagyi-04

Lette Hi Neend Aagyi-04

रमीज़ को गिरता देख दोनों आदमी लपक कर रमीज़ की तरफ बढ़ते है , बारिश और अंधेरे की वजह से रमीज़ उनकी शकल नहीं देख पा रहा होता है उनमे से एक आदमी आगे बढ़ कर ज़मीन में गिरे हुए रमीज़ को कॉलर से पकड़ कर उठाता है और दाँत पिस्ते हुए कहता है !” बुड्ढे तुझे इस वक़्त यहाँ नहीं होना चाहिए था बता तू यहाँ किया कर रहा बता तूने किया देखा वरना हम तुझे भी जान से मार देंगे है?”

”यह मेरा घर है और मैं यही रहता हूँ सालों से! तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए , गुनाह गुनाह होता है तुम लाख इसे छुपाने की कोशिश करो सामने आ ही जाती है !” रमीज़ ने कहा !

”तू यहाँ का गोरकन है ना चल अपना फ़र्ज़ निभा और इन जिस्म के हिस्सों को ठिकाने लगा !” आदमी ने रमीज़ को कॉलर से घसीटते हुए उस जगह लेजाता है जहां वो दोनों मिल कर अपने गुनाह को छुपाने के लिए क़ब्र खोद रहे थे !

”तुम लोगों को शर्म नहीं आती है किसी बेगुनाह की आबरू को तार तार करने के बाद उसके मुर्दा जिस्म के साथ इतना घिनौना हरकत करने में अल्लाह का खौफ्फ़ नहीं तुम्हे !” रमीज़ ने कहा !
”नहीं और हाँ ज्यादा तुमने बकवास की तो तुम्हे भी इसके साथ इसी क़ब्र में डाल देंगे चल ले कुदाल और गहरी क़ब्र खोद तब तक हम जरा सुस्तियाँ लेते है काफी ”थक गए है क्यों भाई ?” दूसरे आदमी ने कहा !
रमीज़ खामोश हो जाता है वो सोचने लगता है के वो किया करे भीगने के वजह से उसे ठण्ड भी लगने लगती है !
”मैं तुमलोगों के साथ इस गुनाह में शामिल नहीं होना चाहता हूँ ,तुम लोगों की बेहतरी इसी में है के तुम दोनों  अपना गुनाह क़ुबूल करलो और खुद को पुलिस के हवाले कर दो  !” रमीज़ ने कहा तो दूसरे आदमी ने एक जोर का तमाचा रमीज़ के गालों पर जड़ दिया जिससे वो मुँह के बल ज़मीन में गिर जाता है !
”बुड्ढे आज तेरी मौत मेरे ही हाथों लिखी है!” दूसरा आदमी कहता हुआ कुदाल उठा कर रमीज़ को मारने के लिए आगे बढ़ता है!
”भाई छोड़ दे किया कर रहा है और कितने खून करेगा मुझे खुद भी यह सब अच्छा नहीं लग रहा तेरे बहकावे में आकर मैंने भी गुनाह कर डाला जो हुआ सो हुआ अब तू चल यहाँ से !” पहले वाला आदमी उसे रोकते हुए कहता है !
बारिश तेज़ होजाती है आसमान में बादलों की गड़गड़ाने के साथ साथ बिजली चमकने लगती है ! क़ब्रिस्तान के बाहर दरवाज़े पर  एक साथ कई कुत्ते भौंका शुरू कर देते है ! इससे पहले के वो दूसरा आदमी ज़मीन पर गिरे रमीज़ को कुदाल से मारता बिजली के चमक से होने वाली रौशनी में उन्हें एक निहायत ही भयानक शक्ल का इंसान अपने सामने दिखता है जो के कफ़न पहने खड़ा उन्हें अपनी लाल आँखों से घूर रहा होता है ! दोनों डर से चेंखे मारते हुए गिरते पड़ते वो दोनों क़ब्रिस्तान की दिवार फलांग कर भाग जाते है !

”रमीज़ उठिये आप यहाँ किया कर रहे है इतनी रात को?” अचानक रमीज़ के कानो से उसी नक़ाब पोश औरत की आवाज़ टकराती है! रमीज़ हैरान जब उठ कर देखता है तो वो औरत उसके सामने ही खड़ी होती है !
”मोहतरमा मैं तो गहरी नींद में सोरहा था तभी अचानक कुदाल चलाने की आवाज़ से मेरी आँख खुली तो इस सिम्त चला आया जहाँ दो बदमाश ना जाने किस की बच्ची की इज़्ज़त को तार तार कर के उसके जिस्म को हिस्सों में बाँट रहे थे वो मुझे भी अपने इस गुनाह में शामिल करना चाहते थे मैं ने इंकार किया तो उन्होंने मुझे मारा जिससे मैं गिर गया फिर ना जाने क्यों वो लोग चिल्लाते हुए भाग गए बाकी का मंज़र आप के सामने है! मैं बस उन लोगों के चेहरे को देख नहीं पाया पता नहीं कौन थे !”रमीज़ ने ठण्ड से कांपते हुए कहा !

”यह दुनिया ऐसी ही है नाजाने कितने लोग अपने गुनाह के सबूत को ”रात के सन्नाटों में  छुपा देते है ! बेक़सूर लोंगों को तड़पा कर मारना आजकल के क़ातिलों का रिवाज़ होगया है ! इंसानीयत तो वैसे भी मर चुकी है अगर पुलिस आप की बात मान कर थोड़ी सी जाँच पड़ताल करती तो सायद मेरे बेटे के क़ातिल भी पकड़े जाते खैर यह पास के ही गांव में रहने वाले एक किसान की बेटी है तुम इसके टुकड़ो में पड़े मैय्यत को फ़िलहाल ऐसे ही रहने दो सुबह इसके गांव जाकर खबर दे देना इसके बाप को वो इसे तलाश भी कर रहे है !” नक़ाब पोश खातून ने कहा ! उसके एक एक लफ्ज़ में रमीज़ को दर्द महसूस हो रहा होता है ! रमीज़ का दिल खुद यह सब देख कर अंदर से ग़मगीन हो चूका होता है !

”ठीक है मैं प्लास्टिक की तिरपाल लाकर इसके ऊपर रख देता हूँ ताके पानी से महफूज़ रहे वैसे मोहतरमा आप इतनी रात को इस क़ब्रिस्तान में अभी तक किया कर रही है मेरे ख्याल से आप को अपने घर में ही रहना चाहिए!” रमीज़ ने कहा !
”मेरे बेटे के एलावा मेरा इस दुनिया में कोई नहीं था अब जब उसका ठिकाना ये क़ब्रिस्तान है इसलिए वो जहाँ रहेगा मैं भी उसके आस पास रहूंगी तुम मेरी फिक्र ना करो मुझे आदत है अंधेरो की!” नक़ाब पोश औरत ने कहा !

”मैं खुद एक ऐसा इंसान बन चूका हूँ जिसका दिल ज़िन्दगी की सारी रंगीनियों से खाली है! मेरी ज़िन्दगी में क़ब्रिस्तान की तरह सन्नाटा पसरा हुआ है! मुझे ना कुछ खोने का डर ना कुछ पाने की ख़्वाहिश होती है एक पूर सुकून ज़िन्दगी जीता आदमी हूँ मैं इस आखिरी मंज़िल में !’’ रमीज़ ने बड़ी ही संजीदगी के साथ नक़ाब पोश औरत से कहा !

”जब आप को तन्हाइयों में सुकून मिलने लगे तो समझो आप अपने रब के क़रीब हो रहे हो ! तहज्जुद की नमाज़ अगर पढ़े तो मेरे और मेरे बेटे साथ में  क़ब्रिस्तान के सारे मकीनों के हक़ में दुआ जरूर करयेगा खास कर इस बेक़सूर बच्ची के लिए ! क्या पता किस की रूह को खुदा बख़्सदे आप की दुआ से !” नक़ाब पोश औरत ने कहा ! वो जब भी बोलती उसकी आवाज़ में एक अजीब तरह की खनक और पुरिसरार होती !

”इंशाल्लाह जरूर दुआ करूँगा बस अल्लाह मेरी दुआ क़ुबूल करे !” रमीज़ ने कहा !

 ”जिनके दिल कांच की तरह साफ़ होते है खुदा उनकी दुआ कभी रद नहीं करता बस आप को उस रब पर यक़ीन रख कर मांगना होगा के हमने माँगा है तो वो जरूर नवाज़ेगा !” नक़ाब पोश औरत कहते हुए चली जाती है !

 आज यह दूसरी रात थी जब रमीज़ मुर्दा पड़े इंसान के वजूद को प्लास्टिक के तिरपाल से ढंक रहा होता है , रमीज़ का जिस्म पूरी तरह भीगा और कपड़े मिटटी से गंदे हो चुके होते है ! रमीज़ रात के आखिरी पहर में क़ब्रिस्ता के हैंड पंप  से पानी पानी भर कर नहाता है फिर तहज्जुद की नमाज़ अदा करने के बाद तस्बीह पढ़ता हुआ अपने घर के बरामदे में खटिया लगा कर बैठ जाता है नींद उसकी आँखों से अब कोंसो दूर होती है! 

खटिया पर बैठा  सामने वो से उस नक़ाब पोश औरत को देख रहा होता है जो इतने बारिश में भी अपने बेटे के क़ब्र के पास बैठी होती है रमीज़ को एक बात बहुत हैरत करती है वो यह के ना उस औरत के कपड़े बारिश में भीग रहे होते है और ना ही कहि से गंदे दिखते है !

मस्जिद से अज़ान की आवाज़ आते ही वो नक़ाब पोश औरत क़ब्रिस्तान से बाहर चली जाती है रमीज़ भी जल्दी से वज़ू कर के मस्जिद की तरफ चल देता है !

नमाज़ अदा करने के बाद जब सभी लोग मस्जिद से चले जाते है तब रमीज़ इमाम साहब के पास जाता है और कहता है !

”अस्सलाम वालेकुम इमाम साहब !”

”वालेकुम अस्सलाम रमीज़ भाई कैसे हो आप ?” इमाम साहब ने कहा !

”मैं ठीक हूँ असल में रात में एक और वाक़्या पेश आया !” रमीज़ ने उदास लफ्ज़ो में कहा !

”कैसा वाक़या रमीज़ भाई? बताये जरा !” इमाम साहब ने कहा !

”कल रात में दो बदमाश किसी लड़की की आबरू लूट कर उसे मार कर क़ब्रिस्तान में दफ़नाने आये थे !” रमीज़ कहता है फिर वो रात का सारा वाक़या इमाम साहब को बता देता है !

”बड़ा ही दिल खरास बाते बतायी आप ने अल्लाह रहम करे उस बच्ची के घर वालों पर मालूम नहीं उनके दिल पर क्या गुज़रे गी जब वो यह सब जानेंगे चलिए मेरे साथ हम साथ में चल कर उसके घर वालों का पता करते है !” इमाम साहब ने कहा तो रमीज़ उसके साथ पास के गांव की तरफ चल देता है जहाँ का पता उसे उस नक़ाब पोश औरत ने बताया था !

 ”इमाम साहब मुझे लगता है पहले हमे पुलिस के पास जाना चाहिये उसके बाद उस बच्ची के घर !” रमीज़ ने चलते हुए कहा !

”कल वाली बात भूल गए रमीज़ भाई ना ना मैं तो तौबा करता हूँ इन पुलिस वालों का कोई भरोशा नहीं है अच्छा यही होगा पहले इसके घर वालों को बताये और वो खुद पुलिस को खबर करे !” इमाम साहब ने कहा ! दोनों बातें करते हुए बढ़ ही रहे होते है के सामने से उन्हें पुलिस जीप आती दिखायी देती है जो उनके पास आकर रुकती है !

”क्यों इमाम साहब सुबह सुबह कहा जारहे है इस गोरकन के साथ!” पुलिस इंस्पेक्टर ने दरवाज़ा खोल कर जीप से बाहर निकलते हुए कहा !

”जी वो हम बस कही जारहे है काम से!” इमाम साहब थोड़ा अटकते हुए कहते है !

”हाँ तो तुम दोनों इतना घबराये हुए क्यों हो ?” पुलिस इंस्पेक्टर ने सवाल किया !

”नहीं साहब हम तो बस ऐसे ही !” रमीज़ ने कहा !

”अच्छा यह बताओ तुम दोनों ने कोई लड़की को देखा है सावले रंग की सलवार कमीज पहने हुई कल रात से गायब है यह उसका बाप है जो उसे कल रात से ढूंढ रहा है!” पुलिस इंस्पेक्टर ने जीप में बैठे   गुमशुदा लड़की के बाप की तरफ इशारा करते हुए कहा !

”आप कही पास वाले गांव के तो नहीं है ना जिसका घर कुआँ के पास जाओ!” रमीज़ ने जल्दी से लड़की के बाप के पास जाकर कहा !

”हाँ मैं पास के गांव में ही रहता हूँ पानी के कुँआ के पास, बताये क्या आप लोगों ने मेरी बेटी को देखा है क्या? कल रात में मुझे खाना देने के बाद मटके में पानी खतम होगया था तो उसने कहा अब्बा आप खाना खाओ मैं कुँआ से पानी भर कर लाती हूँ मगर काफी देर तक जब वो नहीं आयी तो मैं उसे ढूंढने निकला पूरा गांव छान लिया मगर वो कहि नहीं दिख रही मेरा दिल बहुत घबरा रहा है !” लड़की के बाप ने बिलखते हुए कहा !

”भाई साहब संभालिये खुद को हम असल में आप के ही पास आरहे थे चलिये आप लोग मेरे साथ कुछ दिखाना है आप को दिल को जरा मजबूत कर लिजिए!” रमीज़ ने कहा !

”मेरी बेटी ठीक तो है ना उसके साथ कुछ बूरा तो नहीं हुआ ना बताइये!” लड़की के बाप ने रोते हुए कहा !

”देखये मैं आप को झूठी तसल्ली नहीं दूँगा बस अल्लाह आप को सब्र दे पहले चलिए आप सब हमारे साथ !” इमाम साहब ने कहा !

”तुम दोनों ने देखा है इनकी बेटी को ?” पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा !

”हाँ साहब !” रमीज़ ने कहा !

”तो फिर मुझे खबर क्यों नहीं दी और सीधा थाने आने के तुमलोग इस आदमी के गांव क्यों जारहे थे ?” इंस्पेक्टर ने उन्हें घूरते हुए कहा !

”साहब सायेद आप कल का वाक़्या भूल गए है , हम कल भी आये थे आप के पास किसी बेक़सूर लड़के की क़त्ल की खबर देने जिसके सर में बन्दूक से मारा गया था मगर आप ने बिना जांच के उसकी मिटटी करवादी इसलिए हमने दोबारा आप के पास आना सही नहीं समझा !”इमाम साहब ने साफ़ शब्दो में कहा तो पुलिस इंस्पेक्टर थोड़ा शर्मिंदा हो जाता है !

” ठीक है तुम दोनों जीप में बैठो चलते है क़ब्रिस्तान !” पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा तो रमीज़ और इमाम साहब पुलिस की जीप में आकर बैठ जाते है और क़ब्रिस्तान की तरफ निकल जाते है !

पुलिस जीप आकर क़ब्रिस्तान के बाहर खड़ी होती है सब जल्दी से उतर कर उस सिमत दौड़ते हुए जाते है जिधर उस लड़की की टुकड़ो में मैय्यत पड़ी होती है ! अभी रमीज़ प्लास्टिक हटा कर पुलिस इंस्पेक्टर और उस लड़की के बाप को लड़की की बे तरतीब लास दिखा ही रहा होता है के क़ब्रिस्तान के सन्नाटों में एक और भयानक मंज़र सब के मुन्तज़िर रहता है !

क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-05

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Written By – Shama Khan

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