“तेरे इश्क़ में” – 16
Tere Ishq Me – 16
देर रात सभी सोने चले आये। साहिबा बिना किसी से कुछ कहे सुबह सुबह ही फ्लाइट से दिल्ली के लिए निकल गयी। प्रिया को पता चला तो वह उसके कमरे में आयी टेबल पर एक नोट लिखकर रखा हुआ था। प्रिया ने उसे उठाया और पढ़ने लगी – “मैं वापस जा रही हूँ प्रिया , मेरी किस्मत एक बार फिर मुझे 5 साल पीछे ले आयी है और वो दर्द मैं फिर से खुद को देना नहीं चाहती। यहाँ रहूंगी तो पार्थ से सामना होता रहेगा और मैं उसकी आँखों में आंसू नहीं देख सकती। ऊटी जाने से पहले आखरी बार पल्लवी से मिलना चाहती हूँ उसके बाद हमेशा हमेशा के लिए चली जाउंगी। तुम सब अपना ख्याल रखना,,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी”
प्रिया ने पढ़ा तो उसे बहुत दुःख हुआ , साहिबा एक बार फिर जा चुकी थी और वे लोग उसे रोक नहीं पाए। प्रिया ने मेहुल को बताया तो मेहुल ने कहा,”ये तो हम सब जान ही चुके है की साहिबा भी पार्थ से उतना ही प्यार करती है जितना पार्थ साहिबा से , अब बस साहिबा को किसी तरह ऊटी जाने से रोकना होगा , इस बार अगर वो चली गयी तो उसके साथ साथ पार्थ की उम्मीद भी चली जाएगी। कम ऑन गाईज अभी निकलना होगा”
“नो मेहुल तुम और प्रिया हनीमून पर आये हो और हम सबकी वजह से तुम इसे खराब मत करो प्लीज , हम लोग जाते है और साहिबा को रोकने की कोशिश करते है”,रुबीना ने कहा
“रूबी क्या तुम्हे लगता है वो तुम सबकी बात सुनेगी ? और रहा हनीमून तो गाइज अभी के लिए वो इम्पोर्टेन्ट नहीं है,,,,,,,,,,,,,क्यों प्रिया ?”,मेहुल प्रिया की तरफ देखकर कहता है तो प्रिया मुस्कुराते हुए मेहुल की तरफ आती है उसे साइड हग करते हुए कहती है,”बिल्कुल , इस वक्त अगर कुछ इम्पोर्टेन्ट है तो वो है साहिबा को रोकना”
पार्थ ने सूना तो प्रिया और मेहुल की तरफ देखने लगा , अनजान होते हुए भी वे दोनों उसके लिए ये सब कर रहे थे। पार्थ को अपनी तरफ देखता पाकर प्रिया उसके बगल में आ बैठी और कहा,”क्या इंजिनियर साहब इतनी जल्दी हार मान ली , अगर मोहब्बत की है तो आखरी दम तक उसे पाने की कोशिश करो”
पार्थ ने हाँ में गर्दन हिला दी। रुबीना और लक्ष्य आकर उसके दूसरी ओर बैठ गए और रुबीना ने कहा,”साहिबा कितनी लकी है ना जिसे पार्थ जैसा लड़का मिला है”
“नहीं रूबी हम सबसे ज्यादा लकी पल्लवी दी है जिसे साहिबा इतना मानती है , जिनके लिए उसने अपने प्यार तक को ठुकरा दिया।”,पार्थ ने कहा तो मेहुल उसके पास आया और कहा,”वही प्यार अब उसे तुम्हारे पास लेकर आएगा , दोस्ती और प्यार की इस जंग में किसी एक का दिल तो टूटना निश्चित है पार्थ , अगर पल्लवी का दिल टूटा तो उसे सम्हालने के लिए , अश्विनी है , हम सब है लेकिन साहिबा,,,,,,,,,,,उसका इस वक्त तुम्हारे सिवा कोई नहीं है पार्थ , तुम दोनों को एक दूसरे की जरूरत है।”
पार्थ बस खामोश बैठा सबकी बातें सुन रहा था उसके एक तरफ अपनी बहन थी तो दूसरी तरफ उसका प्यार साहिबा , दोनों में किसी एक को चुनना उसके लिए भी आसान नहीं था। मेहुल के कहने पर सबने अपने अपने बैग्स पैक किये और नीचे चले आये। चूँकि वे लोग अपनी जीप लेकर आये थे इसलिए उन्हें वापस भी उसी से जाना था और जीप से पहुँचने में उन्हें फिर वही 22-24 घंटे लगने वाले थे।
“यार बरेली पहुँचते पहुँचते तो कल सुबह हो जाएगी”,मेहुल ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा
“हे प्रिया साहिबा बता रही थी की ऊटी जाने से पहले वह पल्लवी से मिलेगी , क्यों ना बरेली जाने के बजाय हम लोग दिल्ली चले ?”,रुबीना ने कहा
“गुड़ आईडीआ मैं पल्लवी को फोन करके बोल देती हूँ की अगर साहिबा आये तो उसे वही रोक ले , जाने ना दे उसके बाद पल्लवी के सामने ही बैठकर हम सब बात करेंगे”,प्रिया ने कहा
“प्रिया अगर पल्लवी को ये सब पता चला तो प्रॉब्लम बढ़ जाएगी , हम एक काम करते है पहले दिल्ली चलते है बाकि उसके बाद सोचेंगे”,मेहुल ने गाडी घुमाते हुए कहा। सभी मन ही मन दुआ करने लगे की साहिबा दिल्ली में ही हो।
दिल्ली , इंदिरा गाँधी एयरपोर्ट
साहिबा अपना बैग सम्हाले एयरपोर्ट से बाहर आयी। एक बार फिर वह अपने शहर में थी , बाहर आकर वह कैब का इंतजार करने लगी।
“साहिबा तुम यहां ?”,एक आदमी ने साहिबा के सामने आकर कहा जिनके साथ एक महिला भी थी। साहिबा ने उस आदमी को देखा तो थोड़ा जाना पहचाना लगा। साहिबा को चुप देखकर आदमी ने कहा,”अरे साहिबा मैं विक्रम अंकल , 5 साल पहले कॉलेज की छुट्टियों में तुम हमारे घर रहने आयी थी , यही दिल्ली में”
“नमस्ते”,साहिबा ने कहा
“इतने सालो से कहा थी तुम ? और अब कहा हो ? शादी की तुमने ? और ये बैग लेकर कहा से आ रही हो ?”,जैसे ही साहिबा ने विक्रम को पहचाना , विक्रम ने सवालो की झड़ी लगा दी।
“आयी है तो अब इसे घर चलने को मत कहना , माँ बाप तो पहले ही मर गए इसे छोड़ गए हमारे लिए”,पास खड़ी महिला ने विक्रम को साइड करके कहा कुछ कुछ बातें साहिबा के कानो में पड़ी लेकिन उसे बुरा नहीं लगा उसने देखा उसकी कैब आ चुकी है तो उसने विक्रम से कहा,”आपके सवालो का जवाब जरूर देती अंकल लेकिन आप ना तो मेरी फॅमिली हो और ना मेरे दोस्त , (एक नजर महिला को देखती है कहती है ) अच्छा हुआ मेरे माँ बाप पहले ही इस दुनिया से चले गए , वरना उन्हें बहुत दुःख होता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,चलती हूँ”
साहिबा ने अपना बैग लिया और सामने खड़ी कैब में जाकर बैठ गयी। पल्लवी ने उसे अपना एड्रेस पहले ही मेल कर दिया था। साहिबा ने ड्राइवर को एड्रेस बताया और चलने को कहा। साहिबा ने सर सीट से लगा लिया , उसके चेहरे पर उदासी थी और आँखे खाली , इस शहर से और यहाँ के लोगो से उसका मन उचट चुका था पल्लवी से आखरी बार मिलकर वह हमेशा हमेशा के लिए वापस ऊटी चली जाना चाहती थी। गाड़ी ट्रैफिक में आकर रुकी तो साहिबा को याद आया की उसने ध्रुव के लिए तो कुछ भी नहीं लिया। उसने कैब वाले से आगे जाकर किसी दुकान पर गाड़ी रोकने को कहा। साहिबा ने ध्रुव के लिए कुछ चॉकलेट्स लिए , दुकान से निकलते हुए नजर वहा टंगे स्कार्फ पर चली गयी साहिबा ने उनमे से एक पल्लवी के लिए ले लिया। पल्लवी को कॉलेज में स्कार्फ्स बहुत पसंद थे।
कुछ देर बाद कैब साहिबा के बताये पते पर पहुंची। साहिबा ने पैसे दिए और अपना बैग लेकर गाड़ी से नीचे उतर गयी। कैब जा चुकी थी , सामने ही पल्लवी का घर था जहा अश्विनी और पल्लवी कुछ हफ्तों पहले ही शिफ्ट हुए थे। साहिबा दरवाजे के सामने आ खड़ी हुई बाहर दिवार पर नेम प्लेट लगी थी “अश्विनी शर्मा / पल्लवी शर्मा”
साहिबा ने बेल बजायी , उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। बेल बजाने पर कोई नहीं आया तो साहिबा ने एक बार फिर बेल बजायी। कुछ देर बाद दरवाजा खुला सामने अश्विनी खड़ा था। साहिबा को देखते ही उसने खुश होकर कहा,”साहिबा , अंदर आओ”
उसने साहिबा के हाथ से बैग लिया और अंदर आते हुए कहा,”हे पल्लवी , साहिबा आयी है ,, जल्दी आओ यार”
अंदर आते हुए साहिबा ने देखा घर में यहाँ वहा सामान बिखरा पड़ा है , पैक कार्टून्स रखे हुए है। पल्लवी उस वक्त किचन में थी वह जल्दी से हाथ पोछते हुए आयी उसने साहिबा को देखा तो आकर उसके गले लगते हुए कहा,”मुझे पता था तुम जरूर आओगी”
साहिबा मुस्कुरा दी। पल्लवी ने देखा सामान बिखरा पड़ा है तो सोफे से कार्टून्स उठाते हुए कहा,”अश्विन अभी तक तुमने ये सब नहीं उठाया , कितना कचरा फैला रखा है,,,,,,,,,,(साहिबा की तरफ देखकर) सॉरी साहिबा वो घर शिफ्ट किया है ना तो थोड़ा सा बिखरा पड़ा है सब”
“पल्लवी इट्स ओके मैं यहाँ बैठ जाती हूँ”,साहिबा ने डायनिंग के पास पड़ी कुर्सी को खिसकाकर उस पर बैठते हुए कहा
“तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ”,पल्लवी ने कहा
“पल्लवी कॉफी मिलेगी ?”,साहिबा ने कहा
“ठीक है कॉफी बना देती हूँ तुम तक अश्विनी से बात करो”,कहकर पल्लवी किचन में चली गयी। अश्विनी ने वहा पड़े बीन बैग को खिसकाकर उस पर बैठते हुए कहा,”सो कैसी रही शादी ?”
“अच्छी थी”,साहिबा ने कहा
ध्रुव कमरे से निकलकर आया जैसे ही उसने साहिबा को देखा दौड़कर उसके पास आया और कहा,”हाय Buddy”
“हे ध्रुव तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ है”,कहते हुए साहिबा ने अपने बैग से चॉकलेट्स निकाले और ध्रुव की ओर बढ़ा दिए। ध्रुव ने चॉकलेट्स ली और खुश होकर कहा,”थैंक्यू”
“वेलकम”,साहिबा ने मुस्कुरा कर कहा तो ध्रुव उसके पास आया और धीरे से कहा,”buddy अब तो तुम यही रहोगी ना ?”
“ह्म्मम्म्म्म नहीं ध्रुव मुझे अपने घर जाना होगा ना”,साहिबा ने प्यार से उसके गाल को छूकर कहा
ध्रुव ने सारी चॉकलेट्स साहिबा को वापस दी और कहा,”तो फिर मुझे ये नहीं चाहिए” कहकर ध्रुव वहा से चला गया। साहिबा प्यार से उसे देखने लगी तो अश्विनी ने कहा,”तुम इस से शादी में एक बार मिली और इसे तुमसे इतना लगाव हो गया , वैसे तुम्हारी गलती नहीं है साहिबा कोई एक बार तुमसे मिलने के बाद तुम्हे भूल ही नहीं सकता”
“साहिबा ये लो तुम्हारी कॉफी”,पल्लवी ने कॉफी का कप लाकर साहिबा को दिया और दूसरा कप अश्विनी को दे देकर वही आ बैठी। पल्लवी साहिबा से बातें करनी लगी जिनका जवाब पल्लवी ने सिर्फ हाँ ना में ही दिया। साहिबा वहा बैठी जरुर थी लेकिन ध्यान बार बार बालकनी के पास नाराज खड़े ध्रुव पर जा रहा था। ध्रुव बिल्कुल पार्थ पर गया था। हालाँकि साहिबा ने पार्थ को कभी गुस्से में नहीं देखा था। पल्लवी ने देखा ध्रुव अकेला बालकनी की तरफ खड़ा है तो उसने आवाज दी,”ध्रुव बेटा वहा क्या कर रहे हो ? यहाँ आओ”
ध्रुव ने पलटकर देखा और वापस मुंह घुमा लिया तो पल्लवी ने कहा,”अब इसे क्या हुआ ?”
“रुको मैं उसे लेकर आती हूँ”,साहिबा ने उठते हुए कहा ,, वह बालकनी में ध्रुव के पास आयी और घुटनो के बल बैठकर उस से कुछ कहने लगी। अश्विनी और पल्लवी उन दोनों को देख रहे थे उन्हें उनकी बाते सुनाई नहीं दे रही थी। कुछ देर बाद ध्रुव मुस्कुराया और साहिबा के साथ अंदर चला आया। ध्रुव ने साहिबा के देने पर सारे चॉकलेट्स भी ले लिए और आकर पल्लवी की गोद में बैठ गया।
“अच्छा साहिबा नाश्ते में क्या खाओगी ?”,अश्विनी ने अपनी कॉफी खत्म कर उठते हुए कहा तो पल्लवी ने हैरानी से कहा,”नाश्ता तुम बनाओगे ?”
“ऑफकोर्स , साहिबा पहली बार हमारे घर आयी है इसके लिए इतना तो कर ही सकता हूँ”,अश्विनी ने कहा
“मैं कुछ भी खा लुंगी”,साहिबा ने कहा तो अश्विनी किचन की ओर चला गया। साहिबा ने कप टेबल पर रख दिया
“साहिबा तुम हाथ मुंह धो लो मैं तब तक अश्विनी की थोड़ी हेल्प कर देती हूँ”,पल्लवी ने कहा तो साहिबा ने हामी भर दी। साहिबा बाथरूम चली आयी उसने हाथ पैर धोये और फिर बाहर आ गयी। बैग से अपना छोटा टॉवल निकाला और हाथ पोछते हुए घर को देखने लगी। घर काफी अच्छा था। साहिबा अभी घर देख ही रही थी की ध्रुव आया और साहिबा को अपने साथ अपने कमरे में लेकर चला गया। वह साहिबा को अपना कमरा दिखाने लगा। साहिबा बस उसके साथ साथ उसके कमरे में घूम रही थी। कबर्ड पर एक बॉक्स रखा था। ध्रुव दे देखा वह उसके हाथ नहीं आएगा तो उसने साहिबा से कहा,,”Buddy मुझे उठाओ”
साहिबा ने उसे उठाकर ऊपर किया ध्रुव ने बॉक्स उतारा और फिर साहिबा को लेकर फर्श पर आ बैठा। ध्रुव एक एक करके उस डिब्बे में रखा सामान वहा फर्श पर निकालने लगा। पास बैठी साहिबा बस प्यार भरी नजरो से उसे देख रही थी , उसमे उसे पल्लवी का बचपन नजर आ रहा था। कुछ देर बाद पल्लवी नाश्ता लेकर आयी देखा साहिबा ध्रुव के साथ बिजी है तो वही चली आयी और कहा,”साहिबा नाश्ता”
“यही दे दो मैं ध्रुव साथ ही खा लेंगे”,साहिबा ने कहा तो पल्लवी ने प्लेट साहिबा को दे दी। ध्रुव सामान छोड़कर साहिबा के सामने आ बैठा। साहिबा ने उसे खाने का इशारा किया तो ध्रुव ने कहा,”आप खिलाओ”
साहिबा ने जैसे ही सूना पल्लवी की तरफ नजर चली गयी। मेस में कई बार खाना खाते हुए पल्लवी भी साहिबा से यही कहा करती थी “तुम खिलाओ”
सहसा ही साहिबा की आँखों में नमी तैर गयी उसने पल्लवी से नजरे हटाई और एक निवाला ध्रुव को खिलाते हुए कहा,” तुम्हारा बेटा बिल्कुल तुम पर गया है पल्लवी”
“मम्मी पापा तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे , पापा कह रहे थे की शुक्ला अंकल अपने छोटे बेटे के लिए लड़की देख रहे है तुम अगर कहो तो,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,पल्लवी इतना ही कह पाई की साहिबा अपने हाथ में निवाला लिए उसकी ओर पलटी और कहा,”हम्म्म्म खाओ” पल्लवी को अपने हाथ से निवाला खिलाकर साहिबा ने कहा,”पता नहीं फिर कभी ये मौका मिले ना मिले”
साहिबा के शब्द सुनकर पल्लवी के दिल में एक टीस उठी लगा जैसे साहिबा उस से बहुत दूर जाने वाली है। वह साहिबा को देखते रही तो साहिबा ने अगला निवाला ध्रुव को खिलाते हुए कहा,”शादी करना जरुरी है क्या पल्लवी ? मैं अकेले खुश हु , मेरे पास ऊटी में अपना घर है , टी हॉउस है और ढेर सारी अच्छी यादे है ,,इतना काफी है जिंदगी जीने के लिए”
“इतना काफी नहीं है साहिबा , मैं तुम्हे शादी करते हुए देखना चाहती हूँ , तुम्हारा परिवार देखना चाहती हूँ , कोई हो जो तुम्हारा ख्याल रखे”,पल्लवी ने कहा
“पानी,,,,,,,,,,,,,!!”,साहिबा ने कहा
“हहह,,,,,,,,,!!”,पल्लवी ने कहा
“पानी , पानी चाहिए गला जल रहा है”,साहिबा ने कहा तो पल्लवी उठी और पानी लेने चली गयी। उसने पानी का ग्लास साहिबा को दिया साहिबा ने पानी पीया और ग्लास प्लेट पल्लवी की तरफ बढ़ा दी। पल्लवी समझ गयी की साहिबा उसके इन सवालो का जवाब देना नहीं चाहती वह उठी और किचन में चली आयी। अश्विन वही लगा हुआ था उसने पल्लवी को देखा तो सेंडविच बनाते हुए कहा,”साहिबा को नाश्ता पसंद आया ?”
पल्लवी कही खोई हुई सी थी उसने प्लेट लाकर प्लेटफॉर्म पर रख दी। उसे खोया हुआ देखकर अश्विनी ने कहा,”पल्लवी क्या हुआ ?”
पल्लवी की आँखों में आंसू भर आये वह कहने लगी,”मैंने उसे बहुत हर्ट किया है अश्विनी , वो हमेशा मुझसे कहती रही की मैं उसकी फॅमिली हूँ लेकिन मैंने कभी उसे समझा ही नहीं। इन 5 सालो में उसने खुद को सबसे दूर कर लिया है , वो बहुत अकेली हो चुकी है। उसकी आँखों में देखकर बात करने की हिम्मत मुझमे नहीं है अश्विनी उसे देखती हूँ तो लगता है की वो इन हालातो में मेरी वजह से है”
कहते कहते पल्लवी सिसकने लगती है
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क्रमश – Tere Ishq Me – 17
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संजना किरोड़ीवाल
Kash Pallavi sahiba aur parth k pyar ko samjhe aur un dono ki shadi karwa de
Pallavi Sahiba ko apni bhabhi kyu nhi bana na chahati hai ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
In sb me parth ki kya galti hai ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Palllavi kabhi bhi in dono k Pyaar ko hi samajh paayegi