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“इश्क़” एक जूनून – 4

Ishq – ak junoon

Ishq - ak junoon - 4
Ishq – ak junoon – 4

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अगले दिन सत्या ने अपना बैग पैक किया और कुमार से वैदेही का ख्याल रखने को कहकर बाहर निकल गया उसने कुमार को भी नहीं बताया की वह कहा जा रहा है , दूसरी तरफ वैदेही सत्या को भूल नही पा रही थी ,, कुछ दिनों बाद माया की शादी थी इसलिए माया ने उसे अपने पास आने को कहा , वैदेही वहा चली गयी शादी से लौटने में वैदेही को 1 हफ्ता लग गया वह वापस पुणे लौट आयी पर सत्या की यादो ने उसका पीछा नहीं छोड़ा वैदेही सीधा कुमार के पास पहुंची कुमार से सत्या के बारे में पूछा लेकिन उसे भी नहीं पता था सत्या कहा है ,, वैदेही वापस एंजेल्स होम लौट आयी पर उदास रहने लगी
अमित से वैदेही की ये उदासी देखी नहीं गयी एक दोपहर वैदेही उदास सी होम के बगीचे में चेयर पर बैठी घास को निहार रही थी तभी अमित वहा आया और वैदेही के सामने घुटनो पर बैठ गया और गुलाब वैदेही की तरफ बढाकर कहा – वैदेही मुझसे तुम्हारी ये हालत देखी नहीं जाती , तुम्हे इस तरह उदास देखता हु तो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता , मैं तुमसे शादी करना चाहता हु वैदेही i love you वैदेही i love you
वैदेही – ये तुम की कह रहे हो अमित मैं सिर्फ तुम्हे अच्छा दोस्त मानती हु
अमित – दोस्ती , दोस्ती , दोस्ती ……… थक गया हु मैं ये दोस्ती का नाटक करते करते सच तो ये है की मैं तुम्हे दिलोजान से चाहता हु वैदेही , पहले दिन से ही मैं तुम्हारा दीवाना बन गया था और तबसे लेकर अब तक मैं तुम्हारे साथ हु ,,,, मुझसे शादी कर लो वैदेही मैं तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा
“बकवास बंद करो , अगर मुझे पता होता तुम्हारे अच्छे व्यवहार के पीछे तुम्हारी ये नियत है तो मैं तुम्हे कभी अपना दोस्त नहीं कहती – वैदेही ने चिल्लाकर कहा
‘वैदेही मैं सिर्फ तुम्हे पाना चाहता था – अमित ने कहा
“तुम पागल हो चुके हो अमित , मैं तुमसे प्यार नही करती – वैदेही ने कहा
अमित – ये पागलपन नहीं वैदेही तुम्हारे प्यार का खुमार है मुझपर , प्यार का जुनुन है मैं अब ये दूरिया और बर्दास्त नहीं कर सकता ‘ कहकर अमित वैदेही की तरफ बढ़ा
‘तड़ाक”,एक झन्नाटेदार थप्पड़ वैदेही ने अमित के गाल पर मारा और चीखते हुए कहा – खबरदार जो मुझे छूने की कोशिश भी की तो , कल सुबह होते ही यहाँ से निकल जाना , तुम्हे दोस्त माना सिर्फ इसलिए वरना अभी इसी वक्त तुम्हे यहाँ से निकाल देती
कहकर वैदेही तेजी से वहा से निकल गई , अमित गुस्से में वही खड़ा रहा !!
अपने कमरे में आकर वैदेही ने दरवाजा बंद किया और सिसकने लगी जिस उसने अपना दोस्त समझा वह उसके लीये ऐसी सोच रखता है वैदेही बिस्तर पर लेट गयी पर उसकी आँखों से आंसू बहते रहे , एक तरफ वह जिस से प्यार करती थी उसे उसके प्यार की कोई कदर नहीं थी त्या के इंकार की वजह वैदेही नहीं जानती थी ,, सत्या के बारे में सोचते सोचते उसकी आँख लग गयी ,,

दूसरी तरफ गुस्से में लाल अमित वहा से निकलकर अपने दोस्तों के पास गया , अमित को इतने दिनों बाद देखकर दोस्तों ने उसे अपने पास बैठा लिया उसका गुस्सा देखकर सब समझ गए की मेटर बड़ा है , एक दोस्त ने शराब की बोतल अमित की तरफ बढाकर कहा – ‘ले गटक ले
अमित एक साँस में आधी बोतल गटक गया और फिर बोतल को जोर से टेबल पर रखा .
“क्या हुआ भाई इतना गुस्से में क्यों है ? – पास बैठे एक दोस्त ने कहा
गुस्सा ………गुस्सा तो आएगा ही जिस लड़की से मैं इतना प्यार करता हु वो लड़की मुझे कहती है की वो मुझसे प्यार नहीं करती , और मुझपे अमित कुमार मिश्रा पर उसने हाथ उठाया उसकी ये मजाल’, अमित ने गुस्से में कहा
“तुझसे प्यार नहीं करती तो भूल जा उसे’ – दूसरे दोस्त ने कहा
“भूल जाऊ ऐसे कैसे भूल जाऊ उसपे मैंने अपने पुरे 2 साल बर्बाद किये है सिर्फ उसे पाने के लिये , उसकी करोडो की दौलत पाने के लिए और तू कहता है भूल जा उसे – अमित ने उसकी कॉलर पकड़ते हुए कहा
“तो अब तू क्या करेगा – पहले वाले ने दोनों को अलग करते हुए कहा
‘अगर वो मेरी नहीं हुयी तो उसे किसी की नहीं होने दूंगा बर्बाद कर दूंगा उसकी जिंदगी , जो बेइज्जती का थप्पड़ उसने मुझे मारा है उसका बदला मैं जरूर लूंगा ,, – नशे में बड़बड़ाने लगा था अमित
उस रात अमित देर तक पिता रहा और फिर उठकर जाने लगा , उसने किसी को पैसे देकर एक गन खरीदी और फिर एंजेल्स होम की तरफ बढ़ गया , रात के 10 बज रहे थे सभी बच्चे सोने जा चुके थे , शराब के नशे में लड़खड़ाता अमित बन्दुक सम्हाले वैदेही के कमरे तक जाने वाली सीढ़ियों की तरफ बढ़ा की अचानक किसी ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया अमित ने पलटकर देखा तो उसके होश उड़ गए सामने ददु खड़े थे , उन्होंने अमित के हाथ से गन लेकर फेंक दी और उसे एक थप्पड़ मारा और कहने लगे – ये क्या कर रहा है तू मेरी 4 सालो की करी कराई मेहनत पर पानी फेरने जा रहा था तू ,
अमित पहले तो चौंक गया और फिर अपना हाथ झटक कर कहा – तो और क्या करता मैं , उसने मुझे आपके बेटे को थपड मारा , मेरे प्यार को ठुकरा दिया , नहीं छोडूंगा मैं उसे अगर वो मेरी नहीं हो सकती तो मैं उसे किसी और की भी नहीं होने दूंगा
अमित की बात सुनकर ददु ने उसे एक थप्पड़ और मारा और कहा – मैंने तुझे सिर्फ प्यार का नाटक करने के लिए कहा था ताकि वो तेरे प्यार में पडे और फिर उसकी सारी जायदाद तेरे नाम हो सके , पर तू तो मेरा प्लान बिगाड़ने पर तुला है , इतने सालो से मैं उसके साथ हमदर्दी और अपनेपन का नाटक कर रहा था ताकि अपनी चाल में कामयाब हो सकु !
गुस्से में ददु बड़बड़ाये जा रहा था , अँधेरे में झाड़ियों में छिपा कोई उन दोनों की सारी बातें सुन रहा था अमित ने दादु की तरफ देखकर पूछा – तो अब क्या करना है ?
“एक बार वो जायदाद के पेपर पर साइन कर दे उसके बाद मैं खुद ही उसका काम तमाम कर दूंगा तब तक उसे पता नहीं चलना चाहिए तू मेरा बेटा है , अगर पैसा रहा तो उस जैसी हजारो लड़किया लाकर मैं तेरे सामने पटक दूंगा l – ददु ने जहर उगलते हुए कहा
अमित उनकी तरफ देखकर मुस्कुराया और फिर लड़खड़ाते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ गया , ददु वही खड़े हँसते हुए कहने लगे “तुझसे बड़ी बेवकूफ मैंने आज तक नहीं देखी वैदेही जिसने अपने ही आस्तीन में सांप पाल रखे है , जल्दी ही तुझे तेरे माँ बाप के पास पहुंचा दूंगा , बस एक बार ये होम और तेरी बाकी की जायदाद मेरे नाम हो जाये फिर तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता” कहकर ददु अपने कमरे की तरफ जाने के लिए पलटे ही थे की बन्दुक से निकली गोली आकर उनकी पीठ पर लगी दर्द से वो चिल्लाकर गिर पड़े , वो कुछ बोल पाते उस से पहले ही दूसरी गोली सीधा उनके सर पर लगी और वो वही ढेर होकर गिर पड़े उनकी आँखों की पुतलिया बाहर आ गयी ….. गोली की आवाज सुनकर अमित भागकर आया उसने देखा ददु जमीन पर पड़े है उसने उनके पास पड़ी बन्दुक उठायी और देखने लगा अमित अभी भी नशे में था तभी वैदेही और बाकि सब दौड़कर बाहर आये , ददु को देखकर वैदेही की चींख निकल गयी ,, उसने तुरंत पुलिस को फोन किया l सभी काफी डरे हुए थे और अमित हाथ में बंदुक पकडे बदहवास सा ददु को घूरे जा रहा था
वैदेही ने दोनों हाथो से अमित का कॉलर पकड़ा और उसे झिंझोड़ते हुए कहने लगी – क्यों किया तुमने ऐसा , अपने जूनून के चलते तुमने इनकी जान ले ली , मेरे पिता जैसे ददु को तुमने मार डाला ,आखिर क्यों किया तुमने ये सब क्या बिगाड़ा था इन्होंने तुम्हारा” , वैदेही अमित पर थप्पड़ो की बौछार करने लगी …. कुछ ही देर बाद पुलिस आ गयी और अमित को अपनी हिरासत में ले लिया , ददु की बॉडी को उन्होंने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया ,, वैदेही ने सभी बच्चो को सोने के लिए भेजा और शांता बाई से भी अपने कमरे में जाने को कहा … पुलिस वैदेही को सावधान रहने को कहकर अमित को लेकर चली गयी ,, वैदेही हैरान थी की आखिर अमित ने ददु को क्यों मारा और जा पुलिस उसे लेकर गयी तो वो कुछ बोला क्यों नहीं ,, अपने आंसू पोछकर वैदेही अपने कमरे में आ गयी लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी अचानक अपनी जिंदगी में आयी इस उथल पुथल से वो बहुत परेशान थी ऐसे वक्त में क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था

उसने माया को फोन लगाया और उसे सारी बात बताई माया ने जब यह सुना तो कहने लगी – उस अमित पर तो मुझे पहले से शक हो रहा था , जब वो तुम्हारे आस पास फटकता था पर वो ददु की जान ले लेगा मैंने कभी सोचा भी नहीं था वैदेही , और तू बिलकुल मत घबरा मैं जल्दी ही वहा आने की कोशिश करती हु
“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा माया मैं क्या करू – वैदेही ने रोते हुए कहा
माया – तू घबरा मत वैदेही सब ठीक हो जायेगा अमित को उसके गुनाह की सजा जरूर मिलेगी , ऐसा कर तू कुछ समय के लिए वापस मुंबई चली जा अपने नन्ना के पास
वैदेही – नहीं माया इस वक्त मैं इन बच्चो को अकेला छोड़कर नहीं जा सकती , ददु की मौत से सभी घबराये हुए है ऐसे में मेरा यहाँ से जाना बहुत शर्म की बात होगी
माया – ठीक है मनोज (माया का पति) के साथ मैं पुणे आ जाती हु
वैदेही – नहीं माया तुम्हारी अभी अभी शादी हुयी है तुम अपने नए परिवार और मनोज के साथ समय बिताओ यहाँ मैं हु सब सम्हाल लुंगी …
माया – ठीक है , पर तुम अपना ख्याल रखना , बिलकुल मत घबराना कोई भी जरुरत हो तो मुझसे कहना मैं और मनोज तुम्हारे पास आ जायेंगे
वैदेही – ठीक है माया मैं फोन रखती हु रात बहुत हो चुकी है तुम अपना ख्याल रखना, कहकर वैदेही ने फोन काट दिया सारी रात उसने जागकर गुजार दी , सुबह उठकर निचे आयी तब तक आस पड़ोस के लोग और वैदेही के जान पहचान वाले वहा आ चुके थे सभी ददु की मौत का अफ़सोस जता रहे थे और अमित को कोस रहे थे ,, बच्चे सहमकर एक कोने में बैठे थे शांता बाई उन्हें सम्हाली हुयी थी ,,,आँगन में ददु की बड़ी सी तस्वीर लगाकर उस पर माला चढ़ाई हुयी थी , वैदेही चाहती थी ददु का अंतिम संस्कार होम से ही हो लेकिन पोस्टमार्टम के बाद बॉडी काफी हद तक ख़राब हो चुकी थी इसलिए कुछ लोगो ने इंसानियत दिखाते हुए ददु का अंतिम संस्कार कर दिया ,, मुंबई से वैदेही के नन्ना प्यारेमोहन भी आ चुके थे उन्हें देखते ही वैदेही उनके गले लगकर फुट फुट कर रोने लगी l नन्ना ने उसे सम्हाला और अपने साथ मुंबई चलने को कहा पर वैदेही ने मना कर दिया l
दोपहर तक सभी लोग जा चूके थे नन्ना भी वैदेही को ध्यान रखने का बोलकर चले गए l वैष्णव अन्ना शाम को एंजेल्स होम आये तो ददु की तस्वीर पर हार चढ़ा देखकर चौंक गए वो सीधा वैदेही के पास गए जो बच्चो से खाना खाने का आग्रह कर रही थी , वैष्णव को वहा देखकर वह उनके पास आयी
“ये सब क्या हुआ वैदेही , मैं कल शाम को ही बंगलौर चला गया था मुझे आज सुबह पता चला तो मैं वापस लौट आया ये सब कब और कैसे हुआ – वैष्णव ने शोक जताते हुए वेदेही ने सारी बात वैष्णव को बताई और फिर फूटफूटकर रोने लगी !! वेदिहि को रोता देखकर वैष्णव ने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा – हिम्मत रखो वैदेही हम सब है ना तुम्हारे साथ , कहकर वैष्णव ददु की तस्वीर की तरफ देखने लगा उसके होंठो पर एक रहसयमयी मुस्कान तैर गयी ….
कुछ देर बाद वैष्णव ने वैदेही के साथ मिलकर सभी बच्चो को खाना खिलाया , और फिर वैदेही को भी खाने के लिए कहा बड़ी मुश्किल से वैदेही ने दो निवाले अपने हलक से निचे उतारे ,, रात के 9 बज रहे थे सभी बच्चे सोने जा चुके थे , वैदेही ने वैष्णव से कहा – सर रात बहुत हो चुकी है , अभी आपको चलना चाहिए
“वैदेही कोई भी जरूरत हो तो मुझे सिर्फ एक फोन कर देना मैं आ जाऊंगा , फ़िलहाल मैं अपने दो आदमी यही छोड़ रहा हु ताकि तुम्हे और बच्चो को कोई परेशानी ना हो और वो तुम लोगो का ध्यान रख सके – वैष्णव ने बड़े अपनेपन से कहा
“इस्की जरुरत नहीं है सर प्लीज़ आप इतना परेशांन मत होईये – वैदेही ने कहा
“मुझे तुम्हारी फ़िक्र है वैदेही प्लीज़ ना मत कहना , मेरा यहाँ रात में रुकना सही नहीं है मैं नहीं चाहता लोग तुम्हारे और मेरे बारे में बात करे इसलिए इन्हे यहाँ छोड़ रहा हु ताकि तुम सब आराम से रह सको , मैं आता जाता रहूंगा – वैष्णव ने कहां
‘किन शब्दों में आपका शुक्रिया अदा कर सर आप अपने ना होकर हम सबके लिए इतना कर रहे है और एक वो जिसे हमने अपना समझा उसने ददु के साथ ऐसा किया – कहते कहते वैदेही के चेहरे पर गुस्से के भाव आ गए …
“वैदेही जो हो गया उसे भूल जाओ , अपना ख्याल रखो तुम कमजोर पड़ी तो इन बच्चो को कौन सम्हालेगा – वैष्णव ने वैदेही के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
कुछ देर बाद वैष्णव अपने दो आदमियों को वहा छोड़कर चला गया …
वैदेही भी सोने चली गयी ,,, वैष्णव अब रोज वैदेही से मिलने आने लगा और धीरे धीरे वहा सबसे घुलने मिलने लगा वैष्णव वैदेही की बहुत इज्जत करता था और उसका ख्याल भी रखने लगा था , पर वैदेही के मन में अब भी सत्या ही था उसे इन्तजार था की एक दिन सत्या उस से मिलने जरूर आएगा …

दूसरी तरफ सत्या बंगलौर में मुन्ना को ढूंढने में लगा था , और फिर शाम उसे मुन्ना के ठिकाने का पता चल गया ,मुन्ना बंगलौर के किसी होटल में था , सत्या वहा पंहुचा और सीधा उसके रूम में गया , मुन्ना ने उसे नहीं पहचाना और कहा कौन हो तुम और यहाँ क्यों आये हो
विष्णु कहा है – सत्या ने दांत पिसते हुए कहा
“पहले ये बता तू है कौन – कहकर मुन्ना अपनी पिस्तौल निकाली और उसकी नोक सत्या की तरफ कर दी
विष्णु कहा है – सत्या ने फिर कहा
मुन्ना ने एक घुसा सत्या के मुंह पर मारा सत्या निचे जमीन पर गिरा उसके होंठ से खून निकल आया वो उठा और अपने होठ पर लगे खून को साफ करके फिर कहा – विष्णु कहा है
इस बार मुन्ना ने उछलकर एक लात सत्या के सीने में जमा दी और वो कुछ दूरी पर मुंह के बल जा गिरा मुन्ना उसके पास आया और उसकी कनपटी पर बन्दुक तान कर गुस्से में कहा – विष्णु कहा है , विष्णु कहा है , साले ये बता तू है कौन और विष्णु के बारे में ये सब क्यों पूछ रहा है तू ? जल्दी बोल नहीं तो यही खोपड़ी उड़ा डालूंगा तेरी बोल जल्दी
सत्या तेजी से पलटा और मुन्ना के हाथ ने गन छीनकर उसी की कनपटी पर लगाकर कहा – जिस खिलोने से तू मुझे डरा रहा है उन खिलोने से मैं बचपन से खेलता आ रहा हु ,, अब बोल विष्णु कहा है ?
सत्या ने जितना सोचा था मुन्ना उस से कही ज्यादा ताकतवर था उसने एक झपटा मारकर गन निचे गिरा दी और सत्या से हाथपाई करने लगा दोनों बराबर एक दूसरे पर घुसो और लातो की बरसात किये जा रहे थे दोनों ही लहूलुहान हो चुके थे पर हार कोई नहीं मानना चाहता था , तभी सत्या की नजर सोफे के निचे गिरी बन्दुक पर गयी उसने तेजी से उठायी और एक बार फिर मुन्ना की तरफ तान दी , मार की वजह से दोनों ही काफी बुरी तरह घायल हो चुके थे और थक भी चूके थे सत्या ने उसे बैठने को कहा और खुद भी उस पर बन्दुक ताने कुछ दूरी पर बैठ गया सत्या ने उसे घूरते हुए कहा,”अब बोल विष्णु कहा है ?
“जिस तरह तू विष्णु भाई के लिए पूछ रहा है उस हिसाब से लगता है तेरा उनसे कोई गहरा कनेक्शन है , आखिर क्यों मिलना है तुझे उनसे – मुन्ना ने दर्द से कराहते हुए कहा
“जान लेनी है उसकी – सत्या ने कहा
हाहाहाःहाहा तू भाई से जान मांगेगा और वो तुझे दे देगा हाहाहा अच्छा मजाक करता है रे तू – मुन्ना ने हँसते हुए कहा
सत्या – मजाक नहीं ये सच है बहुत जल्द वो मेरे ही हाथो मरेगा
मुन्ना – विष्णु को मारना इतना आसान नहीं है वो तेरे सामने होगा फिर भी तू उसे मार नहीं पायेगा , पर तू है कौन ?
“बाबू – सत्या ने चिल्लाकर कहा – बलराम का बेटा , याद कर 13 साल पहले उसी विष्णु ने रघु के हाथो मेरे माँ बाप की हत्या करवा दी थी , और मुझे उनके कत्ल के इल्जाम में जेल भिजवा दिया था 12 साल पूरे 12 साल से मैं ये बदले की आग अपने सीने में लेकर घूम रहा हु , उसे मरना होगा मेरे ही हाथो मरेगा वो
“ओह्ह तो तू उस बलराम का पिल्ला है , विष्णु भाई को मारना तो दूर तू उन्हें छू भी नहीं सकता ,, और जिस रघु ने तेरे माँ बाप को मारा था वो तो कबका मर चुका ,, विष्णु…….. विष्णु भाई ने उसे भी बलराम के पास पहुंचा दिया ताकि चैन्नई पर सिर्फ विष्णु भाई का नाम चल सके !! और तू यहां खाली विष्णु भाई के लिए नहीं आया है तू आया है उस लोंड़िया के लिए .. क्या……… क्या नाम है उसका हाँ मधु !! हाँ वो ही उसे भी उस दिन रघु और उसकी बीवी के साथ मार दिया होता लेकिन वो भाग गयी – मुन्ना ने कहा
मधु का नाम सुनकर सत्या ने गन फेंक दी और मुन्ना की कॉलर पकड़ कर कहने लगा – मधु……मधु जिन्दा है कहा है वो बोल बोल कहा है वो ए ए मुन्न्ना मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हु बता मधु कहा है ,, 1 साल से उसे ढूंढ रहा हु उसे देखने के लिए तरस गया हु प्लीज़ बता मधु कहा है ,, मुन्ना बता वो कहा है
यही ……. यही तड़प देखना चाहता था मैं तेरी आँखों में जानता हु वो लड़की तेरी कमजोरी है ………… वो क्या कहते है जूनून ,,, जूनून है वो लड़की तेरे लिए पर वो लड़की तुझे कभी नहीं मिलेगी तू ऐसे ही ऐसे ही उसके लिए तड़पता रहेगा पर उसे ढूंढ नहीं पायेगा – मुन्ना ने हँसते हुए कहा
सत्या ने एक घुसा मुन्ना के मुंह पर दे मारा तो मुन्ना फिर हंसने लगा और कहा – मार और मार जितना मारना है मार ले लेकिन ना तू विष्णु को ढूंढ पायेगा ना उस लड़की को , अगर मैं जानता वो लड़की कहा है तो उसे अब तक कबका मार चुका होता मैं ,, लेकिन वो कहा है ये कोई नहीं जानता , हां ये पता है की वो जिन्दा है
सत्या घुटनो के बल बैठ गया और अपना चेहरा झुका लिया आँखों से गिरते आंसू जमीन को भीगाने लगे , उन आसुंओ की बूंदो में बचपन की मधु का अक्स नजर आने लगा , पहली बार सत्या खुद को इतना बेबस और मजबूर महसूस कर रहा था , उसने मुन्ना की तरफ देखा और कहा – वो दोनों कहा है उन्हें मैं ढूंढ निकालूंगा …
मुन्ना हंसने लगा उसकी हंसी सत्या के सीने में फंास बनकर चुभने लगी उसने पास पड़ी बन्दुक उठायी और सारी की सारी गोलिया मुन्ना के सीने में दाग दी , वो मर चुका था … सत्या वहा से बाहर निकला और सीधा रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ गया लेकिन उसका मन नहीं किया और वो वापस अपने होटल चला गया वो कुछ दिन बंगलौर ही रुकना चाहता था ताकि विष्णु के बारे में पता लगा सके !!

इधर ददु को गुजरे एक महीना हो चूका था , सब पहले जैसा चलने लगा ,, पर वैष्णव और वैदेही अच्छे दोस्त बन चुके थे , वैष्णव अकसर वैदेही के साथ ही नजर आता था जब भी वैदेही को मदद की जरुरत होती वह उसके लिए हाजिर रहता .. इस एक महीने में वैदेही कई बार जाकर कुमार से मिली लेकिन कुमार भी नहीं जानता था सत्या कहा है , आखरी बार जब वैदेही कुमार से मिली तो उसे अपना नंबर दिया और कहा सत्या जब भी आये उसे फोन करे …
वैदेही लौट आयी और कुमार के फोन का इंतजार करने लगी एक शाम कुमार का फोन आया उसने बताया की सत्या आ गया है उसने वैदेही को झील किनारे आने को कहा , वैदेही जल्दी से अपने कमरे से बाहर आयी और जाने लगी वैदेही को जल्दी में देखकर वैष्णव ने साथ चलने का पूछा तो वैदेही ने मना कर दिया और वहा से चली गयी … वैदेही झील किनारे पहुंची सत्या वहा उदास पत्थर पर बैठा पानी में कंकर फेंक रहा था इतनी कोशिशों के बाद भी वह विष्णु और मधु का पता नहीं लगा पाया
वैदेही को वहा देखकर सत्या उठकर जाने लगा वैदेही उसे रोकने के लिए उसके सामने आ गयी सत्या दूसरी तरफ से जाने लगा तो वैदेही ने उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा – आखिर कब तक भागते फिरोगे मुझसे ?
सत्या ने पलटकर गुस्से से वैदेही की तरफ देखा तो वैदेही ने सत्या का हाथ छोड़कर कहा – तुम चाहती क्या हो ?
“उन सवालों के जवाब चाहती हु मैं जिन सवालों ने मुझे तुम्हारी यादो से बांध रखा है – वैदेही ने अपनी आँखों में आये आंसुओ को रोकते हुए कहा
“कहो क्या कहना है – सत्या ने शांत भाव् से कहा
“जब तुम्हे पहली बार देखा तुम मुझे अच्छे लगे , तुमने छुआ तो लगा किसी अपने ने छुआ है , तुम्हारी आँखों में देखा तो उसमे एक गहराई थी जिसमे डूबने का दिल किया , वो चंद घंटो का सफर मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत सफर बन गया l मार्किट में जब तुमने पहली बार मुझे किस किया उसी पल मैं तुम्हारी हो गयी थी ,, तुम्हारे बिना खुद को अधूरा महसूस करने लगी थी और जब पुरे महीने तुम मुझे दिखाई नहीं दिए तो मेरा मर जाने को मन किया ……………. ये प्यार ही तो है सत्या , मैं नहीं जानती मैं तुमसे इतना प्यार क्यों करती हु पर कुछ तो है हमारे बिच जो मुझे तुम्हे भूलने नहीं देता l तुम्हारे इंकार की वजह क्या है मैं नहीं जानती – वैदेही की आँखों से आंसू छलक आये
सत्या ने नजरे फेर ली तो वैदेही उसके करीब आयी और कहा – क्यों कर रहे हो ऐसा , क्या कमी है मुझमे मुझे बताओ मैं खुद को तुम्हारे लायक बनाने के लिए सब करुँगी बस एक बार एक बार कह दो की तुम भी मुझसे प्यार करते हो , ऐसे खामोश रहकर मेरी जान मत लो
“क्योकि मैं किसी और से प्यार करता हु – सत्या ने वैदेही की तरफ देखकर कहा
वैदेही दो कदम पीछे हट गयी उसे लगा जैसे किसी ने उसे गहरे कुए में धकेल दिया है और वो गिरती जा रही है
“हां यही सच है मैं किसी और से प्यार करता है आज से नहीं 13 सालो से , एक हादसे ने मुझसे उसे छीन लिया , वो इस वक्त कहा है , कैसी है ,मैं नहीं जानता पर जब तक मैं हु उसे ढूंढने की हर कोशिश करूंगा , उसके अलावा किसी से प्यार तो क्या मैं किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता , उसका नाम………….. – सत्या के चेहरे पर दर्द छलक आया
सत्या आगे कह पाता उस से पहले ही वैदेही ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहा – तुम्हारे मुंह से किसी और का नाम सुन नहीं पाऊँगी …

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