Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 15

Tere Ishq Me – 15

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

खाना खाने के बाद सभी वापस होटल के लिए निकल जाते है। बार में जो कुछ भी हुआ उस से सबका मूड ऑफ हो जाता है। प्रिया रुबीना और लक्ष्य पार्थ और साहिबा को वहा इसलिए लेकर आये थे ताकि दोनों के बीच की दूरिया कम हो जाये लेकिन यहाँ तो बात और बिगड़ चुकी थी। होटल आने के बाद सभी गाडी से नीचे उतरे और अंदर चले आये। साहिबा होटल के लॉन में चली आयी और आकर वहा पड़ी बेंच पर बैठ गयी। रात के 12.30 बज रहे थे। साहिबा ख़ामोशी से बैठी जमीन को देखे जा रही थी। आज पार्थ ने जो किया वो कही ना कही साहिबा के मन को तकलीफ पहुंचा रहा था। प्रिया ने देखा साहिबा अपने कमरे में नहीं है तो सब उसे ढूंढते हुए नीचे चले आये। लॉन में आकर लक्ष्य ने साहिबा को जब बेंच पर बैठे देखा तो कहा,”वो रही साहिबा”
प्रिया साहिबा की तरफ जाने लगी तो मेहुल ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”आई थिंक इन दोनों को आपसे में बात करनी चाहिए तुम में से कोई उसके पास नहीं जाएगा , पार्थ तुम जाओ ,, इस वक्त उसे सबसे ज्यादा तुम्हारी जरूरत है”
पार्थ ने मेहुल की तरफ देखा और फिर बेंच की तरफ चला आया। बेंच के एक कोने पर उदास आँखे लिए साहिबा खामोश बैठी थी। उसी बेंच के दूसरे किनारे पर पार्थ आकर बैठ गया। साहिबा ने देखा पार्थ वहा है तो उसने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से सामने देखते रही। उसकी आँखों में खालीपन पसरा हुआ था। पार्थ ने साहिबा की तरफ देखा और कहने लगा,”साहिबा मैं जानता हूँ की आज मैंने जो किया वो बहुत ही गलत था लेकिन उस वक्त जब उसने तुम्हे छुआ तो बर्दास्त नहीं कर पाया और वो सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,5 साल पहले जब तुम बिना मुझसे मिले , बिना मुझे बताये चली गयी तो उस वक्त जो महसूस हुआ वो मैं तुम्हे शब्दों में नहीं बता सकता। कुछ घंटो में ही सही पर तुमसे एक रिश्ता जुड़ गया था जिसे कोई नहीं देख पा रहा था सिवाय मेरे,,,,,,,,,,,,,,,,,दिल्ली में रहकर इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा था। हम इंजीनियर्स की जिंदगी में होता ही क्या है ? कुछ सेमेस्टर , किताबे , सिगरेट और बहुत सारी फीलिंग्स जो हमने अपने दिल के कोने में किसी खास के लिए दबा रखी होती है। पहली बार जब तुम्हे ट्रेन में देखा तो लगा जैसे वो सब फीलिंग्स तुम्हारे लिए ही थी ,, आज तक घरवालों के कहने पर कभी सिगरेट नहीं छोड़ी थी पर जब तुमने ना कहा तो उसके बाद आज तक सिगरेट को हाथ नहीं लगाया है मैंने ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,5 साल तुम्हारा इंतजार किया है साहिबा , हर रोज ये दुआ करता था की एक बार तुमसे मुलाकात हो , फेसबुक से लेकर टविटर तक हर जगह ढूंढा तुम्हे , पल्लवी दी के फोन से तुम्हारा नंबर लिया हर रोज वो नंबर अपने फोन में डॉयल करता था इस उम्मीद के साथ की एक दिन तुम फोन उठाओगी लेकिन हर बार सिर्फ रिंग जाती थी। मैं नहीं जानता उस रोज तुम्हारे और पल्लवी दी के बीच क्या बात हुई ना ही मैं जानना चाहता हूँ ,, मैं बस इतना जानता हूँ साहिबा की मैं तुमसे प्यार करता हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,बहुत प्यार करता हूँ। (पार्थ ने जो कहा वो सुनकर साहिबा की आँखों में आंसू भर आये , उसने नम आँखों के साथ पार्थ की तरफ देखा तो पार्थ आगे कहने लगा) ये 5 साल मेरे लिए आसान नहीं थे साहिबा , किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं होंगे जिसे ये पता न हो की उसकी गलती क्या है ? ,, इंसान की मौत जब होती है तो वो एक बार मरता है लेकिन इन 5 सालो में तुम्हारे इंतजार में मैं ना जाने कितनी बार मरा हू मुझे खुद नहीं पता। 5 सालो से सोया नहीं हूँ , जब भी सोने की कोशिश करता था तुम्हारा ख्याल जगा देता था और फिर सारी रात तुम्हारे बारे में सोचते हुए निकल जाती थी। तुम्हारे जाने के बाद सबसे दूर हो गया था , घर , दोस्त , शौक सब छोड़ दिए थे ,, दिन रात बस यही सोचता था की क्या गलती थी मेरी ? तुमसे प्यार किया ये गलती थी या फिर अपनी बहन की दोस्त से प्यार किया ये गलती थी। साहिबा मैं क्या उस वक्त कोई भी होता तो शायद तुमसे प्यार कर बैठता ,, आज तक मैं तुम्हे उस पल को भूल नहीं पाया हूँ”
साहिबा ने सब सूना उसे ये सब सुनते हुए बहुत तकलीफ हो रही थी और साथ ही महसूस हो रहा था पार्थ का दर्द जो उसने बीते 5 सालो में झेला था। साहिबा ने उठने की कोशिश की तो पार्थ ने उसके हाथ पर हाथ रख दिया और उसकी तरफ देखते हुए ना में गर्दन हिला दी। पार्थ की आँखों में आंसू देखकर साहिबा नहीं जा पाई। पार्थ ने अपना हाथ उसके हाथ पर रखे रखा और सामने देखते हुए कहने लगा,”मैं नहीं जानता साहिबा की तुम्हारे मन में क्या है मैं इतना जानता हूँ की मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगा ,, बीते 5 सालो का वो दर्द मैं अपने सीने में दफन कर चुका था पर जब प्रिया दी की शादी में तुम्हे देखा तो वो सारा दर्द इन आँखों में उतर आया। तुम भी मुझसे प्यार करती हो साहिबा पर मैं जानता हूँ तुम कहोगी नहीं , कभी नहीं कहोगी की तुम्हे मेरी जरूरत है लेकिन मैं नहीं रह सकता how i control my feelings ?”

“किसने कहा तुम्हे अपनी feelings रोकने को ?”,साहिबा ने धीमे स्वर में कहा तो पार्थ हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा। पार्थ का हाथ जो की साहिबा के हाथ पर था साहिबा ने हटाया और उसे वापस पार्थ के हाथ पर रखते हुए कहने लगी,”जिंदगी जब हमे कुछ देती है तो बदले में हमसे दुगुना लेती है पार्थ , जिंदगी ने मुझे तुमसे मिलाया और तुम्हे पहली बार देखकर लगा जैसे जिंदगी की हर कमी पूरी हो गयी ,, पहली बार किसी में खुद को मुकम्मल देखा। उस वक्त तक नहीं
पता था की तुम पल्लवी के भाई हो , तुम्हारे साथ रहते हुए कब तुम पसंद आने लगे पता ही नहीं चला लेकिन पल्लवी को हमारी नजदीकियां अच्छी नहीं लगी ,, उस वक्त तक शायद मेरे मन में तुम्हे लेकर कोई फीलिंग्स भी नहीं थी। जानते हो जिंदगी का सबसे बुरा पल क्या होता है जब आपके बेस्ट फ्रेंड को आप पर भरोसा नहीं रहता है , आपके सही होते हुए भी वो आपको गलत समझने लगता है। पहली बार पल्लवी ने मुझे गलत समझा , उसने मेरी बात तक नहीं सुनी और कहा की मैं गलत कर रही हूँ” कहते हुए साहिबा के होंठो पर एक दर्दभरी मुस्कान तैर जाती है और पलके भीग जाती है।
साहिबा के एक एक शब्द में पार्थ बीते हुए कल का दर्द साफ महसूस कर रहा था , वह ख़ामोशी से साहिबा को सुन रहा था। साहिबा ने एक दो बार तेज साँस ली जो की पार्थ को साफ सुनाई दे रही थी और ऐसा करते हुए साहिबा के हाथ की पकड़ पार्थ के हाथ पर थोड़ी मजबूत हो गयी। साहिबा की आँख के किनारे पर आंसू झिलमिलाने लगे उसे आज भी पल्लवी के गलत समझे जाने का दुःख था जो की उसके चेहरे से साफ झलक रहा था। साहिबा ने अपनी आँखों के किनारे साफ किये और आगे कहने लगी,” ,”बचपन में ही मैंने अपने माँ बाप को खो दिया था उसके बाद कभी कोई अपना नहीं लगा लेकिन कॉलेज में जब पल्लवी से मिली तो लगा जैसे मेरे माँ पापा लौट आये है। उसमे कभी मैंने एक दोस्त को नहीं देखा बल्कि अपनी फॅमिली को देखा। उस दिन जब उसने कहा की मैं भटक रही हूँ तो बुरा लगा , तब पहली बार मैंने चाहा की वो मेरी भावनाओ को तुम्हारी बहन बनकर नहीं बल्कि एक मेरी एक दोस्त बनकर समझे , उस वक्त उसके मन में क्या चल रहा था मैं नहीं जानती थी मैं बस इतना देख पा रही थी की मेरी दोस्त जो बिना कहे मेरी हर बात समझ लेती थी पहली बार मेरी कही हुई बात को भी नहीं समझ पा रही थी। उस दिन वहा से जाना मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन वहा रहकर मैं पल्लवी के दुःख की वजह नहीं बनना चाहती थी। मैं हमेशा के लिए वहा से ऊटी चली गयी , लेकिन जाते जाते मैं अपने साथ ले गयी थी तुम्हारे अहसास,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,(कहते हुए साहिबा आंसुओ से भरी आँखों से पार्थ की तरफ देखती है , उसके आंसू पार्थ के सीने में चुभन का अहसास करवाते है वह कुछ कह नहीं पाता बस बेबस सा उसकी आँखों में देखता रहता है )
साहिबा नजरे झुकाकर आगे कहने लगती है,”ऊटी में रहते हुए ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा होगा जब मैंने तुम्हारे बारे में नहीं सोचा , तुम कब मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गए पता ही नहीं चला , प्यार हो गया था तुमसे और हर गुजरने वाले दिन के साथ वो प्यार बढ़ता ही जा रहा था। ये जानते हुए भी की तुम पल्लवी के भाई हो , मैं अपने आप को नहीं रोक पाई। हर रोज मैं ये दुआ करती थी की तुम खुश रहो बस एक बार तुम्हे देखने का मन था सो देख लिया”
“जब इतना ही प्यार है मुझसे तो फिर ये सब क्यों कर रही हो साहिबा ?”,पार्थ ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
साहिबा ने एक नजर पार्थ को देखा और सर्द आवाज में कहने लगी,”क्योकि वो दर्द मैं फिर से नहीं जीना चाहती , पल्लवी की आँखों में अपने लिए नफ़रत नहीं देख सकती मैं। आज भी जब वो बाते याद आती है तो बहुत तकलीफ होती है मुझे ,, 5 साल तो क्या मैं जिंदगी भर तुमसे प्यार कर सकती हूँ लेकिन कभी तुम्हारे साथ नहीं रह सकती”
“सिर्फ इसलिए क्योकि पल्लवी दी मेरी बहन है,,,,,,,,,,,,,,,ग्रो अप साहिबा , पल्लवी दी अपनी जिंदगी में खुश है और इन सब नुकसान सिर्फ हमारा हुआ है”,पार्थ ने तड़पकर कहा तो साहिबा ने उसके चोट लगे हाथ को अपने दोनों हाथो में लिया और कहने लगी,”मैं तुमसे इतना प्यार करती हूँ की तुम्हारे लिए पूरी दुनिया को छोड़ सकती हूँ लेकिन पल्लवी से मैं इतना प्यार करती हूँ की उसकी ख़ुशी के लिए मैं तुम्हे भी छोड़ सकती हूँ पार्थ,,,,,,,,,,,,,,,,,इन सब को और कॉम्प्लिकेटेड मत बनाओ प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,मैं जिंदगी भर तुमसे प्यार करुँगी लेकिन बिना तुम्हारी ख्वाहिश किये”
पार्थ ने सूना तो उसकी आँखों में आंसू भर आये , उसने अपना सर साहिबा के सर से लगाते हुए कहा,”मुझे जिंदगी से कुछ नहीं चाहिए साहिबा बस तुम मेरा साथ दे दो प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,,मैरी मी साहिबा प्लीज , प्लीज , प्लीज”
इसके आगे पार्थ कुछ बोल नहीं पाया उसकी आँखों से आंसू बहकर साहिबा के हाथो पर गिरने लगे। पार्थ का दर्द साहिबा महसूस कर रही थी लेकिन वह अपने दिल और दिमाग के बीच छिड़ी जंग में उलझी हुई थी , दिल में पार्थ था तो दिमाग में पल्लवी और साहिबा इन दोनों को ही नहीं खोना चाहती थी। पार्थ का सर अब भी उसके सर से ही लगा था और पार्थ आँखे बंद किये अपने आंसू बहाये जा रहा था। साहिबा ने अपना सर उसके सर से हटाया और उसके हाथो को सहलाते हुए कहने लगी,”पता है पार्थ जिंदगी में दो इंसान मुझे सबसे ज्यादा अजीज मिले एक पल्लवी और दूसरे तुम लेकिन जिंदगी ने मेरे साथ एक बहुत भद्दा मजाक भी किया उसने तुम्हे और पल्लवी को आमने-सामने कर दिया और दोनों में से किसी एक को चुनने को कहा। एक तरफ दोस्ती तो दूसरी तरफ प्यार,,,,,,,,,,,,,,,,प्यार तो कभी भी हो सकता है ना लेकिन दोस्त एक बार गया तो वापस नहीं आएगा। मैं जिंदगी भर तुमसे प्यार करते हुए तुम्हारे बिना रह लुंगी लेकिन अपनी दोस्त की आँखों में अपने लिए नफरत नहीं देख पाऊँगी। तुम्हारे और पल्लवी के बीच अगर कभी कुछ चुनना पड़ा तो मैं पल्लवी को चुनूंगी और यही मेरा फैसला है पार्थ , हम एक समंदर के दो किनारे है जो कभी साथ नहीं रह सकते”
“साहिबा प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,पार्थ ने तड़पकर कहा
“नहीं पार्थ मुझसे ये नहीं हो पायेगा , आई ऍम सॉरी”,कहते हुए साहिबा उठी और वहा से जाने लगी। पार्थ समझ गया की अब तक क्यों साहिबा इतना खामोश थी और उसके साथ ऐसा बर्ताव कर रही थी। साहिबा पल्लवी को बहुत मानती थी और उसके लिए आज तक वह पार्थ से दूर रही , उन फीलिंग्स से दूर रही। पार्थ ने अपने आंसू पोछे और साहिबा के पीछे आते हुए कहा,”साहिबा क्या जाने से पहले एक बार तुम्हारे गले लग सकता हूँ ?”
साहिबा ने सूना तो वह खुद को रोक नहीं पाई , उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। उसने अपने आंसू पोछे और पलटकर कहा,”अगर मैंने ऐसा किया तो मैं कमजोर पड़ जाउंगी पार्थ ,, बाय”
कहकर साहिबा वहा से चली गयी।

पार्थ वापस आकर बेंच पर बैठ गया। साहिबा हमेशा के लिए उसकी जिंदगी से जा चुकी थी , और ये बात पार्थ को अंदर ही अंदर तोड़ रही थी। साहिबा ऊपर अपने कमरे की तरफ चली गयी। साहिबा को जाता देखकर प्रिया और बाकी लोगो से रहा नहीं गया तो वे सब पार्थ के पास आये। प्रिया ने पार्थ के बगल में बैठते हुए कहा,”क्या कहा साहिबा ?”
पार्थ ने कुछ नहीं कहा बस सिसकता रहा। कहते है लड़के कभी रोते नहीं है लेकिन पार्थ के साथ जो हो रहा था उस से मजबूत से मजबूत इंसान भी टूट जाये। प्रिया ने देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”पार्थ आर यू ओके ? क्या कहा साहिबा ने ?”
“वो पल्लवी दी से बहुत प्यार करती है उनके खिलाफ कभी नहीं जाएगी , उसने कहा की अगर पल्लवी की ख़ुशी के लिए उसे मुझे छोड़ना पड़ा तो वो छोड़ देगी , वो जिंदगी भर मुझसे प्यार करेगी लेकिन मुझसे दूर रहकर”,पार्थ ने उदासी भरे स्वर में कहा
“साहिबा ऐसी जिद क्यों कर रही है ? माना के पल्लवी उसकी दोस्त है लेकिन तुम तो उसका प्यार हो ना”,रुबीना से पार्थ का उदास चेहरा देखा नहीं गया तो उसने कहा
“हम सब चलकर साहिबा को समझाते है”,मेहुल ने कहा
“नहीं जीजू उस से कुछ मत कहिये , उसने जो कुछ मुझसे कहा वो सब कहते हुए उसे कितनी तकलीफ हुई ये सिर्फ मैं जानता हूँ।”,पार्थ ने मेहुल को रोकते हुए कहा तो मेहुल ने कहा,”ये कैसा प्यार है तुम दोनों का पार्थ ? वो तुमसे प्यार करती है लेकिन तुम्हे अपना नहीं सकती क्योकि पल्लवी बुरा मान जाएगी , तुम पल्लवी से बात क्यों नहीं करते ?”
“मेहुल शांत हो जाईये इस वक्त पार्थ बहुत परेशान है , कल सुबह हम सब वापस बरेली चलते है , पल्लवी भी वही होगी अपने मम्मी पापा के घर एक बार बैठकर उस से इस बारे में बात करेंगे , उसे समझायेंगे शायद वह इन दोनों की फीलिंग्स को समझे और साहिबा अपना फैसला बदल दे”,प्रिया ने कहा
“हाँ तुम सही कह रही हो प्रिया , हम सब कल ही वापस चलते है”,मेहुल ने कहा
“सॉरी प्रिया हम सबकी वजह से तुम्हरा और मेहुल का हनीमून भी खराब हो गया”,लक्ष्य ने कहा
“गाईज डोंट से सॉरी , हमारे हनीमून से ज्यादा जरुरी है इन दोनों का प्यार ,,, तुम लोग इस बारे में ज्यादा मत सोचो”,मेहुल ने कहा तो प्रिया मुस्कुरा उठी। मेहुल के रूप में उसे इतना समझदार पति जो मिला था।

Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15 Tere Ishq Me – 15

क्रमश – Tere Ishq Me – 16

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संजना किरोड़ीवाल

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