Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 8

Tere Ishq Me – 8

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

साहिबा को पार्थ के साथ हँसते मुस्कुराते देखकर पल्लवी को लगने लगा की दोनों एक दूसरे को पसंद करते है , उनके बीच की बढ़ती नजदीकियां पल्लवी को ना जाने क्यों पसंद नहीं आ रही थी ? उसने साहिबा को गलत समझा और वहा से चली गयी , प्रिया और रुबीना को भी उसका व्यवहार अजीब लगा लेकिन उस वक्त माहौल इतना तनावभरा था की दोनों ने इस मामले में पल्लवी से बात करना सही नहीं समझा। पल्लवी के जाने के बाद रुबीना और प्रिया साहिबा के पास आयी और रुबीना ने कहा,”यार साहिबा अगर पल्लवी को पसंद नहीं तो तू उसके भाई से बात मत कर ना”
“क्यों ना करे ? क्या दिक्कत है ? पल्लवी को इतनी सी बात पर इतना ओवर रिएक्ट नहीं करना चाहिए”,प्रिया ने कहा
“पर यार इस से इसके और पल्लवी के बीच परेशानिया बढ़ जाएगी”,रुबीना ने कहा
“साहिबा तू सच बोल तुझे पार्थ पसंद है या नहीं ?”,प्रिया ने साहिबा को अपनी तरफ करके कहा
“साहिबा तू पार्थ के चक्कर में मत पड़ इस से तेरी और पल्लवी की दोस्ती खराब हो जाएगी , तुझे उस से भी अच्छे लड़के मिलेंगे”,रुबीना ने कहा
“साहिबा तू हाँ बोल आगे मैं देख लुंगी”,प्रिया ने कहा
“साहिबा ये सब मजाक में रहने दे”,रुबीना ने कहा
साहिबा खामोश खड़ी पल्लवी के बारे में सोच रही थी की आखिर उसे अचानक क्या हो गया ? वो ऐसे बिहेव क्यों कर रही है ? रुबीना और प्रिया की बक बक सुनकर जब उसे गुस्सा आया तो उसने कहा,”गाईज तुम दोनों प्लीज यहाँ से जाओ और मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो”
रुबीना और प्रिया वहा से चली गयी। संगीत खत्म हो चुका था और सभी वहा से घर जाने लगे। पल्लवी , रुबीना और प्रिया आकर गाडी में बैठ गयी। साहिबा को वहा ना देखकर पल्लवी ने पूछा,”साहिबा कहा है ?”
“पल्लवी दी वो मम्मी पापा के साथ चली गयी”,पार्थ ने गाड़ी का गेट खोलते हुए कहा
“तू हम लोगो के साथ चल रहा है ?”,पल्लवी ने पूछा
“नहीं मेरी बाइक यहाँ है तो मैं उसी से आऊंगा और थोड़ा काम भी है , आपके दोस्त है ना वो लक्ष्य भैया वो आ रहे है वो आपके साथ जायेंगे”,पार्थ ने कहा और कुछ सामान अंदर रखकर दरवाजा वापस बंद कर दिया। कुछ देर बाद लक्ष्य वहा आया और सबके साथ घर के लिए निकल गया। उन सबके जाने के बाद पार्थ मुस्कुराया और अपनी बाइक की चाबी घुमाते हुए आकर बाइक के पास खड़ा हो गया कुछ देर बाद अंदर से साहिबा आयी उसने देखा सब जा चुके है बस पार्थ अपनी बाइक के पास खड़ा है। साहिबा उसके पास आयी और कहा,”सब कहा गए ?”
“घर चले गए”.पार्थ ने कहा
“लेकिन मुझे छोड़कर”,साहिबा ने मासूमियत से कहा
“इसलिए तो हम रुके है , पल्लवी दी जिस गाड़ी में गयी है उसमे जगह नहीं थी तो उन्होंने कहा की मैं आपको ले आ जाऊ”,पार्थ ने कहा
“क्या पल्लवी ने कहा ?”,साहिबा ने हैरानी से पूछा क्योकि थोड़ी देर पहले ही पार्थ को लेकर पल्लवी ने उस से झगड़ा किया था
“हाँ आप कहो तो बात करवा देता हूँ”,कहते हुए पार्थ ने जैसे अपनी जेब से फोन निकाला साहिबा ने उसके सामने आकर कहा,”इट्स ओके रहने दो , चलते है”
पार्थ ने बाइक पर रखी अपनी जैकेट उठायी और पहनकर ख़ुशी ख़ुशी बाइक पर आ बैठा साहिबा भी उसके पीछे आ बैठी और हाथ उसके कंधे पर रख लिया। पार्थ और साहिबा दोनों को ही मिले अभी 24 घंटे ही हुए थे लेकिन दोनों ही एक अनजानी डोर में बंध चुके थे। साहिबा के साथ बाइक पर जाने का सोचकर पार्थ को अच्छा लग रहा था वही साहिबा परेशान थी पल्लवी के व्यवहार से उसने अचानक से ऐसी बातें क्यों की ?
साहिबा को खामोश देखकर पार्थ ने कहा,”वैसे आप दिल्ली में ही रहती है ?”
“हाँ , हाँ दिल्ली में ही हॉस्टल में”,साहिबा की तंद्रा टूटी
“हॉस्टल में क्यों आपका घर नहीं है ?”,पार्थ ने पूछा
“वो मेरे मम्मी पापा अब इस दुनिया में नहीं है तो खुद का घर भी नहीं है , बाकि रिश्तेदार तो उनके घर में रहना मुझे अच्छा नहीं लगता इसलिए हॉस्टल में रहती हूँ”,साहिबा ने बुझे मन से कहा
“ओह्ह आई ऍम सो सॉरी”,पार्थ ने कहा
“इट्स ओके”, साहिबा ने कहा
“वैसे आज आपने बहुत अच्छा डांस किया सभी तारीफ कर रहे थे”,पार्थ ने कहा
“थैंक्यू , आपने नहीं किया आपकी बहन की शादी है”,साहिबा ने कहा
“अरे हमे कहा आता है ? आप सीखा देना”,पार्थ ने झिझकते हुए कहा
अभी कुछ ही दूर चले थे की हल्की बारिश शुरू हो गई पार्थ को बाइक रोकनी पड़ी लेकिन तब तक दोनों भीग चुके थे। पार्थ ने बाइक साइड में लगाई साहिबा और पार्थ बाइक से उतरे और पास ही की दुकान पर आकर खड़े हो गए। पार्थ ने जैकेट पहना था इसलिए ज्यादा भीगा नहीं , उसने साहिबा की तरफ देखा जो की भीग चुकी थी , भीगने से साड़ी उसके बदन से चिपक रही थी जिस से उसके शरीर के उभार साफ साफ नजर आ रहे थे। पार्थ ने अपना जैकेट उतारा और साहिबा की तरफ बढाकर कहा,”आप ये पहन लो”
“अरे नहीं मैं ठीक हूँ”,साहिबा ने कहा
“पहन लीजिये भीग गयी है आप”,पार्थ ने कहा तो साहिबा ने उसका जैकेट ले लिया और पहन लिया। कुछ देर बाद बारिश रुकी और दोनों वापस घर जाने के लिए निकल गए। साहिबा को पार्थ का पॉजिटिव ऐटिटूड अच्छा लगा उसके पीछे बैठकर वह उसी के बारे में सोच रही थी की नजर अपने हाथ पर चली गयी जो की पार्थ के कंधे पर रखा हुआ था। साहिबा को अपना हाथ वहा बहुत अच्छा लग रहा था !

साहिबा को लेकर पार्थ घर पहुंचा। पल्लवी ,रुबीना और प्रिया पहले ही सबके साथ घर पहुंच चुकी थी। पल्लवी अभी भी साहिबा से नाराज थी लेकिन क्यों थी ये कोई नहीं जानता था ? उसका बिगडा हुआ मूड देखकर रुबीना और प्रिया ने भी कुछ पूछना सही नहीं समझा। साहिबा पार्थ के साथ घर में दाखिल हुई उसने पार्थ का जैकेट पहना हुआ था उसे देखते ही चाची उसके पास आयी और कहा,”अरे बेटा तुम दोनों कहा रह गए थे मौसम भी खराब था , अच्छा हुआ आ गए जाओ जाकर कपडे बदल लो मैं चाय भिजवाती हूँ”
“जी आंटी”,कहकर साहिबा वहा से चली गयी। उसे याद भी नहीं रहा की उसने पार्थ को उसकी जैकेट वापस नहीं दी है। पल्लवी नीचे अपने पापा के साथ बातो में लगी थी उसने एक नजर साहिबा की और देखा जो की ऊपर जा रही थी। पार्थ पल्लवी और अपने पापा की तरफ आया और सोफे के हत्थे पर बैठते हुए कहा,”पापा लकी भैया और मौसाजी गेस्ट हॉउस में ही रुक गए उन्होंने कहा है की वो वहा सब देख लेंगे , बाकि कल शादी के सारे फंक्शन वही होने है तो सुबह सबको जल्दी निकलने को कहा है”
“साहिबा कहा है वो तुम्हारे साथ आयी थी क्या ?”,पल्लवी ने अजीब नजरो से पार्थ को देखते हुए कहा
“हाँ दी वो आप सब लोग निकल गए थे गेस्ट हॉउस से तो मैं उसे अपने साथ ले आया”,पार्थ ने कहा
“अच्छा पार्थ साहिबा दिखे तो उस से कहना मैंने उसे बुलाया है”,पार्थ के पापा ने कहा
“आपको उस से क्या काम है पापा ?”,पल्लवी ने एकदम से पूछ लिया
“अरे बेटा आज वो शुक्ला जी आये थे हल्दी में उन्होंने तुम्हारी सहेली को देखा तो उन्हें वह बहुत पसंद आयी , उनका लड़का है दिल्ली में और साहिबा भी दिल्ली में ही रहती है अगर दोनों बच्चे आपस में एक दूसरे को पसंद करते है तो अच्छा रहेगा”,पार्थ के पापा ने जैसे ही कहा पार्थ के चेहरे से मुस्कराहट एकदम से गायब हो गयी जिसे पल्लवी ने देख लिया। पार्थ उठकर वहा से चला गया। पल्लवी कुछ देर अपने पापा के पास रुकी और फिर ऊपर अपने कमरे में चली आयी
साहिबा कमरे में आयी जैसे ही उसने पार्थ के जैकेट को उतारा एक अनछुआ अहसास उसे हुआ। साहिबा उस जैकेट को हाथ में लिए छूकर देखने लगी। ऐसा करते हुए उसे ध्यान नहीं रहा की पल्लवी , रुबीना और प्रिया उस कमरे में आ चुकी है। साहिबा ने उन्हें देखा तो एकदम से जैकेट को पास पड़ी कुर्सी पर रख दिया। पल्लवी एक बार फिर उसके सामने खड़ी थी और पल्लवी ने अपने दोनों हाथ बांधते हुए कहा,”क्या अब भी तुम्हे नहीं पता मैं तुमसे क्या कहना चाहती थी ?”
“पल्लवी मैं,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,साहिबा ने कहना चाहा तो पल्लवी ने उसे रोकते हुए कहा,”मैं क्या साहिबा ? तुम्हारी आँखों में साफ साफ दिख रहा है की तुम पार्थ को चाहने लगी हो , ये जानते हुए भी की वो मेरा भाई है और तुमसे उम्र में छोटा है। साहिबा इस घर के लोग तुम्हे इस घर का सदस्य समझते है। मम्मी पापा तुम्हे अपनी बेटी मानते है इन सबके बावजूद तुम पार्थ के लिए अपने दिल में फीलिंग्स कैसे रख सकती हो ? तुम बहक रही हो साहिबा , जो कर रही हो वो सही नहीं है। तुमसे सबसे झूठ बोल सकती हो लेकिन मुझसे नहीं , कहती क्यों नहीं की तुम्हे प्यार हो गया है उस से”
पल्लवी की बातें सुनकर साहिबा को गुस्सा आ गया और उसने थोड़ी तेज आवाज में कहा,”हां हो गया है प्यार तो क्या नाचू ? ( इसके बाद उसकी आवाज अपने आप धीमी हो जाती है और उसमे से एक अजीब सा दर्द छलकने लगता है) जब दिल्ली स्टेशन पर उसे पहली बार देखा था तभी वो इन आँखों में उतर गया था तब नहीं पता था वो तुम्हारा भाई है , जब बार बार मेरी नजरो ने उसे देखा तो अहसास हुआ की उस से कुछ तो रिश्ता है मेरा तब भी मुझे नही पता था वो तुम्हारा भाई है , यार आ गया पसंद , हो गया प्यार , मिल गए इन जैसे दोस्त , बना दिया पसंद को प्यार लेकिन इन सबसे मैं गलत साबित कैसे हो गयी ? किसी को पसंद करना गलत है क्या ? उसका दो मिनिट मुझसे हंसकर बात करने से , मेरे साथ खाना खाने से , मेरे साथ घूमने से ये कैसे साबित हो गया की मैं बहक रही हूँ ,, ऐसी क्या गलत हरकत की मैंने तुम्हारे घरवालों के सामने जिस से उन्हें मुझसे परेशानी हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,हंसी मजाक की बातो को तुमने इतना बड़ा इशू बना दिया है ,, उस बन्दे ने तो आकर मुझसे नहीं कहा ना की वो मुझे पसंद करता है , मुझे चाहता है , फिर मेरे पसंद करने या ना करने से क्या फर्क पड़ता है”
‘लेकिन साहिबा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,जैसे ही प्रिया ने कहना चाहा साहिबा ने उसे रोकते हुए कहा,”चुप , बिल्कुल चुप तुम दोनों हर बात सही कहती हो लेकिन गलत वक्त पर कहती हो , हर पसंद प्यार नहीं होती और हर प्यार मुकम्मल नहीं होता”
कहते हुए साहिबा गुस्से में वहा से चली जाती है पल्लवी उसे रोकने की कोशिश भी नहीं करती है बस खामोश खड़ी रहती है , रुबीना और प्रिया उसे सम्हालती है। पल्लवी के व्यवहार से साहिबा के मन को बहुत ठेस पहुँचती है ,जिस लड़की को वह अपना सब कुछ मानती थी आज उसी ने उसे समझने की कोशिश नहीं की। नीचे सभी घरवाले जमा रहते है साहिबा ऐसी हालत में उनके सामने नहीं जाना चाहती इसलिए ऊपर छत पर चली आती है और आकर दिवार के पास खड़े होकार सामने खाली पड़े आसमान को देखने लगती है। उसका मन बहुत भारी था और आँखे आंसुओ से भरी हुई थी। आज पहली बार उसे अपने माँ-बाप की कमी महसूस हो रही थी। साहिबा कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी इसलिए अपने आंसुओ को अपनी आँखों में ही रोक लिया। उसका चेहरा उदासी से घिर गया उसकी आँखों के सामने पल्लवी के साथ बिताये पल एक एक करके आने लगे। साहिबा को इस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा था हाँ ये सच था वह पार्थ को चाहने लगी थी लेकिन पार्थ से ज्यादा जरुरी उसके लिए पल्लवी की दोस्ती थी वह किसी भी हाल में पल्लवी को हर्ट करना नहीं चाहती थीं।

साहिबा देर तक वहा खड़ी रही कुछ देर बाद प्रिया वहा आयी और आकर साहिबा के बगल में खड़े हो गयी और कहा,”पल्लवी को तुमसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी ,, हम सबके साथ मिलकर उसी ने ये मजाक शुरू किया था और अब वही,,,,,,,,,,,,,!!”
“छोड़ ना दोस्त है उसे हक़ है ये सब बोलने का,,,,,,,,,,तुम जाकर सो जाओ”,साहिबा ने सामने देखते हुए कहा
“और तुम ?,,,,,,,,,,,,तुम भी नीचे चलो”,प्रिया ने कहा
“मैं कुछ देर अकेले रहना चाहती हूँ , तुम जाओ मैं थोड़ी देर में आ जाउंगी”,साहिबा ने कहा
“ओके”,प्रिया जाने लगी तो साहिबा ने कहा,”प्रिया,,,,,,,,,,,,!!
“हां साहिबा”,प्रिया ने पलटकर कहा
“क्या पल्लवी की तरह तुम्हे भी लगता है की मैंने कुछ गलत किया ?”,साहिबा ने अपना दिल मजबूत करके कहा
“नहीं , मुझे ऐसा नहीं लगता”,प्रिया ने कहा और वहा से चली गयी ,, अब तक जिन आंसुओ को आँखों में रोक रखा था उनमे से एक आंसू उसकी आँख से छलककर नीचे जा गिरा।

अगली सुबह सब सो रहे थे साहिबा ने अपना बैग उठाया और पल्लवी के बिस्तर की तरफ आयी जहा मेहँदी रचे हाथो के साथ पल्लवी सो रही थी। साहिबा ने मुस्कुराते हुए उसकी बलाये ली और हाथ में पकड़ा एक लेटर उसके बगल में रखकर वहा से चली गयी। नीचे आयी तो देखा सब सो रहे थे। साहिबा बिना किसी से मिले अपना बैग लिए वहा से चली गयी। साहिबा रेलवे स्टेशन चली आयी उसने दिल्ली के लिए ट्रेन की टिकट ली और बेंच पर बैठकर ट्रेन के आने का इंतजार करने लगी।
उधर सुबह पल्लवी जब उठी तो देखा साहिबा कमरे में नहीं थी वह उठकर बाथरूम चली गयी। लेटर उसकी नजर में नहीं आया। पल्लवी जब वापस आयी तो उसने देखा प्रिया और रुबीना अपने हाथ में एक लेटर बैठी है। पल्लवी उनके पास आयी और कहा,”क्या हुआ और और ये तुम्हारे हाथ में क्या है ?”
प्रिया ने लेटर पल्लवी को दे दिया पल्लवी ने लेटर पढ़ना शुरू किया
“डिअर पल्लवी ,
तुम मेरी इकलौती ऐसी दोस्त हो जिसे मैंने कभी दोस्त नहीं समझा बल्कि अपनी फॅमिली समझा। हां ये सच था की मैं पार्थ को पसंद करती हूँ लेकिन तुम्हारी दोस्ती के सामने हजारो पार्थ कुर्बान है। मुझे लगा तुम तो मेरी भावनाओ को समझोगी लेकिन शायद मैं गलत थी। मैं वापस दिल्ली जा रही हूँ यहाँ रहकर मैं तुम्हारे दुःख का कारण बनना नहीं चाहती। टेबल पर तुम्हारी शादी का तोहफा रखा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,शादी मुबारक हो !!” साहिबा

पल्लवी ने जैसे ही पढ़ा उसकी आँखों से आंसू निकलकर बहने लगे और खत पर आ गिरे। प्रिया उसके पास आयी और कहा,”कल रात तुमने उस से जो कहा उसे बहुत हर्ट हुआ है पल्लवी। वो तुम पर बहुत भरोसा करती है तुम्हे बहुत मानती है। साहिबा की इन सब में कोई गलती नहीं थी हम सबने मिलकर उसे इस सिचुएशन में डाल दिया था अब शायद वो नहीं आएगी”
पल्लवी ने अपने आंसू पोछे और टेबल के पास चली आयी जहा दो गिफ्ट रखे थे एक अश्विनी के नाम से और दूसरा पल्लवी के नाम से , पल्लवी ने जल्दी से वो तोहफा खोला देखा तो उसकी आँखों से आंसू फिर बहने लगे। उसे से कही अपनी बात याद आ गयी “अगर कोई मेरा सच्चा हमदर्द होगा तो वो मुझे ये झालर वाली पायल जरूर तोहफे में देगा और चाहेगा की ये हमेशा मेरे पैरो में बजती रहे”
पल्लवी के हाथ में साहिबा की दी हुई पायल थी जिनका जिक्र वो हमेशा साहिबा से किया करती थी ,पल्ल्वी ने उन्हें हाथ में लेकर अपने होंठो से लगा लिया और आँखे मूंद ली आँखों के आंसू गालो पर लुढ़क आये”

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क्रमश – Tere Ishq Me – 9

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संजना किरोड़ीवाल

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