Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 6

Tere Ishq Me – 6

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

साहिबा एयरपोर्ट आयी और अपने लिए एक कॉफी लेकर वेटिंग एरिया में चली आयी। बारिश शुरू हो चुकी थी साहिबा अपना कॉफी का कप लिए शीशे की तरफ आकर खड़ी हो गयी और बाहर बारिश देखने लगी। बाहर तेज मूसलाधार बारिश हो रही थी। साहिबा का मन एक बार फिर उसे अतीत में खींचकर ले गया

हल्दी के फंक्शन के बाद सभी नहाने चले गए। नहाकर सबने खाना खाया और उसके बाद मेहँदी की रस्म की तैयारियां शुरू होने लगी। रुबीना ने हरे रंग का शरारा पहना था , प्रिया ने हरे रंग का सूट पहना था , पल्लवी ने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी ,, साहिबा ने भी हरे रंग का लॉन्ग सूट लाल रंग के दुप्पटे के साथ पहन लिया। बालो को उसने खुला रखा क्योकि थोड़े गीले थे , हाथो में लाल हरे रंग की मिक्स चूड़िया पहनी , कानो में लाल रंग के स्टोन वाले झुमके पहने और हॉल में चली आयी।
“क्या बात है हेरोइन ये सूट तो बड़ा जच रहा है तुम पर”,प्रिया ने चहकते हुए कहा
“थैंक्यू थैंक्यू , वैसे तुम दोनों यहाँ क्या कर रही हो ? मेहँदी लगवाने का इरादा है क्या ?”,साहिबा ने बैठते हुए कहा। पास ही में पल्लवी के हाथो में मेहँदी लग रही थी और रुबीना भी उसके पास बैठे बड़े गौर से देख रही थी। साहिबा की बात सुनकर रुबीना ने कहा,”ऑफकोर्स इसलिए तो हम लोग यहाँ बैठे है ताकि पल्लवी के बाद हम भी मेहँदी लगवा ले”
“हां साहिबा मेरे बाद तुम सब भी मेहँदी लगवा लेना”,पल्लवी ने मुस्कुराते हुए कहा
“मैं बाद में लगवा लुंगी यार अभी मुझे किसी जरुरी काम से मार्किट जाना था , प्रिया तू चल रही है ना मेरे साथ”,साहिबा ने पल्लवी के हाथो की मेहँदी को सही करते हुए कहा
“सॉरी यार मुझे ना अपने ड्रेस प्रेस करने है आज रात के फंक्शन के लिए और फिर मेहँदी भी लगवानी है , तू रुबीना को लेकर चली जा”,प्रिया ने कहा तो साहिबा ने रुबीना की तरफ देखा और कहा,”अब आपका क्या ख्याल है मैडम ?”
“मैं,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रुबीना ने बुझे स्वर में कहा तो साहिबा ने उठते हुए कहा,”हाँ समझ गयी तुम भी नहीं जा पाओगी , कोई बात नहीं मैं अकेले चली जाउंगी , बरेली ही तो है कौनसा अमेरिका है जो मैं गुम हो जाउंगी”
“साहिबा एक काम कर ना तू पार्थ को साथ लेकर चली जा , उसे यहाँ के बारे में सब पता है तुझे जो चाहिए वो आसानी से दिलवा देगा”,पल्लवी ने कहा
“पक्का ना ?”,साहिबा ने कहा
“हां ये ठीक रहेगा साहिबा तू पार्थ के साथ चली जा और आराम से वापस आना कोई जल्दी नहीं है”,प्रिया ने उसे छेड़ते हुए कहा
“रुक मैं उसे फोन कर देती हूँ”,कहते हुए पल्लवी ने अपने फोन से पार्थ को फोन किया और उसे हॉल में आने को कहा। कुछ देर बाद पार्थ वहा आया आज उसने भी डार्क ग्रीन रंग का शर्ट और लाइट ग्रीन पेण्ट पहन रखा था। पार्थ काफी हेंडसम लग रहा था , उसे देखते ही साहिबा का दिल धड़क उठा वह दूसरी तरफ देखने लगी।
“हां दी”,पार्थ ने आकर पल्लवी से कहा
“साहिबा को मार्किट से कुछ काम है उसे लेकर जाओ और जो सामान इसे चाहिए वो दिलवाकर लाओ”,पल्लवी ने पार्थ को आर्डर दिया तो पार्थ ने हा में गर्दन हिला दी और साहिबा के पास आकर बड़े प्यार से कहा,”चले ?”
“हम्म्म “,साहिबा ने कहा और उठकर पार्थ के साथ चल पड़ी। चलते चलते उसने पलटकर प्रिया की तरफ देखा तो प्रिया ने अंगूठे के निशान से उसे और पार्थ को देखते हुए बेस्ट ऑफ़ लक का साइन बनाया और मुस्कुरा दी। साहिबा भी मुस्कुराकर वहा से चली गयी।

साहिबा पार्थ के साथ बाहर आयी। पार्थ ने अपनी बाइक स्टार्ट की और साहिबा को पीछे बैठने का इशारा किया। साहिबा ने देखा बाइक की पिछली सीट थोड़ी ऊपर है , बाइक पर बैठते हुए उसे अपना हाथ पार्थ के कंधे पर रखना पड़ा। एक प्यारा सा अहसास दोनों को छूकर गुजरा। पार्थ ने बाइक आगे बढ़ा दी। साहिबा और पार्थ दोनों के कपडे मैचिंग थे और दोनों साथ साथ बहुत अच्छे भी लग रहे थे। जब पार्थ बाइक पर उसके साथ अपने मोहल्ले की गलियों से गुजरा तो सबकी नजरे उन दोनों पर जा टिकी। पार्थ और साहिबा दोनों ही खामोश थे।
साहिबा के मन में पार्थ के लिए भावनाये थी ये प्रिया समझ चुकी थी इसलिए पल्लवी की मेहँदी के बाद वह , रुबीना और पल्लवी हॉल में एक साइड बैठे बैठे बातें कर रही थी। बातो बातो में प्रिया ने कहा,”अच्छा पल्लवी एक बात बता अगर साहिबा और पार्थ के बीच कुछ हो तो क्या तू उन्हें सपोर्ट करेगी ?”
प्रिया का सवाल सुनकर पल्लवी के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और उसने कहा,”नहीं यार तू तो जानती है ना पार्थ साहिबा से छोटा है और ये सब बाते हंसी मजाक तक ही रहे तो सही है”
प्रिया को पल्लवी से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी बल्कि उसे साहिबा के लिए बुरा लग रहा था। साहिबा पल्लवी को अपना सबकुछ समझती थी और पल्लवी की ऐसी सोच जानकर प्रिया को थोड़ा बुरा लगा। उसने इस बारे में आगे कोई बात नहीं की दूसरी बातो में ध्यान लगा लिया।

पार्थ साहिबा को लेकर मार्किट पहुंचा उसने पल्लवी को एक बड़ी सी दुकान पर छोड़ा और कहा,”आपको जो लेना है वो यहाँ मिल जाएगा , आप देखो तब हम वहा सामने है”
“ठीक है , थैंक्यू”,कहकर साहिबा दुकान के अंदर चली आयी उसने पल्लवी और अपने होने वाले जीजाजी के लिए तोहफे खरीदने लगी। अश्विनी के लिए उसने गॉगल्स लिए और पल्लवी के लिए वह तोहफा ले ही रही थी की तभी उसकी नजर सामने खड़े पार्थ पर चली गयी। पार्थ इत्मीनान से चाय की दुकान पर खड़ा चाय पीने में मस्त था। साहिबा उसे बस देखते रही , चाय का कप होंठो पर लगाने की वजह से उसका चेहरा बार बार ढका जा रहा था सिर्फ उस की आँखे नजर आ रही थी जो की बहुत ही गहरी थी। साहिबा से रहा नहीं गया और उसने अपने फोन से पार्थ का चाय पीते हुए एक फोटो क्लिक कर लिया।
“मैडम ये पैक कर दू”,साहिबा के दूसरे हाथ से गिफ्ट लेते हुए दुकानवाले ने कहा तो साहिबा की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”हाँ हाँ ये दोनों पैक कर दीजिये”
“ये क्या कर रही हो तुम ? ऐसे बिना किसी की परमिशन के उसकी फोटो लेना गलत है ना साहिबा ,, अपने मन को सम्हालो उसे ऐसे भटकने मत दो”,साहिबा ने खुद से कहा और पार्थ से अपनी नजरे हटा ली। दुकान में घूमते हुए उसकी नजर शो-पीस में रखी एक घडी पर पड़ी।
“भैया ज़रा वो घडी दिखाना”,साहिबा ने कहा तो दुकानवाले ने घडी निकालकर साहिबा की ओर बढ़ा दी। साहिबा ने उसे डिब्बे से निकाला और हाथ में लेकर देखने लगी। काले रंग की वो कलाई घडी बहुत ही खूबसूरत दिखाई दे रही थी। साहिबा ने उसे दुकानदार की ओर बढाकर कहा,”इसे भी पैक कर दीजिये”
साहिबा ने सामान लिया और पेमेंट करके बाहर चली आयी। पार्थ ने देखा तो साहिबा की तरफ आया और कहा,”हो गया ?”
“जी हां वैसे यहाँ बरेली में कुछ स्पेशल भी है ?”,साहिबा ने कहा
“बिल्कुल है बरेली की दो चीजे बहुत स्पेशल है”,पार्थ ने शोखी भरे अंदाज में कहा
“वो क्या ?”,साहिबा ने भी उसकी बातो में दिलचस्पी दिखाते हुए कहा
“एक तो बरेली के झुमके और दूसरे हम”,पार्थ ने साहिबा की आँखों में देखते हुए कहा तो साहिबा एक पल को खामोश हो गयी और फिर कहा,”बातें अच्छी करते है आप”
“सवाल अच्छे करती है आप”,पार्थ ने कहा तो साहिबा मुस्कुरायी और कहा,”बरेली की दूसरी स्पेशल चीज में मुझे कोई इंट्रेस्ट नहीं है तो ऐसा करते है झुमके देख लेते है”,साहिबा ने शोखी भरे अंदाज में कहा और आगे बढ़ गयी उसकी इस अदा पर पार्थ भी मुस्कुरा उठा
दोनों एक दुकान पर आये और साहिबा झुमके देखने लगी। उसे कुछ पसंद नहीं आ रहा था। पार्थ ने देखा तो उसके पास आया और एक झुमके की जोड़ी उसकी ओर बढाकर कहा ,”ऐसे देखोगी तो पसंद नहीं आएगा , पहनकर देखो तो समझ आएगा”
साहिबा ने पार्थ के हाथ से झुमके की जोड़ी ली और उन्हें पहनकर शीशे में खुद को देखा , हां वो झुमके उसके कानो में अच्छे लग रहे थे साहिबा ने उन्हें उतारा और दुकानवाले को देकर कहा,”इन्हे पैक कर दीजिये , कितना पे करना है ?”
“100 रूपये मेडम”,दुकानवाले ने कहा
“ऑनलाइन हो जाएगा ?”,साहिबा ने पूछा
“नहीं मैडम कैश देना होगा”,दुकानवाले ने कहा
साहिबा के पास कार्ड्स थे कैश नहीं था , उसने झुमके वापस रखे और कहा,”कोई बात नहीं मैं बाद में ले लुंगी”
“अरे आप रखो मैं पै कर देता हूँ , ये लीजिये भैया”,कहते हुए पार्थ ने जेब से 100 का नोट निकालकर आदमी को दे दिया और झुमके उठाकर साहिबा को। साहिबा और पार्थ दुकान से बाहर चले आये। अनजाने में ही सही लेकिन पार्थ की तरफ से साहिबा को ये पहला तोहफा था। घर से निकले हुए दोनों को दो घंटे से ज्यादा हो चुके थे। साहिबा की सारी खरीदारी हो चुकी थी दोनों वापस घर के लिए निकल गए।

शाम के 5 बज रहे थे साहिबा बैग्स हाथो में लिए अंदर चली आयी देखा सब मेहँदी लगवा चुके थे साहिबा पल्लवी के कमरे में चली आयी। पल्लवी , प्रिया , रुबीना चाची और पल्लवी की मम्मी सब उसी कमरे में थे। चाची शाम के संगीत में पहनने के लिए पल्लवी के लहंगे को उसे दिखा रही थी और बता रही थी की उसके साथ मैचिंग का क्या पहनना है ?”
साहिबा आकर बिस्तर पर बैठी उसने पल्लवी , प्रिया और रुबीना के लिए लेकर आये तोहफे सबको दिए और फिर एक बहुत ही सुन्दर सा कड़ा पल्लवी की मम्मी को देते हुए कहा,”आंटी ये आपके लिए”
“अरे बेटा इसकी क्या जरूरत थी ? वैसे है बहुत सुंदर”,पल्लवी की मम्मी ने कहा
“आंटी मार्किट में देखा था अच्छा लगा तो आपके लिए ले लिया , चाची जी आपके लिए भी कुछ है”,कहते हुए साहिबा ने दूसरा कडा चाची को दे दिया उन्होंने ख़ुशी ख़ुशी उसे अपने हाथ में पहन लिया और साहिबा से थैंक्यू कहा। तभी प्रिया के हाथ एक कलाई घडी लगी और उसने कहा,”ये किसके लिए है ?”
“पल्लवी दी वो,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए अचानक से पार्थ कमरे में आया लेकिन सबको साथ देखकर कहते कहते रुक गया। पार्थ को वहा देखकर साहिबा ने प्रिया के हाथ से घडी ली और पार्थ की ओर बढाकर कहा,”ये आपके लिए है”
“हमारे लिए ?”,पार्थ ने हैरानी से बॉक्स लेते हुए कहा
“हां”,साहिबा ने कहा तो प्रिया ने एक नजर पल्लवी को देखा पल्लवी के चेहरे को देखकर प्रिया समझ गयी की उसे अच्छा नहीं लग रहा। पल्लवी को भी साहिबा का पार्थ को तोहफा देना खटका लेकिन उस वक्त उसने कुछ नहीं कहा और चाची के साथ अपनी ज्वेलरी डिस्कस करने लगी। पार्थ ने बॉक्स खोलकर देखा उसमे एक बहुत ही प्यारी सी घडी थी पार्थ ने उसे अपने हाथ में पहनते हुए कहा,”हम खरीदने का सोच ही रहे थे , थैंक्यू”
“पार्थ तू कुछ कहने आया था”,पल्लवी ने हाथ में पकड़ा अपना लहंगा साइड में रखते हुए कहा
“हां वो हम ये कहने आये थे की गेस्ट हॉउस में सारा अरेजमेंट करवा दिया है , संगीत का सारा फंक्शन वही होगा , जीजाजी की तरफ से सारे मेहमान रात में ही वहा आ जायेंगे , पापा ने कहा है आपके और आपकी दोस्तों के लिए गाड़ी भिजवा देंगे और कुछ चाहिए हो तो बता देना ,, हम सब वही जा रहे है”,कहकर पार्थ वहा से चला गया।
“बेटा आप सब लोग थोड़ा रेस्ट कर लो उसके बाद तैयार हो जाना यही से संगीत में चलेंगे सब”,कहते हुए पल्लवी की मम्मी उठी और चाची के साथ वहा से चली गयी। पल्लवी साहिबा के पास आयी और कहा,”घूम लिया बरेली ?”
“हाँ बहुत अच्छा है , वैसे सूना है आज शाम में जीजू आने वाले है”,साहिबा ने कहा
“हां और तुम्हे तो उनसे स्पेशली मिलवाना है , कल से कल पूछ पूछ कर सर खा चुके है मेरा की साहिबा से कब मिलवा रही हो ?”,पल्लवी ने कहा
“अच्छा कही तुमने मेरी बुराई तो नहीं की उनके सामने , कही ऐसा ना हो वो मुझे बाते सुनाने के मिलना चाह रहे हो”,साहिबा ने तकिया सर के नीचे लगाते हुए कहा
“चल कुछ भी , अच्छा रात का क्या प्रोग्राम है तुम्हारा ?”,पल्लवी ने उसकी बगल में लेटते हुए कहा
“वो रात में देख्नेगे अभी मुझे बहुत नींद आ रही है”,कहते हुए साहिबा ने अपनी आँखे मूँद ली। रुबीना और प्रिया भी वही लेट गयी क्योकि दिनभर की भागदौड़ में सब थोड़ा थक चुकी थी। शाम में सब तैयार हुई , प्रिया और रुबीना ने क्रॉप टॉप पहना दोनों बहुत प्यारी लग रही थी। पल्लवी ने लहंगा पहना था , उसे साहिबा ने खुद अपने हाथो तैयार किया था वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। सब तैयार थे बस साहिबा नहीं तो पल्लवी ने कहा,”साहिबा तू जाकर तैयार हो”
“यार ये फोन को क्या हो गया है ?”,पल्लवी ने झुंझलाते हुए कह
“ये ले इस से कर ले”,कहते हुए साहिबा ने अपना फोन पल्लवी को थमाया और चली गयी। पल्लवी ने अपने पापा को फोन किया और गाड़ी भेजने को कहा क्योकि गेस्ट हॉउस घर से थोड़ा दूर था। अपने पापा को फोन करके पल्लवी ने फोन कट कर दिया और फोन साइड टेबल पर रखने लगी लेकिन अचानक से उसके मन में एक ख़याल आया और वह साहिबा का फोन चैक करने लगी। सब चैक करने के बाद पल्लवी ने गेलेरी खोला तो उसमे आखरी फोटो पार्थ की थी जो आज दोपहर में साहिबा ने ली थी। उस तस्वीर को देखकर पल्लवी के मन में एक अजीब सी जलन हुई , प्रिया की कही बातें उसे अब कुछ कुछ सच लग रही थी। पल्लवी ने जान बुझकर उस तस्वीर को डिलीट कर दिया
“हो गयी बात ?”,साहिबा ने पल्लवी के सामने आकर कहा
“हाँ , हो गयी”,कहते हुए पल्लवी ने साहिबा का फोन उसे वापस दे दिया ,,,,,,,,,,,, साहिबा वहा से साइड में चली गयी लेकिन पल्लवी के जहन में पार्थ की वो तस्वीर घूम रही थी जो साहिबा के फोन में थी

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क्रमश – Tere Ishq Me – 7

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