Sanjana Kirodiwal

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“इश्क़” एक जूनून- 5

Ishq – ak junoon – 5

Ishq - ak junoon - 5
ishq-ak-junoon-5

वैदेही की आँखे आंसुओ से भरी हुयी थी फिर भी उसने मुस्कुराते हुए कहा – वो बहुत खुशनसीब है जिस से तुम प्यार करते हो मैं नहीं जानती सत्या की मैं तुम्हे कभी भूल पाऊँगी या नहीं पर उस ईश्वर से हमेशा यही दुआ करुँगी की अगले जन्म में मुझे तुम्हारा प्यार जरूर मिले ,, मैंने बचपन में ही अपने माँ बाप को खो दिया आज तुम्हे खो दिया भविष्य में मैं शायद किसी को पसंद आ जाऊ और अपना घर बसा लू फिर भी मेरे दिल में हमेशा तुम ही रहोगे ….
सत्या पहली बार आंसुओ और मुस्कराहट का ये बेजोड़ संगम देख रहा था उस से वैदेही के आंसू देखे नहीं गए तो उसने चेहरा घुमा लिया और दूसरी तरफ देखने लगा l तो वैदेही ने कहा – बस एक बार तुम्हे गले लगाना चाहती हु
वैदेही की बात सुनकर सत्या की आँख से आंसू निकलकर गाल पर आ गया सत्या उसे वैदेही से छुपाते हुए पलट गया और कहा – मैं कमजोर पड़ जाऊंगा वैदेही प्लीज़ जाओ यहाँ से और दोबारा कभी वापस मत आना ..
वैदेही वहा से चली गयी , सत्या सर झुकाकर वही बैठ गया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अनजाने मे उस से आज एक लड़की का दिल टुटा था पर खुद को धोखा देना नही चाहता था वो जानता था की वो सिर्फ मधु से प्यार करता है लेकिन ना जाने क्यों आज वैदेही के आंसू उसके दिल में टूटे कांच की किरचो से चुभते महसूस हो रहे थे , वह वही लेट गया और आँखे बंद कर ली ,, मधु सिर्फ मधु का वो मासूम चेहरा नजर आ रहा था जिसके लिए वो सालो से इन्तजार कर रहा था …. बारिश होने लगी सत्या वही लेटे हुए बारिश की उन बूंदो से गुस्से की आग को ठंडा करने की कोशिश कर रहा था l
वैदेही भीगती हुयी सड़क पर चली जा रही थी ,, उसकी आँखों के आगे सत्या के साथ जुड़े वो सारे पल एक एक करके आते गए l बारिश की बूंदो ने आँखों से आते आंसुओ को तो छुपा लिया पर चेहरे पर आया दर्द नहीं छुपा सके , वैदेही घुटनो के बल गिर पड़ी और चिल्लाई उसकी इस चींख में सिर्फ दर्द था , एक दर्द अपना पहला प्यार खो देने का , दुसरा दर्द अपनी लाचारी अपनी बेबसी का l पर रात के समय में उस सुनसान रास्ते पर उसका दर्द सुनने वाला कोई नहीं था वो रोती रही अपना सारा गुस्सा सारा दर्द बहा देना चाहती थी उन आंसुओ के साथ ,, एक लड़की का दिल बहुत नाजुक होता है और बात जब पहले प्यार की हो तो भूलाना बहुत मुश्किल .. वैदेही निराश हो चुकी थी पर जहा निराशा होती है वहा आशा की कोई ना कोई किरण नजर जरूर आती है वो वैसे ही बैठी भीगती रही तभी उसके सामने एक बड़ी सी गाड़ी आकर रुकी जिसकी हेडलाईट सीधी वैदेही की आँखों में आ रही थी , गाड़ी से कोई उतरा और धीरे धीरे वैदेही की तरफ बढ़ा गाड़ी की तेज रौशनी में वह उसे देखने की नाकाम कोशिश कर रही थी ,,
वह आकर वैदेही के सामने खड़ा हो गया उसने अपना कोट उतारा और वैदेही के भीगे बदन पर रखकर उसे उठाया वैदेही ने देखा सामने वैष्णव खड़ा था , उसने वैदेही से कुछ नहीं कहा or गाड़ी की तरफ बढ़ गया वैदेही भी आकर गाड़ी में बैठ गयी , वैष्णव ने गाड़ी स्टार्ट की और एंजेल्स होम की तरफ बढ़ा दी रास्तेभर दोनों खामोश रहे , ना वैष्णव ने कुछ पूछा ना वैदेही ने कुछ कहा , होम पहुंचते ही वैदेही उतरकर चुपचाप अंदर चली गयी ,, वैष्णव ने गाड़ी वापस अपने घर की तरफ मोड़ दी ll
कुछ दिन वैष्णव वैदेही से मिलने नहीं आया उसे किसी काम से बंगलौर जाना पड़ा … एक हफ्ते बाद जब वापस आया तो सीधा एंजेल्स होम पहुंचा वैदेही बच्चो को पढ़ा रही थी , वैष्णव को देखकर वो उनकी तरफ आने लगी तो वैष्णव ने इशारे से उसे रुकने को कहा और खुद जाकर बगीचे में रखी बेंच पर बैठकर पढ़ाती हुयी वैदेही को देखता रहा , क्लास खत्म कर वैदेही वैष्णव के पास आयी और आकर बेंच के दूसरे किनारे पर बैठ गयी ,, वैष्णव ने वेदिहि की तरफ देखकर कहा
“कैसी हो ?
वैदेही – ठीक हु सर आप इतने कहा थे ?
“तुम मुझ पर एक अहसान करोगी
“क्या
“आजसे मुझे ये सर बुलाना बंद करो प्लीज़
वैदेही मुस्कुरा दी और फिर कहा “आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया”
“अच्छा वो ………. वो मैं कुछ दिन के लिए बंगलौर गया हुआ था किसी मीटिंग के सिलसिले में
“हम्म्म
“वैदेही मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी
“हां कहिये
“मैं तुमसे य नहीं पूछूंगा की उस रात क्या हुआ था , न ही मैं तुमसे तुम्हारे किसी अतीत के बारे में जानना चाहता हु , पर एक दोस्त होने के नाते मैं तुमसे ये कहना चाहता हु की वो सब भूलकर तुम्हे अब आगे बढ़ना चाहिए , अपनी जिंदगी को एक न्य मोड़ देना चाहिए
“मैं कुछ समझी नहीं
“वैदेही तुम्हे किसी के सहारे की जरुरत है , जैसा की मैं देखता हु तुम बिल्कुल अकेली पड़ चुकी हो और इस अकेलेपन की वजह से अंदर ही अंदर तुम न जाने कितनी ही परेशानियो से झुंझती रहती हो , तुम्हे जरुरत किसी की जो तुम्हारा ख्याल रक सके , तुम्हारी भावनाओ को समझ सके , तुम्हारा दुःख सुख बाट सके , जो तुम्हे ख़ुशी दे जीने की उम्मीद दे किसी के चले जाने से ये संसार नहीं रुकता है चलना ही संसार का नियम है और ऐस में तुम्हे जरुरत है किसी हमसफर की जिसका हाथ पकड़कर तुम अपनी आगे की जिंदगी ख़ुशी से बिता सको

वैदेही वैष्णव की तरफ देखने लगी उसकी आँखों में आज वैदेही को अपने लिए परवाह और प्यार नजर आ रहा था वैदेही ने कुछ नहीं कहा तो वैष्णव ने धीरे से अपना हाथ वैदेही के हाथ पर रखकर कहा – वैदेही मैं जानता हु इस वक्त ये सब कहना सही नहीं होगा पर मैं तुम्हे पसंद करने लगा हु , और तुमसे शादी करना चाहता हु l मैं तुमसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा वैदेही तुम्हारा फैसला ही मेरा आखरी फैसला होगा .. अगर तुम्हारी ना है तो मैं ख़ुशी ख़ुशी तुम्हारी जिंदगी से चला जाऊंगा मैं सिर्फ तुम्हे खुश देखना चाहता हु वैदेही इस से ज्यादा और मेरे लिए कुछ जरुरी नहीं है ,, कहकर वैष्णव चुप हो गया और वैदेही के जवाब का इन्तजार करने लगा
“कितनी सहजता से आपने अपनी बात कह दी मुझे अच्छा लगा , आपने जो कुछ भी कहा वो सब सही है बचपन से लेकर अब तक अकेले ही अपने अंतर्मन से झुंझती आयी हु , कभी किसी से अपनी मन की बात बाँट नहीं पायी , बहुत लोग आये और चले गए लेकिन मैं कभी ये समझ ही नहीं पायी की मुझे क्या चाहिए ,, आज आपने कहा की आप मुझसे शादी करना चाहते है तो मैं आपको निराश नहीं करुँगी l आपसे अच्छा इंसान मुझे नहीं मिल सकता मैं तैयार हु – वैदेही ने नजरे झुकाकर कहा !!
वैष्णव के चेहरे पर ख़ुशी छलक आयी l
दोनों वही बैठे बातें करते रहे , आज कितने दिनों बाद वैदेही पहले की तरह हंस मुस्कुरा रही थी ….
वैदेही ने अपने नन्ना को वैष्णव के बारे में बताया तो उन्होंने वैदेही की खुशी में ही अपनी ख़ुशी बताई ..
एक हफ्ते बाद वैष्णव ने वैदेही से सगाई के लिए कहा वैदेही ने हामी भर दी माया और मनोज भी आये हुए थे वैदेही ने ज्यादा मेहमानो को नहीं बुलाया एंजेल्स होम में सजावट से लेकर लजीज खाने तक वैष्णव ने सब अरेंजमेंट करवा दिया वैदेही ने नन्ना से आने को कहा लेकिन अपनी स्लिप डिस्क की प्रॉब्लम की वजह से वो आ नहीं पाये और वैदेही से कहा – कोई बात नहीं बेटा सगाई में ना सही पर तेरी शादी मैं यही मुंबई में करूंगा और अपने हाथो से तेरा कन्यादान करूंगा …
वैदेही ने उन्हें अपना ख्याल रखने को कहा …. सभी तैयारियां हो चुकी थी वैष्णव की तरफ से कोई नहीं आया था उसने जानबूझकर किसी को नहीं बुलाया वो चाहता था कम से कम लोगो के बिच ये सगाई हो , गार्डन में सगाई का फंक्शन चल रहा था , वैदेही बहुत सुन्दर लग रही थी वैष्णव की नजरे वैदेही से हट ही नहीं रही थी , माया को ये रिश्ता कुछ जमा नहीं फिर भी वैदेही की ख़ुशी के लिए उसन कुछ नहीं कहा … सभी बच्चे बहुत खुश थे वैष्णव ने सबके लिए नए कपडे खरीदे थे सब उन्ही कपड़ो को पहनकर चमक रहे थे ,, वैष्णव ने वैदेही को रिंग पहनाई सभी तालिया बजाने लगे ,, तभी सत्या वहा से गुजरा अचनाक उसकी नजर वैदेही पर पड़ी वैदेही ने जैसे ही वैष्णव को अंगूठी पहनाई न जाने क्यों सत्या को क्यों बूरा लगा वो वहा से चला गया …
सगाई की रस्म होने के बाद सभी डांस करने में बिजी हो गए ,, वैष्णव और बाकि सबने साथ मिलकर खूब एन्जॉय किया

इधर सत्या कुमार के घर आया और टेबल पर रख शराब की बोतल उठाकर सीधा ऊपर छत पर चला गया , कुमार भी उसके पीछे चला आया सत्या ने ढक्कन हटाया और एक साँस में सारी शराब हलक से निचे उतार दी इस से पहले कुमार ने सत्या को कभी इस तरह पीते नहीं देखा था ,, सत्या ने बोतल साइड में रख दी एक अजीब सी बेचैनी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी
कुमार उसके पास आया और कहा – क्या हो गया है तुझे तू तो कभी नहीं पिता फिर आज ये सब क्यों ?
“वैदेही की सगाई थी आज – सत्या ने कहा
“तो तुम्हे कबसे फर्क पड़ने लगा , वो खुश है अपनी जिंदगी मे – कुमार ने कहा
“वो खुश नही है उसकी आँखे देखकर आ रहा हु मैं समझौता किया है उसने अपनी जिंदगी के साथ , – सत्या की आवाज में दर्द था
कुमार – तुझे ये सब से फर्क क्यों पड़ रहा है
सत्या – नहीं जानता ये सब क्या है
कुमार – यही प्यार है , वो प्यार जो वैदेही तुझसे करती है , वही प्यार जो तू वैदेही से करता है , वही प्यार जिससे तू अब तक भागता आया है , वही प्यार जो तेरी आँखों में इस वक्त मुझे दिख रहा है ,
सत्या – ऐसा कुछ नहीं है
कुमार – अगर ऐसा नहीं है तो क्यों हर वक्त तेरे होंठो पर वैदेही का नाम रहता है , क्यों उसकी सगाई देखकर तुझे इतनी तकलीफ हो रही है की जिस चीज को तूने कभी हाथ नहीं लगाया वो एक साँस में गटक गया , क्यों तुझे उसकी ख़ुशी की इतनी परवाह होने लगी ,,,,, सिर्फ इसलिए क्योकि तू भी उस से उतना ही प्यार करता है जितना वो तुझसे
सत्या – मैं सिर्फ मधु से प्यार करता हु
“अरे कौन मधु , वो मधु जिसका सालो से तुझे कोई पता नहीं , वो मधु जिसने आज तक कभी ये जानने की कोशिश नहीं की के तू कहा है , वो इस दुनिया में है भी या नहीं कौन जानता है – कुमार ने चिल्लाकर कहा
“सटाक” एक झन्नाटेदार थप्पड़ सत्या ने कुमार के गाल पर जड़ दिया और उसका कॉलर पकड़ कर दांत पिसते हुए कहा – ख़बरदार जो एक और शब्द मुंह से निकाला तो मैं भूल जाऊंगा तू मेरा दोस्त है अरे तू जानता ही क्या है मधु के बारे में जानना चाहता है तो सुन
कहकर सत्या उसे अपने अतीत के बारे में सबकुछ बता दिया जिसे सुनकर कुमार ने कहा – मुझे माफ़ करदे दोस्त मैं ये सब नहीं जानता था , मधु को ढूंढने में तेरी मदद मैं करूंगा , वो जहा कही भी होगी तुझे जरूर मिलेगा तुम दोनों का प्यार इतना कमजोर भी नहीं , इस जन्म में तू अपनी मधु से जरूर मिलेगा ये तेरे इस दोस्त का वादा है तुझसे
सत्या ने कुमार को गले लगा लिया और कहा – समझ नही आ रहा कैसे ढूँढू उसे ?
कुमार – जहा से ये कहानी शुरू हुयी थी वही से , शुरुवात तुझे फिरसे वही से करनी होगी चैन्नई से , हो सकता है वहा से कोई जानकारी मिल सके और हम मधु तक पहुंच सके , एक बार मधु मिल गयी तो विष्णु भी आसानी से मिल ही जाएगा …सत्या को कुमार की बात सही लगी और दोनों उसी शाम चैन्नई के लिए निकल गए ….

दूसरी तरफ वैष्णव वैदेही को पाकर खुश था , कुछ दिन ख़ुशी ख़ुशी निकले माया मनोज के साथ वापस चली गयी , पर कोई था जो इन सब में बहुत परेशान और बैचैन था वो था राघव , राघव अब पहले से भी ज्यादा खामोश रहने लगा था और कुछ सहमा सहमा सा भी , वैदेही भी जब राघव से बात करने की कोशिश करती तो वो उस से दूर चला जाता या फिर अपने कमरे में जाकर खुद को कैद कर लेता ,, पहले तो वैदेही भी घबरा गयी िफर जब वैष्णव ने बताया की वैदेही के दूर जाने का डर उसे सता रहा है तब वैदेही को थोड़ी तसल्ली मिली , एक शाम वैषणव वैदेही से मिलने आया शांता बाई से वैदेही के बारे में पूछा तो उन्हों बताया की वैदेही अपने कमरे में है वैष्णव सीधा कमरे में ही चले गए लेकिन वैदेही कमरे में नहीं दिखी वैष्णव ने वैदेही को आवाज दी वैदेही बाथरूम में थी उसने वैष्णव से बैठने को कहा कुछ देर बाद वैदेही बाहर आयी नहाकर आने की वजह से उसके कपडे जगह जगह से उसके बदन से चिपक गए थे , वह अपने गीले बालो को तोलिये से पोछने लगी वैष्णव की नजर जैसे उसके भीगे बदन पर जम सी गयी वो वैदेही को देखता रहा और फिर जाकर वैदेही को अपनी बांहो में भर लिया ,, वैदेही को ये नागवार गुजरा उसने खुद को वैष्णव से छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा – ये आप क्या कर रहे है ?
“वही जो एक लड़का लड़की के बिच अक्सर होता है – वैष्णव ने मदहोशी में डूबते हुए कहा और वैदेही को चूमने की कोशिश की लेकिन ने उसे दूर धकेलते हुए एक थप्पड़ मारा और कहा – आप होश में तो है
“वैदेही मुझे अब और मत तड़पाओ मैं तुमसे दूर अब नहीं रह सकता , वैसे भी कुछ दिन बाद हमारी शादी होने वाली है जो कुछ दिन बाद होने वाला है वो पहले हो जाये तो क्या हर्ज है , आओ मेरी बांहो में समा जाओ – वैष्णव ने वैदेही को खा जाने वाली नजरो से घूरते हुए कहा
“मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी निकल जाईये यहाँ से अभी और इसी वक्त – वैदेही ने कहा
“मैं तुम्हारा होने वाला पति हु वैदेही – वैष्णव ने कहा
होनेवाले हो अभी हुए नहीं हो , और जो आदमी एक औरत के मान सम्मान की धज्जिया उड़ा दे ऐसे इंसान मैं शादी हरगिज नहीं कर सकती – वैदेही ने चिल्लाकर कहा
“i am sorry वैदेही मुझसे बहु बड़ी गलती हो गयी , मैं मैं बहक गया था – वैष्णव ने कहा
“मुझे कुछ नहीं सुनना , निकल जाईये यहाँ से अभी और इसी वक्त – वैदेही ने कहा
वैष्णव – वैदेही हमारी सगाई हुयी उस रिश्ते का क्या
“मैं आज और अभी आपको उस रिश्ते से आजाद करती हु , आज के बाद यहाँ आने की जरुरत नही है – वैदेही ने सगाई की अंगूठी ऊँगली से निकालकर वैष्णव की तरफ फेंकते हुए कहा
वैष्णव ने बहुत कहा पर वैदेही ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे धक्के मारकर कमरे से बाहर निकाल दिया … कुछ देर बाद वैष्णव वहा से चला गया वैदेही ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और रोने लगी आज दूसरी बार किसी ने उसका दिल तोड़ा था ! वो काफी देर तक रोती रही …..

वैष्णव हारे हुए सिपाही की तरह आकर अपनी गाड़ी में बैठा और फिर वहा से चला गया दूसरी तरफ अमित जेल से बाहर निकलने के लिए हाथ पैर मारे जा रहा था और उसी रात उसे जेल से भागने का मौका मिल गया वो सीधा एंजेल्स होम के सामने पहुंचा लेकिन गार्ड्स को देखकर वही आस पास घूमने लगा डर और गुस्से के भाव उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहे थे रात के 1 बजे रात का घुप अन्धेरा और उस पर सन्नाटा माहौल को और भी शांत बना रहा था ,, नींद की झपकियों से गार्ड्स भी वही कुर्सी पर बैठे पलके झपकाने लगे और फिर नींद के आगोश में चले गए ..
वैदेही अपने बिस्तर पर गहरी नींद के आगोश में थी तभी उसने अपने मुंह पर किसी का सख्त और मजबूत हाथ महसूस किया वो कोई हरकत कर पाती इस से पहले ही उसे अपने हाथ पर एक तेज दर्द की अनुभूति हुई और उसकी आँखो पर बेहोशी छाने लगी कमरे में बल्ब की हलकी रौशनी में उसे सब धुंधला धुंधला नजर आ रहा था और फिर वो बेहोश हो गयी ,, पास खड़े उस शख्स ने कमरे के खिड़की दरवाजे बंद किये और आकर वैदेही के पास बैठ गया ,, अपने हाथो की सख्त उंगलिया वह वैदेही के चेहरे पर घुमाने लगा और कहने लगा – “बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ मेरे प्यार का तुम्हे इस तरह मजाक नहीं बनाना चाहिए था वैदेही , बहुत घमंड है न तुम्हे खुद पर तुम्हारा ये रूप तुम्हारी ये जवानी ही तुम्हारी दुश्मन बन गयी ,, ऐसा हाल करूंगा तुम्हारा की तुम किसी से शादी तो की किसी की तरफ देखने से भी डरोगी ,, तुम सिर्फ मेरी हो अगर मेरी नहीं तो किसी की भी नहीं” कहकर वह शख्स उठा और अपने कपडे उतार फेंके और फिर वैदेही के पास आकर उसके कपडे उतारने लगा और कुछ पल बाद वो नग्न अवस्था में बिल्कुल उसके सामने थी ,, वह भूखे भेड़िये की तरह लार टपकाता उसके जिस्म का मुआयना करने लगा और फिर हाथो से उसकी देह का जायजा लेने लगा ,, हवस उस वक्त उसकी आँखों से साफ़ छलक रही थी और फिर वो वैदेही पर टूट पड़ा ,, उसकी देह को नोचता रहा , उसकी इज्जत को तार तार कर दिया ,, देह पर जगह जगह नाखुनो के निशान छोड़ दिए वैदेही किसी लाश की तरह पड़ी रही वो सब महसूस कर सकती थी पर उसके जिस्म में इतनी ताकत नहीं थी की वो उस दरिंदे को रोक सके ना ही उसे इतना होश था की वो अपनी मदद के लिए किसी को पुकार सके वो पूरी की पूरी उस सख्स के काबू में थी ,, अपने नापाक इरादे पुरे करने के बाद वह शख्स उठा और वैदेही को चददर से ढक दिया , कपडे पहनकर वह हरारत भरी नजरो से वैदेही की तरफ देखने लगा इस पर भी जब उसका मन नहीं भरा तो उसने वैदेही के गाल पर एक थप्पड़ मारा और कहा – “मुझे थप्पड़ मारकर तूने बहुत बड़ी गलती की” कहकर वह शख्स वहा से चला गया …..

वह तेजी से कदम बढ़ाते हुए बाहर सड़क पर आ गया और अँधेरे में कही गायब हो गया वैदेही सुबह देर तक सोती रही जब उठी तो पूरा बदन दर्द से टूट रहा था , सर दर्द से चकरा रहा था खुद को ऐसी हालत में पाकर वैदेही को कुछ समझ नहीं आया उसने याद करने की कोशिश की लेकिन कुछ याद नहीं आ रहा था , वह खुद को सम्हालते हुए बाथरूम में गयी और शॉवर चलाकर उसके निचे खड़ी हो गयी पानी उसके सर से होता हुआ फर्श पर गिर रहा था वो खामोश सी खड़ी रही ,, एक अजीब सा अहसास उसके अंतर्मन में घिन्न सी पैदा कर रहा था ,, पर ये सब क्या था वह समझ नहीं पा रही थी ,, नहाकर वह बाहर आयी और शीशे के सामने खड़ी होकर खुद को देखने लगी उसकी गर्दन और सीने पर नाखूनों के निशान थे ,, वह बदहवास सी उन्हें हाथ से रगड़ने लगी पर वो निशान जैसे के तैसे थे ,, क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था बस उसका एक अजीब सा अहसास उसे अंदर तक महसूस हो रहा था ,, उसके हलक से आवाज नहीं निकली पर गालो पर आंसुओ की लकीरे उभर आयी ,, उसने खुद को कमरे मे बंद कर लिया शांता बाई जब नाश्ते के लिए उन्हें बुलाने आयी तो वैदेही ने दरवाजा नहीं खोला ,, शांता बाई डर गयी उसने वैष्णव को फोन किया और वैदेही के बारे में बताया वैष्णव नींद में था जैसे ही उसने सुना वह तुरंत एंजेल्स होम आया शांता और गार्ड्स वैष्णव के साथ वैदेही के कमरे में गए , दरवाजा अंदर से बंद था किसी अनहोनी के डर से वैष्णव ने गार्ड्स को दरवाजा तोड़ देने को कहा दरवाजा तोड़ वैष्णव जैसे ही अंदर गया वैदेही को देखकर घबरा गया वो बिस्तर के कोने में सिकुड़कर डरी सहमी सी बैठी थी , वैष्णव और गार्ड्स को वहा देखकर वह पागलो की तरह चिल्लाने लगी और उन्हें दूर रहने को कहने लगी ,, सभी एक दूसरे का मुंह ताकने लगे l वैदेही की ऐसी हालत देखकर वैष्णव उसके पास गया और उसे शांत कराने की कोशिश पर वैदेही किसी की कोई बात सुनना नहीं चाहती थी वैष्णव ने उसे थप्पड़ मारा तो वो शांत हो गयी और फिर रोने लगी ,, वैष्णव से उसका रोना नहीं देखा गया उसने वैदेही को अपने सीने से लगा लिया और कहा – शांत हो जाओ ,,
“मुझे क्या हुआ है वैष्णव , प्लीज़ मुझे बताओ मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है – वैदेही ने रोते हुए कहा
वैष्णव ने उसे सम्हाला और फिर शांता और गार्ड्स से बच्चो का ध्यान रखने को बोलकर वैदेही को लेकर एंजेल्स होम के बाहर आया और वैदेही के साथ गाड़ी में निकल गया ,, कोने में छिपा अमित उन दोनों को जाते हुए देखता रहा और फिर उनका पीछा करने लगा l वैष्णव वैदेही को लेकर डॉक्टर नीतू के हॉस्पिटल पहुंचा नीतू पुणे के सबसे बड़े हॉस्पिटल में डॉक्टर थी , वैष्णव वैदेही को लेकर वहा पहुंचा ,, नीतू ने वैषणव से बैठने को कहा और खुद वैदेही को लेकर अंदर बने दूसरे रूम में लेकर गयी ,, नीतू ने वैदेही का चेकअप किया लगभग आधे घंटे के चेकअप के बाद नीतू के सामने चौंकाने वाले रिजल्ट्स थे ,, उसने वैदेही का ब्लड और यूरिन सेम्पल लिया और उन्हें टेस्ट के लिए लैब भेजा ,, नीतू ने वैदेही को बाहर बैठने को कहा और खुद अंदर रखी चेयर पर बैठकर सोच में पड़ गयी कुछ देर बाद चेकअप और ब्लड यूरिन की रिपोर्ट आ गयी रिपोर्ट देखकर नीतू के माथे पर पसीने की बुँदे झलक आयी वही हुआ जो उसने सोचा था ,, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वैदेही का इस सब पर क्या रिएक्शन होगा ये सोचकर ही उसका चेहरा उतर गया ,, उसका गला सुख गया उसने पास रखा पानी का ग्लास उठाया और एक साँस में गटक गयी ,, हिम्मत करके नीतू ने सभी रिपोर्ट्स उठायी और जैसे ही दरवाजे की तरफ बढ़ी उसका फ़ोन बज उठा

To Be continued -: “इश्क़” एक जूनून 6

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