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इश्क़ – एक जुनून – 2

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Ishq – ak junoon

Ishq - ak junoon
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बाबू ने पास पड़ा खंजर उठाया और सामने खड़े विष्णु पर फेका खंजर सीधा जाकर उसकी बायीं आँख के नीचे लगा वो दर्द से चिल्ला पड़ा एक बड़ा सा घाव उसकी आँखे के निचे हो गया चेहरा खून से सन चूका था , वो गुस्से मे बाबू की तरफ बढ़ा ही था तभी वहा पुलिस आ गयी पहले तो विष्णु घबरा गया पर जब अपने आदमी को देखा तो शांत हो गया ,, वहा सब रघु से मिले हुए थे रघु ने हाथ से इशारा किया इंस्पेक्टर ने बाबू को बाल पकड़कर उठाया और घसीटते हुए जीप की तरफ बढ़ने लगा मधु बाबू की तरफ भागी तो रघु ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया वो रघु से पूछती रही – पापा बाबू को कहा ले जा रहे है ? पापा अंकल आंटी को क्या हुआ ? पापा बाबू को रोको पापा ? मुझे बाबू के पास जाना है
लेकिन रघु ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और उसे लेजाकर गाड़ी की पिछली सीट पर बैठाकर दरवाजा बंद कर दिया और खुद आगे की सीट पर बैठकर ड्राइवर से गाडी चलाने को कहा गाड़ी चल पड़ी मधु खिड़की से बाहर गर्दन निकालकर बाबू को देखती रही उसकी आँखो से आंसू बहते जा रहे थे , दूसरी तरफ बाबू इसंपेक्टर से छूटने के लिए छटपटा रहा था , अपनी आँखों से वह मधु को जाते हुए देखता रहा वह उसे नहीं रोक पाया और धीरे धीरे वह गाड़ी आँखो से ओझल हो गयी , इंस्पेक्टर ने एक घुसा उसके मुंह पर मारा मुंह से खून बहने लगा , उसने उठाकर उसे गाड़ी में डाला और गाड़ी स्टार्ट का पुलिस स्टेशन की तरफ बढ़ा दी !
इंस्पेक्टर विष्णु का खास आदमी था विष्णु के कहने पर उस रात उसने बाबू को बहुत मारा एक 12 साल का बच्चा जब मार सह नहीं पाया तो बेहोश हो गया , अदालत में बाबू को अपने माता पिता की हत्या के लिए मुजरिम करार दिया गया और 12 साल के लिए उसे “बाल सुधार गृह” भेज दिया गया ,, वो जैसे खामोश हो गया बस सिर्फ दो नाम याद रहे “विष्णु” और “मधु” रघु और उसका परिवार कहा गया कोई नहीं जानता था “

वर्तमान -:
अचानक ट्रेन झटके से रुकी सत्या की तंद्रा टूटी उसने आँखे खोली तो देखा सामने वाली सीट पर वो लड़की नहीं थी , उसने देखा उसका सामान यही है पर लड़की नरारद है l घडी में रात के 2 बज रहे थे और ट्रेन किसी सुनसान रास्ते पर रुकी हुयी थी सत्या उठकर दरवाजे की तरफ गया और बाहर झाँकने लगा वहा आसपास कोई स्टेशन नहीं था चांदनी रात में वह सब साफ देख पा रहा था अचनाक बारिश शुरू हो गयी सत्या ने ट्रेन में इधर उधर नजर दौड़ाई सामने से उसे टीटी आता दिखा सत्या ने उसे रोककर ट्रैन के बारे में पूछा तो उसने बताया की आगे रेलवे ट्रैक टुटा पड़ा है सही होने के बाद ही ट्रैन आगे बढ़ेगी बारिश की बुँदे आकर सत्या के चेहरे को भीगाने लगी तभी किसी की आवाज उसके कानो में पड़ी कुछ ही दूर सामने मैदान में खड़ी वैदेही जोर जोर से आसमान की तरफ देखकर i love you कहकर चिल्ला रही थी ,, सत्या उसे देखने लगा वो बारिश में भीग रही थी , ट्रेन के कुछ लोग बैठ बैठे उघ रहे तह और कुछ लड़के भीगती वैदेही पर नजरे गड़ाए थे पर उसे देखकर सत्या को न जाने क्या हुआ वो उसे देखता गया पर वैदेही की जगह उसे बचपन की मधु नजर आ रही थी वो भी बारिश होने पर ऐसे ही खुश होकर नाचने लगती थी बारिश रुक चुकी थी पर सत्या अभ भी एकटक विदेही को निहार रहा था ,, भीगी हुयी वैदेही ट्रैन के दरवाजे की तरफ आयी और अपना हाथ सत्या के सामने हिलाते हुए कहा – ओह्ह मिस्टर अपना हाथ दो
सत्या उसे अपने सामने देखकर चौंक गया और फिर अपना हाथ बढाकर उसे ट्रेन में चढ़ा लिया , वैदेही ने उसे थैंक्स कहा और वह खड़ी होकर उसे देखने लगी , सत्या ने देखा भीग जाने के कारण उसके कपडे उसके जिस्म से चिपक गए है सत्या ने नजरे दूसरी तरफ घुमा ली और गेट के बाहर झाँकने लगा , ठण्ड का असर था और बोरियत भी महसूस हो रही थी यही सोचकर सत्या ने जेब से सिगरेट निकाली और मुंह में रखकर लाइटर से जलाने लगा सिगरेट जलाकर उसने लाइटर वापस जेब में रख लिया लेकिन वो पि पाता उस से पहले ही वैदेही ने उसके मुंह से सिगरेट निकालकर बाहर फेंकते हुए कहा – सिगरेट पीना स्वास्थय के लिए हानिकारक है …

सत्या ने कुछ नहीं कहा बस उसे घूरने लगा तभी ट्रैन को झटका लगा और वो वैदेही के करीब आ गया उसका एक हाथ वैदेही की कमर पर था और दुसरा ट्रेन के गेट पर वैदेही तो बस आँखे फाडे उसे देख रही थी उसकी सांसो की गर्मी सत्या की ठंडी सांसो से टकरा रही थी दोनों के होठो में सिर्फ एक इंच का फासला था ,, रात के सन्नाटे में दोनों की धड़कनो का शोर साफ सुनाई दे रहा था ,, सत्या को कुछ याद आया और वो एकदम से उस से दूर हो गया लेकिन उसके गले में पहनी चैन का सिरा वैदेही के चैन से उलझ गया और ना चाहते हुए भी दोनों एक बार फिर एक दूसरे के करीब थे वैदेही तो चाहती थी की वो हमेशा उसके इतना ही करीब रहे !! सत्या ने अपनी चैन का सिरा निकाला और जाकर अपनी सीट पर बैठ गया वैदेही वही खड़ी मुस्कुराने लगी , एक अनजाना अहसास उसके दिल को छू गया , ट्रेन चल पड़ी बाथरूम में जाकर उसने कपडे चेंज किये और आकर अपनी सीट पर बैठ गयी , बार बार उसकी नजर सत्या के चेहरे पर चली जाती वह खुली आँखों से खवाब देखने लगी अपनी और सत्या की शादी उसके बाद बच्चे अपने छोटे से परिवार के साथ वो ट्रैन में सफर कर रही है’ उसे अपनी और घूरता पाकर सत्या वहा से उठकर वापस गेट की तरफ चला गया और वैदेही सीट पर लेट गयी ,, ट्रैन अपनी गति से चली जा रही थी तभी सत्या का फ़ोन बजा सत्या ने फ़ोन उठाया
“भाई मैं पुणे स्टेशन पर हु आप अभी तक आये नहीं ‘ दूसरी तरफ से किसी ने कहा
“ट्रेन देरी से आयी देर से पहुँचूँगा , उसका कुछ पता चला
नहीं भाई दो दिन से आपके काम में लगा हु पर अभी तक उसका कोई पता नहीं चला लेकिन एक खास बात पता चली है
“वो क्या ?
‘भाई जिसे आप ढूंढ रहे हो वो इसी शहर में है पर कहा है ये कोई नहीं जानता , सबके बिच रहकर भी वो अपने गैर क़ानूनी धंधे चला रहा है , उसका एक खास आदमी है सिर्फ वो जानता है की वो कहा है ,, लेकिन उसका भी कोई अता पता नहीं है
“वो जहा कही भी है मैं उसे ढूंढ निकलूंगा , वो ज्यादा दिन मुझसे छुप नहीं सकता , पुणे में जितने भी ड्रग्स डीलर्स है उनका पता लगा किसी को नहीं छोडूंगा ,,
ठीक है भाई ‘ कहकर उसने फोन काट दिया …

सत्या ने फोन जेब में रखा गुस्से और नफरत के भाव उसके चेहरे पर आ गए उसने अपना हाथ ट्रेन की दिवार पर जोर से दे मरा और कहा – तेरी मौत सिर्फ मेरे हाथो लिखी है तू जहा कही भी है मैं तुझे ढूंढ लूंगा ,, वह वही खड़ा गेट से बाहर शून्य में तांकता रहा कुछ देर बाद वापस अपनी सीट की तरफ लौट आया उसकी नजर सामने की सीट पर पड़ी अपना बैग सर के निचे लगाए वह सिकुड़कर सीट पर लेती थी भिगने की वजह से शायद उसे ठण्ड लग रही थी सत्या ने पास पड़ा जैकेट उठाया और उसे ओढ़ा दिया और अपनी सीट पर बैठ गया जैकेट ओढ़ाने से उसे शायद ठण्ड से थोड़ी राहत मिली वैदेही के चेहरे पर सुकून के भाव थे ,, सत्या ने भी अपना सर सीट से लगाया और आँखे मूँद ली ,, ट्रेन अपनी गति से चली जा रही थी ……….
कुछ घंटो बाद ट्रैन पुणे स्टेशन पर पहुंची वैदेही की आँख खुली उसने हाथ पर पहनी घडी में देखा सुबह के 5 बज रहे थे वो उठी और अंगड़ाई लेने लगी उसकी नजर सामने सोते सत्या पर गयी वो सोता हुआ उसे बहुत मासूम लगा वो बैठकर उसे देखने लगी अब तक सत्या उसकी आँखों में उतर चूका था , सत्या की नींद खुली उसने खिड़की के बाहर देखा पुणे स्टेशन था उसने अपना सामान उठाया और आगे बढ़ गया , वैदेही भी अपना बैग उठाये उठाये उसके पीछे आ गयी , ट्रैन से उतरकर उसने किसी को फोन किया और बाहर मिलने को कहा वैदेही के एक हाथ में बैग था और दूसरे हाथ में वो जैकेट था सत्या फोन कान से लगाए उस से कुछ ही दूरी पर खड़ा था उसका मन किया वो जाकर एक बार उसे गले लगा ले वैदेही ने अपना सामान वही छोड़ा और जैकेट हाथो में उठाये दौड़कर सत्या की तरफ गयी वो जैसे ही उसे गले लगाने आगे बढ़ी सत्या पलट गया और वैदेही के कदम रुक गए उसे अपने सामने देखकर सत्या ने इशारे से ही उस से पूछा तो वैदेही हड़बड़ा गयी उसने हकलाते हुए कहा – वो वो ….. मैं……. वो ………. वो मैं तुम्हारा ये जैकेट देंने आयी थी’ वैदेही ने जैकेट सत्या की तरफ बढ़ा दिया
सत्या ने जैकेट लिया और वहा से चला गया ,, वैदेही उसे जाते हुए देखते रही फिर अपना सामान उठाकर बाहर आ गयी उसने टैक्सी वाले से एंजेल्स होम छोड़ने को कहा ,,,
वो जगह स्टेशन से 45 मिनिट की दूरी पर थी वैदेही ने अपना सामान रखा और आकर सीट पर बैठ गयी ,, टेक्सी वाले ने टेक्सी स्टार्ट की और वैदेही के बताये पते पर चल पड़ा , रास्तेभर वैदेही सत्या के बारे में सोचती रही पहली मुलाकात में ही वो उस से प्यार करने लगी l वैदेही अपने एंजेल्स होम पहुंची सुबह का समय था सभी सो रहे थे वैदेही सीधा ऊपर अपने रूम में चली गयी , बैग साइड में रखकर वो बिस्तर पर लेट गयी और कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी ,,

“एंजेलस होम” में 20 बच्चे थे जिनकी उम्र 7 से लेकर 16 के बिच थी सभी वैदेही से बहुत प्यार करते थे , उनके खाने पिने से लेकर उनकी पढ़ाई तक सब काम उसी घर में होते थे ,, वैदेही के अलावा उस घर में उसकी दोस्त माया थी जो की उन बच्चो को पढ़ाने का काम किया करती थी , एक थे मोहनराव जो वहा सबके लिए खाना बनाने का काम किया करते थे ,, वैदेही और सभी बच्चे उन्हें प्यार से ददु बुलाया करते थे , इन सबके अलावा एक शख्स और था जो 2 साल से यही रह रहा था उसका नाम था अमित , अमित यहाँ सभी बच्चो को स्पेशल ट्रेनिंग दिया करता और बाहर के सभी काम भी वही सम्हालता था ,, यहाँ रहते रहते वो वैदेही को पसंद करने लगा और उसका बहुत अच्छा दोस्त भी बन गया पर वैदेही से कभी अपने दिल की बात कह नहीं पाया वैदेही उसके साथ थी यही सोचकर वह खुश रहता था , इन बच्चो में एक बच्चा था जिसका नाम राघव था , राघव 12 साल का बहुत ही प्यारा बच्चा था लेकिन न वो सुन सकता था ना ही बोल सकता था हाथो के इशारो से ही वह अपनी बात वैदेही और बाकि लोगो को समझाया करता था , कुदरत ने उसे एक खास खूबी दी थी राघव बहुत अच्छी पेंटिंग किया करता था वह ज्यादा किसी के साथ नहीं रहता था और ज्यादातर अकेला ही रहता था , लेकिन वो वैदेही के बहुत करीब था l वैदेही ने हमेशा उसे आग बढ़ने की प्रेरणा दी और उसके हुनर को सराहा !!!
सुबह के 10 बज रहे थे घर में हलचल होने लगी थी दादू सबके लिए नाश्ता बनाने में लगे थे माया उनक मदद कर रह थी वैदेही की आँख खुली तो वो उठकर नहाने चली गयी , तैयार होकर वह निचे आयी और सीधा किचन की तरफ गयी उसे देखते ही ददू ने कहा – अरे , बिटिया आप कब आयी ?
‘आज सुबह ही आयी ददु आप सभी सो रहे थे इसलिए किसी को परेशान ना करके सीधा अपने कमरे में चली गयी’ – वैदेही ने पोहा प्लेटो में डालते हुए कहा
‘अरे बिटिया आप ये सब काहे कर रही हो , हम है ना लाओ हमे दो हम कर लेंगे – ददु ने वैदेही से प्लेट लेते हुए कहा
वैदेही – क्या ददु आप भी , आप सारा दिन अकेले काम करते है आपको भी तो आराम की जरुरत है , वैसे भी मैंने इस बार एक रसोईये को परमानेंट रख लिया है अगले हफ्ते वो आ जायेगा
‘क्या बिटिया हमारी छुट्टी करने का इरादा है क्या – ददु ने झूठी नाराजगी दिखाते हुए कहा
वैदेही हंसने लगी और अपने हाथो को ददु के गले में डालते हुए कहा – हां छुट्टी तो आपकी कर ही रहे है पर सिर्फ इस किचन से बाकि तो मैं आपको कही नहीं जाने देने वाली , अभी तो कितने साल और झेलना है मुझे आप सबको
‘अरे बिटिया ऐसी बाते क्यों करती हो तुम तो हमारे लिए साक्षात् कोई देवी का रूप हो जिसने हम जैसे अनाथो को सहारा दिया तुम नहीं होती तो ना जाने मैं और ये सब कहा होते , तुम्हारे होते कभी हमे इस बात का अहसास भी नहीं हुआ की हम अकेले है – ददु ने अपनी आँखे नम करते हुए कहा

वैदेही की आँखे भी छलक उठी तो माया ने बात को सम्हालते हुए कहा – ये इमोशनल ड्रामा ख़त्म हो गया हो तो बच्चो को नाश्ता करवाए वरना सब ठंडा हो जाएगा …
माया की बात सुनकर ददु ने हँसते हुए कहा – हां हां बिटिया आप दोनों चलो मैं अभी सब लेकर आता हु !!
माया और वैदेही दोनों किचन से निकलकर हॉल क तरफ बढ़ गयी , सभी बच्चे वहा बैठकर नाश्ते का इन्तजार कर रहे थे वैदेही को देखकर सभी ने उसे गुड़ मॉर्निंग विश किया और फिर वापस जाकर अपनी अपनी जगह बैठ गए , वैदेही रोजाना सुबह का नाश्ता बच्चो के साथ ही किया करती थी , लंच और डिनर मे वह ऑफिस के काम में बिजी होने के कारण कभी कभी आ पाती थी राघव दौड़कर वैदेही के पास आया और उसे इशारो में कुछ कहा तो वैदेही ने मुस्कुराकर उसके गाल पर किस किया और इशारो में उस से कहा – मिस यू टू …
ददु नाश्ता ले आये और फिर सब नाश्ता करने लगे ,, नाश्ता करने के बाद सभी अपने अपने कामो में लग गए !! वैदेही जाकर अपने केबिन में बैठ गयी और कुछ फाईले देखने लगी
वैदेही बैठकर फाईले देख ही रही थी तभी अमित वहा आया और वैदेही की तरफ एक फाइल बढाकर कहा – वैदेही इसमें पिछले महीने का हिसाब किताब है तुम देख लो
‘तुमने देख लिया न – वैदेही ने दूसरी फाइलों में देखते हुए पूछा
‘हां मैंने देख लिया पर एक बार तुम देख लो न कितना खर्चा हुआ है – अमित ने सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए कहा
वैदेही ने हाथ में पकड़ी फाइल साइड में रखी और अमित की तरफ देखकर कहा – अमित तुम मेरे दोस्त हो और मुझे तुम पर पूरा भरोसा है , मुझे ये सब चेक करने की जरुरत नहीं है तुमने देख लिया ना काफी है
‘अच्छा बाबा ठीक है , ये बताओ इतने दिन थी कहा तुम ? – अमित ने पूछा
वैदेही – नासिक गयी थी नन्ना के पास उनकी तबियत ठीक नहीं थी इसलिए उन्होंने बुला लिया …
अमित – अब कैसी तबियत है उनकी ?
वैदेही – अभी ठीक है वो ,, अच्छा अमित सुनो मुझे कुछ सामान चाहिए था तुम ले आओगे
अमित – मैंने तुमसे कभी न कहा है क्या बताओ क्या लाना है
वैदेही अमित को सामान की लिस्ट देती है और फिर अमित वहां से चला जाता है

वैदेही फिर अपनी फाइलों को देखने में लग जाती है देखते देखते सत्या का चेहरा उस फाइल में दिखायी देने लगता है और वो मुस्कुराने लगती है ,, उधर से गुजर रही माया की नजर मुस्कुराती वैदेही पर पड़ती है तो वो अंदर आकर उसके सामने रखी चेयर पर बैठते हुए कहती है – क्या बात है अकेले अकेले बड़ा मुस्कुराया जा रहा है
माया को अपने सामने देखकर वैदेही चौंक गयी और पूछा – तू कब आयी ?
‘जब तू किसी बात को सोचकर मुस्कुरा रही थी न तबसे , अब बता क्या हुआ – माया ने हँसते हुए कहा
“अरे ये पूछ क्या नही हुआ कल रात ट्रेन में एक लड़का मिला क्या आँखे थी उसकी कतई जहर , उसके बाल , उसकी आवाज उसका चलना , उसका देखना उफ़ मैं तो फ्लेट ही हो गयी यार , मेरे सामने वाली सीट पर ही था – वैदेही ने अपनी सीट से उठते हुए कहा
‘जिसके पीछे लड़के लट्टू हुए घूमते है वो मेडम किसी पर फ्लेट हो गयी इम्पॉसिबल , ऐसा लड़का जो तुझे पसंद आये इस दुनिया में तो शायद ही मिलेगा – माया ने मुंह बनाते हुए कहा
वैदेही – अरे कसम से पहले तो मुझे भी लगा की बहुत ऐटिटूड है उसमे पर बाद में पता नही क्यों वो अच्छा लगने लगा
माया – चलो तुम्हे कोई तो पसंद आया वैसे नाम क्या है उसका ?
“सत्या” – वैदेही ख्यालो में खोयी अब भी ब्लश कर रही थी
क्या सत्या , कितना टपोरी टाइप नाम है यार – माया ने चौंकते हुए कहा
‘अच्छा नाम है , वैदेही सत्या , मिसेज सत्या आह्हः कितना अच्छा तो है – वैदेही ने फिर कहा
ओह्ह हेलो हेलो हेलो क्या मिसेज तू उस से एक बार मिली है और तुने शादी का भी सोच लिया , खवाबो की दुनिया से बाहर आओ शहजादी – माया ने कहा
वैदेही ने पेन को मुंह में रखा और सिगरेट पिने की एक्टिंग करने लगी उसे देखकर माया ने अपना सर पिट लिया और कहा – तेरा कुछ नहीं हो सकता , अच्छा ये बता कहा से है ? क्या करता है ? फॅमिली बैकग्राउंड क्या है उसका ?
वैदेही – पता नहीं
माया – पता नहीं और प्यार भी हो गया
वैदेही – हां तो प्यार क्या इंटरव्यू लेकर होता है ये तो जब होंना होता है हो जाता है , और मुझे भी हो गया उसकी आँखों में देखो ना तो बहुत कुछ नजर आता है दिल करता है डूब जाऊ उसकी आँखों मे
“अच्छा है तुम शौक से डुबो मैं चलती हु बच्चो की क्लास में – माया ने उठते हुए कहा और वहा से चली गयी …..
वैदेही भी ऑफिस से निकलकर बाहर आकर बरामदे में बैठ गयी …
शाम को अमित ने वैदेही को उसका सामान लाकर दे दिया ,, वैदेही सामान लेकर अपने कमरे में चली गयी ,, तभी उसे एक फोन आया जिससे वो ख़ुशी से उछलने लगी ,, वो दौड़ती हुए नीचे आयी और सबको इक्कठा कर लिए सभी उसकी ख़ुशी देखकर बेसब्री से उसके बोलने का इन्तजार करने लगे वैदेही ने सबको बताया की अगले सप्ताह पुणे मे होने वाले स्टेट लेवल पेंटिंग कॉम्पिटिशन में राघव की बनायीं पेंटिंग्स को सेलेक्ट किया गया है और राघव सीधा फाइनल में पहुंच गया है , फाइनल प्रतियोगिता एक सप्ताह बाद यही पुणे में होगी l वैदेही की बाते सुनकर सबका चेहरा ख़ुशी से खिल उठा कोने में खड़ा राघव मासूमियत से सबको देख रहा था वैदेही की आँखों में आंसू आ गए उसने राघव को अपने पास बुलाया और उसे इशारो में समझाया की उसकी पेंटिंग्स सबने बहुत पसंद की है , राघव ख़ुशी से वैदेही के गले लग गया …
सब उस रात बहुत खुश थे !

और सब अगले सप्ताह होने वाले फाइनल का इन्तजार करने लगे …
दूसरी तरफ सत्या जिस शख्स का पता लगाने पुणे आया था वो उसे नहीं मिल रहा था ना ही उसके बारे में कोई जानकारी मिली उसने पुणे में हर जगह ढूंढा पर वो उसे नहीं मिला , और इसी के चलते उसकी न जाने कितने ही दुश्मन बन गए , उसने कई ड्रग डीलर्स का धंधा ठप कर दिया था , एक शाम सत्या किसी कॉफी शॉप मे बैठा किसी के आने का इन्तजार कर रहा था वैदेही भी उसी शॉप में गयी जैसे ही उसकी नजर सत्या पर पड़ी वह जाकर उसके सामने वाली सीट पर बैठ गयी और अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा – हाय ! पहचाना मैं वैदेही , नासिक , ट्रेन , जैकेट , अरे हम ट्रैन में मिले थे
सत्या ने वैदेही की तरफ देखा लेकिन कुछ नहीं कहा अपनी कॉफी पिता रहा
वैदेही ने कहा – अकेले अकेले पि रहे हो
“वेटर एक कॉफी और लाना – कहकर सत्या फिर चुपचाप अपनी कॉफी पिने लगा कुछ देर में वेटर कॉफी ले आया वैदेही ने कॉफी उठायी और सत्या की तरफ देखते हुए पिने लगी कॉफी खत्म होते ही सत्या ने कहा – कॉफी पि ली अभी जाओ यहाँ से
मुझे तुमसे कुछ बात करनी है – वैदेही ने कप को साइड में रखते हुए कहा
कहो – सत्या ने वैदेही की तरफ बिना देखे हुए कहा वो अभी तक किसी के आने का इन्तजार कर रहा था

वो……..मैं……. वो मैं आपसे ……… वो मुझे….. मुझे ये कहना था की – वैदेही अपनी बात पूरी कर पाती इस से पहले ही एक गोली तेजी से वैदेही के चेहरे के बिल्कुल सामने से निकलती हुए सामने शीशे पर जा लगी , वैदेही के होश फाख्ता हो गए सत्या ने तेजी दूसरी तरफ देखा सामने वो शख्स हाथ में पिस्टल लिए खड़ा था वो दोबारा गोली चलाता इस से पहले ही सत्या ने वैदेही का हाथ पकड़ा और वहा से तेजी से बाहर निकल गया , पर वो ये नहीं जानता था असली ख़तरा तो बाहर है जैसे ही सत्या बाहर आया गोलिया चलने लगी कुछ 8-10 लोग बाहर खड़े उसका इंतजार कर रहे थे , सत्या वैदेही का हाथ पकड़कर तेजी से भागने लगा , वो लोग बह उन दोनों का पीछा करने लगे भागते हुए सत्या एक संकरी गली में मूड गया जिससे पीछा करने वाले इधर उधर हो गए लेकिन दो लोग फिर उनके पीछे लग गए वैदेही बहुत घबराई हुयी थी की अचनाक एक सख्स उन दोनों के सामने आ गया सत्या ने वैदेही का हाथ छोड़कर उसे अपने पीछे किया और उछलकर एक घुसा सामने खड़े आदमी के मुंह पर मारा वो निचे गिरकर धूल चाटने लगा , सत्या ने एक बार फिर वैदेही का है पकड़ा और भागने लगा भागते हुए दोनों सड़क पर आ गए की तभी पीछे से किसी ने गोली चला दी गोली सीधा आकर सत्या के हाथ पर लगी वो दर्द से तड़पने लगा वैदेही ने उसके हाथ से खून निकलता देखा तो घबरा गयी ,सत्या निचे झुका और पत्थर का टुकड़ा उठाकर तेजी से फेका पत्थर जाकर सीधा उसके मुंह पर लगा और वो आदमी गिर पड़ा , सत्या ने सामने से आती ऑटो को रोका और वैदेही से बैठने को कहा वैदेही ने सत्या से कहा – लेकिन तुम्हारे हाथ से खून निकल रहा है
मैंने कहा जाओ यहाँ से – सत्या ने गुस्से में चिल्लाकर कहा ,,, तो वैदेही डरकर अंदर बैठ गयी सत्या ने रिक्शा वाले से जाने का इशारा किया रिक्शा वहा से चला गया वैदेही पलटकर सत्या को देखती रही सत्या ने जेब से रुमाल निकाला और अपने जखम पर बांध लिया , और उस आदमी की तरफ बढ़ा वो अभी भी जमीन पर पड़ा दर्द से तड़प रहा था सत्या उसके पास आकर रुका और अपने पीछे से गन निकालकर उसके सीने में गोली दाग दी , वो आदमी वही ढेर हो गया …
सत्या वहा से सीधा अपने कमरे पर आ गया उसके दोस्त ने देखा तो डॉक्टर के पास चलने की बात कहने लगा पर सत्या ने मना कर दिया और गर्म चाकू से खुद ही गोली निकाल ली दर्द उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था l वो वही जमीं पर लेट गया और उसकी आँख लग गयी …
इधर वैदेही बदहवास सी घर आयी उसने किसी से बात नहीं की चुपचाप अपने कमरे में चली गयी ,, रात में मुश्किल से उसकी आँख लगी लेकिन शाम को घटी घटना उसकी आँखों के सामने घूम गयी और जोर से चीखी उसकी चीख सुनकर माया , अमित और ददु दौड़े आये लेकिन वैदेही ने बुरा सपना देखा कहकर सबको वापस भेज दिया l उसके बाद उसे नई नींद आयी वो सारी रात करवटे बदलती रही ,, अगले दिन माया ने उस बताया की उसकी शादी तय हो गयी है और घरवाले चाहते है की वह अब कुछ दिन उनके साथ रहे ,, सबने उस दिन माया की शादी तय होने की ख़ुशी में पार्टी रखी और फिर शाम को माया सबको अलविदा कहकर वहा से चली गयी , वैदेही थोड़ा उदास हो गयी क्योकि माया ही थी जिससे वो अपने दिल की बाते किया करती थी , पर माया के जाने से अमित खुश था अब उसे वैदेही के करीब आने का मौका मिल जायेगा l
धीरे धीरे वो दिन भी नजदीक आ गया जब राघव का पेंटिंग कॉम्पिटिशन था वैदेही , राघव , और अमित कॉम्पिटिशन वाली जगह पहुंचे , वहा बहुत बड़े हॉल में सभी प्रतियाशी और उनके साथ आये लोग जमा थे , कॉम्पिटिशन में 10 लोग फाइनल में थे , राघव इनमे सबसे कम उम्र का था इसलिए वो अंदर ही अंदर थोड़ा घबरा रहा था पर अमित और वैदेही ने उसे दिलासा दिया ,,
कॉम्पिटिशन का निर्णय करने शहर के बहुत बड़े बड़े लोग आये हुए थे इनमे से सबसे खास कोई था तो वो था पुणे का सबसे चर्चित नाम “वैष्णव अन्ना” , वैषणव 40 साल का हट्टा कट्टा एक अच्छी खासी पर्सनालिटी का आदमी था जो की अपनी उम्र से बहुत कम उम्र का लगता था , ये कहा से आया कोई नहीं जानता था पर पिछले 10 सालो से ये पुणे में ही था जहा इसने पुरे शहर में अपना अच्छा खासा धंधा जमा लिया था बड़े बड़े नेता , राजनेता , बिजनेसमैन इसके आगे सलाम ठोकते थे !! वैषणव की ताकत थी उसका पैसा और उसकी कमजोरी थी “औरत” , !!

कॉम्पिटिशन शुरू हुआ सभी प्रतिभागी अपना अपना हुनर दिखाने लगे तय समय में सबकी पेंटिंग कम्प्लीट हो गयी , सभी तस्वीरों को एक लाइन में उनके प्रतिभागी के साथ लगाया गया और जज द्वारा उनका निरिक्षण किया जाने लगा , सबने एक से से बढकर तस्वीरें बनाई थी अंतिम निर्णय वैष्णव को लेना था वो एक एक करके सभी पेंटिंग्स के सामने से गुजरने लगा लेकिन आखरी पेंटिंग देखकर उसकी नजरे उसी पर रुक गयी वो किसी हंसती हुयी लड़की की पेंटिंग थी झील सी गहरी आँखे , पतली लम्बी नाक , सुराही सी गर्दन , सुडोल वक्ष , लम्बे नाजुक हाथ , बड़े बड़े लम्बे खुले बाल जो कमर तक लहरा रहे थे ,, वैष्णव अपनी पलके तक झपकाना भूल गया उसने सामने नजर डाली एक 10-12 साल का बच्चा उस पेंटिंग के साथ खड़ा था वो कोई और नहीं राघव ही था ,,
वैष्णव से जब इशारो में पूछा गया की इस तस्वीर में जो है वो कौन है तो राघव ने दूर खड़ी वैदेही की तरफ इशारा का दिया जो अमित से बात करते हुए किसी बात पर खिलखिलाकर हंस रही थी , वैष्णव ने देखा तो बस देखता ही रह गया , वह मुस्कराते हुए स्टेज पर आया और विनर की घोषणा करते हुए राघव की पेंटिंग को सबसे खुबसुरत बताया , राघव बहुत खुश हो गया सभी देखना चाहते थे की आखिर राघव ने ऐसा क्या बनाया जिसने 1st प्राइज जीता है ,, सभी बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे और फिर स्टेज पर राघव की बनायीं पेंटिंग लायी गयी जिसे देखकर सब चौक गए गए बच्चे ने इतनी बारीकी से उस तस्वीर को बनाया की बड़े बड़े पेंटर भी अपने घुटने टेक दे , वहा मौजूद सब लोग राघव की तारीफ करने में लगे थे , पर वैदेही ने जब देखा की राघव ने उसकी तस्वीर बनायीं है तो उसकी आँखों में आंसू आ गए ,, राघव और वैदेही को स्टेज पर बुलाया गया और फिर राघव को बड़ी सी ट्रॉफी और 1 लाख का चेक दिया गया ,, राघव ने वह लेकर इशारो में सबको थैंक्यू कहा … सब उसके लिए बहुत सारी तालिया बजायी … वैदेही ने स्टेज पर खड़े राघव से इशारे में पूछा की उसने उसकी तस्वीर कैसे बनाई उसे इतना सब याद कैसे रहा तो राघव ने इशारे से बताया की वो उस से प्यार करता है इसलिए उसे वैदेही का चेहरा याद था
भावुक होकर वैदेही राघव को गले लगा लेती है !!
स्टेज पर मौजूद वैष्णव की नजरे वैदेही पर जम सी जाती है और फिर वो सबके सामने राघव की बनाई पेंटिंग 2 लाख रूपये में खरीदने की घोषणा करता है ,, और दो लाख का चेक वैदेही के हाथ में थमा देता है वैदेही हाथ मिलाते उन्हें थैंक्यू कहती है और राघव अमित के साथ वहा से निकल जाती है !!
वैष्णव उस पेंटिंग को लेकर घर आता है और उसे अपने कमरे की दिवार पर लगा लेता है घंटो वह वैदेही की तस्वीर को देखता रहता है और फिर अगले दिन अपने आदमी से वैदेही के बारे में पता लगाने को कहता है ….

To be continued with next part

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