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“इश्क़” एक जुनून – 3

Ishq – ak junoon – 3

Ishq - ak junoon - 3
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एंजेल्स होम में राघव के लिए सभी बहुत खुश थे , आज इतने सालो में राघव पहली बार सबके साथ मिलकर हंस रहा था , खेल रहा था l उस रात सब देर तक एक दूसरे के साथ ख़ुशी बांटते रहे ..
अगली सुबह वैदेही बैंक के किसी जरुरी काम से घर से निकल गयी अमित ने साथ चलने को कहा लेकिन वैदेही ने कहा उसे मार्किट में और भी काम है और वो वहा से निकल गयी , सड़क पर आकर उसने ऑटो वाले से बैंक चलने को कहा और अंदर बैठ गयी ऑटो वाला आगे बढ़ गया आगे ट्रैफिक के रेड सिंग्नल की वजह से ऑटो वाला रुक गया वैदेही ने घडी देखी उसे देर हो रही थी उसने जैसे ही दांयी तरफ देखा उसका मुंह खुला रह गया दायी तरफ गाड़ी में ड्राइवर सीट पर सत्या बैठा था वैदेही ने उसे देखते ही कहा – हाय
सत्या ने देखा और वापस सामने देखकर ट्रैफिक के क्लियर होने का इंतजार करने लगा लेकिन सत्या के बाजु में बैठा उसके दोस्त ने वैदेही के हाय का जवाब दे दिया वैदेही मुस्कुरा कर रह गयी ,, सिग्नल पर हरी बत्ती हो चुकी थी वैदेही कुछ कहती उस से पहले ही सत्या वहा से निकल गया l वैदेही बैंक पहुंची , बैंक में भी होने के कारण उसे काफी समय लग गया वहा से वह सीधा मार्किट चली गयी , मार्किट में घूमते हुए उसे फिर से सत्या मिल गया वो दौड़कर उसके पास गयी और फिर उसके साथ साथ चलने लगी , उसे देखकर सत्या ने अपने आप से कहा – ये फिर से आ गयी
“ए सत्या सुनो तो सही जबसे तुमसे मिली हु हर जगह बस तुम ही तूम नजर आते हो , खाते पीते सोते जागते उठते बैठते हर जगह तुम ही नजर आते हो , तुमसे मिलने का मन करता है , तुमसे बात करने का मन करता , तुम्हे प्यार भरे मेसेज भेजने का मन करता है पर मेरे पास तुम्हारा नंबर तक नहीं है ,- वैदेही नॉनस्टॉप बोले जाती है और सत्या चुपचाप तेजी से कदम बढ़ाये जाता है सत्या को चुप देखकर वैदेही अचानक से उसके सामने आ जाती है और कहती है
“मुझे तुमसे प्यार हो गया है सत्या i love you
ठीक है – सत्या वैदेही की तरफ देखे बिना कहता है
“ठीक है , क्या ठीक है मैंने तुमसे i love you कहा तो बदले में तुम्हे भी तो कुछ करना चाहिए
सत्या ने देखा सभी लोग वैदेही और उसकी तरफ देख रहे है उस चुप देखकर वैदेही ने फिर कहा – बोलो , क्या हुआ एक लड़की जा i love you कहे तो जवाब में क्या कहना होता है ये भी नहीं पता तुम्हे , वैसे भी मेरे सामने अच्छे अच्छे की बोलती बंद हो जाती है , क्यों डर गए क्या तुम ?
सत्या ने एक गहरी साँस ली और आगे बढ़कर वैदेही के चेहरे को अपने हाथो में थामकर उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये कुछ देर वैसे ही रहा और फिर उसे खुद से दूर करके कहा – अगली बार मेरे आस पास भी दिखी ना तो हमेशा के लिए मुंह बंद कर दूंगा !!
सत्या वहा से चला गया लेकिन वैदेही वही खड़ी उसे जाते हुए देखती रही और फिर खुद से कहा – शादी करुँगी तो सिर्फ तुमसे ,देखना एक दिन तुम खुद मुझे ढूंढते हुए आओगे !!
उधर सत्या उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था आखिर क्यों उसने वैदेही को किस किया ,,

एक सप्ताह निकल गया एक सुबह वैदेही अपने ऑफिस में बैठकर कुछ काम कर रही थी तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी वैदेही ने देखा सामने “वैष्णव अन्ना” अपने कुछ आदमियों के साथ खड़े थे वैदेही ने उन्हें अंदर आने को कहा , वैष्णव ने अपने आदमियों से बाहर रुकने को कहा और खुद अंदर आ गया वैदेही को अपना परिचय दिया और कॉम्पिटिशन वाली रात के बारे में बताया तो वैदेही उन्हें पहचान गयी और उन्हें बैठने को कहा , वैष्णव् ने अपना चश्मा उतारकर टेबल पर रखा और वैदेही की और मुखातिब होकर कहने लगा
वैदेही जी मैं आपसे बहुत प्रभावित हु , आपके बारे में जाना तो मुझे ये अहसास हुआ की इतनी कम उम्र में आप कितनी समझ रखती है , आप जो कुछ इन बच्चो के लिए कर रही है वो वाकई काबिले-तारीफ है
“जी आप मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रहे है , ये सब मैं सिर्फ अपने लिए कर रही हु मैं भी इनकी ही तरह अनाथ जो हु
अरे नही वैदेही जी हम सबके होते आप अनाथ कैसे हो सकती है , और ये तो आपका बड़प्पन है जो आप इन बच्चो को अपना परिवार मानती है इनके साथ अपना सुख दुःख बांटती है ,, – वैष्णव ने अपनी बातो में मिठास घोलते हुए कहा
वैदेही ने मुस्कुराते हुए कहा – शुक्रिया कहिये मैं आपके लिए क्या कर सकती हु
वैष्णव – वैदेही जी बिजनेस करके मैंने बहुत रुपया कमाया है लेकिन सुकून नहीं कमा सका आपके साथ मिलकर इन बच्चो को एक बेहतर जिंदगी देना चाहता हु अपनी कमाई का एक हिस्सा अगर मैं इन लोगो की भलाई ने लगा पाया तो मैं खुद को आपका आभारी समझूंगा
वैदेही – सर आपका बड़प्पन है जो आप ऐसा सोचते है , आप चाहे तो हमारा फॉउंडेशन जॉइन कर सकते है मुझे बहुत ख़ुशी होगी …
वैष्णव – जी हां बिल्कुल ! बताईये इसके लिए मुझे क्या करना होगा
“आप ये फॉर्म भर दीजिये – वैदेही ने फॉर्म वैष्णव की तरफ बढ़ाते हुए कहा
वैष्णव ने फॉर्म भरकर वैदेही को दे दिया वैदेही ने फॉर्म फाइल में लगा दिया और फिर वैष्णव को एंजेल्स होम दिखाने लगी वैष्णव उसके साथ चल रहा था वैदेही के बालो से आती खुशबू जैसे उसे मदहोश किये जा रही थी , वैदेही ने वैष्णव को सबसे मिलवाया और फिर एक रिबन से बना फूल वैष्णव के कोट पर लगा दिया , वैष्णव बस एकटक उसे घूरे जा रहा था , जाते हुए वैदेही ने वैष्णव से हाथ मिलाया और फिर अंदर चली गयी

वैष्णव अपने आदमियों के साथ वहा से चला गया लेकिन उसके बाद वह हर एक दो दिन से वहा आने लगा और बच्चो के साथ साथ वैदेही के लिए भी तोहफे ले आता ,, सभी वैषणव को पसंद करते थे पर अमित को वैष्णव का वैदेही के करिब आना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था ‘ इधर अमित की फीलिंग्स से अनजान वैदेही दिन रात बस सत्या के खयालो में खोयी रहती थी सत्या कभी कभार उसे रास्ते में मिल भी जाता तो उसकी तरफ ध्यान नहीं देता और इग्नोर करके निकल जाता पर वैदेही ना जाने क्यों फिर भी सत्या को चाहती थी !! एक शाम सत्या को कही से खबर मिली और वो सीधा नाईट बार जा पहुंचा वहा बैठकर वह किसी का इन्तजार करने लगा जैसे ही वो आया सत्या सीधा उसकी तरफ लपका लेकिन सत्या उस से कुछ पूछ पाता इस से पहले ही उस आदमी को शक हो गया और वो वहा से भागने लगा , आगे आगे वो आदमी दौड़े जा रहा था पीछे सत्या रात का वक्त सड़को पर गाड़ियों के जमघट के बिच दोनों भागे जा रहे थे ,, गुस्से में सत्या का चेहरा और खतरनाक लग रह था वो और तेजी से दौड़ने लगा तभी आगे भाग रहा आदमी उलझ कर गिर पड़ा ,, सत्या ने कॉलर पकड़ कर उसे उठाया और घसीटता हुआ साइड में लेकर गया और एक घुसा उसके मुंह पर मारा और फिर उसे इतना मारा की वो अधमरा हो गया , सत्या गुस्से में इधर उधर देखने लगा तो उस आदमी ने मुश्किल से कहा – क्यों मार रहा है मुझे चाहता क्या है तू ?
मुन्ना कहा है – सत्या ने अपने दांत पिसते हुए कहा
“मैं किसी मुन्ना को नहीं जानता’ – आदमी की आँखों में डर के भाव साफ दिखाई दे रहे थे
सत्या ने गन निकाली और उसकी कनपटी पर लगाकर कहा – देख मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है सच सच बता मुन्ना कहा है
‘बताता हु मुझे मारना मत – आदमी ने डरते हुए कहा
सत्या ने गन हटा ली तो वह कहने लगा – मैं सच में नहीं जानता मुन्ना कहा मैं सिर्फ उसके लिए काम करता हु मैंने आज तक उसे ना देखा है ना कभी मिला हु , उसका खास आदमी खालिद ही मुझसे माल की डील करता है वो तुम्हे मुन्ना तक पहुंचा सकता है”
‘खालिद कहा मिलेगा? – सत्या ने गुस्से में पूछा
” वो कहा है मैं नहीं जानता पर 10 दिन बाद वो माल क डिलीवरी देने जरूर आएगा उसी बार से दो किलोमीटर दूर मेरा घर है वहा वो तुम्हे मिल जाएगा – आदमी ने दर्द से कराहते हुए कहा
सत्या वहा से उठकर जाने लगा तो उस आदमी ने पीछे से तड़पकर कहा – पर तू है कौन ?
सत्या ……………. – सत्या चलते हुए कहा और हाथ पीछे करके गोली चला दी , गोली सीधा जाकर उस आदमी के सीने मे लगी और वो वही ढेर हो गया … चलते हुए सत्या अँधेरे में गुम हो गया l
सत्या का दोस्त कुमार उसका इंतजार कर रहा था , सत्या को गुस्से में देख वह सहम गया ….

अगले दिन सत्या पुरे दिन कमरे में ही लेटा रहा उसने कुमार को खाना लाने बाहर भेजा और खुद आँख बंद करके लेट गया .. कुमार रेस्टोरेंट पहुंचा और खाना पैक करवाने लगा तभी उसकी नजर वैदेही पर पड़ी वो सामने बैठी उसे ही घूर रही थी l कुमार ने वहा से निकलने में ह भलाई समझी जैसे ही वो वहा से निकला वैदेही ने उसे रोक लिया कुमार के पूछने पर उसने सत्या का नंबर और एड्रेस मांगा पर कुमार ने मना कर दिया ,, वैदेही उस से बार बार रिक्वेस्ट करने लगी लेकिन कुमार नहीं माना तो वैदेही ने बताया की कल उसका जन्मदिन है और वो चाहती है की सत्या भी उसके जन्मदिन पर आये or बस इसलिए वो खुद सत्या को इन्वाइट करना चाहती थी ,,
“ठीक है आज शाम को तुम इस जगह आ जाना मैं तुम्हे उस से मिलवा दूंगा – कहकर कुमार मुस्कुरा दिया वैदेही खुश होकर वहा से चली गयी , कुमार भी आगे बढ़ गया वो जानता था की वैदेही सत्या से बहुत प्यार करती है पर उसे डर था कही सत्या उसका दिल ना तोड़ दे …. कुमार खाना लेकर पहुंचा दोनों ने खाना खाया और फिर सत्या किसी से फोन पर बात करते हुए बाहर चला गया …
शाम को वैदेही कुमार के बताये एड्रेस पर पहुंची कुमार उसे पहले ही मिल गया वैदेही ने कुमार से सत्या के बारे में पूछा तो कुमार ने दूर खड़े सत्या की तरफ ऊँगली से इशारा कर दिया , सत्या किसी से फोन पर बात कर रहा था वैदेही उसके पास आयी वैदेही को वहा देखकर सत्या चौंक गया और फोन जेब में रखकर वहा से जाने लगा वैदेही ने उसे रोकने के लिए उसका हाथ पकड़ लिया तो सत्या को गुस्स्सा आ गया उसने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और कहा – तुम्हे एक बार बोलने से कुछ समझ नहीं आता क्या बार बार क्यों इस तरह तुम मेरे सामने चली आती हो , मुझे तुम में कोई इंट्रेस्ट नहीं है अब जाओ यहाँ से ‘सत्या चिल्ला उठा
“पर मैं तो तुमसे………… वैदेही अपन बात पूरी कर पाती उस से पहले ही सत्या पलटा और अपना हाथ वैदेही की तरफ उठाया पर बिच में रोक लिया और एक बार फीर वैदेही से कहा – जाओ यहाँ से

सत्या का गुस्सा देखकर वैदेही अंदर तक काँप गयी उसकी आँखो में आंसू आ गए , वो वहा से चली गयी … कुमार ने वैदेही की आँखों में आंसू देखे तो सत्या के पास आया और कहा – क्या हो गया है तुझे वो यहां सिर्फ तुझे अपने जन्मदिन के लिए इन्वाइट करने आयी थी और तूने चिल्लाकर उसे यहाँ से भेज दिया , क्या तेरे सीने में दिल नही है , तेरे ऐसे व्यवहार से किसी को कितना बुरा लगता है जानता भी है तू
‘नहीं जानता और जानना चाहता भी नहीं , जब तक मैं उसे ढूंढ नहीं लेता मैं चैन से नही बैठूंगा , समझा तू l मेरी आँखों के सामने उसने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया जब तक उसे खत्म् ना कर दू तब तक मैं और कुछ नहीं सोच सकता – कहकर सत्या वहा से चला गया कुमार वही खड़ा सत्या के बारे में सोचता रहा “आखिर कौन था वो जिसे ढूंढने के लिए सत्या इतना बैचैन था , कुमार सत्या के बारे में कुछ नहीं जानता था बस पिछले 6 महीने से दोनों अच्छे दोस्त थे , ना ही सत्या ने कभी कुमार को अपने बारे में कुछ बताया था मार सत्या के पीछे पीछे चल पड़ा l
अगले दिन एंजेल्स होम में सभी वैदेही के जन्मदिन की तैयारी करने में लगे थे .. लेकिन वैदेही उदास सी अपने कमरे में बैठी थी सारी तैयारियां हो चुकी थी सब बच्चे , अमित , ददु वैदेही का इन्तजार कर रहे थे ,, मिस्टर वैष्णव भी आ चुके थे ,, वैदेही ने देखा सब बहुत खुश है उन लोगो की ख़ुशी के लिए ही वैदेही तैयार होकर निचे आ गयी
सत्या किसी से बचने के लिए भागता हुआ एंजेल्स होम में घुस गया और फिर भीड़ में सबके पीछे जाकर खड़ा हो गया ,, वैदेही ने केक काटा सभी तालिया बजाने लगे सत्या की नजर वैदेही पर पड़ी तो वह चौंक गया उसने पास खड़े आदमी से पूछा तो उसने वैदेही के बारे में सब बता दिया , सत्या को अपनी गलती का अहसास हुआ ,, वो वैदेही को देखने लगा कैसे वो सबके साथ हंसती मुस्कुराती अपना जन्मदिन मना रही थी ,, वैदेही ने सभी बच्चो को एक ग्रुप में बैठने को कहा सभी बैठ गए सत्या भी आकर उनके बिच घुटनो वैदेही दूसरी तरफ जाकर प्लेट में केक रखकर ले आयी ,, वैदेही एक एक करके सबको अपने हाथो से केक खिलाने लगी जैसे ही वह सत्या के सामने आयी सत्या को वहा देखकर चौंक गयी वो कुछ कहती उस से पहले ही सत्या बोल पड़ा – मैं भी इन लोगो की तरह अनाथ हु , थोड़ा सा अपने हाथ से मुझे भी खिला दो “

सत्या की बात सुनकर वैदेही की आँखों में आंसू आ गए उसने सत्या को केक खिलाया आज पहली बार सत्या की आँखों में आंसू थे .. सबको केक खिलाने के बाद वैदेही सत्या के पास आयी और कहा – तुम यहाँ ?
“कल के लिए सॉरी – सत्या ने कहां
वो……..वो तो मैं कबका भूल चुकी , रात गयी बात गयी – वैदेही ने मुस्कुराकर कहा
“तुम्हे बुरा नहीं लगा – सत्या ने कहा
‘जिनसे हम प्यार करते है , उनका गुस्सा , उनकी डांट , रूठना , चिढ़ना सब अच्छा लगता है – वैदेही ने कहा
“तुम पागल हो – सत्या ने वैदेही की तरफ देखकर कहां
हां तुम्हारे प्यार में – वैदेही ने सत्या की आँखों में देखते हुये कहा
सत्या दूसरी तरफ देखने लगा और फिर कहा – तुम बहुत अच्छी हो
तो फिर पप्पी दो – वैदेही ने अपना गाल आगे करते हुये कहा
वैदेही के मुंह से ये बात सुनकर सत्या की आँखों मे नमी आ गयी उसे 13 साल पहले की बात याद आ गयी जब मधु किसी भी अच्छी बात पर उसे हर बार ऐसे ही कहा करती थी l सत्या की आँखों में नमी देखकर वैदेही ने कहा – ए क्या हुआ मैं तो बस मजाक कर रही थी सॉरी
सत्या ने अपनी आँखों के किनारो को साफ किया तो उसकी नजर सामने खड़े शख्स पर गयी जो काफी देर से सत्या को घूर रहां था , सत्या कुछ देर वैदेही से बात करता रहा , वैष्णव ने वैदेही को आवाज दी तो वैदेही वहा से चली गयी सत्या भी जाने लगा और फिर ना जाने क्या सोचकर वो उस शख्स की तरफ गया जो उसे घूरकर देख रहा था
‘मैं तबसे देख रहा हु तू मुझे घूरे जा रहा है आखिर बात क्या है – सत्या ने कहा
“क्योकि मुझे वैदेही का तुमसे इस तरह हंसहंसकर बात करना अच्छा नहीं लग रहा था – अमित ने कहा
ओह्ह्ह ! पर क्यों – सत्या ने फिर पूछा
“क्योकी मैं उसे पसंद करता हु , और बहुत जल्द उसे अपने दिल की बात बताने वाला हु – अमित ने कहा
सत्या हंसने लगा और फिर कहां – देख तू जैसा सोच रहा है वैसा कुछ भी नहीं है , वो बहुत अच्छी लड़की है कभी उसका दिल मत तोड़ना और उसे हमेशा खुश रखना l
कहकर सत्या वहा से चला गया , और अमित सत्या के बारे में सोचता ही रह गया ….

वो दिन भी आ गया जिस दिन का सत्या को इन्तजार था वह उस आदमी के बताये पते पर पहुंचकर खालिद का इन्तजार करने लगा , शाम होने को आयी सत्या अभी भी वही बैठा था कुछ देर बाद खालिद आया लेकिन सत्या को देखकर जैसे ही भागने लगा सत्या ने उसके पैर पर गोली चला दी और वो दर्द से चिल्लाकर गिर पड़ा वह रेंगते हुए दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा सत्या ने उसका पैर पकड़ा और घसीटते हुए लाकर सोफे के सामने पटका , खालिद दर्द से तड़प उठा उसके पैर से खून रिसता हुआ कालीन को भिगो रहा था सत्या गन हाथ में लेकर उसके चारो तरफ चक्कर काटने लगा और फिर कहा
खालिद चौहान …… मुन्ना का खास आदमी तू यहाँ जिस मकसद से आया है वो पूरा कर मुझे कोई ऐतराज नहीं है पर उस से पहले मुझे सिर्फ इतना बता की मुन्ना कहा है l
“मैंने अगर बता दिया तो मुन्ना मुझे मार देगा – खालिद ने दर्द से कराहते हुए कहा
“अगर नहीं बताया तो मैं मार दूंगा , लेकिन तूने बता दिया क मुन्ना कहा है तो हो सकता है मैं तुझे छोड़ दू – सत्या ने गन उसकी गर्दन पर लगाकर कहा
खालिद को चुप देखकर सत्या ने उसका सर पास रखी टेबल पर दे मारा , सर से खुन बहने लगा खून देखकर खालिद बोखला गया और सत्या से कहने लगा – मैं तुम्हे बता दूंगा मुन्ना कहा खुदा के लिए मुझे बक्श दे मुन्ना इस वक्त बै……………
तभी खिड़की में खड़े किसी सख्स ने गोली चलायी और गोली सीधा जाकर खालिद के सीने मे लगी और वो गीर पड़ा वो शख्स भाग गया सत्या ने खालिद को सम्हाला उसमें जान अभी भी बाकि थी सत्या ने उस से फिर से मुन्ना के बारे में पूछा पर खालिद सिर्फ इतना ही बोल पाया “बैंगलोर’ और फिर उसकी धड़कन रुक गयी , वो मर चुका था
बैंगलोर – सत्या अपने आप में बुदबुदाया और फिर वहा से चला गया …

रात के 9 बज रहे थे सुनसान सड़क पर सत्या चलता जा रहा था , तभी किसी ने पीछे डंडे से उसके सर पर मारा सत्या लड़खड़ा कर गिर गया उसने खुद को सम्हाला तो देखा 8-10 लोग हाथो में हॉकी स्टिक , चैन , चाकू लिए खड़े है और सत्या को घूर रहे है , सत्या उठकर वही बैठ गया और मुस्कुराने लगा उसे मुस्कुराता देखकर उनमे से एक ने कहा – हंस ले इसके बाद तू हंसने लायक नहीं रहेगा
“जलती हुयी आग की चिंगारी को छेड़ो तो वो भी हाथ जला देती है , तूने तो फिर भी बारूद को छेड़ा है – सत्या ने अपने कपडे झाड़ते हुए कहा
बारिश होने लगी जैसे ही उनमे से एक सत्या की तरफ बढ़ा कुछ पल बाद निचे जमीन पर था , सत्या ने एक एक करके सबको पीटना शुरू किया ,, वो उन्हें मारता जा रहा था तभी उधर से एक रिक्शा गुजरा जिसमे वैदेही थी उसने सत्या को देखा तो वही रुक गयी सत्या ने पास लगा पाइप उखाड़ा और फिर सबको पीटने लगा , वे लोग जो कुछ देर पहले उसे रौब दिखा रहे थे अब उसके आगे हाथ जोड़ रहे थे , लेकिन सत्या कीसी की नहीं सुन रहा था वो बस उन्हें मारे जा रहा था , वो सभी वहा से उठकर भागने लगे , बस एक बच गया जो सत्या से छोड़ने की गुजारिश कर रहा था पर सत्या उसे मारे जा रहा था वैदेही दौड़कर सत्या के पास आयी और उसका हाथ पकड़कर रोते हुये कहा – वो मर जाएगा सत्या
वैदेही को यु अचानक वहा देखकर चौंक गया वो वैदेही की तरफ देख रहा था इतने में निचे गिरा वो आदमी वहा से उठकर भाग गया l सत्या ने हाथ मे पकड़ा पाइप जोर से जमींन पर दे मारा बारिश अभी भी जारी थी
“ये सब क्या है सत्या ? कौन है वो लोग ? आखिर क्यों पीछे पड़े है वो सब तुम्हारे ? – वैदेही ने चिल्लाकर कहा
सत्या चुपचाप खड़ा रहा तो वैदेही ने फिर से कहा – तुम ऐसे क्यों हो , क्या तुम्हे दर्द नहीं होता , क्या तुम्हारे पास दिल नहीं है मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानती फिर भी तुमसे प्यार किया लेकिन जब तुम्हे इस तरह देखती हु डर लगता है मुझे तुमसे , आखिर क्यों कर रहे हो तुम ये सब
” क्योकि ये मेरी हकीकत है – सत्या ने चिल्लाकर कहा
‘जो तुमने अभी देखा वही हु मैं , लोगो को मारना , पीटना यही काम है मेरा l बहुत बुरा इंसान हु मैं , एक क्रिमिनल हु मैं जो कत्ल के इलजाम में 12 साल जेल में रहकर आया है ,, मैं यहाँ किसी के लिए नहीं आया हु आया हु तो सिर्फ अपना मकसद पूरा करने , और उसके बिच अगर कोई आया तो मैं उसे नहीं छोडूंगा l 12 साल से मुझे उसकी तलाश है और मैं उसे ढूंढ कर रहूंगा – सत्या ने अपनी बात पूरी की

वैदेही भागकर उसके सीने से लग गयी और कहने लगी – मैं नहीं जानती तुम अच्छे इंसान हो या बुरे इंसान मैं बस इतना जानती हूँ की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हु , आज तक मैंने किसी के लिए वो महसूस नहीं किया जो तुम्हारे लिए करती हु , मैं तुम्हे खोना नहीं चाहती सत्या i love you , i love you so much
बारिश में भीगते हुए दोनों वैसे ही खड़े रहे और फिर सत्या ने वैदेही को खुद से अलग करके कहा – मैं एक खुनी हु
“तुम खुनी नहीं हो , तूम झूठ बोल रहे हो तुम्हारी आँखे साफ बता रही है की तुम झूठ बोल रहे हो … वैदेही ने कहां
“मुझे इन रिश्तो के बंधन में बांधने की कोशीश मत करो वैदेही , मैं कमजोर नहीं पड़ना चाहता बेहतर होगा तुम मुझे भूल जाओ – कहकर सत्या आगे बढ़ गया
वैदेही वही घुटनो के बल बैठी बारिश में भीगती रोती रही पर सत्या ने पलटकर नहीं देखा और फिर वैदेही की आँखों से ओझल हो गया ,वैदेही ने सत्या का गुस्सा और नफरत तो देखी थी पर उसकी आँखों में आये आंसुओ को नहीं देख पायी थी ,, सत्या नहीं चाहता था वैदेही उसके करीब आये या फिर आस पास भी रहे क्योकि वो जानता था की उसे नुकसान पहुंचाने वाला उसके करीबियों को नुकसान जरूर पहुचायेगा ,, न ही भूमि ये जानती थी की सत्या की जिंदगी में कोई और भी है जिसे सत्या खुद से भी ज्यादा चाहता है !!
मोहब्बत और नफरत की ये जंग सत्या और वैदेही को किस मोड़ पर लाएगी ये कोई नहीं जानता था ,, उस रात बहुत तेज बारिश हुई ऐसा लगा जैसे ये बारिश अपने साथ सब कुछ बहा ले जाएगी !!

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